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बिहार के मुजफ्फरपुर में डॉक्टर की लापरवाही: 12 साल की बच्ची का किया गलत ऑपरेशन,मच गया बवाल

बिहार के मुजफ्फरपुर में डॉक्टर की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां के सदर अस्पताल में पेट दर्द का इलाज कराने पहुंची एक 12 साल की बच्ची का डॉक्टर ने अपेंडिक्स का ऑपरेशन कर दिया. ऑपरेशन के बाद डॉक्टर को पता चला कि बच्ची को अपेंडिक्स ही नहीं है. पीड़िता के परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाते हुए विभागीय अधिकारियों से शिकायत की है. उनका आरोप है कि ऑपरेशन के बाद बच्ची डेढ़ घंटे तक बेहोश रही. उसको जिस बेड पर लिटाया गया, वहां कूड़े का डिब्बा रखा हुआ था. अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं.

बच्ची को पेट दर्द की शिकायत थी. उसका अल्ट्रासाउंड भी कराया गया. डॉक्टर ने उसे अपेंडिक्स बताई और उसका ऑपरेशन कर दिया. जब बीमारी नहीं नीली तो डॉक्टर पीड़िता के परिजनों से सॉरी कहने लगे. मामला अब स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के पास पहुंच गया है. जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं. परिजनों में डॉक्टर की लापरवाही को लेकर गुस्सा है. हद तब हो गई जब बच्ची को टांके लगाने के बाद डॉक्टर उसे देखने तक नहीं आया.

अल्ट्रासाउंड करवाया, फिर हुआ ऑपरेशन

पीड़िता जिले के कांटी मानपुरा की रहने वाली है. उसकी मां सुमित्रा ने बताया कि उनकी बेटी के पेट में दर्द होने पर वह उसे 28 अक्टूबर को जिले के सदर अस्पताल पर लेकर आए थे. उसे डॉक्टर ने देखा और अपेंडिक्स होने की बात कहकर उसका अल्ट्रासाउंड करवाया. सदर अस्पताल में उसने बच्ची का अल्ट्रासाउंड करवाया. उसकी खून की जांच भी करवाई गई थी. डॉक्टर ने रिपोर्ट देखकर उसका ऑपरेशन करने को कहा. सुमित्रा ने बताया कि मंगलवार को डॉक्टर ने उनकी बेटी का ऑपरेशन कर दिया.

डेढ़ घंटा तक चला ऑपरेशन

पीड़िता की मां ने बताया कि उसकी बेटी के ऑपरेशन में डॉक्टर ने करीब डेढ़ घंटा लगाया. डॉक्टर से जब इतना समय लेने की बात पूछी तो उन्होंने बताया कि उनकी बेटी को अपेंडिक्स ही नहीं है. डॉक्टर उनसे सॉरी बोलने लगा. इस पर परिजनों को गुस्सा आ गया. उन्होंने बताया कि लापरवाह डॉक्टर उनकी बेटी का ऑपरेशन करके चले गए और उन्होंने वापस उसका हाल भी नहीं जाना. परिजनों ने बताया कि उनकी बेटी को सर्जरी वार्ड में कचरे के डिब्बे के पास बेड पर लेटा दिया गया. उन्होंने इसकी शिकायत सिविल सर्जन से की. उसके बाद लिखित शिकायत अस्पताल अधीक्षक से की गई. उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

दियोटसिद्ध मंदिर का प्रसाद खाने योग्य नहीं: जांच में सामने आया बासी प्रसाद!

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित दियोटसिद्ध मंदिर का प्रसाद खाने के लायक नहीं है. एक जांच में सामने आया है कि प्रसाद बासी थे, जिसे खाने से बीमार होने की संभावना है. पूरे मामले को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दिशा-निर्देशों के अनुसार जल्द कार्रवाई की जाएगी. जांच अधिकारियों ने बताया कि प्रसाद को लेकर लंबे समय से शिकायत मिल रही थी. इसी के बाद प्रसाद की जांच की गई थी.

हमीरपुर जिले के दियोटसिद्ध मंदिर में प्रसाद में रोट मिलता है, जो कि देसी घी, गेहूं और चीनी से बना हुआ होता है. भक्त बाबा बालक नाथ को पारंपरिक प्रथा के अनुरूप प्रसाद में रोट चढ़ाते हैं. इस मंदिर में करीब 50-75 लाख भक्त हर साल आते हैं. खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में सामने आया है कि मंदिर में मिलने वाले रोट खाने योग्य नहीं है. विभाग को पिछले काफी समय से प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिल रही थी.

प्रसाद का सैंपल हुआ फेल

शिकायतों के बाद विभाग ने मंदिर से प्रसाद के सैंपल को उठाकर जांच के लिए सोलन जिले की कंडाघाट लैब में भेज दिया. मंगलवार को जांच रिपोर्ट की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि प्रसाद खाने योग्य नहीं पाया गया है. रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रसाद के तौर पर बांटे जा रहे रोट बासी थे, जिसे खाने से भक्त बीमार हो सकते है. सहायक आयुक्त खाद्य एवं सुरक्षा ने बताया कि प्रसाद के सैंपल फैल हो गए हैं. जल्द ही दिशा-निर्देशों के तहत जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी.

डीसी ने दिए जांच के आदेश

दियोटसिद्ध मंदिर में बिक रहे रोटो को लेकर हमीरपुर के उपायुक्त (डीसी) अमरजीत सिंह ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है. उन्होंने खाद्य पदार्थों की दुकानों की जांच करके अनियमितता पाए जाने पर दुकानदारों के लाइसेंस तुरंत निलंबित करने के आदेश दिए हैं. वहीं, यह कोई पहली घटना नहीं है, जब किसी मंदिर का प्रसाद जांच में फेल हुआ हो. इससे पहले भी तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवर की चर्बी मिलने की बात सामने आई थी.

देवबंद विस्फोट मामले में बड़ी कामयाबी: नजीर अहमद वानी गिरफ्तार!

1993 के देवबंद विस्फोट मामले का मुख्य आरोपी नजीर अहमद वानी को गिरफ्तार कर लिया गया है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे जम्मू और कश्मीर के बडगाम जिले से गिरफ्तार किया है. मंगलवार 19 नवंबर को अधिकारियों ने यह जानकारी दी. बताया जा रहा है कि वानी को यूपी पुलिस की टीम ने जम्मू कश्मीर पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया है. पुलिस के लिए वानी की गिरफ्तारी बड़ी कामयाबी है.

हाल ही में जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में वानी बडगाम विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरा था, हालांकि इस चुनाव में उसे हार मिली थी. पुलिस अधिकारी के मुताबिक 51 साल के नजीर अहमद वानी ने अपने चुनावी हलफनामे में अपना पेशा व्यवसाय बताया था. उसने हलफनामे में देवबंद विस्फोट मामले का जिक्र नहीं किया था, जबकि वो 1993 के विस्फोट मामले में जमानत पर बाहर था.

फरार चल रहा था नजीर अहमद वानी

1993 में हुए विस्फोट चार लोग जख्मी हो गए थे, जिनमें उत्तर प्रदेश के दो पुलिसकर्मी भी शामिल थे. नजीर अहमद वानी1993 में गिरफ्तार किया गया था. 1994 में उसे जमानत मिल गई थी और वह रिहा कर दिया गया था. हालांकि इसके बाद वह जमानत की शर्तों का पालन नहीं करते हुए फरार हो गया था.बताया जा रह है कि नजीर अहमद वानी पिछले 31 सालों से अपना हुलिया बदलकर सभी को चकमा दे रहा था वह अलग-अलग जगहों पर रह रहा था. बानी के खिलाफ पिछले साल बडगाम जिले में गलत तरीके से रोकने और आपराधिक धमकी देने का मामला भी दर्ज किया गया था.

जम्मू कश्मीर से हुई नजीर अहमद की गिरफ्तारी

सहारनपुर के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सागर जैन ने के मुताबिक आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) और देवबंद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में आरोपी बानी को जम्मू कश्मीर से रविवार को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने बताया कि साल 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के दौरान देवबंद में कई स्थानों पर साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी. इसी दौरान 1993 में शहर में पुलिसकर्मियों पर बमों से हमला किया गया था. जिसके बाद नजीर अहमद को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई थी.

क्या आप वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्ड करना चाहते हैं? यहां कुछ तरीके और ऐप्स जो आपकी कर सकते हैं मदद

अगर आप वॉट्सऐप यूज करते हैं तो आपको ये ट्रिक बेहद पसंद आ सकती है. नॉर्मली कॉल रिकॉर्ड करना तो लगभग लोगों को आता ही होगा. लेकिन अगर वॉट्सऐप कॉल को रिकॉर्ड करने की बात आती है तो सोच में पड़ जाते हैं. वैसे आजकल लोग नेटवर्क के वजह से या कॉल रिकॉर्ड नहीं हो पाने के वजह से वॉट्सऐप पर ही कॉल करते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आप वॉट्सऐप कॉल को भी आसानी से रिकॉर्ड कर सकते हैं. यहां हम आपको एक ट्रिक और कुछ ऐप्स के नाम बताएंगे जिनके जरिए आप वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्डिंग आसानी से कर सकेंगे.

वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्ड की ट्रिक

वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्ड करने के लिए आप इस ट्रिक को आजमा सकते हैं, जब भी कोई वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्ड करनी हो तो अपने फोन की स्क्रीन रिकॉर्डिंग ऑन कर दें, स्क्रीन रिकॉर्डिंग के दौरान मीडिया एंड माइक का ऑप्शन सलेक्ट करें. इससे आपके फोन में वॉट्सऐप कॉल भी रिकॉर्ड हो जाएगी. लेकिन हो सकता है कि सामने वाले की आवाज उतनी क्लीयर ना हो लेकिन आपके बेसिक यूज के तो काम आ ही सकती है.

आईफोन यूजर्स अपनी स्क्रीन रिकॉर्डिंग में भी माइक्रोफोन ऑन करके कर सकते हैं इससे आपकी और सामने वाले की वॉइस दोनों रिकॉर्ड हो जाती हैं.

वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्डिंग

वैसे तो वॉट्सऐप अपने कस्मटर्स की सुविधा के लिए हर दिन नए अपडेट पर काम करता रहता है. कोई ना कोई नया फीचर्स लेकर आता ही है. लेकिन मेटा ने अभी तक वॉट्सऐप पर भी तक कोई वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्डिंग फीचर नहीं पेश किया है. ऐसे में वॉट्सऐप पर कॉल रिकॉर्ड करने का कोई ऑफिशियल फीचर नहीं है. पर आप फिर भी ऐसा कर सकते हैं, आप वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्ड कर सकते हैं लेकिन थर्ड-पार्टी ऐप्स के जरिए. ये ऐप्स आपको वॉट्सऐप कॉल रिकॉर्ड करने की सुविधा देते हैं.

कॉल रिकॉर्डिंग ऐप करेंगे मदद

Cube ACR ऐप एक पॉपुलर ऐप है, ये आपकी नॉर्मल कॉल के साथ वॉट्सऐप कॉल को भी रिकॉर्ड कर सकता है. इसके अलावा ये दूसरे वीआईपी कॉल्स को भी रिकॉर्ड कर सकता है. इस ऐप को आप गूगल प्ले स्टोरी और एपल ऐप स्टोर दोनों से इंस्टॉल कर सकते हैं. गूगल प्ले स्टोर पर इसे 4.0 स्टार मिल हैं, वहीं इस ऐप को 1 करोड़ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं.

Salestrail ऐप भी एक प्रीमियम कॉल रिकॉर्डिंग ऐप है. ये ऐप भी आपकी कॉल्स को रिकॉर्ड कर सकता है. गूगल प्ले स्टोर पर इस ऐप को 3.5 रेटिंग मिली हुई है, वहीं प्लेटफॉर्म से इसे 50 हजार से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं.

ACR Call Recorder एक ऑटोमेटिक कॉल रिकॉर्डिंग ऐप्लीकेशन है. इसे आपको एक बार फोन में एक्टिव करना है उसके बाद आपकी सभी कॉल्स रिकॉर्ड हो जाती हैं. इसका यूजिंग इंटरफेस भी आसान है. गूगल प्ले स्टोर पर इसे 3.9 रेटिंग मिली है, वहीं इसे 1 करोड़ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं.

महाराष्ट्र-झारखंड में इस बार 7 गुना अधिक जब्त हुई नगदी-शराब,चुनाव आयोग

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने में अब सिर्फ दो दिन बचे हैं. इस बीच चुनाव आयोग ने अब तक दोनों राज्यों में प्रलोभन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है. चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा चुनाव में जब्ती 1000 करोड़ रुपए को पार कर गई है. इसके अनुसार, 2019 की तुलना में महाराष्ट्र और झारखंड में सात गुना ज्यादा जब्ती की गई है.

चुनाव आयोग की ओर से चुनावों की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो जाती है. साथ ही चुनाव आयोग व्यापक निगरानी रखना शुरू कर देता है. इसका मुख्य काम चुनावों में इस्तेमाल होने वाले धनबल पर लगाम लगाना है. 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र और झारखंड में करीब 123 करोड़ रुपए जब्त किए गए थे.

महाराष्ट्र-झारखंड में कुल 858 करोड़ रुपए की जब्ती

चुनाव आयोग के तहत प्रवर्तन एजेंसियों ने महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में कुल 1082.2 करोड़ रुपए की जब्ती की है. इसमें नकदी, शराब, ड्रग्स, मुफ्त उपहार और अन्य प्रलोभन वाले सामान शामिल हैं. महाराष्ट्र और झारखंड में कुल 858 करोड़ रुपए की जब्ती हुई है. यह दोनों राज्यों में हुए पिछले चुनाव से 7 गुना अधिक है.

2019 के विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 103.61 करोड़ रुपए की प्रलोभन सामग्री जब्त की गई थी, जबकि झारखंड में 18.76 करोड़ रुपए की जब्ती की गई थी. इस बार महाराष्ट्र में कुल 660.18 करोड़ रुपए और झारखंड में 198.12 करोड़ रुपए की जब्ती की गई. वहीं, 14 राज्यों में हुए उपचुनावों में कुल 223.91 करोड़ रुपए की नकदी और प्रलोभन सामग्री जब्त की गई.

महाराष्ट्र में अब तक 71.13 करोड़ रुपए की शराब जब्त

महाराष्ट्र और झारखंड में नकदी के अलावा बड़ी मात्रा में शराब और ड्रग्स जब्त किए गए. महाराष्ट्र में अब तक 153.48 करोड़ रुपए नकद, 71.13 करोड़ रुपए की शराब, 72.14 करोड़ रुपए की ड्रग्स, 80.94 करोड़ रुपए के मुफ्त उपहार और 282.49 करोड़ रुपए की कीमती धातुएं जब्त की गई हैं.

झारखंड में 14.84 करोड़ नकद, 7.84 करोड़ शराब, 14.84 करोड़ नशीली दवाएं, 8.38 धातु वस्तुएं और 152.22 करोड़ रुपए के मुफ्त उपहार जब्त किए गए हैं. वहीं, चुनाव में कार्यरत अधिकारियों को अगले दो दिनों में प्रलोभनों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सीईओ, डीईओ, एसपी सहित सभी अधिकारियों को मतदान होने तक कड़ी निगरानी जारी रखने को कहा है.

बिहार के गया जिले में सियार का आतंक: 7 लोग घायल, वन विभाग ने शुरू किया रेस्क्यू ऑपरेशन

बिहार के गया जिले में सियार का आतंक फैला हुआ है. आतंक मचा रहे यह सियार ग्रामीणों पर हमला कर रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार, यह सियार अब भीड़ से भी नहीं डर रहे हैं. ये भीड़ पर भी अचानक हमला कर दे रहे हैं. सियार के हमले से अब तक तीन महिलाओं समेत सात लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं, जिसमें एक महिला की स्थिति नाजुक बनी हुई है.

मिली जानकारी के अनुसार, डुमरिया प्रखंड के अंतर्गत गोटीबांध तेलियाडीह में सियार का आतंक बना हुआ है. सियार ग्रामीणों पर लगातार हमला कर रहे हैं. सोमवार सुबह-सुबह टहलने निकले लोगों को सियार ने अपना निशाना बनाया. सियार के हमले में चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. इनमें एक महिला भी शामिल है.

और बढ़ सकती है घायलों की संख्या!

महिला की हालत गंभीर बनी हुई है. हद तो तब हो गई, जब सियार के हमले के कुछ घंटे बाद वन विभाग की टीम रेस्क्यू करने पहुंची, तब भीड़ लग गई. सियार ने इसी भीड़ के बीच में आकर हमला कर दिया, जिसके बाद तीन और लोग घायल हो गए. बताया यह भी जा रहा है कि इसी तरह के कई हमले सियार के द्वारा ग्रामीणों पर किए जा रहे हैं, जिससे घायलों की संख्या और बढ़ सकती हैं.

सियार के हमले में ये लोग हुए घायल

वही, सियार के हमले की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम सक्रिय हो गई. वन विभाग की टीम ने डुमरिया के गोटीबांध तेलियाडीह में सियार को पकड़ने के लिए रेस्क्यू शुरू किया है. वन विभाग के अधिकारी की मानें तो संभवत: सियार पागल हो गए हैं. अभी इनकी संख्या कितनी है, ये जानकारी नहीं मिल पाई है. अब तक सियार के हमले में कलावती देवी, लालू साव, अरूण प्रसाद के अलावा तीन अन्य शामिल हैं.

वन विभाग टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी

इनमें महिला चिंता देवी की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. इस संबंध में इमामगंज वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी कुलदीप चौहान ने बताया कि सियार अचानक हमला कर रहा है. संभवत वह पागल है. यही वजह है कि भीड़ के बावजूद वह हमला कर रहा है. वन विभाग की टीम सियार को पकड़ने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है.

दिल्ली में जहरीली हवा का कहर: स्कूल बंद, सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव

देश की राजधानी दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो चुका है. जहरीली हवा ने राजधानी की रफ्तार रोक दी है. सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया है. 10वीं और 12वीं की कक्षाएं ऑनलाइन चलेंगी. वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान-4 लागू किया गया है. इसी बीच एमसीडी और दिल्ली सरकार के दफ्तरों के खुलने और बंद होने का समय बदला गया है. इसे उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने मंजूरी दे दी है.

उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के सभी ऑफिस के लिए अलग-अलग टाइम टेबल लागू करने का निर्देश दिया है. इसके मुताबिक, दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले ऑफिस सुबह 8:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुलेंगे. दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले दफ्तर सुबह 10:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुलेंगे.

सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव पीयूष कुमार दोसी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, 28 फरवरी 2025 तक दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सभी ऑफिस में यह कार्यालय समय प्रभावी रहेगी. हाल ही में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकारी दफ्तरों का समय बदलने का प्रस्ताव रखा था.

अधिकतम एक्यूआई 500 दर्ज किया गया

दिल्ली में द्वारका, मुंडका और नजफगढ़ जैसे इलाकों में दोपहर के समय अधिकतम एक्यूआई 500 दर्ज किया गया. इस मौसम में एक्यूआई अब तक के सबसे खराब स्तर पर पहुंच चुका है. सीपीसीबी के अनुसार, दोपहर दो बजे तक एक्यूआई 491 दर्ज किया गया. समीर ऐप के अनुसार, द्वारका सेक्टर-8, नेहरू नगर, नजफगढ़ और मुंडका चार स्टेशन ने एक्यूआई का स्तर अधिकतम 500 बताया है.

कैसा सरकारी शिक्षक हूं…ना मां की दवाई ला सकता, न बच्चों की फीस भर सकता,शिक्षकों का छलका दर्द

बिहार के शारीरिक शिक्षकों का दर्द छलक उठा है. इन शिक्षकों कहना है कि सरकार सुनती नहीं और पुलिस लाठियां भांजती है. ऐसे में वह क्या करें? ना तो वह अपनी मां की दवाई ला सकते हैं और ना ही बच्चों की फीस भर सकते हैं. घर का खर्च चलाने के लिए भी घर वालों से मांगना पड़ता है. इन शिक्षकों कहना है कि वह हैं तो सरकारी शारीरिक शिक्षक, लेकिन वेतन चपरासी से भी कम है. ऐसे में उन्हें तो घर जाने में भी शर्म आती है. हमेशा यह डर बना रहता है कि कहीं मां दवाई लाने को ना कह दे या फिर बच्चे फीस या पढ़ाई के अन्य खर्चों के लिए पैसे ना मांग लें.

हालात ऐसे बन गए हैं कि पता ही नहीं चलता कि वह कैसे सरकारी शिक्षक हैं? इसी तरह की प्रतिक्रिया बिहार के सभी नव नियुक्त शारीरिक शिक्षक एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों की है. बिहार सरकार ने इन्हें सरकारी नौकरी तो दे दी, लेकिन बीते ढाई साल से इन्हें महज 8 हजार रुपये की तनख्वाह में ही गुजर बसर करना पड़ रहा है. चूंकि ज्यादातर शिक्षक अपने घर से दूर के स्कूलों में तैनात हैं. ऐसे में उन्हें किराए पर रहकर नौकरी करनी पड़ रही है. ऐसे में तनख्वाह का बड़ा हिस्सा कमरे के किराए में ही निकल जाता है.

2022 में हुई जॉइनिंग

शिक्षक रमेश कुमार के मुताबिक वेतन की विसंगतियों को दूर करने के लिए लगातार आवाज उठाई जा रही है. इसके लिए कई बार राजधानी पटना भी पहुंचे, लेकिन पुलिस ने लाठियां भांज कर उन्हें खदेड़ दिया. कहा कि उन्होंने लाखों रुपये खर्च कर पढ़ाई की. पहले मैट्रिक फिर इंटर और ग्रेजुएशन के बाद B.ped किया. साल 2019 में STET पास करने के बाद 3 साल इंतजार भी किया. अब साल 2022 में जॉइनिंग तो हो गई, लेकिन हालात और भी खराब हो गए हैं. कहा कि जब नौकरी लगी तो खुशियां मनाई गई थीं. पूरे गांव में मिठाई भी बंटी, लेकिन इस नौकरी से दो जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है.

आवाज बुलंद करने पर खानी पड़ती है लाठियां

शिक्षक नीलम कुमारी के मुताबिक 8 हज़ार वेतन में कैसे घर चला सकते हैं. इस तनख्वाह में बच्चों के कपड़े तक नहीं खरीद सकते. भागलपुर संघ के अध्यक्ष अभय मिश्रा ने बताया कि आगामी 25 नवंबर से बिहार विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है. उनका संगठन एक बार फिर से एकजुट होकर पटना में धरना प्रदर्शन करेगा. उन्होंने बताया कि शिक्षक प्रतिनिधिनयों ने पहले भी कई बार सरकार और विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं के सामने रखी जा चुकी है, लेकिन अब तक उन्हें अनसुना किया गया है. बल्कि 26 जुलाई व 25 अक्टूबर 2024 को पटना सचिवालय और जदयू कार्यालय का घेराव करने पर उनके ऊपर लाठियां बरसाई गई थी

मणिपुर में शांति बहाली के लिए 50 अतिरिक्त कंपनियां होगी तैनात,दिल्ली में हाई लेवल मीटिंग के बाद गृह मंत्री अमित शाह का फैसला

मणिपुर एक बार फिर जल उठा है. हिंसा की आग बेगुनाहों को अपनी जद में रही है. इसको लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक की. सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तरीय बैठक में मणिपुर के हालात को देखते हुए 50 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया गया है.

सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में 50 कंपनियां यानी 5000 जवानों की अतिरिक्त तैनाती की जाएगी. मणिपुर में अभी तक कुल 27 हजार अर्धसैनिक बलों की तैनाती हो चुकी है. गृह मंत्री ने राज्य में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के डिप्लॉयमेंट के बारे में जानकारी ली. सभी एजेंसियों की निर्देश दिया कि राज्य में शांति बहाली की प्रक्रिया ही सर्वोच्च प्राथमिकता रखी जाए

पिछले साल मई से इंफाल घाटी में मैतई और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी समुदाय के बीच हिंसा हो रही है. इसमें 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. हजारों लोग बेघर हुए हैं. बीते दिनों जिरीबाम जिले में महिलाओं और बच्चों के शव बरामद होने से हिंसा एक बार फिर भड़क उठी. आरोप है कि उग्रवादियों ने इनका अपहरण करके हत्या कर दी थी.

सीआरपीएफ के महानिदेशक और अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के अधिकारी भी राज्य में मौजूद हैं. राज्य में अभी सीएपीएफ की कुल 218 कंपनियां हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को कहा था कि मणिपुर में तैनात सभी सुरक्षा बलों को शांति बहाल करने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. पिछले कुछ दिन से राज्य में सुरक्षा स्थिति नाजुक बनी हुई है. हिंसा में दोनों समुदायों के उपद्रवी शामिल हैं. इनके पास हथियार भी हैं. हिंसा में कई लोगों की जान गई है. कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्न हुई है.

एकनाथ खडसे ने राजनीति से संन्यास की घोषणा की: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सोमवार को एनसीपी शरद पवार गुट के नेता एकनाथ खडसे राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी है. उन्होंने आगे कोई चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले की घोषणा की. इस मौके पर खडसे ने एक भावुक बयान भी दिया. उन्होंने अपनी बेटी रोहिणी खडसे को जिताने की अपील करते हुए कहा कि यह तो भगवान ही तय करेंगे कि मैं अगला चुनाव देखूंगा या नहीं. करीब चार दशकों तक खडसे का जलगांव जिले में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में दबदबा रहा है. हाल में उनके भाषणों को लेकर बहुत चर्चा हुई थी.

बेटी रोहिणी खडसे की ओर से सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में एकनाथ खडसे ने कहा है कि, मैं नाथाभाऊ से बात कर रहा हूं. विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को है. इस चुनाव में रोहिणी खडसे एनसीपी की उम्मीदवार हैं. मैं अब और चुनाव नहीं लड़ूंगा. मैं कई वर्षों से आपके साथ हूं. आप सभी ने सालों से मेरा समर्थन किया है. हमने जाति और धर्म से ऊपर उठकर सभी की मदद की है.

वीडियो में वो आगे कहते हैं कि भगवान तय करेंगे कि मैं स्वास्थ्य कारणों से अगला चुनाव देखूंगा या नहीं, लेकिन एकनाथ खडसे ने भावुक अपील करते हुए कहा कि जिस तरह आपने मेरा समर्थन किया है, उसी तरह रोहिणी खडसे को भी समर्थन देकर चुना जाना चाहिए.

कोठारी के सरपंच से लेकर 12 विभागों के मंत्री तक

बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे के साथ एकनाथ खडसे राज्य में बीजेपी का चेहरा थे. गोपीनाथ मुंडे के साथ खडसे ने पार्टी के विकास में बहुत योगदान दिया. एकनाथ खडसे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कोठारी गांव के सरपंच (1987) के रूप में की. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वे विधायक, नेता प्रतिपक्ष, 12 विभागों के मंत्री जैसे विभिन्न पदों पर रहे. उन्होंने पार्टी में कई लोगों को खड़ा किया. उनकी बात दिल्ली तक सार्थक थी.

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी थे शामिल

एक समय ऐसा भी आया था जब उनका नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बताया गया था, लेकिन देवेंद्र फडणवीस से मतभेद के बाद एकनाथ खडसे की बीजेपी में हैसियत घटने लगी. उनके साथ लगातार दोयम दर्जे के व्यवहार का आरोप लगता रहा. इसलिए उन्होंने 2020 में बीजेपी छोड़ दी और एनसीपी में शामिल हो गए.