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पेटीएम का बड़ा अपडेट, बिना पिन डाले करें 500 रुपये तक की पेमेंट!

ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) का काफी इस्तेमाल होता है. मार्केट में कई डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म यूपीआई के जरिए पेमेंट करने की सुविधा देते हैं. Paytm भी एक लोकप्रिय डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म है, जहां आप आसानी से यूपीआई पेमेंट कर सकते हैं. अगर आप पेटीएम चलाते हैं, तो आपके लिए एक बड़ी खबर है. अब आप बिना पिन डाले भी पेटीएम से पेमेंट कर सकते हैं. कंपनी ने एक नया फीचर ‘ऑटो टॉप-अप’ जारी किया है, जिसकी मदद से पिना डाले ही पेमेंट हो जाएगी.

Paytm का नया फीचर

पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड (OCL) ने सोमवार को यूपीआई लाइट ऑटो टॉप-अप फीचर लॉन्च करने का ऐलान किया है. इस फीचर के जरिए आप बिना पिन डाले यूपीआई लेनदेन कर सकते हैं. यह सुविधा यूपीआई यूजर्स के लिए जारी की गई है. आइए जानते हैं कि बिना पिन के पेमेंट करने वाला तरीका कैसे काम करेगा.

बिना PIN करें Paytm से पेमेंट

पेटीएम यूपीआई लाइट का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स अपना यूपीआई लाइट बैलेंस ऑटोमैटिकली रिचार्ज कर सकते हैं. इसके लिए आप एक लिमिट में अमाउंट तय कर सकते हैं. इसके बाद बिना पिन दर्ज किए 500 रुपये तक की यूपीआई पेमेंट आसानी हो जाएगी. आप एक दिन में कुल 2,000 रुपये तक की पेमेंट पेटीएम यूपीआई लाइट के जरिए कर सकेंगे.

अपने आप एड हो जाएगा बैलेंस

यूपीआई लाइट में टॉप-अप फीचर का फायदा यह है कि पेटीएम यूपीआई लाइट में बैलेंस एड करने के लिए आपको बार-बार मेहनत नहीं करनी होगी. यह फीचर ऑटोमैटिकली आपके पेटीएम यूपीआई लाइट बैलेंस में पैसे एड कर देगा. अगर आप इस फीचर को एक्टिव करते हैं, तो जब भी आपका बैलेंस कम होगा, तो आपके बैंक अकाउंट से यूपीआई लाइट में अपने आप पैसे जमा हो जाएंगे.

आपको यह ध्यान रखना होगा कि यूपीआई लाइट में 2,000 रुपये से ज्यादा की रकम जमा नहीं हो सकती है. इसके अलावा आपके केवल दिन में पांच बार ही यूपीआई लाइट में बैंक अकाउंट से पैसे जमा कर सकते हैं.

ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस में किया बड़ा फेरबदल, अभिषेक बनर्जी को मिली बड़ी जिम्मेदारी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पार्टी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. सोमवार को ममता बनर्जी की अध्यक्षता में हुई पार्टी की राष्ट्रीयकार्यकारिणी की बैठक में तीन अनुशासन समितियां का गठन किया गया है, तो पार्टी के महासचिव और अपने भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है. उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की नीति तय करने की जिम्मेदारी दी गई है. राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे पर वह पार्टी की राय रखेंगे. वहीं,सांसद सौगत रॉय और सुखेंदु शेखर रॉय को साइड लाइन किया गया. उन्हें किसी कमेटी का सदस्य नहीं बनाया गया है.

विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी, राज्य मंत्री मानस भुइयां, पार्टी सांसद कल्याण बनर्जी, सांसद माला रॉय और जावेद खान को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया है. यह पार्टी की सर्वशक्तिशाली कार्यसमिति है.

पार्टी सांसद और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का कद पार्टी में और बढ़ा है. वह राष्ट्रीय मामलों के आधिकारिक प्रवक्ता के रूप में भी काम करेंगे. उनकी नियुक्ति पार्टी की राष्ट्रीय उपस्थिति को बढ़ाने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का चेहरा बनाने पर पार्टी के फोकस को उजागर करती है.

अभिषेक बनर्जी को बनाया गया राष्ट्रीय प्रवक्ता

अभिषेक बनर्जी के साथ-साथ डेरेक ओ’ब्रायन, काकुली घोष दस्तीदार, कीर्ति आजाद, सुस्मिता देव और सागरिका घोष को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है.

राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक वरिष्ठ टीएमसी नेता और राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि बेहतर अनुशासन और प्रभावी नेतृत्व सुनिश्चित करने के लिए तीन अनुशासन समितियों का गठन किया गया है.

संसदीय अनुशासन समिति में सुदीप बंद्योपाध्याय, काकोली घोष दस्तीदार, डेरेक ओ ब्रायन, कल्याण बनर्जी और नदीमुल हक को शामिल किया गया है, जबकि राज्य विधानसभा अनुशासन समिति में शोभनदेब चट्टोपाध्याय, अरूप विश्वास, देबाशीष कुमार, निर्मल घोष और फिरहाद हकीम को शामिल किया गया है.

राज्य स्तर पर अनुशासन समिति में सुब्रत बख्शी, सुजीत बोस, फिरहाद हकीम, अरूप विश्वास और चंद्रिमा भट्टाचार्य को शामिल किया गया है.

पार्टी के पुराने नेताओं पर ममता ने जताया भरोसा

पश्चिम बंगाल में भी पार्टी प्रवक्ता की नियुक्ति की गयी है. पूर्व वित्त मंत्री अमित मित्रा वित्त मामले पर, चंद्रिमा भट्टाचार्य, शशि पांजा और पार्थ भौमिक इंडस्ट्रीज से जुड़े मामले पर, गौतम देव, उदयन गुहा, प्रकाश चिक बराई उत्तर बंगाल के मामले पर, बीरबाहा हांसदा झारग्राम और मलय घटक चाय बागान के मामले पर पार्टी की राय रखेंगे.

इसी तरह से विधानसभा में शोभनदेव चट्टोपाध्याय, चंद्रिमा भट्टाचार्य, कुणाल घोष, शशि पांजा, मलय घटक, मानस भुइयां और सुमन कांजीलाल को प्रवक्ता बनाया गया है.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस रणनीतिक फेरबदल को अनुभवी नेताओं को आगे लाने के कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो वर्षों से उनके योगदान को पार्टी द्वारा मान्यता दिए जाने को दर्शाता है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला पर लगाया आचार संहिता उल्लंघन का आरोप, निर्वाचन आयोग से की कार्रवाई की मांग

महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली है. हार के बाद सोमवार 25 नवंबर को कांग्रेस ने आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला पर आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग से कार्रवाई की मांग की है. पार्टी के प्रवक्ता अतुल लोंढे ने दावा किया है कि राज्य की पूर्व डीजीपी रश्मि शुक्ला ने राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और ये मुलाकात उस समय हुई जब आदर्श आचार संहिता लागू थी, राज्य में मतों की गिनती हो रही थी.

रश्मि शुक्ला ने बीते 23 नवंबर की शाम को फडणवीस से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की थी, इसी दिन मतों की गिनती हो रही थी. अतुल लोंढे ने इस मुलाकात को आचार संहिता का उल्लंघन बताया है और रश्मि शुक्ला पर कार्रवाई की मांग की है. पिछले काफी समय से रश्मि शुक्ला लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं. इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों ने उनके खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की थी.

रश्मि शुक्ला पर कार्रवाई करे निर्वाचन आयोग

राजनीतिक दलों की शिकायत के बाद निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला का तत्काल प्रभाव से तबादला करने का निर्देश दिया था. निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को शुक्ला का प्रभार कैडर के अगले सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को सौंपने का निर्देश दिया था. कांग्रेस प्रवक्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रश्मि शुक्ला ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है ऐसे में निर्वाचन आयोग को इस पर ध्यान देना चाहिए और उनके खिलाफ फौरन कार्रवाई करनी चाहिए.

अतुल लोंढे ने उठाए सवाल

इस दौरान अतुल लोंढे ने तेलंगाना में इसी तरह की एक घटना का हवाला दिया, जहां एक डीजीपी और एक वरिष्ठ अधिकारी ने चुनाव के दौरान एक मंत्री से मुलाकात की थी और निर्वाचन आयोग ने उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की थी. उन्होंने सवाल किया कि निर्वाचन आयोग गैर-बीजेपी राज्यों में कार्रवाई करने में तो क्यों तेज है लेकिन बीजेपी शासित राज्यों में इस तरह के उल्लंघनों के मामले में आंखें बंद करे प्रतीत क्यों होता है. यह गंभीर सवाल खड़े करता है.

रश्मि शुक्ला पर हैं कई आरोप

अतुल लोंढे ने शुक्ला के खिलाफ पिछले आरोपों का जिक्र करते हुए कहा कि रश्मि शुक्ला पर विपक्षी नेताओं के फोन टैप करने समेत कई गंभीर आरोप हैं. कांग्रेस ने चुनाव के दौरान उन्हें डीजीपी के पद से हटाने की मांग की थी और उन्हें हटा दिया गया था. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए और आचार संहिता के उल्लंघन के लिए शुक्ला के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए.

मेरठ में महिला से छेड़छाड़ पर बवाल, 2 पक्षों के लोग आमने-सामने; भारी पुलिस बल तैनात, कई लोग घायल!

उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक युवती से छेड़छाड़ और मारपीट के मामला थमने के बजाय और गहराता जा रहा है. सरधना थाना क्षेत्र के मेहरमति गणेशपुर गांव में रविवार को इसी मामले में दूसरे समुदाय के लोगों ने एक हिंदू महिल के घर पर हमला किया था. इस दौरान महिला समेत परिवार के चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने लाठियां फटकारते हुए आरोपियों को खदेड़ा. इस संबंध में पुलिस ने डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

पीड़ित महिला ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि रविवार सुबह वह गोबर के उपले बना रही थी. इसी दौरान दूसरे समुदाय के युवक ने उसके छेड़छाड़ की. वहीं जब उसने विरोध किया तो आरोपी ने उसके साथ गाली गलौज किया. विवाद बढ़ने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझा बुझाकर शांत करा दिया. आरोप है कि पुलिस के वापस लौटने के कुछ देर बाद आरोपी युवक ने कुछ बाहरी लोगों को बुलाकर महिला के घर पर हमला बोल दिया.

19 लोगों पर दर्ज हुई एफआईआर

आरोपियों ने लाठी डंडे भांजे और आरोप है कि इस दौरान फायरिंग भी की. इस घटना में युवती के अलावा उसके भाई और पिता समेत चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. इस हमले के कई वीडियो सोशल मीडिया में भी वायरल हुए हैं. इसमें साफ तौर पर लोग फायरिंग करते और एक दूसरे से मारपीट करते नजर आ रहे हैं. फिलहाल हालात को देखते हुए पुलिस ने पीड़ित पक्ष की तहरीर पर 19 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया है.

प्लॉट को लेकर हुआ विवाद

पुलिस के मुताबिक आरोपियों में से एक को अरेस्ट भी कर लिया गया है. वहीं बाकियों की तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही है. एसपी देहात राकेश कुमार मिश्रा के मुताबिक गांव में फिलहाल हालात अंडर कंट्रोल है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए गांव में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है. उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों के प्लॉट आसपास है और इन्हीं प्लॉट की बाउंड्री को लेकर इनके बीच झगड़ा हुआ था. पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है.

माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना का विरोध: हितधारकों को बेरोजगारी का डर, रोका गया काम

जम्मू-कश्मीर में त्रिकुटा की पहाड़ियों पर विराजमान माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा.सोमवार लगातार चौथे दिन इस योजना के हितधारकों ने उग्र प्रदर्शन किया. इस दौरान कांग्रेस के नेता भी हितधारकों के प्रदर्शन में शामिल रहे. हालात को देखते हुए ताराकोट मार्ग से सांझी छत के बीच 250 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रस्तावित रोपवे का काम रोक दिया गया है. बड़ा सवाल यह कि लोग इस रोपवे का विरोध क्यों क रहे हैं? इस सवाल का जवाब योजना के उद्देश्य में ही छिपा है.

दरअसल अभी माता वैष्णो देवी की चढ़ाई में कम से कम 7 घंटे लगते हैं. इसके लिए श्रद्धालुओं को 13 किमी की दूरी या तो पैदल चलकर पूरी करनी होती है या फिर टट्टू या पालकी से जाना होता है. ऐसे हालात में कई बार श्रद्धालु ना तो पैदल चलने में समर्थ होते हैं और ना ही वह पालकी या टट्टू पर सवारी में ही सहज होते हैं. इसी समस्या के समाधान के तौर पर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इस रोपवे प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की योजना बनाई थी. बोर्ड का दावा है कि रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने से माता मंदिर की दूरी महज एक घंटे की रह जाएगी.

श्रद्धालुओं को मिलेगी बेहतर सुविधा

श्रीमाता श्राइन बोर्ड के मुताबिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रोपवे में यात्रा करने से किसी श्रद्धालु को कोई दिक्कत भी नहीं होगी. बड़ी बात यह कि इस सुविधा से लोगों का समय और पैसा तो बचेगा ही, उन्हें किसी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी से भी नहीं जूझना होगा. बोर्ड के मुताबिक इस सुविधा से माता मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और इससे यहां पर्यटन का दायरा भी बढ़ेगा. बावजूद इसके, योजना के हित धारक विरोध में हैं. इसलिए जरूरी है कि उनका भी दर्द समझ लिया जाए.

हितधारकों को सता रहा बेरोजगारी का डर

दरअसल योजना का विरोध करने वाले सभी हितधारक टट्टू वाले और पालकी वाले हैं. उन्हें डर है कि रोपवे प्रोजेक्ट आते ही वह बेरोजगार भी हो जाएंगे. उनका डर जायज भी है. अभी वह श्रद्धालुओं से मनमानी रकम वसूल करते हैं और यहां उनकी मोनोपॉली चलती है. वहीं जब रोपवे बन जाएगा तो लोग इनसे उलझने के बजाय रोपवे की सेवाएं लेना ज्यादा पसंद करेंगे. हितधारकों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह जामवाल ने भी इस आशंका को दोहराया. कहा कि रोपवे का काम दो साल में पूरा हो जाएगा. इसके बाद यहां सेवा देने वाले बेरोजगार हो जाएंगे.

केजरीवाल ने किया बड़ा एलान, खोली जा रही है 80 हजार नई वृद्धावस्था पेंशन, 5 लाख 30 हजार बुजुर्गों को मिलेगा लाभ,

आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि 80 हजार नई वृद्धावस्था पेंशन खोली जा रही है. साल 2015 में जब हमारी सरकार बनी थी तब दिल्ली में 3 लाख 32 हजार बुजुर्गों को पेंशन मिलती थी. इसे बढ़ाकर पिछले 9 सालों में सवा लाख पेंशन और एड की गई हैं. फिलहाल दिल्ली में करीब साढ़े चार लाख बुजुर्गों को पेंशन मिल रही है.

केजरीवाल ने कहा है कि अब दिल्ली के 5 लाख 30 हजार बुजुर्गों को पेंशन दी जाएगी. कई साल से ये पेंशन बंद थे, लंबे समय से ये मांग की जा रही थी. 60 से 69 साल के बुजुर्गों को अभी 2000 रुपए पेंशन मिलती है, जबकि 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों को 2500 मिलते हैं. ये पेंशन देश में सबसे ज्यादा है. आप नेता ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि जहां डबल इंजन की सरकारें हैं वहां बुजुर्गों को 500-600 मिलते हैं, हमारी सिंगल इंजन की सरकार में 2500 रुपए मिलते हैं. केजरीवाल ने कहा कि बुजुर्गों के पेंशन रोकना पाप है, जेल से आते ही हमने इसे शुरू कराया है.

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने श्रवण कुमार की तरह दिल्ली के बुजुर्गों के लिए काम किया है. एक के बाद एक दिल्ली के रुके हुए काम शुरू हो रहे हैं. केजरीवाल ने दिल्ली के एक लाख बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करवाई हैं. बुजुर्गों की पेंशन काफी समय से रुकी हुई थी.

बीजेपी का षड्यंत्र फेल हो गया- आतिशी

उन्होंने कहा कि दिल्ली के काम रोकने के लिए केंद्र और बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया क्योंकि जो काम वे दिल्ली के लोगों के लिए कर रहे थे वो बीजेपी अपने किसी राज्य में नहीं कर पा रही थी, लेकिन दिल्ली के लोगों के प्यार और आशीर्वाद से बीजेपी का षड्यंत्र फेल हो गया. केजरीवाल जेल से बाहर आ गए और एक के बाद एक दिल्ली के रुके हुए काम वो शुरू हो रहे हैं. वहीं, आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल जब छोटे मुकदमे में जेल में थे तब तक दिल्ली के बुजुर्गों की पेंशन रोक दी गई थी. 24 घंटे में ही इसके लिए 10 हजार आवेदन भी आ गए हैं.

उत्तर प्रदेश का दर्दनाक मामला: नहीं मिली कोई मदद… पत्नी की मौत के बाद ठेले पर शव रख 50 KM चला पति, बेटों ने नहीं दिया कंधा!

माता-पिता अपने बच्चों के लिए जी-जान लगा देते हैं. खूब मेहनत करते हैं और बच्चों को किसी तरह की परेशानी नहीं उठाने देते. उनकी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं. बच्चों की हर जिद पूरी करते हैं लेकिन जब बच्चे बड़े होते हैं तो अक्सर कुछ बच्चे ये सब भूल जाते हैं कि उनके माता-पिता ने उनके लिए क्या-क्या किया. माता-पिता अपना फर्ज अच्छे से निभा लेते हैं लेकिन बच्चे बूढ़े माता-पिता का ख्याल रखने का अपना फर्ज भूल जाते हैं.

ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के मऊ से सामने आया है, जहां एक बूढ़ा शख्स अपनी पत्नी के शव को बलिया के नगरा से 50 किमी दूर रघौली तक पैदल लेकर पहुंचा. पति मजदूरी करके अपनी बीमार पत्नी का इलाज करा रहा था लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इसके बाद घर ले जाने के लिए पति ने लोगों से अपील की लेकिन किसी ने उस बूढ़े व्यक्ति की मदद नहीं की. फिर वह ठेले पर अपनी पत्नी के शव को डालकर चल दिया. उसने बताया कि उनकी चार संतान हैं लेकिन सभी उनसे अलग रहती हैं.

अंतिम संस्कार का खर्चा

यह मामला दादनपुर का है, जहां रहने वाली महिला की बलिया के नगरा में इलाज के दौरान मौत हो गई, जिसके बाद उसका पति अपनी पत्नी के शव को लेकर पैदल चल दिया. हालांकि जब इस मामले की जानकारी पुलिस को हुई, तो घोसी के कोतवाल ने शव को उसके गांव दादनपुर अहिरौली भिजवाया. इसके साथ ही उन्होंने अंतिम संस्कार का भी पूरा खर्च उठाया.

झाड़-फूंक कराने के लिए कहा

गुलाबचंद्र शनिवार को अपनी पत्नी को दादनपुर से बलिया के नगरा लेकर पहुंचा था, लेकिन उसी दिन शाम को उसकी पत्नी ने दम तोड़ दिया. लोगों ने गुलाबचंद्र से उनकी पत्नी का झाड़-फूंक कराने के लिए कहा था. अपनी पत्नी को बचाने की उम्मीद में वो उसे नगरा ले गया था लेकिन उसकी पत्नी बच नहीं पाई. इसके बाद उन्होंने अस्पताल से वापस लाने के लिए अपने पत्नी के शव को ठेले पर रखा और 50 किलोमीटर दूर तक पैदल चले.

महाराष्ट्र में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत पर कंगना रनौत ने उद्धव ठाकरे की हार को लेकर कह दी ये बड़ी बात

महाराष्ट्र में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत पर मंडी से सांसद कंगना रनौत ने खुशी जताई. वहीं, दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे की हार को लेकर उन्होंने कहा, मुझे उनकी हार की उम्मीद थी. कंगना रनौत ने उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा और उन्हें दैत्य कहा

महाराष्ट्र में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल की और इतिहास रच दिया. बीजेपी ने 132 सीटें जीती, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं. वहीं, महाविकास अघाड़ी में उद्धव गुट की शिवसेना को 20, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की एनसीपी को 10 सीटें मिली.

बीजेपी की जीत पर जताई खुशी

कंगना रनौत ने बीजेपी की फतह पर कहा, हमारी पार्टी के लिए यह ऐतिहासिक जीत है. जाहिर सी बात है हम सब कार्यकर्ता बहुत उत्साहित है. हम पूरे महाराष्ट्र और पूरे भारत की जनता का धन्यवाद करते हैं. साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी का जिक्र करते हुए कहा, हमारी जो पार्टी है, उनकी जो विचारधारा है, हमारे पास एक से बड़ कर एक नेतृत्व के लिए लोग हैं.

उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना

सांसद कंगना रनौत ने कहा, मुझे उनकी हार की उम्मीद थी. उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, हम देवताओं को और दैत्यों को कैसे पहचानते हैं. जो महिलाओं की इज्जत उतारते हैं वो दैत्य ही होते हैं और जो महिलाओं को सम्मान देते हैं वो देवता होते हैं. उन्होंने महायुति की प्रशंसा करते हुए कहा, हमारी पार्टी ने आज अगर हम देखें की महाराष्ट्र में महिलाओं को आरक्षण दिया है, अनाज दिया है, गैस सिलेंडर दिए हैं. इससे पता चलता है कि कौन देवता है और कौन दैत्य है. उन्होंने आगे कहा, दैत्य का वो ही हुआ जो हमेशा होता है, उनकी हार हुई.

साल 2020 में उद्धव ठाकरे के सीएम रहते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने कंगना रनौत का बांद्रा में स्थित बंगले में कथित अवैध परिवर्तनों को ध्वस्त कर दिया था. बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके बंगले को ध्वस्त करने के मुंबई नागरिक निकाय के आदेश को रद्द कर दिया था और माना गया कि वह बीएमसी की “दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई” के चलते मुआवजे की हकदार हैं.

2020 में उनके घर को तोड़ने को याद करते हुए कंगना रनौत ने कहा, मेरा घर तोड़ा गया, मेरा अपमान किया गया, गालियां दी गई, तो कहीं न कहीं मुझे लगता है कि बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी वो दिख ही रहा था. कांग्रेस को लेकर सांसद ने कहा, उनको पब्लिक से एक मजबूत जवाब मिला है.

शौक पूरे नहीं होने पर दो इंजीनियरों ने नौकरी छोड़कर बन गए साइबर ठग, मंत्री के साथ 2 करोड़ की ठगी कर फंसे,हुआ गिरफ्तार

लालच बुरी बला है… ये सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि हकीकत है लेकिन फिर भी कुछ लोग लालच के चलते उलटा काम करते हैं और फिर फंस जाते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां दो लोग इंजीनियर की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर फ्रॉड बन गए और लोगों को लूटने का काम करने लगे. क्योंकि नौकरी की सैलरी से उनके शौक पूरे नहीं हो पा रहे थे. फिर लालच में उन्होंने ठगी का काम करना शुरू कर दिया.

नौकरी छोड़कर ठग बनने वाले दोनों युवकों का खेल तब खत्म हुआ, जब वह कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के साथ हुई 2 करोड़ से ज्यादा रुपये की ठगी के मामले पकड़े गए. दोनों युवक दिव्यांशु और पुलकित बीटेक पास हैं. दोनों ने तीन साल तक इंजिनीयर के पद पर जॉब की, लेकिन फिर बाद में साइबर ठग बन गए. दोनों के पिता गांव में खेती और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं.

टेलीग्राम के जरिए मिले थे

दिव्यांशु और पुलकित के लिंक विदेशों तक हैं. इनके गिरोह के सरगना विदेशों में बैठते हैं, जिनसे वह टेलीग्राम के जरिए मिले थे. हालांकि भारत में दिव्यांशु और पुलकित ही सरगना के तौर पर काम करते हैं. वह शिकार को खोजते हैं और लोगों को ठगने के बाद पैसे को विदेश में ट्रांसफर कर देते हैं. उन्होंने बताया कि वह कई बार विदेश भी गए हैं और थाईलैंड और नेपाल के सरगना से भी मिले हैं.

काम का मिलता है 10 पर्सेंट

दोनों ठग कई घटनाओं को अब तक अंजाम दे चुके हैं, लेकिन इस बार उन्हें ये नहीं पता था कि वह किसके साथ ठगी कर रहे हैं. उनके काम का उन्हें 10 परसेंट कमीशन दिया जाता था, जो काम पूरा होने पर तुरंत गिरोह का सरगना उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर देता था. दिव्यांशु और पुलकित दोनों की अभी शादी नहीं हुई है. दोनों को क्लब जाना और महंगे होटलों में ठहरना खूब पसंद हैं और अपने इन्हीं शौक को पूरा करने के लिए वह साइबर ठगी करते हैं.

सीरिया में मिली दुनिया की सबसे पुरानी वर्णमाला,जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की खोज

पुरातत्व विज्ञान को एक बड़ी उपलब्धि मिली है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सीरिया में एक प्राचीन कब्र से दुनिया का सबसे पुराना वर्णमाला लेखन खोजा है. इस खोज ने अब तक की जानने वाली वर्णमाला आधारित लेखन के इतिहास को लगभग 500 साल पीछे और धकेल दिया है. यह खोज प्राचीन समाजों को संचार के नए तरीकों पर किए गए प्रयोगों की गवाही देती है.

यह खोज सीरिया के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित टेल उम्म-अल-मर्रा नाम की जगह पर हुई. यह जगह शुरुआती कांस्य युग के एक प्राचीन शहरों के रूप में जाना जाता है. इसीलिए पूर्व आरकियोलॉजिस्ट प्रोफेसर ग्लेन श्वार्ट्ज और एम्स्टर्डम जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के पास करीब 16 साल से खुदाई करा रहे थें. इस खुदाई में उनको एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी का भी सहयोग मिला रहा. इस खुदाई के दौरान एक कब्र से उकेरी गई मिट्टी की बेलनाकार वस्तुएं मिलीं, जिन पर इस प्राचीन वर्णमाला लेखन के प्रमाण मौजूद हैं.

ऐसे पता चली कब्र की उम्र

कार्बन-14 डेटिंग तकनीक का उपयोग करके इन कलाकृतियों और कब्र की उम्र की पुष्टि की गई. यह कब्र और उसमें मिले अवशेष लगभग 2400 ईसा पूर्व के हैं. इस खोज को वर्णमाला लेखन की शुरुआत से 500 साल पहले का माना जा रहा है, जिससे यह पता चलता है कि वर्णमाला लेखन की उत्पत्ति अब तक के सोचे गए समय और स्थान से कहीं अलग हो सकती है.

मिट्टी की बेलनाकार वस्तुएं और उनका महत्व

कब्र से प्राप्त मिट्टी की बेलनाकार वस्तुएं अंगुली के आकार की हैं और इनमें छेद किए गए हैं. इन बेलनों को देखकर शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि इन्हें लेबल के रूप में इस्तेमाल किया गया होगा. संभवतः इनसे कब्र में मिली अन्य वस्तुओं, जैसे बर्तन या उनके स्रोत के बारे में जानकारी लिखी गई होगी. हालांकि, लेखन को पढ़ने का कोई तरीका न होने के कारण यह केवल अनुमान ही है.

इस कब्र में छह कंकाल, सोने-चांदी के गहने, बर्तन, एक भाला, और पूरी तरह से संरक्षित मिट्टी के बर्तन भी पाए गए. यह कब्र प्राचीन समाजों की सांस्कृतिक का भी एक प्रमाण है. इससे पता चलता है कि उस समय लोग नए प्रकार के संचार के तरीकों पर प्रयोग कर रहे थे, जो वर्णमाला आधारित लेखन के शुरुआती चरण हो सकते हैं.

वर्णमाला के महत्व और इसका प्रभाव

वर्णमाला लेखन ने लेखन पद्धति में क्रांति ला दी थी, क्योंकि इसने इसे केवल राजपरिवार और अभिजात वर्ग के लिए सीमित रखने के बजाय आम जनता के लिए भी सुलभ बनाया गया. प्रोफेसर ग्लेन श्वार्ट्ज के अनुसार, ‘यह खोज यह दिखाती है कि लोग संचार की नई तकनीकों के साथ पहले से ही प्रयोग कर रहे थे और यह प्रयोग उन स्थानों पर हो रहा था जहां हमने इसकी कल्पना भी नहीं की थी.’

पहले यह माना जाता था कि वर्णमाला का आविष्कार 1900 ईसा पूर्व के आसपास इजिप्ट में हुआ था. इससे यह स्पष्ट हो गया कि वर्णमाला लेखन की उत्पत्ति किसी और क्षेत्र में और कहीं पहले भी हो सकती है. साथ ही इस खोज का अनुमान अगर प्रमाणित हो जाता है तो यह खोज वर्णमाला की उत्पत्ति और प्रसार की पारंपरिक धारणाओं को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती है.

संस्कृति और तकनीकी प्रगति पर नई दृष्टि

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी द्वारा की गई यह खोज इस बात का प्रमाण है कि प्राचीन समाजों ने संचार के माध्यमों को बेहतर बनाने के लिए किस हद तक प्रयास किए. प्रोफेसर श्वार्ट्ज ने इस खोज के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल लेखन प्रणाली के इतिहास में एक नया अध्याय नहीं है, बल्कि यह प्राचीन मानव सभ्यताओं के बौद्धिक विकास की एक झलक भी प्रस्तुत करता है.

इस खोज को 21 नवंबर को अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ओवरसीज रिसर्च के वार्षिक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया. शोधकर्ताओं का मानना है कि इन मिट्टी के बेलनों पर लिखे गए पाठ को पढ़ने का तरीका खोजने से इस खोज के महत्व को और भी बढ़ाया जा सकता है. यह खोज पुरातत्व विज्ञान और मानव इतिहास के अध्ययन के क्षेत्र में नई संभावनाओं को जन्म देती है.