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अफगानिस्तान के काबुल में भीषण धमाका, तालिबान सरकार के मंत्री हक्कानी समेत 12 की मौत

#afghanistan_explosion_in_kabul_taliban_minister_khalil_haqqani_killed

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को बड़ा बम धमाका हुआ। धमाके में तालिबान के शरणार्थी और पुनर्वास मंत्री खलील हक्कानी की मौत हो गई। धमाके में खलील के अलावा 12 लोग भी मारे गए हैं। खलील हक्कानी हक्कानी नेटवर्क के एक सीनियर सदस्य थे। तालिबान के आंतरिक मंत्री और वरिष्ठ नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा भी थे। खलील हक्कानी अफगानिस्तान में आने वाले शरणार्थियों की समस्या को संभाल रहे थे।

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को एक आत्मघाती बम धमाके में तालिबान सरकार में शरणार्थी मामलों के मंत्री की मौत हो गई। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। अधिकारियों ने बताया कि विस्फोट मंत्रालय के अंदर हुआ और शरणार्थी मामलों के मंत्री खलील हक्कानी की मौत हो गई। महेल में हक्कानी और उनके 3 बॉडीगार्ड्स समेत 12 लोगों की मौत हो गई।

विस्फोट के बाद मंत्रालय परिसर में अफरातफरी का माहौल बन गया। धमाके की वजह से कई लोग घायल भी हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धमाके में आत्मघाती हमलावर की भी मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं। तालिबान सरकार ने इस हमले की निंदा की है और कहा है कि इस हमले का मकसद उनके नेतृत्व को अस्थिर करना था। तालिबान ने इस हमले के पीछे किसी खास समूह या संगठन का नाम नहीं लिया है।

राजधानी काबुल में मंत्रालय के परिसर में यह विस्फोट कैसे हुआ और किन लोगों ने अंजाम दिया इसे लेकर फिलहाल ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है।शुरुआती रिपोर्टों से दावा किया जा रहा है कि यह हमला इस्लामिक स्टेट और तालिबान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच एक टारगेटेड अटैक हो सकता है, हालांकि इस मामले में अभी तक किसी संगठन का हाथ सामने नहीं आया है।

महाराष्ट्र के परभणी में भड़की हिंसा, संविधान के अपमान को लेकर आगजनी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े

#maharashtraruckusviolencearsonin_parbhani

महाराष्ट्र के परभणी से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां कुछ उपद्रवी तत्वों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान का अपमान किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। नाराज भीड़ ने इलाके में कई जगह आगजनी की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। महाराष्ट्र के परभणी में संविधान के अपमान को लेकर कल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई।

क्यों भड़की परभणी में हिंसा?

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसी उपद्रवी ने परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास रखी संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद आगजनी और पथराव हुए। इसके विरोध में कई संगठनों ने शहर में बंद की अपील की थी। बंद के दौरान अचानक लोग भड़क गए। उपद्रवियों ने कई जगहों पर आगजनी शुरू कर दी। पुलिस ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

24 घंटे के अंदर आरोपी के गिरफ्तारी की मांग

पुलिस के मुताबिक, बंद कराने उतरे लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बहुजन विकास अघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने 24 घंटे के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वालों की गिरफ्तारी की मांग की है।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने की अपील

इस बीच वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने भी ममाले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ठपरभणी में जातिवादी मराठा उपद्रवियों की ओर से बाबासाहेब की प्रतिमा पर भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाना बहुत ही शर्मनाक है। यह पहली बार नहीं है जब बाबासाहेब की प्रतिमा या दलित पहचान के प्रतीक पर इस तरह की तोड़फोड़ की गई हो। उन्होंने कहा, वीबीए परभणी जिले के कार्यकर्ता सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और उनके विरोध प्रदर्शन के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उपद्रवियों में से एक को गिरफ्तार किया। मैं सभी से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। अगर अगले 24 घंटों के भीतर सभी उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे।

रोहिंग्याओं पर कश्मीर में मची रार, प्रशासन ने काटे घुसपैठियों के घरों के बिजली-पानी कनेक्शन, नेकां ने समर्थन में उठायी आवाज

#big_action_against_rohingya_infiltrators_in_jammu_and_kashmir

जम्मू में रोहिंग्याओं को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। प्रशासन ने 400 से अधिक रोहिंग्या परिवारों के बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए हैं। जम्मू में रोहिंग्या आबादी में वृद्धि का संकेत देने वाली खुफिया रिपोर्टों के बाद रोहिंग्याओं के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं को बसाने के मुद्दे पर भाजपा आक्रामक रुख अपनाए है। बीजेपी ने इस मामले में नेशनल कांन्फ्रेंस और कांग्रेस को घेरा है। साथ ही रोहिंग्याओं को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बता उन्हें जम्मू-कश्मीर से निकालने के साथ इन्हें यहां बसाने वालों के खिलाफ जांच की मांग उठा रही है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि इन शरणार्थियों को भारत सरकार यहां लाई है।

एक दिन पहले भाजपा ने जम्मू में रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थियों के बसाए जाने को ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ बताया था। भाजपा ने कहा था कि जो लोग ऐसा होने दे रहे हैं, उनकी पहचान करने के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अधिवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि भाजपा उपराज्यपाल से सीबीआई जांच शुरू करने और इस साजिश की व्यापक जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह करेगी। यह पता लगाया जाना चाहिए कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोगों को लाकर जम्मू में किसने बसाया, और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने और जेल सहित कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

सेठी ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोगों का बसना उसी समय शुरू हुआ जब 1990 के दशक में इस क्षेत्र में आतंकवाद शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी साजिश है जिसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। इसके पीछे सभी ताकतों को बेनकाब किया जाना चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। भाजपा उन लोगों की निंदा करती है जो धार्मिक आधार पर इन व्यक्तियों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने रोहिंग्याओं को बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इन संगठनों के लिए धन के स्रोतों पर सवाल उठाया।

सेठी ने कहा कि बीजेपि लगातार सवाल उठा रही है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से भारतीय सीमा में कैसे घुसे, हजारों किलोमीटर का सफर करके और आधा दर्जन राज्यों को पार कर जम्मू में कैसे बसे। सेठी ने दावा किया कि यह पाकिस्तान से लगे इंटरनेशनल बॉर्डर के पास जम्मू में इन शरणार्थियों को बसाने की साजिश है। देश को यह जानना चाहिए कि कौन सी ताकतें राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम कर रही हैं। सेठी ने कहा कि भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले भारतीय जम्मू-कश्मीर में बस नहीं सकते, लेकिन इन अवैध प्रवासियों को सिर्फ धर्म के आधार पर वहां बसने दिया गया है। यह लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब बसे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इन्हें राजनीतिक साजिश के तहत वोट बैंक बनाने के लिए बसाया गया।

बता दें कि जम्मू और आसपास के शहरों में लगातार रोहिंग्या घुसपैठ कर रहे हैं। इनकी संख्या बढ़कर 13,700 से अधिक हो गई है। रोहिंग्या जम्मू के दूर-दराज के पहाड़ी जिलों तक पहुंचने में भी कामयाब हो गए हैं। अब जम्मू में रोहिंग्याओं की जनगणना हो रही है। इसी क्रम में रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। प्रशासन ने 400 से अधिक रोहिंग्या परिवारों के बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए हैं।

वहीं, नेकां रोहिंग्याओं के समर्थन में डटी दिख रही है।बढ़ते विवाद के बीच मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें भूख और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि राज्य में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी और बिजली जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इन शरणार्थियों को भारत सरकार यहां लाई है। हम उन्हें यहां नहीं लाए। सरकार ने उन्हें यहां बसाया है और जब तक वे यहां हैं, ये हमारी ड्यूटी है कि उन्हें पानी और बिजली मुहैया कराएं।

सरकार के प्रवक्ता बन गए हैं धनखड़, खुद को बताते हैं आरएसएस का एकलव्य”, उपराष्ट्रपति पर खरगे का हमला
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* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति पर जमकर निशाना साधा। खरगे ने कहा कि सबापति को निष्पक्ष होना चाहिए। सभापति राजनीति से परे होते हैं। उन्होंने पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। खरगे ने आगे कहा कि आज सदन में चर्चा कम और राजनीति ज्यादा हो रही है। उनके आचरण से देश की गरिमा को नुकसान पहुंचा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं। *धनखड़ का आचरण संविधान के विपरीत-खरगे* कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। 1952 से अब तक किसी उप राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया, क्योंकि सभी निष्पक्ष रहे और नियमों के मुताबिक सदन चलाया। लेकिन आज सदन में नियमों को छोड़कर राजनीति हो रही है। खरगे ने कहा, पिछले 3 सालों में उनका आचरण संविधान के विपरीत रहा है, उनका ध्यान सरकार की तारीफ करने में ज्यादा रहा है, सदन के अंदर कभी वह आरएसएस की तारीफ करते हैं, कभी सरकार की। *सदन नहीं चलने का कारण हमारे सभापति -खरगे* खरगे ने आगे कहा कि विपक्षी दलों को अपने विरोधी की तरह वह देखते हैं। उन्होंने कहा, संसद में विपक्षी पार्टियों की आवाज योजनाबद्ध तरीके से रोकते हैं। विपक्ष की आवाज को दबाने का काम राज्यसभा के सभापति करते हैं। सदन अगर नहीं चलता है तो उसका कारण हमारे सभापति हैं। रूलिंग पार्टी और चेयरमैन की तरफ से ज्यादा गतिरोध होता है। आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, सभापति ही संरक्षक होता है। अगर वही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा। उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है। *सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं-खरगे* कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं।सदन में एक्सपीरियंस नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं की भी सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं, प्रवचन सुनाते हैं। अपोजिशन पार्टी के लोग 5 मिनट बोलें, वो 10 मिनट उस पर टिप्पणी करते हैं। *चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं-खरगे* खरगे ने कहा कि कन्नड़ में कहते हैं कि खुद बाड़ी लगा रहे हैं फसलों की सुरक्षा के लिए और बाड़ी ही खेत को खा रही है तो रक्षा कौन करेगा। हम सुरक्षा उनसे मांगते हैं, अपेक्षा उनसे करते हैं। वे ध्यान नहीं देते, रूलिंग पार्टी के मेंबर्स को कहने के लिए इशारा करते हैं। जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं। उनके आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लाना पड़ा।
पंजाब में सुखबीर बादल पर हमलाःक्या पनपने लगी हैं कट्टरपंथी आतंकी ताकतें?

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शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर हाल ही में जानलेवा हमला हुआ। सुखबीर सिंह बादल स्वर्ण मंदिर के बाहर धार्मिक अनुष्ठान के दौरान हे हमले मे बाल-बाल बच गए। राजनीतिक हस्तियों पर हमले और पुलिस स्टेशनों के पास विस्फोटों सहित अमृतसर में हाल की हिंसक घटनाओं ने पंजाब में संभावित अशांति के बारे में सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ा दी है। 24 नवंबर को पुलिस ने अजनाला पुलिस स्टेशन के बाहर एक संदिग्ध बम जैसी वस्तु जब्त की। इसके बाद 29 नवंबर को गुरबख्श नगर में एक परित्यक्त पुलिस चौकी पर बम विस्फोट हुआ। इसके बाद बुधवार को शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल पर हमला हुआ। सिर्फ 13 घंटे बाद, पवित्र शहर के मजीठिया पुलिस चौकी पर एक संदिग्ध विस्फोट हुआ।

एक के बाद हुई इन घटनाओं के बाद प्रश्न खड़े हो रहे हैं। सवाल उठ रहे है कि ये कट्टरपंथी आतंकवाद की शुरुआत तो नहीं है? इस घटना के बाद पंजाब के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी के अनुसार,ये सनसनीखेज हत्या की कोशिश लगभग दो दशकों से पंजाब में पनप रहे असंतोष और धार्मिक उग्रवाद की अभिव्यक्ति थी। हमलावर अतीत में हत्या, हत्या का प्रयास, हथियार और विस्फोटक रखने तथा उग्रवाद जैसे गंभीर अपराधों में शामिल रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान स्थित सिख आतंकवादी संगठनों के नेतृत्व के साथ लगातार संपर्क में था।

उन्होंने कहा कि पुलिस चौकी और पुलिस स्टेशन पर हमले कानून प्रवर्तन को कमजोर करने और भय और अस्थिरता का माहौल बनाने के लिए सोची-समझी कोशिश का संकेत देते हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर शिअद के साथ, पंजाब की आबादी का पारंपरिक पंथिक (सिख) वर्ग खुद को स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल या गुरचरण सिंह तोहरा जैसे मजबूत नेता की कमी महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा, "सुखबीर इस नेतृत्व की कमी को भरने में सक्षम नहीं हैं। दूसरी ओर, शिअद खुद न केवल कमजोर है, बल्कि एक विभाजित घर भी है। एकजुट नेतृत्व की यह कमी राष्ट्र-विरोधी खालिस्तानी तत्वों के फिर से उभरने का मार्ग प्रशस्त कर रही है।"

एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने कहा कि 1993 के बाद पैदा हुए लोग पिछले दो दशकों में झूठ पर पल रहे थे कि उग्रवाद के दौर में 1.5 लाख लोग मारे गए थे। जबकि मरने वालों की वास्तविक संख्या लगभग 22,000 थी। इसमें 1,800 पुलिस कर्मी शामिल थे। उस समय सख्त पुलिस कार्रवाई और उदारवादी आवाजों के प्रभुत्व के कारण सिख उग्रवाद खत्म हो गया था। पिछले कुछ समय से सिमरनजीत सिंह मान जैसे कट्टरपंथी आवाजों ने चुनाव लड़कर अपना लोकप्रिय आधार बनाया। साथ ही वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह जैसे कट्टरपंथी नेताओं का उदय इस बात का सबूत है कि पंजाब में खालिस्तान समर्थक भावनाएं बढ़ रही हैं।

कहा जा रहा है कि ये लोग सोशल मीडिया का उपयोग नई पीढ़ी को प्रभावित करने और उन्हें प्रभावित करने के लिए एक साधन के रूप में कर रहे थे। ये उन लोगों के लिए है जिन्हें यह याद नहीं है कि सिख आतंकवाद के चरम पर उनके परिवारों ने किस तरह से कष्ट झेले थे। एक अन्य अधिकारी ने कहा, "पंजाब के कृषकों के वर्चस्व वाले किसानों के विरोध/अशांति के मद्देनजर 'कट्टरपंथी उग्रवाद' की भावना को बल मिला है।

'कट्टरपंथी उग्रवाद' वाली सोच को पाकिस्तान की तरफ से भी बढ़ावा मिल रहा है।पाकिस्तान ने न केवल पिछले कई वर्षों से बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे प्रमुख खालिस्तान समर्थक संगठनों के नेतृत्व को पनाह दी, बल्कि सिख फॉर जस्टिस के 'खालिस्तान रेफरेंडम 2020' जैसी परियोजनाओं के माध्यम से खालिस्तान समर्थक विचारधारा को बढ़ावा देना जारी रखा।पाकिस्तान समर्थित तत्व सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते हैं। ये हथियारों की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित करते हैं।

हम संसद चलने देंगे…लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद बोले राहुल, रखी ये मांग*
#rahul_gandhi_meets_speaker_with_request_to_expunge_remarks_against_him संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों का हंगामा जारी है। देश की संसद आज एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के टकराव के कारण ठप रही। इसी बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की है। मुलाकात के दौरान राहुल ने स्पीकर के सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं। राहुल ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मुलाकात की और कार्यवाही से अपमानजनक बातें हटाने की मांग की। राहुल ने कहा कि हमारा मकसद है कि संसद चले, सदन में चर्चा हो। वे (सत्ता पक्ष) मुझे क्या कहते हैं, ये मायने नहीं रखता। हम चाहते हैं कि 13 दिसंबर को संविधान पर चर्चा हो। वे अडानी पर चर्चा नहीं चाहते, लेकिन हम ये छोड़ेंगे नहीं। वे हम पर आरोप लगाते रहेंगे, लेकिन सदन चलना चाहिए। स्पीकर ने कहा कि वे इस पर गौर करेंगे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, संविधान दिवस चर्चा में राहुल गांधी भी बोलेंगे। इसको लेकर समय तय किया जाएगा. कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह संभवतः चर्चा की शुरुआत करेंगे। उसके बाद राहुल गांधी बोल सकते हैं। समय को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इधर, राज्यसभा में सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामा हुआ। राज्यसभा पहले 12 बजे तक, फिर 12 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। बता दें कि विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। नोटिस पर 60 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इनमें कांग्रेस, टीएमसी, सपा सांसदों के नाम हैं। नोटिस में धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाया गया है। राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है, ये सामने आना चाहिए।भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि दो दिन से हमारे लोग इस बात को उठा रहे हैं कि जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का सवाल है। यह देश की संप्रभुता पर भी प्रश्नचिह्न है। हम सोरोस पर इसलिए बात करना चाहते हैं, क्योंकि हम आम आदमी के लिए प्रतिबद्ध हैं। चेयर पर आरोप लगाकर अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया। यह मुद्दे को भटकाने के लिए कुत्सित प्रयास है।
हम संसद चलने देंगे…लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद बोले राहुल, रखी ये मांग

#rahul_gandhi_meets_speaker_with_request_to_expunge_remarks_against_him

संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों का हंगामा जारी है। देश की संसद आज एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के टकराव के कारण ठप रही। इसी बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की है। मुलाकात के दौरान राहुल ने स्पीकर के सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं।

राहुल ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मुलाकात की और कार्यवाही से अपमानजनक बातें हटाने की मांग की। राहुल ने कहा कि हमारा मकसद है कि संसद चले, सदन में चर्चा हो। वे (सत्ता पक्ष) मुझे क्या कहते हैं, ये मायने नहीं रखता। हम चाहते हैं कि 13 दिसंबर को संविधान पर चर्चा हो। वे अडानी पर चर्चा नहीं चाहते, लेकिन हम ये छोड़ेंगे नहीं। वे हम पर आरोप लगाते रहेंगे, लेकिन सदन चलना चाहिए। स्पीकर ने कहा कि वे इस पर गौर करेंगे।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, संविधान दिवस चर्चा में राहुल गांधी भी बोलेंगे। इसको लेकर समय तय किया जाएगा. कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह संभवतः चर्चा की शुरुआत करेंगे। उसके बाद राहुल गांधी बोल सकते हैं। समय को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।

इधर, राज्यसभा में सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामा हुआ। राज्यसभा पहले 12 बजे तक, फिर 12 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। बता दें कि विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। नोटिस पर 60 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इनमें कांग्रेस, टीएमसी, सपा सांसदों के नाम हैं। नोटिस में धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाया गया है।

राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है, ये सामने आना चाहिए।भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि दो दिन से हमारे लोग इस बात को उठा रहे हैं कि जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का सवाल है। यह देश की संप्रभुता पर भी प्रश्नचिह्न है। हम सोरोस पर इसलिए बात करना चाहते हैं, क्योंकि हम आम आदमी के लिए प्रतिबद्ध हैं। चेयर पर आरोप लगाकर अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया। यह मुद्दे को भटकाने के लिए कुत्सित प्रयास है।

बेंगलुरु में इंजीनियर ने की खुदकुशी, छोड़ गया 90 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का नोट, न्यायिक व्यवस्था पर उठाया सवाल

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बेंगलुरु में एक एआई इंजीनियर ने आत्महत्या कर ली। पत्नी व उसके परिवार की प्रताड़ना और दो वर्ष में कोर्ट की 120 तारीखें इसके बावजूद न्याय न मिलने के कारण 34 वर्षीय आईटी पेशेवर अतुल सुभाष ने मौत को चुना। आत्महत्या को अंतिम विकल्प मानते हुए अतुल ने दुनिया से जाने से पहले करीब डेढ़ घंटे का वीडियो व 24 पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें शादीशुदा जिंदगी के सामाजिक तानेबाने की खामियां, साथी के लालच और षड्यंत्र की दास्तां, कानूनी महकमे में भ्रष्टाचार को उजागर किया।

उत्तर प्रदेश के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे। अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ। पड़ोसियों ने उनके घर का दरवाजा तोड़ा तो उनकी बॉडी फंदे पर लटकी मिली। कमरे में ‘जस्टिस इज ड्यू’ (न्याय बाकी है) लिखी एक तख्ती मिली। अतुल के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने अतुल की पत्नी और पत्नी के परिवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है।

खुदकुशी से पहले उन्होंने 24 पन्ने का एक सुसाइड नोट लिखा था। साथ ही एक वीडियो भी शेयर किया। जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है। वीडियो के सामने आने के बाद से ही इस केस में कई सवाल उठ रहे हैं। आत्महत्या करने के समय अतुल ने जो टीर्शट पहनी हुई थी, उस पर लिखा था ‘जस्टिस इज ड्यू’...आत्महत्या करने से पहले अतुल ने डेढ घंटे के वीडियो और 24 पन्नों की चिट्ठी में पत्नी, ससुरालवालों और न्यायिक व्यवस्था को जिम्मेदार कहा है। वीडियो में उन्होंने अपनी आपबीती बताई। अतुल ने ये भी मांग की थी कि अगर उन्हें प्रताड़ित करने वाले बरी हो जाएं तो अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं।

पत्नी समेत पांच लोगों को बताया अपनी मौत का जिम्मेदार

अतुल ने कहा- मेरी मौत के जिम्मेदार पांच लोग हैं। जौनपुर प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट जज रीता कौशिक, पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, मेरा साला अनुराग सिंघिया उर्फ पीयूष सिंघानिया, चाचा ससुर सुशील सिंघानिया। आज मैं बताऊंगा कि मेरे बूढ़े-माता पिता और मेरे भाई पर कितने केस डाले गए हैं। हमें कैसे प्रताड़ित किया गया है। हमसे कितने पैसे ऐंठे गए हैं और कैसे मुझे सुसाइड के लिए मजबूर करने की इनडायरेक्ट कोशिश की गई है। ऐसे हालात बना दिए गए हैं कि मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है।

2 साल में 120 बार पेशी के लिए बेंगलुरु से जौनपुर आए

अतुल ने बताया कि 2 साल में उन्हें 120 बार पेशी पर जाना पड़ा था। 40 बार मैं कोर्ट डेट्स को अटेंड करने के लिए मैं बेंगलुरु से जौनपुर जा चुका हूं। इसके अलावा मेरे माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं। एक कोर्ट डेट अटेंड करने के लिए मुझे दो दिन का समय लगता है। मुझे साल में सिर्फ 23 छुट्टियां मिलती हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मेरे लिए कितना मुश्किल होता होगा। ज्यादातर डेट्स पर कुछ नहीं होता है, या तो जज छुट्टी पर होते हैं, या वकीलों की हड़ताल होती है या फिर दूसरा वकील अगली डेट की डिमांड कर सकता है। यानि आप बस अपना समय बर्बाद करते हो कोर्ट जाकर।

जौनपुर की एक जज पर भी गंभीर आरोप

अतुल ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक जज पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने लेटर में लिखा है कि जज ने मामले को रफा-दफा करने के नाम पर 5 लाख रुपए मांगे थे। अतुल ने यह भी लिखा कि उनकी पत्नी और सास ने उन्हें सुसाइड करने को कहा था और इस पर उक्त जज हंस पड़ी थी।

अतुल ने अपने लेटर में राष्ट्रपति के नाम भी नोट लिखा

अतुल सुभाष ने 24 पेज के लेटर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम भी एक लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामियों के बारे में लिखा और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराने के ट्रेंड के बारे में बताया। एक अन्य नोट में उन्होंने लिखा कि वे अपनी पत्नी की तरफ से दायर कराए गए सभी मामलों के लिए खुद को निर्दोष बता रहे हैं। इनमें दहेज प्रतिरोध कानून और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का केस शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट से रिक्वेस्ट करता हूं कि इन झूठे केसों में मेरे माता-पिता और भाई को परेशान करना बंद करें।

अतुल की आखिरी इच्छा- मुझे न्याय न मिले तो अस्थियां गटर में बहा दें

अतुल ने अपनी आखिरी इच्छा में लिखा- मेरे केस की सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट हो। पत्नी मेरा शव न छू सके। जब तक प्रताड़ित करने वालों को सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न हों। यदि भ्रष्ट जज, मेरी पत्नी और उसके परिजन को कोर्ट बरी कर दे तो मेरी अस्थियां उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दी जाएं। मेरे बेटे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए।

भारत-रूस की दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची”, मॉस्को में पुतिन से मिलकर बोले राजनाथ सिंह, एस-400 की डिलीवरी पर भी बात*
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस क दौरे पर हैं। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह बैठक भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) के 21वें सत्र के अवसर पर हुई।दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की। इस दौरान भारतीय रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-रूस में साझेदारी की अपार संभावनाएं हैं। बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, भारत-रूस के बीच दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे महासागर से भी गहरी है। भारत हमेशा अपने रूसी मित्रों के साथ खड़ा रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहेगा। बैठक के बारे में भारत की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं और मिलकर किए जाने वाले प्रयास उल्लेखनीय परिणामों का मार्ग प्रशस्त करेंगे। रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं। रक्षा मंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा कि मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके खुशी हुई। *एस-400 मिसाइल की डिलीवर पर जोर* पुतिन से मुलाकात से पहले राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मुलाकात की थी। इस दौरान राजनाथ सिंह ने सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल सिस्टम की दो बची हुई यूनिट की जल्द डिलीवर पर जोर दिया। भारत और रूस के बीच 2018 में एस -400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर डील हुई थी। इस डील के तहत, रूस भारत को अब तक 3 यूनिट एस -400 सौंप चुका है। ये चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात हैं। एस -400, रूस का एक लंबी दूरी का मिसाइल सिस्टम है। इसे 400 किलोमीटर की दूरी तक विमान, ड्रोन, और मिसाइलों का पता लगाने, ट्रैक करने, और नष्ट करने के लिए बनाया गया है। *रूस ने भारत को सौंपा आईएनएस तुशिल* रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर 2024 तक रूस की यात्रा पर हैं। रक्षा मंत्री ने सोमवार को कालिनिनग्राद का दौरा भी किया, जहां पर वह आईएनएस तुशिल की फ्लैग रेजिंग सेरेमनी में शामिल हुए। यह जंगी जहाज एक स्टेल्थ फ्रिगेट है। जिसमें कई एडवांस सिस्टम और मल्टी-रोल वेपन सिस्टम लगे हुए हैं। इससे भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। आईएनएस तुशिल जंगी जहाज प्रोजेक्ट 11356 के तहत भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और रूस में अक्टूबर 2016 में 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 21 हजार करोड़ रुपए) की डील हुई थी। इसमें से 2 युद्धपोत का निर्माण रूस (यंतर शिपयार्ड) में और 2 का निर्माण (गोवा शिपयार्ड) में होना है। तुशिल की डिलीवरी करने के बाद रूस भारत को जून-जुलाई 2025 में तमाल सौंपेगा।
आप ने दिया कांग्रेस को जोर का झटका, केजरीवाल ने कांग्रेस संग गठबंधन की अटकलों पर लगाया विराम

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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलों को अरविंद केजरीवाल ने खारिज किया है। केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी दिल्ली अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना नहीं है।

दरअसल, न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात अंतिम चरण में है। गठबंधन में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के अलावा इंडिया गठबंधन के कुछ अन्य दलों को भी शामिल करने की बात सामने आई। कहा जा रहा था कि कांग्रेस को 15 सीटें और अन्य इंडिया गठबंधन सदस्यों को 1 या 2 सीटें मिल सकती हैं। बाकी सीटों पर आम आदमी पार्टी खुद चुनाव लड़ेगी।

एएनआई के दावे पर अरविंद केजरीवाल ने खंडन किया है। केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक पर एनआई के पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा, 'आम आदमी पार्टी दिल्ली में इस चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ गठबंधन को कोई संभावना नहीं है।'

आप-कांग्रेस गठबंधन की लग रहीं थी अटकलें

बता दें कि मंगलवार को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू हुई थी। सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई थी कि दिल्ली कांग्रेस के नेता आप के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। इसके बाद आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के नेता पहुंचे शरद पवार के घर पहुंचे। जिसके बाद ये कयास लगने और तेज हो गए कि दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है।

कांग्रेस के पास अकेले लड़ने की “ताकत” नहीं

इससे पहले भी अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर चुके हैं।आम आदमी पार्टी भले ही दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनों से लगातार इनकार कर रही है, लेकिन कांग्रेस अपने सियासी ताकत को समझ रही हैं। कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि अकेले चुनाव लड़ने पर कोई लाभ नहीं होने वाला है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मुस्लिम और दलित दोनों ही कांग्रेस से छिटक गया है और अपने-अपने कारणों से आम आदमी पार्टी के पास जा चुका है। कांग्रेस के कमजोर होने का सबसे बड़ी वजह यही रही और अब इसके चलते ही कांग्रेस के नेता भी दबी जुबान से मान रहे हैं कि बिना गठबंधन के कोई हल नहीं निकलने वाला, क्योंकि दिल्ली की चुनावी लड़ाई अब बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच केंद्रित हो गई है।

केजरीवाल के लिए आसान नहीं दिल्ली चुनाव

वैसे इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए काफी मुश्किल भरा माना जा रहा है। ऐसे में चौथी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की रेस में पार्टी को इस बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले पांच सालों में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, उन्हें जेल भी जाना पड़ा और केजरीवाल को सीएम पद से इस्तीफा देकर अतिशी को कमान सौंपनी पड़ी। ऐसे में आम आदमी पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को नजरअंदाज नहीं कर रही है।