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दिल्ली के बुराड़ी में बड़ा हादसा: चार मंजिला मकान गिरा, कई लोगों के दबे होने की आशंका,रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में बड़ा हादसा हुआ है. सोमवार रात अचानक से एक मकान भरभराकर गिर पड़ा. आसपास के लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस और फायर बिग्रेड को दी. सूचना मिलते ही आनन-फानन में फायर ब्रिगेड की चार गाड़ियों घटनास्थल पर पहुंच गईं. हादसे में कुछ लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है. फिलहाल पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम स्थानीय लोगों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं.

सूचना के मुताबिक, बुराड़ी के कौशिक एन्क्लेव में यह चार मंजिला बिल्डिंग थी, जो गिरी है. बताया जा रहा है कि सोमवार रात जब अचानक मकान गिरा तो वहां पर चहल-पहल थी. गनीमत रही कि लोग थोड़ा दूरी पर थे, जिससे बाल-बाल बच गए. इन्हीं लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी. सूचना मिलते ही आनन-फानन में फायर ब्रिगेड की चार गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं और रेस्क्यू ऑपेरशन में जुट गईं.

स्थानीय लोग भी रेस्क्यू ऑपरेशन में कर रहे मदद

पुलिस की एक टीम भी स्थानीय लोगों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है. मकान के मलबे में कुछ लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है. इस वजह से मलबा तेजी से हटाया जा रहा है. JCB मशीनों को भी मंगाया गया है, ताकि मलबे को तेजी से हटाया जा सके. वहीं पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए आसपास के थानों की पुलिस फोर्स को वहां पर तैनात कर दिया गया है.

गजब: बिहार के किसानों को बड़ा झटका! सरकारी रिकार्ड में उनकी जमीन हिंद महासागर में दर्शाई गई, जानें क्या है पूरा मामला?

बिहार में आरा जिले के हजारों किसानों की जमीन हिंद महासागर में है. चौंक गए ना, कुछ यही स्थिति आरा जिले के किसानों की भी है. वह हैरान हैं और परेशान भी. दरअसल सरकारी रिकार्ड में उनके खेतों की लोकेशन 1200 किमी दूर हिंद महासागर में दर्शाई गई है. इससे राज्य में आरा जिले के हजारों की किसानों की नींद उड़ गई है. दरअसल यह समस्या जिले में हो रहे डिजिटल क्रॉप सर्वे के दौरान अक्षांश और देशांतर लिखने में गड़बड़ी की वजह से हुई है. सर्वे कर रहे कर्मचारियों की इस एक गड़बड़ी की वजह से किसानों के माथे पर पसीना आ गया है.

जानकारी के मुताबिक जिले में भूमि संरक्षण विभाग की ओर से डिजिटल सर्वे कराया जा रहा है और इसका डाटा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस दौरान कर्मचारियों ने अक्षांश और देशांतर लिखने में गड़बड़ी कर दी. इसकी वजह से किसानों की जमीन मूल स्थान के बजाय हिंद महासागर में नजर आ रही है. लगातार सामने आ रही शिकायतों को देखते हुए अब कृषि विभाग और राजस्व विभाग आमने सामने आ गए हैं और दोनों विभागों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है.

जल्दबाजी में कर्मचारियों ने की बड़ी गड़बड़ी

कृषि विभाग ने इस गलती के लिए राजस्व विभाग को जिम्मेदार बताया है. बताया कि इस गलती में सुधार के लिए जमीन का लेखा-जोखा राजस्व विभाग को वापस भेजा जा रहा है. बताया जा रहा है कि जमीन सर्वे के साथ-साथ ही डिजिटल क्रॉप सर्वे भी कराया जा रहा है. इसका उद्देश्य किसानों की जमीन के बारे में वैज्ञानिक डाटा इकट्ठा करना है. कृषि विभाग को इस महीने की 31 तारीख तक 10 लाख प्लॉट की डिटेल सर्वे रिपोर्ट तैयार करना है.

किसानों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

इस हड़बड़ी में कर्मचारियों ने गड़बड़ी कर दी है. इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. जिला कृषि अधिकारी शत्रुघ्न साहू के मुताबिक यह सर्वे ऐप के माध्यम से हो रहा है. इसमें कई प्लॉट सही जगह पर नहीं दिखाई दे रहे हैं. जिन प्लॉटों में गड़बड़ी सामने आई है, उसे दुरुस्त करने के लिए डिटेल राजस्व विभाग को भेजा गया है. जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा.

पुणे में रहस्यमयी GBS बीमारी से दहशत, एक की मौत, 16 वेंटिलेटर पर, स्वास्थ्य विभाग ने की ये अपील

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) नाम की रहस्यमयी बीमारी से दहशत का माहौल है. इस बीमारी का केंद्र पुणे और उसके आसपास के शहर बने हुए हैं. पुणे में एक हफ्ते के भीतर ही जीबीएसने 100 से ज्यादा लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. संक्रमित 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. सोलापुर में GBS से एक मरीज की मौत की भी खबर सामने आई है.

बीते 26 जनवरी तक पुणे जिले में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के कुल 101 मामले दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में से 81 पुणे नगर निगम (पीएमसी) से, 14 पिंपरी चिंचवाड़ से और 6 जिले के अन्य भागों से सामने आए हैं. प्रभावित व्यक्तियों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं, इनमें 16 मरीज वर्तमान में वेंटिलेटर पर हैं. वहीं राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सोलापुर में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की है, जो गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित था. मृतक पुणे में काम करता था और अपने गृह जिले सोलापुर गया था.

दुर्लभ और गंभीर बीमारी है GBS

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही तंत्रिकाओं पर हमला करती है. इससे कमजोरी, सुन्नता या पक्षाघात हो सकता है. इस स्थिति से पीड़ित अधिकांश लोगों को अस्पताल में इलाज की जरूरत होती है. ऐसे में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्र में जीबीएस के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की है.

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए दिशा-निर्देश

स्वास्थ्य विभाग ने जिले के निवासियों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, जिसमें पानी की गुणवत्ता बनाए रखने और ताजा, साफ भोजन खाने पर जोर दिया गया है. विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और कोई भी लक्षण दिखने पर सरकारी अस्पताल जाएं. सरकार ने मरीजों के लिए मुफ्त इलाज का ऐलान भी किया है.

GBS बीमारी के लक्षण

इस बीच बताया जा रहा है कि पुणे के विभिन्न भागों से पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए भेजे गए हैं. गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षणों की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जीबीएस के सामान्य लक्षणों में हाथ या पैर में अचानक कमजोरी, लकवा, चलने में परेशानी या अचानक कमजोरी और दस्त शामिल हैं. इसके चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

किन्नर बनने के लिए करवाया ऑपरेशन, हार्ट अटैक से हो गई मौत

जोधपुर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. परिवार का आरोप है कि किन्नरों ने अपनी संगत में रखकर उनके बेटे को बहलाया-फुसलाया और उसे किन्नर बनने के लिए ऑपरेशन करवाने को राजी कर लिया. किन्नर बनाने के लिए जब ऑपरेशन किया गया तो उसे हार्ट अटैक आ गया और उसकी मौत हो गई. परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनका बेटा पूरी तरह से एडल्ट नहीं हो पाया था और इतने बड़े ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं था इसी वजह से उसकी मौत हुई है. अब परिवार ने बेटे के साथ रहने वाले किन्नरों के ऊपर आरोप लगाया है और मुकदमा दर्ज करवाया है.

परिवार का आरोप है कि 19 साल का उनका बेटा ध्रुव पिछले कुछ समय से किन्नरों के संपर्क में था. ध्रुव कई दिनों से माता-पिता को किन्नर बनने और ऑपरेशन करवाने के लिए मनाने का प्रयास कर रहा था. परिवार उसे बार-बार समझा रहा था और किन्नरों से दूर रहने के लिए कह रहा था. ध्रुव की माता का कहना है कि करीब 4 से 5 महीने पहले यह जानकारी मिली कि ध्रुव किन्नरों के संपर्क में है. ऐसे में उसे बार-बार समझाया लेकिन ध्रुव नहीं माना.

माता-पिता ने परेशान होकर सोचा कि किन्नरों के साथ उठने बैठने से कोई समस्या नहीं होगी. ध्रुव जिन दो किन्नरों के संपर्क में था वह उसे बहाल फुसला कर दिल्ली ले गए और उसका ऑपरेशन करवा दिया. पहला ऑपरेशन सफल नहीं रहा. ऐसे में किन्नर बनने के लिए साथि किन्नर उसे दूसरा ऑपरेशन करवाने के लिए फिर से दिल्ली ले गए. वहां पर डॉक्टरों ने दूसरा ऑपरेशन करने के लिए मना कर दिया.

डॉक्टर ने चेताया, फिर भी करवाया ऑपरेशन

डॉक्टर्स ने कहा कि उसे जान का खतरा हो सकता है. इतना सुनने के बाद भी किन्नरों ने ध्रुव का दूसरा लिंग परिवर्तन कराने का ऑपरेशन करवा दिया. इसी से उसे हार्ट अटैक आ गया और उसकी ऑपरेशन के दौरान मौत हो गई. अब घटना सामने आने के बाद ध्रुव के परिवार ने किन्नरों के खिलाफ जोधपुर के मंडोर थाना में शिकायत दर्ज करवाई है.

लिंग परिवर्तन करवाने के ऑपरेशन के लिए 21 वर्ष की आयु तक परिजनों की सहमति होना आवश्यक है. ऐसे में वह लगातार अपने परिवार को न केवल धमका रहा था बल्कि भावनात्मक तरीके से भी उन्हें हां करने के लिए मना रहा था. 2 दिन पूर्व जिन किन्नरों के साथ वह रह रहा था वे उसे गुपचुप दिल्ली ले गए लेकिन परिवार की सहमति के बिना ही ध्रुव का ऑपरेशन करवा दिया गया. पुलिस ने शव को महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया. जहां शव का मेडिकल बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम किया जाएगा.

मोर्चरी के बाहर परिजनों ने किया हंगामा

मोर्चरी के बाहर ध्रुव के परिजन और समाज के लोग धरने पर बैठ गए. उनका आरोप है कि गलत तरीके से ध्रुव का ऑपरेशन करवाया गया. इसके अलावा ट्रांसजेंडर के लिए काम करने वाली संस्थान संभाली ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं का कहना है कि डेढ़ साल से ध्रुव किन्नरों के साथ काम कर रहा था. उसने करीब 5 से 7 लाख रुपए कमाए थे. उसके पास बहुत सारा सोना भी था. वह उनके परिजनों को दिया जाए. मोर्चरी के बाहर माता-पिता का रो-रो कर बुरा हाल है पुलिस इस पूरे मामले में जांच कर रही है.

कोलकाता रेप और मर्डर केस: पीड़िता के परिवार ने कहा- संजय रॉय की सजा से हमें दिक्कत नहीं

कोलकाता रेप एंड मर्डर केस में दोषी संजय रॉय के लिए फांसी की मांग की गई है. वहीं, पीड़िता के माता-पिता की तरफ से अलग ही गुहार लगाई गई है. परिवार ने आवेदन दिया है कि उन्हें संजय रॉय की सजा से दिक्कत नहीं है. इस मामले में अन्य के खिलाफ जल्दी चार्जशीट दाखिल की जाए. इसका मतलब ये है कि पीड़िता के परिवार को संजय रॉय को फांसी की सजा नहीं चाहिए.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को दो अपीलों को स्वीकार करने पर अपना आदेश सुरक्षित रखा. इसमें एक अपील पश्चिम बंगाल सरकार और दूसरी सीबीआई की है. इस अपील में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई जिसमें संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

कोर्ट में राज्य सरकार और सीबीआई ने क्या कहा?

जस्टिस देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार और सीबीआई दोनों को सुना. दोनों ने हाई कोर्ट में कहा कि अपराध के एकमात्र दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाने वाला सियालदह कोर्ट का आदेश अपर्याप्त है. सीबीआई और राज्य सरकार दोनों ने दोषी के लिए फांसी की मांग की है.

कोर्ट में सीबीआई ने किया ये दावा

सीबीआई ने कोर्ट में दावा किया कि केवल उसे ही सजा की अपर्याप्तता के आधार पर हाई कोर्ट के सामने अपील करने का अधिकार है, क्योंकि वो मामले की जांच और अभियोजन एजेंसी है. राज्य सरकार ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के अलावा वो भी ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा की अपर्याप्तता का दावा करते हुए अपील कर सकती है.

बीते दिन पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम ने गंभीर आरोप लगाया था. उन्होंने रविवार को कहा था, पीड़िता के माता-पिता, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बदनाम कर राजनीति कर रहे हैं. इससे एक दिन पहले टीएमसी नेता कुणाल घोष ने आरोप लगाया था कि पीड़िता के माता-पिता का इस्तेमाल उन ताकतों द्वारा किया जा रहा है जो सीएम ममता बनर्जी सरकार को बदनाम करना चाहते हैं.

संजय रॉय की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में होगी सुनवाई? फैसला सुरक्षित

कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म के आरोपी संजय रॉय को सियालदह सेशन कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इस सजा के खिलाफ पश्चिम बंगाल की सरकार और सीबीआई ने आवाज उठाई और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसी के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को दो अलग-अलग अपीलों को स्वीकार करने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. हाई कोर्ट में एक अपील पश्चिम बंगाल सरकार और एक सीबीआई ने दाखिल की थी. इस अपील में ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.

हाल ही में सियालदह सेशन कोर्ट कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर केस के आरोपी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा का ऐलान किया था. संजय रॉय को आजीवन कारावास दिया जाएगा इस सजा के ऐलान के बाद से ही सीएम ममता बनर्जी इस के खिलाफ थी और उन्होंने कहा था कि वो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.

HC ने फैसला रखा सुरक्षित

जस्टिस देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली अदालत की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार और सीबीआई दोनों की बात को सुना, जिनका तर्क था कि सियालदह सेशन कोर्ट ने 20 जनवरी को जो आरोपी संजय रॉय को सजा का ऐलान किया वो अपर्याप्त थी. साथ ही सीबीआई और राज्य सरकार आरोपी को मौत की सजा देने की मांग कर रही है.

इसी बीच सीबीआई ने कोर्ट में दावा किया कि सजा की अपर्याप्तता के आधार पर हाई कोर्ट में अपील दायर करने का अधिकार सिर्फ उसे ही है क्योंकि वह मामले की जांच कर रहे थे और वो एक प्रॉसीक्यूशन एजेंसी है. वहीं, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि केंद्रीय एजेंसी के अलावा, वह भी ट्रायल कोर्ट ने जो सजा का ऐलान किया है उसके खिलाफ अपर्याप्तता का दावा कर सकती है. राज्य सरकार के वकील एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता कोर्ट में पेश हुए. इसी के साथ कोर्ट में पीड़िता के माता-पिता भी मौजूद रहे.

सेशन कोर्ट ने दी थी उम्र कैद की सजा

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त 2024 को जूनियर डॉक्टर के साथ पहले रेप किया गया और फिर उसका मर्डर कर दिया गया. इस अपराध के बाद पूरे देश में जूनियर डॉक्टर को इंसाफ देने की आवाज उठी. इसी के बाद इस केस के मुख्य आरोपी को 20 जनवरी को सियालदह सेशन कोर्ट में सजा का ऐलान किया गया. आरोपी संजय रॉय को उम्रकैद दी गई लेकिन राज्य सरकार के साथ-साथ पीड़िता के माता-पिता इस सजा से संतुष्ट नहीं है.

(AAP) ने जारी किया मैनिफेस्टो, 15 बड़ी गारंटी का किया वादा, जानें क्या हैं ये गारंटी?

दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से ताबड़तोड़ वादे किए जा रहे हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) ने आज सोमवार को चुनाव के लिए अपना मैनिफेस्टो जारी कर दिया है. पार्टी ने दिल्ली के लोगों के लिए 15 गारंटी देने का वादा किया है. इस गारंटी में रोजगार की गारंटी को भी शामिल किया गया है. इससे पहले भी पार्टी की ओर से अलग-अलग कई वादों का ऐलान किया जा चुका है.

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का मैनिफेस्टो जारी किया. उनके साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज और मनीष सिसोदिया समेत पार्टी के कई बड़े नेता भी मौजूद थे. AAP की ओर से यह मैनिफेस्टो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा 25 जनवरी को अपना मैनिफेस्टो जारी करने के बाद उठाया गया है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘संकल्प पत्र भाग-3’ पेश किया था

केजरीवाल ने कहा, “केजरीवाल की गारंटी का मतलब है पक्की बात. उसमें कच्ची बात कुछ भी नहीं होती है, जैसे ये लोग कभी कहते हैं संकल्प पत्र. कभी कुछ कभी कुछ. सबको पता है कि वे फर्जी होते हैं. जब पहले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मैं 15-15 लाख रुपये दूंगा उसके एक डेढ़ साल बाद एक इंटरव्यू में अमित शाह से पूछा गया कि वह पीएम मोदी ने 15-15 लाख देने का वादा किया था तो उन्होंने कहा था कि वो तो चुनावी जुमला था. बीजेपी और कांग्रेस की तरह पार्टी अन्य दूसरी पार्टियां चुनाव में जो भी घोषणाएं करती हैं वो चुनावी जुमले होते हैं.”

उन्होंने कहा कि कच्ची वाली गारंटी नहीं है आज हम 15 गारंटी जारी कर रहे हैं. ये केजरीवाल की गारंटी हैं जो अगले 5 साल के अंदर पूरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि सबसे पहले गारंटी है रोजगार की गारंटी.

केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में सबसे कम बेरोजगारी दर है. राष्ट्रीय स्तर पर करीब 6% बेरोजगारी दर है, लेकिन दिल्ली में करीब दो फीसदी बेरोजगारी दर है. लेकिन चाहे एक भी बेरोजगार हो बेरोजगार तो बेरोजगारी होता है. हम चाहते हैं कि दिल्ली में एक भी बेरोजगार नहीं होना चाहिए.

AAP प्रमुख केजरीवाल ने पार्टी घोषणापत्र में युवाओं को रोजगार, महिला सम्मान योजना, बुजुर्गों को मुफ्त इलाज की गारंटी दी. उन्होंने सत्ता में आने पर छात्रों के लिए मुफ्त बस यात्रा और मेट्रो किराए में 50 प्रतिशत की छूट का वादा किया. साथ ही मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, महिलाओं के लिए बस यात्रा, पानी, बिजली समेत 6 मौजूदा रेवड़ियां भी जारी रहेंगी.

पुणे में फैली रहस्यमयी बीमारी का कहर: जानें क्या है गुलियेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) और इसके लक्षण

महाराष्ट्र के वेस्टर्न रीजन पुणे में एक रहस्यमयी बीमारी ने सबको डरा रखा है. ये बीमारी पिछले एक सप्ताह से पुणेकर में फैली हुई है. इस रहस्यमयी बीमारी का नाम गुलियेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) यानी GBS बताया जा रहा है. पुणे में अब तक इस बीमारी से 70 से ज्यादा लोग अस्पताल हैं भर्ती हैं, जिसमे 15 से ज्यादा मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख गया है.

इस गंभीर बीमारी को लेकर पुणे महानगर पालिका ने एडवायसरी जारी की है. मनपा कमिश्नर राजेन्द्र भोंसले ने पुणे के कमला नेहरू अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज मुफ्त में करवाने का निर्णय लिया है. महाराष्ट्र सरकार ने पुणे के किसी भी निजी अस्पताल में इलाज करवाने वाले मरीजों को 2 लाख तक सरकारी मेडिकल इंश्योरेंस देने का भी ऐलान किया है.

70 से ज्यादा लोग बीमार

पुणे में इस बीमारी के कारण 70 से ज्यादा लोगों के बीमार होने की खबर है, जिनमें से 12 से ज्यादा लोग वेंटिलेटर पर हैं. मामला गंभीर है क्योंकि मरीज पुणे के आसपास के हलकों से भी पुणे इलाज करवाने आ रहे हैं. संदेह जताया जा रहा है कि इसका संबंध कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया से है, जो पानी या खाने के जरिए फैल सकता है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का कहना है कि ये एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी की स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर अचानक हमला करने लगता है. इसकी चपेट में आने से मरीज की मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है. शरीर में झुनझुनी पकड़ लेती है और यहां तक कि लकवे जैसी स्थिति हो सकती है. उनका कहना है किये बीमारी पेट के संक्रमण से शुरू होकर पूरे नर्वस सिस्टम पर अपना कब्जा कर लेती है.

गुलियेन-बैरे सिंड्रोम के कारण

बताया जाता है कि ये बीमारी कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया है. यह एक सामान्य कारण है, जो आमतौर पर खाने या पीने के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. यह फूड पॉइजनिंग और डायरिया के मामलों में देखा जाता है. इसी तरह हैजा, कालरा जैसी संक्रमण की बीमारियों में भी यही लक्षण देखे जाते हैं. बेसिकली ये एक वायरल संक्रमण है, जैसे फ्लू, जीका वायरस, एपस्टीन-बार वायरस या साइटोमेगालोवायरस जैसे वायरस भी इस बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं. ऐसा भी बताया जा रहा है कि कुछ मामलों में टीकाकरण या सर्जरी के बाद यह स्थिति विकसित हो सकती है.

ये हैं लक्षण, इलाज और बचाव

इस संक्रमण के मुख्य लक्षणपैरों और हाथों में झुनझुनी या सुन्नता,मांसपेशियों में कमजोरी जो पैरों से शुरू होकर शरीर के ऊपरी हिस्सों तक पहुंचती है. चलने, बोलने, चबाने और सांस लेने में कठिनाई. गंभीर मामलों में सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता शामिल हैं.इस संक्रमण में अब तक जो कारगर इलाज सामने आया है, उनमें मरीज का प्लाज्मा फेरिसिस करवाना, इसमें ब्लड प्लाज्मा को बदला जाना, इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG), और फिजियोथेरेपी शामिल हैं.

हेल्थ एक्सपर्ट ने इस बीमारी से बचने के लिए उपाय बताए हैं, जिनमें साफ और शुद्ध पानी पीना, अच्छी तरह से पका हुआ भोजन, हाइजीन का ध्यान रखना और संक्रमण से बचने के उपाय अपनाना. साथ हीअगर आपको या किसी को भी उपरोक्त लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

महाकुंभ में किन्नरों ने सबसे पहले की मुर्गी वाली माता की पूजा, जानें कौन हैं ये?

महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा इन दिनों खूब चर्चा में है. यहां बॉलीवुड की एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया गया है. फिल्मी दुनिया को अलविदा कहकर ममता कुलकर्णी अब साध्वी बन गई हैं. उन्होंने धर्म की राह को पकड़ लिया है. किन्नर अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के अधीन आता है. इसके भी बाकी अखाड़ों की तरह देश के 10 स्थानों पर मठ हैं.

देशभर में इसी अखाड़े के ही 13 उप अखाड़े हैं. इसमें शैव संप्रदाय को मानने वाले किन्नर, भगवान विष्णु को मानने वाले किन्नर और गुरु नानक देव को मानने वाले किन्नर शामिल हैं. इसके अलावा गुजरात के अहमदाबाद में बहुचरा माता का मंदिर है, जिसे मुर्गी वाली माता का मंदिर कहा जाता है. कहा जाता है कि किन्नरों की यह कुल देवी हैं. सबसे पहले किन्नर अखाड़े में इन्हीं की पूजा होती है.

किसने बनाया किन्नर अखाड़ा?

किन्नर एक्टिविस्ट डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी काफी सालों से किन्नरों के हित के लिए काम कर रही थीं. तब उनके मन में किन्नर अखाड़ा बनाने का विचार आया. उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को एकत्रित किया और साल 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना की. जब ये बात अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को पता चली तो उन्होंने इसका विरोध किया. घोर विरोध के बाद भी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अडिग रहीं. 2016 में उज्जैन के कुंभ में किन्नर अखाड़े ने अपना अलग कैंप लगाया.

किन्नरों को स्वयं को बताया उपदेव

उज्जैन के कुंभ में किन्नर अखाड़े को जगह तो मिल गई, लेकिन अखाड़ा परिषद ने इनके शाही स्नान करने पर आपत्ति जताई. इसके बाद किन्नर अखाड़े के संतों ने खुद को उपदेव बताते हुए शाही स्नान किया था. उज्जैन में किन्नर अखाड़ा सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना और लोगों का भी इन्हें बहुत साथ मिला. साल 2018 के सितंबर माह में अखाड़े के महामंडलेश्वर द्वारा देश के प्रमुख राज्यों तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, के अतिरिक्त दक्षिण भारत, उत्तर भारत, विदर्भ, पूर्वोत्तर भारत के लिए अलग-अलग महामंडलेश्वर बनाए गए. तभी से इस अखाड़े का लगातार विस्तार हो रहा है.

महाकुंभ 2025: मानव धर्म शिविर में रोजाना एक लाख श्रद्धालुओं को मिलता है निशुल्क भोजन

प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन चल रहा है. लाखों श्रद्धालु संगम नगरी में आकर आस्था में डूबे हुए हैं. लोग यहां भगवान की भक्ति में लीन हैं. इस भव्य और विशाल आयोजन में आने वाले लोगों की सुविधाओं का खास ख्याल रखा जा रहा है. साधु-संतों के टेंटों में बड़ी संख्या में भक्त ठहर रहे हैं. वहीं, मानव धर्म शिविर रोजाना लाखों भक्तों को भोजन करा रहा है. इसके लिए शिविर में आधुनिक रसोई बनाई गई है.

महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मानव धर्म शिविर में रोजाना खाना बनाया जा रहा है. यहां रोजाना एक लाख लोगों के लिए भोजन बनाया जा रहा है. उन्हें बेहतर और शुद्ध खाना दिया जा रहा है. इसके लिए शिविर में हजारों लोग ओनी सेवाएं दे रहे हैं. शिविर में रोटी, चावल और सब्जी बनाने की मशीनें लगी हैं. खाना बनाने वाले और उसे परोसने वाले अलग-अलग लोग हैं.

एक घंटे में बनती हैं 2 हजार रोटियां

मानव धर्म शिविर के एक सदस्य ने मीडिया को बताया कि शिविर में हर रोज एक लाख से अधिक लोगों के लिए खाना बनाया जाता है. इतनी बड़ी क्वांटिटी में बनने वाले खाने के लिए मशीनों की मदद ली जाती है. शिविर में आधुनिक रसोई बनी हुई है. उन्होंने बताया कि रसोई में बड़ी-बड़ी मशीनें लगी हुई हैं. रोटी बनाने वाली मशीन 1 घंटे में 2 हजार रोटियां बनाती हैं. इसी मशीन से पूड़ी भी बनाई जाती हैं. काटने और उसे बनाने की अलग-अलग मशीने हैं. चावल तैयार करने के लिए भी मशीन मौजूद हैं.

500 लोग बनाते हैं खाना, 2-3 हजार परोसते

शिविर के सदस्य ने बताया कि रसोई में भोजन बनाने के लिए 500 लोग रहते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भोजन परोसने के लिए 2 से 3 हजार लोग मौजूद हैं. इसके अलावा शिविर में अन्य सुविधाएं भी दी गईं हैं. यहां 2 हजार से जयादा शौचालय बनाए गए गईं. पानी और टेंट की सुविधाएं भी हैं. महाकुंभ का आगाज 13 जनवरी को हुआ अता जो 26 फरवरी तक चलेगा. इस आयोजन में 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. आंकड़ों के मुताबिक, महाकुंभ में 14 दिनों के अंतराल में करीब 10 करोड़ से जयादा श्रद्धालु आ चुके हैं.