11वीं बार भी नहीं घटा रेपो रेट, ईएमआई पर क्या होगा असर?
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश के आर्थिक विकास की रफ्तार की गति के धीमे पड़ने के बाद मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में बड़ा फैसला लिया है। तीन दिन तक चली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में हुए फैसलों को गवर्नर ने शुक्रवार को जनता के सामने रखा। पिछली 10 बार की बैठकों से अपरिवर्तित रहे रेपो रेट पर इस बार भी कोई फैसला नहीं हुआ, गवर्नर ने सारा जोर महंगाई को काबू करने पर दिया और अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कैश रिजर्व रेशियो 0.50 फीसदी घटा दिया है, जो अब 4 फीसदी हो गया।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी रेट का फैसला सुनाते हुए कहा कि रेपो रेट को फ्रीज रखा जाएगा। इसका मतलब है कि आरबीआई ने लगातार 11वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आखिरी बार ब्याज दरों में बदलाव फरवरी 2023 में किया था। जब ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। उसके बाद से रिजर्व बैंक की ओर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 4-2 बहुमत से ब्याज दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, जबकि एसडीएफ दर 6.25% और एमएसएफ दर 6.75% पर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का रुख तटस्थ बना हुआ है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से इस तटस्थ नीति रुख को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, जो वर्तमान आर्थिक स्थितियों के प्रति सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देता है।
शक्तिकांत दास ने कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) में में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का एलान किया है। सीआरआर को 4.50 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है। कैश रिजर्व रेश्यो में कटौती को दो चरणों में लागू किया जाएगा। इससे बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये का एडिशनल कैश आएगा।
सीआरआर किसी बैंक की कुल जमाराशि का वह प्रतिशत है जिसे उसे आरबीआई के पास नकदी के रूप में रखना होता है। सीआरआर का प्रतिशत आरबीआई द्वारा समय-समय पर निर्धारित किया जाता है। बैंकों को इस राशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से कम 5.4 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत देने वाले संकेतक समाप्त हो गए हैं। दास के अनुसार,आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत किया है। उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत देने वाले संकेतक अब समाप्त होने की स्थिति में हैं। एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार दबाव रहने से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि रबी उत्पादन से राहत मिलेगी।
एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर ने कहा कि आम आदमी को महंगाई से राहत दिलाना हमारी प्राथमिकता है, लेकिन देश की ग्रोथ रेट भी जरूरी है। लिहाजा एमपीसी ने अपने नजरिये को अब न्यूट्रल बना लिया है, जिसका मतलब है कि जैसा आगे माहौल होगा, उसी के हिसाब से रेपो रेट या फिर बैंकों के लोन रेट में कटौती की जाएगी। गवर्नर ने चिंता जताई कि तीसरी तिमाही में भी महंगाई से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही और चौथी तिमाही से ही जाकर इसमें कुछ नरमी आएगी। खास बात तो ये है कि ये बैठक आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की आखिरी बैठक है। उसके बाद फरवरी में होने वाली बैठक में नए गवर्नर दिखाई दे सकते हैं।
Dec 06 2024, 11:50