बांग्लादेश फिर से लिख रहा इतिहास, शेख मुजीबुर रहमान की विरासत मिटाने की तैयारी, भारत का दे रहा हवाला
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तख्तापलट के बाद बांग्लादेश बदल रहा है। पड़ोसी देश में अब इतिहास की किताबों को फिर से लिख रहा है। खासतौर से 1971 के मुक्ति संग्राम के बारे में फिर से लिखा जा रहा है। इतिहास की नई पाठ्यपुस्तकों में बताया जाएगा कि 1971 में 6 मार्च को बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा बंगबंधु मुजीबुर रहमान ने नहीं, बल्कि जियाउर रहमान ने की थी। नई पाठ्यपुस्तकों से मुजीब की ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि भी हटा दी गई है।
डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्राथमिक और माध्यमिक छात्रों के लिए नई किताबों में यह जानकारी होगी कि जियाउर रहमान ने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी।रिपोर्ट के मुताबिक, नई पाठ्यपुस्तकों में कई बदलाव होंगे और इनको छापने का काम अभी चल रहा है। किताबों को एक जनवरी से छात्रों को वितरित किया जाना था। वर्ष 2010 से (जब शेख हसीना दूसरी बार सत्ता में आई थीं) पाठ्यपुस्तकों में लिखा गया कि शेख मुजीबुर रहमान ने 26 मार्च, 1971 को पाकिस्तानी सेना की ओर से गिरफ्तार किए जाने से ठीक पहले एक वायरलेस संदेश के जरिए स्वतंत्रता की घोषणा की थी।
बांग्लादेश के नेशनल करिकुलम एंड टेक्स्ट बुक बोर्ड (एनसीटीबी) के अध्यक्ष प्रोफेसर एकेएम रियाजुल हसन ने कहा कि 2025 शैक्षणिक वर्ष के लिए नई पुस्तकों में बताया जाएगा कि '26 मार्च 1971 को जियाउर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की और 27 मार्च को उन्होंने बंगबंधु की ओर से स्वतंत्रता की एक और घोषणा की।' उन्होंने कहा कि यह जानकारी निशुल्क वितरित की जाने वाली किताबों में शामिल कर ली गई है, जिनमें घोषणा का उल्लेख किया गया है।
अतिरंजित और थोपे गए इतिहास को हटाने की कोशिश
पाठ्यपुस्तकों में बदलाव की प्रक्रिया में शामिल रहे रिसर्चर राखल राहा ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों से अतिरंजित और थोपे गए इतिहास को हटाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि 'पाठ्यपुस्तकों में बताया गया था कि शेख मुजीबुर रहमान ने पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार किए जाने वायरलेस संदेश में बांग्लादेश की आजादी का एलान किया था, लेकिन ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला, जिसके बाद ही इसे हटाने का फैसला किया गया है।' आवामी लीग के समर्थक मानते हैं कि शेख मुजीबुर रहमान ने देश की आजादी का एलान किया था और जियाउर रहमान ने, जो उस समय सेना में थे, मुजीब के निर्देश पर केवल घोषणा पढ़ी थी।
बांग्लादेश भारत का दे रहा हवाला
एनसीटीबी के अध्यक्ष रियाजुल ने कहा कि टेलीग्राम को संविधान में संशोधन के माध्यम से शामिल किया गया था। उन्होंने कहा, ''तत्कालीन भारतीय नेता और तत्कालीन सूचना मंत्रालय की ओर से तैयार की गई स्वतंत्रता के बाद की पहली डॉक्यूमेंट्री 'स्वतंत्रता संग्राम के दस्तावेज' जियाउर रहमान की ओर से घोषणा करने के पक्ष में सबूत दिखाती है।''
सत्ता में बैठे लोगों के अनुसार बदला जाता रहा है इतिहास
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले कक्षा एक से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों में स्वतंत्रता की घोषणा किसने की, इसकी जानकारी सत्ता में रहने वाली सरकार के अनुसार बदल दी जाती थी। एनसीटीबी के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि 1996-2001 तक जब एएल सत्ता में थी किताबों में कहा गया कि शेख मुजीब ने स्वतंत्रता की घोषणा की और जियाउर रहमान ने घोषणा पढ़ी। इसके बाद 2001-2006 तक जब बीएनपी सत्ता में थी तो बताया गया कि जियाउर ने घोषणा की थी। हालांकि, वे यह नहीं बता सके कि 1996 से पहले पाठ्यपुस्तकों में क्या लिखा जाता था।
मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश
बांग्लादेश के नोटों से शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर हटाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। बीते साल 5 अगस्त को शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और उनके देश छोड़कर जाने के बाद से ही शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश की जा रही है। शेख मुजीबुर रहमान की हत्या वाली तारीख 15 अगस्त को मिलने वाले अवकाश को भी खत्म कर दिया गया है। गौरतलब है कि जिया उर रहमान की पत्नी खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने ही शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी।
Jan 04 2025, 09:56