''दूध में मिलावट स्वास्थ्य और अधिकारों का है उल्लंघन'
हाजीपुर। होटल प्रबंधन संस्थान, हाजीपुर में गुरुवार को एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें खाद्य पदार्थों और दूध में मिलावट की सीमा, प्रकृति आदि विषय सेमिनार का केंद्र बिंदु थे। खाद्य पदार्थ और दूध में मिलावट से हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को विस्तार से बताया गया। सेमिनार में मानव अधिकार संगठन, बिहार एवं आइएचएम हाजीपुर, प्राचार्य पूलक मंडल एवं अध्यक्ष मानव अधिकार संगठन बिहार एएम प्रसाद, निदेशक मानव अधिकार संगठन , डॉ जर्नादन उपस्थित थे।
अध्यक्ष मानव अधिकार संगठन बिहार एएम प्रसाद ने मानव अधिकार संगठन बिहार के कार्यों एवं कर्तव्यों आदि से संबंधित विस्तृत जानकारी विधार्थियों तथा कर्मचारियों के साथ साझा की। निदेशक मानव अधिकार संगठन, बिहार डॉ. जनार्दन ने 'मानव अधिकारों की रक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि दूध और दूध से बने उत्पाद मानव आहार का अभिन्न अंग हैं जो वृद्धि तथा विकास के लिए अत्यंत आवश्यक पोषक तत्वों का स्रोत हैं, परंतु मिलावट का मुद्दा सार्वजनिक स्वास्थ्य और मानव अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है।
इस अवसर पर उपस्थित छात्र और अन्य लोगों ने शपथ लिया कि हम सभी स्वच्छ खाना का उपयोग अपनी दैनिक दिनचर्या में करेंगें। यह न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं, ये हमारे दैनिक दिनचर्या और हमारे कामकाज से भी जुड़ा हैं। एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता हैं. स्वच्छ आहार से हमें उर्जा मिलती हैं.
डॉ जर्नादन ने बताया कि मिलावट में हानिकारक पदार्थों को मिलाना जैसे पानी, यूरिया, फॉर्मलिन, हाईड्रोजन पेरोक्साईट, डिटवेंन्ट, अन्य रसायन या घटिया गुणवत्ता वाली सामग्री के साथ मिलाना शामिल है। परंतु इसका असर हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर पड़ता और यह उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन भी है। इसके पहले अध्यक्ष मानव अधिकार संगठन, बिहार ए. एम प्रसाद ने मानव अधिकार संगठन बिहार के कार्यों एवं कर्तव्यों आदि से संबंधित विस्तृत जानकारी विधार्थियों तथा कर्मचारियों के साथ साझा की।
सार्वभौमिक घोषणा का मसौदा संयुक्तराष्ट्र मानवाधिकार आयोग द्वारा तैयार किया गया था। जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन प्रथम महिला एलेनोर रूजवेल्ट ने की थी। इसे 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 56 सदस्य देशों (वर्तमान में 192) द्वारा अपनाया गया था। डॉ० ज्योत्सना प्रसाद ने भारतीय पारंपरिक भोजन, दायरा और संभावनाओं से सदस्यों को रूबरू कराया।
वियागाध्क्ष-1 सुमित चटर्जी, वरीय व्याख्याता सह न्यूट्रीशनिस्ट विशेषज्ञ अनुपम कुमार ने भी खाद्य पदार्थों में मिलावट आदि के बारे में विस्तृत चर्चा की।
Sep 23 2024, 13:19