MP News : फिर उम्मीदों के पंख, मिलेंगे निगम मंडल में पद, प्राथमिकता बीजेपी और संघ समर्थकों को, जानिए कब मिलेंगे पद
खान आशु
भोपाल। करीब आधा साल से ज्यादा समय से खाली पड़े प्रदेश के विभिन्न निगम मंडलों को इनके अगुआ मिलने के रास्ते प्रशस्त होने लगे हैं। उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की ताजपोशी होने के बाद इस प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। इसके लिए शुरुआती रूपरेखा बना ली गई है। तय किए गए प्रारूप में निगम मंडल की कमान भाजपा से जुड़े मूल पदाधिकारियों और नेताओं के साथ संघ से संबंधित लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कुछ चिन्हित लोगों को भी इसमें समायोजित किए जाने की योजना है।
सूत्रों का कहना है कि डॉ मोहन यादव के हाथों में प्रदेश सरकार की बागडोर आने के बाद से कई कद्दावर भाजपा नेता निगम मंडल में एडजस्ट होने की जुगत लगाए बैठे हैं। लेकिन लगातार चुनाव, उप चुनाव और उसके बाद संगठन के बदलाव की व्यस्तता ने इस काम को रोक रखा है। इसी बीच सदस्यता अभियान ने भी इस कवायद की चाल धीमी कर दी थी। सूत्रों का कहना है कि इस माह अंत में प्रदेश की उप चुनाव वाली सीटों के परिणाम आ जाएंगे। इसके बाद अगले महीने की शुरुआत में प्रदेश भाजपा संगठन का चेहरा भी स्पष्ट हो जाएगा। कहा जा रहा है कि इसके बाद संभवतः निगम मंडल की नियुक्ति का मामला निपटाया जाएगा। नया साल आने से पहले इन्हें नए पदाधिकारी मिल जाने की उम्मीद की जा रही है।
कतार में हैं कई
विधानसभा, लोकसभा चुनाव से लेकर छोटे चुनावों तक में टिकट से वंचित रहे भाजपा नेताओं की अपेक्षा निगम मंडल के लिए बनी हुई है। कई स्तर पर आश्वासन पाए यह भाजपा नेता अपनी ताजपोशी के निश्चित दिखाई दे रहे हैं। इधर RSS से जुड़े नेताओं और पदाधिकारियों को भी निगम मंडल में बेहतर समायोजन की उम्मीद बंधी हुई है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा खेमे में आए दिग्गज नेताओं ने अपनी कुर्बानी का बदला निगम मंडल में समायोजन से ही मांगा है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में होने वाली इस घोषणा में कांग्रेस से आयातित नेताओं की झोलियां भरी दिखाई दे सकती हैं।
मुस्लिम इदारों को लंबे समय से दरकार
मप्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग जैसी संवैधानिक संस्था लंबे अरसे से खाली पड़ी है। जिससे अल्पसंख्यक समुदाय और सरकार के बीच सेतु की भूमिका अधूरी पड़ी हुई है। मप्र अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम, मप्र मदरसा बोर्ड जैसी संस्थाएं भी लंबे समय से ओहदेदारों की राह तक रही हैं। इधर मप्र उर्दू अकादमी को संस्कृति विभाग में और जिला मुतावल्ली कमेटी को मप्र वक्फ बोर्ड में समाहित कर यहां की नियुक्तियों के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। भोपाल समेत तीन जिलों की व्यवस्था सम्हालने वाली मसाजिद कमेटी में भी कई वर्षों से पदाधिकारी नहीं बनाए गए हैं।
प्रदेश में कितने निगम/मंडल-
1. तीर्थ स्थान एवं मेला प्राधिकरण
2. भंडार गृह निगम
3. जन अभियान परिषद
4. महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान
5. गौपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड
6. सामान्य वर्ग कल्याण आयोग
7. पाठ्य पुस्तक निगम
8. खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड
9. ऊर्जा विकास निगम
10. संत रविदास हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम
11. पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम
12. बीज एवं फार्म विकास निगम
13. हाउसिंग बोर्ड
14. पर्यटन विकास निगम
15. इंदौर विकास प्राधिकरण
16. महिला एवं वित्त विकास निगम
17. पाठ्य पुस्तक निगम
18. बीज एवं फार्म विकास निगम
19. पर्यटन विकास निगम
20. खनिज विकास निगम
21. नागरिक आपूर्ति निगम
22. राज्य कर्मचारी कल्याण समिति
23. जन अभियान परिषद
24. क्रिस्प
25. भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण
26. श्रम कल्याण मंडल
27. माटी कला बोर्ड
28. वन विकास निगम
29. इलेक्ट्रानिक्स विकास निगम
30. भोपाल विकास प्राधिकरण
31. योग आयोग
32. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल
33. शहरी एवं ग्रामीण असंगिठत कर्मकार मंडल (संबल)
34. राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग
35. रतलाम विकास प्राधिकरण
36. युवा आयोग
37. उज्जैन विकास प्राधिकरण
38. कटनी विकास प्राधिकरण
39. देवास विकास प्राधिकरण
40. विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण पचमढ़ी
41. माध्यमिक शिक्षा मंडल
फरवरी में हुए थे भंग
फरवरी माह में डॉ. मोहन यादव सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में संचालित 46 निगम, मंडल, बोर्ड और आयोग के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। इन सभी भाजपा नेताओं की नियुक्तियां शिवराज सिंह चौहान सरकार के समय की गई थी और इनमें अध्यक्षों को कैबिनेट और उपाध्यक्षों को राज्यमंत्रियों का दर्जा प्राप्त था।
Nov 10 2024, 13:55