सही परामर्श और उपलब्धता से दंपति की पसंद बनी त्रैमासिक ‘‘अंतरा’’
गोरखपुर।सही परामर्श और जिला स्तर से लेकर स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर तक की उपलब्धता के कारण त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन दंपति की पहली पसंद बनने लगा है।
एक बार यह इंजेक्शन लगवाने के बाद तीन माह तक अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है । इस इंजेक्शन की प्रत्येक डोज लगवाने पर लाभार्थी और प्रेरक आशा कार्यकर्ता के खाते में 100 रुपये देने का भी प्रावधान है । इसका पहला डोज लगवाने के लिए स्क्रीनिंग और चिकित्सक का परामर्श अनिवार्य है, जबकि दूसरे और इसके बाद के डोज की सुविधा प्रशिक्षित स्टॉफ से आयुष्मान आरोग्य मंदिर और स्वास्थ्य उपकेंद्र (सब सेंटर) से भी प्राप्त किया जा रहा है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एके चौधरी बताते हैं कि वर्ष 2017-18 में सिर्फ जिला महिला अस्पताल में त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन लगवाने की सुविधा उपलब्ध थी। उस समय मात्र 603 डोज अंतरा इंजेक्शन का चुनाव किया गया। वर्ष 2018-19 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों और स्टॉफ नर्स का क्षमता संवर्धन किया गया तो 1710 डोज अंतरा अपनाई गई। वर्ष 2019-20 में जब जिला महिला अस्पताल और सीएचसी के साथ साथ पीएचसी के स्तर पर भी क्षमता वर्धन के साथ इस सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गई तो 7950 डोज अंतरा की खपत हुई। धीरे धीरे आयुष्मान आरोग्य मंदिरों और स्वास्थ्य उप केंद्रों तक इस सेवा का विस्तार हुआ तो वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 45426 डोज अंतरा इंजेक्शन इस्तेमाल हुए। उपलब्धता, परामर्श और तकनीकी सहयोग में उत्तर प्रदेश तकनीकी सहायता इकाई (यूपीटीएसयू) के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ (डीएफपीएस) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
पिपराईच ब्लॉक की परिवार नियोजन काउंसलर रीना बताती हैं कि त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन के निर्णय में पुरुष प्रतिभागिता की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस इंजेक्शन का पहला डोज लेने के बाद हार्मोनल बदलाव के कारण कुछ महिलाओं में मासिक अनियमित हो जाता है। कुछ का मासिक रुक रुक कर आता है। ऐसे दंपति में पति की भूमिका बढ़ जाती है। यह दंपति जब परामर्श के लिए आते हैं तो दोनों के मन की भ्रांति को दूर किया जाता है और बताया जाता है कि यह सामान्य बदलाव है, इससे कोई दिक्कत नहीं होती है। ऐसा करने से दंपति दूसरे डोज के लिए भी राजी हो जाते हैं।
चरगांवा ब्लॉक के मुड़िया गांव की निवासी 27 वर्षीय महिला अल्पना (काल्पनिक नाम) ने बताया कि आशा कार्यकर्ता संगीता से उन्हें त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन के बारे में सही परामर्श मिल सका । संगीता की बात अच्छी लगने पर ही उन्होंने इस इंजेक्शन का चुनाव किया । पहली डोज लगी तो कुछ दिन तक मासिक धर्म रुक रुक कर आया, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया । जब मासिक धर्म पर असर पड़ा तो आशा कार्यकर्ता ने उन्हें चरगांवा पीएचसी पर एएनएम प्रेमलता से मिलवाया। प्रेमलता ने खुद तो समझाया ही साथ में चिकित्सक से भी मिलवाया। चिकित्सक ने उन्हें बताया कि इंजेक्शन लगने के बाद कुछ महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण मासिक धर्म पर असर पड़ता है, लेकिन यह खुद ठीक हो जाता है । उन्हें बात समझ में आयी और वह अगला डोज भी लगवा लीं ।
यह भी जानना अहम
• प्रसव के छह सप्ताह बाद, माहवारी शुरू होने के तुरंत बाद या सात दिन के भीतर, गर्भपात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर यह इंजेक्शन अपना सकते हैं।
• उच्च रक्तचाप, अकारण योनि से रक्तस्राव, स्ट्रोक, मधुमेह, स्तन कैंसर या लीवर की बीमारी की स्थिति में इसे नहीं अपनाना है।
• त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही अपनाना है।
• इससे कई बार मासिक धर्म में बदलाव होता है जो स्वाभाविक है और यह किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं है।
• इंजेक्शन वाली जगह पर मालिश या सिंकाई नहीं करनी है।
Oct 22 2024, 18:02