बीएचयू के छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन के खिलाफ उतरे विभिन्न नागरिक संगठन
बीएचयू के छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन के खिलाफ उतरे विभिन्न नागरिक संगठन
निजामाबाद (आजमगढ़)
।डॉ.बी.आर. अंबेडकर राष्ट्रीय दलित पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक अधिवक्ता संघ, सामाजिक न्याय संघर्ष मोर्चा, मिशन आजाद युवा मोर्चा, जनमुक्ति मोर्चा, किसान-मजदूर संघर्ष मंच, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन , समान शिक्षा आंदोलन,भीम आर्मी एकता मिशन देवरिया व मजदूर-किसान एकता मंच आदि विभिन्न नागरिक समाज के संगठनों ने बीएचयू में मनुस्मृति पर चर्चा कर रहे 13छात्र-छात्राओं को फर्जी केस में फंसाकर जेल भेजने के खिलाफ कलेक्ट्रेट परिसर में बैठक किया और उप जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन सौंपा गया। समाजिक न्याय संघर्ष मोर्चा व जिला पंचायत सदस्य रामनिवास पासवान ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहे जाने वाले देश को बहस-तर्क, चिन्तन परम्परा के केन्द्र विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करके कमजोर किया जा रहा है। देश भर में डा. अम्बेडकर पर अपमानजनक टिप्पणी के लिए विवादों में फंसी और उस पर बार-बार सफाई देने वाली सरकार की संविधानविरोधी राजनीति का एक और नतीजा है।छात्र-छात्राओं के लोकतांत्रिक मूल्य की जड़ों पर कुठाराघात करके तानाशाही थोपना शर्मनाक है। क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के डॉ .व्यास त्रिपाठी ने कहा कि देश के भावी पीढ़ी और विरासत को जेल में भेजकर बदला लेने की फासीवादी राजनीति पर रोक लगाई जानी चाहिए। अधिवक्ता संघ के अधिवक्ता राज गौतम ने कहा कि विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक माहौल को मजबूत बनाने के लिए छात्र-छात्रा पर थोपें गये फर्जी मुकदमें वापस लेकर ससम्मान तत्काल रिहा किया जाना चाहिए और उनपर फर्जी मुकदमे थोपने वालों कुछ उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। समान शिक्षा अंदोलन के डॉ चतुरानन ओझा ने छात्रों पर हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए बताया कि 26 दिसम्बर 2024 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आधारित भगत सिंह छात्र मोर्चा (BSM) के 13 सदस्यों को गैर जमानती धाराओं के तहत FIR दर्ज कर 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया। 25 दिसम्बर को कला संकाय बीएचयू में मनुस्मृति दिवस पर चर्चा का आयोजन किया गया। यह ऐतिहासिक दिन इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि 1927 में इसी दिन बाबासाहेब आंबेडकर ने मनुस्मृति के जातिय भेदभाव, महिला शोषण का बढ़ावा देने वाले पन्नों का दहन किया था। भगत सिंह छात्र मोर्चा (BSM) ने स्टूडेंट्स के साथ मिलकर इस विषय पर चर्चा की। चर्चा के दौरान बीएचयू प्रोक्टोरियल बोर्ड के गार्ड आए और छात्रों के साथ बदसलूकी करने लगे, उन्हें घसीटा और हिरासत में लिया। इस हमले के दौरान छात्र घायल हो गए, उनके कपड़े फट गए और उनके चश्मे भी तोड़े गए हैं। हिरासत में लिए गए साथियों की मदद करने के लिए प्रोक्टोरियल बोर्ड में इकट्ठा हुए सभी छात्रों को पीटा जाने के बाद खुद हिरासत में लिया गया था। इसके बाद बीएचयू के गार्ड और वाराणसी पुलिस दोनों ने छात्रों को विभिन्न तरीकों से धमकी दी, जिसमें उनका भविष्य बर्बाद करने की धमकी भी शामिल थी। फिर पुलिस 3 छात्राओं समेत सभी छात्राओं को पीट-पीटकर जबरन पुलिस वैन में भरकर ले गई। सभी 13 छात्रों को रात भर लंका थाने में बंद रखा गया और उन्हें उनके वकील से मिलने तक नहीं दिया गया। छात्रों ने अपने वकील से मिलने की जिद की तो लंका थाना SHO शिवाकांत मिश्रा ने कानूनी प्रक्रिया को खारिज करते हुए कहा- ये मेरा थाना है और मेरी मर्जी से काम होगा, आप कोर्ट में अपने वकील का काम कर सकते हैं। "पुलिस स्टेशन में सभी कार्यकर्ताओं के फोन जब्त किए गए और उन्हें अपने घरों की सूचना भी नहीं देने दिया गया था। ये सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग के दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। आगे आज 26 तारीख को रिमांड कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया। FIR में बहुत गंभीर धाराएं जैसे भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 132 , 121 (2) ,196 (1) (b) आदि थोंपकर शारीरिक-मानसिक रुप से प्रताड़ित किया जा रहा है।ये कारवाई हिंदुत्ववादी फासीवादी ताकतों के इशारे पर की गई है। किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के किसान नेता शिवाजी राय ने कहा कि बीएचयू प्रशासन और पुलिस प्रशासन का दमनकारी रवैया साफ बताता है कि इसके पीछे खुलेआम भाजपा-आरएसएस का हाथ है। लोकतांत्रिक होने का घमंड करने वाले भारतीय राज्य का ये हाल है कि मनुस्मृती पर चर्चा करने से जेल में अंत हो सकता है। मनुस्मृति वह पाठ है जो महिलाओं,शुद्रों और दलितों को जानवर से भी बदतर दर्जा देता है, जो देश के लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के खिलाफ है। हम कहते हैं कि मनुवादी हिंदुत्ववादी शक्तियों का भ्रम, राज्य के दमन को मुक्त करके लोकतांत्रिक समाज के लिए लोगों के आंदोलन को तोड़ने के लिए, उत्पीड़ित और शोषित लोगों की व्यापक एकता से चकनाचूर हो जाएगा। चीनी मिल बचाओ संघर्ष मोर्चा के ब्रजेंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि हम सभी लोकतांत्रिक और प्रगतिशील शक्तियों को छात्रों और अन्य संघर्षशील वर्गों पर लोकतांत्रिक दावे पर फासीवादी राज्य दमन का विरोध करने के लिए एकजुट होने की जरूरत है। कार्यक्रम में एडवोकेट विजय प्रकाश,बकरीदन बरकत अली,किसान नेता राजेश आज़ाद, कामरेड कलक्टर शर्मा,राष्ट्रीय समानता दल के संजय द्वीप कुशवाहा, क्रांतिकारी किसान सभा के किसान नेता विकास दुबे,मयंक , सहदेव प्रसाद, चंद्रशेखर प्रसाद,एड.उदभव मिश्र , नित्यानंद तिवारी आदि उपस्थित रहे।
Jan 02 2025, 20:01