आस्था : हजारीबाग का ऐसा मंदिर जहां बिना मूर्ति के ,मिट्टी के पिंड के रूप में बिराजमान है माता, बुढ़िया माता के रूप में आज भी पूजी जाती है
झारखंड डेस्क
हजारीबाग: दुर्गा पूजा के पावन अवसर पर मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूरे देश में पूजा की जाती है. लेकिन झारखंड के हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड में स्थित बनसटांड़ का बुढ़िया माता मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है, जहां मां की पूजा बिना किसी प्रतिमा के की जाती है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां मिट्टी के पिंड के रूप में माता की आराधना की जाती है. भक्तों का मानना है कि माता के दर्शन मात्र से ही उनके कष्ट दूर हो जाते हैं. यही कारण है कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर माता के पिंड रूप के दर्शन करते हैं.
बुढ़िया माता मंदिर की अद्भुत कहानी
बुढ़िया माता मंदिर का इतिहास बेहद रहस्यमयी और अद्भुत है. मंदिर के पुजारी गौतम कुमार बताते हैं कि साल 1818 में इस क्षेत्र में हैजा महामारी ने कहर बरपाया था. इस महामारी से पंचायत के कई लोगों की मृत्यु हो रही थी और पूरा गांव त्राहिमाम कर रहा था. तभी अचानक जंगल में मिट्टी की एक दिवाल प्रकट हुई, जिसमें कुछ आकृतियाँ उभरी थीं. इस दिवाल को देखने के बाद गांव के कई लोगों ने एक सपना देखा, जिसमें उन्हें पूजा अर्चना करने का संकेत मिला.
उसी दौरान एक वृद्ध महिला, जिसे बाद में बुढ़िया माता कहा गया, ने वहां पूजा शुरू की और धीरे-धीरे पूरे गांव में इस पूजा का प्रसार हुआ. चमत्कारिक रूप से, गांव से महामारी का प्रकोप खत्म हो गया और बुढ़िया माता भी अचानक गायब हो गईं. आज भी उस दिवाल की आकृतियाँ मंदिर में विद्यमान हैं और यह स्थान लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. मंदिर का पहला भवन वर्ष 1921 में बनाया गया था, जो आज भी सुरक्षित है.
पिंड रूप में होती है माता की पूजा
बुढ़िया माता के मंदिर में माता की पूजा किसी प्रतिमा के बजाय एक पिंड के रूप में की जाती है. यह पिंड मिट्टी का होता है, जिसे भक्तजन पूरी श्रद्धा के साथ पूजते हैं. नवरात्रि के दौरान इस मंदिर की शोभा और बढ़ जाती है, जब झारखंड, बिहार और उड़ीसा के हजारों भक्त यहां माता के दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं. नवरात्रि के समय मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है, और इस अद्भुत स्थल की धार्मिक महत्ता देखते ही बनती है.
मंदिर की लोकप्रियता
बुढ़िया माता मंदिर को विशेष स्थान दिया जाता है क्योंकि भक्तों का मानना है कि यहां आने मात्र से उनकी बीमारियां और कष्ट दूर हो जाते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह मंदिर रोग हरने वाली शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है और लोग यहां अपनी आस्था लेकर आते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. मंदिर के लिए एक विशाल भवन का निर्माण करवाया गया है, लेकिन पिंड से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई है. माता के इस रूप की पूजा में भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है.
नवरात्रि में विशेष आकर्षण
नवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर की भव्यता और भी बढ़ जाती है. इस दौरान हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर यहां पूजा अर्चना करते हैं. मंदिर के आस-पास का वातावरण भक्तिमय हो जाता है, और माता के भव्य रूप को देखने के लिए लोग लंबी कतारों में खड़े रहते हैं. भक्तों की मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान यहां की गई पूजा विशेष फलदायी होती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं.
आस्था का केंद्र
बुढ़िया माता का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कार का प्रतीक है. इस मंदिर से जुड़ी कहानियां और माता के चमत्कारिक प्रभाव ने इसे झारखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक बना दिया है. दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह मंदिर उनके विश्वास और भक्ति का अटूट केंद्र है.
Oct 12 2024, 15:23