भारत ने क्यों जारी किया पाकिस्तान को नोटिस, क्या सिंधु जल संधि से लग हो रहे दोनों देश?
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भारत सरकार ने सिंधु जल संधि में बदलाव की मांग की है। भारत सरकार ने इस संबंध में पाकिस्तान को एक नोटिस भी भेजा है। इस नोटिस में कहा गया कि मौजूदा हालातों को देखते हुए सिंधु जल संधि को बरकरार रखना संभव नहीं। भारत ने इस सिंधु जल संधि में बदलाव किए जाने की भी बात कही है। यह समझौता दोनों देशों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे के बारे में है। भारत का कहना है कि इस समझौते के बाद से बहुत कुछ बदल गया है, इसलिए इसमें बदलाव की जरूरत है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने 30 तारीख को भारत ने सिंधु जल समझौता की समीक्षा और संशोधन की मांग करते हुए पाकिस्तान को नोटिस दिया है। संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत, इसकी व्यवस्थाओं को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच बातचीत के जरिए संशोधित किया जा सकता है। भारत का कहना है कि जब यह समझौता हुआ था, तब की स्थिति अब नहीं है। देश की जनसंख्या बढ़ गई है, खेती के तरीके बदल गए हैं और हमें पानी का इस्तेमाल ऊर्जा बनाने के लिए भी करना है।
भारत ने कहा- संधि पर दोबारा से सोचने की जरूरत
भारत ने इस नोटिस में पाकिस्तान की ओर से लगातार जारी आतंकवादी गतिविधियों का भी जिक्र किया और कहा कि पाकिस्तान भारत की उदारता का अनुचित लाभ उठा रहा है, और ऐसे में इस संधि पर दोबारा से सोचने की जरूरत है।
सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक द्विपक्षीय समझौता है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 में कराची में हुई थी। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। संधि के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इस संधि के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों के पानी का बंटवारा होता है। इन नदियों में व्यास, रावी, सतलज, झेलम, चिनाब और सिंधु नदियां शामिल हैं। इस समझौते के अनुसार पूर्वी क्षेत्रों की नदियों व्यास, रावी और सतलज कर नियंत्रण का अधिकार भारत को मिला। भारत इन नदियों से विद्युत निर्माण, सिंचाई और जल संसाधन से जुड़ी कई योजनाओं को संचालित कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर पश्चिमी क्षेत्रों की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम पर नियंत्रण के अधिकार पाकिस्तान को दिया गया। पाकिस्तान में इन्हीं नदियों के पानी से बिजली निर्माण और सिंचाई के काम किए जाते हैं। इस संधि के कारण भारत, पाकिस्तान को कुल जल का 80.52% यानी 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना देता है। यही कारण है कि यह दुनिया की सबसे उदार संधि कही जाती है।
पाकिस्तान के लिए क्यों अहम है यह संधि?
इस संधि के टूटने से पाकिस्तान के एक बड़े भूभाग पर रेगिस्तान बनने का खतरा मंडराने लगेगा। इसके अलावा अगर इस संधि को तोड़ा जाता है तो पाकिस्तान पर बहुत बड़ा कूटनीतिक दबाव पड़ सकता है। इसके साथ ही पाकिस्तान में संचालित हो रही अरबों रुपये की विद्युत परियोजनाएं भी बंद होने की कगार पर आ जाएंगी और करोड़ों लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पाएगा।
विवाद किस बात को लेकर है?
सिंधु जल संधि में विवाद भारत की दो पनबिजली परियोजनाओं को लेकर है। दरअसल, सिंधु की सहायक नदियों पर बनने वाली 330 मेगावाट की किशनगंगा पनबिजली परियोजना का निर्माण 2007 में शुरू हुआ था। इसी बीच 2013 में चिनाब पर बनने वाले रातले पनबिजली संयंत्र की आधारशिला रखी गई थी। पाकिस्तान ने इन दो परियोजनाओं का विरोध किया और कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया है। किशनगंगा परियोजना को लेकर पाकिस्तान ने दावा किया कि इसके कारण पाकिस्तान में बहने वाले पानी रुकता है।








लेबनान में एक ही समय में हुए हजारों पेजर अटैक से सनसनी फैल गई है। लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार को एक साथ एक वक्त पर हजारों ब्लास्ट हुए। इससे शहरभर में अफरा-तफरी मच गई। हजारों सीरियल ब्लास्ट में 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। अबतक 12 लोगों की मौत हो गई। इतनी बड़ी संख्या में धमाकों के बाद से सड़क, घर और दुकानों में चीख-पुकार मच गई। धमाकों के बाद अस्पतालों में घायलों के इलाज के लिए भीड़ लग गई। इस हमले के पीछे हिजबुल्लाह ने इजराइल का हाथ बताया और अपने सदस्यों व लड़ाकों को पेजर्स से दूर रहने की सलाह दी है। *पेजर क्या है?* इस इस पूरे मामले के बाद सवाल उठ रहे है कि ये पेजर क्या है और हिजबुल्लाह के लड़ाके इसका क्यों इस्तेमाल कर रहे थे? पेजर एक छोटी कम्युनिकेशन डिवाइस है, जो मैसेजिंग के लिए इस्तेमाल होती है। पेजर रेडियो वेव्स के जरिये ऑपरेट होता है। ऑपरेटर किसी रेडियो फ्रीक्वेंसी पर पेजर से मैसेज भेज सकता है। 80 के दशक तक दुनिया भर में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल होता था। हालांकि मोबाइल और दूसरी टेक्नोलॉजी के आने के बाद पेजर लगभग खत्म हो गया, पर हिजबुल्लाह जैसे कई आतंकी संगठन और अपराधी अभी भी पेजर का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि यह मोबाइल या दूसरी कम्युनिकेशन डिवाइस के मुकाबले बहुत सुरक्षित माना जाता है और आसानी से पकड़ में नहीं आता है। *कैसे काम करता है पेजर?* पेजर के जरिए किसी को मैसेज भेजना है तो पहले रिसीवर की रेडियो फ्रीक्वेंसी अपने डिवाइस में सेट करनी होगी और फिर मैसेज भेज सकते हैं। मैसेज उसी यूनिक फ्रीक्वेंसी पर रिसीव होगा। पेजर में कॉलिंग वगैरह की कोई सुविधा नहीं होती है। पेजर मुख्य तौर पर तीन तरह के होते हैं। पहले है वन वे पेजर, जिसमें सिर्फ मैसेज रिसीव किया जा सकता है। दूसरा है टू वे पेजर, जिसमें मैसेज रिसीव करने के साथ-साथ सेंड करने की भी सुविधा होती है और तीसरा है वॉइस पेजर जिसमें वाइस रिकॉर्डेड मैसेज भेजे जा सकते हैं। *हिजबुल्लाह ने इजरायल पर लगाया आरोप* चूंकी, पेजर मोबाइल या दूसरी कम्युनिकेशन डिवाइस के मुकाबले बहुत सुरक्षित माना जाता है और आसानी से पकड़ में नहीं आता यही वजह है कि हिजबुल्लाह के लड़ाके इजरायली हमले से बचने के लिए मोबाइल की जगह पेजर का इस्तेमाल कर रहे थे। हिजबुल्लाह को शक था कि उसके कम्युनिकेशन नेटवर्क के कुछ लोगों को इजरायल ने खरीद लिया है। इसी के बाद इस संगठन में इंटरनल कम्युनिकेशन के लिए मोबाइल को बैन कर दिया गया था और उसके मेंबर पेजर से कम्युनिकेट करते थे। अब हिजबुल्लाह को शक है कि इजरायल ने किसी मालवेयर की मदद से उनके पेजर में ब्लास्ट करवाए हैं। खास बात ये है कि लेबनान में ही नहीं सीरिया में भी हिजबुल्लाह के लोग इन धमाकों में घायल हुए हैं। लेबनान में ईरान के राजदूत भी घायल हुए हैं। लेबनान के हॉस्पिटल इन धमाकों में घायल हुए लोगों से भरे पड़े हैं। *पेजर से छेड़छाड़ कैसे हुई?* इस पूरे मामले के बाद पेजर पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं, कि पेजर से छेड़छाड़ कैसे हुई, वे कौन से पेजर हैं जो हिजबुल्लाह के लड़ाके यूज कर रहे थे। इसको लेकर जो जानकारी सामने आई है उससे पता चला है कि ये पेजर ताइवान से लाए गए थे। हिजबुल्लाह ने ताइवान की कंपनी ‘गोल्ड अपोलो’ से ये पेजर लिए थे, इनकी कीमत करीब 200 डॉलर बताई जा रही है। हिजबुल्लाह की शुरुआती जांच में पता चला है कि ताइवान से जब पेजर शिपमेंट लेबनान पहुंचा तो बीच में तीन महीने के लिए ये शिपमेंट होल्ड पर था. कहा जा रहा है इसी दौरान इजराइली एजेंसी पेजर से छेड़-छाड़ करने में कामयाब रही है। यानी जब शिपमेंट होल्ड पर था, तब इजराइल के एजेंट्स ने इन पेजर्स में विस्फोटक लगा दिया। मंगलवार को जब अचानक ये पेजर फटना शुरू हुए तो उससे पहले सभी पेजर पर Error का मैसेज आया। Error मैसेज के बाद वो वाइब्रेट करने लगा और हीट होने लगा। कुछ लोगों ने पेजर हीट होने पर उसे खुद से दूर भी रख दिया, लेकिन ज्यादातर लोग क्योंकि इसे जेब में रखते थे, ऐसे में जैसी ही ब्लास्ट हुआ तो इससे बड़ा नुकसान हो गया।


Sep 18 2024, 18:49
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