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किसी ने राम, किसी ने हनुमान के किरदार में तोड़ा दम;संभलने का मौका कहा देती हैं ये मौत...


नयी दिल्ली : हार्ट अटैक के मामले वैसे भी दुर्भाग्यपूर्ण होते हैं लेकिन कुछ घटनाएं लोगों के जेहन में हमेशा याद रहती हैं. इसी कड़ी में दिल्ली के शाहदरा में हो रही रामलीला से हार्ट अटैक की चौंकाने वाली घटना आई है।

यहां रामलीला के दौरान भगवान राम की भूमिका निभाते समय मंच पर दिल का दौरा पड़ने से 56 साल के एक शख्स की मौत हो गई. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान सुशील कौशिक के रूप में हुई है. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब मौत ने संभलने का भी मौका नहीं दिया है.

रामलीला में राम का किरदार निभा रहे।

असल में पूरी घटना शाहदरा के विश्वकर्मा नगर की है. सुशील कौशिक पेशे से प्रॉपर्टी डीलर थे. और वे करीब 35 साल से रामलीला में राम का किरदार निभा रहे थे. सुशील के परिवार के एक सदस्य राहुल कौशिक ने इस घटना का एक वीडियो भी ट्विटर पर शेयर किया है.

जय श्री रामलीला समिति' से जुड़े

उन्होंने न्यूज एजेंसी को को बताया कि सुशील 'जय श्री रामलीला समिति' से जुड़े थे और उसके सदस्य थे. राहुल ने बताया कि सुशील लंबे अर्से से भगवान श्री राम की भूमिका निभा रहे थे और वह गायन भी करते थे. उन्होंने बताया कि सुशील सीता के स्वयंवर के दृश्य का मंचन कर रहे थे, जिसमें उन्हें धनुष तोड़ना था लेकिन उन्हें सीने में दर्द अचानक महसूस हुआ और वे मंच के पीछे चले गए.

ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे

तत्काल उन्हें नजदीकी अस्पताल पहुंचाया जहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. राहुल ने बताया कि एक घंटे बाद सुशील को मृत घोषित कर दिया गया. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सुशील की मौत का संबंध कोविड-19 टीके से हो सकता है. 

भारद्वाज ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह चर्चा आम है कि कारोना से बचाव के लिए लगाए गए टीके के बाद भारत में ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

जब हनुमान जी का किरदार निभाने वाले कलाकार की हुई थी मौत

इसी साल जनवरी में हरियाणा के भिवानी में हनुमान जी का किरदार निभाने वाले कलाकार हरीश मेहता की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. हरीश 25 सालों से हनुमान जी का किरदार निभा रहे थे. किरदार निभाते वक्त उन्हें हार्ट अटैक आया और हनुमान जी की वेशभूषा में उनकी मौत हुई थी.

बेटे के जन्मदिन के मौके पर मां की स्टेज पर हुई थी मौत

अभी पिछले दिनों ही गुजरात के वलसाड जिले में हाल ही में एक और दुखद घटना हुई, जिसमें एक मां की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. यह हादसा उस समय हुआ जब वह अपने 5 साल के बेटे की बर्थडे पार्टी मना रही थीं. बेटे की खुशी में शामिल होने के दौरान ही मां अचानक बेहोश हो गईं और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई.

आज का इतिहास:1952 में आज ही के दिन पंजाब की राजधानी बनी थी चंडीगढ़


नयी दिल्ली : काफी महत्वपूर्ण माना जाता है आज 7 अक्टूबर का इतिहास, क्योंकि 1952 में आज ही के दिन चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी बनी थी। 

1959 में 7 अक्टूबर को ही सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान लूनर-3 द्वारा चंद्रमा के छिपे हिस्से की पिक्चर ली गई थी। 

1977 में आज ही के दिन सोवियत संघ ने चौथे संविधान को अंगीकार किया था।

2004 में आज ही के दिन जर्मनी ने सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन किया था।

2003 में 7 अक्टूबर के दिन ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ अभियान जारी रखने की घोषणा की थी।

2000 में आज ही के दिन जापान में मानव क्लोनिंग दंडनीय अपराध घोषित किया था।

2000 में 7 अक्टूबर के दिन ही WWF- इंडिया ने पहला राजीव गांधी वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार हासिल किया था।

1992 में आज ही के दिन रैपिड एक्शन फोर्स की स्थापना की गई थी।

1977 में 7 अक्टूबर के दिन ही सोवियत संघ ने चौथे संविधान को अंगीकार किया था।

1959 में आज ही के दिन सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान लूनर-3 द्वारा चंद्रमा के छिपे हिस्से की पिक्चर ली गई थी।

1952 में 7 अक्टूबर के दिन ही चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी बनी थी।

1950 में आज ही के दिन मदर टेरेसा ने कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी।

1949 में 7 अक्टूबर के दिन ही पूर्वी जर्मनी, डेमोक्रेटिक सरकार के अस्तित्व में आने के साथ एक अलग देश बना था।

1942 में आज ही के दिन अमेरिका और ब्रिटिश सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की घोषणा की था।

1919 में 7 अक्टूबर के दिन ही गांधी जी की ‘नवजीवन’ पत्रिका प्रकाशित की थी।

7 अक्टूबर का इतिहास को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1978 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी जहीर खान का जन्म हुआ था।

1952 में 7 अक्टूबर को ही रूसी राजनीतिज्ञ व्लादिमीर पुतिन का जन्म हुआ था।

1924 में आज ही के दिन प्रसिद्ध कवि एवं आलोचक विजयदेव नारायण साही का जन्म हुआ था।

1922 में 7 अक्टूबर के दिन ही प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बली राम भगत का जन्म हुआ था।

1914 में आज ही के दिन प्रसिद्ध गायिका बेगम अख़्तर का जन्म हुआ था।

7 अक्टूबर को हुए निधन

1971 में आज ही के दिन केरल के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता और समाज सुधारक के. केलप्पन का निधन हुआ था।

1961 में 7 अक्टूबर के दिन प्रसिद्ध क्रांतिकारी व्यक्ति केदारेश्वर सेन गुप्ता का निधन हुआ था।

एसबीआई ने बढ़ाई तारीख, अब 14 अक्टूबर तक करें SCO भर्ती के लिए आवेदन

नई दिल्ली:- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने स्पेशलिस्ट कैडर ऑफिसर भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया है। एसबीआई की ओर से जारी सूचना के अनुसार, अब इस वैकेंसी के लिए उम्मीदवार 14 अक्टूबर, 2024 तक आवेदन कर सकते हैं। 

हालांकि, पहले इस वैकेंसी के लिए अप्लाई करने की अंतिम तिथि 04 अक्टूबर, 2024 थी। लेकिन अब अभ्यर्थियों की सहूलियत के लिए इसे आगे बढ़ा दिया गया है। कैंडिडेट्स को सलाह दी जाती है कि वे अब निर्धारित डेडलाइन के भीतर एप्लीकेशन फॉर्म सबमिट कर दें, क्योंकि इसके बाद उन्हें दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा।

एसबीआई एससीओ भर्ती के लिए आवेदन करते वक्त उम्मीदवारों को सभी आवश्यक शैक्षणिक दस्तावेज, बायोडाटा, आईडी प्रमाण, आयु प्रमाण, जाति प्रमाण पत्र (अगर लागू हो), पीडब्ल्यूबीडी प्रमाण पत्र (अगर लागू हो), अन्य योग्यताएं, अनुभव सहित अन्य की जानकारी अपलोड करनी होगी। निर्धारित प्रारुप में फाॅर्म नहीं भरने वाले उम्मीदवारों का फॉर्म रिजेक्ट कर दिया जाएगा।

इस वैकेंसी के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे पहले नोटिफिकेशन को अच्छी तरह पढ़ लें और समझ लें कि पद से जुड़ी शैक्षणिक योग्यता सहित अन्य क्या योग्यता मांगी है । यह जांचने के बाद ही आवेदन करें, क्योंकि आवेदन पत्र में अगर कोई गडबड़ी पकड़ में आती है तो फिर एप्लीकेशन फॉर्म मान्य नहीं किया जाएगा।

एसबीआई स्पेशलिस्ट कैडर ऑफिसर भर्ती के लिए ऐसे करें आवेदन

सबसे पहले उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट sbi.co.in पर जाएं। होम पेज पर उपलब्ध करियर लिंक पर क्लिक करें। एक नया पेज खुलेगा, जहां उम्मीदवारों को एसबीआई एससीओ लिंक पर क्लिक करना होगा। 

एक ड्रॉप-डाउन बॉक्स खुलेगा जहां ऑनलाइन आवेदन लिंक उपलब्ध होगा। इस पर क्लिक करें और अपना रजिस्ट्रेशन करें। एक बार हो जाने के बाद, आवेदन पत्र भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें। आवेदन शुल्क का भुगतान करें। सबमिट पर क्लिक करें और पेज डाउनलोड करें। आगे की आवश्यकता के लिए इसकी एक हार्ड कॉपी अपने पास रखें।

DRDO में रिसर्च एसोसिएट एवं जूनियर रिसर्च फेलो के पदों पर नौकरी पाने का मौका,ऑफलाइन कर सकते हैं अप्लाई


नई दिल्ली:- रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन (DRDO) में सरकारी नौकरी पाने का सपना देख रहे युवाओं के लिए बेहतरीन मौका है। डीआरडीओ की ओर से रिसर्च एसोसिएट एवं जूनियर रिसर्च फेलो के रिक्त पदों पर भर्ती हो रही है। इन पदों पर आवेदन के लिए अभ्यर्थी ऑफलाइन माध्यम से आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं। ई-मेल या अन्य किसी भी तरीके से आवेदन स्वीकार नहीं किये जायेंगे।

कैसे करें आवेदन

आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी ऑफलाइन फॉर्म डीआरडीओ की ऑफिशियल वेबसाइट drdo.gov.in पर जाकर डाउनलोड कर लें। इसके बाद इसे पूर्ण रूप से भरकर निर्धारित पते "हेड हार्ड, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, रिसर्च सेंटर बिल्डिंग (आरसी), पोविजना कांचा, हैदराबाद, तेलंगाना- 500069" पर भेज दें।

चयन प्रक्रिया

इस भर्ती में आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को योग्यता के आधार पर शॉर्टलिस्ट करके लिखित परीक्षा या इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया जाएगा। रिटेन टेस्ट/ इंटरव्यू में प्राप्त अंकों के आधार पर उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करके मेरिट लिस्ट में जगह दी जाएगी एवं उन्हें रिक्त पदों पर तैनात किया जाएगा।

भर्ती विवरण

इस भर्ती के माध्यम से रिसर्च एसोसिएट के के 3 पदों पर भर्ती की जाएगी। इसके अलावा जूनियर रिसर्च फेलो के अंतर्गत विभिन्न ब्रांचेज- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार इंजीनियरिंग के लिए 05 पद, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के लिए 02पद, कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग/ सूचना प्रौद्योगिकी के लिए 04 पद, रासायनिक इंजीनियरिंग के लिए 01 पद, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए 05 पद, भौतिकी के लिए 01 पद और धातुकर्म इंजीनियरिंग के लिए 01 पद आरक्षित है। भर्ती से जुड़ी अधिक डिटेल के लिए अभ्यर्थी ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

आज का इतिहास:आज ही के दिन पारित हुआ था ‘भारतीय दंड संहिता कानून’


नयी दिल्ली : 6 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1980 में आज ही के दिन गुयाना ने संविधान को अंगीकार किया गया था। 

1983 में 6 अक्टूबर के दिन ही पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। 

1987 में आज ही के दिन फिजी एक गणराज्य घोषित हुआ था।

2008 में आज ही के दिन वैश्विक मंदी के चलते भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) में आधा प्रतिशत कटौती करने का फैसला लिया था।

2006 में 6 अक्टूबर को ही संयुक्त राष्ट्र ने लेबनान में शांति रक्षकों को बल प्रयोग का अधिकार दिया था।

2002 में आज ही के दिन नेपाल के नरेश ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम शाह देव ने सत्ता नहीं संभालने की घोषणा की थी।

1999 में 6 अक्टूबर के दिन संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण सम्मेलन ऑस्ट्रेलिया की राजधानी वियना में शुरू किया था।

1987 में आज ही के दिन फिजी एक गणराज्य घोषित हुआ था।

1983 में पंजाब में 6 अक्टूबर को ही राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

1980 में आज ही के दिन गुयाना ने संविधान को अंगीकार किया था।

1973 में 6 अक्टूबर को ही इसी दिन इसरायल के ऊपर मिस्र और सीरिया की फौजों ने दो तरफा हमला शुरू कर दिया था।

1972 में आज ही के दिन मेक्सिको में ट्रेन पटरी से उतरने से 208 लोगों की मौत हो गई थी।

1957 में 6 अक्टूबर के दिन सोवियत संघ ने नोवाया त्रेमल्या में न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1939 में आज ही के दिन पोलैंड की निर्णायक हार हुई थी।

1862 में 6 अक्टूबर को ही भारतीय दंड संहिता कानून पारित हुआ था और 1 जनवरी से लागू हुआ।

1762 में आज ही के दिन ब्रिटिश सैनिकों ने फिलीपींस के मनीला पर कब्जा किया था।

6 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1935 में आज ही के दिन भारत में 32 वर्ष के सबसे लंबे समय तक अंपायरिंग करने वाले जीवन डी घोष का बंगाल में जन्म हुआ।

1946 में 6 अक्टूबर के दिन ही प्रसिद्ध अभिनेता एवं राजनीतिज्ञ विनोद खन्ना का जन्म हुआ था।

1963 में आज ही के दिन पंजाब के स्वतंत्रता सेनानी ग्रैंड ओल्ड मैन बाबा खड़क सिंह का जन्म हुआ था।

6 अक्टूबर को हुए निधन

2014 में आज ही के दिन अमेरिकी अभिनेत्री मारियन सेल्डस का निधन हुआ था।

2009 में 6 अक्टूबर को ही राजनीतिज्ञ प्यारेलाल खण्डेलवाल का निधन हुआ था।

2007 में आज ही के दिन राजनीतिज्ञ, महाराष्ट्र के 9वें मुख्यमंत्री बाबासाहेब भोसले का निधन हुआ था।

1986 में 6 अक्टूबर को ही राजस्थान के प्रसिद्ध क्रांतिकारी और समाज सेवक गोकुलभाई भट्ट का निधन हुआ था।

1963 में आज ही के दिन पंजाब के स्वतंत्रता सेनानी और ग्रैंड ओल्ड मैन बाबा खड़क सिंह का निधन हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, तिरुपति लड्डू विवाद पर SIT गठित

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के 2 सदस्यों, आंध्र प्रदेश पुलिस के 2 सदस्यों और एक FSSAI सदस्य के साथ एसआईटी गठन का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक द्वारा की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपों में थोड़ी भी सच्चाई है तो यह अस्वीकार्य है।

लड्डू तैयार करने में पशु चर्बी मिलाने का है आरोप

सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए शुक्रवार को एक स्वतंत्र विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह करोड़ों लोगों की आस्था का सवाल है। कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच के पांच सदस्यीय एसआईटी गठित करने का आदेश दिया जिसमें सीबीआई, पुलिस और FSSAI के अधिकारी शामिल होंगे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यदि आरोपों में थोड़ी भी सच्चाई है तो यह अस्वीकार्य है। तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि एसआईटी जांच की निगरानी केंद्र सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जाए। 30 सितंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मेहता से यह तय करने में सहायता करने को कहा था कि राज्य द्वारा नियुक्त एसआईटी द्वारा जांच जारी रहनी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जानी चाहिए।

तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी के कथित इस्तेमाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच के अनुरोध वाली याचिका समेत अन्य दूसरी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सामने आया। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अदालत को राजनीतिक युद्धक्षेत्र के रूप में इस्तेमाल नहीं होने देंगे। पिछले महीने की शुरुआत में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि राज्य में पिछली जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुपति में लड्डू तैयार करने में पशु चर्बी का उपयोग किया गया था, जिससे एक बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के सार्वजनिक बयान पर सवाल उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लैब रिपोर्ट बिल्कुल स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने पूछा कि इस बात का क्या सबूत है कि तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था।

हमने अपना धैर्य खो दिया है', प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज


नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने के मामले में सुनवाई की, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से राशन कार्ड में देरी पर कोर्ट ने कहा, हमने अपना धैर्य खो दिया है। 

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को 19 नवंबर तक इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का अंतिम अवसर दिया।

जज ने कहा, हमने अपना धैर्य खो दिया है, हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि अब और कोई अभद्रता नहीं होगी। पीठ ने ये भी कहा, ''हम आपको हमारे आदेश का पालन करने के लिए एक आखिरी मौका दे रहे हैं या आपके सचिव उपस्थित रहेंगे।''

जज ने कहा, हमने अपना धैर्य खो दिया है, हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि अब और कोई अभद्रता नहीं होगी। पीठ ने ये भी कहा, ''हम आपको हमारे आदेश का पालन करने के लिए एक आखिरी मौका दे रहे हैं या आपके सचिव उपस्थित रहेंगे।''

सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दिया ये तर्क

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत प्रति प्राथमिकता वाले परिवार के लिए केवल एक राशन कार्ड जारी किया जाता है।बता दें कि अदालत 2020 में कोविड के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों का संज्ञान लेने के बाद दर्ज एक स्वत: संज्ञान मामले पर सुनवाई कर रही थी।

अदालत ने पहले केंद्र से अपने 2021 के फैसले के अनुपालन और प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड और अन्य कल्याणकारी उपाय प्रदान करने के निर्देशों के बारे में जानकारी देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था।

अदालत ने पारित किए कई निर्देश

अदालत ने 29 जून, 2021 के फैसले और उसके बाद के आदेशों में अधिकारियों को कई निर्देश पारित किए थे, जिसमें उनसे कल्याणकारी उपाय करने के लिए कहा गया था, जिसमें उन सभी प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देना शामिल था, जो ई-श्रम' पोर्टल के साथ रजिस्टर्ड कोविड ​​​​-19 महामारी के दौरान परेशान थे। '

ई-श्रम' केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया असंगठित श्रमिकों का एक व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य देश भर में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को कल्याणकारी लाभ और सामाजिक सुरक्षा उपायों की डिलीवरी की सुविधा प्रदान करना है।

हरियाणा में भाजपा के शासन काल का 10 साल और10 बड़ी घटनाएं,पढ़िये उसके इफेक्ट और राजनीतिक प्रभाव


आज हरियाणा में विधानसभा चुनाव चल रहा है । 2014 में पहली बार हरियाणा में जीतकर बीजेपी ने पिछले दस साल से शासन कर रहा है । बीजेपी अब हरियाणा में तीसरी बार जीत 

 इसका पता 8 अक्टूबर को चलेगा। 2014 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद मनोहर लाल खट्टर को प्रदेश का मुखिया बनाया गया था। साढ़े 9 साल तक वे प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन मार्च 2024 में उनकी जगह नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बनायें गए। बीजेपी के 10 साल के इस शासनकाल में कई घटनाएं और विवाद भी हुए। इनमें सांप्रदायिक हिंसा, जाट आंदोलन, भ्रष्टाचार के मामले, और एक मंत्री पर यौन उत्पीड़न के आरोप शामिल हैं। आइए

 जानते हैं बीजेपी के 10 साल में

 हुई घटनाएं और विवाद...

रामपाल आश्रम विवाद , नवंबर 2014

बीजेपी सरकार का कानून-व्यवस्था से पहला सामना रामपाल आश्रम हिंसा के दौरान हुआ। जब पुलिस ने राजद्रोह और कई अन्य आरोपों में प्रचारक रामपाल को गिरफ्तार करने की कोशिश की। इस दौरान रामपाल के अनुयायियों और पुलिस के बीच हिंसा भड़क गई। रामपाल ने हाईकोर्ट के अवमानना के मामले में पेश होने से इनकार कर दिया। उसे गिरफ्तार करने के लिए बरवाला स्थित उनके आश्रम में कुल 5,375 जवान तैनात किए गए थे। 19 नवंबर, 2014 को उन्हें पकड़ने में 10 दिन लग गए। इस ऑपरेशन पर सरकारी खजाने से 26 करोड़ रुपये खर्च हुए। बाद में रामपाल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

गोमांस पर खट्टर का बयान: 2015

अक्टूबर 2015 में एक अंग्रेजी दैनिक को दिए एक साक्षात्कार में खट्टर ने यह टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया कि मुसलमान देश में रह सकते हैं, लेकिन उन्हें गोमांस खाना छोड़ना होगा। बाद में, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया था।

आरक्षण के लिए जाट हिंसा, फरवरी 2016

ओबीसी कोटे के तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे जाटों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी के बाद लगभग 30 लोगों की मौत हो गई। राज्य सरकार पर आंदोलन को संभालने में विफल रहने का आरोप लगा। 2,100 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गईं और सैकड़ों लोगों पर मामले दर्ज किए गए। बीएसएफ के पूर्व प्रमुख प्रकाश सिंह के नेतृत्व में एक समिति ने कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को भी दोषी ठहराया। हिंसा के कारण राज्य में जाति आधारित विभाजन पैदा हो गया। बीजेपी नेताओं के ध्रुवीकरण वाले बयानों ने हरियाणवियों के बीच भाईचारे में दरार पैदा कर दी।

 राज्यसभा चुनाव में विवाद

जून 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव में प्रख्यात वकील आर के आनंद की मीडिया दिग्गज सुभाष चंद्र से हार गए। इस चुनाव में चुनाव आयोग ने अनियमितताएं पाईं। चुनाव आयोग ने उन परिस्थितियों की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की। कांग्रेस विधायकों ने अपने उम्मीदवार को वोट देने के लिए अनधिकृत स्याही वाले पेन का इस्तेमाल किया था, जिसके कारण 12 वोट रद्द कर दिए गए। कांग्रेस के दो अन्य वोट रद्द कर दिए गए क्योंकि एक विधायक ने अपना वोट दूसरी पार्टी के विधायक को दिखाया और एक वोट पर निशान नहीं लगा था।

मॉब लिंचिंग केस, जून 2017

जून 2017 में मथुरा जाने वाली ट्रेन में सीट को लेकर हुए विवाद के बाद जुनैद (16) की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद मृतक के भाई और दो चचेरे भाइयों पर ओखला और असोटी के बीच सड़क पर भीड़ ने हमला कर दिया। पुलिस ने नरेश को मुख्य आरोपी और पांच अन्य के खिलाफ हत्या, गैर इरादतन हत्या, किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले शब्द कहकर चोट पहुंचाने और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

न्याय के लिए जुनैद के पिता ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

बाद में जुनैद के पिता, जलालुद्दीन ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें आरोप लगाया गया कि हरियाणा पुलिस ने गवाहों के बयानों को कमजोर करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने यह भी दावा किया कि अपराध की असली प्रकृति को छुपाया गया था और आरोपी और अन्य लोगों के आचरण को लिंचिंग भीड़ के रूप में छुपाया गया था। लेकिन अदालत ने सीबीआई जांच की उनकी याचिका खारिज कर दी।

भाजपा नेता के बेटे के हड़कत को लेकर कारबाई

5 अगस्त, 2017 को, तत्कालीन हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला और उनके दोस्त आशीष ने कथित तौर पर एक आईएएस अधिकारी की बेटी का पीछा किया और उनकी कार रोकने की कोशिश की। उसने चंडीगढ़ पुलिस को फोन किया, जिसने लड़कों को पकड़ लिया। गिरफ्तारी के वक्त वे नशे में पाए गए और आईपीसी की धारा 354डी (पीछा करने) और मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया।

पुलिस ने बाद में प्राथमिकी में अपहरण के प्रयास की धारा जोड़ी और उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया। मामला अदालत में लंबित है और दोनों आरोपी जमानत पर हैं। बराला के बेटे ने झूठा फंसाने का दावा किया था। मामले में बीजेपी की छवि खराब होने के बावजूद मनोहर लाल ने बराला का इस्तीफा लेने की मांग ठुकरा दी।

डेरा हिंसा, अगस्त 2017

25 अगस्त, 2017 को सीबीआई अदालत द्वारा बलात्कार के मामलों में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा (डीएसएस) प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकूला में हुई हिंसा में चालीस लोग मारे गए थे। फैसले से पहले पंचकूला में जमा हुए डेरा के हजारों अनुयायियों द्वारा उत्पात मचाने के बाद पुलिस ने गोलियां चलाईं। राज्य सरकार की इस बात के लिए आलोचना हुई कि उसने सुनवाई से पहले इतने सारे अनुयायियों को पंचकूला में प्रवेश करने दिया, खासकर जब बीजेपी 2014 में डेरा के समर्थन के कारण ही राज्य में सत्ता में आई थी। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी की।

डीएलएफ भूमि सौदे में झटका, जनवरी 2019

बीजेपी वड्रा-डीएलएफ भूमि घोटाले को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी। गुड़गांव भूमि सौदे में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा शामिल थे और बीजेपी ने 2014 के चुनावों के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार का दावा करने के लिए इस घोटाले का इस्तेमाल किया था। बीजेपी को सबसे बड़ा झटका जनवरी 2019 में उस समय लगा, जब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुड़गांव में भूमि सौदों की जांच करने वाले ढींगरा आयोग की रिपोर्ट को अस्तित्वहीन" (मौजूद नहीं) घोषित कर दिया।

कश्मीरी लड़कियों पर विवादित बयान, अगस्त 2019

साल 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद मनोहर लाल खट्टर के एक बयान पर बवाल हो गया था। उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि अब कश्मीरी लड़कियों शादी कर लाया जा सकता है, क्योंकि कश्मीर का रास्ता साफ हो गया है।

लॉकडाउन में शराब घोटाला , 2020

कोविड-19 अवधि के दौरान आबकारी और कराधान अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत से हरियाणा से दूसरे राज्यों में बड़ी मात्रा में शराब की तस्करी का आरोप लगाया गया था। विपक्ष ने इसे कई हजार करोड़ रुपये का घोटाला करार दिया था। राज्य सरकार ने एक जांच दल का गठन किया जिसने आबकारी और कराधान आयुक्त सहित अधिकारियों के आचरण पर कई सवाल उठाए। टीम ने 30 जुलाई, 2020 को गृह विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी और कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान राज्य भर में शराब के स्टॉक की भारी मात्रा में अनधिकृत आवाजाही की ओर इशारा किया।

मंत्री पर छेड़छाड़ के आरोप, दिसंबर 2022

29 दिसंबर, 2022 को, रियो ओलंपिक टीम का हिस्सा रहीं एक राष्ट्रीय स्तर की महिला एथलीट ने आरोप लगाया कि पूर्व हॉकी खिलाड़ी और हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह ने अपने आवास पर उनके साथ छेड़छाड़ की। 31 दिसंबर, 2022 को, चंडीगढ़ पुलिस ने संदीप पर महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने, यौन उत्पीड़न और संबंधित आरोपों में मामला दर्ज किया। 8 जनवरी, 2023 को, प्राथमिकी में महिला की गरिमा भंग करने के इरादे से कहे गए शब्द, इशारा या कृत्य का आरोप जोड़ा गया। अगस्त 2023 में, संदीप के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस ने आरोप पत्र दायर किया, जिसमें उनके खिलाफ मजबूत सबूत होने का दावा किया गया था। पुलिस द्वारा उनके मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र पेश करने के बावजूद, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें बर्खास्त करने से इनकार कर दिया। 29 जुलाई, 2024 को, चंडीगढ़ की एक अदालत ने बीजेपी नेता के खिलाफ आरोप तय किए।

नूंह हिंसा और तोड़फोड़, जुलाई 2023

नूंह में हिंसा 31 जुलाई, 2023 को शुरू हुई, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और निजी और सार्वजनिक संपत्ति को व्यापक नुकसान पहुंचा। हिंसा की शुरुआत एक धार्मिक जुलूस के दौरान हुई एक घटना से हुई। एक चौंकाने वाले कदम में, खट्टर सरकार ने हिंसा में कथित रूप से शामिल मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ अभियान चलाया। हाईकोर्ट ने इस अभियान पर रोक लगा दी।

पूर्व विधायक नफे सिंह राठी की हत्या, फरवरी 2024

25 फरवरी, 2024 को इनेलो के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक नफे सिंह राठी की 11 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड से राज्य में सनसनी फैल गई। विपक्षी दलों ने भी राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया था। बाद में हरियाणा में बीजेपी सरकार को मामला सीबीआई को सौंपना पड़ा।

बदला गया सीएम, मार्च 2024

बीजेपी 2014 से 2024 तक सत्ता में रही, 2019 में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में पार्टी को जेजेपी का समर्थन मिला। दो कार्यकालों में से अधिकांश समय तक सेवा देने के बावजूद, मनोहर लाल खट्टर ने 12 मार्च, 2024 को अपना पद छोड़ दिया। 13 मार्च से, नायब सिंह सैनी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं।

हरियाणा में भाजपा के शासन काल का 10 साल और10 बड़ी घटनाएं,पढ़िये उसके इफेक्ट और राजनीतिक प्रभाव


आज हरियाणा में विधानसभा चुनाव चल रहा है । 2014 में पहली बार हरियाणा में जीतकर बीजेपी ने पिछले दस साल से शासन कर रहा है । बीजेपी अब हरियाणा में तीसरी बार जीत 

 इसका पता 8 अक्टूबर को चलेगा। 2014 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद मनोहर लाल खट्टर को प्रदेश का मुखिया बनाया गया था। साढ़े 9 साल तक वे प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन मार्च 2024 में उनकी जगह नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बनायें गए। बीजेपी के 10 साल के इस शासनकाल में कई घटनाएं और विवाद भी हुए। इनमें सांप्रदायिक हिंसा, जाट आंदोलन, भ्रष्टाचार के मामले, और एक मंत्री पर यौन उत्पीड़न के आरोप शामिल हैं। आइए

 जानते हैं बीजेपी के 10 साल में

 हुई घटनाएं और विवाद...

रामपाल आश्रम विवाद , नवंबर 2014

बीजेपी सरकार का कानून-व्यवस्था से पहला सामना रामपाल आश्रम हिंसा के दौरान हुआ। जब पुलिस ने राजद्रोह और कई अन्य आरोपों में प्रचारक रामपाल को गिरफ्तार करने की कोशिश की। इस दौरान रामपाल के अनुयायियों और पुलिस के बीच हिंसा भड़क गई। रामपाल ने हाईकोर्ट के अवमानना के मामले में पेश होने से इनकार कर दिया। उसे गिरफ्तार करने के लिए बरवाला स्थित उनके आश्रम में कुल 5,375 जवान तैनात किए गए थे। 19 नवंबर, 2014 को उन्हें पकड़ने में 10 दिन लग गए। इस ऑपरेशन पर सरकारी खजाने से 26 करोड़ रुपये खर्च हुए। बाद में रामपाल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

गोमांस पर खट्टर का बयान: 2015

अक्टूबर 2015 में एक अंग्रेजी दैनिक को दिए एक साक्षात्कार में खट्टर ने यह टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया कि मुसलमान देश में रह सकते हैं, लेकिन उन्हें गोमांस खाना छोड़ना होगा। बाद में, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया था।

आरक्षण के लिए जाट हिंसा, फरवरी 2016

ओबीसी कोटे के तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे जाटों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी के बाद लगभग 30 लोगों की मौत हो गई। राज्य सरकार पर आंदोलन को संभालने में विफल रहने का आरोप लगा। 2,100 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गईं और सैकड़ों लोगों पर मामले दर्ज किए गए। बीएसएफ के पूर्व प्रमुख प्रकाश सिंह के नेतृत्व में एक समिति ने कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को भी दोषी ठहराया। हिंसा के कारण राज्य में जाति आधारित विभाजन पैदा हो गया। बीजेपी नेताओं के ध्रुवीकरण वाले बयानों ने हरियाणवियों के बीच भाईचारे में दरार पैदा कर दी।

 राज्यसभा चुनाव में विवाद

जून 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव में प्रख्यात वकील आर के आनंद की मीडिया दिग्गज सुभाष चंद्र से हार गए। इस चुनाव में चुनाव आयोग ने अनियमितताएं पाईं। चुनाव आयोग ने उन परिस्थितियों की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की। कांग्रेस विधायकों ने अपने उम्मीदवार को वोट देने के लिए अनधिकृत स्याही वाले पेन का इस्तेमाल किया था, जिसके कारण 12 वोट रद्द कर दिए गए। कांग्रेस के दो अन्य वोट रद्द कर दिए गए क्योंकि एक विधायक ने अपना वोट दूसरी पार्टी के विधायक को दिखाया और एक वोट पर निशान नहीं लगा था।

मॉब लिंचिंग केस, जून 2017

जून 2017 में मथुरा जाने वाली ट्रेन में सीट को लेकर हुए विवाद के बाद जुनैद (16) की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद मृतक के भाई और दो चचेरे भाइयों पर ओखला और असोटी के बीच सड़क पर भीड़ ने हमला कर दिया। पुलिस ने नरेश को मुख्य आरोपी और पांच अन्य के खिलाफ हत्या, गैर इरादतन हत्या, किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले शब्द कहकर चोट पहुंचाने और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

न्याय के लिए जुनैद के पिता ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

बाद में जुनैद के पिता, जलालुद्दीन ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें आरोप लगाया गया कि हरियाणा पुलिस ने गवाहों के बयानों को कमजोर करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने यह भी दावा किया कि अपराध की असली प्रकृति को छुपाया गया था और आरोपी और अन्य लोगों के आचरण को लिंचिंग भीड़ के रूप में छुपाया गया था। लेकिन अदालत ने सीबीआई जांच की उनकी याचिका खारिज कर दी।

भाजपा नेता के बेटे के हड़कत को लेकर कारबाई

5 अगस्त, 2017 को, तत्कालीन हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला और उनके दोस्त आशीष ने कथित तौर पर एक आईएएस अधिकारी की बेटी का पीछा किया और उनकी कार रोकने की कोशिश की। उसने चंडीगढ़ पुलिस को फोन किया, जिसने लड़कों को पकड़ लिया। गिरफ्तारी के वक्त वे नशे में पाए गए और आईपीसी की धारा 354डी (पीछा करने) और मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया।

पुलिस ने बाद में प्राथमिकी में अपहरण के प्रयास की धारा जोड़ी और उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया। मामला अदालत में लंबित है और दोनों आरोपी जमानत पर हैं। बराला के बेटे ने झूठा फंसाने का दावा किया था। मामले में बीजेपी की छवि खराब होने के बावजूद मनोहर लाल ने बराला का इस्तीफा लेने की मांग ठुकरा दी।

डेरा हिंसा, अगस्त 2017

25 अगस्त, 2017 को सीबीआई अदालत द्वारा बलात्कार के मामलों में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा (डीएसएस) प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकूला में हुई हिंसा में चालीस लोग मारे गए थे। फैसले से पहले पंचकूला में जमा हुए डेरा के हजारों अनुयायियों द्वारा उत्पात मचाने के बाद पुलिस ने गोलियां चलाईं। राज्य सरकार की इस बात के लिए आलोचना हुई कि उसने सुनवाई से पहले इतने सारे अनुयायियों को पंचकूला में प्रवेश करने दिया, खासकर जब बीजेपी 2014 में डेरा के समर्थन के कारण ही राज्य में सत्ता में आई थी। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी की।

डीएलएफ भूमि सौदे में झटका, जनवरी 2019

बीजेपी वड्रा-डीएलएफ भूमि घोटाले को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी। गुड़गांव भूमि सौदे में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा शामिल थे और बीजेपी ने 2014 के चुनावों के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार का दावा करने के लिए इस घोटाले का इस्तेमाल किया था। बीजेपी को सबसे बड़ा झटका जनवरी 2019 में उस समय लगा, जब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुड़गांव में भूमि सौदों की जांच करने वाले ढींगरा आयोग की रिपोर्ट को अस्तित्वहीन" (मौजूद नहीं) घोषित कर दिया।

कश्मीरी लड़कियों पर विवादित बयान, अगस्त 2019

साल 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद मनोहर लाल खट्टर के एक बयान पर बवाल हो गया था। उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि अब कश्मीरी लड़कियों शादी कर लाया जा सकता है, क्योंकि कश्मीर का रास्ता साफ हो गया है।

लॉकडाउन में शराब घोटाला , 2020

कोविड-19 अवधि के दौरान आबकारी और कराधान अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत से हरियाणा से दूसरे राज्यों में बड़ी मात्रा में शराब की तस्करी का आरोप लगाया गया था। विपक्ष ने इसे कई हजार करोड़ रुपये का घोटाला करार दिया था। राज्य सरकार ने एक जांच दल का गठन किया जिसने आबकारी और कराधान आयुक्त सहित अधिकारियों के आचरण पर कई सवाल उठाए। टीम ने 30 जुलाई, 2020 को गृह विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी और कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान राज्य भर में शराब के स्टॉक की भारी मात्रा में अनधिकृत आवाजाही की ओर इशारा किया।

मंत्री पर छेड़छाड़ के आरोप, दिसंबर 2022

29 दिसंबर, 2022 को, रियो ओलंपिक टीम का हिस्सा रहीं एक राष्ट्रीय स्तर की महिला एथलीट ने आरोप लगाया कि पूर्व हॉकी खिलाड़ी और हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह ने अपने आवास पर उनके साथ छेड़छाड़ की। 31 दिसंबर, 2022 को, चंडीगढ़ पुलिस ने संदीप पर महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने, यौन उत्पीड़न और संबंधित आरोपों में मामला दर्ज किया। 8 जनवरी, 2023 को, प्राथमिकी में महिला की गरिमा भंग करने के इरादे से कहे गए शब्द, इशारा या कृत्य का आरोप जोड़ा गया। अगस्त 2023 में, संदीप के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस ने आरोप पत्र दायर किया, जिसमें उनके खिलाफ मजबूत सबूत होने का दावा किया गया था। पुलिस द्वारा उनके मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र पेश करने के बावजूद, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें बर्खास्त करने से इनकार कर दिया। 29 जुलाई, 2024 को, चंडीगढ़ की एक अदालत ने बीजेपी नेता के खिलाफ आरोप तय किए।

नूंह हिंसा और तोड़फोड़, जुलाई 2023

नूंह में हिंसा 31 जुलाई, 2023 को शुरू हुई, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और निजी और सार्वजनिक संपत्ति को व्यापक नुकसान पहुंचा। हिंसा की शुरुआत एक धार्मिक जुलूस के दौरान हुई एक घटना से हुई। एक चौंकाने वाले कदम में, खट्टर सरकार ने हिंसा में कथित रूप से शामिल मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ अभियान चलाया। हाईकोर्ट ने इस अभियान पर रोक लगा दी।

पूर्व विधायक नफे सिंह राठी की हत्या, फरवरी 2024

25 फरवरी, 2024 को इनेलो के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक नफे सिंह राठी की 11 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड से राज्य में सनसनी फैल गई। विपक्षी दलों ने भी राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया था। बाद में हरियाणा में बीजेपी सरकार को मामला सीबीआई को सौंपना पड़ा।

बदला गया सीएम, मार्च 2024

बीजेपी 2014 से 2024 तक सत्ता में रही, 2019 में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में पार्टी को जेजेपी का समर्थन मिला। दो कार्यकालों में से अधिकांश समय तक सेवा देने के बावजूद, मनोहर लाल खट्टर ने 12 मार्च, 2024 को अपना पद छोड़ दिया। 13 मार्च से, नायब सिंह सैनी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं।

हरियाणा विधानसभा चुनाव: गुरमीत राम रहीम ने डेरा समर्थकों से भाजपा को वोट देने की अपील की।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है, और इस दौरान डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने अपने समर्थकों से भाजपा को वोट देने की अपील की है। राम रहीम, जो फिलहाल जेल से पैरोल पर बाहर हैं, ने अपने अनुयायियों से भाजपा का समर्थन करने का आग्रह किया है। यह अपील भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन मानी जा रही है, क्योंकि डेरा सच्चा सौदा का राज्य में एक बड़ा अनुयायी समूह है, जो चुनावों को प्रभावित कर सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, इस बार सत्संग मंच से कोई घोषणा नहीं की गई। डेरे के पदाधिकारी खुले प्रांगण में गए और सभा में शामिल लोगों से भाजपा को वोट देने के लिए कहा। एक पदाधिकारी ने ईटी को बताया, 'हमने फॉलोअर्स से बूथ के पास सक्रिय रहने के लिए भी कहा है। हर फॉलोअर को अपनी कॉलोनी में रहने वाले 5 और मतदाताओं को वोट के लिए साथ लेकर जाना चाहिए।' डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद से सिरसा मुख्यालय में सत्संग का माहौल बदल गया है। सक्रिय राजनीतिक मामलों की समिति को भंग किया जा चुका है। अब उनके पदाधिकारी और अनुयायी सत्संग आयोजित कराते हैं।

खुले तौर पर करता रहा भाजपा का समर्थन

रिपोर्ट के मुताबिक, रिहाई के बाद गुरमीत राम रहीम अपने बागपत आश्रम में ठहरा हुआ है। उसने भाजपा को समर्थन देने का संदेश सिरसा में पदाधिकारी के जरिए पहुंचाया। मालूम हो कि डेरा की ओर से बीजेपी को समर्थन कोई नई बात नहीं है। डेरा सच्चा सौदा के हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में दलितों के बीच बड़े पैमाने पर अनुयायी हैं। वे खुले तौर पर भाजपा का समर्थन करते रहे हैं। बलात्कार मामले में दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह 20 दिन की पैरोल मिलने के बाद बुधवार को हरियाणा की रोहतक जेल से बाहर आया। वह अपनी अस्थायी रिहाई के दौरान उत्तर प्रदेश के बागपत के बरनावा में डेरा आश्रम में रहेगा। इस अवधि के दौरान उसके चुनाव संबंधी गतिविधियों से हिस्सा लेने, भाषण देने और राज्य में रहने पर रोक है।

2 शिष्याओं से बलात्कार का दोषी

गुरमीत सिंह अपनी 2 शिष्याओं से बलात्कार के जुर्म में 2017 से 20 साल जेल की सजा काट रहा है। डेरा प्रमुख और तीन अन्य को 16 साल से भी अधिक समय पहले एक पत्रकार की हत्या के मामले में भी 2019 में दोषी ठहराया गया था। उसने 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले 20 दिन की पैरोल का अनुरोध किया था। पैरोल की शर्तों के अनुसार, डेरा प्रमुख चुनाव संबंधी किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं लेगा और न ही सार्वजनिक भाषण देगा। इस अवधि के दौरान वह हरियाणा से बाहर रहेगा। डेरा प्रमुख ने कहा था कि अगर पैरोल मिलती है तो वह बागपत में रहना चाहेगा। जेल विभाग ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लागू आदर्श आचार संहिता को देखते हुए हाल में डेरा प्रमुख की पैरोल याचिका को हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय को भेजा था।