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बांग्लादेश से घुसपैठ के लिए ममता बनर्जी ने बीएसएफ पर लगाए गंभीर आरोप, केजरीवाल ने दिया साथ

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भारत में बड़ी संख्या में बांग्‍लादेशी घुसपैठ‍िए रह रहे हैं। दिल्‍ली से लेकर महाराष्‍ट्र तक जब इनकी तलाश शुरू हुई तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। अब इन्‍हें पकड़-पकड़कर बांग्‍लादेश भेजा जा रहा है। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश की रक्षा कर रहे जवानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बीएसएफ बांग्लादेश से घुसपैठ करा रही है। इतना ही नहीं, द‍िल्‍ली के पूर्व मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी ममता का साथ देते दिख रहे हैं। केजरीवाल ने आरोप आरोप लगाया है कि केंद्र की बीजेपी सरकार जानबूझकर बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ करवा रही है।

ममता बनर्जी ने गुरुवार को केंद्रीय बलों पर राज्य को अस्थिर करने के लिए बांग्लादेशी आतंकवादियों को बंगाल में घुसने देने का आरोप लगाकर खलबली मचा दी। इसे केंद्र की 'नापाक योजना' बताते हुए बनर्जी ने कहा कि बांग्लादेश सीमा की रक्षा करने वाली बीएसएफ बंगाल में घुसपैठ की इजाजत दे रही है। पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा बीएसएफ अलग-अलग इलाकों से बंगाल में घुसपैठ करा रही है। बीएसएफ महिलाओं पर अत्याचार भी कर रही है। मैं डीजीपी से कहूंगी कि वे जांच करें कि किन जगहों से लोगों को बीएसएफ ने घुसने दिया है, क्योंकि सीमा हमारे हाथ में नहीं है। अगर कोई आरोप लगाता है कि टीएमसी घुसपैठ करवा रही है तो मैं कहूंगी कि सीमा बीएसएफ के अधीन है और बीएसएफ ही ये सब कर रही है, इसलिए हमें दोष न दें और घुसपैठ के लिए टीएमसी पर आरोप न लगाएं। यह भी पढ़े -मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल एसटीएफ ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दो युवकों को किया गिरफ्तार।

ममता बनर्जी ने कहा- टीएमसी, बीएसएफ की सुरक्षा नहीं कर रही है। लेकिन पुलिस के पास सारी जानकारी है। केंद्र के पास सारी जानकारी है। राजीव कुमार ने मुझे कुछ जानकारी दी है और मुझे कुछ स्थानीय जानकारी भी मिली है। मैं इस संबंध में एक पत्र लिखूंगी। मैं यहां और बांग्लादेश में भी शांति चाहती हूं। हमारे बीच कोई दुश्मनी नहीं है। अगर मुझे नजर आएगा कि कोई मेरे राज्य में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है तो मैं विरोध करूंगी।

इधर, दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी रोहिंग्या के मुद्दे पर लगातार बीजेपी पर हमला बोल रही है। इसी क्रम में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, इससे ऐसा लगता है कि केंद्र की बीजेपी सरकार जानबूझकर बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ करवा रही है। क्या केंद्र सरकार जानबूझकर बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ करवा रही है या फिर बीजेपी सरकार सीमा की सुरक्षा करने में विफल है?

वहीं, आप नेता ने एक अन्य पोस्ट में एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि बीजेपी के झूठ को उसकी ही दिल्ली पुलिस ने बेनकाब कर दिया है. वीडियो में एक रिपोर्टर दिल्ली पुलिस कमिश्नर से पूछ रहा है कि क्या दिल्ली में अवैध रूप से बसे बांग्लादेशियों से आम आदमी पार्टी का कोई संबंध है? इस पर पुलिस कमिश्नर कहते हैं कि, ‘हमें इस संबंध में अभी तक ऐसा कोई एंगल नहीं मिला है।’

बांगलादेश में ISKCON: भक्ति, सेवा और सांस्कृतिक धरोहर के विस्तार पर संकट का घेरा

ISKCON का मतलब है अंतरराष्ट्रीय श्री कृष्ण चेतना सोसाइटी (ISKCON), यह वैश्विक आध्यात्मिक संगठन 1966 में आचार्य श्री कृष्णप्रेम स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित किया गया था। यह आंदोलन भगवद गीता की शिक्षाओं और भगवान श्री कृष्ण की पूजा पर आधारित है और दुनिया भर में फैल चुका है, जिसमें बांगलादेश भी शामिल है।

बांगलादेश में ISKCON के मुख्य पहलू :

1.स्थापना और विकास:

ISKCON ने 1970 के दशक में बांगलादेश में अपनी उपस्थिति स्थापित की थी, और तब से इस संगठन ने अपनी गतिविधियों का विस्तार किया है, जो भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और भक्ति योग (भक्ति के माध्यम से आत्मा के परम लक्ष्य तक पहुँचने की विधि) को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। बांगलादेश में यह आंदोलन मुख्य रूप से हिंदू समुदाय को आकर्षित करता है, लेकिन विभिन्न धर्मों के लोगों में भी इसे रुचि मिली है।

2. मंदिर और केंद्र:

बांगलादेश में ISKCON के कई मंदिर और केंद्र हैं, खासकर राजधानी ढाका में। ये केंद्र पूजा, आध्यात्मिक अध्ययन और सामुदायिक गतिविधियों के स्थान हैं। ढाका का केंद्र सबसे प्रमुख है और यह धार्मिक त्योहारों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मानवतावादी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होता है।

3. सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियाँ:

बांगलादेश में ISKCON विभिन्न त्योहारों और कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण रथ यात्रा है, जिसे ढाका में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण और उनके साथियों की रथ यात्रा का प्रतीक है, और वर्षों से यह लोकप्रियता में बढ़ा है। इसके अलावा, ISKCON ढाका में कीर्तन , भगवद गीता अध्ययन समूह और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है जो आध्यात्मिक चेतना को बढ़ावा देने का काम करते हैं।

4. मानवतावादी प्रयास:

ISKCON बांगलादेश में भी मानवतावादी गतिविधियों में शामिल है, जैसे फूड फॉर लाइफ (जीवन के लिए भोजन) कार्यक्रम के तहत मुफ्त भोजन वितरण और स्थानीय समुदायों को शैक्षिक और चैरिटेबल कार्यक्रमों के माध्यम से समर्थन। इन प्रयासों का उद्देश्य गरीबी और भूख को कम करना है, साथ ही साथ निःस्वार्थ सेवा का आध्यात्मिक संदेश फैलाना है।

5. चुनौतियाँ और स्वीकार्यता:

सकारात्मक योगदानों के बावजूद, ISKCON को बांगलादेश में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से क्योंकि देश में मुस्लिम समुदाय बहुमत में है और यहां धार्मिक प्रथाएं काफी पारंपरिक हैं। कभी-कभी संगठन को विरोध या संदेह का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह अपनी समावेशी और शांतिपूर्ण शिक्षाओं के माध्यम से बढ़ता जा रहा है और नए अनुयायियों को आकर्षित कर रहा है।

6. आध्यात्मिक प्रभाव:

वर्षों के दौरान, बांगलादेश में ISKCON की उपस्थिति ने भगवद गीता की शिक्षाओं और वैष्णववाद की प्रथाओं में रुचि को पुनर्जीवित किया है। कई लोग इस आंदोलन को आकर्षित करते हैं, जो भगवान के पवित्र नाम का जाप, शाकाहार और भक्ति और सेवा से जीवन जीने पर बल देता है।

बांगलादेश में ISKCON की उपस्थिति देश के आध्यात्मिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मंदिरों, त्योहारों, मानवतावादी कार्यों और आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से, ISKCON ने भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं को फैलाने और भक्ति और सेवा की संस्कृति को बढ़ावा देने में योगदान किया है। कुछ चुनौतियों के बावजूद, यह आंदोलन बांगलादेश में कई लोगों को प्रेरित करता है और भविष्य में इसके और अधिक विस्तार की संभावना है।

40 साल बाद जहरीले कचरे से मुक्त हुआ भोपाल, जानें क्या है पूरी कहानी

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भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। नए साल यानी एक जनवरी 2025 को पूरे 40 साल 30 दिन बाद मध्य प्रदेश सरकार आखिरकार यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन (एमटी) जहरीले कचरे को ठिकाने लगाने की कार्रवाई शुरू कर रही है। इस केमिकल कचरे को यूनियन कार्बाइड के बंद पड़े फैक्टरी वाले इलाके से हटाकर नष्ट करने के लिए दूसरी जगह ले जाया जा रहा है।

भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद जहरीले कचरे को शिफ्ट किया गया है। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 337 टन जहरीला कचरा भोपाल से पीथमपुर पहुंचाया गया। कचरे को ले जाने के लिए 250 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। विशेषज्ञों की निगरानी में इसे 12 कंटेनर में भरकर ले जाया गया। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार ‘यूनियन कार्बाइड' कारखाने में पड़े इस कचरे को इंदौर के पास पीथमपुर की एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में नष्ट किया जाएगा। केंद्र सरकार ने 4 मार्च को कचरा निपटारा के लिए 126 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

कचरे को ले गया 40 वाहनों का काफिला

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह कचरा 40 वाहनों के काफिले में फैक्ट्री से बाहर निकाला गया. करीब एक किलोमीटर लंबे इस काफिले में 12 बड़े ट्रक शामिल थे। इस कचरे को सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए पांच जिलों में हाई अलर्ट लगाया गया। कचरे के ट्रांसफर के दौरान सुरक्षा के लिए 1,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया।

हाई कोर्ट ने दी सख्त चेतावनी

इस जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर अब भी स्थानीय लोगों में डर का माहौल है। पीथमपुर में रहने वाले लोग भी इससे चिंतित हैं। हालांकि, एमपी गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह का कहना है कि कचरे का निपटान वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होगा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सख्त रुख के बाद इस कचरे को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई। अदालत ने अधिकारियों से पूछा था कि क्या वे किसी और त्रासदी का इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट ने कचरे के निपटान के लिए चार हफ्तों की समय सीमा तय की थी।

भोपाल में उस रात हुआ क्या था?

आज से चार दशक पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसी त्रासदी हुई, जिससे पूरी दुनिया कांप उठी थी। 2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से लीक हुई मिथाइल आइसोसाइनेट ने पांच हजार से ज्यादा लोगों की जिंदगी छीन ली थी। लाखों लोग प्रभावित हो गए थे। यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से निकली गैस 40 किलोमीटर दूर तक में फैल गई थी। शहर की एक चौथाई आबादी गैस चेंबर में तब्दील हो गई थी। सबसे अधिक बच्चों पर गैस का प्रभाव पड़ा था। जिस रात यह घटना घटी थी। उसके कई दिनों बाद तक भोपाल से लोगों का पलायन चलता रहा। हजारों लोग सैकड़ों किसोमीटर दूर चले गए। यहां से जाने के बाद बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों में भर्ती हुए थे। इस उन्माद के बीच साहस और हौसले की भी कमी नहीं थी। बड़ी संख्या में लोगों ने प्रभावित लोगों को निकालने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी।

कितना खतरनाक है यह कचरा?

बताया जाता है कि इस गैस लीक के चलते फैक्टरी के आसपास बड़ी मात्रा में फैली चीजें जहरीली हो गईं। खासकर कीटनाशक उत्पादन के बाद जो बचा हुआ कचरा फैक्टरी के सौर वाष्पीकरण तालाब (जहां सूरज की रोशनी से भाप बनाकर गंदे पानी को खत्म कर दिया जाता हो और ठोस पदार्थों को अलग इकट्ठा कर लिया जाता था) में पड़ा था, उसे गैस लीक के बाद जहां-तहां ही छोड़ दिया गया। इसका असर यह हुआ कि जहरीली गैस के प्रभाव में आने के बाद यह कचरा और ज्यादा खतरनाक हो गया। इसका असर फैक्टरी के आसपास मौजूद जल स्रोतों पर भी पड़ा और बड़ी संख्या में क्षेत्र में लगे हैंडपंपों को सील किया जा चुका है।

यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के पास जो कचरा पड़ा है, उसमें कीटनाशक- सेविन के बायप्रोडक्ट शामिल हैं। इसके अलावा अधूरे उत्पादन के चलते कुछ केमिकल्स और इसे बनाने में लगा कच्चे केमिकल भी कचरे में शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतने वर्षों में यह कचरा जानलेवा केमिकल्स का भंडार बन चुका है। इसमें भारी धातुएं, जैसे निकेल और मैंगनीज की मौजूदगी है। इसके अलावा लेड, मरकरी और क्लोरिनेटेड नैप्थलीन शामिल हैं, जो कि कचरे के जहरीले होने की असली वजह हैं। यह केमिकल कैंसर जैसी बीमारी को जन्म दे सकते हैं। इसके अलावा यह बच्चों के विकास और मानव शरीर में कई और तरह की बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।

अब तक यह साफ नहीं है कि इस कचरे ने भोपाल में कितने क्षेत्र पर असर डाला है। हालांकि, एक एनजीओ ने 2004 में कहा था कि यूनियन कार्बाइड प्लांट से 5 से 10 किलोमीटर की दूरी तक कई हैंडपंपों में जहरीले केमिकल पाए जाने की बात सामने आई है। भारत के राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान की रिपोर्ट में भूमिगत जल के डरावने स्तर तक जहरीले होने की बात सामने आने के बाद सरकार ने कई हैंडपंपों को सील कर दिया था।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का एलान, मनु भाकर-गुकेश समेत चार खिलाड़ियों को मिलेगा खेल रत्न

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खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 का एलान गुरुवार को कर दिया गया है। युवा एवं खेल मंत्रालय ने उन एथलीटों की सूची जारी कर दी है, जिन्हें खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में विजेताओं को सम्मानित करेंगी। समितियों द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर मनु भाकर, डी गुकेश, हरमनप्रीत सिंह और पैरा एथलीट प्रवीण कुमार को सरकार ने खेल रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। बता दें कि कुछ दिन पहले मनु भाकर का नाम खेल रत्न पुरस्कार मिलने वाले एथलीटों की अनुशंसित सूची में शामिल ना होने से विवाद खड़ा हो गया था। हालांकि बाद में मनु ने खुद माना था कि शायद उन्हीं के पक्ष से गलती हो गई थी।

पेरिस ओलंपिक में दो ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की महिला निशानेबाज मनु भाकर और विश्व शतरंज चैंपियनशिप के विजेता भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश सहित चार खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। मनु और गुकेश के अलावा भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरालंपियन प्रवीण कुमार को भी खेल रत्न पुरस्कार दिया जाएगा। खेल मंत्रालय ने बयान में कहा, समिति की सिफारिशों और सरकार की जांच के आधार पर खिलाड़ियों, कोच, विश्वविद्यालयों को पुरस्कार देने का फैसला किया गया है।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक्स में शूटिंग में 2 मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वो एक ही ओलंपिक की एकल प्रतियोगिताओं में 2 अलग-अलग मेडल जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनी थीं। उन्हीं खेलों में हरमनप्रीत सिंह ने अपनी कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। ये लगातार दूसरा मौका था जब भारत ने ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वहीं डी गुकेश कुछ सप्ताह पहले ही शतरंज के इतिहास के सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बने। उन्होंने महज 18 वर्ष की उम्र में विश्व विजेता होने का तमगा हासिल किया था। वहीं, प्रवीण कुमार ने हाई जंप T64 इवेंट में देश को गोल्ड मेडल जिताया था। प्रवीण कुमार ने एशियन रिकॉर्ड तोड़ते हुए ये उपलब्धि हासिल की थी।

शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को लेकर आतिशी को लिखा पत्र, दिल्ली की सीएम बोलीं- ये वैसे ही जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे

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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को किसानों के हितों को लेकर एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने जो योजनाएं शुरू की हैं उन्हें दिल्ली में अभी तक लागू नहीं किया गया है और इस वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है। इस पर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का भी जवाब आ गया है। आतिशी ने पलटवार करते हुए तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो।

शिवराज सिंह के आरोपों पर आतिशी का पलटवार

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की चिट्ठी पर जवाब दिया है। आतिशी ने गुरुवार को शिवराज सिंह चौहान के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जितना बुरा हाल किसानों का बीजेपी के समय हुआ, उतना कभी नहीं हुआ। बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'पंजाब में किसान आमरण अनशन पर बैठे हैं, मोदी जी से कहिए उनसे बात करें। किसानों से राजनीति करना बंद करो। बीजेपी राज में ही किसानों पर गोलियां और लाठियां चलाई गईं।'

शिवराज ने क्या कहा था?

इससे पहले अतिशी को लिखे चिट्ठी में शिवराज ने लिखा, दिल्ली में केजरीवाल और आतिशी ने कभी किसानों के हित में उचित निर्णय नहीं लिए। केजरीवाल ने हमेशा चुनावों से पहले बड़ी बड़ी घोषणाएं कर राजनैतिक लाभ लिया है। केजरीवाल ने सरकार में आते ही जनहितैषी निर्णयों को लेने के स्थान पर अपना रोना रोया है। उन्होंने आगे लिखा, 10 वर्षो से दिल्ली में आप की सरकार है, लेकिन पूर्व सीएम केजरीवाल ने हमेशा किसानों के साथ केवल धोखा किया है। केंद्र सरकार की किसान हितैषी योजनाओं को आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में लागू नहीं किया। दिल्ली के किसान केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री चिट्ठी में आगे लिखते हैं, दिल्ली में आप सरकार का किसानों के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैया है।

वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख मुकर्रर, कानून को लागू करने की मांग की गई

#scagreedtohearpetitiontoimplementprovisionsofplacesofworshipact

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 से जुड़ी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। चीफ जस्टिस की पीठ ने आदेश दिया कि ओवैसी की याचिका को केस से जुड़ी सभी पेंडिंग याचिकाओं के साथ जोड़ दिया जाए और इसकी सुनवाई 17 फरवरी को होगी।

ओवैसी के वकील निज़ाम पाशा ने अदालत से कहा कि इस मुद्दे पर कई याचिकाएं लंबित हैं और इस नई याचिका को भी उनके साथ जोड़ा जाए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस याचिका को पहले से पेंडिंग याचिका के साथ टैग कर देंगे। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के प्रभावी अमल के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में एआईएमआईएम न प्रमुख और सांसद असदुद्दीन याचिका दाखिल की गई है। एक्ट के तहत यह प्रा‌वधान किया गया है कि 15 अगस्त 1947 को किसी धार्मिक स्थल के धार्मिक चरित्र जिस स्थिति में था उसी स्थिति में उसे बनाए रखा जाएगा।

ओवैसी ने एडवोकेट फुजैल अहमद अय्यूबी के जरिए पिछले साल 17 दिसंबर, को एक याचिका दायर की थी. हालांकि, 12 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने 1991 के इस कानून के खिलाफ इसी तरह की कई याचिकाओं पर कार्रवाई करते हुए सभी कोर्ट्स को नए केसों पर विचार करने और धार्मिक स्थलों, खासतौर पर मस्जिदों तथा दरगाहों को वापस लेने के लिए लंबित केसों में कोई अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक लगा दिया था। कोर्ट की स्पेशल बेंच तब 6 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दाखिल मुख्य याचिका भी शामिल थी, जिसमें पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, के अलग-अलग प्रावधानों को चुनौती दी गई थी।

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट

साल 1991 का यह कानून किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप के बदले जाने पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप को उसी रूप में बनाए रखने का प्रावधान करता है जैसा वह आजादी के समय 15 अगस्त 1947 को था। ओवैसी के वकील ने कोर्ट के समक्ष बताया कि उन्होंने अपनी याचिका में केंद्र को कानून का प्रभावी क्रियान्वयन तय करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। ओवैसी ने अपनी याचिका में उन कई केसों का भी जिक्र किया हैं जहां कई कोर्ट की ओर से हिंदूवादी संगठनों की याचिकाओं पर मस्जिदों के सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था।

बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को लगा झटका, जमानत खारिज

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बांग्लादेश हिंसा मामले में गिरफ्तार हिंदू नेता चिन्मय कृष्णदास की जमानत अर्जी को चट्टोग्राम की अदालत ने खारिज कर दिया है। डेली स्टार की खबर के अनुसार इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका को बांग्लादेश की चट्टोग्राम अदालत में सुनवाई के लिए लगाया गया था। मगर कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। मतलब साफ है कि चिन्मय दास को अभी और समय जेल में ही बिताना होगा। इससे पहले 11 दिसंबर को एक बांग्लादेश की एक अदालत ने दास की प्रारंभिक जमानत याचिका को प्रक्रिया में खामी के कारण खारिज कर दिया था।

चिन्मय दास की तरफ से बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों ने पैरवी की> चिन्मय दास के मामले में आज एक सकारात्मक घटनाक्रम ये रहा कि चिन्मय दास के वकीलों को अपना पक्ष रखने का मौका मिला। पिछली दो सुनवाई में चिन्मय दास के वकीलों को कोर्ट में पेश नहीं होने दिया गया था। लेकिन इसके बाद भी संत चिन्मय दास को राहत नहीं मिली।

उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना

चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने मीडिया को बताया कि वे जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बना रहे हैं। सभी को उम्मीद थी कि नए साल में चिन्मय प्रभु को आजादी मिल जाएगी, लेकिन 42 दिन बाद भी उनकी जमानत आज सुनवाई में खारिज कर दी गई।

क्या हैं चिन्मय दास पर आरोप

पूर्व में इस्कॉन से जुड़े रहे दास के खिलाफ बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा ध्वज फहराने का आरोप है। इस मामले में उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद उनको ढाका के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया और कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद जेल भेज दिया गया। दास की गिरफ्तारी के बाद चटगांव में उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान हिंसा में चटगांव में एक वकील की मौत भी हो गई थी। ये मामला काफी ज्यादा चर्चा में रहा था।

यह पूरा मामला 25 अक्टूबर को चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा ध्वज फहराने के आरोप से शुरू हुआ। मामला दर्ज होने के बाद चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद स्थिति तब बिगड़ी, जब 27 नवंबर को चटगांव कोर्ट से दास की जमानत खारिज होने के बाद उनके समर्थकों का प्रदर्शन हिंसक हो गया और इसमें एक वकील की मौत हो गई।

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के होटल के बाहर टेस्ला के साइबरट्रक में धमाका, एक की मौत, जानें क्या बोले एलन मस्क

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अमेरिका के न्यू ओर्लियंस में हुए आतंकी हमले के बाद अब ट्रंप के होटल के बाहर विस्फोट हुआ है। लास वेगास में ट्रंप इंटरनेशनल होटल के बाहर एक इलेक्ट्रिक वाहन में विस्फोट से एक व्यक्ति की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। ट्रंप इंटरनेशनल होटल के बाहर टेस्ला साइबरट्रक में विस्फोट हुआ है। ट्रंप के होटल के बाहर धमाके की यह घटना बुधवार को हुई है। पुलिस इस विस्फोट के कारणों की जांच कर रही है। ये घटना उसी दिन हुई है, जब अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स में एक ट्रक ने भीड़ को रौंदते हुए 15 लोगों को मार डाला है।

नविनिर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप के बेटे एरिक ट्रंप ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घटना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि होटल में आग की घटना के बाद सभी मेहमानों और कर्मचारियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया था। उन्होंने लास वेगास फायर डिपार्टमेंट और स्थानीय पुलिस की त्वरित कार्रवाई के लिए उनका धन्यवाद व्यक्त किया। वहीं, टेस्ला प्रमुख और ट्रंप के करीबी एलन मस्क ने भी धमाके पर अपना बयान दिया है।

टेस्ला प्रमुख एलन मस्क ने 2 जनवरी को बताया कि लास वेगास में ट्रम्प इंटरनेशनल होटल के बाहर हुए साइबरट्रक धमाके का वाहन से कोई लेना-देना नहीं है। मस्क के मुताबिक, यह धमाका ट्रक के पिछले हिस्से में रखे गए ‘बम’ या ‘पटाखों’ के कारण हुआ। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “हमने पुष्टि की है कि यह धमाका बहुत बड़े पटाखों या बम के कारण हुआ था। घटना के समय वाहन की सभी तकनीकी जानकारियां सामान्य थी।”

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लास वेगास के इस धमाके को जांच एजेंसी और पुलिस आतंकी हमले की तरह से भी देख रही हैं। जांच अधिकारी न्यू ऑरलियन्स में ट्रक से भीड़ को रौंदने और लास वेगास में धमाके की घटनाओं के बीच किसी संभावित संबंध की भी जांच कर रहे हैं। हालांकि अभी किसी नतीजे पर जांच नहीं पहुंची हैं।

लास वेगास के शेरिफ केविन मैकमहिल ने बताया कि इलेक्ट्रिक गाड़ी होटल के शीशे के गेट पर रुकी, जिसके बाद इसमें बड़ा विस्फोट हुआ और आग लग गई। मैकमहिल ने बताया कि साइबरट्रक के अंदर एक व्यक्ति को मृत पाया गया। इसके अलावा सात लोगों को चोटें आईं। हालांकि किसी को गंभीर चोट नहीं लगी है। उन्होंने बताया कि घटना के बाद होटल को खाली करा लिया गया है। मैकमहिल ने कहा कि अभी तक लास वेगास में हुए विस्फोट का इस्लामिक स्टेट समूह से संबंध का संकेत नहीं मिला है।

यह घटना न्यू ऑरलियन्स में न्यू ईयर के दिन एक अन्य हादसे के तुरंत बाद हुई, जहां एक व्यक्ति ने ट्रक भीड़ में घुसा दिया था। उसकी वहज से 15 लोगों की मौत हुई। लास वेगास के मामले ने और भी ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, क्योंकि यह ट्रम्प इंटरनेशनल होटल के पास हुई और धमाके के कारण साइबरट्रक से जुड़ा होने की आशंका जताई जा रही थी।

अमेरिका के न्‍यू ऑर्ल‍ियन्‍स हमले में 15 लोगों की जान लेने वाला आर्मी का पूर्व सैनिक, ISIS से जुड़े तार

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अमेरिका के न्यू ऑर्लियंस में नए साल का जश्न मना रहे लोगों की भीड़ पर आतंकी हमला हुआ। अधिकारियों ने बताया कि नरसंहार पर आमादा हमलावर ने भीड़ की ओर अपना वाहन मोड़ दिया और लोगों को रौंदते हुए निकल गया। रॉटर्स के मुताबिक अब तक 15 लोगों की मौत हो गई है और 35 घायल हैं। इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकी की पहचान कर ली गई है। इस आतंकी साजिश को लेकर अमेरिका की फेडरल जांच एजेंसी (एफबीआई) ने कई बड़े खुलासे किए हैं।

संदिग्ध का नाम शम्सुद दीन जब्बार

न्यू ऑर्लियंस पुलिस ने अब हमलावर के बारे में कई जानकारी जारी की हैं। हमलावर की पहचान की पहचान 42 साल के शम्सुद दीन जब्बार के रूप में हुई है और वह अमेरिका में ही जन्मा है। हैरान करनी वाली बात ये है कि शम्सुद दीन जब्बार ने अमेरिका सेना में भी काम किया है। जांच एजेंसिया हमले के दूसरे पहलुओं की जांच कर रही हैं। एफबीआई को हमलावर का आईएसआईएस से भी लिंक मिला हैं, जिसके बाद अमेरिका में बढ़ती आईएसआईएस की पकड़ पर चिंता बढ़ गई है।

कैसे दिया हमले को अंजाम?

शम्सुद दीन जब्बार एक पिकअप ट्रक पर सवार होकर न्यू ऑर्लियंस के बॉर्बन स्ट्रीट पहुंचा। जहां उसने रास्ते में चल रही भीड़ पर ट्रक चढ़ा दिया, फिर गोलीबारी शुरू कर दी और पुलिस के साथ गोलीबारी में मारा गया। पुलिस के अनुसार, यह घटना स्थानीय समयानुसार सुबह करीब 3:15 बजे फ्रेंच क्वार्टर के मध्य में घटी, जहां नए साल का जश्न मना रहे लोगों की भीड़ थी।

चश्मदीदों के मुताबिक जब्बार एक सफेद फोर्ड एफ-150 इलेक्ट्रिक पिकअप में आया और पैदल चलने वालों के एक ग्रुप में घुसा दिया, भीड़ को रौंदने के बाद वह बार निकला और पुलिस के साथ गोलीबारी में मारा गया। हमलावर के ट्रक से एक काले कलर का झंडा भी मिला है, जिसको आईएसआईएस का झंडा माना जा रहा है।

एफबीआई ने कहा हमले के पीछे अकेले जब्बार नहीं

न्यू ओर्लियंस हमले के बाद एफबीआई ने मामले की जांच की कमान अपने हाथ में संभाल ले ली है। हमले पर एफबीआई ने भी अपना बयान जारी किया है। एफबीआई एजेंट एलेथिया डंकन ने कहा कि हम यह नहीं मानते कि बॉर्बन स्ट्रीट हमले के लिए अकेले जब्बार पूरी तरह जिम्मेदार था। हम उसके ज्ञात सहयोगियों समेत अन्य सभी सुराग पर आक्रामकता से काम कर रहे हैं। इसलिए हमें जनता की मदद की जरूरत है। हम पूछ रहे हैं कि क्या पिछले 72 घंटों में किसी ने जब्बार से कोई बातचीत की है, तो हमसे संपर्क करे। जिस किसी के पास इससे जुड़ी कोई जानकारी, वीडियो या तस्वीरें हैं, उसे एफबीआई से साझा करें।

जो बाइडेन ने जताया दुख

अमेरिका के न्यू ओर्लियंस पर नये साल के मौके पर हुए आतंकी हमले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने इस हमले में मारे गए लोगों पर गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा, "...जो लोग न्यू ओर्लियंस के आतंकी हमले में मारे गए हैं और जो घायल हुए हैं, उन सभी लोगों के लिए आज शोक मना रहे परिवारों से मैं कहना चाहता हूं कि मैं भी उनके इस दुख में शामिल हूं। बाइडेन ने कहा कि पूरा राष्ट्र आपके साथ दुखी है। जो लोग घायल हुए हैं उम्मीद है कि वह भी आने वाले हफ्तों में ठीक हो जाएंगे। तो भी हम आपके साथ खड़े रहेंगे। बाइडेन ने कहा कि एफबीआई यह पता लगाने के लिए जांच कर रही है कि क्या हुआ, क्यों हुआ और क्या सार्वजनिक सुरक्षा को और कोई खतरा बना हुआ है।

मुंबई को दहलाने वाले तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा! अमेरिकी कोर्ट ने दिया प्रत्यर्पण का आदेश

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26/11 के मुंबई हमलों में कथित भूमिका के लिए, तहव्वुर राणा को भारत लाया जा सकता है। अमेरिका की एक अदालत ने राणा के प्रत्यर्पण का आदेश दिया है। यह भारत के लिए एक बड़ी जीत है। अगस्त 2024 में अमेरिकी कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजने को मंजूरी दे दी थी। अब राणा को जल्द भारत लाने की मुहिम तेज हो गई है।

अमेरिका की कोर्ट ने मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर राणा को भारत को प्रत्यर्पण नहीं करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि भारत ने राणा के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किए हैं। मुंबई पुलिस ने 26/11 हमले के मामले में राणा का नाम आरोपपत्र में शामिल किया था। उस पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य होने का आरोप है। आरोप पत्र में कहा गया कि तहव्वुर राणा ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की मदद की, जिसने हमले के लिए मुंबई में ठिकानों की रेकी की थी।

कोर्ट ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि में नॉन बिस आइडम है। यह तब लागू होता है जब आरोपी को पहले ही उसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जा चुका हो या बरी कर दिया गया हो। भारत में राणा के खिलाफ लगाए गए आरोप अमेरिकी अदालतों में लगाए गए आरोपों से अलग हैं, इसलिए इडेम अपवाद में गैर-बीआईएस लागू नहीं होता है।

अदालती सुनवाई के दौरान, अमेरिकी सरकार के वकीलों ने तर्क दिया कि राणा को पता था कि उसका बचपन का दोस्त डेविड हेडली लश्कर-ए-तैयबा में शामिल है। हेडली एक पाकिस्तानी-अमेरिकी है। राणा ने हेडली की मदद की और उसे अपनी गतिविधियों के लिए सुरक्षा प्रदान की। इस तरह, राणा आतंकवादी संगठन और उसके सहयोगियों का समर्थन कर रहा था। राणा को हेडली की बैठकों, चर्चा की गई बातों और हमलों की योजना के बारे में पता था। उसे कुछ लक्ष्यों के बारे में भी पता था। अमेरिकी सरकार ने कहा कि राणा साजिश का हिस्सा था। उसने एक आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने का काम किया था।

राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई बिजनेसमैन है। भारतीय जांच एजेंसी 2008 में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए 26/11 के हमलों में उसकी भूमिका की जांच कर रही है। राणा को अमेरिका में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया था।