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महाराष्ट्र में बाकी है सस्पेंस! कब होगा मंत्रिमंडल विस्तार, मुख्यमंत्री फडणवीस और अजित पवार दिल्ली पहुंचे, नहीं आए शिंदे

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महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। वहीं, अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने उपमंत्री की कमान संभाल ली है। हालांकि, कैबिनेट विस्तार को लेकर मंथनों का दौरा जारी है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जारी चर्चा के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार दोनों दिल्ली में हैं। जबकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नहीं गए। आज मंत्रालय बंटवारे और कैबिनेट विस्तार की तस्वीर साफ हो सकती हैं।

महायुति में अब मंत्रिमंडल को लेकर गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच बुधवार देर रात को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और फडणवीस ने अमित शाह से उनके घर पर मुलाकात की। विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद पिछले सप्ताह महायुति सरकार के सत्ता में आने के बाद विभागों के आवंटन को लेकर अटकलों के बीच यह मुलाकात हुई। हालांकि इस मीटिंग में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार मौजूद नहीं थे।

पावर शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति बनी!

सूत्रों के मुताबिक पावर शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति बन गई है। सूत्रों की मानें तो भाजपा 20 पोर्टफोलियो अपने पास रखेगी। वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच बराबर का बंटवारा हुआ है। 10-10 पोर्टफोलियो शिवसेना और एनसीपी अपने पास रखेगी। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी अपने पुराने मंत्रियों को ही पोर्टफोलियो देगा। वहीं, एनसीपी भी अपने पुराने मंत्रियों पर ही ज्यादा भरोसा कर रही है। मगर शिवसेना शिंदे कैंप अपने नए लोगों को मंत्री बना सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के हिस्से के सिर्फ दो से तीन विभाग सहयोगी दलों के पास जा सकते है। बीजेपी अपने सहयोगी दलों को सिर्फ राजस्व और आवास हाउसिंग विभाग और पीडब्ल्यूडी देने की तैयारी में है। बीजेपी गृह विभाग के साथ ही शहरी विकास विभाग भी अपने पास रखना चाहती है और बदले में शिवसेना को राजस्व और पीडब्ल्यूडी देने को तैयार है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे नहीं माने तो अर्बन डेवलपमेंट शिवसेना और राजस्व बीजेपी के पास रहेगा।

किसके कोटे में कौन सा विभाग

बीजेपीः-गृह-शहरी विकास/ राजस्व (दोनों में से एक), लॉ एंड ज्यूडिशियरी, सामान्य प्रशासन, ग्रामीण विकास-बिजली ऊर्जा, सार्वजनिक लोक निर्माण, पर्यावरण, वन, आदिवासी जैसे सभी महत्वपूर्ण विभाग बीजेपी के पास रह सकते हैं।

शिवसेनाः- राजस्व, शहरी विकास दोनों में से एक, सार्वजनिक कार्य (PWD), श्रम, स्कूल शिक्षा, राज्य उत्पाद शुल्क, जल आपूर्ति और स्वच्छता, परिवहन विभाग शिवसेना को मिलने की संभावना है।

एनसीपीः- वित्त और योजना, हाउंसिंग आवास, चिकित्सा शिक्षा ( मेडिकल एजुकेशन), खाद्य और नागरिक आपूर्ति, महिला और बाल कल्याण, राहत और पुनर्वास, खाद्य और औषधि प्रशासन जैसे विभाग एनसीपी के पास बने रहने की संभावना है।

गृह विभाग को लेकर तकरार

बता दें कि महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं। महायुति में पोर्टफोलियो को लेकर ही तकरार है। महायुति में असल झगड़ा भाजपा और शिवसेना के बीच था। पहले सीएम पद को लेकर खींचतान हुई। अब होम मिनिस्ट्री पद को लेकर गतिरोध रहा। एकनाथ शिंदे शिवसेना के लिए गृह विभाग मांग रहे थे, मगर भाजपा इसके लिए तैयार नहीं थी।

मालामाल हुए मस्क, 400 बिलियन डॉलर के पार पहुंची नेटवर्थ
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टेस्ला और स्पेसएक्स के माल‍िक एलन मस्क की संपत्‍त‍ि प‍िछले एक साल में बुलेट की रफ्तार से बढ़ी है। मस्क को सबसे ज्‍यादा फायदा उन्‍हें डोनाल्‍ड ट्रंप के अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि न‍िर्वाच‍ित होने के बाद म‍िला है। अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में अपना पैसा पानी की तरह बहाया था। अब उनकी संपत्ति को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। मस्क के निजी स्वामित्व वाली कंपनी स्पेसएक्स के शेयरों की हुई इनसाइडर बिक्री के चलते मस्क की संपत्ति में उछाल आया है और मस्क की संपत्ति 50 अरब डॉलर बढ़कर 400 अरब डॉलर के पार पहुंच गई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मस्क 400 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति तक पहुंचने वाले इतिहास के पहले व्यक्ति बन गए हैं। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, उनकी कंपनी स्पेसएक्स के आंतरिक शेयर बिक्री से बिजनेस दिग्गज की कुल संपत्ति में लगभग 50 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जिससे उनकी कुल संपत्ति 439.2 बिलियन डॉलर हो गई। यह एक नया रिकॉर्ड है, प‍िछले 24 घंटे में ही उनकी संपत्‍त‍ि में 62.8 ब‍िल‍ियन डॉलर का इजाफा हुआ है। प‍िछले एक साल में उनकी संपत्‍त‍ि में 218 ब‍िल‍ियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। साल 2022 के अंत में, मस्क की कुल संपत्ति में 200 बिलियन डॉलर से अधिक की कमी देखी गई थी, हालांकि पिछले महीने जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुने गए, तो मस्क ने भारी लाभ देखा, जो आने वाले प्रशासन के सबसे प्रभावशाली दाताओं और सहयोगियों में से एक था। *टेस्ला इंक के शेयरों में लगभग 65 प्रतिशत की वृद्धि* ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की माने तो चुनाव से पहले से टेस्ला इंक के शेयरों में लगभग 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मस्क प्रमुख राजनीतिक दानदाता और ट्रंप के समर्थक रहे हैं। उन्होंने रिपब्लिकन के कैंपेन में 270 मिलियन डॉलर का भारी खर्च क‍िया। ट्रंप की चुनाव जीत के बाद से वह लगातार उनके साथी रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें टेक्सास में अपनी स्पेसएक्स कंपनी द्वारा रॉकेट लॉन्च देखने के लिए भी इनवाइट क‍िया। मस्क के सभी ब‍िजनेस का अमेरिकी और विदेशी सरकारों के साथ अलग-अलग लेवल पर संपर्क है, और ट्रंप के साथ उनकी निकटता ने चिंता पैदा कर दी है कि मस्क अपने स्वयं के हितों को बढ़ावा देने में सक्षम होंगे। *क्यों हुई मस्क की संपत्ति में इतनी बढ़ोतरी?* खबरों के अनुसार एलन मस्क की संपत्ति में इतनी बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि स्पेसएक्स और उसके निवेशकों ने कंपनी के अंदरूनी शेयर खरीदने का करार क‍िया। इस डील में स्पेसएक्स की कीमत करीब 350 अरब डॉलर आंकी गई। बाजारों को यह अनुमान है कि डोनाल्ड ट्रंप स्वचालित कारों के रोलआउट को सुव्यवस्थित करेंगे और टेस्ला के प्रतिद्वंद्वियों की मदद करने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कर क्रेडिट को समाप्त कर देंगे।
अतुल सुभाष सुसाइड केस में नया मोड़, निकिता की मां-भाई घर छोड़कर फरार*
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बेंगलुरु में पत्नी से परेशान होकर इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस में एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में आरोपी पत्नी निकिता के मां और भाई घर से चुपके से भागते हुए दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, अतुल सुभाष के भाई की तहरीर पर बेंगलुरु पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है। जिसके बाद बुधवार देर रात अतुल सुभाष के साले अनुराग सिंघानिया और सास निशा सिंघानिया गिरफ्तारी की डर से बाइक पर सवार होकर फरार हो गए। एफआईआर के बाद अतुल सुभाष सुसाइड मामले में जांच के लिए बेंगलुरु पुलिस बुधवार रात को जौनपुर पहुंची। पुलिस के पहुंचने से पहले ही इंजीनियर की पत्नी निकिता की मां निशा और भाई अनुराग घर से निकल गए। हालांकि, जब अतुल का साला अनुराग भाग रहा था तो मीडिया वालों ने उनसे सवाल किया। तब उसने बोला कि मां का इलाज करवाने जा रहे हैं। आधी रात को घर पर ताला लगाकर भागने की तस्वीर अब वायरल है।निकिता के भाई का नाम अनुराग सिंघानिया और मां निशा सिंघानियां हैं। कोतवाली के खोआ मंडी के पास मकान से दोनों फरार हो गए। *पत्नी की प्रताड़ना और झूठे केस से थे परेशान* बेंगलुरु में 34 साल के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने एक दिन खुद को इस दुनिया से अलविदा कहने का फैसला लिया। उन्होंने अपने घर पर ही सुसाइड कर लिया। उत्तर प्रदेश के रहने वाले अतुल ने सिस्टम और पत्नी से इतना परेशान थे कि उन्होंने कुल 24 पेज का सुसाइड नोट लिखा। इतना ही नहीं उन्होंने 1.5 घंटे का एक वीडियो भी बनाया। इन दोनों के ही माध्यम से उन्होंने आरोप लगाया कि सिस्टम के खिलाफ उन्होंने किस तरह से लड़ाई लड़ी और 9 से ज्यादा झूठे मुकदमों का सामना किया। उन्होंने वीडियो में कहा कि मेरे ही जैसे लोगों के टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम चलता है। ये लोग मुझे और मेरे परिवार के साथ-साथ मेरे जैसे दूसरे लोगों को परेशान करता है। जब मैं ही इस दुनिया में नहीं नहीं रहूंगा तो ना ही मेरा टैक्स होगा और न ही इन लोगों के पास मेरे घरवालों को परेशान करने की कोई वजह पास होगी। एआई इंजीनियर अतुल ने खुद को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके घरवालों पर आरोप लगाया। *अतुल ने अपनी मौत के लिए पांच लोगों को ठहराया है जिम्मेदार* बता दें कि अतुल सुभाष ने सुसाइड से पहले एक वीडियो बनाया था जिसमें लोअर जुडिशियरी के काम-काज पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने जिन पांच लोगों को अपनी मौत का ज़िम्मेदार ठहराया। उनमें पहला नाम जौनपुर की फैमिली कोर्ट की लेडी जज का है। इसके बाद निकिता, निकिता की मां निशा, भाई अनुराग सिंघानिया और निशा के ताउ सुशील कुमार का नाम शामिल है। अतुल सुभाष का इल्ज़ाम है कि फैमिली कोर्ट की जज उनको प्रताड़ित करने में वाइफ और उसकी फैमिली का साथ देती हैं। कोर्ट मेडिटेशन के दौरान उन्होंने मामला सेटेल करने के बदले में पैसे मांगे थे। कोर्ट के क्लर्क भी पैसे लेकर ऐसी तारीख़ें लगाते थे, जिससे वो परेशान हों। अतुल सुभाष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कम से कम सुसाइड के बाद तो उनकी फैमिली को इंसाफ़ मिलेगा। अतुल ने अपने आखिरी वीडियो में कहा कि अगर उनकी मौत के बाद भी जज और कोर्ट के करप्ट कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न हो तो उनकी अस्थियों को कोर्ट के बाहर गटर में बहा दिया जाए। *अतुल सुभाष पर पत्नी ने दर्ज कराए थे 9 केस* बता दें कि अतुल सुभाष पर उनकी पत्नी निकिता ने दहेज़ उत्पीड़न, हत्या का प्रयास समेत कुल 9 केस जौनपुर में दर्ज करवाए थे।अतुल सुभाष की शादी मैट्रिमोनियल वेबसाइट के जरिए हुई थी। शादी के तीन साल बाद निकिता घर छोड़कर जौनपुर आ गई। जहां उसने 10 लाख रुपए दहेज़ मांगने का मामला दर्ज करवाया। उस वक्त अतुल सुभाष की सैलरी 40 लाख रुपए सालाना थी। इसके बाद अतुल सुभाष बेंगलुरु से जौनपुर पेशी के लिए 120 बार आए
पहाड़ों की बर्फबारी के बाद ठिठुरी देश की राजधानी दिल्ली, उत्तर भारत में अगले चार दिन शीतलहर का अलर्ट

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पहाड़ों पर बर्फबारी के साथ-साथ हल्की बारिश हो रही है। कश्मीर के गुलमर्ग, राजदान पास, सोनमर्ग, जोजिला सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है, जिससे शीतलहर और तेज हो गई है। कश्मीर घाटी में पहले से ही तापमान माइनस में चल रहा है और उसके ऊपर से हो रही बर्फबारी ने कंपकपी बढ़ा दी है। जम्मू संभाग में भी सर्दी का पिछले साल का रिकॉर्ड टूट गया है। लेह और लद्दाख में भी खून को जमा देने वाली ठंड पड़ रही है। जिसका असर पूरे उत्तर भारत में दिख रहा है। इन इलाकों में लगातार तापमान गिर रहा है।

मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली, यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को इस सर्दी का अब तक का सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। इस दौरान न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री सेल्सियस डिग्री दर्ज किया गया। आईएमडी ने कहा कि दिसंबर की शुरुआत में न्यूनतम तापमान 37 वर्षों में पहली बार पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया है। आंकड़ों के अनुसार इस अवधि के दौरान सबसे कम न्यूनतम तापमान 6 दिसंबर 1987 को 4.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

येलो अलर्ट किया गया है जारी

मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में 12 दिसंबर को अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी में अगले दो दिनों तक शीतलहर चलने और घना कोहरे होने की संभावना, जिसकी वजह से विभाग ने येलो अलर्ट भी जारी किया है।

हिमाचल से आ रही हवाओं ने बढ़ाई ठंड

मौसम विशेषज्ञ डॉ. चंद्रमोहन ने बताया कि हिमालय से सीधी आ रही बर्फीली हवाओं ने हरियाणा, एनसीआर और दिल्ली को अपने आगोश में ले लिया है। तापमान जमाव बिंदु के पास पहुंच गया है।हिमाचल प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर बुधवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री नीचे दर्ज किया गया जबकि कुछ इलाकों में हल्की बर्फबारी भी हुई। इस दौरान राज्य में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति का ताबो सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान शून्य से 12.7 डिग्री नीचे दर्ज किया गया। पश्चिमी जिलों में खेत खलिहानों और खुले स्थानों पर पाला जमने लगा है। बारिश न होने से अभी सूखी ठंड का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। हालांकि दिन में चमकदार धूप खिली रहने से दिन में ठंड से लोगों को राहत मिल रही है। 5-10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीली हवा चलने से कोहरा भी नहीं बन रहा है। बुधवार को प्रदेश में अधिकतर स्थानों पर दिन व रात का ताप मान सामान्य से नीचे बना हुआ है।

कश्मीर में बर्फबारी के बाद शीतलहर और तेज

इधर, कश्मीर के गुलमर्ग, राजदान पास, सोनमर्ग, जोजिला सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है, जिससे शीतलहर और तेज हो गई है। कश्मीर में रात के तापमान में सुधार आया है, लेकिन अधिकांश जिलों में दिन के साथ रात का पारा सामान्य से 2 से 6 डिग्री नीचे चल रहा है। राजधानी श्रीनगर में दिन का तापमान 8.8, पहलगाम में 4.2 और गुलमर्ग में माइनस 0.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। लेह में खून जमा देने वाली ठंड के बीच दिन और रात का पारा शून्य डिग्री से नीचे चल रहा है। जम्मू में रात का पारा सामान्य से 5.2 डिग्री गिरकर 5.0 डिग्री तक पहुंच गया, जो इस सीजन की सर्द रात बीती। इस पारे ने पिछले साल का न्यूनतम तापमान का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। जम्मू में 19 दिसंबर 2023 को न्यूनतम तापमान 5.7 डिग्री दर्ज किया गया था।

बांग्लादेश से जो वापस भारत आना चाहते उन्हें आने दे केन्द्र”, ममता बनर्जी की मोदी सरकार से अपील*
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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ पिछले पांच महीनों से खुला अत्याचार हो रहा है। हिंदुओं की टारगेट किलिंग और लूटपाट की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से बड़ी अपील की है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्र सरकार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की और यह भी कहा कि जो लोग वापस भारत आना चाहते हैं, उन्हें वापस लाया जाए। बनर्जी ने यह बात दीघा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। मुख्यमंत्री जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की समीक्षा के लिए दीघा के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देनी चाहिए और जो लोग लौटना चाहते हैं उन्हें वापस लाना चाहिए। सीएम ने कहा कि हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चाहते हैं। केंद्र को इस मामले में कदम उठाना चाहिए। इस दौरान ममता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर फर्जी वीडियो फैलाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के फर्जी वीडियो से समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा, जो कि ठीक नहीं। इससे देश का माहौल खराब होगा। *पहले भी कर चुकीं है अपील* ससे पहले भी ममता बनर्जी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर केंद्र से हस्तक्षेप की गुहार लगा चुकीं हैं। दिसंबर के शुरूआत में उन्होंने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में हमारे परिवार और प्रियजन हैं। हम भारत सरकार की ओर से लिए गए किसी भी रुख को स्वीकार करते हैं। हम दुनिया में कहीं भी धार्मिक आधार पर अत्याचारों की निंदा करते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। ममता बनर्जी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से संयुक्त राष्ट्र के जरिये हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।बनर्जी ने कहा था कि भारत सरकार इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठा सकती है ताकि शांति सेना भेजी जा सके। *बांग्लादेश में हिंसा का असर कोलकाता में* बांग्लादेश में करीब 1.31 करोड़ हिंदू रहते हैं और यह देश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल का करीब 2,217 किलोमीटर का बॉर्डर बांग्लादेश से जुड़ता है। इसके अलावा त्रिपुरा, असम और मिजोरम से भी बांग्लादेश की सीमा जुड़ती है, मगर वहां हो रही हिंसा का असर पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक है। कोलकाता की सड़कों पर हिंदुओं को समर्थन में रैलियां और शांति मार्च निकाली जा रही हैं। गुस्से का आलम यह है कि कोलकाता और अगरतला के डॉक्टरों के बड़े समूह ने बांग्लादेशियों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। 2023 में 4.49 लाख बांग्लादेशी मरीज भारत इलाज के लिए आए, जिनमें से अधिकतर कोलकाता पहुंचे। *बांग्लादेश में दहशत में है हिंदू समुदाय* बता दें कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद पड़ोसी राज्य में धार्मिक उन्माद चरम पर है। मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। आरती और पूजा पाठ को भी कट्टरपंथियों ने प्रतिबंधित कर दिया है। हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी और अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने की खबरें भी आ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के संत और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। इसके अलावा उनके तीन सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। भारत आ रहे इस्कॉन के 63 संतों को भी बॉर्डर पर रोका गया।
अफगानिस्तान के काबुल में भीषण धमाका, तालिबान सरकार के मंत्री हक्कानी समेत 12 की मौत

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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को बड़ा बम धमाका हुआ। धमाके में तालिबान के शरणार्थी और पुनर्वास मंत्री खलील हक्कानी की मौत हो गई। धमाके में खलील के अलावा 12 लोग भी मारे गए हैं। खलील हक्कानी हक्कानी नेटवर्क के एक सीनियर सदस्य थे। तालिबान के आंतरिक मंत्री और वरिष्ठ नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा भी थे। खलील हक्कानी अफगानिस्तान में आने वाले शरणार्थियों की समस्या को संभाल रहे थे।

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को एक आत्मघाती बम धमाके में तालिबान सरकार में शरणार्थी मामलों के मंत्री की मौत हो गई। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। अधिकारियों ने बताया कि विस्फोट मंत्रालय के अंदर हुआ और शरणार्थी मामलों के मंत्री खलील हक्कानी की मौत हो गई। महेल में हक्कानी और उनके 3 बॉडीगार्ड्स समेत 12 लोगों की मौत हो गई।

विस्फोट के बाद मंत्रालय परिसर में अफरातफरी का माहौल बन गया। धमाके की वजह से कई लोग घायल भी हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धमाके में आत्मघाती हमलावर की भी मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं। तालिबान सरकार ने इस हमले की निंदा की है और कहा है कि इस हमले का मकसद उनके नेतृत्व को अस्थिर करना था। तालिबान ने इस हमले के पीछे किसी खास समूह या संगठन का नाम नहीं लिया है।

राजधानी काबुल में मंत्रालय के परिसर में यह विस्फोट कैसे हुआ और किन लोगों ने अंजाम दिया इसे लेकर फिलहाल ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है।शुरुआती रिपोर्टों से दावा किया जा रहा है कि यह हमला इस्लामिक स्टेट और तालिबान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच एक टारगेटेड अटैक हो सकता है, हालांकि इस मामले में अभी तक किसी संगठन का हाथ सामने नहीं आया है।

महाराष्ट्र के परभणी में भड़की हिंसा, संविधान के अपमान को लेकर आगजनी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

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महाराष्ट्र के परभणी से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां कुछ उपद्रवी तत्वों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान का अपमान किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। नाराज भीड़ ने इलाके में कई जगह आगजनी की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। महाराष्ट्र के परभणी में संविधान के अपमान को लेकर कल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई।

क्यों भड़की परभणी में हिंसा?

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसी उपद्रवी ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास रखी संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद आगजनी और पथराव हुए। इसके विरोध में कई संगठनों ने शहर में बंद की अपील की थी। बंद के दौरान अचानक लोग भड़क गए। उपद्रवियों ने कई जगहों पर आगजनी शुरू कर दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

24 घंटे के अंदर आरोपी के गिरफ्तारी की मांग

पुलिस के मुताबिक, बंद कराने उतरे लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बहुजन विकास अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने 24 घंटे के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वालों की गिरफ्तारी की मांग की है।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने की अपील

इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने भी ममाले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ठपरभणी में जातिवादी मराठा उपद्रवियों की ओर से बाबासाहेब की प्रतिमा पर भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाना बहुत ही शर्मनाक है। यह पहली बार नहीं है जब बाबासाहेब की प्रतिमा या दलित पहचान के प्रतीक पर इस तरह की तोड़फोड़ की गई हो। उन्होंने कहा, वीबीए परभणी जिले के कार्यकर्ता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और उनके विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उपद्रवियों में से एक को गिरफ्तार किया। मैं सभी से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। अगर अगले 24 घंटों के भीतर सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे।

रोहिंग्याओं पर कश्मीर में मची रार, प्रशासन ने काटे घुसपैठियों के घरों के बिजली-पानी कनेक्शन, नेकां ने समर्थन में उठायी आवाज

#big_action_against_rohingya_infiltrators_in_jammu_and_kashmir

जम्मू में रोहिंग्याओं को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। प्रशासन ने 400 से अधिक रोहिंग्या परिवारों के बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए हैं। जम्मू में रोहिंग्या आबादी में वृद्धि का संकेत देने वाली खुफिया रिपोर्टों के बाद रोहिंग्याओं के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं को बसाने के मुद्दे पर भाजपा आक्रामक रुख अपनाए है। बीजेपी ने इस मामले में नेशनल कांन्फ्रेंस और कांग्रेस को घेरा है। साथ ही रोहिंग्याओं को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बता उन्हें जम्मू-कश्मीर से निकालने के साथ इन्हें यहां बसाने वालों के खिलाफ जांच की मांग उठा रही है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि इन शरणार्थियों को भारत सरकार यहां लाई है।

एक दिन पहले भाजपा ने जम्मू में रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थियों के बसाए जाने को ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ बताया था। भाजपा ने कहा था कि जो लोग ऐसा होने दे रहे हैं, उनकी पहचान करने के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अधिवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि भाजपा उपराज्यपाल से सीबीआई जांच शुरू करने और इस साजिश की व्यापक जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह करेगी। यह पता लगाया जाना चाहिए कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोगों को लाकर जम्मू में किसने बसाया, और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने और जेल सहित कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

सेठी ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोगों का बसना उसी समय शुरू हुआ जब 1990 के दशक में इस क्षेत्र में आतंकवाद शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी साजिश है जिसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। इसके पीछे सभी ताकतों को बेनकाब किया जाना चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। भाजपा उन लोगों की निंदा करती है जो धार्मिक आधार पर इन व्यक्तियों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने रोहिंग्याओं को बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इन संगठनों के लिए धन के स्रोतों पर सवाल उठाया।

सेठी ने कहा कि बीजेपि लगातार सवाल उठा रही है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से भारतीय सीमा में कैसे घुसे, हजारों किलोमीटर का सफर करके और आधा दर्जन राज्यों को पार कर जम्मू में कैसे बसे। सेठी ने दावा किया कि यह पाकिस्तान से लगे इंटरनेशनल बॉर्डर के पास जम्मू में इन शरणार्थियों को बसाने की साजिश है। देश को यह जानना चाहिए कि कौन सी ताकतें राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम कर रही हैं। सेठी ने कहा कि भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले भारतीय जम्मू-कश्मीर में बस नहीं सकते, लेकिन इन अवैध प्रवासियों को सिर्फ धर्म के आधार पर वहां बसने दिया गया है। यह लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब बसे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इन्हें राजनीतिक साजिश के तहत वोट बैंक बनाने के लिए बसाया गया।

बता दें कि जम्मू और आसपास के शहरों में लगातार रोहिंग्या घुसपैठ कर रहे हैं। इनकी संख्या बढ़कर 13,700 से अधिक हो गई है। रोहिंग्या जम्मू के दूर-दराज के पहाड़ी जिलों तक पहुंचने में भी कामयाब हो गए हैं। अब जम्मू में रोहिंग्याओं की जनगणना हो रही है। इसी क्रम में रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। प्रशासन ने 400 से अधिक रोहिंग्या परिवारों के बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए हैं।

वहीं, नेकां रोहिंग्याओं के समर्थन में डटी दिख रही है।बढ़ते विवाद के बीच मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें भूख और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि राज्य में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी और बिजली जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इन शरणार्थियों को भारत सरकार यहां लाई है। हम उन्हें यहां नहीं लाए। सरकार ने उन्हें यहां बसाया है और जब तक वे यहां हैं, ये हमारी ड्यूटी है कि उन्हें पानी और बिजली मुहैया कराएं।

सरकार के प्रवक्ता बन गए हैं धनखड़, खुद को बताते हैं आरएसएस का एकलव्य”, उपराष्ट्रपति पर खरगे का हमला
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* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति पर जमकर निशाना साधा। खरगे ने कहा कि सबापति को निष्पक्ष होना चाहिए। सभापति राजनीति से परे होते हैं। उन्होंने पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। खरगे ने आगे कहा कि आज सदन में चर्चा कम और राजनीति ज्यादा हो रही है। उनके आचरण से देश की गरिमा को नुकसान पहुंचा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं। *धनखड़ का आचरण संविधान के विपरीत-खरगे* कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। 1952 से अब तक किसी उप राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया, क्योंकि सभी निष्पक्ष रहे और नियमों के मुताबिक सदन चलाया। लेकिन आज सदन में नियमों को छोड़कर राजनीति हो रही है। खरगे ने कहा, पिछले 3 सालों में उनका आचरण संविधान के विपरीत रहा है, उनका ध्यान सरकार की तारीफ करने में ज्यादा रहा है, सदन के अंदर कभी वह आरएसएस की तारीफ करते हैं, कभी सरकार की। *सदन नहीं चलने का कारण हमारे सभापति -खरगे* खरगे ने आगे कहा कि विपक्षी दलों को अपने विरोधी की तरह वह देखते हैं। उन्होंने कहा, संसद में विपक्षी पार्टियों की आवाज योजनाबद्ध तरीके से रोकते हैं। विपक्ष की आवाज को दबाने का काम राज्यसभा के सभापति करते हैं। सदन अगर नहीं चलता है तो उसका कारण हमारे सभापति हैं। रूलिंग पार्टी और चेयरमैन की तरफ से ज्यादा गतिरोध होता है। आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, सभापति ही संरक्षक होता है। अगर वही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा। उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है। *सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं-खरगे* कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं।सदन में एक्सपीरियंस नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं की भी सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं, प्रवचन सुनाते हैं। अपोजिशन पार्टी के लोग 5 मिनट बोलें, वो 10 मिनट उस पर टिप्पणी करते हैं। *चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं-खरगे* खरगे ने कहा कि कन्नड़ में कहते हैं कि खुद बाड़ी लगा रहे हैं फसलों की सुरक्षा के लिए और बाड़ी ही खेत को खा रही है तो रक्षा कौन करेगा। हम सुरक्षा उनसे मांगते हैं, अपेक्षा उनसे करते हैं। वे ध्यान नहीं देते, रूलिंग पार्टी के मेंबर्स को कहने के लिए इशारा करते हैं। जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं। उनके आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लाना पड़ा।
पंजाब में सुखबीर बादल पर हमलाःक्या पनपने लगी हैं कट्टरपंथी आतंकी ताकतें?

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शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर हाल ही में जानलेवा हमला हुआ। सुखबीर सिंह बादल स्वर्ण मंदिर के बाहर धार्मिक अनुष्ठान के दौरान हे हमले मे बाल-बाल बच गए। राजनीतिक हस्तियों पर हमले और पुलिस स्टेशनों के पास विस्फोटों सहित अमृतसर में हाल की हिंसक घटनाओं ने पंजाब में संभावित अशांति के बारे में सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ा दी है। 24 नवंबर को पुलिस ने अजनाला पुलिस स्टेशन के बाहर एक संदिग्ध बम जैसी वस्तु जब्त की। इसके बाद 29 नवंबर को गुरबख्श नगर में एक परित्यक्त पुलिस चौकी पर बम विस्फोट हुआ। इसके बाद बुधवार को शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल पर हमला हुआ। सिर्फ 13 घंटे बाद, पवित्र शहर के मजीठिया पुलिस चौकी पर एक संदिग्ध विस्फोट हुआ।

एक के बाद हुई इन घटनाओं के बाद प्रश्न खड़े हो रहे हैं। सवाल उठ रहे है कि ये कट्टरपंथी आतंकवाद की शुरुआत तो नहीं है? इस घटना के बाद पंजाब के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी के अनुसार,ये सनसनीखेज हत्या की कोशिश लगभग दो दशकों से पंजाब में पनप रहे असंतोष और धार्मिक उग्रवाद की अभिव्यक्ति थी। हमलावर अतीत में हत्या, हत्या का प्रयास, हथियार और विस्फोटक रखने तथा उग्रवाद जैसे गंभीर अपराधों में शामिल रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान स्थित सिख आतंकवादी संगठनों के नेतृत्व के साथ लगातार संपर्क में था।

उन्होंने कहा कि पुलिस चौकी और पुलिस स्टेशन पर हमले कानून प्रवर्तन को कमजोर करने और भय और अस्थिरता का माहौल बनाने के लिए सोची-समझी कोशिश का संकेत देते हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर शिअद के साथ, पंजाब की आबादी का पारंपरिक पंथिक (सिख) वर्ग खुद को स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल या गुरचरण सिंह तोहरा जैसे मजबूत नेता की कमी महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा, "सुखबीर इस नेतृत्व की कमी को भरने में सक्षम नहीं हैं। दूसरी ओर, शिअद खुद न केवल कमजोर है, बल्कि एक विभाजित घर भी है। एकजुट नेतृत्व की यह कमी राष्ट्र-विरोधी खालिस्तानी तत्वों के फिर से उभरने का मार्ग प्रशस्त कर रही है।"

एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने कहा कि 1993 के बाद पैदा हुए लोग पिछले दो दशकों में झूठ पर पल रहे थे कि उग्रवाद के दौर में 1.5 लाख लोग मारे गए थे। जबकि मरने वालों की वास्तविक संख्या लगभग 22,000 थी। इसमें 1,800 पुलिस कर्मी शामिल थे। उस समय सख्त पुलिस कार्रवाई और उदारवादी आवाजों के प्रभुत्व के कारण सिख उग्रवाद खत्म हो गया था। पिछले कुछ समय से सिमरनजीत सिंह मान जैसे कट्टरपंथी आवाजों ने चुनाव लड़कर अपना लोकप्रिय आधार बनाया। साथ ही वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह जैसे कट्टरपंथी नेताओं का उदय इस बात का सबूत है कि पंजाब में खालिस्तान समर्थक भावनाएं बढ़ रही हैं।

कहा जा रहा है कि ये लोग सोशल मीडिया का उपयोग नई पीढ़ी को प्रभावित करने और उन्हें प्रभावित करने के लिए एक साधन के रूप में कर रहे थे। ये उन लोगों के लिए है जिन्हें यह याद नहीं है कि सिख आतंकवाद के चरम पर उनके परिवारों ने किस तरह से कष्ट झेले थे। एक अन्य अधिकारी ने कहा, "पंजाब के कृषकों के वर्चस्व वाले किसानों के विरोध/अशांति के मद्देनजर 'कट्टरपंथी उग्रवाद' की भावना को बल मिला है।

'कट्टरपंथी उग्रवाद' वाली सोच को पाकिस्तान की तरफ से भी बढ़ावा मिल रहा है।पाकिस्तान ने न केवल पिछले कई वर्षों से बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे प्रमुख खालिस्तान समर्थक संगठनों के नेतृत्व को पनाह दी, बल्कि सिख फॉर जस्टिस के 'खालिस्तान रेफरेंडम 2020' जैसी परियोजनाओं के माध्यम से खालिस्तान समर्थक विचारधारा को बढ़ावा देना जारी रखा।पाकिस्तान समर्थित तत्व सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते हैं। ये हथियारों की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित करते हैं।