विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले- डिजिटल युग की विदेश नीति की अपनी मांग, हमें अपनी अर्थव्यवस्था में वैश्विक भागीदारी बनानी होगी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में भाग लिया. जहां उन्होंने पिछले 10 वर्षों में विदेश नीति और आर्थिक कूटनीति पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने वाली विदेश नीति के लिए मेरा मानना है कि बड़ा सोचना चाहिए, लंबा सोचना चाहिए, लेकिन समझदारी से सोचना चाहिए. इस दौरान उन्होंने डिजिटल युग की विदेश नीति की जरूरत की मांग पर जोर दिया.
एस जयशंकर ने कहा, ‘पूरी ईमानदारी से कहूं तो विदेश नीति पुरानी और नई का मिश्रण है. ऐतिहासिक रूप से हम जिन मुद्दों का सामना करते आए हैं, उनमें से कई अभी भी खत्म नहीं हुए हैं. हमें अभी भी अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना है. हम अभी भी आतंकवाद से बहुत गंभीर स्तर पर लड़ रहे हैं. अतीत की कड़वी यादें अभी भी ताजा हैं. वर्तमान की जरूरतें भी हैं. हम पहले ही ऐसी विदेश नीति की ओर बढ़ चुके हैं, जिसका सीधा काम राष्ट्रीय विकास को आगे बढ़ाना है.
हमें दुनिया के साथ बहुत कुछ करना होगा- विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने कहा, ‘जब प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री बाहर जाते हैं, तो तकनीक, पूंजी, सर्वोत्तम प्रथाओं, सहयोग और निवेश के बारे में बहुत कुछ होता है. इनका बहुत बड़ा स्थान होता है. हमने दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया के अन्य देशों से कुछ मूल्यवान सबक लिए हैं, जो हमसे बहुत पहले ऐसा कर रहे थे.’ एस जयशंकर ने कहा कि आज भारत एक ऐसा देश है, जिससे बहुत अधिक उम्मीदें हैं, एक ऐसा देश जिसकी जिम्मेदारियां भी बहुत अधिक हैं. भारत को प्रथम प्रतिक्रिया दाता के रूप में देखने का विचार और भी अधिक बार आएगा.
उन्होंने कहा, ‘विस्तारित पड़ोस क्षेत्र में यह अपेक्षा की जाएगी कि भारत जब चाहे अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का हिस्सा बने. क्योंकि दुनिया बदल रही है, नए विचार और पहल होंगी. पूरा ढांचा अधिक खुला और अधिक बहुआयामी होगा, लेकिन इसमें गहरी भागीदारी और अधिक जटिल निर्णय होंगे. हमें दुनिया के साथ बहुत कुछ करना होगा. यह इस देश के लिए अच्छा है कि दुनिया के साथ गहरे जुड़ाव के साथ हमारी प्रगति और विकास में तेजी आए. इसलिए आगे की विदेश नीति के लिए, मेरा मानना है कि किसी को बड़ा सोचना चाहिए, लंबा सोचना चाहिए, लेकिन समझदारी से सोचना चाहिए.’
हमें अपनी अर्थव्यवस्था में वैश्विक भागीदारी बनानी होगी
विदेश मंत्री ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं को फिर से आकार देने का आज विदेश नीति पर प्रभाव पड़ता है, यह राष्ट्रीय विकास के लिए भी एक बड़ा अवसर है. यह पहले से ही इस देश में विनिर्माण को बढ़ावा दे रहा है. यह एक तरह से भारत में प्रौद्योगिकी विकास के लिए उत्प्रेरक भी है, विदेश मंत्री ने कहा. उन्होंने कहा कि डिजिटल युग अपनी खुद की विदेश नीति की मांग करता है क्योंकि डिजिटल युग विनिर्माण युग से मौलिक रूप से अलग है. विनिर्माण में जिस तरह की हेजिंग की जा सकती है, दिन के अंत में, उत्पाद उत्पाद हैं, जबकि डिजिटल अब केवल उत्पाद नहीं है, यह डेटा उत्सर्जक है.
उन्होंने कहा, ‘आज, हमें अपनी अर्थव्यवस्था में वैश्विक भागीदारी बनानी होगी. यह सवाल नहीं है कि कीमत पर कौन प्रतिस्पर्धी है, यह भी एक मुद्दा है कि आप किसके उत्पादों और सेवाओं पर भरोसा करते हैं. आप अपना डेटा कहां रखना चाहेंगे? दूसरे लोग आपके डेटा का आपके खिलाफ कहां इस्तेमाल कर सकते हैं? ये सभी चिंताएं महत्वपूर्ण होंगी.’
Dec 15 2024, 21:17