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हेल्थ टिप्स:घर पर बनाएं मुलेठी का काढ़ा और पाएं इन समस्याओं से राहत

मुलेठी (जिसे अंग्रेजी में Licorice कहा जाता है) एक प्राचीन औषधीय जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों से किया जा रहा है। इसका काढ़ा विशेष रूप से सर्दी-जुकाम और गले की समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी मुलेठी का काढ़ा कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में मददगार हो सकता है। आइए जानते हैं मुलेठी का काढ़ा पीने से कौन-कौन सी समस्याएं दूर हो सकती हैं और इसे घर पर कैसे तैयार करें।

मुलेठी का काढ़ा पीने से दूर होती ये 5 समस्याएं:

गले में खराश और खांसी

मुलेठी में सूजन-रोधी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो गले की खराश और खांसी को कम करने में मदद करते हैं। इसका काढ़ा पीने से गले में ठंडक मिलती है और गले की सूजन भी कम होती है।

पाचन तंत्र को सुधारना

मुलेठी का काढ़ा पाचन समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। यह कब्ज, अपच और गैस की समस्या को कम करने में मदद करता है। इसमें प्राकृतिक लैक्जेटिव गुण होते हैं जो मलत्याग को सरल बनाते हैं।

सर्दी और जुकाम में राहत

मुलेठी का काढ़ा सर्दी, जुकाम और कफ को कम करने के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसके सेवन से नाक की जकड़न और छाती में बलगम की समस्या से राहत मिलती है।

त्वचा की समस्याओं का समाधान

मुलेठी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाए रखते हैं। इसका सेवन त्वचा पर होने वाले दानों, सूजन और जलन को कम करने में मदद करता है।

इम्यूनिटी बढ़ाना

मुलेठी में मौजूद पौष्टिक तत्व शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। इसका काढ़ा पीने से शरीर के भीतर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

मुलेठी का काढ़ा बनाने की विधि:

सामग्री:

1-2 मुलेठी की टहनी (या 1 चम्मच मुलेठी पाउडर)

1 कप पानी

1 चम्मच शहद (वैकल्पिक)

थोड़ी सी काली मिर्च (वैकल्पिक)

विधि:

सबसे पहले, एक पैन में 1 कप पानी उबालें।

पानी में मुलेठी की टहनी या मुलेठी पाउडर डालें।

इसे मध्यम आंच पर 5-7 मिनट तक उबलने दें, जब तक कि पानी आधा न रह जाए।

इसके बाद गैस बंद कर दें और काढ़े को छान लें।

आप चाहें तो इसमें स्वादानुसार शहद या काली मिर्च मिला सकते हैं।

काढ़ा तैयार है, इसे हल्का गर्म ही सेवन करें।

निष्कर्ष:

मुलेठी का काढ़ा एक बेहतरीन घरेलू उपाय है जो सर्दी-जुकाम, गले की खराश, पाचन समस्या और अन्य बीमारियों में राहत देता है। इसे बनाने का तरीका सरल है और नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। हालांकि, अगर आप किसी पुरानी बीमारी से ग्रस्त हैं या कोई अन्य औषधि ले रहे हैं, तो मुलेठी का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए अपनाएं ये 5 सुपरफूड्स, चश्मे का नंबर होगा कम

आंखों की सेहत हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आजकल की बदलती जीवनशैली, स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग और अनुचित खानपान की वजह से आंखों की रोशनी कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है। हालांकि, कुछ विशेष खाद्य पदार्थ आपकी आंखों की सेहत को सुधारने और चश्मे का नंबर कम करने में मदद कर सकते हैं। यहां 5 ऐसी चीजें बताई जा रही हैं, जिन्हें अगर आप अपनी डाइट में शामिल करें, तो आपकी आंखों की रोशनी बेहतर हो सकती है।

1. गाजर

गाजर में विटामिन ए और बीटा-कैरोटीन की उच्च मात्रा होती है, जो आंखों की सेहत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। विटामिन ए रेटिना के कार्य को सुधारता है और आंखों को धूल-मिट्टी से बचाता है। गाजर का नियमित सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज हो सकती है।

2. हरी पत्तेदार सब्जियां

हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, सरसों और केल में ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन नामक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट आंखों को यूवी किरणों से बचाते हैं और मोतियाबिंद तथा उम्र से संबंधित दृष्टि समस्याओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

3. अखरोट और बादाम

अखरोट और बादाम जैसे नट्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ई होता है, जो आंखों के लिए अत्यधिक लाभकारी है। ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों को सूखने से बचाता है और दृष्टि को सुधारने में मदद करता है। इसके अलावा, ये नट्स रेटिना को स्वस्थ रखते हैं और दृष्टि से संबंधित समस्याओं को रोक सकते हैं।

4. मछली

मछली, खासकर सैल्मन और टूना, ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है। यह फैटी एसिड रेटिना की सूजन को कम करने और आंखों की नमी बनाए रखने में सहायक होते हैं। नियमित रूप से मछली खाने से आंखों की सेहत में सुधार हो सकता है और चश्मे का नंबर कम हो सकता है।

5. सिट्रस फल

संतरा, नींबू, मौसमी जैसे सिट्रस फलों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जो आंखों की कोशिकाओं को मजबूती प्रदान करता है। विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है और आंखों के रक्त प्रवाह को सुधारता है, जिससे आंखों की रोशनी बढ़ने में मदद मिल सकती है।

निष्कर्ष

इन 5 चीजों को अपने रोजमर्रा के खानपान में शामिल करने से आंखों की सेहत में सुधार आ सकता है और चश्मे का नंबर कम हो सकता है। इसके अलावा, स्क्रीन का कम उपयोग, पर्याप्त नींद और नियमित रूप से आंखों की एक्सरसाइज करना भी आपकी दृष्टि को बेहतर बनाए रखने में मददगार होगा।

अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इन सुझावों को अपनी डाइट में शामिल करें और अपनी आंखों को स्वस्थ रखें।

फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए अपनाएं ये 6 सुपरफूड्स

हमारी सेहत का सीधा संबंध हमारे फेफड़ों की सेहत से होता है। अगर फेफड़े स्वस्थ और मजबूत हों, तो हमारा शरीर बेहतर तरीके से ऑक्सीजन ग्रहण कर पाता है और हम कई तरह की बीमारियों से बचे रहते हैं। प्रदूषण, धूम्रपान और गलत खानपान के कारण फेफड़े कमजोर हो सकते हैं, जिससे सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, फेफड़ों की देखभाल करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहां हम आपको उन 6 सुपरफूड्स के बारे में बताएंगे, जो आपके फेफड़ों को हेल्दी रखने और डिटॉक्स करने में मदद करेंगे।

1. लहसुन (Garlic)

लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो फेफड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें एलिसिन नामक तत्व होता है, जो फेफड़ों में सूजन को कम करता है और अस्थमा जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। नियमित रूप से लहसुन का सेवन करने से फेफड़ों में जमा टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं।

2. अदरक (Ginger)

अदरक एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है, जो हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह फेफड़ों की सफाई करने और उनमें जमी गंदगी को हटाने में सहायक होता है। अदरक का सेवन श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने और सांस लेने में आसानी दिलाने के लिए भी किया जाता है।

3. हल्दी (Turmeric)

हल्दी में करक्यूमिन नामक एक सक्रिय तत्व होता है, जो फेफड़ों की सूजन को कम करता है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी सुपरफूड है, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार करता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। रोज़ाना हल्दी का सेवन करना फेफड़ों को डिटॉक्स करने के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है।

4. सेब (Apple)

सेब विटामिन सी और फाइबर से भरपूर होता है, जो हमारे फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फेफड़ों में सूजन को कम करते हैं और उनमें ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर बनाते हैं। सेब का नियमित सेवन फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

5. ग्रीन टी (Green Tea)

ग्रीन टी में फ्लेवोनॉइड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने और उनमें जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करते हैं। ग्रीन टी का सेवन करने से फेफड़ों की सफाई होती है और श्वसन तंत्र में सुधार आता है। यह फेफड़ों में सूजन को भी कम करने में मदद करती है।

6. बेरीज़ (Berries)

ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी और रास्पबेरी जैसे फलों में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है, जो फेफड़ों के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। ये फेफड़ों को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं और उनकी कार्यक्षमता में सुधार करते हैं। इसके अलावा, बेरीज़ फेफड़ों में जमा गंदगी को भी बाहर निकालने में मदद करती हैं।

निष्कर्ष

फेफड़ों की सेहत को बनाए रखना हमारे पूरे शरीर की सेहत के लिए आवश्यक है। ऊपर बताए गए सुपरफूड्स न सिर्फ फेफड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर करते हैं, बल्कि उन्हें डिटॉक्स करके उन्हें कई बीमारियों से बचाने में भी मदद करते हैं। अगर आप नियमित रूप से इन सुपरफूड्स का सेवन करते हैं, तो आप अपने फेफड़ों को हेल्दी और मजबूत बना सकते हैं।

भारतीय रसोई के ये 5 मसाले: स्वाद ही नहीं, सेहत के लिए भी हैं रामबाण

भारतीय रसोई को मसालों का खजाना कहा जाता है। यहाँ पर मौजूद हर मसाले के अपने अलग स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जो हमारे शरीर को कई तरह से फायदा पहुँचाते हैं। इन मसालों का उपयोग सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं भारतीय रसोई में पाए जाने वाले 5 ऐसे प्रमुख मसालों के बारे में, जो किसी दवा से कम नहीं हैं:

1. हल्दी (Turmeric)

हल्दी का उपयोग भारतीय रसोई में हजारों सालों से हो रहा है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन रोधी) मसाला है। इसमें पाए जाने वाला सक्रिय तत्व कुरकुमिन शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है और सूजन को कम करने में मदद करता है। हल्दी का सेवन गठिया, आर्थराइटिस, और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों में फायदेमंद माना गया है। इसे दूध के साथ पीने से शरीर की ताकत बढ़ती है और सर्दी-जुकाम में भी राहत मिलती है।

2. अदरक (Ginger)

अदरक का उपयोग भी पारंपरिक चिकित्सा में सदियों से होता आ रहा है। यह मसाला अपच, मतली, और पेट के विभिन्न विकारों में बेहद फायदेमंद है। अदरक में पाया जाने वाला जिंजरोल नामक तत्व शरीर में सूजन को कम करता है और पाचन तंत्र को सुधारता है। अदरक चाय सर्दी, खांसी, और गले की खराश के लिए बेहतरीन मानी जाती है। इसके अलावा, यह मांसपेशियों के दर्द और आर्थराइटिस में भी राहत देती है।

3. काली मिर्च (Black Pepper)

काली मिर्च को "मसालों का राजा" भी कहा जाता है। इसमें मौजूद पाइपरिन तत्व भोजन के पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है और पाचन को सुधारता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है जो कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। काली मिर्च का सेवन वजन कम करने में भी मदद करता है, साथ ही यह खांसी, जुकाम और सर्दी में भी राहत दिलाती है।

4. इलायची (Cardamom)

इलायची न केवल खाने में स्वाद और सुगंध बढ़ाती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती है। यह पाचन क्रिया को सुधारती है और एसिडिटी और पेट के अल्सर से राहत दिलाती है। इलायची का नियमित सेवन सांसों की बदबू दूर करता है और फेफड़ों को स्वस्थ रखता है। इसके अलावा, यह मानसिक तनाव को भी कम करने में सहायक है और रक्तचाप को नियंत्रित करती है।

5. जीरा (Cumin)

जीरा पाचन को बढ़ावा देने और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो खून की कमी को दूर करने में सहायक है। इसके अलावा, जीरा में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। जीरा वजन घटाने में भी मददगार होता है और इसके नियमित सेवन से त्वचा की सेहत भी बेहतर होती है।

निष्कर्ष

भारतीय रसोई के मसाले न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखते हैं। हल्दी, अदरक, काली मिर्च, इलायची और जीरा जैसे मसाले हमारे शरीर के लिए किसी औषधि से कम नहीं हैं। इनका नियमित और उचित मात्रा में सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत किया जा सकता है।

चिया सीड्स खाने के सही तरीके और फायदे: जानें कब, कैसे और कितनी मात्रा में करें सेवन

चिया सीड्स (Chia Seeds) आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इन्हें सुपरफूड माना जाता है क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। चिया सीड्स में फाइबर, प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। लेकिन, अगर इन्हें सही तरीके से नहीं खाया जाए, तो इसके पूरे फायदे नहीं मिल पाते। आइए जानते हैं चिया सीड्स को कब, कैसे और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए।

चिया सीड्स के फायदे

चिया सीड्स को डाइट में शामिल करने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं:

पाचन में सुधार: चिया सीड्स में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और कब्ज से राहत दिलाने में सहायक होता है।

वजन घटाने में मददगार: चिया सीड्स पानी में फूलकर जेल जैसा रूप ले लेते हैं, जिससे पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और भूख कम लगती है।

हृदय स्वास्थ्य: चिया सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

शुगर स्तर नियंत्रित करना: ये ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं, जिससे डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होते हैं।

हड्डियों की मजबूती: इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस होता है, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।

चिया सीड्स को खाने का सही समय

चिया सीड्स को आप किसी भी समय खा सकते हैं, लेकिन इन्हें सुबह के नाश्ते या रात के खाने में शामिल करना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। 

सुबह के समय चिया सीड्स खाने से आपको दिनभर ऊर्जा मिलती है, जबकि रात में इन्हें खाने से पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है और नींद भी अच्छी आती है।

चिया सीड्स को खाने का सही तरीका

पानी में भिगोकर:

चिया सीड्स को हमेशा पानी में भिगोकर खाना चाहिए। इसके लिए 1-2 चम्मच चिया सीड्स को एक कप पानी में 15-20 मिनट तक भिगोएं। ये फूलकर जेल जैसा बन जाएगा। इसे आप सीधे खा सकते हैं या फिर स्मूदी, दलिया या सलाद में मिला सकते हैं।

स्मूदी या जूस में मिलाकर: अगर आप चिया सीड्स का स्वाद बढ़ाना चाहते हैं, तो इन्हें अपनी स्मूदी, जूस या दही में मिलाकर खा सकते हैं।

सलाद या सूप में मिलाएं: चिया सीड्स को अपने सलाद, सूप या अन्य व्यंजनों में गार्निश के रूप में भी डाल सकते हैं।

दही के साथ मिलाकर: चिया सीड्स को दही के साथ मिलाकर खाने से न केवल इसका स्वाद बढ़ता है, बल्कि यह एक हेल्दी स्नैक भी बन जाता है।

चिया सीड्स की मात्रा

चिया सीड्स को दिनभर में 1-2 चम्मच (लगभग 20 ग्राम) से अधिक नहीं लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में सेवन से पेट में गैस, ऐंठन या डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप पहली बार चिया सीड्स का सेवन कर रहे हैं, तो शुरुआत में 1 चम्मच लें और धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाएं।

ध्यान रखने योग्य बातें

भरपूर पानी पिएं: चिया सीड्स फाइबर से भरपूर होते हैं, इसलिए इन्हें खाने के बाद पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, ताकि पाचन तंत्र सही से काम कर सके।

ऐलर्जी की जाँच: अगर आपको बीजों से एलर्जी है, तो चिया सीड्स का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

पैकिंग और शेल्फ लाइफ: चिया सीड्स को हमेशा सूखी और ठंडी जगह पर स्टोर करें और सुनिश्चित करें कि पैकेट की शेल्फ लाइफ चेक की जाए।

निष्कर्ष

चिया सीड्स एक बेहतरीन सुपरफूड हैं, लेकिन इन्हें सही मात्रा और तरीके से ही लेना चाहिए। इनका सेवन पाचन तंत्र, हृदय स्वास्थ्य, वजन प्रबंधन और हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इन्हें अपनी डाइट में शामिल करके आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी चीज़ की अति हानिकारक हो सकती है।

घी में खजूर मिलाकर खाने से मिलेंगे बेमिसाल स्वास्थ्य और सौंदर्य लाभ


हमारी भारतीय रसोई में घी और खजूर का विशेष स्थान है। दोनों ही खाद्य पदार्थों को पोषक तत्वों से भरपूर और सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। यदि रोजाना आप खजूर को घी में मिलाकर खाते हैं, तो इससे आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं, साथ ही आपकी त्वचा की खूबसूरती भी बढ़ सकती है। आइए, जानते हैं कि घी और खजूर को साथ में खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं:

1. ऊर्जा का बेहतर स्रोत

खजूर और घी, दोनों ही ऊर्जा का अच्छा स्रोत हैं। खजूर में प्राकृतिक शर्करा (ग्लूकोज, फ्रक्टोज और सुक्रोज) होती है, जो तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है। घी शरीर को ऊर्जा देता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। इस संयोजन से शरीर को जल्दी और लंबे समय तक ऊर्जा मिलती है, जो आपको दिनभर चुस्त-दुरुस्त रखता है।

2. पाचन तंत्र को बनाए दुरुस्त

घी और खजूर का मिश्रण आपके पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है। घी में मौजूद फैटी एसिड पाचन तंत्र को ठीक से काम करने में मदद करते हैं, जबकि खजूर में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाती है। नियमित रूप से इस मिश्रण का सेवन करने से पाचन तंत्र की कार्यक्षमता बढ़ती है।

3. त्वचा की चमक और खूबसूरती बढ़ाए

यदि आप अपनी त्वचा को प्राकृतिक रूप से चमकदार और सुंदर बनाना चाहते हैं, तो खजूर और घी का सेवन करें। घी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और फैटी एसिड त्वचा को हाइड्रेट करते हैं और उसे पोषण प्रदान करते हैं। खजूर में विटामिन C और D होता है, जो त्वचा की लोच को बनाए रखने में मदद करता है और झुर्रियों को कम करता है। इससे आपकी त्वचा निखरी और स्वस्थ दिखती है।

4. हड्डियों को बनाए मजबूत

खजूर में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस की प्रचुर मात्रा होती है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक है। वहीं, घी में भी विटामिन K होता है, जो हड्डियों में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है। इस तरह, रोजाना खजूर और घी का सेवन आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होता है।

5. मस्तिष्क के लिए फायदेमंद

घी और खजूर का सेवन मस्तिष्क की कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है। घी में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क की कोशिकाओं को पोषण देते हैं, जबकि खजूर में पाया जाने वाला विटामिन B6 न्यूरोट्रांसमिटर्स को बेहतर बनाता है, जिससे मस्तिष्क का स्वास्थ्य और स्मरण शक्ति बेहतर होती है।

6. प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए

घी और खजूर, दोनों ही प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। खजूर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में फ्री रैडिकल्स को कम करते हैं, जबकि घी में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं। इस मिश्रण का सेवन करने से आप बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

7. वजन बढ़ाने में सहायक

यदि आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो खजूर और घी का सेवन एक अच्छा विकल्प हो सकता है। घी में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है और खजूर में प्राकृतिक शर्करा होती है, जो शरीर को पोषण प्रदान करती है और वजन बढ़ाने में सहायक होती है।

कैसे करें खजूर और घी का सेवन?

रोजाना सुबह खाली पेट 1-2 खजूर को घी में मिलाकर खाएं।

इसे खाने के बाद एक गिलास गुनगुना दूध पी सकते हैं, जो इसके पोषक तत्वों को शरीर में अच्छे से अवशोषित होने में मदद करेगा।

ध्यान दें कि यदि आप डायबिटीज़ के मरीज हैं, तो खजूर की मात्रा सीमित रखें और डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष

घी और खजूर का संयोजन सेहत और खूबसूरती दोनों के लिए लाभकारी है। यह न केवल आपकी त्वचा को निखारता है, बल्कि आपकी प्रतिरोधक क्षमता, पाचन तंत्र और हड्डियों की मजबूती को भी बढ़ाता है। इसलिए, यदि आप स्वस्थ और सुंदर जीवन चाहते हैं, तो इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और इसके फायदों का आनंद उठाएं।

दुमका : नेतरहाट की तर्ज पर बनेगा आवासीय विद्यालय, सड़क होगी मजबूत, झामुमो सांसद एवं पूर्व मंत्री ने किया भूमि पूजन


दुमका :- दुमका के मसलिया प्रखंड में नेतरहाट के तर्ज पर आवासीय विद्यालय का निर्माण होगा। वहीं मसलिया में ही निश्चितपुर से दलाही पथ का मजबूतीकरण किया जाएगा।

झामुमो सांसद नलिन सोरेन एवं विधायक सह पूर्व मंत्री बसंत सोरेन ने तक़रीबन आधा दर्जन योजनाओं का शिलान्यास एवं भूमि पूजन किया। इन योजनाओं में पथ निर्माण प्रमंडल एवं झारखण्ड शिक्षा परियोजना की महत्वपूर्ण योजनाएँ भी शामिल है।

झामुमो सांसद नलिन सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार जनहित में कई कल्याणकारी योजनाओं को अमलीजामा पहना रही है और इसका लाभ भी लोगों को मिल रहा है। विधायक बसंत सोरेन ने कहा कि यहाँ के लोगों की मांग एवं समस्याओं को सरकार गंभीरता से लें रही है और उस दिशा में सार्थक एवं सकारात्मक पहल भी की जा रही है। 

उन्होंने कहा कि सड़क, बिजली और पानी लोगों की बुनियादी जरूरतें है और सरकार हर गांव को सड़क से जोड़ना और बिजली का बकाया बिल माफ़ कर गरीबों को राहत पहुंचाने के काम को प्राथमिकता के आधार पर कर रही है। मईया सम्मान योजना से महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में बल मिला है। 

इस दौरान ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल की ओर से धोबना एवं बलियाजोर पंचायत में दो उच्च स्तरीय पुल का भी शिलान्यास एवं भूमि पूजन किया गया। मौके पर प्रखंड प्रमुख वासुदेव टुडू, निशित वरन गोलदार, अशीत वरन गोलदार सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दिल की नसों में रुकावट के 5 शुरुआती संकेत, जिन्हें पहचानते ही डॉक्टर से संपर्क करें

हृदय (दिल) शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, और इसका सही तरीके से काम करना जीवन के लिए आवश्यक है। दिल की नसों में रुकावट (ब्लॉकेज) होना एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो दिल के दौरे (हार्ट अटैक) का कारण बन सकती है। अगर आप समय रहते इन लक्षणों को पहचान लें, तो आप इस खतरनाक स्थिति से बच सकते हैं। आइए जानते हैं उन 5 प्रमुख लक्षणों के बारे में जो दिल की नसों के ब्लॉक होने से पहले दिखाई देते हैं:

1. सीने में दर्द या बेचैनी (Chest Pain or Discomfort):

सीने में दर्द दिल की नसों में ब्लॉकेज का सबसे सामान्य लक्षण है। यह दर्द अक्सर एक भारीपन, जलन या दबाव जैसा महसूस हो सकता है। कई बार यह दर्द बाएं हाथ, गर्दन, पीठ, जबड़े या पेट तक फैल सकता है। अगर आप इस तरह का दर्द महसूस करें, तो इसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

2. सांस लेने में तकलीफ (Shortness of Breath):

अगर थोड़ी सी शारीरिक गतिविधि करने पर या बिना किसी कारण के भी आपको सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो यह दिल की नसों में रुकावट का संकेत हो सकता है। ऐसा तब होता है जब दिल को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त खून नहीं मिल पाता। यह स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

3. थकान और कमजोरी (Fatigue and Weakness):

अगर बिना किसी स्पष्ट कारण के आप अत्यधिक थकान महसूस कर रहे हैं, तो यह भी एक संकेत हो सकता है कि दिल की नसें ब्लॉक हो रही हैं। खासकर महिलाओं में, यह लक्षण ज्यादा सामान्य होता है। हर समय थकावट, ऊर्जा की कमी और कमजोरी महसूस करना एक चेतावनी हो सकती है कि दिल को पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिल रही है।

4. अचानक पसीना आना (Sudden Sweating):

अगर बिना किसी कारण के अचानक बहुत अधिक पसीना आना शुरू हो जाए, तो यह भी दिल की नसों में ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है। कई लोग इसे एंग्जाइटी या गर्मी के कारण समझने की गलती कर देते हैं, लेकिन यह दिल के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि ठंडे पसीने के साथ सीने में दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

5. घबराहट और चक्कर आना (Anxiety and Dizziness):

घबराहट महसूस होना, चक्कर आना, और स्थिर खड़े होने में कठिनाई होना दिल की नसों में रुकावट का एक और संकेत हो सकता है। जब दिल को पर्याप्त मात्रा में खून और ऑक्सीजन नहीं मिलती, तो मस्तिष्क भी इससे प्रभावित हो सकता है, जिससे चक्कर और असंतुलन की समस्या हो सकती है।

क्या करें?

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो इसे नजरअंदाज न करें। तुरंत डॉक्टर से मिलें और आवश्यक जांच करवाएं। समय रहते उपचार से आप दिल की गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं। याद रखें, दिल का ख्याल रखना जीवन का ख्याल रखना है।

डिस्क्लेमर : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए, कृपया डॉक्टर की सलाह लें।

पालक हमारे स्वास्थ्य के लिए हैं वरदान, आईए जानते हैं इसके अनगिनत फायदे

पालक, जिसे अंग्रेजी में "Spinach" कहा जाता है, एक बेहद पौष्टिक हरी सब्जी है जिसे सुपरफूड के नाम से भी जाना जाता है। यह सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। आइए जानें, पालक खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं और क्यों इसे अपने आहार में शामिल करना जरूरी है।

1. पोषक तत्वों से भरपूर:

पालक में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, मैग्नीशियम, आयरन, और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है। ये सभी पोषक तत्व शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

2. आयरन की कमी को दूर करता है:

पालक आयरन का एक अच्छा स्रोत है, जो रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने और एनीमिया (खून की कमी) जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद करता है। खासकर महिलाओं के लिए, यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

3. वजन घटाने में सहायक:

पालक कम कैलोरी वाली सब्जी है, जिसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है। इसे खाने से लंबे समय तक पेट भरा रहता है, जिससे ओवरईटिंग की संभावना कम होती है। जो लोग वजन घटाना चाहते हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है।

4. दिल को स्वस्थ रखता है:

पालक में नाइट्रेट्स (Nitrates) पाए जाते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी संतुलित करता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

5. डायबिटीज में फायदेमंद:

पालक में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और मैग्नीशियम ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है क्योंकि यह ग्लूकोज के स्तर को स्थिर रखता है।

6. पाचन तंत्र को सुधारता है:

पालक में फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह आंतों को स्वस्थ बनाकर पाचन को बेहतर बनाता है।

7. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद:

पालक में मौजूद विटामिन ए, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखते हैं। यह बालों को भी मजबूत और घना बनाने में मदद करता है।

8. हड्डियों को मजबूत करता है:

पालक में विटामिन के और कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है। यह हड्डियों के टूटने और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाने में मदद करता है।

9. कैंसर से बचाव:

पालक में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स और कैरोटेनॉइड्स कैंसर से लड़ने की क्षमता रखते हैं। यह फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज करता है, जिससे शरीर में कैंसर सेल्स के बनने की संभावना कम हो जाती है।

कैसे करें पालक का सेवन?

पालक को विभिन्न प्रकार से अपने आहार में शामिल किया जा सकता है, जैसे कि:

सलाद: कच्चे पालक को सलाद में मिलाकर खा सकते हैं।

सब्जी: आलू या पनीर के साथ पालक की सब्जी बनाएं।

जूस या स्मूदी: पालक का जूस या स्मूदी बनाकर पी सकते हैं।

सूप: पालक का सूप हेल्दी और स्वादिष्ट होता है।

निष्कर्ष

पालक एक सुपरफूड है जो कई पोषक तत्वों से भरपूर है और सेहत के लिए अनगिनत फायदे प्रदान करता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से आप अपने शरीर को स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं। इसे अपने डेली डाइट में शामिल करके आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

इसलिए, अगली बार जब आप बाजार जाएं तो ताजे हरे-भरे पालक की गड्डी जरूर खरीदें और इसे अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। आपका शरीर आपको इसके लिए धन्यवाद करेगा!

नवरात्रि व्रत में थकान मिटाने और एनर्जी बढ़ाने के लिए अपनाएं ये 4 हेल्दी ड्रिंक्स

नवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक शुद्धिकरण का भी प्रतीक है। इस दौरान उपवास करने वाले लोग अक्सर एनर्जी की कमी, थकान और सुस्ती महसूस कर सकते हैं, क्योंकि वे अपने नियमित आहार से अलग रहकर फलाहार और सीमित मात्रा में भोजन ग्रहण करते हैं। ऐसे में सही ड्रिंक्स का सेवन आपको दिनभर ऊर्जावान और एक्टिव बनाए रखने में मदद कर सकता है। यहां हम आपको 4 हेल्दी ड्रिंक्स के बारे में बता रहे हैं, जो नवरात्रि व्रत के दौरान आपको ताजगी और ऊर्जा से भरपूर रखेंगे।

1. नारियल पानी (Coconut Water)

नारियल पानी व्रत के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखने का सबसे अच्छा विकल्प है। यह न केवल प्यास बुझाता है बल्कि शरीर को जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स भी प्रदान करता है। नारियल पानी में पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिज पाए जाते हैं, जो शरीर की एनर्जी लेवल को बनाए रखने में सहायक होते हैं। यह दिनभर एक्टिव रहने में मदद करता है और थकान से बचाता है।

2. आम पन्ना (Aam Panna)

आम पन्ना, विशेष रूप से गर्मी के मौसम में, एक बेहद ताजगी भरा पेय है। यह पेय कच्चे आम, पुदीना और जीरे से तैयार किया जाता है और विटामिन सी का बेहतरीन स्रोत है। व्रत के दौरान अगर आप थकान और सुस्ती महसूस कर रहे हैं, तो आम पन्ना आपके शरीर को तुरंत ऊर्जा देने का काम कर सकता है। इसे ठंडा-ठंडा पीना और ज्यादा फायदेमंद होता है।

3. नींबू पानी (Lemon Water)

नींबू पानी एक क्लासिक हेल्दी ड्रिंक है जो शरीर को डिटॉक्स करने के साथ-साथ उसे हाइड्रेट भी रखता है। नींबू पानी में शहद मिलाकर पीने से न केवल एनर्जी मिलती है बल्कि यह व्रत के दौरान पेट की समस्याओं को भी दूर रखता है। इसका नियमित सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है और आपको तरोताजा बनाए रखता है।

4. साबूदाना शेक (Sabudana Shake)

साबूदाना कार्बोहाइड्रेट का बेहतरीन स्रोत है, जो लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। साबूदाना शेक, दूध, साबूदाना और थोड़े से शहद या गुड़ से तैयार किया जा सकता है। यह ड्रिंक शरीर में ग्लूकोज की कमी को पूरा करता है और दिनभर एक्टिव रहने में मदद करता है। इसे सुबह के समय लेना एक अच्छा विकल्प है ताकि दिन की शुरुआत एनर्जी से भरपूर हो।

निष्कर्ष

नवरात्रि व्रत के दौरान इन हेल्दी ड्रिंक्स को अपने आहार में शामिल करके आप थकान, कमजोरी और सुस्ती से बच सकते हैं। ये ड्रिंक्स न केवल आपकी ऊर्जा को बढ़ाते हैं बल्कि शरीर को हाइड्रेट और पोषण से भरपूर भी रखते हैं। इसलिए, इस नवरात्रि अपने व्रत को केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित न रखें, बल्कि हेल्दी ड्रिंक्स के साथ अपनी सेहत का भी पूरा ख्याल रखें।