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समस्तीपुर जिले के बाढ़ प्रभावित लोगों से मिले मंत्री अशोक चौधरी : महावीर चौधरी फाउंडेशन की ओर से राहत सामग्री का किया वितरण, प्रशासन को दिए यह सख्त निर्देश

डेस्क : बिहार के 12 जिले इनदिनों भयंकर बाढ़ की चपेट में है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार बाढ़ से तकरीबन 17 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है। प्रदेश के 88 प्रखंड के 479 ग्राम पंचायत में बाढ़ की हालत गंभीर बनी हुई है। सीतामढ़ी, अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर शामिल है। सीएम नीतीश कुमार के साथ-साथ राजनेताओं का अब बाढ़ प्रभावित इलाको के दौरा करने का सिलसिला शुरु हो गया है।

इसी कड़ी में आज बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी द्वारा निरीक्षण समस्तीपुर लोकसभा अंतर्गत कुशेश्वरस्थान के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, जिनमें सुघराईन पंचायत, उसरी पंचायत और उजवा सीमर टोका पंचायत के विभिन्न गांव दौरा किया गया। इस दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। वहीं इस दौरान श्री चौधरी के नेतृत्व में महावीर चौधरी फाउंडेशन के द्वारा बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया गया, जिससे उन्हें तत्काल मदद मिल सके।

वहीं नि:शुल्क सामुदायिक रसोई की जांच करते हुए मंत्री अशोक चौधरी ने यह सुनिश्चित किया कि वहां सभी प्रभावितों को भोजन मिल रहा है और किसी को भी कोई समस्या का सामना न करना पड़े। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि बाढ़ पीड़ितों की आवश्यकताओं की पूर्ति में कोई कमी न हो और समय रहते सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।

अशोक चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार इस आपदा की घड़ी में अपने लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है। मुख्यमंत्री जी स्वयं लगातार सर्वेक्षण कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी को समय पर सहायता मिले। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास के सभी आवश्यक कार्यों की सतत निगरानी की जा रही है, ताकि किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

कहा कि बिहार सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि बाढ़ प्रभावितों को जल्द से जल्द राहत प्रदान की जाए और उनकी सुरक्षा और जीवनयापन की स्थिति को सामान्य किया जा सके।

सरकार से मदद नहीं मिलने से बाढ़ पीड़ितों का टूटा सब्र : सड़क जाम कर किया जमकर हंगामा, पुलिस पर किया पथराव

डेस्क : बिहार के 12 जिले इनदिनों भयंकर बाढ़ की चपेट में है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार बाढ़ से तकरीबन 17 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है। प्रदेश के 88 प्रखंड के 479 ग्राम पंचायत में बाढ़ की हालत गंभीर बनी हुई है। सीतामढ़ी अररिया किशनगंज कटिहार पूर्णिया मधुबनी दरभंगा समस्तीपुर सुपौल मधेपुरा सहरसा गोपालगंज छपरा क्रिया पूर्वी चंपारण पश्चिमी चंपारण के 18 जिले में बाढ़ की हालत गंभीर बनी हुई है।

वहीं आज मुजफ्फरपुर में बाढ पीड़ितों को किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिलने से सब्र का बांध टूट गया और वे सड़क पर उतर आए। प्रशासन की बेरुखी से गुस्साएं बाढ़ पीड़ितों ने बांस बल्ला लगाकर बीच सड़क पर टायर जलाया और मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी रोड को जाम कर दिया। सरकार की बेरुखी से नाराज उग्र बाढ़ पीड़ितों ने इस दौरान पुलिस को खदेड़ा और पथराव किया। जिसके बाद पुलिस कर्मी वहां से जान बचाकर भागे। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल को भेजा गया है।

लोगों का कहना था कि ये लोग सिर्फ फोटो खिंचवाने आते हैं लेकिन मदद नहीं करते। बाढ़ पीड़ितों के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। अधिकारी भी फोटो खींचवाने में मशगूल रहते हैं। लोगों का आरोप है कि बाढ़ पीड़ितों को खाना खिलाने से पहले आपदा प्रबंधन और मुजफ्फरपुर ओराई के पदाधिकारी ने अंगूठे का निशान लगवाया। बिना अंगूठा लगाये किसी को खाना तक नहीं दिया गया। इसी बात से लोग गुस्सा हो गये।

बता दें कि मुजफ्फरपुर ज़िले में जहां एक तरफ बीते दिनों बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि से ज़िले के औराई, कटरा और गायघाट प्रखंड के तकरीबन दो दर्जन से अधिक पंचायत पूरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हो गया है, इसके बाद बाढ़ पीड़ित लोग ऊंचे स्थानों के साथ-साथ मुख्य सड़कों पर अपना आशियाना बनाए हुए हैं कई जगहों पर प्रशासन ने जो व्यवस्था की है वो मुकम्मल नहीं है।

हालांकि दो दिनों में बागमती नदी के जलस्तर में आई कमी के बाद लोगों ने ठीक से राहत की सांस ली भी नहीं थी कि औराई प्रखंड के रामखेतारी पंचायत में लखनदेई नदी का तटबंध टूट गया जिससे तकरीबन एक दर्जन पंचायत बाढ़ से प्रभावित हो गये तो वहीं दूसरी तरफ सीतामढ़ी में बीते दिनों बागमती नदी का तटबंध टूट गया था और जिसके आगोश में मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंड के कई पंचायत आ गए थे तो यूं कहें कि औराई प्रखंड के लोगों को नदियों के त्रासदी का सामना करना पड़ा ऐसे में लोग पिछले कई दिनों से मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी NH 77 को अपना आशियाना बना रखे है और अपने बच्चे सपरिवार और मवेशियों को लेकर NH 77 किनारे ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं।

दरभंगा के बाढ़ प्रभावित इलाकों और राहत शिविरों का सीएम नीतीश कुमार ने किया निरीक्षण, पीड़ितों के लिए किया यह बड़ा एलान

डेस्क : बिहार के 12 जिले इनदिनों भयंकर बाढ़ की चपेट में है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार बाढ़ से तकरीबन 17 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है। प्रदेश के 88 प्रखंड के 479 ग्राम पंचायत में बाढ़ की हालत गंभीर बनी हुई है। सीतामढ़ी अररिया किशनगंज कटिहार पूर्णिया मधुबनी दरभंगा समस्तीपुर सुपौल मधेपुरा सहरसा गोपालगंज छपरा क्रिया पूर्वी चंपारण पश्चिमी चंपारण के 18 जिले में बाढ़ की हालत गंभीर बनी हुई है।

बाढ़ प्रभावित जिलों में जिला प्रशासन की तरफ से तमाम तरह से राहत कार्य चलाए जा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री बाढ़ को लेकर एक्शन में हैं। वहीं बिहार में बाढ़ को लेकर हो रही सियासत के बीच आज शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दरभंगा पहुंचे, जहां उन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। वहीं उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को दशहरा से पहले आर्थिक मदद का एलान भी किया।

मुख्यमंत्री राहत शिविरों में पहुंचे और एक-एक चीज की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने पोलो मैदान स्थित इंडोर स्टेडियम में बाढ़ राहत फूड पैकेजिंग सेंटर का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं। फूड पैकेटिंग केंद्र का निरीक्षण करने के बाद सीएम नीतीश ने बिरौल अनुमंडल के बाढ़ प्रभावित इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के बाद सीएम बिरौल अनुमंडल के फोरा गाछी स्थित हेलीपैड से पुनौच गांव के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उन्होंने पुनौच गांव में समुदाय किचन का निरीक्षण किया और सभी चीजों की जानकारी ली।

इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए बड़ा एलान किया है। सीएम ने कहा है कि दुर्गा पूजा से पहले सभी बाढ़ प्रभावित लोगों को सात-सात हजार अनुदान की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में भेज दिए जाएंगे। बिहार सरकार के मंत्री मदन साहनी ने इसकी पुष्टि की है। 9 अक्तूबर को पटना से लगभग 48000 बाढ़ पीड़ित के खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए जाएंगे।

बिहार में पिछले 20 सालों से जंगल राज बनाम सुशासन के नाम पर सियासत, क्या मुद्दाविहीन हो गया है सत्ता पक्ष और विपक्ष !

डेस्क : बिहार में अगले साल 2025 में विधान सभा चुनाव होने है। जिसकी तैयारी में प्रदेश के सभी राजनीतिक दल अभी से जुटे गए है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी अब धीरे-धीरे चरम पर पहुंचने लगा है। सत्ताधारी एनडीए जहां अपने शासनकाल में चहुमुंखी विकास का दावा करता रहा है। वहीं विपक्ष प्रदेश की सत्ताधारी एनडीए पर सिर्फ हवाबाजी और जुमलेबाजी करने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि दोनो पक्षों की ओर से अगला चुनाव का मुद्दा क्या होगा इसपर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। घूम फिरकर बात जंगलराज बनाम सुशासन पर आ जाती है। ऐसा लगता है कि प्रदेश के सत्ताधारी एनडीए और मुख्य विपक्षी पार्टी के पास अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर एक-दूसरे के पास दूसरा कोई मुद्दा ही नहीं है।

बिहार में पिछले 19 वर्षों से बीच के कुछ साल छोड़ दिए जाए तो शासन एनडीए का रहा है। इस 19 साल के शासनकाल में एनडीए द्वारा प्रदेश में चंहुमुखी विकास के दावे किये जाते है। हालांकि कुछ हद तक उनके दावे में दम भी है। लेकिन पूरी तरह से उस दावे को सही नही कहा जा सकता है। इस बात का प्रमाण यह है कि वर्ष 2021 के नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार को हर मोर्चे पर फिसड्डी बताया गया। नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद विपक्षी दल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पंद्रह साल के कार्यकाल पर सवाल खड़े किये थे। बिहार के इस परफॉरमेंस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीधे सीएम नीतीश की नीति को कटघरे में खड़ा किया था। हालांकि सत्ता पक्ष लगातार नीति आयोग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर रहा। जेडीयू और बिहार बीजेपी के नेता नीति आयोग की रिपोर्ट को बिहार के साथ नाइंसाफी बतलाया था।

2021 में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ललन सिंह ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि बिहार के साथ नाइंसाफी की जा रही है। विभाजन के बाद बिहार में सिर्फ बालू, आलू और लालू ही बचे थे। खजाने लूट चुके थे, व्यवस्थाएं चौपट थीं। भौगोलिक स्थिति के कारण हर वर्ष आपदाओं का कहर भी है। ऐसे में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और गोआ जैसे संसाधनयुक्त प्रदेशों से नीति आयोग द्वारा बिहार की तुलना नाइंसाफी है।

वही अब जबकि अगले वर्ष चुनाव होने है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। विपक्ष प्रदेश में कानून-व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बना रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एक रणनीति के तहत प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहे है। वे लगातार अपराध को लेकर बुलेटिन जारी कर रहे है। जिसमें वे हत्या, लूट और रेप के आंकड़े पेश कर रहे है। इसके पीछे की वजह को देखे तो ऐसा वे इसलिए कर रहे है कि सत्ता पक्ष हमेशा अपराध को लेकर एनडीए की शासन की तुलना लालू-राबड़ी के शासन काल से करता है। सत्ता पक्ष की बात करे तों कानून व्यवस्था पर जब उंगली उठने लगती है तो सत्ता पक्ष आरजेडी के शासन काल की याद दिलाता है। सत्ता पक्ष यह कहने लगता है कि विपक्ष को अपने 15 साल के शासनकाल को याद करना चाहिए। जनता उस जंगल राज को भूली नहीं है और दोबारा वह उस दौर को कभी नही आने देंगी।

लेकिन सत्ता पक्ष के ये दावे अब धीरे-धीरे खोखले पड़ते जा रहे है। आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार का जो हाल अब है, वो काफी चिंताजनक है। बेखौफ अपराधियों से बिहार छलनी होता जा रहा है। हालांकि यह सही है कि 2005 में जब सीएम नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली तब जंगलराज पर काबू पाना बड़ी चुनौती थी। पहले शासन काल में बहुत हद तक नीतीश सरकार कामयाब रही। लेकिन साल दर साल अपराध पर नियंत्रण कम होता गया। और आज हालात ये हैं कि लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन काल को याद दिलाकर इसे झूठलाया नहीं जा सकता है।

इन सब के बीच सवाल यह है कि आखिर अपराध क्यों बढ़ रहे है। तो इसके जवाब में बुद्धिजीवियों का कहना है कि पहली बात यह है कि अपराध को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे नियत्रित जरुर किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले रोजगार पर जोर देना होगा और राजनीतिक पार्टियों को भी अपनी सोच बदलनी होगी। क्योंकि राजनीतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए अपराधियों को इस्तेमाल करती है। वही इनका कहना है कि बिहार मे जिस तरह से पक्ष और विपक्ष अपराध को मेन मुद्दा बनाते है वह सही नहीं है। जनता के लिए सिर्फ अपराध ही एक बड़ा मुद्दा नहीं है। इसके साथ भी कई अन्य बाते है जिसकी अपेक्षा सरकार से आम जनता को होती है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कबतक प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी पार्टी जंगलराज बनाम सुशान के नाम पर राजनीति करती रहेगी। क्या इससे हटकर दोनो के पास जनता की कोई और समस्या नहीं है जिसे वे अपना एजेंडा बना सके। क्या मुद्दाविहीन हो गया है बिहार का सत्ता पक्ष और विपक्ष !

बड़ी खबर : एनआईए पटना शाखा के डीएसपी घूस लेते गिरफ्तार, सीबीआई की टीम ने दबोचा

डेस्क ; बिहार से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां एनआईए पटना शाखा के डीएसपी और उनके दो एजेंट को घूस लेते गिरफ्तार किया गया है। उनकी गिरफ्तारी सीबीआई की विशेष टीम ने की है। बताया जा रहा है कि एनआईए पटना शाखा के डीएसपी अजय प्रताप सिंह और उनके दो एजेंटों को 20 लाख रुपए घूस लेते गया के पास से सीबीआई की विशेष टीम ने गिरफ्तार कर लिया है।

मिली जानकारी के अनुसार घूस की रकम पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी के पुत्र रॉकी यादव की स्वामित्व वाली कंपनी रमैया कंस्ट्रक्शन के मामले की चल रही जांच को लेकर ली जा रही थी। रमैया कंस्ट्रक्शन के मालिक रॉकी यादव ने डीएसपी के खिलाफ घूस मांगने का आरोप लगाया था। जांच में इस शिकायत की पुष्टि होने के बाद कार्रवाई की गई है। इस मामले में गिरफ्तारी के बाद सीबीआई की टीम ने पटना, वाराणसी और गया में कई स्थानों पर तलाशी ऑपरेशन भी चलाया। इस दौरान सभी स्थानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद किए गए। फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है।

बताते चले कि एनआईए ने 19 सितंबर को मनोरमा देवी के गया स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस केस के आईओ सीनियर डीएसपी अजय प्रताप सिंह थे। सीबीआई के मुताबिक, डीएसपी ने आवेदक को 24 सितंबर को समन देकर 26 सितंबर को दफ्तर में बुलाया था। आरोप है कि इस दौरान उससे ढाई करोड़ रुपये की मांग की गई। दबाव में रॉकी ने 25 लाख रुपये देने की बात स्वीकार कर ली।

राजधानी पटना में जेपी गंगा पथ से जुड़ा अशोक राजपथ, अब महज 8 मिनट मिनट में तय होने लगा 30 मिनट का सफर

डेस्क ; राजधानी पटनावासियों को जाम के झाम से बड़ी राहत मिली है। जेपी गंगा पथ के अशोक राजपथ से जुड़ते ही आधे घंटे का सफर आठ मिनट में तय होने लगा है। इसके साथ ही अशोक राजपथ पर ट्रैफिक का दबाव भी कम हो गया है। अशोक राजपथ पर लगनेवाले भयंकर जाम से लोगों को राहत मिली। वहीं एलसीटी घाट और गायघाट के समीप से गलत दिशा में आवागमन बंद हो गया।

कृष्णाघाट एप्रोच पथ के चालू होते ही तीन दिशाओं में गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गई। लोगों को यू-टर्न लेने में सुविधा हुई। कृष्णाघाट एप्रोच से पटना विवि के समीप से अशोक राजपथ का जुड़ाव जेपी गंगा पथ से हो गया। अप रैंप का निर्माण गायघाट स्थित न्यायिक प्रशिक्षण संस्थान के समीप किया गया है। गायघाट की तरफ जाने वाले वाहन कृष्णाघाट एप्रोच पथ के दाएं से यू-टर्न लेकर गायघाट को जा सकेंगे।

कृष्णाघाट एप्रोच चालू होते ही लगी भीड़

कृष्णाघाट एप्रोच पथ चालू होते ही पटना विश्वविद्यालय से जेपी गंगा पथ के बीच बनी सड़क को देखने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे। अशोक राजपथ से आवागमन करने वालों में से ज्यादातर लोग कृष्णाघाट से जेपी गंगा पथ का उपयोग करने लगे। इस कारण अशोक राजपथ से ट्रैफिक का दबाव कम हो गया था। लोग घूमने के उद्देश्य से भी इस पथ उपयोग कर रहे थे। रोजाना जाम झेलनेवाले लोग राहत महसूस कर रहे थे।

तीन दिशाओं में शुरू हुआ आवागमन, यूटर्न लेने में लोगों को हो रही सुविधा

दीघा की तरफ से आने वाले वाहन पीएमसीएच के आगे पश्चिम में बने कृष्णाघाट एप्रोच पथ से अशोक राजपथ या यू-टर्न लेकर पीएमसीएच और दीघा की तरफ जाने लगे हैं। गायघाट की तरफ से आने वाले वाहन पूरब में बने कृष्णाघाट एप्रोच पथ से अशोक राजपथ या यू-टर्न लेकर पुन गायघाट की तरफ जा रहे हैं, जबकि अशोक राजपथ से दीघा की तरफ जाने वाले वाहन कृष्णाघाट एप्रोच पथ के बाएं से पीएमसीएच वाले यू-टर्न होते हुए दीघा की तरफ जा सकते हैं।

वहीं गायघाट के समीप वाला अप रैंप भी गुरुवार को चालू हो गया। इसके चालू होते ही गायघाट से गांधी मैदान और दीघा की तरफ जाने वाले लोगों को सुविधा हो रही है। पहले दीदारगंज से गायघाट आने वाले डाउन रैंप के सहारे ही गलत दिशा का इस्तेमाल कर दीघा और गांधी मैदान की तरफ जा रहे थे।

प्रीपेड स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर : अब रिचार्ज खत्म होने पर भी नही कटेगी बिजली, जानिए पूरा डिटेल

डेस्क : बिहार में प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लेकर मचे घमासान के बीच इसके उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी खबर है। अबतक रिचार्ज खत्म होते ही बिजली कट जाती थी, लेकिन अब उनकी यह परेशानी दूर होने वाली है।

रिचार्ज का पैसा खत्म हो गया है या रिचार्ज किसी कारण वश नहीं हो पा रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। स्मार्ट मीटर में लगे पुश बटन को 20 सेकेंड तक लगातार दबाने पर बिजली तीन दिन यानी 72 घंटे तक बहाल रहेगी। यह सुविधा महीने में एक बार ही विशेष परिस्थिति में मिलेगी। इस दौरान उपभोक्ता रीचार्ज कर सकेंगे। बहुत जल्द ही यह सुविधा शुरू होगी। बैलेंस खत्म होने पर सामान्य परिस्थिति में अभी 24 घंटे तक ही बिजली बहाल रहती है।

जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में विद्युत आपूर्ति, स्मार्ट प्रीपेड मीटर एवं तकनीकी संस्थानों के लिए डेडिकेटेड फीडर के संबंध में बैठक की गई। बैठक के बाद प्रेस वार्ता में उन्होंने यह जानकारी दी।

लोड बढ़ने पर 6 महीने पेनाल्टी नहीं

वहीं जिलाधिकारी डॉ.चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि अभी 24 घंटा पहले बैलेंस खत्म होने और बिजली कटने की सूचना दी जा रही है, लेकिन सरकार के निर्देश पर उपभोक्ताओं को एक सप्ताह पहले से अब सूचना दी जाएगी।

जिलाधिकारी ने कहा कि बिजली का लोड बढ़ने पर जो पेनाल्टी लगता था वो अब छह महीने तक नहीं लगेगा। इस दौरान अपना बिजली का लोड खुद भी बढ़ा सकते हैं। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा।

बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, नाबालिग से दुष्कर्म मामले में मिली अग्रिम जमानत

डेस्क : बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री वृषण पटेल को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पटना हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले के आरोप में उन्हे अग्रिम जमानत दे दी है। जस्टिस राजेश वर्मा ने बृषण पटेल द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर अधिवक्ता अजय ठाकुर और कौशल किशोर को सुनने के बाद यह आदेश दिया।

बता दें बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री वृषण पटेल पर आरोप है कि उन्होंने मुजफ्फरपुर के एक नाबालिक लड़की को नौकरी देने के नाम पर मुजफ्फरपुर से पटना बुलाया और 2 वर्षों तक लगातार उसके साथ बलात्कार करते रहे। बाद में इस मामले को लेकर उक्त लड़की द्वारा एक परिवाद पत्र मुजफ्फरपुर के पॉक्सो कोर्ट में दायर किया गया। इस मामले में पॉक्सो कोर्ट ने श्री पटेल के विरुद्ध संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

वृषण पटेल ने इस मामले में मुजफ्फरपुर के पोक्सो कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया था ,जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने पटना हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत की गुहार लगाई गई थी। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करने के बाद पूर्व मंत्री को राहत देते हुए अग्रिम जमानत दे दी।

नेता प्रतिपक्ष के दुबई यात्रा पर बीजेपी का करारा प्रहार, तेजस्वी यादव हमेशा बिहार में मुसीबत के समय विदेश यात्रा पर रहते हैं

 

डेस्क :- बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष इनदिनों अपने परिवार के साथ विदेश यात्रा पर है। तेजस्वी यादव दुबई में छुट्टियां मना रहे है। इधर उनके इस विदेश यात्रा पर बीजेपी ने करारा तंज कसा है। 

भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि कोरोना महामारी हो या बिहार बाढ़ जैसी भीषण आपदा से जूझ रहा हो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी हमेशा बिहार के लोगों की जरूरत के समय में विदेश यात्रा पर रहते हैं। आज भी जब बिहार बाढ़ जैसी भीषण आपदा से जूझ रहा है तो तेजस्वी यादव जी दुबई यात्रा पर हैं, और श्रीमती रोहिणी आचार्य जी सिंगापुर यात्रा पर है। 

लालू परिवार हमेशा से बिहार की जनता के बीच में सिर्फ चुनाव के समय में अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए सिर्फ वोट मांगने के लिए जाता हैं और बिहार के आपदा-विपदा जनता की पीड़ा के समय विदेश यात्रा पर चला जाता है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी पुनः बिहार में बाढ़ जैसी भीषण आपदा के समय में भी अपना गैर जिम्मेदराना रवैया प्रदर्शित कर रहे हैं और सिर्फ विदेश से सोशल मीडिया एक्टिविस्ट बन कर खाना पूर्ति कर के चेहरा चमकने का काम कर रहे हैं। यहां तक की उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर की भी याद नहीं आ रही है।

श्री सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी के पास चार्टर्ड प्लेन में जन्मदिन मनाने का और सावन में मटन और नवरात्रि में मछली खाकर सनातन संस्कृति का अपमान करने का समय रहता है। लेकिन बिहार की जनता पर आई हुई आपदा के समय में उनके दुख पीड़ा में उनके बीच उनके साथ खड़ा रहने का समय नहीं रहता है।

जबकि वहीं मा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बिहार को बाढ़ से राहत और बचाव कार्य के लिए 655.60 करोड़ रुपये की विशेष सहायता राशि देने का काम किया हैं। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार पूरी तत्परता के साथ बाढ़ पीड़ितों के दुख के समय में कदम से कदम मिलाकर बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने का काम कर रहा हैं। साथ ही बिहार भाजपा भी अपने बिहार के लोगों के प्रति पूरी तत्परता के साथ उनके पीड़ा के समय बाढ़ पीड़ितों के जरूरी संसाधनों के साथ खड़ा है। और बाढ़ पीड़ितों तक पूरी जिम्मेदारी के साथ राहत सामग्री पहुंचाने का काम कर रहा है।

कहा है कि बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में लगातार बाढ़ पीड़ितों के बीच में जाकर के राहत का कार्य कर रही है और उनके जरुरत के जरूरी संसाधन मुहैया करा रही है।

महज 2 महीने के अंदर जदयू के नए राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने संभाला 2025 के विस का चुनाव कमान, जानिए कौन है यें जिनपर सीएम नीतीश ने जताया है इतना बड़ा भरोसा

डेस्क : बिहार की सत्ताधारी जदयू में इनदिनों एक नाम बड़ा चर्चा मे है। इसके पीछे कारण भी है। जिस नाम को लेकर चर्चा जोरों पर है उन्होंने महज तीन महीने पहले ही पार्टी ज्वाइन किया। पार्टी मे शामिल होते ही उन्हें राष्ट्रीय महासचिव जैसा पद मिला। वहीं अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें अगले साल 2025 में होने वाले विधान सभा चुनाव की जिम्मेवारी दे दी है। दरअसल ये पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा है। इनकी पार्टी में इंट्री के साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि ये नीतीश कुमार के उतराधिकारी हो सकते है।

मनीष वर्मा ने 2025 के लिए नीतीश कुमार के चुनावी अभियान की कमान संभाल ली है। मनीष वर्मा इनदिनों मुजफ्फरपुर से जेडीयू के कार्यकर्ता से संवाद के लिए यात्रा पर हैं। उनकी यह यात्रा 20 जनवरी तक चलेगी और इस दौरान हर कार्यक्रम में मनीष वर्मा मुख्य अतिथि होंगे। मनीष वर्मा की इस बिहार यात्रा को तेजस्वी यादव के कार्यकर्ता संवाद यात्रा के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन अहम सवाल ये है कि आखिर मनीष वर्मा कौन हैं, जिन्हें नीतीश कुमार ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। जिन पर इतना भरोसा जताया है।

कौन है मनीष वर्मा

मनीष ओडिशा कैडर के 2000 बैच के अधिकारी थे और नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने 2021 में नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया था। कहा जाता है कि उन्होंने यह कदम नीतीश कुमार के कहने पर उठाया था।इसके बाद से ही वो नीतीश कुमार के करीबी के रूप में काम कर रहे थे। वो बिना किसी पद के ही पिछले एक साल से जेडीयू की संगठनात्मक गतिविधियों में लगे हुए थे। वहीं जुलाई में जदयू में शामिल हुए।जैसा की पहले से यह कयास लगाया जा रहा था कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है और हुआ भी वैसा ही।

21 साल प्रशासनिक सेवा में रहे नालंदा जिले के है मनीष वर्मा

50 वर्षीय मनीष वर्मा का ताल्लुक बिहार के नालंदा जिले से है। बता दें सीएम नीतीश कुमार का शुरुआती जीवन बख्तियारपुर, नालंदा और कल्याण बिगहा जैसे इलाकों में बीता है। वहीं मनीष वर्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वजातिए भी है। मनीष वर्मा के पिता डॉक्टर अशोक वर्मा बिहारशरीफ के मशहूर डॉक्टर थे। मनीष वर्मा ने बिहार शरीफ के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद पटना से आगे की शिक्षा हासिल की। फिर आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। साल 2000 में यूपीएससी क्रैक करने से पहले मनीष वर्मा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में नौकरी करते थे।

यूपीएससली क्रैक करने पर उन्हें ओड़िसा कैडर मिला और इनकी पहली पोस्टिंग कालाहांडी में हुई और उसके बाद उन्हें एसडीएम के तौर पर रायगढ़ जिले के गुनूपुर में तैनाती मिली। वर्मा ने प्रशासनिक सेवा के 12 साल ओडिशा में बिताए उसके बाद डेप्यूटेशन पर उन्हें बिहार भेजा गया। पटना और पूर्णिया के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर सेवा देने के बाद 2016 से 2021 के दौरान वे मुख्यमंत्री के सेक्रेट्री भी रहे। डेप्यूटेशन खत्म होने के बाद वर्मा ने ओडिशा नहीं जाने का फैसला किया और 2021 में वीआरएस ले लिया।

जेडीयू में मनीष वर्मा की भूमिका

मनीष वर्मा बिना किसी पद के ही पिछले एक साल से जेडीयू की संगठनात्मक गतिविधियों में लगे हुए थे।वे जेडीयू के लोकसभा चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हुए। उन्होंने उन सभी 16 लोकसभा सीटों का लगातार दौरा किया, जहां से जेडीयू चुनाव मैदान में थी। जेडीयू ने इस बार के लोकसभा चुनाव में 12 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके बाद जेडीयू ने केंद्र में नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब अगले साल 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने की अहम जिम्मेवारी उन्हें मिली है।