दिल्ली में 27 साल का सूखा खत्म कर पाएगी बीजेपी? आप का किला भेदने के लिए बनाई खास रणनीति
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* दिल्ली विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन स्टार्ट हो गया है कुछ ही दिनों में बहुत जल्द केंद्रीय निर्वाचन आयोग दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है लेकिन उससे पहले सभी राजनीतिक दल दिल्ली में अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिए हर जोर-आजमाइश में जुटे हुए हैं। एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी दिल्ली की जनता को लोक लुभावन योजनाओं के जरिए साधने में लगी है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनाव की कमान अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल ली है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या भाजपा दिल्ली में 27 साल से चला आ रहा सूखा खत्म कर पाएगी? *क़रीब तीन दशक से सत्ता से गायब बीजेपी* दिल्ली में बीजेपी क़रीब तीन दशक से सत्ता से गायब है। दिल्ली में बीजेपी ने पिछली बार साल 1993 में जीत हासिल की थी। उस वक़्त मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। 1993 में 49 सीटों पर मिली बड़ी जीत के बाद भी उस दौरान पांच साल में बीजेपी को तीन बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। बीजेपी ने पहले मदनलाल खुराना, फिर साहिब सिंह वर्मा और अंत में सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया। कहा जाता है कि उस वक़्त प्याज़ की बढ़ी कीमतों के आंसू बीजेपी को लंबे वक़्त तक रुलाते रहे। बीजेपी के लिए तीन मुख्यमंत्रियों का प्रयोग ऐसा रहा कि बीते क़रीब तीन दशक से उसे दिल्ली की सत्ता नहीं मिल पाई है। *लोकसभा में सफल लेकिन विधानसभा में फेल* उसके बाद जनता ने लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस को जीत दिलाई और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं। आम आदमी पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद दिल्ली में जनता ने आम आदमी पार्टी को पसंद कर लिया, लेकिन बीजेपी जैसी पुरानी पार्टी पर भरोसा नहीं जताया। दिल्ली में लगातार छह बार चुनाव हारने के बाद सातवीं बार उसे जीतने के इरादे से बीजेपी मैदान में उतर रही है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी को बीते तीन लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सीटों पर जीत मिली है। लेकिन इस दौरान विधानसभा चुनावों में पार्टी सफल नहीं हो पाई है। 70 सीटों की दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को साल 2013 में 31 सीटों पर जीत मिली। उसके बाद साल 2015 के विधानसभा चुनावों में उसे महज 3 सीटें और साल 2020 में 8 सीटों से संतोष करना पड़ा। जबकि बीते तीनों लोकसभा चुनावों यानी साल 2014, 2019 और 2024 में बीजेपी को दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत मिली ऐसे में बीजेपी ने इस बार अपनी विरोधी आम आदमी पार्टी “साफ” करने के ले खास रणनीति अपनाई है। *पीएम मोदी ने खुद संभाली कमान* इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख़ों के ऐलान से पहले ही पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के तमाम नेता चुनावी मैदान में दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी पार्टी पर 'आप-दा' कहकर हमला किया है। उन्होंने कहा है, दिल्ली में एक ही आवाज़ गूंज रही है, आप-दा नहीं सहेंगे, बदलकर रहेंगे। अब दिल्ली विकास की धारा चाहती है। जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने भी अरविंद केजरीवाल पर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को 'शीशमहल' बनाने का आरोप लगाया है। *आप के दिग्गजों को कड़ी चुनौती देने की कोशिश* यही नहीं, बीजेपी ने इस बार अपनी विरोधी आम आदमी पार्टी के दिग्गजों को कड़ी चुनौती देने के इरादे से अपने दो पूर्व सांसदों को दांव पर लगाया है। इसके अलावा पार्टी ने अपने मौजूदा विधायकों में से भी चार पर फिर से भरोसा जताया है। पार्टी ने इस बार आप के दिग्गज नेताओं को घेरने पर अधिक फोकस रखा है। यही वजह है कि पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपने पूर्व सांसद और जाट नेता प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है। पार्टी को लग रहा है कि कांग्रेस के संदीप दीक्षित भी तगड़े दावेदार हैं। ऐसे में बीजेपी विरोधी वोट कांग्रेस व आप में बंट गए तो नई दिल्ली का किला बीजेपी जीत सकती है। इसी तरह से पार्टी ने वोटरों का प्रोफाइल देखकर जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट दिया है। पार्टी को लग रहा है कि यहां मनीष सिसोदिया को मारवाह ही टक्कर दे सकते हैं। *स्थानीय मुद्दों पर आप का घेराव* वहीं, सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी को आम आदमी पार्टी (आप) के एक दशक लंबे शासन के खिलाफ “सत्ता विरोधी भावना” का एहसास है। इस बार भाजपा का अभियान भी बहुत स्थानीय है, जिसमें प्रधानमंत्री सीवर और जल-जमाव वाली सड़कों और डीटीसी बेड़े के बारे में बोल रहे हैं। भाजपा दिल्ली में आप के शासन मॉडल को घेरने के लिए यमुना नदी की स्थिति और राष्ट्रीय राजधानी में लगातार वायु प्रदूषण के मुद्दे पर भी जोर दे रही है। भाजपा लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही है कि आप सीवेज सिस्टम और पानी की कमी जैसे मुख्य शासन मुद्दों पर विफल रही है और हमेशा केंद्र के साथ टकराव की मुद्रा में रहती है, जिससे दिल्ली का विकास बाधित होता है। उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों का उदाहरण देकर बीजेपी दिल्ली की जनता के सामने ये पेश करने के प्रयास में लगी है कि,दिल्ली में भी अब भाजपा के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार की जरुरत है। भाजपा ने आप की दो बड़ी मुफ्त बिजली योजना और पानी का बिल फ्री कराने का तोड़ निकाल लिया है। भाजपा ने दिल्ली में झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पीएम आवास की चाबी देकर इसकी शुरुआत भी कर दी है।





* दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का घर फिर चर्चा में है। दिल्ली चुनाव से ठीक पहले सीएजी यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास के रिनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए। दावा किया गया कि सीएम हाउस पर तय लागत से 342 प्रतिशत ज्यादा रकम खर्च की गई। पहले ही अरविंद केजरीवाल के घर को 'शीशमहल' बता चुकी बीजेपी दिल्ली चुनाव के बीचे इसे मुद्दा बनाने की कोशिश करने में लगी है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना इजाज़त लिए इमरजेंसी क्लॉज का इस्तेमाल करके बंगला बनाया है। साथ ही दावा किया कि एमसीडी की इजाजत लिये बिना बंगला बनाया गया। साल 2022 तक इस बंगले पर क़रीब 33 करोड़ रुपये खर्च किया गया। कैग रिपोर्ट में अरविंद केजरीवाल के बंगले को लेकर 139 सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीडब्ल्यूडी ने निजी संस्था के तौर पर काम किया, बिना इजाज़त करोड़ रुपये बंगला बनाने के लिए खर्च किए। पहले 7 करोड़ 91 लाख का बजट इमरजेंसी के तौर पर पास किया गया था। साल 2020 में पहला वर्क स्टीमेट बना जब दिल्ली कोविड की मार झेल रहा था। भाजपा नेता वीरेंद्र सचदेवा ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बंगले पर 75 से 80 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, कैग रिपोर्ट में 2023 और 2024 का खुलासा होना बाकी है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 2020 में जब दिल्ली की जनता अपने लोगों को खो रही थी। उस समय अरविंद केजरीवाल अपना शीश महल बनवा रहे थे। किसी भी सरकारी विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई। इसके निर्माण में अनियमितताएं बरती गईं। पीडब्ल्यूडी विभाग ने 2024 में जो इन्वेंटरी घोषित की है और जो समान दिखाया है कि यह पीडब्ल्यूडी ने नहीं लगाया है, वह समान कहां से आया। वह किसका पैसा है? इसका जवाब अरविंद केजरीवाल को देना होगा।
* दिल्ली चुनाव की तारीखों के एलान से पहले सियासी हलचल तेज है। पार्टियां जनता को अपने पाले में करने के लिए एक से बढ़कर एक दांव चल रही हैं। आम आदमी पार्टी ने पहले ही जनता के सामने अपान पिटारा खोल दिया है। महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक के लिए योजनाओं की घोषणा की है। अब आप की राह पर चलते हुए कांग्रेस ने भी बड़ी घोषणा की है। कांग्रेस ने 'प्यारी दीदी योजना' का एलान कर दिया है। कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि मैं यहां प्यारी दीदी योजना को लॉन्च करने आया हूं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस दिल्ली में सरकार बनाएगी और हमारी पहली कैबिनेट में प्यारी दीदी योजना लागू की जाएगी और दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये दिए जाएंगे। यह उसी मॉडल पर है जो हमने कर्नाटक में लागू किया था। कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए कांग्रेस जरूरी है। *दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपए देगी आप सरकार* इससे पहले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने महिला सम्मान योजना का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि अगर दिल्ली में हमारी सरकार फिर से सत्ता में आएगी तो हम इस सम्मान की राशि 1000 से बढ़ाकर 21 रुपये कर देंगे। केजरीवाल ने 2024 के बजट में इसका ऐलान किया था। 18 से 60 साल तक की महिलाओं को इस योजना का फायदा मिलेगा. लाभार्थियों की संख्या 38 लाख है।
Jan 06 2025, 19:40
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