जम्मू-कश्मीर विस चुनावः दूसरे चरण में उमर अब्दुल्ला से लेकर रविंदर रैना तक की किस्मत दांव पर
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू हो गई है। इसमें 25.78 लाख मतदाता शाम 6 बजे तक वोट डाल सकेंगे। सुबह 9 बजे तक 10.22 फीसदी वोटिंग हुई है। सबसे ज्यादा पूंछ में 14.41% वोटिंग हुई, जबकि श्रीनगर में सबसे कम 4.70% वोट डले। सेकेंड फेज की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्रल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू की हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, दूसरे फेज में 239 कैंडिडेट्स मैदान में हैं। इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उमर अब्दुल्ला और बीजेपी के रवींद्र रैना समेत पांच नेता ऐसे हैं, जिन पर हर किसी की नजर टिकी है।
दूसरे चरण के 5 चर्चित चेहरे
उमर अब्दुल्ला: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बडगाम और गांदरबल सीट से चुनावी मैदान में हैं। साल 1977 से बेलगाम सीट पर मजबूत पकड़ रखने वाले उमर अब्दुल्ला के सामने इस बार सात उम्मीदवार हैं। बडगाम में उमर अब्दुल्ला के खिलाफ आगा सईद मुंतजिर मेहदी और आगा सईद अहमद मूसवी चुनाव लड़ रहे हैं। गांदरबल सीट की अगर हम बात करें तो, इस सीट को अब्दुल्ला परिवार का गढ़ बताया जाता है। इस सीट पर उमर अब्दुल्ला का मुकाबला पीडीपी नेता बशीर अहमद मीर और नेशनल पैंथर्स पार्टी के नेता अब्दुल राशिद समेत एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों से है।
रवींद्र रैना: जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना राजौरी सीट से चुनावी मैदान में हैं। इस सीट से 2014 के चुनाव में रवींद्र रैना ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भी वह इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बार उनकी राहें मुश्किल होने वाली है। उनकी पार्टी के ही पूर्व नेता सुरिंदर चौधरी नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट से इस सीट पर उम्मीदवार हैं।
तारिक हमीद कर्रा: जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा श्रीनगर की सेंट्रल शालटेंग सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला पीडीपी नेता अब्दुल कयूम भट्ट और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के रियाज अहमद मीर और अपनी पार्टी के जफर हबीब डार से है। आपको बताते चलें, तारिक हामिद कभी महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के साथ थे। लेकिन, बाद में वह पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
सैय्यद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी: अल्ताफ बुखारी श्रीनगर की चन्नापुरा सीट से अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका टक्कर पीडीपी के मोहम्मद इकबाल ट्रंबो, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुश्ताक गुरु और भाजपा के हिलाल अहमद वानी से है।
सरजन अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती: सरजन अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती इन दिनों जेल में बंद हैं। वह गांदरबल और बीरवाह सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2016 में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद शोपियां और कुलगाम में विरोध रैली निकालने वालों में सरजन बरकती एक बड़ा चेहरा थे। उनपर अलगाववादी विचारधारा और भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे हैं।





कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) मामले में उन्हें हाई कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट की ओर से फैसला आने के बाद अब उन पर बीजेपी हमलावर दिख रही है। विपक्ष लगातार उनसे इस्तीफे की मांग कर रही है। *सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग* केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। सरकार और सिद्धारमैया ने गड़बड़ी की है। उनको सीएम पद से पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था पर वो सच जानते हैं और जांच से बचना चाहते हैं। इसलिए राज्यपाल के फैसले को चैलेंज किया। गवर्नर के फोटो को चप्पल से मारा गया। यह टेरर पैदा करने के लिए किया गया। बिना देरी किए सिद्धारमैया को इस्तीफा दे देना चाहिए। इसकी विस्तृत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जिसके लिए उनको इस्तीफा देना चाहिए। *बीजेपी का कर्नाटक सरकार गिराने का इराना नहीं-प्रह्लाद जोशी* प्रह्लाद जोशी ने आगे कहा कि बिना पॉलिटिकल पावर के यह नहीं हो सकता। सीबीआई से इसकी जांच कराई जाए। बीजेपी का कर्नाटक सरकार गिराने या अस्थिर करने का न इरादा है और न कोई ऐसी कोशिश कर रहे हैं। यह कांग्रेस को तय करना है कि कौन सीएम बनेगा। किसी और को सीएम बनाए कांग्रेस। बीजेपी विपक्ष में ही बैठेगी। *सिद्धारमैया बोले- सच्चाई जल्द सामने आएगी* वहीं, कोर्ट के इस आदेश के बाद सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने बीजेपी और जेडीएस पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सियासी लड़ाई है। प्रदेश की जनता मेरे साथ है। मुझे विश्वास है अगले कुछ दिनों में सच्चाई सामने आएगी और जांच रद्द हो जाएगी। सिद्धारमैया ने कहा, न्यायालय ने धारा 218 के तहत राज्यपाल द्वारा जारी आदेश को सिरे से खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने खुद को राज्यपाल के आदेश की धारा 17ए तक ही सीमित रखा। मैं विशेषज्ञों से परामर्श करूंगा कि क्या कानून के तहत ऐसी जांच की अनुमति है या नहीं। मैं कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा कर लड़ाई की रूपरेखा तय करूंगा। *सिद्दारमैया के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का है विकल्प* हालांकि, हाई कोर्ट ने इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच को मंजूरी दिए जाने के गवर्नर के फैसले पर मुहर लगाकर सिद्दारमैया को भारी संकट में ला दिया है। अभी तक हाई कोर्ट से स्थगन आदेश की वजह से निचली अदालत से इस मामले में कार्रवाई शुरू नहीं हो रही थी। अब इस स्थगन आदेश से रोक हट गया है और सिद्दारमैया पर कानूनी शिकंजा कसने की आशंका है। विपक्ष पहले से ही उनपर पद छोड़ने का दबाव बना रहा है और कांग्रेस पार्टी के अंदर भी इसको लेकर काफी विवाद रहा है। फिलहाल सिद्दारमैया के सामने सबसे पहला विकल्प यही है कि वह सुप्रीम कोर्ट में जाकर इस केस में फिर से स्थगन आदेश लेने की कोशिश करें। कथित मुडा भूमि घोटाला क्या है? मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया। मुडा क्या है? मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण या मुडा कर्नाटक की एक राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है, जिसका गठन मई 1988 में किया गया था। मुडा का काम शहरी विकास को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचे को उपलब्ध कराना, किफायती आवास उपलब्ध कराना, आवास आदि का निर्माण करना है। क्या है आरोप? आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी। मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।
Sep 25 2024, 10:44
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