पारस एचएमआरआई ने किया बिहार का पहला सफल लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन*
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पटना
• पारस एचएमआरआई ने संक्रमण से सुरक्षित इम्प्लांटेशन कर मरीज को दी नई जिंदगी पटना: पारस एचएमआरआई, पटना ने अपने उपलब्धियों में एक और कड़ी जोड़ते हुए बिहार में पहली बार लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। अरवल जिले के 56 वर्षीय मरीज को यह अत्याधुनिक पेसमेकर लगाकर उनके जीवन को नई उम्मीद दी गई। इस प्रक्रिया को हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग के सीनियर कंसल्टेंट *डॉ. सिद्धनाथ सिंह,* कंसल्टेंट *डॉ. जावेद अनवर* एवं चीफ कंसल्टेंट *डॉ. रामसागर राॅय* की देखरेख में अंजाम दिया गया। डॉ. सिद्धनाथ सिंह और डॉ. जावेद अनवर ने संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आमतौर पर पेसमेकर में लीड और पेस जेनरेटर होता है, जिसे बैटरी के साथ स्किन के नीचे लगाया जाता है और लीड के माध्यम से हृदय तक जोड़ा जाता है। लेकिन इस केस में लीडलेस पेसमेकर तकनीक का उपयोग किया गया, जिसमें मरीज के चेस्ट पर किसी प्रकार की सर्जिकल कट की आवश्यकता नहीं पड़ी। यह प्रक्रिया पैर की नस के माध्यम से हृदय तक कैप्सूल के आकार के पेसमेकर को पहुंचाकर सफलतापूर्वक संपन्न की गई। पहला पेसमेकर जो बिहार से बाहर लगाया गया था वो इंफेक्टेड हो गया था उसे बाहर निकाला गया। पेशेंट कोई ऑपरेशन नहीं चाहता था। डॉ. सिद्धनाथ ने बताया कि लीडलेस पेसमेकर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें चेस्ट पर किसी भी प्रकार का इंसिजन नहीं किया जाता, जिससे संक्रमण का खतरा लगभग खत्म हो जाता है। लीडलेस पेसमेकर का उपयोग उन मरीजों के लिए किया जाता है, जिन्हें चक्कर आना, दिल की धड़कन का कम होना या हार्ट ब्लॉक जैसी समस्याएं होती हैं। यह तकनीक मरीजों के लिए कम जोखिम भरी और अधिक प्रभावी साबित हो रही है। पारस एचएमआरआई के *फैसिलिटी डाइरेक्टर अनिल कुमार* ने हृदय रोग विभाग के डाक्टरों को बधाई दी और बताया कि इस का उपचार अपेक्षाकृत महंगा होता है लेकिन इसका फायदा बहुत है। बिहार में पहली बार यह सफल इलाज हुआ है। हमें भरोसा है कि पारस एचएमआरआई आगे भी मरीजों की सेवा में नयी उपलब्धियां जोड़ेगा।
Jan 25 2025, 19:01