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क्या आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं, क्यों कहा जा रहा कठपुतली मुख्यमंत्री?*
#atishi_will_become_the_cm_of_delhi_bjp_targeted_said_the_dummy_cm *
दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी बनने जा रही है। अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को सीएम पद से इस्तीफा दिया और आतिशी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। जल्द ही आतिशी दिल्ली के सीएम पद की शपथ लेंगी। केजरीवाल की जगह आतिशी के सीएम चुने जाने पर सवाल उठ रहे हैं। आतिशी को डमी सीएम या कठपुतली सीएम कहा जा रहा है। आतिशी आज दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा विभाग देख रही हैं। बावजूद इस तरह के सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि विधायक दल की बैठक में पार्टी का नेता और दिल्ली का अगला सीएम चुने जाने के बाद आतिशी ने अपने पहले ही बयान में कहा कि दिल्ली का सीएम सीएम एक ही है, उसका नाम अरविंद केजरीवाल है। दिल्ली की नई सीएम के इस बयान पर बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने भी तंज कसा। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने आतिशी को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आतिशी को बधाई देती हूं। उनकी पार्टी ने उन्हें अगला मुख्यमंत्री चुना है। मगर, उनके बयानों से निराश हूं। उन्होंने कहा है कि दिल्ली में सिर्फ एक ही मुख्यमंत्री है, अरविंद केजरीवाल। क्या इसका मतलब ये है कि आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा, मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं? क्या केजरीवाल बिना किसी जिम्मेदारी के सत्ता का आनंद लेंगे? बांसुरी स्वराज के साथ ही आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी आतिशी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा किदिल्ली की नई मुख्यमंत्री चुनी गईं आतिशी कठपुतली होंगी। दिल्ली के लिए बहुत दुखद दिन है। जिनके परिवार ने आतंकी अफजल गुरु को फांसी की सजा से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी, वो मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं।स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि आतिशी के माता-पिता ने देश के राष्ट्रपति को कई बार दया याचिका भेजी थी। इसमें कहा था कि अफजल गुरु को फांसी न दी जाए। वह निर्दोष है। वो राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है। आतिशी मुख्यमंत्री बनेंगी लेकिन सभी जानते हैं कि वह कठपुतली मुख्यमंत्री होंगी। इससे पहले भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने इसे लेकर कहा कि आम आदमी पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह महिलाओं को कठपुतली समझती है क्योंकि सौरभ भारद्वाज कह रहे थे कि नया मुख्यमंत्री कठपुतली होगा। दिल्ली की जनता इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक कठपुतली/अस्थायी व्यक्ति को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उन्हें अपनी पार्टी पर भरोसा नहीं है। इसलिए वह किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं जो पार्टी में उनसे कमजोर हो। वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल के अपनी कुर्सी आतिशी को सौंपने पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तंज कसा। उन्होंने अपने एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, 'दिल्ली को राबड़ी देवी मुबारक हो'। जीतन राम मांझी का ये पोस्ट कई मायने में काफी कुछ कहता है। जीतन राम मांझी की ओर से ये बात इसलिए कही गई क्योंकि जब लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने जेल भेजा तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की सत्ता सौंप कर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। कहा जाता है पर्दे के पीछे से लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी के जरिए बिहार की सत्ता चलाई। सियासी गलियारे में ऑफ द रिकॉर्ड राबड़ी देवी की चर्चा एक डमी मुख्यमंत्री के रूप में होती है। यानी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहीं ना कहीं आतिशी को एक डमी मुख्यमंत्री बताने की कोशिश कर रहे थे।
भारत ने क्यों जारी किया पाकिस्तान को नोटिस, क्या सिंधु जल संधि से लग हो रहे दोनों देश?

#indiamodigovernmentsendnoticetopakistan

भारत सरकार ने सिंधु जल संधि में बदलाव की मांग की है। भारत सरकार ने इस संबंध में पाकिस्तान को एक नोटिस भी भेजा है। इस नोटिस में कहा गया कि मौजूदा हालातों को देखते हुए सिंधु जल संधि को बरकरार रखना संभव नहीं। भारत ने इस सिंधु जल संधि में बदलाव किए जाने की भी बात कही है। यह समझौता दोनों देशों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे के बारे में है। भारत का कहना है कि इस समझौते के बाद से बहुत कुछ बदल गया है, इसलिए इसमें बदलाव की जरूरत है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने 30 तारीख को भारत ने सिंधु जल समझौता की समीक्षा और संशोधन की मांग करते हुए पाकिस्तान को नोटिस दिया है। संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत, इसकी व्यवस्थाओं को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच बातचीत के जरिए संशोधित किया जा सकता है। भारत का कहना है कि जब यह समझौता हुआ था, तब की स्थिति अब नहीं है। देश की जनसंख्या बढ़ गई है, खेती के तरीके बदल गए हैं और हमें पानी का इस्तेमाल ऊर्जा बनाने के लिए भी करना है।

भारत ने कहा- संधि पर दोबारा से सोचने की जरूरत

भारत ने इस नोटिस में पाकिस्तान की ओर से लगातार जारी आतंकवादी गतिविधियों का भी जिक्र किया और कहा कि पाकिस्तान भारत की उदारता का अनुचित लाभ उठा रहा है, और ऐसे में इस संधि पर दोबारा से सोचने की जरूरत है।

सिंधु जल संधि क्या है?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक द्विपक्षीय समझौता है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 में कराची में हुई थी। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। संधि के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इस संधि के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों के पानी का बंटवारा होता है। इन नदियों में व्यास, रावी, सतलज, झेलम, चिनाब और सिंधु नदियां शामिल हैं। इस समझौते के अनुसार पूर्वी क्षेत्रों की नदियों व्यास, रावी और सतलज कर नियंत्रण का अधिकार भारत को मिला। भारत इन नदियों से विद्युत निर्माण, सिंचाई और जल संसाधन से जुड़ी कई योजनाओं को संचालित कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर पश्चिमी क्षेत्रों की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम पर नियंत्रण के अधिकार पाकिस्तान को दिया गया। पाकिस्तान में इन्हीं नदियों के पानी से बिजली निर्माण और सिंचाई के काम किए जाते हैं। इस संधि के कारण भारत, पाकिस्तान को कुल जल का 80.52% यानी 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना देता है। यही कारण है कि यह दुनिया की सबसे उदार संधि कही जाती है।

पाकिस्तान के लिए क्यों अहम है यह संधि?

इस संधि के टूटने से पाकिस्तान के एक बड़े भूभाग पर रेगिस्तान बनने का खतरा मंडराने लगेगा। इसके अलावा अगर इस संधि को तोड़ा जाता है तो पाकिस्तान पर बहुत बड़ा कूटनीतिक दबाव पड़ सकता है। इसके साथ ही पाकिस्तान में संचालित हो रही अरबों रुपये की विद्युत परियोजनाएं भी बंद होने की कगार पर आ जाएंगी और करोड़ों लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पाएगा।

विवाद किस बात को लेकर है?

सिंधु जल संधि में विवाद भारत की दो पनबिजली परियोजनाओं को लेकर है। दरअसल, सिंधु की सहायक नदियों पर बनने वाली 330 मेगावाट की किशनगंगा पनबिजली परियोजना का निर्माण 2007 में शुरू हुआ था। इसी बीच 2013 में चिनाब पर बनने वाले रातले पनबिजली संयंत्र की आधारशिला रखी गई थी। पाकिस्तान ने इन दो परियोजनाओं का विरोध किया और कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया है। किशनगंगा परियोजना को लेकर पाकिस्तान ने दावा किया कि इसके कारण पाकिस्तान में बहने वाले पानी रुकता है।

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को मिली मंजूरी, मोदी कैबिनेट में प्रस्ताव पास हुआ, जानें आगे क्या होगा

#pm_modi_cabinet_approves_proposal_for_one_nation_one_election

एक देश एक चुनाव को आज मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। वन नेशन वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी जिसके चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति राममानथ कोविंद थे। कोविंद ने अपनी रिपोर्ट आज मोदी कैबिनेट को दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट पर कैबिनेट मीटिंग में चर्चा की गई, जिसके बाद उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया गया। इससे पहले इसी साल मार्च में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 'एक देश एक चुनाव' को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी।

माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लाएगी। हालांकि, ये संविधान संशोधन वाला बिल है और इसके लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है।

मंगलवार को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर बड़ा ऐलान किया था। शाह ने कहा था कि मोदी सरकार इसी कार्यकाल में ‘एक देश एक चुनाव’ लागू करेगी. इससे पहले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में भी ‘एक देश एक चुनाव’ के वादे को शामिल किया था।

वहीं, पिछले महीने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, प्रधान मंत्री ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की जोरदार वकालत की और तर्क दिया कि बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति में बाधाएं पैदा कर रहे हैं। मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था, 'देश को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लिए आगे आना होगा।'' प्रधानमंत्री ने राजनीतिक दलों से लाल किले से और राष्ट्रीय तिरंगे को साक्षी मानकर देश की प्रगति सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने पार्टियों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग आम आदमी के लिए किया जाए और कहा, 'हमें 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के सपने को साकार करने के लिए आगे आना होगा।'

इससे पहले मार्च में 'वन नेशन वन इलेक्शन' यानी 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की संभावना पर विचार करने के लिए बनी उच्चस्तरीय समिति ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने इसी साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट में आने वाले वक्त में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ-साथ नगरपालिकाओं और पंचायत चुनाव करवाने के मुद्दे से जुड़ी सिफारिशें दी गई। 191 दिनों में तैयार इस 18,626 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार समिति के साथ साझा किए थे जिनमें से 32 राजनीतिक दल 'वन नेशन वन इलेक्शन' के समर्थन में थे। रिपोर्ट में कहा गया है, "केवल 15 राजनीतिक दलों को छोड़कर शेष 32 दलों ने न केवल साथ-साथ चुनाव प्रणाली का समर्थन किया बल्कि सीमित संसाधनों की बचत, सामाजिक तालमेल बनाए रखने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए ये विकल्प अपनाने की ज़ोरदार वकालत की।"

इसके अलावा, विधि आयोग सरकार के सभी तीन स्तरों लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। वह सदन में अविश्वास प्रस्ताव या अनिश्चितकाल तक बहुमत नहीं होने की स्थिति में एकता सरकार का प्रावधान करने की सिफारिश कर सकता है।

क्या मोसाद ने पेजर में बम लगाकर धमाके कराए? लेबनान पहुंचने से पहले ही प्लांट किया गया विस्फोटक

#pager_blast_in_lebanon_israel_complex_operation

लेबनान में मंगलवार को पेजर में मंगलवार को हुए धमाके के पीछे इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ बताया जा रहा है। लेबनान के एक वरिष्ठ सुरक्षा सूत्र के हवाले से रॉयटर्स ने दावा किया है कि इजरायली एजेंसी मोसाद ने इन पेजर्स में विस्फोटक लगाया था। रिपोर्ट कहती है कि मंगलवार को जिन पेजर में विस्फोट हुए उनको महीनों पहले हिजबुल्लाह ने ऑर्डर किया। ये 5,000 पेजर ताइवान में बने थे और सभी पेजर के अंदर थोड़ा-थोड़ा विस्फोटक था। एक पेजर में करीब तीन ग्राम विस्फोटक रखा गया था। 

ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मोसाद ने 5000 पेजर्स में विस्फोटक लगाए थे। ये पजेर्स कोड की मदद से ऑपरेट होते हैं। इन्हें इस साल की शुरुआत में लेबनान भेजा गया। मंगलवार को इन पेजर्स पर एक मैसेज आया जिसने विस्फोटक को एक्टिवेट कर दिया। इन विस्फोटक को मंगलवार शाम ट्रिगर किया गया, जिसके बाद ये सारे पेजर्स फटने लगे और लेबनान खासकर हिजबुल्लाह में दहशत फैल गई। हमले में 12 लोगों की मौत हो गई। इस हमले में 3000 से ज्यादा घायल हुए हैं। इनमें लेबनान में मौजूद ईरान के राजदूत भी शामिल हैं। दूसरी तरफ सीरिया में भी कुछ पेजर्स में धमाके हुए। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 14 घायल हुए।

वही, द न्यूयॉर्क टाइम्स की इस ऑपरेशन की जानकारी रखने वाले अमेरिकी और दूसरे अधिकारियों के हवाले से बताया है कि हिजबुल्लाह ने ताइवान में गोल्ड अपोलो को पेजर का ऑर्डर दिया था। इन पेजर्स के लेबनान पहुंचने से पहले ही इस विस्फोटक प्लांट कर दिए गए। द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इजरायल ने ताइवान से आए लेबनान पहुंचने से पहले पेजर की खेप को रोका और उसमें 3-3 ग्राम विस्फोटक प्लांट कर दिए। विस्फोटकों की मात्रा इतनी कम इसलिए रखी गई कि वह छोटे से पेजर डिवाइस में आसानी से फिट की जा सके और किसी को उससे छेड़छाड़ का शक न हो।

बता दें कि इसी साल फरवरी में हिजबुल्लाह ने एक युद्ध योजना तैयार की और मोबाइल की जगह पेजर के इस्तेमाल का फैसला लिया। हिजबुल्लाह ने अपने सदस्यों को पेजर बांटने का फैसला लिया था। ऐसे में पेजर को ही हिजबुल्लाह को नुकसान पहुंचाने के लिए चुना गया और एक बड़े ऑपरेशन के तहत पेजर के जरिए विस्फोटक पूरे लेबनान में पहुंचाकर विस्फोट कर दिया गया।

इस बीच ब्लास्ट को लेकर हिजबुल्लाह की तरफ से बयान जारी किया गया है। इस बयान में उसने धमाके के लिए सीधे तौर पर इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है, साथ ही उस पर साजिश रचने का आरोप लगाया है। हालांकि अभी तक हिजबुल्लाह की तरफ से इन आरोपों का कोई सबूत पेश नहीं किया गया। खास बात ये है कि इजराइल ने भी हिज्बुल्लाह के आरोपों का खंडन नहीं किया है।

अरुणाचल प्रदेश में बॉर्डर के पास चीन बना रहा नया हेलीपोर्ट, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

#china_developing_new_helipad_at_arunachal_border 

चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन एक तरफ भारत के साथ स्थिति सामान्य करने की बात करता है, दूसरी तरफ वह सीमा पर लगातार अपना सैन्य ढांचा मजबूत करने में लगा हुआ है। एक के बाद एक ऐसी हरकत करता जा रहा है, जिससे भारत को आपत्ति हो सकती है। अब चीन अरुणाचल बॉर्डर के पास तैयार कर रहा नया हेलीपोर्टबना रहा है।सैटेलाइट इमेजर से चीन की इस नापाक चालों का खुलासा हुआ है।सैटेलाइट इमेजरी के विशेषज्ञ डेमियन साइमन ने अपने एक्स हैंडल पर इस बारे में जानकारी दी है।

एक्स पर एक पोस्ट में साइमन ने बताया है कि अरुणाचल प्रदेश के फिशटेल्स सेक्टर के पास एक नया हेलीपोर्ट बना रहा है, जो भारतीय सीमा से महज 20 किमी की दूरी पर है। इस सुविधा से चीन की अग्रिम चौकियों पर सैनिकों को तेजी से भेजने की क्षमता में वृद्धि होगी और सीमा पर उसकी गश्त में सुधार होगा।

चीन ने इसके पहले जुलाई में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो पर अपने कब्जे वाले क्षेत्र में एक पुल का निर्माण पूरा किया था, जिससे उसके लिए क्षेत्र सैनिकों की आवाजाही आसान हो गई है। सैटेलाइट इमेज ने बताया था कि जुलाई महीने में ही चीन ने ब्लैक टॉपिंग का काम पूरा कर लिया था। चीनी सेना के पुल निर्माण के बारे में जनवरी 2022 में सबसे पहले जानकारी आई थी। यह पुल झील के सबसे संकरे हिस्से पर बनाया गया है।जुलाई में बनकर तैयार हुआ पुल चीनी सेना की गतिशीलता को बढ़ाता है। इसके साथ ही यह तुरंत ऑपरेशन शुरू करने के लिए आवश्यक समय को कम करने में मदद करता है। यह चीनी सैनिकों को उनके टैंकों के साथ रेजांग ला के क्षेत्रों तक पहुंचने में मदद करेगा। यह वही इलाका है, जहां 2020 भारत ने चीनियों को मात दी थी

भारत-चीन के बीच लगातार सीमा पर तनाव के हालात हैं। मई 2020 के बाद यह तनाव और बढ़ गया जब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई है। इस झड़प में दोनों पक्षों के कई सैनिक मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के संबंध भी खराब हो गए थे, जो आज तक अच्छे नहीं हैं। हालांकि, तनाव कम करने को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

बता दें कि भारत चीन के साथ 3488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। दोनों देशों के बीच कई इलाकों को लेकर अभी मतभेद हैं। चीन इनमें से अधिकांश हिस्से पर दावा करता है लेकिन भारत कुछ हिस्सों पर उसके दावे को लगातार खारिज करता रहा है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद एक बड़ी समस्या है।

क्या है “पेजर” जिसके धमाके से दहल गया हिजबुल्लाह, मोबाइल की जगह क्यों हो रहा था इस्तेमाल?*
#what_is_pager_how_pager_blast_happens_in_lebanon लेबनान में एक ही समय में हुए हजारों पेजर अटैक से सनसनी फैल गई है। लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार को एक साथ एक वक्त पर हजारों ब्लास्ट हुए। इससे शहरभर में अफरा-तफरी मच गई। हजारों सीरियल ब्लास्ट में 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। अबतक 12 लोगों की मौत हो गई। इतनी बड़ी संख्या में धमाकों के बाद से सड़क, घर और दुकानों में चीख-पुकार मच गई। धमाकों के बाद अस्पतालों में घायलों के इलाज के लिए भीड़ लग गई। इस हमले के पीछे हिजबुल्लाह ने इजराइल का हाथ बताया और अपने सदस्यों व लड़ाकों को पेजर्स से दूर रहने की सलाह दी है। *पेजर क्या है?* इस इस पूरे मामले के बाद सवाल उठ रहे है कि ये पेजर क्या है और हिजबुल्लाह के लड़ाके इसका क्यों इस्तेमाल कर रहे थे? पेजर एक छोटी कम्युनिकेशन डिवाइस है, जो मैसेजिंग के लिए इस्तेमाल होती है। पेजर रेडियो वेव्स के जरिये ऑपरेट होता है। ऑपरेटर किसी रेडियो फ्रीक्वेंसी पर पेजर से मैसेज भेज सकता है। 80 के दशक तक दुनिया भर में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल होता था। हालांकि मोबाइल और दूसरी टेक्नोलॉजी के आने के बाद पेजर लगभग खत्म हो गया, पर हिजबुल्लाह जैसे कई आतंकी संगठन और अपराधी अभी भी पेजर का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि यह मोबाइल या दूसरी कम्युनिकेशन डिवाइस के मुकाबले बहुत सुरक्षित माना जाता है और आसानी से पकड़ में नहीं आता है। *कैसे काम करता है पेजर?* पेजर के जरिए किसी को मैसेज भेजना है तो पहले रिसीवर की रेडियो फ्रीक्वेंसी अपने डिवाइस में सेट करनी होगी और फिर मैसेज भेज सकते हैं। मैसेज उसी यूनिक फ्रीक्वेंसी पर रिसीव होगा। पेजर में कॉलिंग वगैरह की कोई सुविधा नहीं होती है। पेजर मुख्य तौर पर तीन तरह के होते हैं। पहले है वन वे पेजर, जिसमें सिर्फ मैसेज रिसीव किया जा सकता है। दूसरा है टू वे पेजर, जिसमें मैसेज रिसीव करने के साथ-साथ सेंड करने की भी सुविधा होती है और तीसरा है वॉइस पेजर जिसमें वाइस रिकॉर्डेड मैसेज भेजे जा सकते हैं। *हिजबुल्लाह ने इजरायल पर लगाया आरोप* चूंकी, पेजर मोबाइल या दूसरी कम्युनिकेशन डिवाइस के मुकाबले बहुत सुरक्षित माना जाता है और आसानी से पकड़ में नहीं आता यही वजह है कि हिजबुल्लाह के लड़ाके इजरायली हमले से बचने के लिए मोबाइल की जगह पेजर का इस्तेमाल कर रहे थे। हिजबुल्लाह को शक था कि उसके कम्युनिकेशन नेटवर्क के कुछ लोगों को इजरायल ने खरीद लिया है। इसी के बाद इस संगठन में इंटरनल कम्युनिकेशन के लिए मोबाइल को बैन कर दिया गया था और उसके मेंबर पेजर से कम्युनिकेट करते थे। अब हिजबुल्लाह को शक है कि इजरायल ने किसी मालवेयर की मदद से उनके पेजर में ब्लास्ट करवाए हैं। खास बात ये है कि लेबनान में ही नहीं सीरिया में भी हिजबुल्लाह के लोग इन धमाकों में घायल हुए हैं। लेबनान में ईरान के राजदूत भी घायल हुए हैं। लेबनान के हॉस्पिटल इन धमाकों में घायल हुए लोगों से भरे पड़े हैं। *पेजर से छेड़छाड़ कैसे हुई?* इस पूरे मामले के बाद पेजर पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं, कि पेजर से छेड़छाड़ कैसे हुई, वे कौन से पेजर हैं जो हिजबुल्लाह के लड़ाके यूज कर रहे थे। इसको लेकर जो जानकारी सामने आई है उससे पता चला है कि ये पेजर ताइवान से लाए गए थे। हिजबुल्लाह ने ताइवान की कंपनी ‘गोल्ड अपोलो’ से ये पेजर लिए थे, इनकी कीमत करीब 200 डॉलर बताई जा रही है। हिजबुल्लाह की शुरुआती जांच में पता चला है कि ताइवान से जब पेजर शिपमेंट लेबनान पहुंचा तो बीच में तीन महीने के लिए ये शिपमेंट होल्ड पर था. कहा जा रहा है इसी दौरान इजराइली एजेंसी पेजर से छेड़-छाड़ करने में कामयाब रही है। यानी जब शिपमेंट होल्ड पर था, तब इजराइल के एजेंट्स ने इन पेजर्स में विस्फोटक लगा दिया। मंगलवार को जब अचानक ये पेजर फटना शुरू हुए तो उससे पहले सभी पेजर पर Error का मैसेज आया। Error मैसेज के बाद वो वाइब्रेट करने लगा और हीट होने लगा। कुछ लोगों ने पेजर हीट होने पर उसे खुद से दूर भी रख दिया, लेकिन ज्यादातर लोग क्योंकि इसे जेब में रखते थे, ऐसे में जैसी ही ब्लास्ट हुआ तो इससे बड़ा नुकसान हो गया।
लेबनान में हिजबुल्लाह पर पेजर हमला, अब तक 12 की मौत, हजारों लोग घायल

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लेबनान में हिजबुल्लाह के लड़ाकों और सदस्यों पर हुए पेजर हमले ने दुनिया भर में सनसनी फैला दी है। लेबनान में मंगलवार को हुए सीरियल पेजर ब्लास्ट में अब तक 12 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 2700 से अधिक हिजबुल्लाह के लड़ाके घायल हुए हैं।इस घटना में ईरान के राजदूत मोजतबा अमानी भी घायल हो गए। हिजबुल्लाह ने कहा है कि मौतों का आंकड़ा 12 हो गया है। इसके अलावा हिजबुल्लाह ने अक्टूबर से जारी लड़ाई के बीच इजराइल के मारे गए 453 सदस्यों के नाम भी बताए हैं।

लेबनान में मंगलवार दोपहर को हिजबुल्लाह के पेजर फट गए। लेबनान के दक्षिणी हिस्से में कई पेजर एक के बाद एक फटे हैं। यह धमाके करीब 3:45 बजे हुए और यह सिलसिलेवार रूप से होते रहे। यह विस्फोट इतने बड़े स्तर पर हुआ कि हिजबुल्लाह को समझ ही नहीं आया कि आखिर हुआ क्या। लेबनान में जो भी व्यक्ति पेजर का इस्तेमाल कर रहा था, वो विस्फोट का शिकार बना। दरअसल, हिजबुल्लाह लड़ाके इजरायल के हमले से बचने के लिए पेजर का इस्तेमाल करते हैं। उन्हें लगता था कि पेजर को हैक नहीं किया जा सकता है और वह सुरक्षित हैं।

हिजबुल्लाह ने इजरायल पर लगाया आरोप

लेबनानी सेना के खुफिया विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी और स्थिति की जानकारी रखने वाले हिजबुल्लाह के एक नेता ने दावा किया है कि अधिकतर वही पेजर फटे हैं, जिनका इस्तेमाल हिजबुल्लाह लड़ाके करते हैं। दूसरे अधिकारी ने बताया कि माना जा रहा है कि यह हमला इजरायल ने किया है। हालांकि, इजरायली सेना ने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है। सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में बेरूत के दक्षिणी उपनगरों से प्रसारित तस्वीरों व वीडियो में लोग फुटपाथ पर पड़े हुए दिखाई दिए। तस्वीरों में उनके हाथों पर या उनकी पैंट की जेबों के पास घाव देखे जा सकते हैं।

इजरायल-हमास जंग के बीच ये घटना

यह घटना हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच चल रही हिंसा के बीच हुई है। इजरायल और गाजा में हिजबुल्लाह के सहयोगी हमास के बीच युद्ध जारी है। इस पृष्ठभूमि में लेबनान के चरमपंथी समूह हिजबुल्लाहह और इजरायली सेना के बीच 11 महीने से ज़्यादा समय से लगभग रोज़ाना झड़पें हो रही हैं। झड़पों में लेबनान और इजरायल में में सैकड़ों लोग मारे गए हैं और सीमा के दोनों ओर हज़ारों लोग विस्थापित हुए हैं।

पेजर क्या है

पेजर एक तरह का संचार उपकरण है, जो पेजिंग नेटवर्क से रेडियो सिग्नल प्राप्त करता है। एक पेजर (जिसे बीपर के रूप में भी जाना जाता है) एक वायरलेस दूरसंचार उपकरण है जो अल्फान्यूमेरिक या वॉइस मैसेज प्राप्त करता है, और प्रदर्शित करता है। एक तरफा पेजर केवल संदेश प्राप्त कर सकते हैं, जबकि प्रतिक्रिया पेजर्स और दो-तरफा पेजर आंतरिक ट्रांसमीटर का उपयोग करके संदेशों को स्वीकार, उत्तर और उत्पत्ति भी कर सकते हैं।

*जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावःसुबह 9 बजे 11.11 फीसदी मतदान, किश्तवाड़ में सबसे ज्यादा वोटिंग

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90 विधानसभा सीटों वाले जम्मू-कश्मीर में पहले चरण के लिए आज यानी 18 सितंबर को 24 सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, सुबह 9 बजे तक जम्मू-कश्मीर में 11.11% मतदान हुआ। सबसे ज्यादा किश्तवाड़ में वोटिंग हुई है। वहीं सबसे कम पुलवामा में वोट पड़ें हैं। 

कहां कितने फीसली वोटिंगः-

-किश्तवाड़ में 14.83 फीसदी मतदान

-शोपियां में 11.44 फीसदी

-रामबन में 11.91 फीसदी

-पुलवामा में 9.18 फीसदी

-डोडा में 12.90 फीसदी मतदान हुआ है।

डोनाल्ड ट्रंप ने की पीएम मोदी की जमकर तारीफ, बताया-शानदार इंसान

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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात हो सकती है। डोनाल्ड ट्रंप ने मिशिगन में एक रैली को संबोधित खुद इस बात का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।साथ ही ट्रंप ने पीएम मोदी को शानदार इंसान बताया।

डोनाल्ड ट्रंप 21 से 23 सितंबर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान मुलाकात कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी क्वाड समिट में भाग लेने अमेरिका के विलमिंगटन, डेलावेयर जा रहे हैं। यहीं पर क्वाड की मीटिंग भी प्रस्तावित है। इस सम्मेलन की मेजबानी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन करेंगे। इस मीटिंग में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज और जापानी प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो भी शामिल होंगे। भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका क्वाड के सदस्य हैं। यह संगठन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल को काउंटर करने के लिए गठित किया गया है।

ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी के साथ दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत बनाया था। दोनों की व्यक्तिगत रिश्ते भी काफी मजबूत हुए थे। ह्यूस्टन में हाउडी मोदी और भारत में नमस्ते ट्रंप इसके उदाहरण हैं। दोनों देशों ने रक्षा और रणनीतिक सहयोग में इजाफा किया था। कई व्यापारिक विवादों के बावजूद उनकी साझेदारी मजबूत होती रही।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावःपहले चरण में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी बुधवार को पहले चरण की वोटिंग हो रही है। पहले चरण में साउथ कश्मीर की 16 और जम्मू क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं। जम्मू क्षेत्र की सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस, नेशनल कॉफ्रेंस और निर्दलीयों के बीच है।पहले चरण की वोटिंग में पीडीपी के मजबूत गढ़ में चुनाव है, लेकिन इस बार महबूबा मुफ्ती के लिए अपने सियासी वजूद बचाए रखने की चुनौती है और जम्मू क्षेत्र की सीटें कम होने के चलते बीजेपी से ज्यादा नेशनल कॉफ्रेंस और कांग्रेस की साख दांव पर लगी है। पहले चरण में 24 सीटों पर कुल 219 कैंडिडेट मैदान में हैं।

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और चिनाब वैली के डोडा, किश्तवाड़ व रामबन जिले में हो रहे विधानसभा चुनाव में माकपा के दिग्गज एमवाई तारिगामी, महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती,आतंकी हमले में मारे गए परिहार बंधुओं के फैमिली से शगुन परिहार, नेशनल कॉफ्रेस के नेता सज्जाद अहमद किचलू, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

पहले चरण में इनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है 

इल्तिजा मुफ्ती – दिल्ली और श्रीनगर को मुफ्ती के आगे और पीछे महबूबा या फिर मोहम्मद सईद सुनने और दोहराने की आदत हो गई थी। लेकिन इस चुनाव में इस हवाले से एक नया नाम मिला – इल्तिजा महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा परिवार के गढ़ श्रीगुफवारा-बिजबेहारा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उनके सामने नेशनल कांफ्रेंस के बशीर वीरी हैं। 37 साल की इल्तिजा राजनीति में तब दाखिल हो रही हैं जब पीडीपी (पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) के सितारे गर्दिश में हैं। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जब महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया, तब से ही इल्तिजा अपनी मां का पक्ष मीडिया में रखती रही हैं। मगर अब वह चुनावी मैदान में हैं।

वहीद उर रहमान पारा – यूएपीए के तरह 19 महीने जेल में बिताने के बाद वहीद उर रहमान पारा पुलवामा विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। पारा पिछले लोकसभा चुनाव में श्रीनगर से पीडीपी के कैंडिडेट थे मगर वह नेशनल कांफ्रेंस के आगा सईद मेहंदी को हरा नहीं सके। अब विधानसभा चुनाव में वहीद का मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के मोहम्मद खलील से है. खलील एनसी जॉइन करने से पहले पीडीपी में ही हुआ करते थे। खलील के अलावा तलत माजिद के खड़े हो जाने से यहां चुनाव रोचक हो गया है। काफी पढ़े-लिखे, पीएचडी की डिग्री रखने वाले माजिद को प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी और इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी का भी साथ मिल रहा है।

गुलाम अहमद मीर – जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके गुलाम अहमद मीर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले की डुरू सीट से मीर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मीर दो बार विधायक रह चुके हैं। मीर के कद का अंदाजा इससे भी लगाया जाना चाहिए कि राहुल गांधी ने सूबे में प्रचार अभियान की शुरुआत इन्हीं के सीट से की। मीर का यहां मुकाबला पीडीपी के मोहम्मद अशरफ मलिक से है। मीर पिछले विधानसभा चुनाव में यहां महज 161 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। तब पीडीपी के सईद फारूक अहमद अंद्राबी ने जीत दर्ज किया था।

एमवाई तारिगामी – 1996 के विधानसभा चुनाव ही से दक्षिण कश्मीर की कुलगाम सीट पर मोहम्मद यूसुफ पार्टी का लाल पताका फहराये हुए हैं। अगर इस दफा भी वह चुनाव जीतते हैं तो यह उनकी लगातार चौथी जीत होगी। गठबंधन की वजह से तारिगामी को कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का समर्थन हासिल है। उनके सामने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सयर अहमद रेशी के खड़े हैं। रेशी को प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी और इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी का समर्थन हासिल है।

विकार रसूल वानी – कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन में होते हुए भी कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट में हैं। इन्ही में से एक सीट है, रामबन जिले की बनिहाल। इस सीट से जम्मू कश्मीर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष विकार रसूल वानी ताल ठोक रहे हैं। रसूल वही नेता हैं जिनके एक बयान की वजह से इस चुनाव में एनसी और कांग्रेस के बीच दरार की स्थिति तक आ गई। रसूल वानी ने अपने चुनाव प्रचार में कह दिया कि नेशनल कांफ्रेंस के झंडे का लाल रंग कश्मीरियों, खासकर बनिहाल के लोगों के खून से सना है। वानी का मुकाबला बनिहाल में पीडीपी के इमतियाज अहमद, नेशनल कांफ्रेंस के सजाद शाहीन और बीजेपी के सलीम भट्ट से है। 

शगुन परिहार – जम्मू संभाग के अंतर्गत आने वाली किश्तवाड़ सीट की चर्चा भाजपा उम्मीदवार शगुन परिहार की वजह से खूब है। इसकी वजह है शगुन का एक खास परिचय। उनके पिता और चाचा की आतंकी हमले में जान चली गई थी। शगुन के चाचा अनिल परिहार जम्मू कश्मीर भाजपा के सचिव थे। 6 साल पहले, नवंबर 2018 में उनकी शगुन के पिता अजीत परिहार के साथ हत्या कर दी गई थी। शगुन का यहां मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के सज्जाद अहमद और पीडपी के फिरदौस अहमद से है।

सकीना मसूद इट्टू – पहले चरण के चुनाव के लिए नेशनल कांफ्रेंस ने जिन दो महिलाओं को टिकट दिया, उनमें एक सकीना इट्टू का था। सकीना दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले की डीएच पोरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। सकीना पहले नूराबाद सीट से 1996 और 2008 में विधायक रह चुकी हैं. सकीना से पहले उनके पिता वाली मोहम्मद इट्टू इस सीट से चुनाव जीता करते थे। वह 1972 से लेकर 1994 में उनकी हत्या हो जाने तक लगातार 4 बार इस सीट से विधायक चुने गए। उनकी विरासत मेडिकल की पढ़ाई कर रही सकीना ने संभाला। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह कम से कम 15 बार आतंकियों के निशाने से बची हैं। इट्टू का मुकाबला यहां पीडीपी के गुलजार अहमद डार से है।

हरबक्श सिंह – जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार 2020 में डीडीसी चुनाव हुआ था। वोटिंग तो 280 सदस्यों को चुनने के खातिर हुई मगर एक नतीजे की चर्चा दूर तलक गई। दक्षिण कश्मीर के त्राल में डीडीसी सदस्य के तौर पर हरबक्श सिंह की जीत इतिहास रचने वाली थी। बतौर पीडीपी कैंडिडेट वह पहले सिख नेता थे जिन्होंने मुस्लिम बाहुल्य त्राल में जीत दर्ज किया था। मगर इस विधानसभा चुनाव में वह इंजीनियर राशिद की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने भी यहां एक सिख नेता, सुरिंदर सिंह चन्नी को उतारा है। मगर नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी भट्ट का निर्दलीय चुनाव लड़ना चन्नी की मुसीबतें बढ़ा सकता है और इसका फायदा हरबक्श सिंह को मिल सकता है।