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गाजीपुर कोर्ट में पप्पू यादव की पेशी, एनबीडब्ल्यू के मामले में 50 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा.

बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को गाजीपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट के कटघरे में एक घंटे तक खड़ा रखा गया. उनके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी हुआ था, जिसके बाद वह कोर्ट पहुंचे. उन्हें 50 हजार रुपये के मुचलके पर कोर्ट के द्वारा रिहा किया गया.

साथ ही उनके साथ जो 10 अन्य आरोपी थे उनके गैर हाजिरी का माफी का प्रार्थना पत्र भी अधिवक्ता के द्वारा पेश किया गया.वहीं न्यायालय ने इस मामले पर बहस के लिए चार दिसंबर को अगली तारीख तय किया है.

शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि साल 1993 में तब राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव विधायक हुआ करते थे और अपने एक अन्य विधायक साथी के साथ एक लंबे चौड़े काफिले के साथ गाजीपुर में चुनाव प्रचार के दौरान आने की जानकारी गाजीपुर पुलिस को हुई थी. तब तत्कालीन थाना अध्यक्ष बीएन सिंह ने इन लोगों के काफिले को रुकवाया और पप्पू यादव, उमेश यादव सहित करीब सैकड़ो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. बताते हैं कि उस वक्त पप्पू यादव चुनाव सभा में गड़बड़ी उत्पन्न करने के लिए बक्सर उजियार घाट होते हुए गाजीपुर की सीमा में प्रवेश किए थे.

सुनवाई के लिए भेजा MP-MLA कोर्ट

इसी मामले में पुलिस ने आरोप पत्र मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश किया था. जहां पर मामले में सभी आरोपियों को 31 जुलाई 2023 को दोष मुक्त कर दिया गया. लेकिन उस आदेश के विरुद्ध जिला जज के न्यायालय में 6 सितंबर 2023 को शासकीय अधिवक्ता के द्वारा अपील दाखिल किया गया. उसके बाद जिला जज की अदालत ने मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया था

जारी किया गैर जमानती वारंट

एमपी एमएलए कोर्ट में इस मामले में लगातार कार्रवाई चल रही थी. बार-बार पुकार पड़ने के बाद भी आरोपियों की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हो रहा था. इसके बाद कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पप्पू यादव सहित 11 लोगों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट 22 अक्टूबर को जारी किया था. उन्हें 4 नवंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए तारीख नियत किया था. लेकिन पप्पू यादव ने कोर्ट के आदेशों के अवहेलना करते हुए उपस्थिति दर्ज नहीं कराई.

50 हजार के मुचलके पर किया रिहा

इसके बाद कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी के लिए मोहम्मदाबाद प्रभारी निरीक्षक को निर्देश देते हुए स्पष्टीकरण भी दाखिल करने को कहा. न्यायालय का सख्त रूप देख पप्पू यादव गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने प्रार्थना पत्र दिया. इस दौरान उन्हें कटघरे में करीब एक घंटे से ऊपर भी रहना पड़ा. इसके बाद गैर जमानती वारंट निरस्त करते हुए 50 हजार रुपये के निजी बंध पत्र पर उन्हें रिहा किया गया. हालांकि, पप्पू यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि वह कोर्ट का सम्मान करते हैं. उन्हें कोर्ट का आदेश पुलिस के द्वारा मिला तो कोर्ट का सम्मान करने के लिए वह न्यायालय में पेश हुए हैं.

किशनगंज में दिमागी बुखार का कहर, एक ही परिवार की दो बहनों की मौत

बिहार के किशनगंज जिले में महज 18 दिन के अंदर एक ही परिवार की दो बहनों की दिमागी बुखार से मौत हो गई है. मौत के बाद से ही परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव में जांच के लिए एक टीम भेजी गई है, जो गांव के अन्य बच्चों और लोगों की जांच कर रही है. दिमागी बुखार से मौत की घटना के बाद से ही पूरे गांव के लोग डरे हुए हैं.

दिमागी बुखार से दो बहनों की मौत किशनगंज जिले के बहादुरगंज प्रखंड के तहत आने वाले सीतागाछ गांव की है. गांव में रहने वाले मुस्ताक आलम की एक बेटी की मौत 18 दिन पहले अचानक बुखार के कारण हो गई थी. दूसरी बेटी की मौत गुरुवार को हो गई है. जिसका इलाज बीते दो सप्ताह से चल रहा था. पहली बेटी माफिया प्रवीन (18) की मौत के दो दिन बाद ही दूसरी बेटी मस्तूर (16) की तबियत अचानक से बिगड़ गई थी.

डॉक्टरों ने दिमागी बुखारी की पुष्टि

पहली बेटी की अचानक हुई मौत से परिजन डरे हुए थे. इसलिए दूसरी बेटी को इलाज के लिए किशनगंज के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया था, जहां 9 दिन एडमिट रहने के बाद परिवार वाले उसको घर ले आए थे. तबीयत में सुधार नहीं होने पर परिवार वाले बेटी को इलाज के लिए पूर्णिया जिले के एक निजी नर्सिंग होम में ले गए थे, जहां डॉक्टरों ने दिमागी बुखार होने की पुष्टि की थी.

18 दिनों में दो बहनों की हुई मौत

मौत की घटना पर परिजनों का कहना है कि पहली बेटी की मौत का कारण पता नहीं चला सका था. वहीं, दूसरी बेटी का बेहतर इलाज कराया गया, लेकिन फिर भी उसकी मौत हो गई. घटना के बाद से ही पूरे परिवार रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं मां-बाप बेटियों की मौत से सदमे में है. 18 दिन के अंदर दो बहनों की दिमागी बुखार से मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव में लोगों बच्ची और लोगों की जांच कर रही है.

महाराष्ट्र कांग्रेस नेता नसीम खान को खतरा? दो संदिग्ध को पुलिस ने लिया हिरासत में

महाराष्ट्र में कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री नसीम खान की रेकी के मामले में पुलिस ने गुरुवार को दो संदिग्धों को हिरासत में लिया है. मुंबई क्राइम ब्रांच के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते से नसीम खान की जासूसी की जा रही थी. बुधवार को वोटिंग के दिन दोनों संदिग्ध कांग्रेस नेता नसीम खान का पीछा कर रहे थे. ऐसे में सवाल है कि क्या बाबा सिद्दीकी के बाद नसीम खान किसी गैंग के निशाने पर हैं?

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दोनों संदिग्ध 15 नवंबर को मुंबई आए थे. दोनों में से एक ने पवई हीरानंदानी इलाके में नसीम खान के एक कार्यकर्ता से कांग्रेस नेता के बारे में पूछा था. इसके बाद दोनों गुरुवार दोपहर नसीम खान के दफ्तर पहुंचे, जहां उनमें से एक ने नसीम खान के बॉडीगार्ड से पूछताछ की. उसने नसीम खान से मिलने की इच्छा जताई. पुलिस ने दोनों संदिग्धों को हिरासत में लिया है. इनमें से एक का आपराधिक इतिहास है.

नसीम खान से मुलाकात के दौरान की गाली गलौज

सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को ये दोनों संदिग्ध तरीके से नसीम खान तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. जिसके बाद उनके कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया. इस दौरान जब उनकी मुलाकात नसीम खान से हुई तो आरोपी ने जिस भाषा में उससे बात की, उससे भी शक गहरा गया और आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया गया. हिरासत में लिए गए लोगों में से एक का नाम अरमान मलिक है जो मेरठ का रहने वाला है.

अरमान मलिक के खिलाफ धारा 325 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. यह एफआईआर मेरठ में दर्ज है जो अवैध हथियारों से जुड़ा मामला है. वहीं पुलिस को आरोपी के मोबाइल से लोकेश नाम के शख्स से संदिग्ध चैट बरामद हुई है. आरोपी के फोन से संदिग्ध चैट मिलने के बाद क्राइम ब्रांच को जानकारी दी गई कि कहीं नसीम खान भी बाबा सिद्दीकी की तरह किसी के निशाने पर तो नहीं है. वहीं दूसरे शख्स की पृष्ठभूमि की पुलिस जांच कर रही है.

कौन हैं नसीम खान?

नसीम खान महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. राज्य के पूर्व गृह मंत्री होने के अलावा उन्होंने कई मंत्रालय संभाले हैं. वहीं, नसीम खान फिलहाल चांदिवली विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. यह सीट नसीम खान की परंपरागत सीट है. वह कई बार यहां से जीत चुके हैं. लेकिन 2019 में वह पहली बार संयुक्त शिवसेना उम्मीदवार दिलीप लांडे से चुनाव हार गए थे. इस बार वह एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं.

नसीम खान मूल रूप से यूपी के अंबेडकर नगर जिले से आते हैं और मुंबई के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. इस मामले में अभी तक कोई सीधा लिंक सामने नहीं आया है. ऐसे में अरमान को किसने भेजा था, वह क्यों रेकी कर रहा था, अगर कोई काम था तो मिलने पर क्यों नहीं बताया? क्या बाबा सिद्दीकी के बाद नसीम खान किसी गैंग के निशाने पर है? पुलिस सभी पहलुओं की जांच में जुटी है.

लॉरेंस बिश्नोई गैंग की धमकी, पप्पू यादव ने कहा- हम किसी से डरते नहीं.

पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव गुरुवार को उत्तर प्रदेश की गाजीपुर कोर्ट में पेश होने के लिए आए. इस दौरान झारखंड चुनाव और बिहार के उपचुनाव चुनाव के साथ ही लॉरेंस बिश्नोई के द्वारा दी गई धमकी पर खुल कर बोले. पप्पू यादव 1993 में चुनाव प्रचार के दौरान बड़े काफिले के साथ गाजीपुर में दाखिल हुए थे. इसके बाद स्थानीय पुलिस के द्वारा उनके काफिले को रोका गया था और मुकदमा दर्ज किया गया था. हालांकि इस मामले में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था, लेकिन शासकीय अधिवक्ता के द्वारा इस मामले में एक बार फिर से अपील की गई.

इसके बाद एक बार फिर से इस मामले की सुनवाई शुरू हुई. पहली बार चार नवंबर को डेट पड़ी थी, लेकिन तब पप्पू यादव हाजिर नहीं हुए थे. कोर्ट ने उनके खिलाफ बएनबीडब्ल्यू जारी किया था और मोहम्मदाबाद पुलिस से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था, जिसके बाद गुरुवार को पप्पू यादव अपने काफिले के साथ एमपी-एमएलए कोर्ट के जज शक्ति सिंह की अदालत में पेश हुए. वहीं इस मामले में अब अगली तारीख चार दिसंबर तय की गई है.

गाजीपुर पहुंचने पर पप्पू यादव के पास आया फोन

कोर्ट कार्रवाई पूरी होने के बाद पप्पू यादव जब वापस निकले, तब उन्होंने बिहार उपचुनाव, झारखंड चुनाव के नतीजे और सरकार बनने को लेकर बात की. इस दौरान लॉरेंस बिश्नोई के द्वारा धमकी दिए जाने को लेकर कहा कि धमकी से कौन डरता है. अभी जब मैं गाजीपुर में दाखिल हुआ था, तब एक बार फिर से फोन आया कि गाजीपुर पहुंच गए.

लॉरेंस गैंग से मिल रही पप्पू यादव को धमकी

लॉरेंस बिश्नोई के द्वारा धमकी दिए जाने पर कहा कि हम किसी से डरते नहीं हैं. अभी रास्ते में भी धमकी भरा फोन आया कि गाजीपुर पहुंच गए. बता दें कि लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर पप्पू यादव को लगातार धमकी दी जा रही है. अभी दो दिन पहले भी वॉट्सऐप के माध्यम से धमकी दी गई थी और उसके पहले पाकिस्तान से भी धमकी भरा कॉल आया था, जिसको लेकर पप्पू यादव ने कहा कि हम किसी से डरने वाले नहीं हैं.

क्या बिकने जा रहा है Google Chrome, अब कैसे चलाएंगे इंटरनेट?

गूगल क्रोम दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इंटरनेट ब्राउजर है. भारत में भी इंटरनेट पर कुछ भी सर्च करना हो तो लगभग हर बार क्रोम का ही इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन अब ये ब्राउजर बिकने की कगार पर पहुंच चुका है. ऐसे में आप कैसे इंटरनेट चला पाएंगे? अमेरिकी में चल रही एक सुनवाई के दौरान इस बात जोर दिया गया कि गूगल को क्रोम बेच देना चाहिए. लेकिन ऐसी मांग क्यों उठ रही है, यह एक बड़ा सवाल है.

गूगल क्रोम दुनिया का सबसे बड़ा ब्राउजर है, और यही बात इसके खिलाफ जा रही है. गूगल पर आरोप है कि वो इंटरनेट सर्च इंडस्ट्री पर मोनोपॉली जमाकर बैठा है. अब इस एकाधिकार को खत्म करने के लिए एक अदालती कार्यवाही के दौरान मांग की गई कि गूगल को क्रोम बेचना चाहिए. इसके अलावा गूगल के खिलाफ और भी सख्त मांग रखी गई हैं.

जज के सामने की अपील

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (doj) ने गूगल से क्रोम को बेचने की डिमांड की है. इसके लिए एक 23 पेज का डॉक्यूमेंट भी फाइल किया गया है. doj में शामिल सरकारी वकीलों ने डिस्ट्रिक्ट जज अमित मेहता से आग्रह किया कि वो गूगल को सैमसंग और एपल के साथ कॉन्ट्रेक्ट करने से रोके, क्योंकि इससे कई स्मार्टफोन पर क्रोम को डिफॉल्ट बनाए जाने की संभावना है.

एंड्रॉयड को बेचने की मांग

यह भी मांग की गई है कि गूगल अमेरिकी सरकार से अप्रूव्ड खरीदार को एंड्रॉयड बेच दे. अगर गूगल फिर भी एंड्रॉयड का मालिकाना हक अपने पास रखता है और मौजूदा रेमेडी का पालन नहीं करता है, तो सरकार एक पिटिशन दाखिल करके गूगल की इस हरकत का पर्दाफाश करे.

गूगल पर लगे 5 साल का बैन

सरकारी वकीलों ने मांग रखी कि गूगल को ब्राउजर बिजनेस में दाखिल होने से रोका जाए. क्रोम के बिकने के बाद गूगल पर किसी ब्राउजर को खरीदने, सर्च इंजन या सर्च टेक्स्ट एड राइवल में इन्वेस्टमेंट करने, सर्च डिस्ट्रिब्यूटर या कंपटीशन क्वेरी-बेस्ड एआई प्रोडक्ट या एड टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए 5 सालों तक बैन किया जाए.

अगर वकीलों के प्रोपोजल को जज मान लेते हैं, तो इससे गूगल के कंपटीटर्स और नई इंटरनेट ब्राउजर कंपनियों को कारोबार करने का भरपूर मौका मिल सकता है.

अडानी ग्रुप पर बड़ा झटका, केन्या ने 6,215 करोड़ की एनर्जी डील कर दी कैंसिल

उद्योगपति गौतम अडानी की मुश्किलें फिर एक बार बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आरोपों से लगभग 2 साल जूझने और उबरने के बाद अब उनकी कंपनी के खिलाफ अमेरिका में केस दर्ज हुआ है. इसके बाद उन पर बड़ी गाज गिरी है और केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने अडानी ग्रुप के साथ होने वाली एक बड़ी डील कैंसिल कर दी है.

केन्या के मुख्य हवाईअड्डे के ऑपरेशन को अपने हाथ में लेने के लिए अडानी ग्रुप ने एक प्रपोजल वहां की सरकार को दिया था. केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने 21 नवंबर को इसे कैंसिल कर दिया है. इसके अलावा उन्होंने एक बड़ी एनर्जी डील को कैंसिल करने के निर्देश भी दिए हैं.

6,215 करोड़ की है एनर्जी डील

केन्या के ऊर्जा मंत्रालय के साथ भी अडानी ग्रुप एक बड़ी डील करने जा रहा था, जिसके अब रद्द होने की संभावना बढ़ गई है. अडानी ग्रुप केन्या में 73.6 करोड़ डॉलर (करीब 6,215 करोड़ रुपए) की एक डील में पॉवर ट्रांसमिशन लाइंस का निर्माण करने वाला था, जिसे अब कैंसिल करने के निर्देश दिए गए हैं.

रॉयटर्स की खबर के मुताबिक राष्ट्रपति विलियम रूटो ने कहा है, ” मैंने ट्रांसपोर्ट मंत्रालय और ऊर्जा एवं पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत काम करने वाली एजेंसियों को निर्देश दिया है वह किसी भी तरह की खरीद को तत्काल कैंसिल कर दें.” राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कहा है कि सहयोगी देश और जांच एजेंसियों की ओर से सामने आई नई जानकारियों को देखते हुए सरकार ने ये फैसला किया है.

अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी एनर्जी सॉल्युशंस ने इसी साल अक्टूबर में केन्या इलेक्ट्रिकल ट्रांसमिशन कंपनी के साथ एक पब्लिक-प्राइवेट डील साइन की थी. ये डील 30 साल के लिए साइन की गई थी. केन्या की एक अदालत ने अक्टूबर में ही इस डील को सस्पेंड कर दिया था और जांच करने की बात कही थी.

अडानी और भतीजे पर रिश्वत देने के आरोप

अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के साथ-साथ उनके ग्रुप के अन्य अधिकारियों पर सौर ऊर्जा से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट के लिए रिश्वत देने के आरोप लगाए हैं. ये रिश्वत भारत सरकार के अधिकारियों को दी गई और इसक मूल्य 250 मिलियन डॉलर (करीब 2110 करोड़ रुपए) के आसपास बैठता है.

अमेरिका की एक अदालत में इन आरोपों को लेकर एक केस दर्ज किया गया है. अडानी ग्रुप की ओर से यह रिश्वत 2020 से 2024 के बीच बड़े सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए देने के आरोप है. इन डील की वजह से अडानी ग्रुप को 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ होने की संभावना थी.

अडानी ग्रुप ने आरोपों पर कही ये बात

अमेरिकी प्रोसीक्यूटर की ओर से लगाए गए आरोपों का अडानी ग्रुप ने खंडन किया है. ग्रुप की ओर से हवाला दिया गया है कि अमेरिका के न्याय विभाग ने स्वयं कहा है कि केस में लगाए गए आरोप अभी सिर्फ आरोप हैं. जब तक दोषी साबित नहीं हो जाते, तब तक उन्हें निर्दोष ही माना जाएगा. अडानी ग्रुप ने इस मामले को लेकर सभी कानूनी विकल्प अपनाने की बात कही है.

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में सेना भर्ती के दौरान भगदड़, कई अभ्यर्थी घायल

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बीते 9 दिनों से सेना भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. वहीं सेना भर्ती के नौवें दिन उत्तर प्रदेश के युवाओं की भर्ती होने थी. जिसके लिए करीब 20 हजार अभ्यर्थी पिथौरागढ़ पहुंचे थे. वहीं भर्ती के दौरान भगदड़ मचने से कई अभ्यर्थी घायल हो गए. जबकि एक अभ्यर्थी के हाथ और पैर टूट गए. भगदड़ मचने से भर्ती स्थल पर अफरातफरी मच गई. जानकारी के मुताबिक, पहले भर्ती स्थल में घुसने के दौरान मारामारी हुई और उसके बाद भगदड़ मच गई.

पिथौरागढ़ के जाजरवेल के देवकटिया इलाक में सेना में भर्ती के लिए अलग-अलग राज्य के अभ्यर्थी पहुंच थे. हालांकि हर राज्य के अभ्यार्थियों को अलग-अलग दिन भर्ती प्रक्रिया में शामिल होना था. वहीं नौवे दिन यानी बुधवार के दिन यूपी के अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. राज्य के करीब 15 से 20 हजार अभ्यर्थी पहुंचे थे. अभ्यर्थियों की भारी संख्या के कारण भर्ती स्थल पर अफरातफरी का माहौल बना रहा. वहीं युवाओं को संभालने में पुलिस के पसीने छूट गए. वहीं भगदड़ के बाद पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. इसमें एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया.

पुलिस के छूटे पसीने

उत्तर प्रदेश से करीब 20 हजार अभ्यर्थी पहुंचे तो भारी संख्या के कारण अफरातफरी का माहौल रहा. पहले तो भर्ती स्थल में प्रवेश करने के दौरान अभ्यर्थियों में मारामारी हुई. भर्ती स्थल के अंदर जाने के दौरान युवाओं में धक्का-मुक्की हुई. धक्का-मुक्की और अंदर जाने के दौरान युवाओं ने भर्ती स्थल पर बने दरवाजे को तोड़ दिया. वहीं युवाओं को संभालने में पुलिस से पसीने छूट गए. उसके बाद भर्ती स्थल पर भगदड़ मच गई. युवाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया.

117 पद के लिए पहुंचे 35 हजार अभ्यर्थी पहुंचे

पिथौरा गढ़ में बेरोजगारों की भीड़ उमड़ी हुई थी. सेना भर्ती के दौरान भीड़ के कारण अलग ही हालात बन गए. 117 पदों के लिए भर्ती होनी थी इसके लिए अब तक 35 हजार से अधिकर अभ्यर्थी फिजिकल टेस्ट दे चुके हैं. इस हिसाब से एक पद के लिए करीब 300 अभ्यर्थी पहुंचे हैं.

एससी-एसटी एक्ट मामले में सलमान खान और शिल्पा शेट्टी को जोधपुर हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत,मामला हुआ खत्म

फिल्म अभिनेता सलमान खान और अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को गुरुवार को जोधपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. राजस्थान के जोधपुर हाईकोर्ट ने दोनों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि बिना मंजूरी और जांच के एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती.

दरअसल, यह मालमा साल 2013 को सलमान खान और शिल्पा शेट्टी कुंद्रा के एक इंटरव्यू का है. जहां याचिकाकर्ता ने इस इंटरव्यू में सलमान और शिल्पा की ओर से भंगी शब्द का इस्तेमाल करने पर आपत्ती जताई थी. उनका कहना है कि इस शब्द से वाल्मीकि समुदाय के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है.वहीं, इस मामले में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने साल 2017 में ही माफी मांग ली थी.

वाल्मीकि समुदाय की भावनाओं को पहुंचीठेस

सलमान खान और शिल्पा शेट्टी के खिलाफ साल 2013 में ये मामला दर्ज किया गया था. वहीं, तीन साल बाद साल 2017 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में दोनों कलाकारों पर टीवी पर दिए गए इंटरव्यू में वाल्मीकि समुदाय के लोगों के खिलाफ कथित ‘भंगी’ शब्द का इस्तेमाल करने का आरोप था. वहीं, इस मामले की सुनवाई गुरुवार को जोधपुर हाईकोर्ट में हुई. जहां कोर्ट ने शिल्पा शेट्टी और सलमान खान के पक्ष में फैसला सुनाया.

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि कानून की यह स्थापित धारणा है कि जब तक एफआईआर में देरी का कारण नहीं बताया जाता, तब तक यह अपने आप में घातक है. वहीं, जोधपुर हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि बिना मंजूरी और जांच के एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती. साथ ही सलमान खान और शिल्पा शेट्टी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का फैसला सुनाया है.

मैं सभी धर्मो का सम्मान करती हूं- शिल्पा

यह मामला चूरू कोतवाली थाने में दर्ज किया गया था. वहीं शिल्पा शेट्टी इस मामले में साल 2017 में ही माफी मांग चुकी हैं. माफी मांगते हुए उन्होंने कहा था, ‘अगर उन्होंने ऐसा किया है तो मैं माफी मांगती हूं. मुझे ऐसे देश से होने पर गर्व है जहां अलग-अलग जातियां और धर्म हैं. मैं उनमें से प्रत्येक का सम्मान करती हूं.’

कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया गया कि इस मामले में एससी-एसटी अधिनियम लागू नहीं होता है. क्योंकि कथित टिप्पणियों में जाति के आधार पर अपमानित करने का इरादा नहीं था. इस प्रकार यह एफआईआर कानूनी रूप से अस्थिर है और प्रक्रिया का दुरुपयोग है. वहीं, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी आरोप नहीं था जो वर्तमान शिकायत को जारी रखने के योग्य हो और मामले को रद्द कर दिया.

उत्तराखंड में शिक्षा के नाम पर छात्राओं के साथ अन्याय: कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में छात्राओं से बनवाया जा रहा है भोजन

उत्तराखंड सरकार एक ओर सरकारी स्कूलों में बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा को बेहतर बनाने का काम कर रही है तो वहीं दूसरी ओर सरकारी विद्यालय में बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे नजर आ रहा है. दरअसल, मामला बहादराबाद विकास खंड क्षेत्र के रानी माजरा गांव में स्थिति कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का है. जहां विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं से भोजन बनवाया जा रहा है और जूठे बर्तन धुलवाए जा रहे हैं. यहां तक कि छात्राओं का आरोप है कि उन्हें जूठे बर्तन का दूध दिया जा रहा है.

दरअसल सोशल मीडिया पर चिकन को साफ करते हुए छात्राओं का वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो की जांच पड़ताल की गई तो मामला रानी माजरा गांव में स्थिति कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का निकला. वहीं जांच में पूरी सच्चाई खुलकर सामने आ गई. छात्राओं ने पूछताछ के दौरान सारी सच्चाई बताई. उन्होंने कहा कि विद्यालय में सभी से खाना बनवाया जा रहा और बर्तन भी धुलवाए जा रहे हैं. यहां तक कि कैमरे के सामने छात्राओं ने कहा कि उन्हें जूठे बर्तन का दूध दिया जा रहा है.

वार्डन ने दी सफाई

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बारे में जब विद्यालय की वार्डन तन्नू चौहान इस पूरे मामले में कहा कि उनके विद्यालय में कोई चिकन नहीं बना है. चिकन बना बनाया मंगाया गया था. सिर्फ चिकन को गर्म किया गया जो वीडियो में भी रिकॉर्ड है, जिसे आप देख और साफ-साफ सुन सकते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों ने चिकन खाने के लिए कहा था जिस पर उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी से बच्चों को चिकन खिलवाने की अनुमति ली थी. वहीं वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि छात्राएं कच्चे चिकन को साफ करती नजर आ रही हैं. छात्राएं कैमरे के सामने भी साफ-साफ हकीकत बयां कर रही हैं. इसके बावजूद विद्यालय की वार्डन झूठी सफाई पेश करती कर रही हैं.

कार्रवाई की मांग कर रहे लोग

इस मामले में स्कूल की वार्डन और शिक्षकों की मिली भगत की आशंका जताई जा रही है. क्योंकि छात्राएं जब अपनी परेशानी बयां कर रही थी तो वार्डन ने उन्हें कैमरे के सामने से हटा दिया और कुछ भी बोलने से मना कर दिया. बरहाल अब देखना यह होगा की इस पूरे मामले में आगे क्या कार्रवाई अमल में लाई जाती है. इस पूरी घटना को शिक्षा के नाम पर छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ माना जा रहा है. वहीं वीडियो वायरल होने पर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई मांग की जा रही है.

शरद पवार को 29 साल बाद मिल सकती है सीएम की कुर्सी, जानें

क्या 29 साल बाद शरद पवार के पास महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी आ सकती है? मतदान के बाद बन रहे सियासी समीकरण को देखते हुए मुंबई से लेकर दिल्ली तक इस बात की चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि चुनाव में भले आंकड़े कुछ भी हो, लेकिन सत्ता की चाबी पवार के हाथों में ही होगी.

महाराष्ट्र की 288 सीटों पर 23 नवंबर को नतीजे आएंगे. राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है.

सरकार गठन के लिए सिर्फ 3 दिन का समय

महाराष्ट्र में 23 नवंबर को मतों की गिनती होगी और 26 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. 3 दिन के भीतर अगर सरकार गठन का दावा पेश नहीं किया जाएगा तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकती है.

राष्ट्रपति शासन लागू होने की स्थिति में गेंद केंद्र के पाले में आ जाएगी. कहा जा रहा है कि ऐसी ही स्थिति से बचने के लिए पार्टियां जल्द से जल्द सरकार गठन की कवायद करेगी. पवार इसका फायदा उठा सकते हैं.

2019 में राष्ट्रपति शासन लागू होने की वजह से पवार महाविकास अघाड़ी की सरकार में वित्त, गृह जैसे कई अहम विभाग अपने पास रख लिए.

करीब 70 सीटों पर पवार परिवार की दावेदारी

महाराष्ट्र को लेकर जितने भी एग्जिट पोल आए हैं, उन सभी में दोनों पवार को करीब 70 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. विधानसभा की करीब 42 सीटों पर अजित पवार और शरद पवार के उम्मीदवार के बीच ही मुकाबला है.

2024 के लोकसभा चुनाव में 38 विधानसभा सीटों पर शरद पवार और 6 सीटों पर अजित पवार को बढ़त मिली थी. दोनों के उलट-पलट की गुंजाइश भी है.

अजित पवार ने पूरे चुनाव में खुलकर उन मुद्दों का विरोध किया है, जिससे बीजेपी चुनाव में ध्रुवीकरण की कवायद कर रही थी. जूनियर पवार इस वजह से बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस के निशाने पर रहे हैं.

इसी पावर की वजह से कहा जा रहा है कि इस बार सीएम की कुर्सी पवार परिवार के पास जा सकती है

न काहू से दोस्त न काहू से बैर वाला फॉर्मूला

शरद पवार महाराष्ट्र की सियासत में न तो किसी से ज्यादा दोस्ती रखते हैं और न ही दुश्मनी. 2014 में बीजेपी को समर्थन देने वाले पवार 2019 में उद्धव के साथ चले गए. उनके पुराने सहयोगी और अजित गुट के उम्मीदवार नवाब मलिक ने हाल ही में दावा किया था कि शरद पवार किसी तरफ जा सकते हैं.

दिलचस्प बात है कि इस बार न तो महाविकास अघाड़ी और न ही महायुति ने सीएम फेस घोषित कर रखा है. ऐसे में दोनों तरफ सीएम पद का स्पेस बचा है.

पवार के मन में क्या चल रहा है?

84 साल के शरद पवार ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक रखी थी. उन्होंने पूरे चुनाव में करीब 55 रैलियों को संबोधित किया. पवार अपने हर रैली में सिर्फ महाराष्ट्र को नई दिशा में ले जाने की बात करते रहे.

इस्लामपुर की एक रैली में सीनियर पवार ने जयंत पाटिल को लेकर बड़ी टिप्पणी भी की थी. शरद पवार ने इस रैली में कहा था कि जयंत को अब पूरे राज्य की जिम्मेदारी संभालनी है, इसलिए अभी से तैयार रहें.

सीनियर पवार के इस बयान के बाद से ही महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में सवाल उठ रहा है कि आखिर उनके मन में क्या चल रहा है?

1995 के बाद नहीं मिली कुर्सी

1995 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद शरद पवार को कभी भी मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिली. महाराष्ट्र की सियासत में इसके बाद वे करीब 4 बार किंगमेकर की भूमिका में जरूर रहे, लेकिन सियासी समीकरणों की वजह से वे सीएम की कुर्सी से दूर ही रहे.

पवार की पार्टी से छगन भुजबल और अजित पवार जरूर कई सरकारों में उपमुख्यमंत्री रहे हैं. अजित अभी भी उपमुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं.

89 पर शरद 60 पर अजित लड़ रहे

महाविकास अघाड़ी के बैनर तले विधानसभा की 89 सीटों पर शरद पवार चुनाव लड़ रहे हैं. शरद का 42 सीटों पर मुकाबला अजित गुट के उम्मीदवारों से है. बाकी बचे 47 सीटों पर शरद के उम्मीदवारों का सीधा मुकाबला शिवसेना (शिंदे) और बीजेपी प्रत्याशियों से है.

अजित पवार इस चुनाव में करीब 60 सीटों पर लड़ रहे हैं. शरद के अलावा अजित गुट का अधिकांश सीटों पर कांग्रेस से मुकाबला है.