सरकारी अस्पताल में हुआ है ललन कुमार और लक्ष्मी कुमारी की कालाजार जांच और इलाज, बैंक खाते में मिला अनुदान
2017 से हो रहा था बुखार, कुछ महीने प्राइवेट दवाई लेने पर नहीं छूट रहा था बुखार, 2018 में के.नगर अस्पताल से इलाज कराने पर हुआ बुखार मुक्त : ललन कुमार -कुछ दिन से हो रहा था बुखार, पड़ोसी चाची ने कहा अस्पताल में जांच कराने : लक्ष्मी कुमारी -घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान में पीकेडीएल ग्रसित होने के पाए गए लक्षण : भीबीडीएस -कालाजार मरीजों की पहचान के लिए 27 नवंबर से 07 दिसंबर तक जिले में चल रहा कालाजार खोज अभियान पूर्णिया, 29 नवंबर "वर्ष 2017 में मेरी उम्र 18 वर्ष थी, जब मैं अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए पैसे कमाने जम्मू कश्मीर में काम करने चला गया था। वहाँ मैं सड़क बनाने के काम करता था और रात में कमरा में रहकर आराम करता था। एक दिन मुझे बहुत बुखार महसुस होने लगा। मैंने लोकल दुकान से दवाई लेकर खाया और वापस काम में चला गया। दवाई खाने से कुछ देर आराम मिलता फिर मुझे बुखार हो जाता था। कश्मीर में मैंने कुछ महीने वैसे ही गुजारे। फिर दिसंबर में नए साल होने और कश्मीर में बहुत ठंड लगने पर मैं फरवरी-मार्च 2018 में वापस अपने घर आ गया। यहां आने पर मैंने पूर्णिया में चल रहे सदर अस्पताल में डॉक्टर से अपनी जांच कराई तो डॉक्टरों द्वारा मुझे सामान्य दवाई देते हुए घर भेज दिया गया। उस दवाई के सेवन करने से कुछ समय बुखार ठीक रहता उसके बाद फिर से बुखार शुरू हो जाता। सदर अस्पताल के दवाई खत्म होने पर इस बार मैंने नजदीकी सरकारी अस्पताल के.नगर में डॉक्टर से दवाई लेने गया। वहां डॉक्टर ने मेरी खून लेकर जांच की। जांच के बाद डॉक्टर ने मुझे बताया कि मुझे कालाजार बीमारी हो गया है।
इसके कारण हमेशा बुखार लगने के साथ साथ मेरा वजन भी घट रहा है। डॉक्टर द्वारा मुझे कालाजार के इलाज के लिए वापस सदर अस्पताल भेजा गया। के.नगर अस्पताल के पर्चे पर मुझे सदर अस्पताल में डॉक्टर द्वारा जांच करते हुए इंजेक्शन लगाई गई। घर आने पर धीरे धीरे मेरा बुखार घटने लगा। मुझे लगा कुछ समय बाद दुबारा बुखार हो जाएगा लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। एक बार सदर अस्पताल में इलाज करवाने के 6-7 दिन बाद मैं बिल्कुल ठीक हो गया था। न ही मुझे दुबारा कभी लगातार बुखार आया और ना ही मुझे इतनी परेशानी हुई।" यह कहना है पूर्णिया जिले में के.नगर प्रखंड के गणेशपुर नया टोला चातर वार्ड नं 09 में रहने वाले मायाराम ऋषि के 25 वर्षीय पुत्र ललन कुमार ऋषि का। सरकारी अस्पताल से जांच और इलाज कराने पर न सिर्फ उन्हें होए कालाजार बीमारी से छुटकारा मिला बल्कि बीमारी के कारण काम नहीं करने पर उसे सरकार के ओर से श्रम क्षतिपूर्ति की सहयोग राशि भी बैंक खाते में उपलब्ध हो गई। ललन कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल से इलाज कराने पर अस्पताल कर्मियों द्वारा मेरा बैंक खाते की जानकारी ली गई। उस समय किसी बैंक में मेरा कोई खाता नहीं बना हुआ था।
तब अस्पताल कर्मी द्वारा मुझे सहयोग राशि का लाभ उठाने के लिए बैंक चेक दिया गया और बोला गया कि नया बैंक खाते बनाते हुए उसमें पैसे लगाने। फिर हमने बैंक खाता बनाते हुए उसमें चेक जमा किया जिसके बाद अस्पताल में दिया गया पैसा मेरे बैंक खाते में आ गया। उस समय मुझे अस्पताल से जांच और इलाज कराने पर 07 हजार 100 रुपया अस्पताल से दिया गया था। ललन कुमार ऋषि ने कहा कि बहुत दिन से बुखार होने पर लोगों को अपनी जांच सरकारी अस्पताल में कराना चाहिए। जांच में कालाजार होने पर अस्पताल में उसका सही इलाज बिना किसी खर्च के मिल जाएगा। इसके साथ साथ अस्पताल से इलाज कराने पर 07 हजार 100 रुपया सीधा बैंक खाते में मिल जाएगा। कुछ दिन से हो रहा था बुखार, पड़ोसी चाची ने कहा अस्पताल में जांच कराने : लक्ष्मी कुमारी के.नगर प्रखंड के गणेशपुर नया टोला चातर वार्ड नं 09 में ललन ऋषि के घर के पास वाले घर में रहने वाली विलक्षण ऋषि की पुत्री लक्ष्मी कुमारी ने कहा कि कुछ साल पहले मुझे भी बहुत बुखार रहता था। मेरे पिताजी द्वारा लोकल डॉक्टरों से दवाई लाकर मुझे दिया जाता था जिससे कुछ समय ठीक रहता था लेकिन फिर बुखार होने लगता था। इस दौरान मेरे घर में बगल में रहने वाली चाची ने कहा कि बहुत दिन से बुखार हो रहा है तो एक बार सरकारी अस्पताल में अपनी जांच करवाओ, कोई बीमारी होगा तो जल्दी इलाज हो जाएगा। चाची के कहने पर पिताजी द्वारा मुझे सरकारी अस्पताल के.नगर में जांच कराई गई। खून जांच होने पर पता चला कि मुझे कालाजार बीमारी हो गई है जिसके कारण मुझे बार बार बुखार होता है। डॉक्टर द्वारा इसके लिए मुझे अस्पताल में इंजेक्शन लगाया गया जिसके कुछ दिन बाद मैं बिल्कुल ठीक हो गई। अस्पताल से इलाज कराने पर मेरे पिताजी को बैंक खाते में रुपये भी दिए गए थे। आसपास के लोगों को हो सकता है कालाजार : के.नगर प्रखंड के वेक्टर बोर्न डिजीज सुपरवाइजर (भीबीडीएस) डॉ राजेश कुमार गोस्वामी ने कहा कि गणेशपुर जांच के ललन ऋषि को मार्च 2018 में कालाजार की इलाज सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। उसके कुछ दिन बाद उसके घर के बगल में रहने वाली उसकी चचेरी बहन लक्ष्मी कुमारी कालाजार बीमारी से ग्रसित पाई गई जिसे सरकारी अस्पताल द्वारा इलाज करते हुए दोनों को बैंक खाते में सहयोग राशि के रूप में 07 हजार 100 रुपये उपलब्ध कराई गई। किसी भी क्षेत्र में कालाजार के मरीज पाए जाने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित मरीजों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करते हुए संबंधित क्षेत्र में छिड़काव अभियान चलाया जाता है। इससे आसपास रहने वाले बालू मक्खी नष्ट हो जाते हैं और संबंधित क्षेत्र के लोग कालाजार ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान में पीकेडीएल ग्रसित होने के पाए गए लक्षण : के. नगर प्रखंड भीबीडीएस डॉ राजेश कुमार गोस्वामी ने बताया कि वर्ष 2018 में के.नगर प्रखंड के गनेशपुर की रहने वाली लक्ष्मी कुमारी भीएल ग्रसित पाई गई थी जिसका के.नगर अस्पताल से इलाज कराते हुए स्वस्थ किया गया था। 2024 में घर घर कालाजार मरीज खोज अभियान के दौरान पहले से कालाजार मरीजों के शरीर के चमड़ों में दाग या चिकत्ता होने की पहचान की जा रही है। इसमें गनेशपुर की लक्ष्मी कुमारी के शरीर में चिकत्ते ग्रसित पाए गए हैं।
उन्हें के.नगर अस्पताल में अपनी जांच करवाते हुए चिकित्सकीय सहायता लेने की जानकारी दी गई है। जांच में उन्हें पीकेडीएल ग्रसित पाए जाने पर उन्हें आवश्यक उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी जिससे लक्ष्मी कुमारी कालाजार से पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित हो सके। कालाजार मरीजों की पहचान के लिए 27 नवंबर से 07 दिसंबर तक जिले में चल रहा कालाजार खोज अभियान : जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि कालाजार मरीजों की पहचान और चिन्हित मरीजों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में 27 नवंबर से 07 दिसंबर तक घर-घर कालाजार मरीज खोज अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान स्थानीय आशा कर्मियों द्वारा अपने क्षेत्र में कालाजार लक्षण होने वाले मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें नजदीक अस्पताल से जांच कराई जा रही है। इसमें बहुत दिनों से बुखार होने वाले मरीजों (भीएल) और पहले से कालाजार का उपचार कराने के बाद भी शरीर के चमड़ों में दाग या चिकत्ता होने वाले मरीजों (पीकेडीएल) को जांच की जा रही है। इस दौरान कालाजार ग्रसित पाए जाने पर संबंधित मरीजों को आवश्यक उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ साथ सरकारी अस्पताल से उपचार कराने पर भीएल मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में मुख्यमंत्री सहायता कोष से 6600 रुपये और भारत सरकार की ओर से 500 रुपये की सहयोग राशि बैंक खाते में उपलब्ध कराई जाती है। वहीं कालाजार उपचार के बाद भी शरीर के चमड़ों में दाग या चिकत्ता होने पर संबंधित मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में भारत सरकार की ओर से 4000 रुपए की सहयोग राशि उपलब्ध कराई जाती है। इसमें स्वास्थ्य विभाग को पिरामल स्वास्थ्य द्वारा आवश्यक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। इसमें पिरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीड अवधेश कुमार एवं टीम द्वारा कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। लोगों को इसका लाभ उठाने के लिए कालाजार के लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी अस्पताल से जांच कराते हुए चिकित्सकीय उपचार और सरकार द्वारा दिये जा रहे सहयोग राशि का लाभ उठाना चाहिए।
Nov 30 2024, 17:20