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मुंबई से गिरफ्तार हुई पोर्न एक्ट्रेस रिया बर्डे निकली बांग्लादेशी, फर्जी दस्तावेज बनवाकर भारत में रही थीं*
#porn_actress_rhea_birde_bangladeshi_arrrested_in_mumbai
इंडियन पोर्न इंडस्ट्री में आरोही बर्डे और बन्ना शेख नाम से मशहूर पोर्न एक्ट्रेस रिया बर्डे की गुरुवार को गिरफ्तारी हुई है। महाराष्ट्र की उल्हासनगर पुलिस ने रिया बर्डे को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि रिया और उसका परिवार फर्जी डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल कर यहां अवैध रूप से भारत में रह रहा था। महाराष्ट्र पुलिस ने खुलासा किया है कि रिया मूल रूप से बांग्लादेश की रहने वाली है। रिया और उसका परिवार फर्जी काजगों का इस्तेमाल कर खुद को हिंदू बता यहां लंबे समय से रह रहे हैं। महाराष्ट्र के उल्हासनगर स्थित हिललाइन पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत में रहने के आरोप में पोर्न स्टार रिया को गिरफ्तार किया है। इस मामले में पुलिस ने रिया के खिलाफ आईपीसी 420, 465, 468, 479, 34 और 14 ए के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस की मानें तो रिया पर आरोप है कि वह मूल रूप से बांग्लादेशी है और वह, उसकी मां, भाई और बहन फर्जी दस्तावेज बनाकर भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं। खास बात यह है बांग्लादेशी होने के बावजूद भारतीय कागजात बनाने के लिए रिया की मां ने अमरावती के एक शख्स से शादी की थी। रिया की मां खुद को पश्चिम बंगाल की बताती थी। उसने अमरावती निवासी अरविंद बर्डे से शादी की। बाद में खुद और बच्चों के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और अन्य फर्जी दस्तावेज बनवाकर भारतीय नागरिक का पासपोर्ट बनवा लिया, ताकि वह अपनी भारतीय पहचान साबित कर सके। पुलिस ने पाया कि रिया की मां और पिता दोनों फिलहाल कतर में रह रहे हैं। फिलहाल इस मामले में पुलिस ने रिया के अलावा उसकी मां अंजलि बर्डे उर्फ रूबी शेख, पिता अरविंद बर्डे, भाई रविंद्र उर्फ रियाज शेख और बहन रितु उर्फ मोनी शेख को भी आरोपी बनाया है। ये मामला तब सामने आया, जब रिया बर्डे के एक करीबी दोस्त प्रशांत मिश्रा को इस बात की जानकारी मिली कि वो भारतीय नहीं बल्कि बांग्लादेशी हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशांत ने ये जानकारी पुलिस को दी थी। पुलिस ने जब रिया के सभी दस्तावेजों की जांच की तो उनके बांग्लादेशी होने के सबूत मिले।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री फडणवीस के ऑफिस में हंगामा, तोड़फोड़ की कोशिश, मंत्रालय बिल्डिंग में कैसी घुसी महिला?

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया है। एक महिला बिना पास के मंत्रालय परिसर में दाखिल हुई थी। उसने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस के ऑफिस में जमकर हंगामा किया और वहां पर तोड़फोड़ भी की। महिला ने फडणवीस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यही नहीं महिला ने फडणवीस के नेमप्लेट को उतारकर फेंक दिया। साथ ही महिला ने वहां रखे गमलों और पौधों को भी नुकसान पहुंचाया।

जानकारी के मुताबिक यह महिला बिना पास लिए सिचाव गेट से मंत्रालय में दाखिल हुई। इसके बाद इस महिला द्वारा फड़णवीस के मंत्रालय के दफ्तर के बाहर तोड़फोड़ की कोशिश की गई है। महिला ने फडणवीस की नेमप्लेट भी हटा दी।

उपमुख्यमंत्री के ऑफिस तक पहुंचने और वहां पर हंगामा करने के बाद वह अचानक से गायब भी हो गई। पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। लेकिन यह किसी को नहीं पता कि यह महिला कौन थी और यहां पर किस मकसद से आई थी। पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है।

पुलिस कमिश्नर ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और महिला की तलाश युद्धस्तर पर जारी है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि महिला पहले अदंर गई थी, उसके कुछ समय बाद वो मंत्रालय के गेट से बाहर जाने लगी, तभी गेट तक पहुंचने पर उसे कुछ याद आया और वो दोबारा मंत्रालय के छठवीं मंजिले पर गई और देवेंद्र फडणवीस के ऑफिस के बाहर हंगामा किया, घटना के बाद महिला मौके से फरार हो गई।

भारत की बढ़ती ताकतः अमेरिका के बाद फ्रांस का भी मिला साथ, UNSC में स्थायी सदस्यता का किया समर्थन

#francesupportedindiaunscpermanent_membership

हाल के सालों में भारत ने दुनियाभर में अपनी खास पहचान बनाई है। दुनिया के ताकतवर देश भी भारत नए उभरते रूप से प्रभावित है। अमेरिका के बाद फ़्रांस का साथ मिलना इसका एक उदाहरण है। अमेरिका के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की मांग की है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने संबोधन में इस वैश्विक निकाय को और ज्यादा कुशल बनाने की मांग की। उन्होंने यूएनजीए में बोलते हुए ब्राजील, जर्मनी, जापान और अफ्रीका के दो देशों की उम्मीदवारी का भी समर्थन किया।मैक्रों ने यूएनजीए में कहा, "आइए संयुक्त राष्ट्र को और अधिक कुशल बनाएं। हमें इसे और अधिक प्रतिनिधि बनाने की आवश्यकता है और इसीलिए फ्रांस सुरक्षा परिषद के विस्तार के पक्ष में है।" उन्होंने कहा, "जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील को स्थायी सदस्य होना चाहिए, साथ ही दो ऐसे देश होने चाहिए जिन्हें अफ्रीका उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए तय करेगा।

फ्रांस ने किया सुरक्षा परिषद के विस्तार का समर्थन

मैक्रों ने कहा कि जब तक सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अपने हितों को लेकर एक-दूसरे को (प्रस्तावों को) रोकते रहेंगे तब तक आगे बढ़ना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ''क्या वहां एक अच्छी व्यवस्था काम कर रही है? मुझे ऐसा नहीं लगता. इसलिए आइए संयुक्त राष्ट्र को प्रभावी बनाया जाए। लेकिन इसके लिए और अधिक सदस्य बनाए जाने चाहिए। इसलिए फ्रांस सुरक्षा परिषद के विस्तार का समर्थन करता है।''

भारत लंबे समय से कर रहा सुधार की मांग

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग लंबे समय से करता रहा है। उसका कहना है कि 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद 21वीं सदी की ज़रूरत के हिसाब से फिट नहीं है। आज की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को देखते हुए इसमें सुधार ज़रूरी है। भारत ने कई बार इस बात को दोहराया है कि वह संयुक्त राष्ट्र परिषद का स्थायी सदस्य बनने का हक़ रखता है। भारत आख़िरी बार 2021-22 में एक अस्थायी सदस्य देश के तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल हुआ था। भारत का कहना है कि एकतरफ़ा सुरक्षा परिषद आज की दुनिया में शांति और सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने में सक्षम नहीं है।

यूएनएससी क्या है?

संयुक्त राष्ट्र के छह मुख्य अंगों में से एक के रूप में, सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। इसमें 15 सदस्य शामिल हैं: वीटो पावर वाले पांच स्थायी सदस्य (संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और यूनाइटेड किंगडम) और दो साल के कार्यकाल के लिए चुने गए 10 गैर-स्थायी सदस्य। गैर स्थायी सदस्यों का कार्यकाल बदलता रहता है।

सुरक्षा परिषद का काम क्या है?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्राथमिक कार्यों में संघर्षों की जांच, शांति अभियानों की स्थापना, प्रतिबंध लगाना और आवश्यकता पड़ने पर सैन्य कार्रवाई का प्राधिकरण शामिल है। यह वैश्विक संकटों और संघर्षों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे यह अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में एक प्रमुख और प्रभावी समूह बन जाता है।

तुर्की ने यूएन में नहीं उठाया कश्मीर का मुद्दा, क्यों छोड़ा पाकिस्तान का साथ?

#turkey_erdogan_not_raise_kashmir_issue_in_unga_know_why

मोदी सरकार ने पाँच अगस्त 2109 को जब जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया था तो अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं भी आई थीं। चीन और तुर्की ने भारत के इस फ़ैसले का खुलकर विरोध किया था। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन 2019 से हर साल संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक आम सभा में कश्मीर का मुद्दा उठाते थे और भारत की आलोचना करते थे। भारत अर्दोआन के बयान पर आपत्ति जताता था और पाकिस्तान स्वागत करता था। लेकिन इस बार अर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करते हुए कश्मीर का नाम तक नहीं लिया।

आम तौर पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वार्षिक संबोधन में कश्मीर का जिक्र जरूर करते थे। संयुक्त महासभा में पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन फिर एक बार कश्मीर का मुद्दा उठाएंगे,लेकिन उन्होंने तो इस बार इसका नाम लेना तक जरूरी नहीं समझा। राष्ट्रपति एर्दोगन ने यूएन की महासभा को संबोधित तो किया पर कश्मीर पर एक लफ्ज नहीं बोले। तुर्की के इस रुख ने पाकिस्तान को हैरान कर दिया। तुर्की के इस रुख के बाद लोग कई तरह के कयास लगाने लगे हैं। एर्दोगन की इस चुप्पी को भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

कयास लगाया जा रहा है कि तुर्की के कश्मीर पर एक शब्द न बोलने के पीछे ब्रिक्स है। ऐसा कहना है कि तुर्की ब्रिक्स देशों के साथ खुद को खड़ा देखना चाहता है, उसे इसमें शामिल होना है और यही वजह है कि उनके राष्ट्रपति एर्दोगन ने एक बार भी अपनी स्पीच में कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाया।

न्यूयॉर्क में 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा, “हम ब्रिक्स के साथ अपने संबंधों को विकसित करने की अपनी इच्छा को बनाए रखते हैं, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है।”

ब्रिक्स गुट में ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ़्रीका हैं. भारत इस गुट का संस्थापक सदस्य देश है। इस गुट के विस्तार की बात हो रही है और कई देशों ने इसमें शामिल होने में दिलचस्पी दिखाई है। तुर्की भी इसी लाइन में है। तुर्की का यूएन महासभा में कश्मीर के मुद्दे को न उठाना भारत को खुश करना भी है।

तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन यह भलीभांति जानते हैं कि अगर उन्हें ब्रिक्स का सदस्य बनना है तो भारत को खुश कर के रखना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रिक्स में तुर्की को एंट्री भारत की मंजूरी के बाद ही मिल सकती है। तुर्की को यह भी पता है कि अगर भारत ने मना कर दिया तो उसका ब्रिक्स का हिस्सा बनना मुश्किल हो जाएगा। तो इसका लब्बोलुआब यह है कि ब्रिक्स में तुर्की को एंट्री तभी मिलेगी जब वह भारत के करीब आए और उसे खुश करने की कोशिश करे।

तुर्की को पता है कि भारत का कश्मीर को लेकर रुख साफ है। वह किसी भी कीमत पर कश्मीर पर समझौता नहीं करेगा। यही नहीं भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयानों से स्पष्ट है कि पीओके जिसे पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है, उसे भी लेने की प्लानिंग है।

*हाई ड्रामे के बाद, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पैनल के चुनाव आज*

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को नगर निगम आयुक्त को एमसीडी स्थायी समिति की अंतिम खाली सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव कराने का आदेश दिया। एलजी के अनुसार, चुनाव दोपहर 1 बजे होंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त जितेन्द्र यादव चुनाव की अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले, सक्सेना ने गुरुवार को चुनाव कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, पार्षदों की सुरक्षा जांच को लेकर हुए हंगामे के बाद मेयर शैली ओबेरॉय ने चुनाव 5 अक्टूबर तक स्थगित कर दिए। वर्तमान में, स्थायी समिति में भाजपा के नौ सदस्य हैं, जबकि आप के आठ सदस्य हैं। द्वारका-बी से भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत के पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के सांसद चुने जाने पर इस्तीफा देने से 18वीं सीट खाली हो गई थी। स्थायी समिति चुनाव पर एमसीडी का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश के बाद, एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार ने शुक्रवार को स्थायी समिति सीट के चुनाव के लिए नोटिस जारी किया। आदेश के अनुसार, मेयर शेली ओबेरॉय ने कहा कि 5 अक्टूबर से पहले होने वाला कोई भी चुनाव "अवैध और असंवैधानिक" होगा, जबकि डिप्टी मेयर और एमसीडी के वरिष्ठतम सदस्यों ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मामले को फिर से उपराज्यपाल के समक्ष उनके निर्देशानुसार रखा गया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि स्थायी समिति नगरपालिका के कार्यों के निर्वहन के लिए एक प्रमुख निकाय है, और पिछले लगभग 21 महीनों से इसके गैर-संविधान ने नगरपालिका मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न की है," आदेश में कहा गया है। इसमें आगे कहा गया है, "इसलिए, व्यापक जनहित में और नगर निकाय की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने के लिए, उपराज्यपाल ने निर्देश दिया है कि उपरोक्त चुनाव 27 सितंबर को दोपहर 1:00 बजे आयोजित किए जाएं। इसके अलावा, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में अध्यक्षता करेंगे। पूरी चुनाव प्रक्रिया की विधिवत वीडियोग्राफी की जा सकती है। मतदान की गोपनीयता के लिए मतदान कक्ष में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अनुमति नहीं दी जाएगी। एमसीडी में हाई ड्रामा एमसीडी की स्थायी समिति की 18वीं सीट के लिए चुनाव गुरुवार को नगर निगम सचिवालय के एक आदेश पर हाई ड्रामा के बाद स्थगित कर दिया गया, जिसमें मतदान के दौरान कक्ष के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने प्रवेश द्वारों पर तलाशी चौकी भी बनाई थी। भाजपा पार्षदों ने जहां नियम का पालन किया, वहीं आप पार्षदों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लॉबी में धरना दिया। मेयर शैली ओबेरॉय और अन्य पार्षदों ने जोर देकर कहा कि कक्ष के अंदर फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और तलाशी लेना "उनकी गरिमा का उल्लंघन है"। ओबेरॉय ने कहा, "हमें लोगों ने चुना है और इसलिए हम इस सदन के सदस्य हैं। यह सदस्यों की गरिमा और भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है और ऐसा कदम पहले कभी नहीं उठाया गया।" दोपहर करीब 2 बजे शुरू हुआ गतिरोध देर रात करीब 10 बजे तक चलता रहा - जब तक एमसीडी ने चुनाव स्थगित नहीं कर दिया। इसके बाद, भाजपा ने आप और मेयर पर निशाना साधा और नारे लगाए कि “मेयर होश में आओ” और “स्थायी समिति का चुनाव करवाओ”। भाजपा दिल्ली प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने एमसीडी आयुक्त से कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार चुनाव कराने को कहा। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर अपने चरम पर है और आप चुनाव से भाग रही है क्योंकि उन्हें डर है कि उनके अपने पार्षद उनका साथ छोड़ देंगे , शुक्रवार को अदालत में मेयर के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेंगे।”
*हाई ड्रामे के बाद, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पैनल के चुनाव आज*

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को नगर निगम आयुक्त को एमसीडी स्थायी समिति की अंतिम खाली सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव कराने का आदेश दिया। एलजी के अनुसार, चुनाव दोपहर 1 बजे होंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त जितेन्द्र यादव चुनाव की अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले, सक्सेना ने गुरुवार को चुनाव कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, पार्षदों की सुरक्षा जांच को लेकर हुए हंगामे के बाद मेयर शैली ओबेरॉय ने चुनाव 5 अक्टूबर तक स्थगित कर दिए। वर्तमान में, स्थायी समिति में भाजपा के नौ सदस्य हैं, जबकि आप के आठ सदस्य हैं। द्वारका-बी से भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत के पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के सांसद चुने जाने पर इस्तीफा देने से 18वीं सीट खाली हो गई थी। स्थायी समिति चुनाव पर एमसीडी का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश के बाद, एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार ने शुक्रवार को स्थायी समिति सीट के चुनाव के लिए नोटिस जारी किया। आदेश के अनुसार, मेयर शेली ओबेरॉय ने कहा कि 5 अक्टूबर से पहले होने वाला कोई भी चुनाव "अवैध और असंवैधानिक" होगा, जबकि डिप्टी मेयर और एमसीडी के वरिष्ठतम सदस्यों ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मामले को फिर से उपराज्यपाल के समक्ष उनके निर्देशानुसार रखा गया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि स्थायी समिति नगरपालिका के कार्यों के निर्वहन के लिए एक प्रमुख निकाय है, और पिछले लगभग 21 महीनों से इसके गैर-संविधान ने नगरपालिका मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न की है," आदेश में कहा गया है। इसमें आगे कहा गया है, "इसलिए, व्यापक जनहित में और नगर निकाय की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने के लिए, उपराज्यपाल ने निर्देश दिया है कि उपरोक्त चुनाव 27 सितंबर को दोपहर 1:00 बजे आयोजित किए जाएं। इसके अलावा, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में अध्यक्षता करेंगे। पूरी चुनाव प्रक्रिया की विधिवत वीडियोग्राफी की जा सकती है। मतदान की गोपनीयता के लिए मतदान कक्ष में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अनुमति नहीं दी जाएगी। एमसीडी में हाई ड्रामा एमसीडी की स्थायी समिति की 18वीं सीट के लिए चुनाव गुरुवार को नगर निगम सचिवालय के एक आदेश पर हाई ड्रामा के बाद स्थगित कर दिया गया, जिसमें मतदान के दौरान कक्ष के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने प्रवेश द्वारों पर तलाशी चौकी भी बनाई थी। भाजपा पार्षदों ने जहां नियम का पालन किया, वहीं आप पार्षदों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लॉबी में धरना दिया। मेयर शैली ओबेरॉय और अन्य पार्षदों ने जोर देकर कहा कि कक्ष के अंदर फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और तलाशी लेना "उनकी गरिमा का उल्लंघन है"। ओबेरॉय ने कहा, "हमें लोगों ने चुना है और इसलिए हम इस सदन के सदस्य हैं। यह सदस्यों की गरिमा और भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है और ऐसा कदम पहले कभी नहीं उठाया गया।" दोपहर करीब 2 बजे शुरू हुआ गतिरोध देर रात करीब 10 बजे तक चलता रहा - जब तक एमसीडी ने चुनाव स्थगित नहीं कर दिया। इसके बाद, भाजपा ने आप और मेयर पर निशाना साधा और नारे लगाए कि “मेयर होश में आओ” और “स्थायी समिति का चुनाव करवाओ”। भाजपा दिल्ली प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने एमसीडी आयुक्त से कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार चुनाव कराने को कहा। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर अपने चरम पर है और आप चुनाव से भाग रही है क्योंकि उन्हें डर है कि उनके अपने पार्षद उनका साथ छोड़ देंगे , शुक्रवार को अदालत में मेयर के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेंगे।”
हाई ड्रामे के बाद, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पैनल के चुनाव आज

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को नगर निगम आयुक्त को एमसीडी स्थायी समिति की अंतिम खाली सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव कराने का आदेश दिया। एलजी के अनुसार, चुनाव दोपहर 1 बजे होंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त जितेन्द्र यादव चुनाव की अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले, सक्सेना ने गुरुवार को चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

हालांकि, पार्षदों की सुरक्षा जांच को लेकर हुए हंगामे के बाद मेयर शैली ओबेरॉय ने चुनाव 5 अक्टूबर तक स्थगित कर दिए। वर्तमान में, स्थायी समिति में भाजपा के नौ सदस्य हैं, जबकि आप के आठ सदस्य हैं। द्वारका-बी से भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत के पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के सांसद चुने जाने पर इस्तीफा देने से 18वीं सीट खाली हो गई थी। स्थायी समिति चुनाव पर एमसीडी का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश के बाद, एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार ने शुक्रवार को स्थायी समिति सीट के चुनाव के लिए नोटिस जारी किया। आदेश के अनुसार, मेयर शेली ओबेरॉय ने कहा कि 5 अक्टूबर से पहले होने वाला कोई भी चुनाव "अवैध और असंवैधानिक" होगा, जबकि डिप्टी मेयर और एमसीडी के वरिष्ठतम सदस्यों ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

मामले को फिर से उपराज्यपाल के समक्ष उनके निर्देशानुसार रखा गया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि स्थायी समिति नगरपालिका के कार्यों के निर्वहन के लिए एक प्रमुख निकाय है, और पिछले लगभग 21 महीनों से इसके गैर-संविधान ने नगरपालिका मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न की है," आदेश में कहा गया है।

इसमें आगे कहा गया है,

"इसलिए, व्यापक जनहित में और नगर निकाय की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने के लिए, उपराज्यपाल ने निर्देश दिया है कि उपरोक्त चुनाव 27 सितंबर को दोपहर 1:00 बजे आयोजित किए जाएं। इसके अलावा, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में अध्यक्षता करेंगे। पूरी चुनाव प्रक्रिया की विधिवत वीडियोग्राफी की जा सकती है। मतदान की गोपनीयता के लिए मतदान कक्ष में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अनुमति नहीं दी जाएगी।

एमसीडी में हाई ड्रामा एमसीडी की स्थायी समिति की 18वीं सीट के लिए चुनाव गुरुवार को नगर निगम सचिवालय के एक आदेश पर हाई ड्रामा के बाद स्थगित कर दिया गया, जिसमें मतदान के दौरान कक्ष के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने प्रवेश द्वारों पर तलाशी चौकी भी बनाई थी। भाजपा पार्षदों ने जहां नियम का पालन किया, वहीं आप पार्षदों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लॉबी में धरना दिया। मेयर शैली ओबेरॉय और अन्य पार्षदों ने जोर देकर कहा कि कक्ष के अंदर फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और तलाशी लेना "उनकी गरिमा का उल्लंघन है"। ओबेरॉय ने कहा, "हमें लोगों ने चुना है और इसलिए हम इस सदन के सदस्य हैं। यह सदस्यों की गरिमा और भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है और ऐसा कदम पहले कभी नहीं उठाया गया।" दोपहर करीब 2 बजे शुरू हुआ गतिरोध देर रात करीब 10 बजे तक चलता रहा - जब तक एमसीडी ने चुनाव स्थगित नहीं कर दिया।

इसके बाद, भाजपा ने आप और मेयर पर निशाना साधा और नारे लगाए कि “मेयर होश में आओ” और “स्थायी समिति का चुनाव करवाओ”। भाजपा दिल्ली प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने एमसीडी आयुक्त से कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार चुनाव कराने को कहा। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर अपने चरम पर है और आप चुनाव से भाग रही है क्योंकि उन्हें डर है कि उनके अपने पार्षद उनका साथ छोड़ देंगे , शुक्रवार को अदालत में मेयर के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करेंगे।”

सुनील जाखड़ के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की खबर, बीजेपी ने बताया निराधार और झूठ

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पंजाब में पंचायत चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटके की खबर है। सुनील जाखड़ के पंजाब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की खबर है।सुनील जाखड़ के इस्तीफे की खबर को पंजाब बीजेपी ने खारिज कर दिया है। पंजाब बीजेपी के महासचिव अनिल सरीन ने कहा कि जाखड़ पंजाब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में वह अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। उनके इस्तीफे की खबर, विपक्षी दलों द्वारा फैलाया जा रहा दुष्प्रचार है।

बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से सुनील जाखड़ ने प्रदेश कार्यकारिणी की जरूरी बैठकों से दूरी बना रखी थी। बताया जा रहा है कि वे पार्टी से नाराज चल रहे थे। यही कारण है कि वे गुरुवार को पंचायत चुनावों की तैयारियों को लेकर रखी बैठक में भी शामिल नहीं हुए। जब इसे लेकर एक भाजपा नेता ने उन्हें फोन किया तो उन्होंने बैठक में शामिल होने से मना कर दिया। आगे से भी किसी बैठक में शामिल न होने की बात कही।

सूत्रों के मुताबिक, रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्र में मंत्री बनाए जाने से भी वे पार्टी से नाखुश थे। उन्हें लग रहा था कि वे काफी सीनियर हैं, इसके बाबजूद उनकी उपेक्षा कर बिट्टू को मंत्री बना दिया गया।बताया जा रहा है कि सुनील जाखड़ की नाराजगी के दो कारण हैं। एक तो पंजाब भाजपा में बाहरी बनाम पुराने का मुद्दा चरम पर है और दूसरा पार्टी ने राज्यसभा में भेजने को लेकर भी उन्हें तवज्जो नहीं दी।

सुनील जाखड़ ने इस्तीफा देने को लेकर चुप्पी साध रखी है। बता दें कि एक साल पहले ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई थी।जाखड़ को पिछले साल जुलाई में प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बीजेपी ने 4 जुलाई 2023 को उन्हें पंजाब बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था। लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी थी।

अतीत का कैदी बना हुआ है संयुक्त राष्ट्र”, एस जयशंकर ने की यूएन में सुधारों की वकालत
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की जोरदार वकालत की है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र अतीत का कैदी बना हुआ है। ग्लोबल दक्षिण के देशों को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी श्रेणी में इन देशों का उचित प्रतिनिधित्व विशेष रूप से आवश्यक है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा कि सुधारित यूएनएससी की स्थायी और निर्वाचित दोनों श्रेणियों में एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों का उचित प्रतिनिधित्व एक 'विशेष अनिवार्यता' है।विदेश मंत्री ने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों को 'असहयोगी' नहीं बनाया जा सकता। जयशंकर ने कहा कि आज विश्व एक स्मार्ट, परस्पर संबद्ध और बहुध्रुवीय क्षेत्र में विकसित हो गया है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इसके (संयुक्त राष्ट्र के) सदस्यों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। फिर भी संयुक्त राष्ट्र अतीत का बंधक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि, इसका परिणाम ये हुआ है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने में संघर्ष करती दिख रही है। जिससे उसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता कम होती जा रही है। विदेश मंत्री ने कहा, स्थायी श्रेणी में विस्तार और उचित प्रतिनिधित्व एक अहम जरूरत है। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका, ग्लोबल दक्षिण को लगातार नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उनकी वैध आवाज दी जानी चाहिए। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वास्तविक परिवर्तन होना चाहिए और इस प्रक्रिया में तेजी की जरूरत है।
इजराइल के नेतन्याहू ने युद्ध विराम योजना को खारिज किया, हिजबुल्लाह ड्रोन यूनिट प्रमुख मारा गया

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को लेबनान में 21 दिन के युद्ध विराम के लिए अपने प्रमुख समर्थक संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में किए गए प्रयास को खारिज कर दिया और कसम खाई कि सेना अनिश्चित काल तक हिजबुल्लाह के ठिकानों पर बमबारी जारी रखेगी। वार्षिक संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि जब तक इजराइल के सभी उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते, तब तक हवाई हमले जारी रहेंगे।

बेंजामिन नेतन्याहू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बेरूत के दक्षिणी उपनगरों पर इजराइली हमले में हिजबुल्लाह की ड्रोन यूनिट के प्रमुख मोहम्मद हुसैन सरूर की मौत हो गई। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने एक बयान में पुष्टि की कि हमले में 1973 में जन्मे मोहम्मद हुसैन सरूर की मौत हो गई।

इज़राइल-हिजबुल्लाह संघर्ष पर 10 अपडेट:

1.बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इज़राइल की "नीति स्पष्ट है।" "हम पूरी ताकत से हिजबुल्लाह पर हमला करना जारी रख रहे हैं। हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर लेते, जिनमें से सबसे प्रमुख उत्तर के निवासियों की सुरक्षित रूप से उनके घरों में वापसी है।"

2.उनकी टिप्पणियों से ठीक पहले, इज़राइली सेना ने कहा कि उसने बेरूत के उपनगरीय इलाके में हवाई हमले में हिजबुल्लाह के ड्रोन कमांडर मोहम्मद हुसैन सरूर को मार गिराया।

3.विदेश मंत्री इज़राइल कैट्ज़ ने पहले एक्स पर पोस्ट किया, "कोई संघर्ष विराम नहीं होगा", जबकि रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा कि सशस्त्र बलों का उद्देश्य "हिजबुल्लाह को असंतुलित करना और उनके नुकसान को गहरा करना है।"

4.समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रोन द्वारा तीन सप्ताह के संघर्ष विराम को सुरक्षित करने के प्रयासों को अवरुद्ध करते हैं।

5.लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बौ हबीब ने दावा किया है कि इजरायल की बमबारी से देश के अंदर पाँच लाख लोग विस्थापित हुए हैं। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार देर रात कहा कि पिछले 24 घंटों में इजरायली हमलों में देश में 92 लोग मारे गए और 153 घायल हुए हैं।

6.पिछले साल अक्टूबर में इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच शत्रुता शुरू होने के बाद से 1,500 से अधिक लोग मारे गए हैं, गुरुवार की मौतों के साथ ही अकेले सोमवार से लेबनान पर इजरायली हमलों में मारे गए लोगों की संख्या 700 से अधिक हो गई है।

7.अमेरिका, यूरोपीय राज्यों और सऊदी अरब और कतर सहित अरब शक्तियों ने बुधवार देर रात लड़ाई को रोकने का आग्रह किया, जब इजरायल ने संकेत दिया कि वह लेबनान पर संभावित जमीनी आक्रमण की तैयारी कर रहा है। इससे क्षेत्रीय संघर्ष में वृद्धि होने का खतरा होगा जो अमेरिका और ईरान को घसीट सकता है।

8.लंदन में बोलते हुए अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि "एक और पूर्ण पैमाने पर युद्ध इजरायल और लेबनान दोनों के लिए विनाशकारी हो सकता है"। उन्होंने कहा कि "सैन्य समाधान नहीं बल्कि एक कूटनीतिक समाधान ही यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि सीमा के दोनों ओर विस्थापित नागरिक अंततः घर वापस जा सकें।"

9. मैक्रोन ने नागरिकों के हताहत होने की "बिल्कुल चौंकाने वाली" संख्या का हवाला देते हुए लेबनान को "नया गाजा बनने" के खिलाफ चेतावनी दी।

10. लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती, जिनकी सरकार में हिजबुल्लाह तत्व शामिल हैं, ने युद्धविराम की उम्मीद जताई थी, जिसके बाद इजरायल के रुख ने एक त्वरित समझौते की उम्मीदों को धराशायी कर दिया।