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प्रिंस चार्ल्स के हाथों अवॉर्ड लेने आखिर क्यों नहीं गए रतन टाटा? वजह जानकर आप हो जाएंगे हैरान


डेस्क: मशहूर उद्योगपति रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनके महान काम और उनके महान विचार दुनिया के लिए हमेसा मिसाल बनी रहेगी। रतन टाटा के निधन पर पूरे भारत में शोक की लहर है। हर कोई अपने-अपने तरीके से उन्हें याद कर रहा है। रतन टाटा से जुड़ी कई कहानियां और किस्से हैं जो लोग सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। रतन टाटा से ही जुड़ा एक किस्सा आज हम आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल ये कहानी तब कि है जब ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स रतन टाटा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने रतन टाटा से लंदन आने का अनुरोध किया। रतन टाटा ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और लंदन आने के लिए उन्होंने हामी भर दी।

लंदन के बंकिंघम पैलेस में इस लाइव टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड की तैयारियां पूरी कर ली गई थी। लेकिन इस दिन रतन टाटा लंदन नहीं गए। लेकिन लंदन न जाने के पीछे क्या वजह थी, यह हर किसी को जानना चाहिए।

बिजनेसनमैन, कॉलमिस्ट और एक्टर सुहेल सेठ ने एक इंटरव्यू में इस किस्से के शेयर किया था। उन्होंने कहा कि 6 फरवरी को रतन टाटा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया जाना था। इसे लेकर बंकिंघम पैलेस में तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। इस दौरान वह 2 या 3 फरवीर को लंदन पहुंचे। इसके बाद जब वह एयरपोर्ट पर उतरे और उन्होंने अपने फोन को देखा तो उसपर रतन टाटा के लगभग 11 मिस्ड कॉल्स थे।

सुहेल सेठ ने बताया कि रतन टाटा के इतने मिस्ड कॉल्स देखकर मैं डर गया कि आखिर रतन को क्या हो गया। इसके बाद उन्होंने रतन टाटा को फोन किया और पूछा कि आखिर क्या हो गया। तब रतन टाटा ने सुहेल सेठ को बताया कि उनके डॉग टैंगों और टीटो में से कोई बीमार है। वह इस हालात में उन्हें ऐसे छोड़कर लंदन नहीं आ सकते हैं।

इसपर सुहेल सेठ ने रतन टाटा को फोन पर कहा कि रतन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड का यह कार्यक्रम आपके लिए रखा गया है। बावजूद इसके रतन टाटा लंदन नहीं गए। जब इस बात का पता प्रिंस चार्ल्स को लगा तो प्रिंस चार्ल्स इससे काफी प्रभावित हुए। प्रिंस चार्ल्स ने रतन टाटा की तारीफ करते हुए कहा कि इंसान ऐसा होना चाहिए। रतन टाटा कमाल के इंसान है। यही वजह है कि टाटा समूह आज इस मुकाम पर है।
हर घर के किचन में कैसे पहुंचा टाटा नमक, रतन टाटा ने आयोडीन युक्त नमक से रखा भारतीयों के स्वास्थ्य का ख्याल


डेस्क: देश ने आज एक बड़ा अनमोल रतन खो दिया है। टाटा को ग्लोबल ब्रांड बनाने वाले रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनके योगदान को देश याद कर रहा है। रतन टाटा वो शख्स हैं। जिन्होंने टाटा को घर-घर पहुंचा दिया। देश का शायद ही ऐसा कोई घर होगा। जहां टाटा की पहुंच नहीं होगी। नमक से लेकर चाय तक..कार से लेकर हवाई जहाज तक, सुई से लेकर बड़े बड़े ट्रक तक, घड़ी से लेकर AC तक। हर तरफ टाटा की मौजूदगी है। रतन टाटा ने कभी भी मुनाफे के लिए आम लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं किया। उन्होंने बिजनेस के साथ आम लोगों की सेहत और स्वाद का भी ख्याल रखा।

जब देश में आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों से लोग परेशान थे तब लोगों की भलाई के लिए रतन टाटा ने एक ऐसा उपाय ढूंढा जिससे लोगों का स्वाद और सेहत दोनों अच्छा रहे। रतन टाटा की टाटा केमिकल्स कंपनी ने साल 1983 में भारत में पहली बार पैकेट में आयोडीन युक्त नमक ब्रांड को लॉन्च किया। यह नमक आज भी लोगों के दिलों में राज करता है और हर घर में टाटा का नमक पहली पसंद है। अगर आपके सामने नमक के कई ब्रांड रखें हो तो सबसे पहले आप टाटा नमक ही चूज करेंगे। क्योंकि आम लोगों के मन में टाटा के ब्रांड को लेकर कोई शंका नहीं है।

जानकारी के अनुसार, टाटा ग्रुप ने देश में नमक बनाने का काम 1927 में गुजरात के ओखा में शुरू किया था। तब किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि गुजरात में नमक भी बनाया जा सकता है। कंपनी ने 1983 में पैकेट में आयोडीन नमक बेचना शुरू कर दिया। इस नमक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे आयोडीन और आयरन की कमी दूर होती है। साथ ही ब्लड प्रेशर को भी यह नमक कंट्रोल करता है।

देश में आज की तारीख में टाटा नमक एक से ज्यादा वैरायटीज में उपलब्ध है। इतने सब गुणों से भरपूर होने के बावजूद इसकी कीमत लागत की अपेक्षा मामूली है। कम पैसे में नमक उपलब्ध होने के कारण लोग इसे इस्तेमाल करते हैं।

टाटा ग्रुप ने चाय बनाने का भी काम किया। टाटा टी का बिजनेस भी भारत में सबसे ज्यादा है। लोग टाटा ग्रुप की चाय पीना ज्यादा पंसद करते हैं। यह छोटे-छोटे पाउज में बाजार में उपलब्ध है।
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में UPSC अभ्यर्थियों की मौत का मामला, CBI ने कोर्ट में दाखिल की सील कवर रिपोर्ट



डेस्क: ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग में तीन छात्रों की मौत का मामले में CBI ने दिल्ली हाई कोर्ट में सील कवर रिपोर्ट दाखिल की है। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने CBI और MCD को मामले में अब तक की जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है। इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में चीफ सेक्रेटरी को भी रिपोर्ट दाखिल करने का समय दिया है। बता दें कि बीते जुलाई महीने में राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में अचानक पानी भर जाने के कारण यूपीएससी की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की डूबकर मौत हो गई थी।

पूरे मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। इसलिए CBI को जांच पूरी करने के लिए समय दिया है, CVC को जांच की निगरानी करने के लिए कहा है।  हाई कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही रेयर केस है इसलिए ही हमने CBI को जांच सौंपी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेद्र नगर हादसे के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट सभी पक्षों दलीलों को सुनने के बाद हादसे की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि CVC का वरिष्ठ अधिकारी जांच की निगरानी करेगा। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दिल्ली एमसीडी को फटकार भी लगाई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि MCD के साथ समस्या यह है कि कोर्ट के समय समय पर आदेश देने के बावजूद वो आदेश लागू नहीं होता।

आईएएस स्टडी सर्किल कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में चल रही लाइब्रेरी में अचानक बारिश का पानी भरने से एर्नाकुलम निवासी 23 वर्षीय नवीन दलविन, उत्तर प्रदेश की 25 साल की श्रेया यादव और तेलंगाना की 25 वर्षीय तान्या सोनी की मौत हो गई थी। घटना के बाद बेसमेंट को सील कर दिया गया था। इस हादसे के बाद काफी हंगामा और प्रदर्शन देखने को मिला था।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिल्ली में जमाया डेरा, सीएम पद के लिए ठोकी दावेदारी


डेस्क: हरियाणा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट 8 अक्टूबर को आएंगे। उससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा दिल्ली पहुंच गए हैं। यहां वह आलाकमान से मिलने वाले हैं। दरअसल, एग्जिट पोल में हरियाणा की सत्ता में कांग्रेस की वापसी बताई जा रही है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री की रेस में सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। इसके अलावा इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा के नामों पर भी चर्चा है।

चुनाव के नतीजे आने से पहले दिल्ली में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बयान देकर ये संदेश दे दिया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो वह मुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए पूरी तरह से मैदान में हैं। दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि वह न तो टायर्ड हैं और न ही रिटायर्ड हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पद की उनकी दावेदारी से जुड़े सवाल पर यह टिप्पणी की। हुड्डा ने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस आलाकमान के फैसले को पार्टी के सभी नेता मानेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि हरियाणा में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिलने जा रहा है, क्योंकि सभी वर्गों ने उसका समर्थन किया है।

हुड्डा ने कहा कहा कि लोकसभा चुनाव में सभी 10 सीट पर कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है और बीजेपी का घटा है। यह साफ संकेत है कि हरियाणा में अबकी बार कांग्रेस की सरकार बनेगी। मुख्यमंत्री से जुड़े सवाल पर 77 वर्षीय कांग्रेस नेता ने कहा, "मुख्यमंत्री को लेकर कोई सवाल नहीं है। विधायकों के मत जाने जाएंगे और आलाकमान फैसला करेगा। जिसके नाम पर भी फैसला होगा, सब मानेंगे।" उन्होंने फिर दोहराया कि वह न तो 'टायर्ड' हैं और न ही 'रिटायर्ड' हैं।

बता दें कि कांग्रेस की जीत की स्थिति में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा पिछले कुछ हफ्तों में यह बयान कई बार दे चुके हैं। हुड्डा ने यह भी कहा कि कांग्रेस इस चुनाव में हरियाणा के सभी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे कल घोषित होंगे। मतदान 5 अक्टूबर हो हुआ था। मतदान के बाद आए करीब-करीब सभी एग्जिट पोल ने इस चुनाव में कांग्रेस की जीत की संभावना जताई है।
चिकित्सा के नोबेल का एलान, माइक्रो आरएनए की खोज के लिए विक्टर एंब्रोस-गैरी रुवकुन को चुना गया



डेस्क: साल 2024 के नोबेल पुरस्कारों का एलान सोमवार से शुरू हो गया। इसके तहत आज फिजियोलॉजी या मेडिसिन क्षेत्र के लिए इस सम्मान के विजेताओं के नाम का एलान किया गया। इस साल अमेरिका के विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। दोनों को माइक्रो आरएनए की खोज के लिए यह सम्मान दिया जाएगा।

इससे पहले पिछले साल यानी 2023 में कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा का नोबेल दिया गया था। इन्हें न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधनों से संबंधित उनकी खोजों के लिए यह सम्मान दिया गया था। इस खोज की वजह से कोरोनावायरस यानी सीओवीआईडी-19 के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए टीकों के विकास में मदद मिली थी।

2022 में स्वीडन के स्वांते पैबो को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें विलुप्त होमिनिन और मानव विकास की आनुवांशिकी (जीनोम) से जुड़ी खोजों के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। नोबेल समिति ने बयान जारी कर कहा था कि कोरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नोबेल समिति ने आज विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनों से जुड़ी खोजों के लिए स्वांते पैबो को फिजियोलॉजी या चिकित्सा क्षेत्र में 2022 का नोबेल पुरस्कार देने का फैसला किया। स्वांते पैबो ने अपने शोध में पाया था कि विलुप्त होमोनिन जीन होमो सेपियन्स में ट्रांसफर हुए थे। पैबो पैलियोजेनेटिक्स के संस्थापकों में से एक रहे हैं जिन्होंने निएंडरथल जीनोम पर बड़े पैमाने पर काम किया है। वह जर्मनी के लीपजिंग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी मेंजेनेटिक्स विभाग के निदेशक भी रहे हैं।

2021 का चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से डेविड जूलियस और आर्डेन पैटामूटियम को सम्मानित किया गया था। इन दोनों शोधकर्ताओं को शरीर के तापमान, दबाव और दर्द देने वाले रिसेप्टरों की खोज करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। दोनों नोबेल विजेता अमेरिकी थे। डेविड जूलियन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में प्रोफेसर थे। वहीं पैटापूटियन अर्मेनियाई मूल के अमेरिकी नागरिक हैं और ला जोला के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक थे।

चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के साथ ही नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की शुरूआत हो गई है। अब मंगलवार को भौतिकी, बुधवार को रसायन विज्ञान और गुरुवार को साहित्य के क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम की घोषणा होगी। इसके अलावा नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा 14 अक्तूबर को की जाएगी।

पुरस्कारों में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी एक मिलियन अमेरिकी डॉलर या दस लाख डॉलर का नकद पुरस्कार दिया जाता है। धनराशि अवॉर्ड के संस्थापक और स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की छोड़ी हुई वसीयत से आती है। 1896 में उनका निधन हो गया था। नोबेल पुरस्कार अधिकतम तीन विजेताओं को दिया जा सकता है। उन्हें पुरस्कार राशि साझा करनी होती है।
38 लाख रुपये, एक घर और पांच बीघा जमीन, अमेठी हत्याकांड के पीड़ितों को क्या-क्या मिला?

डेस्क: उत्तर प्रदेश के अमेठी में शिक्षक के परिवार की हत्या के बाद आश्रितों को यूपी सरकार ने 38 लाख रुपये का मुआवजा दिया है। इनमें से पांच लाख रुपये नगद दिए गए हैं। वहीं, 33 लाख रुपये का चेक दिया गया है। इसके अलावा रहने के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक घर और पांच बीघा जमीन देने की बात कही गई है। इसके साथ ही अधिकारियों ने उन्हें न्याय दिलाने की बात भी कही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी और अब उनकी मदद के लिए सरकार ने हर संभव प्रयास किए हैं।

अमेठी में एक शिक्षक सुनील कुमार के साथ उसकी पत्नी पूनम और दोनों बेटिंयों (दृष्टि और सूनी) की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद मामले ने बहुत तूल पकड़ा था। विपक्ष ने राज्य में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे। हालांकि, पुलिस ने जल्द ही आरोपी को पकड़ लिया और मामले की जांच जारी है।

पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपी चंदन और मृतक शिक्षक की पत्नी पूनम के बीच अवैध संबंध थे। पिछले डेढ़ साल से दोनों का यह रिश्ता था, लेकिन कुछ दिन पहले ही पूनम ने आरोपी से दूरी बना ली थी। रिश्तों में खटास आने के बाद मृतक पूनम ने 18 अगस्त को आरोपी चंदन वर्मा के खिलाफ SC/ST व छेड़खानी का मुकदमा दर्ज करा दिया। जिसके बाद आरोपी चंदन वर्मा जेल भी गया था। आरोपी चंदन ने व्हाट्सअप स्टेटस लगाया था और इंग्लिश में लिखा था- 5 People will die soon इसके बाद ही उसने हत्या की वारदात को अंजाम दिया।

आरोपी ने पांच लोगों की मौत का दावा किया था। इसमें चार लोग वही थे, जिनकी उसने हत्या की और पांचवां वह खुद था। हालांकि, चार लोगों की हत्या करने के बाद उसने जब सुसाइड करने की कोशिश की तो गोली उसे नहीं लगी और इसके साथ ही गोलियां खत्म हो गईं। इस वजह से वह सुसाइड नहीं कर सका। इसके बाद पुलिस ने उसे भागते हुए पैर में गोली मारकर पकड़ लिया।
यूपी के ललितपुर में पटरी पर सरिया रखकर ट्रेन पलटाने की साजिश, पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार, बताई ये वजह



डेस्क: यूपी के ललितपुर जिले में ट्रेन पलटाने की साजिश रचने वाले एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि आरोपी ने ट्रेन की पटरी पर सरिया रख दिया था, जो ट्रेन के पहिए में उलझ गया। हालांकि लोको पायलट ने तत्परता दिखाते हुए ट्रेन रोक दी, जिससे बड़ा हादसा टल गया। ये घटना 3 अक्टूबर की बताई जा रही है। वहीं ट्रेन की पटरी पर सरिया रखने वाले आरोपी को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह सरिया चोरी करके ले जा रहा था, तभी ट्रेन आ गई। हड़बड़ी में वह पटरी पर ही सरिया छोड़कर भाग गया।

ललितपुर के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद मुस्ताक ने शनिवार को आरोपी के गिरफ्तार किए जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देलवारा रेलवे स्टेशन के अधीक्षक ने शुक्रवार को जखौरा थाना पुलिस में एक शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत के अनुसार गुरुवार की रात अज्ञात व्यक्ति ने रेलवे लाइन पर सरिया रख दिया और ट्रेन को पटरी से उतारने की कोशिश की। पुलिस अधीक्षक ने आगे बताया कि प्राप्त शिकायत के आधार पर जब मामले की जांच की गई तो घटनास्थल के पास ही रेलवे का लोहे का सरिया आदि रखने का स्थान मिला।

एसपी ने आगे बताया कि जखौरा पुलिस की टीम ने छापेमारी की और आरोपी सत्यम यादव को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। एसपी ने बताया कि आरोपी के घर से भी लोहे का सरिया आदि सामान बरामद किया गया है। पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि घटना की रात वह सरिया चोरी करके जा रहा था, तभी अचानक पाताल एक्सप्रेस आ गई। ट्रेन को देखकर वह हड़बड़ाहट में पटरी पर ही सरिया फेंककर भाग गया।

बता दें कि प्राप्त शिकायत के अनुसार देलवारा रेलवे स्टेशन क्षेत्र में गुरुवार की रात ट्रेन संख्या-12624 (पाताल एक्सप्रेस) के इंजन में लोहे का सरिया फंसने गया था, जिस वजह से चिंगारी निकलने लगी थी। हालांकि गेटमैन ने लोको पायलट को इसकी सूचना दे दी, जिसके बाद लोको पायलट ने ट्रेन रोक दी, जिससे बड़ा हादसा होने से टल गया।
SCO Summit में शामिल होने पाकिस्तान जा रहे जयशंकर को पूर्व पीएम इमरान ने भेजा अजीबोगरीब न्योता, जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान


डेस्क : पाकिस्तान में 15 और 16 अक्टूबर को होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में पड़ोसी देश के निमंत्रण को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्वीकार कर लिया है। मगर अब  जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की ओर से विदेश मंत्री के लिए एक और अजीबोगरीब न्योता आया है। इसमें पीटीआई के नेताओं ने जयशंकर को पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का न्योता भेजा है। पीटीआई के इस प्रस्ताव से हर कोई हैरान है।

बता दें कि पीटीआई के एक नेता ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर को पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ इस्लामाबाद में पार्टी के विरोध प्रदर्शन में “शामिल” होने के लिए आमंत्रित किया है। जयशंकर 15 और 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन के शासनाध्यक्ष परिषद (एससीओ-सीएचजी) की बैठक में भाग लेने वहां जा रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार मुहम्मद अली सैफ ने शुक्रवार को जियो न्यूज के एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।

सैफ ने एक सवाल के जवाब में कहा, “पीटीआई भारत के विदेश मंत्री जयशंकर को आमंत्रित करेगी कि वे आएं और पार्टी के विरोध प्रदर्शन में शामिल हों। हमारे लोगों से बात करें और देखें कि पाकिस्तान में एक मजबूत लोकतंत्र है, जहां हर किसी को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है।” उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी प्रतिनिधिमंडल पार्टी के विरोध प्रदर्शन को देखकर खुश होंगे। पीटीआई विरोध प्रदर्शन कर रही है और दावा कर रही है कि सरकार को संविधान का पालन करना चाहिए और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर जोर देना चाहिए। पार्टी अपने 72 वर्षीय संस्थापक खान की रिहाई की भी मांग कर रहा है, जिन्हें एक साल से अधिक समय से जेल में रखा गया है। खान पांच अगस्त, 2023 को अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं।

दर्जनों मामलों का सामना कर रहे खान को उनमें से कुछ में दोषी ठहराया गया है। शनिवार को डी-चौक पर खान द्वारा बुलाए गए विरोध प्रदर्शन से पहले सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना के जवानों को तैनात किया गया था। आगामी एससीओ के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना पांच से 17 अक्टूबर तक शहर में रहेगी। अधिकारियों ने पीटीआई कार्यकर्ताओं को इस्लामाबाद में प्रवेश करने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, शहर की ओर जाने वाले सभी राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया गया है तथा मोबाइल फोन सेवाएं निलंबित कर दी गयी हैं।
इजरायल ने हिजबुल्लाह का खुफिया मुख्यालय उड़ाया, लेबनान पर भीषण हमले में 250 लोगों की मौत



डेस्क: इज़रायल ने हिजबुल्लाह के कई कमांडरों को ढेर करने के बाद अब लेबनान में उसके खुफिया हेड क्वॉर्टर को भी उड़ा दिया है। इजरायली सेना की ओर से दक्षिणी लेबनान में किए गए इस हमले में कम से कम 250 लोग मारे गए है। इससे ईरान बौखला गया है। ईरान का कहना है कि वह अब पीछे नहीं हटेगा। इजरायली सेना ने कहा कि उसने बेरूत में शुक्रवार को हिजबुल्लाह के खुफिया मुख्यालय को निशाना बनाया। इसके साथ ही इस आतंकी समूह के टॉप कमांडरों को निशाना बनाया। एक अस्पताल को हिजबुल्लाह आतंकी कमांड सेंटर के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे। उसे भी हमले में ध्वस्त कर दिया गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने कहा कि इन हमलों से तेहरान की सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। अब वह किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटने वाला।

इजरायली हमले में हमास अधिकारी सईद अताल्ला अली और उनके परिवार की भी मौत हो गई है। हमास ने शनिवार को यह जानकारी दी। बता दें कि इजरायल  हिजबुल्लाह के ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है। वह अब बीते मंगलवार को अपने ऊपर हुए ईरान के मिसाइल अटैक का जवाब देने की भी तैयारी कर रहा है। ईरान ने तेल अवीव पर यह हमला लेबनान में इज़रायल की सैन्य कार्रवाई के जवाब में किया था। इसके बाद ईरान की तेल सुविधाओं पर हमले की आशंका के कारण तेल की कीमतें बढ़ गई हैं। फिलहाल इज़रायल का फोकस लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकवादियों पर है। वह उन्हें पीछे धकेलने और गाजा में उनके हमास सहयोगियों को खत्म करने के अपने लक्ष्य पर काम कर रहा है। गाजा की तरह लेबनान में भी इजरायली सेना अभियान चला रही है।

इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को पिछले हफ्ते बेरूत पर एक हवाई हमले के दौरान मार डाला था। अब बेरूत पर हो रहा अन्य हमला भी उसी के तहत एक व्यापक सैन्य अभियान का हिस्सा है। इसके चलते 1.2 मिलियन से अधिक लेबनानी लोगों को अपने घर से पलायन करना पड़ा है। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के नेता सैय्यद हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद इजरायल ने उसके संभावित उत्तराधिकारी को भी इजरायल ने मार डाला है। हालांकि हाशिम सफीद्दीन की हत्या के दावे के बाद अभी तक हिजबुल्लाह की ओर से कोई टिप्पणनी नहीं आई है। इसलिए अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह मारा गया या जिंदा है।

आज इजरायली सेना ने बेरूत के दक्षिणी इलाकों पर बड़ा हमला किया है। रॉयटर्स के प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि शनिवार तड़के बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में एक विस्फोट की आवाज सुनी गई और धुआं देखा गया। इस हमले से पहले इजरायली सेना ने स्थानीय निवासियों को तुरंत इलाका खाली करने के लिए तीन अलर्ट जारी किया था। हमले के बाद शनिवार तड़के हिजबुल्लाह ने कहा कि इजरायली सेना लेबनान के दक्षिणी शहर ओडाइसेह में घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है, जहां उसके साथ हिजबुल्लाह के लड़ाकों से जंग जारी है।
मणिपुर के चुराचांदपुर जिले से बड़ी मात्रा में हथियारों का जखीरा और विस्फोटक बरामद, आखिर क्या थी मंशा?


डेस्क: पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में पिछले कई महीनों से हिंसा फैली हुई है। सुरक्षाबलों की टीम राज्य के अलग-अलग इलाकों में चप्पे-चप्पे पर नजर बनाए हुए है। मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स की संयुक्त टीम ने चुराचांदपुर जिले में हथियारों का जखीरा बरामद किया है।

चुराचांदपुर जिले के खेंगमोल पहाड़ी पर पुलिस और सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम ने तलाशी अभियान के दौरान हथियार और विस्फोटक जब्त किए हैं। शनिवार को एक आधिकारिक बयान में ये जानकारी दी गई है।

संयुक्त टीम ने शुक्रवार को एक आंसू गैस गन, एक देशी 9 एमएम पिस्तौल मैगजीन के साथ, पांच 12 बोर सिंगल बैरल गन, जिंदा गोला-बारूद, 13 इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार शेल और पांच इम्प्रोवाइज्ड भारी मोर्टार जब्त किए हैं। इतनी भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद होने के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसके पीछे मंशा क्या थी।

मणिपुर के अलग-अलग जिलों में पहले ही से हिंसा फैली हुई है। ऐसे में इतनी भारी मात्रा में हथियारों का जखीरा और विस्फोटक का मिलना हिंसा फैलाने के लिए तो नहीं था। पुलिस की टीम इस मामले की जांच कर रही है।

पुलिस ने पिछले हफ्ते तामेंगलोंग जिले के कुइलोंग गांव प्राधिकरण के सदस्यों के साथ मिलकर पांच एकड़ में लगे संदिग्ध नर्सरी पॉपी (Poppy) के पौधों को नष्ट कर दिया था। इसमें कहा गया कि इन पौधों की खेती अज्ञात व्यक्तियों द्वारा की गई थी।