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जानिए करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से अर्घ्य देने की परंपरा और माता सीता से इसका क्या है संबंध?

करवा चौथ एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से उत्तर भारत में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाती हैं। इस पर्व पर कई पारंपरिक रीति-रिवाज निभाए जाते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण परंपरा है "मिट्टी के करवे" से चंद्रमा को अर्घ्य देना। इस परंपरा का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जिसका संबंध माता सीता से भी जुड़ा है।

मिट्टी के करवे का महत्व:

प्रकृति और धरती माँ से जुड़ाव: मिट्टी के करवे का प्रयोग करना धरती से हमारा जुड़ाव दर्शाता है। भारतीय संस्कृति में मिट्टी को बहुत पवित्र माना जाता है, क्योंकि यह हमें जीवन देने वाली धरती माँ का प्रतीक है। करवा चौथ पर मिट्टी का करवा उपयोग करने से पृथ्वी के प्रति आभार प्रकट किया जाता है।

सरलता और शुद्धता:

 मिट्टी के करवे को शुद्ध और पवित्र माना जाता है। यह सरलता और साधारणता का प्रतीक है, जो दिखाता है कि जीवन में शुद्ध हृदय और संकल्प ही सबसे महत्वपूर्ण हैं। करवा चौथ के व्रत का उद्देश्य भी पति की लंबी आयु के लिए सच्चे और शुद्ध मन से प्रार्थना करना है, जिसे मिट्टी के करवे का प्रतीकात्मक महत्व और बढ़ा देता है।

संपन्नता का प्रतीक: 

करवा (घड़ा) एक ऐसा पात्र है, जिसमें पानी भरा जाता है। इसे संपन्नता, समृद्धि और जीवन देने वाले तत्व के रूप में देखा जाता है। करवा चौथ पर मिट्टी के करवे का प्रयोग जल का प्रतीकात्मक अर्पण है, जो जीवन के प्रति आभार और समृद्धि की कामना को दर्शाता है।

माता सीता से जुड़ी कथा:

करवा चौथ की परंपरा का एक पुराना धार्मिक और पौराणिक संदर्भ माता सीता से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि माता सीता ने भी श्री राम की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। जब भगवान राम वनवास पर थे, तो माता सीता ने इस कठिन समय में भगवान राम की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा।

माता सीता ने उस समय मिट्टी से बने करवे का प्रयोग किया था, जिससे उन्होंने चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया था। इस कथा के अनुसार, यह विश्वास किया जाता है कि मिट्टी का करवा माता सीता की तपस्या, त्याग और समर्पण का प्रतीक है। आज भी करवा चौथ के दिन मिट्टी के करवे का प्रयोग करना माता सीता के उस आदर्श को मान्यता देने और उनके आशीर्वाद को पाने का प्रतीक माना जाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

मिट्टी के करवे से चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह प्रकृति और पारंपरिक मूल्यों के प्रति सम्मान भी दर्शाती है। माता सीता के त्याग, प्रेम और समर्पण का आदर्श भारतीय समाज में स्त्री-शक्ति और परिवार के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से अर्घ्य देना इस पौराणिक कथा को जीवंत रखता है और व्रत रखने वाली महिलाओं को माता सीता जैसा धैर्य और समर्पण प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।

निष्कर्ष:

करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से अर्घ्य देने की परंपरा भारतीय संस्कृति में गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ें रखती है। यह माता सीता के प्रेम, त्याग और समर्पण की कहानी से जुड़ा हुआ है और आज भी यह परंपरा पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास, प्रेम और निष्ठा को बनाए रखने का प्रतीक है।

भारतीयों के पसंदीदा आठ मुगलई व्यंजन, जिन्हें खाया जाता है बड़े चाव से


मुगल खानपान भारतीय भोजन परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है, और इसकी विशेषता है समृद्ध मसालों, सूखे मेवों और मलाईदार सॉस का उपयोग। मुगलई भोजन भारतीय स्वादों और विदेशी व्यंजनों का बेहतरीन संगम है। यहां आठ प्रमुख मुगलई व्यंजन दिए जा रहे हैं, जिन्हें भारतीय बड़े चाव से खाते हैं:

1. बिरयानी

बिरयानी मुगलई व्यंजनों में सबसे प्रसिद्ध है। यह चावल, मसालों, और मांस (मुख्य रूप से चिकन या मटन) का लाजवाब मिश्रण है। हैदराबादी बिरयानी से लेकर लखनवी बिरयानी तक, इसके कई प्रकार हैं, और हर एक का स्वाद अद्वितीय होता है।

2. कबाब

कबाब मुगलों के समय का एक और लोकप्रिय व्यंजन है। गलौटी कबाब, शामी कबाब, और सीख कबाब सबसे प्रसिद्ध हैं। इन्हें मसालों में मांस को मेरिनेट कर तंदूर में पकाया जाता है।

3. नीहारी

नीहारी एक धीमी आंच पर पकाया गया मटन का व्यंजन है, जिसे आमतौर पर नाश्ते के रूप में खाया जाता है। यह विशेष रूप से ठंडे मौसम में लोकप्रिय होता है और मसालेदार ग्रेवी के साथ पेश किया जाता है।

4. शाही टुकड़ा

यह मीठा व्यंजन मुगलई खानपान की मिठाइयों का एक हिस्सा है। इसे रोटी या ब्रेड के टुकड़ों को घी में तला जाता है और फिर मलाई, मेवा और केसर के साथ सजाया जाता है।

5. कुर्मा

कुर्मा एक समृद्ध, मलाईदार ग्रेवी वाला व्यंजन है जो मटन या चिकन से बनाया जाता है। इसमें दही, मेवा, और मसालों का मिश्रण होता है, जो इसे खास बनाता है।

6 गुलाब जामुन

यह मिठाई मुगलों के समय से लोकप्रिय रही है और आज भी इसे बड़े चाव से खाया जाता है। गुलाब जामुन को खोया (सूखा दूध) से बनाया जाता है, जिसे छोटे गोले के रूप में तला जाता है और फिर चाशनी में डुबोया जाता है।

7. रोगन जोश

हालांकि यह व्यंजन कश्मीर से आता है, इसे मुगलई खानपान का हिस्सा माना जाता है। यह मटन का मसालेदार व्यंजन है जिसे शाही अंदाज में पकाया जाता है।

8. फिरनी

फिरनी एक चावल की खीर जैसी मिठाई है जिसे खासतौर पर ईद और अन्य खास मौकों पर बनाया जाता है। इसे छोटे मिट्टी के बर्तनों में परोसा जाता है और बादाम, पिस्ता और केसर से सजाया जाता है।

मुगलई भोजन भारतीय पाक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इन व्यंजनों को आज भी बड़े चाव से खाया जाता है।

जानिए करवा चौथ व्रत के महत्वपूर्ण नियम इनके बिना अधूरा है सुहागिनों का पर्व

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहार माना जाता है। इस व्रत में कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है, जिनका महत्व बहुत अधिक होता है। आइए जानते हैं करवा चौथ व्रत के प्रमुख नियम:

1 सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन: व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी (सास द्वारा दी गई भोजन सामग्री) का सेवन करती हैं। इसमें फल, मिठाई, मेवे, और जल शामिल होता है। सरगी के बाद महिलाएं व्रत शुरू करती हैं।

2 जल या अन्न का त्याग: इस व्रत में सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक पानी और अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। इसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है।

3 शृंगार और पूजा: व्रत रखने वाली महिलाओं को दिन भर अच्छे शृंगार और सुहाग की वस्तुएं धारण करने का नियम है। इसमें साड़ी, बिंदी, चूड़ियाँ, सिंदूर आदि शामिल होते हैं। साथ ही पूजा के समय करवा (मिट्टी का छोटा घड़ा) का भी महत्व होता है।

4 करवा माता की कथा सुनना: शाम के समय सुहागिन महिलाएं एक साथ एकत्र होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। यह कथा सुनने के बाद व्रत का पालन अधिक पुण्यकारी माना जाता है।

5 चंद्रमा को अर्घ्य देना: चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा और अपने पति को देखती हैं और फिर उन्हें अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का समापन होता है।

6* ध्यान और भक्ति: दिन भर व्रती महिलाओं को भगवान शिव, माता पार्वती और करवा माता की आराधना करनी चाहिए। इस दिन संयम और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

इन नियमों के पालन के बिना करवा चौथ व्रत अधूरा माना जाता है और इसका पूरा फल प्राप्त नहीं होता।

आज कर्मयोगी सप्ताह की शुरुआत करेंगे PM, सरकार की नई पहल से लोकसेवकों को मिलेगी मजबूती


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नई दिल्ली में डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में कर्मयोगी सप्ताह की शुरुआत करेंगे।इसका उद्देश्य सभी लोकसेवकों के बीच आजीवन शिक्षण का बढ़ावा देना और उन्हें खुद को राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ जुड़ना सिखाना है।

प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह लोक सेवकों के लिए व्यक्तिगत और संगठनात्मक क्षमता विकास की दिशा में नई गति प्रदान करने वाला, अपनी तरह का सबसे बड़ा आयोजन होगा। यह पहल सीखने और विकास के लिए एक नई प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करेगी। 

राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह का उद्देश्य एक सरकार का संदेश देना भी है। पीएमओ के मुताबिक, यह कार्यक्रम व्यक्तिगत प्रतिभागियों और मंत्रालयों, विभागों और संगठनों के जुड़ाव के विभिन्न रूपों के माध्यम से सीखने के लिए समर्पित होगा।

इस दौरान प्रत्येक कर्मयोगी कम से कम 4 घंटे की योग्यता-आधारित शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध होगा। प्रतिभागी आईजीओटी मॉड्यूल और प्रख्यात व्यक्तियों की तरफ से आयोजित वेबिनार आदि के माध्यम से लक्षित घंटे पूरे कर सकते हैं।

चार साल पहले हुई शुरुआत

मिशन कर्मयोगी की शुरुआत सितंबर 2020 में हुई थी और तब से इसमें उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इसमें वैश्विक परिप्रेक्ष्य के साथ भारतीय लोकाचार में निहित भविष्य के अनुकूल सिविल सेवा की कल्पना की गई है। इस दौरान, मंत्रालय, विभाग और संगठन क्षेत्र-विशिष्ट दक्षताओं को बढ़ाने के लिए सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित करते हैं।

आज का इतिहास:आज ही के दिन मदर टेरेसा ने की थी मिशनरी ऑफ़ चैरिटीज की स्थापना


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 19 अक्टूबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। 1950 में आज ही के दिन मदर टेरेसा ने कलकत्ता (भारत) में मिशनरी ऑफ़ चैरिटिज की स्थापना की थी। 

19 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2000 में आज के दिन ही भारत सरकार ने 1834 से 1996 तक सभी केंद्रीय अधिनियमों का इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस तैयार करने की घोषणा की थी।

2004 में 19 अक्टूबर के दिन ही चीन ने अपना पहला व्यावसायिक मौसम उपग्रह छोड़ा था।

2009 में आज ही के दिन हिंद महासागर में स्थित मालदीव ने पानी में दुनिया की पहली कैबिनेट बैठक कर सभी राष्ट्रों को ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से आगाह करने की कोशिश की थी।

2008 में 19 अक्टूबर के दिन ही आटोमोबाइल बाज़ार में मंदी के कारण टाटा मोटर्स ने 300 अस्थाई कर्मियों को हटाया था।

2005 में आज ही के दिन ईराक के अपदस्थ राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के खिलाफ बगदाद में सुनवाई शुरू हुई थी।

2004 में 19 अक्टूबर के दिन ही सू विन म्यांमार के नए प्रधानमंत्री बने थे।

2004 में आज ही के दिन चीन ने अपना पहला व्यावसायिक मौसम उपग्रह छोड़ा था।

1950 में 19 अक्टूबर को ही मदर टेरेसा ने कलकत्ता (भारत) में मिशनरी ऑफ़ चैरिटिज की स्थापना की थी।

1944 में आज ही के दिन फिलिपीन द्वीप समूह में अमरीका और जापान की सेनाओं के मध्य युद्ध शुरू हुआ था।

1933 में 19 अक्टूबर के दिन ही जर्मनी मित्र राष्ट्रों की संधि से बाहर आया था।

1932 में आज ही के दिन फोर्ड मोटर कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड ने रेडियो पर अपना पहला भाषण दिया था।

1932 में 19 अक्टूबर को ही ब्रिटिश सरकार ने सोवियत संघ के साथ व्यापार समझौते पर साइन किए थे। 

1915 में आज ही के दिन रूस और इटली ने बुल्गारिया पर युद्ध की घोषणा की थी।

1889 में 19 अक्टूबर के दिन ही फ्रांसीसी नेता नेपोलियन बोनापार्ट ने रूस की राजधानी से अपनी सेना हटाई थी।

1872 में आज ही के दिन न्यू साउथ वेल्स में विश्व का सबसे बड़ा सोने का टुकड़ा (215 किग्रा) पाया गया था।

1853 में 19 अक्टूबर के दिन ही अमेरिका के हवाई प्रांत में पहली आटा चक्की शुरू की गई थी।

1813 में आज ही के दिन लैपजिंग का युद्ध खत्म हुआ था।

1739 में 19 अक्टूबर के दिन ही इंग्लैंड ने स्पेन पर युद्ध की घोषणा की थी।

19 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1961 में 19 अक्टूबर के दिन ही हिंदी फिल्म अभिनेता सनी देओल के नाम से प्रसिद्ध अजय सिंह का जन्म हुआ था।

1929 में आज ही के दिन गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी हुईं प्रसिद्ध महिला सामाजिक कार्यकर्ता निर्मला देशपांडे का जन्म हुआ था।

1922 में आज ही के दिन अमेरिकी पत्रकार जैक एंडरसन का जन्म हुआ था।

1920 में 19 अक्टूबर के दिन ही भारतीय हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह का जन्म हुआ था।

1910 में आज ही के दिन खगोल भौतिक शास्त्री सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर का जन्म हुआ था।

19 अक्टूबर को हुए निधन

1971 में आज ही के दिन प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक रामअवध द्विवेदी का निधन हुआ था।

1745 में 19 अक्टूबर के दिन ही मशहूर किताब ‘गुलीवर की यात्राएं’ के लेखक जोनाथन स्विफ्ट का निधन हुआ था।

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: गरीबी और संघर्ष के बीच फंसे लोगों की संख्या बढ़ रही है


नयी दिल्ली : भले ही दुनिया चांद और सूरज की दूरी नाप रही हो और तरक्की के नित नये-नये आयाम गढ़ रही हो, लेकिन अभी भी तमाम देश गरीबी के दंश से उबर नहीं पाए हैं। अभी भी दुनिया में गरीबों की अच्छी खासी संख्या है।

दुनिया भर के गरीबों का संयुक्त राष्ट्र ने जो आंकड़ा जारी किया है, उसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र के ताजा आकंड़ों के अनुसार दुनिया में एक अरब से भी ज्यादा लोग घोर गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं और इनमें से आधे बच्चे हैं। इनमें से 40 फीसदी लोग संघर्ष वाले या अस्थिर देशों में रह रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया में गरीबी को लेकर बृहस्पतिवार को एक जारी की है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि 83 प्रतिशत से अधिक गरीब लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और इन लोगों के इतने प्रतिशत ही उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में रहते हैं। 

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड 2010 से ही हर साल बहु आयामी गरीबी सूचकांक जारी कर रहे हैं, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर सहित 10 संकेतकों को आधार बनाया जाता है।

जानें भारत का क्या है आंकड़ा

इस साल के सूचकांक में दुनिया के 112 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया जिनमें दुनिया की 6.3 अरब आबादी निवास करती है। सूचकांक के मुताबिक 1.1 अरब लोग घोर गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं जिनमें से करीब आधे पांच देशों भारत (23.4 करोड़), पाकिस्तान (9.3 करोड़), इथियोपिया (8.6 करोड़), नाइजीरिया (7.4 करोड़) और कांगो (6.6 करोड़) में निवास करते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक घोर गरीबी में रह रहे लोगों में करीब आधे यानी 58.4 करोड़ बच्चे हैं जिनकी उम्र 18 साल से कम है। उनमें से 31.7 करोड़ लोग उप सहारा अफ्रीका में रहते हैं जबकि 18.4 करोड़ लोगों का निवास स्थान दक्षिण एशिया है।

इन देशों में बढ़ी गरीबी

यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में गरीबी बढ़ी है। गरीब बच्चों का अनुपात और भी अधिक लगभग 59 प्रतिशत है। यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड ने कहा कि इस वर्ष की रिपोर्ट संघर्ष के बीच गरीबी पर केंद्रित है, क्योंकि 2023 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे अधिक संघर्ष हुए और युद्ध, आपदाओं और अन्य कारकों के कारण अब तक की सबसे अधिक संख्या यानी 11.7 करोड़ लोगों को अपने घरों को छोड़कर विस्थापित होना पड़ा। 

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक पेड्रो कॉन्सेकाओ ने बताया, ‘‘पहली बार वैश्विक ‘एमपीआई’ आंकड़ों के साथ संघर्ष के आंकड़ों को मिलाकर तैयार की गई रिपोर्ट उन लोगों की कठिन वास्तविकताओं को उजागर करती है जो एक साथ संघर्ष और गरीबी का सामना कर रहे हैं।’’

45 करोड़ से ज्यादा लोग बुनियादी जरूरतों से कर रहे संघर्ष

रिपोर्ट के अनुसार सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बहुआयामी गरीब और संघर्ष के माहौल में रहने वाले 45.5 करोड़ लोग, पोषण, पानी और स्वच्छता, बिजली और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों के गंभीर अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं और यह अभाव सामान्य क्षेत्रों के गरीबों के मुकाबले तीन से पांच गुना अधिक गंभीर होता है।’’ ऑक्सफोर्ड पहल की निदेशक सबीना अल्किरे ने कहा, ‘‘एमपीआई बता सकता है कि कौन से क्षेत्र गरीब हैं और लक्षित गरीबी उन्मूलन प्रयास उन क्षेत्रों में किए जा सकते है। 

उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए बुर्किना फासो में सैन्य शासन है और वहां चरमपंथियों के हमले बढ़े हैं। वहां की करीब दो तिहाई आबादी गरीब है।’

किसान सावधान: पराली जलाने वाले पर होगी सख्त करवाई,मंडियों में फसल बेचने पर भी लगेगी रोक

दिल्ली: - पराली जलाने वाले किसानों को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि अब जिला प्रशासन सख्त हो गया है। जिस खेत में पराली जलेगी, उस खेत की मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रेड एंट्री कर दी जाएगी। इसके बाद किसान को उस रेड एंट्री वाले खेत की गेहूं हो या धान की फसल नहीं बिक पाएगी। साथ ही एफआईआर दर्ज करा गिरफ्तारी की कार्रवाई भी होगी।

उपनिदेशक (कृषि) डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि अब ऐसे किसानों की मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रेड एंट्री की जाएगी जिससे भविष्य में वह किसान न तो अपनी धान की फसल बेच पाएंगे और न ही गेहूं की फसल बेच सकेंगे।

किसान पराली को या तो खेत में ही नष्ट करके खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं या उनके गट्ठे बनवाकर खरीद केंद्रों पर बेचकर आमदनी ले सकते हैं। किसानों को काफी रियायतें देने के बावजूद कुछ किसान पराली में आग लगने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिस कारण सुप्रीम कोर्ट तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आरोपी किसानों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

करनाल जिले में पराली जलाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रशासन ने निर्देश दिए हैं कि जो किसान पराली जलाते हैं तो उनके खिलाफ जुर्माना लगाने के साथ-साथ पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया जाए। इसके अलावा ऐसे किसानों की मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रेड एंट्री करवाई जाएगी जिससे सरकार द्वारा इन किसानों की कोई फसल खरीद नहीं की जाएगी।

अब तक नौ एफआईआर, 1.75 लाख रुपये जुर्माना

उप कृषि निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि जिले में में पराली जलाने वालों के विरुद्ध निगरानी की जा रही है। अब तक नौ आरोपी किसानों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया जा चुका है तथा 175000 का जुर्माना भी लगाया जा चुका है।

 

ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर होगी कार्रवाई

उपनिदेशक (कृषि) ने बताया कि कोई भी कर्मचारी या अधिकारी जिनकी ड्यूटी पराली जलाने को लेकर लगी है वह सभी अपने-अपने ड्यूटी स्थल पर तैनात रहकर कड़ी निगरानी रखें। अतिरिक्त जिला उपयुक्त ने कहा कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं पाया गया तो उसके विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कुछ अलग हटकर : क्लीन शेव को लेकर लड़कियों ने निकाली रैली दाढ़ी हटाओ प्यार बचाओ! सोशल मीडिया में वायरल हो रहा वीडियो...


नयी दिल्ली : देश और दुनिया के अलग-अलग इलाकों में जो भी अतरंगी होता है, उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो ही जाता है। कभी-कभी तो कुछ ऐसा अतरंगी दिख जाता है जिसके बारे में लोगों ने कल्पना भी नहीं की होती है।

आप अगर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो फिर आप बखूबी इस बात को समझते होंगे। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो आपने देखे होंगे जिसने आपको पूरी तरह से हैरान कर दिया होगा। उन वीडियो की लिस्ट में आप एक नया वीडियो जोड़ लीजिए जो अभी वायरल हो रहा है। उसे देखकर आप हैरान होने वाले हैं।

ऐसी रैली कभी देखी है?

सोशल मीडिया पर अभी जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें नजर आ रहा है कि कुछ लड़कियों का एक ग्रुप रैली निकाल रही है मगर यह रैली बहुत ही अजीब रैली है। लड़कियां क्लीन शेव बॉयफ्रेंड के लिए रैली निकाल रही हैं। उनके हाथ में अलग-अलग तख्तियां हैं। एक पर लिखा है, 'No Clean Shave No Love' तो दूसरे पर लिखा है, 'दाढ़ी हटाओ प्यार बचाओ।' एक पर लिखा है, 'दाढ़ी रखो या गर्लफ्रेंड रखो, Choice तुम्हारी।' 

इसी तरह अलग-अलग तख्तियों पर अलग-अलग लाइन लिखी है और रैली के दौरान लड़कियां इन बातों को चिल्लाकर बोल भी रही हैं। मगर इस रैली को लेकर कुछ जानकारी नहीं दी गई है कि यह रील के लिए है, किसी प्रमोशन के लिए है या फिर किसी इवेंट के लिए है। मगर वीडियो अभी वायरल हो रहा है।

मध्य प्रदेश की निकिता पोरवाल बनीं फेमिना मिस इंडिया 2024, नंदिनी गुप्ता ने पहनाया ताज


 

फेमिना मिस इंडिया 2024 का ग्रैंड फिनाले एक स्टार-स्टडेड इवेंट था। मुंबई के वर्ली में फेमस स्टूडियो ने भारत की सबसे प्रतिष्ठित सौंदर्य प्रतियोगिता की 60वीं वर्षगांठ की मेजबानी की। आखिरकार अब फेमिना मिस इंडिया 2024 को अपना विजेता मिल गया। 

शानदार समारोह में मध्य प्रदेश की निकिता पोरवाल को फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2024 का ताज पहनाया गया। अब वह मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

दादरा और नगर हवेली (केंद्र शासित प्रदेश) की रेखा पांडे को फेमिना मिस इंडिया 2024 की फर्स्ट रनर-अप का ताज पहनाया गया और गुजरात की आयुषी ढोलकिया ने फेमिना मिस इंडिया 2024 की सेकंड रनर-अप का खिताब अपने नाम किया। निकिता पोरवाल, रेखा पांडे और आयुषी ढोलकिया को नेहा धूपिया ने फूलों का गुलदस्ता देते हुए किया सम्मानित।

शाम की शुरुआत 'टॉप 30 स्टेट विनर्स' के परिचय के साथ फैशन सीक्वेंस से हुई। इन हसीनाओं ने डिजाइनर निकिता म्हसालकर का कलेक्शन पहना था, जिसमें बेहतरीन ढंग से तैयार किए गए ग्लैमरस और बारीक कढ़ाई वाले कपड़े शामिल थे, जो प्रत्येक राज्य विजेताओं के अद्वितीय गुणों का बखान कर रहा था।

बैंड ऑफ बॉयज के प्रदर्शन से दर्शकों को 2000 के दशक की यादों की एक भरपूर खुराक दी गई। फेमिना मिस इंडिया की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर नारायण ज्वैलर्स द्वारा डिजाइन किए गए विजेताओं के लिए तीन नए मुकुटों का मंच पर अनावरण किया गया। 

फैशन शोकेस के दूसरे दौर में फैशन की दुनिया की मशहूर हस्ती पोर्टिया और स्कारलेट द्वारा डिजाइन किए गए शीर्ष 30 राज्य विजेताओं को चुना गया और खास 60वीं वर्षगांठ के लिए मिस इंडिया संगठन ने एक विशेष संगीत 'राइज ऑफ क्वीन' भी लॉन्च किया।

इस अवसर पर फेमिना मिस इंडिया अरुणाचल प्रदेश 2024, ताडू लूनिया को प्रतिष्ठित टाइम्स मिस ब्यूटी विद अ परपज अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस बीच फेमिना मिस इंडिया मेघालय 2024, एंजेलिया मार्रवीन को टाइम्स मिस मल्टीमीडिया अवार्ड विजेता के रूप में सम्मानित किया गया, दोनों ने शीर्ष 15 में अपना स्थान सुनिश्चित किया। 

वहीं, संगीता बिजलानी ने ग्लैमरस अवतार में अपनी शानदार प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। नेहा धूपिया ने भी समारोह में चार चांद लगाए।

बेटे की बुरी आदतों से परेशान पिता ने बेटे के खिलाफ अखबार में जारी किया विज्ञापन,जानिए क्या है मामला....


पिता-पुत्र का रिश्ता बाहर से दिखने में एकदम शांत होता है मगर इनकी डोर काफी मजबूत होती है। भारत में पहले के दौर पर पिता-पुत्र आपस में ज्यादा बात भी नहीं करते थे। दोनों के बीच का पुल घर की महिला होती थी। समय बदला मगर अभी भी बेटे अपनी मां के करीब होते हैं। अधिकतर वे अपनी सारी बातें मां के साथ शेयर करते हैं। पिता अपने बेटे से कितना प्यार करते हैं वे जाहिर नहीं कर पाते, बेटा चाहकर भी पिता को आसानी से गले नहीं लगा पाता। हालांकि दोनों के बीच प्रेम बहुत होता है।

बेटे के सामने परेशानी आने से पहले पिता उसके सामने दीवार बनकर ढाल की तरह खड़ा होता है तो वहीं बेटे के सामने उसके पिता के बारे में कोई कुछ कह नहीं पाता। हालांकि इस पिता को अपने बेटे की वजह से जो दिन देखने पड़े भगवान न करें कि किसी को यह देखना पड़े।

चलिए बताते हैं कि पूरा मामला क्या है?

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं अपनी जिम्मेदारिया समझने लगते हैं। कई बार वे अपने लक्ष्य को पाने के लिए परिवार के लोगों की अनदेखी भी कर देते हैं। जैसे-जैसे पिता की उम्र ढलती हैं उन्हें अपने बच्चों की जरूरत होती है। हालांकि जब बच्चा बड़ा होकर बुरी आदतों में पड़ जाए तो एक पिता क्या कर सकता है?

बुजुर्ग पिता जब जवान बेटे को गलत संगति में देखता है, गलत आदतों में पड़े देखता है तो उसकी दिल टूट जाता है। वह अपनी परवरिश को कोसने लगता है। वह मन ही मन कुढ़ता है और खुद को ब्लेम करता है। वह बेटे को बुरी चीजों से निकालने की पूरी कोशिश करता है मगर आखिर में वह हार जाता है।

कहा जाता है कि अगर बढ़ते बच्चे को सही संस्कार न सिखाए जाएं तो वह अक्सर बुरी संगत का असर उस पर जल्दी होता है। माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छा बर्ताव करे, कभी किसी का अपमान न करें, अच्छे-बुरे में अंतर को पहचाने लेकिन कई बार बच्चे गलत चीजों में पड़कर माता-पिता के जिंदगी भर की मेहनत को मिट्टी में मिला देते हैं। 

ऐसे ही एक बेटे की गलती के कारण पिता के लिए अपने ही बेटे के खिलाफ विज्ञापन जारी करना पड़ा।

ऐसा क्या है विज्ञापन में?

अखबार में एक पिता ने अपने बेटे को लेकर विज्ञापन प्रकाशित करवाया था। इस विज्ञापन में लिखी गई एक-एक लाइन को पढ़कर आप भी यही कहेंगे कि ऐसा समय किस पिता को न देखना पड़े। इस विज्ञापन में लिखा है “मेरा बेटा दीपक बालू मोरे (उम्र 22 साल, प्रभाकर वस्ती, बुधवार पेठ, सोलापुर) बुरे लोगों की संगति में रहकर बिगड़ गया है। वह लोगों से पैसे उधार लेकर शराब पीता है, जुआ खेलता है। वह इन चीजों में फंस गया है। इससे पहले भी हम उसके उधार के पैसे और कई गुना ब्याज चुका चुके हैं, लेकिन अब हम उसके लिए गए लेन-देन के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। किसी को भी उसके साथ लेनदेन नहीं करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि एक पिता के रूप में उसके ऊधार की जिम्मेदारी मुझपर या मेरे परिवार पर नहीं होगी। यह सार्वजनिक सूचना है”।

इस विज्ञापन को हर पिता को पढ़ना चाहिए और अपने बच्चों को भी पढ़ाना चाहिए। इसे एक बार नहीं बार-बार पढ़ें और बच्चों को पढ़ने को कहें। इस विज्ञापन को सोशल मीडिया पर laybhariofficial नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है।

इस विज्ञापन को पढ़ने के बाद नेटीजन भी भावुक हो गए हैं। कई लोगों अपने पिता पर बोझ डालने वाले इस लड़के की आलोचना की है। एक यूजर ने कहा, ‘भाई, मैं आपकी हरकतों के कारण आप पर कमेंट कर रहा हूं… कोई भी पिता नहीं चाहता कि उसका बेटा बर्बाद हो।’हर पिता चाहता है कि उसका बेटा अच्छा बने। 

आख़िरकार, वे पिता हैं और उन्होंने एकदम सही काम किया है।” दूसरे ने कहा, ”कोई पिता अपने बेटे के साथ बुरा नहीं करता। एक लड़के को सही और गलत का पता होना चाहिए।” इस वायरल पोस्ट पर आपकी क्या राय है।