विश्लेषण : हेमंत सोरेन की नई सरकार के सामने क्या है चुनौतियाँ और उससे निपटने के लिए कैसी हो रणनीति
आलेख :- विनोद आनंद
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लगातार एक तिहाई बहुमत से दूसरी बार गठबंधन की सरकार का गठन होना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है. 2023 के विधानसभा चुनावों में मिली भारी जीत ने उनके नेतृत्व में जनता की उम्मीदों को और भी बढ़ा दिया है। हालांकि, नई सरकार के समक्ष कई चुनौतियाँ खड़ी हैं, जिनसे निपटने के लिए एक ठोस दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
इस आलेख में हम उन चुनौतियों का विश्लेषण करेंगे और यह भी जानेंगे कि सरकार इनसे कैसे निपट सकती है.
वित्तीय प्रबंधन की चुनौती
हेमंत सरकार के लिए सबसे पहली और बड़ी चुनौती है वित्तीय प्रबंधन का मुद्दा. झारखंड की वितीय स्थिति सुधारना अनिवार्य है, क्योंकि पिछले योजनाओं के कारण सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है.इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं.
राजस्व संग्रह बढ़ाना:
सरकार को राजस्व संग्रह में वृद्धि के लिए नई नीतियों की रूपरेखा बनानी होगी। यह प्रक्रियाएं कर संग्रहण में सुधार, टैक्स आधार को व्यापक बनाना होगा.इसके लिए अवैध खनन रोक लगानी होगी और उसे बैध तरीका से लीज देकर एक बड़ी राजस्व की व्यवस्था की जा सकती है. यहां बालू, पत्थर कई ऐसे खनिज है जिसे प्रकृति ने गिफ्ट के तौर पर झारखण्ड को दिया है, जिसके प्रबंधन से हम बेहतर राजस्व की विकास की जा सकती है और राज्य के राजस्व में बृद्धि किया जा सकता है.इसके लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर टैक्स प्रणाली को सरल और पारदर्शी बना कर एक प्रभावी कदम उठाया जा सकता है.
खर्चों का पुनरावलोकन:
सरकार को सार्वजनिक खर्चों का पुनरावलोकन करना होगा. सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अति आवश्यक है कि अनावश्यक खर्चों को कम किया जाए. इससे वित्तीय प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है.
साझेदारी और निवेश
सरकार को निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी बढ़ाना होगा. निवेश को आकर्षित कर विकास की गति को तेज करना आवश्यक है. संभावित निवेशकों के लिए ठोस नीति और संरचना तैयार करने की आवश्यकता है, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके.
वादों को पूरा करने की चुनौती
विधानसभा चुनावों के दौरान हेमंत सरकार ने कई वायदे किये उसको पूरा करना सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है.इसके लिए सरकार को अतिरिक्त बोझ का भार बढेगा. जिससे अन्य योजनाओं के लिए बजट की कटौती करना होगा. जो सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है.इसके लिए राज्य के रिसोर्स से धन सग्रहण,और जनता पर टैक्स की ऐसी रणनीति की जरूरत होगी जो जनता को महसूस नहीं हो की उनपर अतिरिक्त बोझ डाला जा राहा है. इस दिशा में हेमंत सरकार को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
परिपूर्ण कार्य योजना बनाना:
सरकार को सभी वादों के लिए एक कामकाजी योजना तैयार करनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वादे समय सीमा के भीतर पूरे हों. योजनाओं का मानिटरिंग और मूल्यांकन नियमित रूप से किया जाना चाहिए, ताकि सुधार की आवश्यकता पर त्वरित कार्रवाई की जा सके.
सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम:
राज्य की जनता को सरकार की योजनाओं के लाभों को समझाना भी महत्वपूर्ण है. इसके लिए सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग योजनाओं से जुड़े और अपने अधिकारों को समझ सकें.
साफ-सुथरी प्रशासनिक प्रक्रियाएँ
कामकाजी प्रक्रियाओं को प्राथमिकता देते हुए इसे सरल और पारदर्शी बनाना होगा. इससे निगमों और व्यक्तियों के लिए मदद मिलती है और योजनाओं का लाभ प्रभावी तौर पर जनता तक पहुंचता है. इसके लिए प्रशासन को सख्त निर्देश देना होगा की जो भी लाभूक आप के पास जाए और जिसके लिए योजनायें तैयार हुई है वह उस तक सही से पहुँच सके.
पेसा और अन्य नीतियों का कार्यान्वयन
सरकार जनता के मांगो को पूरा करने और उनके भरोसे को और मज़बूत बनाने के लिए उनके लिए हर उस बुनियादी योजनाओं के प्रति गंभीर होना होगा जो उसके लिए जरुरी है. इसके लिए पेसा कानून और अन्य स्थानीय नीतियों का कार्यान्वयन हेमंत सोरेन सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इससे निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं:
स्थानीय संवाद एवं कार्यशालाएं:
पेसा कानून के तहत स्थानीय परिषदों और समुदायों के सदस्यों के साथ संवाद बढ़ाना होगा। कार्यशालाओं का आयोजन कर लोगों को स्थानीय नीतियों के महत्व और उनके कार्यान्वयन के तरीकों से अवगत कराया जा सकता है।
नियमों के प्रति जन जागरूकता:
स्थानीय निवासियों के लिए नियमों और नीतियों के बारे में जानकारी प्रदान करना आवश्यक है। इससे उन्हें अपने अधिकारों का सही ज्ञान होगा और वे उन नीतियों को अमल में लाने में मदद कर सकेंगे।
लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया को स्वच्छ बनाना:
पेसा कानून के लाभार्थियों का चयन करते समय प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना होगा। इससे स्थानीय लोगों का विश्वास जीतना संभव होगा, जो सरकार की नीतियों के वास्तविक कार्यान्वयन में मदद करेगा।
शिक्षा और कृषि उत्पादन की चुनौती
शिक्षा और कृषि उत्पादन के स्तर को बढ़ाना हेमंत सरकार के सामने एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
शिक्षा में सुधार:
राज्य के विद्यालयों और महाविद्यालयों में सुधार लाना जरूरी है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं, जिससे शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार हो सके। साथ ही, समग्र शिक्षा प्रणाली की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
कृषि विकास के लिए संसाधन:
कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार को मूल्यांकन करना होगा कि किसानों को कौन सा संसाधन चाहिए। सिंचाई, बीज, और खाद के सही वितरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार को आधारभूत ढांचा मजबूत करना होगा। इसके साथ, नई कृषि तकनीकों के बारे में किसानों को जागरूक करना महत्वपूर्ण है।
कृषि का वित्तीय प्रबंधन:
कृषि ऋण के पैटर्न का पुनर्विचार करना आवश्यक हो सकता है। सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि सभी किसानों को समय पर ऋण मिले ताकि वे बेहतर उत्पादन कर सकें।
गठबंधन में समन्वय की चुनौती
गठबंधन में समन्वय बनाना भी हेमंत सोरेन की सरकार के लिए एक चुनौती होगी। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
समर्पित संवाद प्लेटफॉर्म
गठबंधन के सभी दलों के नेताओं के बीच नियमित संवाद का एक प्लेटफॉर्म सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि मुद्दों पर खुलकर चर्चा हो सके। इससे सभी दलों के बीच सामंजस्य बना रह सकेगा।
सहयोगी दलों की जिम्मेदारी तय करना:
हर सहयोगी दल को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराना चाहिए। इससे नेतृत्व में बेहतर तालमेल और एकता बनी रहेगी।
सामाजिक गतिविधियों में सहयोग:
गठबंधन के दलों को संयुक्त सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। इससे स्थानीय स्तर पर एकता बढ़ेगी और सरकार के प्रति जनता का विश्वास मजबूत होगा।
निष्कर्ष
हेमंत सोरेन की सरकार को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए एक ठोस और सुनियोजित रणनीति पर काम करना होगा। आवश्यकतानुसार नीतियों में संशोधन और कार्यान्वयन की प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाना होगा। साथ ही, सरकार को जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। यदि यह सरकार इन चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक करती है, तो यह न केवल झारखंड के विकास में सहायक साबित होगा बल्कि जनता का विश्वास भी जीतेगा। ऐसे में, झारखंड एक सफल और समृद्ध राज्य के रूप में सामने आ सकता है।
Jan 01 2025, 09:15