आजमगढ़:-भारत में लहराया परचम डॉ राणा प्रताप सिंह का अविष्कार हुआ पेटेंट, भारतीय अयुर्वविज्ञान केंद्र दिल्ली में हुआ चयन
वी कुमार यदुवंशी
आजमगढ़। डॉ राणा प्रताप सिंह के बुलंद हौसले और कड़ी मेहनत और सच्ची लगन ने यह साबित कर दिया कि यदि इंसान के अंदर लगन है तो वह कुछ भी संभव कर सकता है। उनके अविष्कार को भारत सरकार ने मान्यता देते हुए पेटेंट कर दिया है।
डॉ राणा प्रताप सिंह पुत्र भगवती शरण सिंह फूलपुर के सुदनीपुर उपकेंद्र पर कार्यरत अवर अभियंता देवेंद्र प्रताप सिंह के बड़े भाई हैं। देवेंद्र सिंह मूल रूप से आलमपुर बलिया के निवासी हैं। शुरू से ही मेधावी व कुशाग्र बुद्धि के धनी रहे । डॉ राणा को इंग्लैंड से दो बार स्कॉलरशिप मिल चुकी है। डॉ राणा प्रताप सिंह के अविष्कार को भारत सरकार ने 2021 में मान्यता देते हुए इसे उनके नाम से पेटेंट कर दिया है। पांच भाई-बहनों में तीसरे स्थान पर रहे डॉक्टर राणा अपने एमबीबीएस की पढ़ाई भारत के बाहर की और पढ़ाई समाप्त होते हैं दिल्ली के एम्स व सफदरगंज अस्पताल में 2 साल अपने डॉक्टर पद पर अपनी सेवाएं दी ।
वर्तमान में वह एनिथिसिया स्पेशलिस्ट डॉक्टर यसएचकेएम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हरियाणा में कार्यरत है। 2015 मे उन्होंने ऐसी सिरिंज का अविष्कार किया जिससे सिरिंज से खून लेने के बाद खून की जाँच करने के लिए वायल की आवश्यकता नहीं पड़ती, बल्कि यह सिरिंज ही वायल में परिवर्तित हो जाती है, जिससे वायल का खर्चा बच जाता है, और खून की जांच की पूरी प्रक्रिया सरल हो जाती है। उन्होंने कहा कि वह अपने जीवन की इन उपलब्धि को अपने परिवार व अपनी माँ श्रीमती शांति सिंह को समर्पित करते हुए कहा कि उनकी इस सफलता में उनके परिवार के सदस्यों बड़ी बहन डॉ सुषमा सिंह , बड़े भाई रुद्र प्रताप सिंह ,उनके छोटे भाई देवेंद्र प्रताप सिंह, उनकी भाभी श्रीमती कंचन सिंह, बहन श्वेता सिंह का भरपूर योगदान रहा।
भविष्य के लिए उनका ये प्रयास है, की चिकित्सा जगत को कैसे और सस्ता और सरल बनाया जाए।
उनका पहला आविष्कार पेटेंट होने के बाद उनका उद्देश्य है कि आगे भी इस तरह के अविष्कार होता रहे ,जिससे चिकित्सा जगत को लाभ मिलता रहे।
Jan 02 2025, 15:32