*श्री लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के साहित्य परिषद, हिंदी विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन*
गोण्डा- श्री लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के साहित्य परिषद, हिंदी विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। 'अवधी साहित्य: पुनर्लेखन की समस्याएं' विषय पर आयोजित व्याख्यान के मुख्य वक्ता एवं अतिथि प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा 'गुणशेखर' ने कहा कि इतिहास लेखन में शैली का विशेष महत्व है, जिसका प्राय: ध्यान नहीं रखा जाता। उन्होंने कहा कि इतिहास लेखन के लिए सबसे जरूरी है - ईमानदारी, निष्पक्षता, पूर्वग्रहमुक्तता, स्वार्थरहितता, लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता।
इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए प्रो. शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र चरित्रहीन हो गया है। चरित्रहीन लोकतंत्र की नैतिकता चांदी के उन विद्युत तारों में बहती है, जिसे अक्सर चोर काट ले जाते हैं। ऐसे चोरों से हमें तारों को बचाने की आवश्यकता है, जिसमें करुणा और मनुष्यता की धारा प्रवाहित हो रही है। यद्यपि पाकिस्तान, ईरान, नेपाल, बांग्लादेश, चीन सहित तमाम देशों से अपने यहां का लोकतंत्र बहुत बेहतर है। फिर भी लोकतांत्रिक मूल्यों की प्राण-प्रतिष्ठा बची और बनी रहे, इसके लिए नागरिकों को सतत सचेत रहना होगा। गुणशेखर जी ने कहा कि जब राजपाट को लात मार कर व्यक्ति आगे बढ़ता है, तब वह बुद्ध बन पाता है। जब राजपाट को ठोकर मार कर इस तरह आगे बढ़ता है कि वस्त्रों तक की परवाह नहीं करता - कि वस्त्र कहां गए - तब वह महावीर बन पाता है। जब अपनी पत्नी के लिए समुद्र पर पुल बांधने का साहस रखता है और बाँध देता है, तब वह राम होता है। जब हृदय में वह राधा को बसा लेता है, तब वह कृष्ण बन पाता है।
साहित्येतिहास लेखन के लिए संवेदना के विकास की समझ का होना आवश्यक है। अवधी साहित्य का इतिहास लिखे जाने के लिए गांव-गांव, नगर-नगर पहले अवधी के साहित्य का संकलन किया जाना और उसके बाद उसका वर्गीकरण, विश्लेषण और विवेचन करते हुए उसे लिखना होगा। उन्होंने कहा कि अवधी विभाषा उपभाषा या बोली नहीं है, बल्कि वह भाषा है और उसका हजार साल का इतिहास है।
गंगा प्रसाद शर्मा जी का स्वागत एवं परिचय हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र नाथ मिश्र ने दिया। उन्होंने बताया कि गुणशेखर जी लाल बहादुर शास्त्री अकादमी मसूरी में प्रशासनिक अधिकारियों को शिक्षण-प्रशिक्षण का कार्य करते रहे हैं और कई वर्षों तक ग्वांगतोंग विश्वविद्यालय चीन में हिंदी भाषा और साहित्य का शिक्षण कार्य किया है। इसके अतिरिक्त दुनिया के कई देशों में यात्राएं करते हुए हिंदी भाषा-साहित्य और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया है। प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार ने मुख्य अतिथि गुणशेखर जी को स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया। उन्होंने इस आयोजन हेतु हिंदी विभाग के प्रति शुभाशंसा प्रकट की।
नैक समन्वयक प्रो. जितेंद्र सिंह और भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ रंजन शर्मा ने पटका पहनाकर स्वागत किया। बीएड विभाग के प्रो. संदीप कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य वक्ता को महाविद्यालय पत्रिका 'वागर्थ' और 'दो दशकों के बीच' पुस्तक भेंट की। साहित्य परिषद के अध्यक्ष जीतेशकांत पांडेय, उपाध्यक्ष काजल ओझा, सदस्य मधु दूबे, हर्षिता सिंह ने मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ भेंट किया। कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग एवं सोशल मीडिया पर प्रसारण डॉ. मुक्ता टंडन ने किया।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्रो. जयशंकर तिवारी ने और धन्यवाद ज्ञापन श्री अच्युत शुक्ल ने किया। इस अवसर पर डॉ. चमन कौर, श्री पवन कुमार सिंह, शोधार्थी जमुना प्रसाद, संतोष सिंह सहित एम.ए. पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध के छात्र-छात्राएँ भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सहयोग सतीश दीक्षित, राम भरोस, देवेंद्र, शिवबालक का रहा।
Nov 30 2024, 16:44