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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावःपहले चरण में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी बुधवार को पहले चरण की वोटिंग हो रही है। पहले चरण में साउथ कश्मीर की 16 और जम्मू क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं। जम्मू क्षेत्र की सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस, नेशनल कॉफ्रेंस और निर्दलीयों के बीच है।पहले चरण की वोटिंग में पीडीपी के मजबूत गढ़ में चुनाव है, लेकिन इस बार महबूबा मुफ्ती के लिए अपने सियासी वजूद बचाए रखने की चुनौती है और जम्मू क्षेत्र की सीटें कम होने के चलते बीजेपी से ज्यादा नेशनल कॉफ्रेंस और कांग्रेस की साख दांव पर लगी है। पहले चरण में 24 सीटों पर कुल 219 कैंडिडेट मैदान में हैं।

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और चिनाब वैली के डोडा, किश्तवाड़ व रामबन जिले में हो रहे विधानसभा चुनाव में माकपा के दिग्गज एमवाई तारिगामी, महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती,आतंकी हमले में मारे गए परिहार बंधुओं के फैमिली से शगुन परिहार, नेशनल कॉफ्रेस के नेता सज्जाद अहमद किचलू, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

पहले चरण में इनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है 

इल्तिजा मुफ्ती – दिल्ली और श्रीनगर को मुफ्ती के आगे और पीछे महबूबा या फिर मोहम्मद सईद सुनने और दोहराने की आदत हो गई थी। लेकिन इस चुनाव में इस हवाले से एक नया नाम मिला – इल्तिजा महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा परिवार के गढ़ श्रीगुफवारा-बिजबेहारा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उनके सामने नेशनल कांफ्रेंस के बशीर वीरी हैं। 37 साल की इल्तिजा राजनीति में तब दाखिल हो रही हैं जब पीडीपी (पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) के सितारे गर्दिश में हैं। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जब महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया, तब से ही इल्तिजा अपनी मां का पक्ष मीडिया में रखती रही हैं। मगर अब वह चुनावी मैदान में हैं।

वहीद उर रहमान पारा – यूएपीए के तरह 19 महीने जेल में बिताने के बाद वहीद उर रहमान पारा पुलवामा विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। पारा पिछले लोकसभा चुनाव में श्रीनगर से पीडीपी के कैंडिडेट थे मगर वह नेशनल कांफ्रेंस के आगा सईद मेहंदी को हरा नहीं सके। अब विधानसभा चुनाव में वहीद का मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के मोहम्मद खलील से है. खलील एनसी जॉइन करने से पहले पीडीपी में ही हुआ करते थे। खलील के अलावा तलत माजिद के खड़े हो जाने से यहां चुनाव रोचक हो गया है। काफी पढ़े-लिखे, पीएचडी की डिग्री रखने वाले माजिद को प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी और इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी का भी साथ मिल रहा है।

गुलाम अहमद मीर – जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके गुलाम अहमद मीर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले की डुरू सीट से मीर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मीर दो बार विधायक रह चुके हैं। मीर के कद का अंदाजा इससे भी लगाया जाना चाहिए कि राहुल गांधी ने सूबे में प्रचार अभियान की शुरुआत इन्हीं के सीट से की। मीर का यहां मुकाबला पीडीपी के मोहम्मद अशरफ मलिक से है। मीर पिछले विधानसभा चुनाव में यहां महज 161 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। तब पीडीपी के सईद फारूक अहमद अंद्राबी ने जीत दर्ज किया था।

एमवाई तारिगामी – 1996 के विधानसभा चुनाव ही से दक्षिण कश्मीर की कुलगाम सीट पर मोहम्मद यूसुफ पार्टी का लाल पताका फहराये हुए हैं। अगर इस दफा भी वह चुनाव जीतते हैं तो यह उनकी लगातार चौथी जीत होगी। गठबंधन की वजह से तारिगामी को कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का समर्थन हासिल है। उनके सामने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सयर अहमद रेशी के खड़े हैं। रेशी को प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी और इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी का समर्थन हासिल है।

विकार रसूल वानी – कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन में होते हुए भी कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट में हैं। इन्ही में से एक सीट है, रामबन जिले की बनिहाल। इस सीट से जम्मू कश्मीर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष विकार रसूल वानी ताल ठोक रहे हैं। रसूल वही नेता हैं जिनके एक बयान की वजह से इस चुनाव में एनसी और कांग्रेस के बीच दरार की स्थिति तक आ गई। रसूल वानी ने अपने चुनाव प्रचार में कह दिया कि नेशनल कांफ्रेंस के झंडे का लाल रंग कश्मीरियों, खासकर बनिहाल के लोगों के खून से सना है। वानी का मुकाबला बनिहाल में पीडीपी के इमतियाज अहमद, नेशनल कांफ्रेंस के सजाद शाहीन और बीजेपी के सलीम भट्ट से है। 

शगुन परिहार – जम्मू संभाग के अंतर्गत आने वाली किश्तवाड़ सीट की चर्चा भाजपा उम्मीदवार शगुन परिहार की वजह से खूब है। इसकी वजह है शगुन का एक खास परिचय। उनके पिता और चाचा की आतंकी हमले में जान चली गई थी। शगुन के चाचा अनिल परिहार जम्मू कश्मीर भाजपा के सचिव थे। 6 साल पहले, नवंबर 2018 में उनकी शगुन के पिता अजीत परिहार के साथ हत्या कर दी गई थी। शगुन का यहां मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के सज्जाद अहमद और पीडपी के फिरदौस अहमद से है।

सकीना मसूद इट्टू – पहले चरण के चुनाव के लिए नेशनल कांफ्रेंस ने जिन दो महिलाओं को टिकट दिया, उनमें एक सकीना इट्टू का था। सकीना दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले की डीएच पोरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। सकीना पहले नूराबाद सीट से 1996 और 2008 में विधायक रह चुकी हैं. सकीना से पहले उनके पिता वाली मोहम्मद इट्टू इस सीट से चुनाव जीता करते थे। वह 1972 से लेकर 1994 में उनकी हत्या हो जाने तक लगातार 4 बार इस सीट से विधायक चुने गए। उनकी विरासत मेडिकल की पढ़ाई कर रही सकीना ने संभाला। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह कम से कम 15 बार आतंकियों के निशाने से बची हैं। इट्टू का मुकाबला यहां पीडीपी के गुलजार अहमद डार से है।

हरबक्श सिंह – जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार 2020 में डीडीसी चुनाव हुआ था। वोटिंग तो 280 सदस्यों को चुनने के खातिर हुई मगर एक नतीजे की चर्चा दूर तलक गई। दक्षिण कश्मीर के त्राल में डीडीसी सदस्य के तौर पर हरबक्श सिंह की जीत इतिहास रचने वाली थी। बतौर पीडीपी कैंडिडेट वह पहले सिख नेता थे जिन्होंने मुस्लिम बाहुल्य त्राल में जीत दर्ज किया था। मगर इस विधानसभा चुनाव में वह इंजीनियर राशिद की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने भी यहां एक सिख नेता, सुरिंदर सिंह चन्नी को उतारा है। मगर नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी भट्ट का निर्दलीय चुनाव लड़ना चन्नी की मुसीबतें बढ़ा सकता है और इसका फायदा हरबक्श सिंह को मिल सकता है।

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव, 24 सीटों पर वोटिंग जारी, मतदाताओं मे दिख रहा उत्साह*
#jammu_kashmir_assembly_election_2024_first_phase_voting
जम्मू कश्मीर में बीते 10 सालों में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। आज पहले चरण के तहत कुल 7 जिलों में मतदान है। जम्मू क्षेत्र के 3 जिलों और कश्मीर घाटी के 4 जिलों में कुल 24 सीटों पर 90 निर्दलीयों सहित 219 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।मतदान केंद्रों पर मतदाता अपनी बारी का इंतजार करते हुए कतार में खड़े देखे जा रहे हैं। आज जिन निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हो रहा है उनमें पंपोर, त्राल, पुलवामा, राजपोरा, जैनापोरा, शोपियां, डीएच पोरा, कुलगाम, देवसर, दोरू, कोकेरनाग (एसटी), अनंतनाग पश्चिम, अनंतनाग, श्रीगुफवारा-बिजबेहरा, शांगस-अनंतनाग पूर्व, पहलगाम, इंदरवाल, किश्तवाड़, पैडर-नागसेनी, भद्रवाह, डोडा, डोडा पश्चिम, रामबन और बनिहाल शामिल हैं। बता दें कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव है। *मैदान में 219 उम्मीदवार* जम्मू-कश्मीर के सात जिलों की 24 विधानसभा सीट पर आज वोटिंग होनी है, जिसके लिए कुल 219 उम्मीदवार मैदान में हैं.विस्थापित कश्मीरी पंडित दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम जिले के 16 विधानसभा क्षेत्रों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। पहले चरण के चुनाव में कश्मीरी पंडित समुदाय के छह उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। संजय सराफ अनंतनाग सीट से लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। इसके साथ ही शंगस-अनंतनाग विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के वीर सराफ, अपनी पार्टी के एमके योगी और निर्दलीय दिलीप पंडित मैदान में हैं। वहीं, रोजी रैना (रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया) और अरुण रैना (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) क्रमश: राजपोरा और पुलवामा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। *चप्‍पे-चप्‍पे पर सेना-अर्धसैनिक बल और पुलिस का पहरा* जम्‍मू-कश्‍मीर चुनाव को देखते हुए इस वक्‍त घाटी में चप्‍पे-चप्‍पे पर सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों का पहला है। कड़ी सुरक्षा व्‍यवस्‍था के बीच आज पहले चरण की वोटिंग हो रही है। कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक वी. के. बिरदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर पुलिस ने विधानसभा चुनाव के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था किए है ताकि अधिक से अधिक लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें।’’ बिरदी ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बल (सीएपीएफ), जम्मू कश्मीर सशस्त्र पुलिस और जम्मू कश्मीर पुलिस के कई बलों को सुरक्षा इंतजाम में लगाया गया है। *पीएम मोदी ने की अपील* जम्मू कश्मीर में जारी वोटिंग को लेकर पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा कि विधानसभा चुनाव का पहला चरण शुरू हो रहा है, मैं उन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में जहां आज मतदान हो रहा है, बड़ी संख्या में मतदान करने और लोकतंत्र के त्योहार को मजबूत करने का आग्रह करता हूं। मैं विशेष रूप से युवा और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं से अपने मताधिकार का प्रयोग करने का आह्वान करता हूं।
मोदी सरकार 3.0 के 100 दिन पूरेःअब तक कितनी सफल रही सरकार, आगे होगीं ये चुनौतियां
#100_days_of_modi_third_term_achievements_and_challenges
9 जून 2024 को नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो गए हैं। मोदी सरकार 3.O के 100 दिन के कार्यकाल में कई अहम कदम उठाए गए लेकिन गठबंधन की मजबूरी के चलते अमलीजामा नहीं पहना सके। इसके बावजूद मोदी सरकार पूरे कॉन्फिडेंस में नजर आ रही है।

*मोदी 3.0 में ये टारगेट पूरे*
- मोदी 3.0 ने अपने कार्यकाल के पहले 100 दिन पूरे कर लिए हैं। सरकार के सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित कई टारगेट को पूरा कर लिया है। 2024 के आम चुनाव के लिए प्रचार अभियान शुरू करने से पहले, पीएम ने अधिकारियों को 100 दिनों का काम सौंपा था। केंद्र ने सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों और वायुमार्गों पर प्राथमिक ध्यान देने के साथ 100 दिनों में 3 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार कैपेक्स को 11.11 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ाने से रोजगार सृजन होगा।
- मोदी सरकार के पहले 100 दिनों में खेती के क्षेत्र में भी सख्ती से काम किया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी कर दी गई। 9.3 करोड़ किसानों को 20,000 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं। अब तक कुल 12 करोड़ 33 लाख किसानों को 3 लाख करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं, 2024-25 के लिए खरीफ फसलों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में वृद्धि हुई है, जिससे देश के 12 करोड़ किसानों को लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का बेनिफिट हुआ है।
- मोदी 3.0 ने 12,100 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ आंध्र प्रदेश में पोलावरम सिंचाई परियोजना को भी मंजूरी दी। केंद्र ने 14,200 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ सात प्रमुख योजनाओं को भी मंजूरी दी है, जिनमें कृषि क्षेत्र में दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए डिजिटल कृषि मिशन शामिल हैं।
- पहले 100 दिनों में व्यापार करने में आसानी और युवाओं के लिए किए गए काम पर भी जोर दिया।सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पहले 100 दिनों में युवाओं के बीच रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 2 लाख करोड़ रुपए के पीएम पैकेज की घोषणा की गई है। लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 41 मिलियन युवाओं को लाभान्वित करना है. 1 करोड़ युवाओं को भत्ते और एकमुश्त सहायता के साथ शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप मिलेगी। 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में सुधार के साथ 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करने का लक्ष्य है। केंद्र सरकार ने 15,000 से अधिक नई नियुक्तियों की घोषणा की है।
- महिला सशक्तिकरण के मोर्चे पर पहले 100 दिनों में पीएम मोदी ने 11 लाख नई लखपति दीदियों को प्रमाणपत्र दिए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब 1 करोड़ से ज्यादा लखपति दीदियां प्रति वर्ष 1 लाख रुपये से ज्यादा कमाती हैं। मुद्रा लोन 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया है।
- प्रधानमंत्री के विकसित आदिवासी ग्राम अभियान के तहत पहले 100 दिनों में 63,000 आदिवासी गांवों का विकास किया जाएगा, जिससे 5 करोड़ आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में 75,000 नई मेडिकल सीटें जोड़ी गई हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने और विदेशी चिकित्सा शिक्षा पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग देश में डॉक्टरों का एक केंद्रीकृत भंडार बनाने के लिए एक राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर तैयार कर रहा है।

*कुछ चुनौतियों के कारण पीछे हटी सरकार*
चुनाव में जब कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं कर पाती तो गठबंधन के माध्यम से सरकार बनाना एक मजबूरी बन जाती है। गुजरात और फिर में केंद्र में लगभग ढाई दशक तक बहुमत वाली सरकारों की अगुवाई करने के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल में पहली बार एक गठबंधन वाली सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में गठबंधन की सरकार का चलाना हर कोई उनके लिए चुनौतिपूर्ण मानकर चल रहा था। साथ ही मजबूत होते विपक्ष का असर भी सरकार के पैसले पर होना माना जा रहा था। मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में मजबूत होते विपक्ष का दबाव कहीं न कहीं दिखाई पड़ रहा है। सरकार को कुछ मौकों पर कदम भी पीछे खींचने पड़े हैं। सरकार के पीछे हटने का पहला मामला अगस्त की शुरुआत में सामने आया, जब वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया। इसके तुरंत बाद प्रसारण सेवा विधेयक वापस कर लिया। सरकार ने नवंबर 2023 में डिजिटल और अन्य मीडिया के नियमन को कड़ा करने के उद्देश्य से एक मसौदा प्रकाशित किया था। उसके बाद अगस्त के ही महीने में सरकार ने सिविल सेवा के बाहर के लोगों से वरिष्ठ नौकरशाही पदों के लिए आवेदन मांगने वाले एक विज्ञापन को वापस ले लिया। इस विज्ञापन पर भी काफी हंगामा हुआ। विपक्ष की ओर से यह कहा गया कि उसकी ओर से उठाए गए सवाल के बाद सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए।

*पांचों राज्यों में जीत की चुनौती*
मोदी सरकार अपने शुरूआती 100 दिनों में सफल दिख रही है। हालांकि, आगे काफी हद तक चुनौतियों का समना करना है। 2024 के लोकसभा नतीजे के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन ने एनडीए को कड़ी चुनौती दी है। ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव की हार से बाहर निकलने के लिए सबसे बड़ी चुनौती देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव है। बीजेपी के हाथों से फिसलती सियासी जमीन को समेटना ही नहीं बल्कि जनता के बीच अपनी पैठ जमाए रखने की चुनौती है। बीजेपी अगर पांच राज्यों में चुनावी जंग फतह करने में कामयाब रहती है तो फिर से अपना दबदबा कायम कर सकती है। यही वजह है कि पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक ने चुनाव की कमान संभाल रखी है। बीजेपी की कोशिश पांच राज्यों में से कम से कम तीन राज्य में अपनी सरकार बनाने की है। बीजेपी अगर इसमें सफल रहती है तो उसका हौसला बुलंद हो सकता है।

*मूल एजेंडे को आगे बढ़ाना होगी बड़ी चुनौती*
पीएम मोदी दूसरी बार सत्ता में आए तो उन्होंने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया। इसके बाद अयोध्या में राम मंदिर का उदघाटन किया। केंद्र में तीसरी बार सरकार गठन को लेकर भले ही एनडीए में सबकुछ ठीकठाक रहा हो, लेकिन बीजेपी के एजेंडे को अमलीजामा पहनाना पहले की तरह आसान नहीं दिख रहा। बीजेपी के मूल एजेंडे में शामिल यूसीसी, धर्मांतरण विरोधी कानून की राह में आगे बढ़ने पर तब इन दलों का क्या रुख होगा? जाहिर तौर पर आगाज अच्छा होने के बावजूद बीजेपी के सामने इन मुद्दों पर आगे बढ़ कर अपने मूल वोट बैंक को साधे रहने और इसके लिए सहयोगी दलों को राजी करने की बड़ी चुनौती है। इनमें सबसे बड़ी सहयोगी टीडीपी और जेडीयू अपने-अपने राज्य में मुस्लिम वोट बैंक को साधे रखना चाहते हैं। ऐसे में बीजेपी को अपने मूल एजेंडे पर आगे बढ़ने और इसे अमलीजामा पहनाने की बड़ी चुनौती है।
खरगे का पीएम मोदी को खतः कहा- आपके नेता राहुल को मारने की धमकी दे रहे, उन पर अंकुश लगाइए
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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने ये खत कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा नेताओं के बयानों को लेकर लिखा है। खरगे ने प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर ये पत्र लिखा है। इसकी पहली लाइन में बधाई देने के बाद उन्होंने अपनी शिकायतें जाहिर की हैं। पीएम से कहा है कि वो अपने नेताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाएं।

खड़गे ने मोदी से कहा कि भाजपा नेता लगातार राहुल को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। यह भविष्य के लिए घातक है। ऐसे नेताओं पर अंकुश लगाइए और उनके खिलाफ कार्रवाई कीजिए। खड़गे ने कहा कि राहुल को लगातार मिल रही धमकियों से कांग्रेस के कार्यकर्ता परेशान हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि राहुल के साथ कोई अनहोनी न हो।

खरगे ने लिखा, 'एक अहम मुद्दे पर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं, जो सीधे लोकतंत्र और संविधान से जुड़ा हुआ है। आप अवगत होंगे कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक, हिंसक और अशिष्ट बयानों का सिलसिला चल रहा है। मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि भारतीय जनता पार्टी और आपके सहयोगी दलों के नेताओं ने जिस हिंसक भाषा का प्रयोग किया है, वह भविष्य के लिए घातक है। सभी हैरान हैं कि केंद्र सरकार में रेल राज्य मंत्री, भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के मंत्री, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता को 'नंबर एक आतंकवादी' कह रहे हैं। उन्होंने आगे लिखा, 'महाराष्ट्र में आपकी सरकार में सहयोगी दल का एक विधायक, नेता प्रतिपक्ष की जुबान काट कर लाने वाले को 11 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा कर रहे हैं। दिल्ली में एक भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक, उनका हस्र दादी जैसा करने की धमकी दे रहे हैं।'

लेटर में उन्होंने आगे लिखा, भारतीय संस्कृति अहिंसा, सद्भाव और प्रेम के लिए विश्वभर में जानी जाती है। इन बिंदुओं को हमारे नायकों ने राजनीति में मानक के रूप में स्थापित किया। गांधीजी ने अंग्रेजों के राज में ही इन मानकों को राजनीति का अहम हिस्सा बना दिया था। आजादी के बाद संसदीय परिधि में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सम्मानजनक अहसमतियों का एक लंबा इतिहास रहा है। इसने भारतीय लोकतंत्र की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का काम किया।

बता दें कि पिछले कुछ दिनों में नेता प्रतिपक्ष को लेकर एनडीए के नेताओं ने विवादास्पद बयान दिया है। 11 सितंबर को भाजपा नेता तरविंदर सिंह ने कहा था कि राहुल का हाल उसकी दादी जैसा होगा। फिर 15 सितंबर को केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने राहुल को देश का नंबर-1 आतंकी बताया। इसके अगले दिन यानी 16 सितंबर को शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने कहा था कि जो राहुल की जीभ काटेगा, उसे 11 लाख का इनाम दिए जाएंगे।
बंगाल में महिला डॉक्टरों की 'नाइट शिफ्ट पर रोक के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- उन्हें सुरक्षा प्रदान करें

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी अस्पतालों में महिला डॉक्टरों की नाइट शिफ्ट खत्म करने की बंगाल सरकार की अधिसूचना को लेकर फटकार लगाई।कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षा देना राज्य सरकार की ड्यूटी है।सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार के इस आदेश को बदलने को भी कहा है। 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? उन्हें कोई रियायत नहीं चाहिए। सरकार का काम उन्हें सुरक्षा देना है। पायलट, सेना जैसे सभी प्रोफेशन में महिलाएं रात में काम करती हैं।

समाधान उचित सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने में है

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, महिला डॉक्टरों पर सीमाएं क्यों लगाई जा रही हैं? वे रियायत नहीं चाहती हैं। महिलाएं एक ही शिफ्ट में काम करने के लिए तैयार हैं।मुख्य न्यायाधीश ने कहा, आपको इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है। इसका समाधान उचित सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने में है। पश्चिम बंगाल सरकार को अपने आदेश पर संशोधन करना चाहिए। राज्य की महिला डॉक्टरों की सुरक्षा प्रदान करना आपकी जिम्मेदारी है।

विकिपीडिया को तस्वीर हटाने का दिया आदेश

कोर्ट की फटकार पर सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बंगाल सरकार की तरफ कहा सरकार महिला डॉक्टरों की ड्यूटी 12 घंटे तक सीमित करने और नाइट ड्यूटी पर रोक लगाने वाले अपने फैसले वापस ले लेगी। कोर्ट ने विकिपीडिया को मृत ट्रेनी डॉक्टर का नाम और तस्वीर हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़ित की पहचान का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट 24 सितंबर को अगली सुनवाई करेगा।

कोलकाता कांड में श्रीरामपुर से TMC विधायक सुदीप्तो रॉय पर एक्शन, आवास पर ED की रेड, सीबीआई ने भी की थी पूछताछ



कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (आरजीकेएमसीएच) में कथित घोटाले के मामले में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के विधायक सुदीप्तो रॉय की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके घर पर छापेमारी की है। इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी उनसे आरजी कर अस्पताल से जुड़े एक दुष्कर्म और हत्या के मामले में पूछताछ की थी।


सुदीप्तो रॉय, जो श्रीरामपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और एक चिकित्सक भी हैं, के खिलाफ यह कार्रवाई तब शुरू हुई जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को अस्पताल में वित्तीय घोटाले की जांच करने का आदेश दिया। रॉय पहले आरजीकेएमसीएच में रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष थे। ईडी ने रॉय के उत्तरी कोलकाता स्थित घर और बालीगंज सर्कुलर रोड पर उनके नर्सिंग होम सहित कई अन्य स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। 22 अगस्त को यह मामला कोलकाता पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था।

सीबीआई ने पहले ही इस घोटाले में अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल, उनके निजी सुरक्षा कर्मियों और दो विक्रेताओं को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा, 31 वर्षीय महिला चिकित्सक के दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच के तहत घोष और ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया गया है।
कोलकाता कांड में श्रीरामपुर से TMC विधायक सुदीप्तो रॉय पर एक्शन, आवास पर ED की रेड, सीबीआई ने भी की थी पूछताछ


कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (आरजीकेएमसीएच) में कथित घोटाले के मामले में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के विधायक सुदीप्तो रॉय की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके घर पर छापेमारी की है। इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी उनसे आरजी कर अस्पताल से जुड़े एक दुष्कर्म और हत्या के मामले में पूछताछ की थी।

सुदीप्तो रॉय, जो श्रीरामपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और एक चिकित्सक भी हैं, के खिलाफ यह कार्रवाई तब शुरू हुई जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को अस्पताल में वित्तीय घोटाले की जांच करने का आदेश दिया। रॉय पहले आरजीकेएमसीएच में रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष थे। ईडी ने रॉय के उत्तरी कोलकाता स्थित घर और बालीगंज सर्कुलर रोड पर उनके नर्सिंग होम सहित कई अन्य स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। 22 अगस्त को यह मामला कोलकाता पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था।

सीबीआई ने पहले ही इस घोटाले में अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल, उनके निजी सुरक्षा कर्मियों और दो विक्रेताओं को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा, 31 वर्षीय महिला चिकित्सक के दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच के तहत घोष और ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया गया है।

अमेरिका के एक मंदिर में खालिस्तानियों ने की तोड़फोड़, भारत ने जताई कड़ी आपत्ति, कहा, यह पूरी तरह अस्वीकार्य




अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित BAPS स्वामिनारायण मंदिर में हुई तोड़फोड़ की घटना अब तूल पकड़ रही है। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो चुका है, जिसमें खालिस्तानी नारे और भारत विरोधी संदेश मंदिर के बाहर सड़क पर स्प्रे पेंट से लिखे गए हैं। भारत ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे ‘अस्वीकार्य’ करार दिया है और न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने अमेरिकी अधिकारियों से जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है और आरोपियों की तलाश में जुटी है।

यह घटना मेलविले में हुई, जो लॉन्ग आइलैंड के सफोल्क काउंटी में स्थित है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नासाऊ वेटरन्स मेमोरियल कोलिज़ीयम में होने वाले आगामी कार्यक्रम से मात्र 28 किलोमीटर दूर है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने इस घटना पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए न्याय विभाग और गृह सुरक्षा विभाग से इस घटना की जांच करने की मांग की है। फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे हाल ही में हिंदू और भारतीय संस्थानों को मिली धमकियों से जोड़कर देखा।


बताया जा रहा है कि हाल ही में अमेरिका दौरे के दौरान राहुल गांधी ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत में सिखों को कड़ा और पगड़ी पहनने से रोका जाता है और गुरुद्वारे जाने की अनुमति नहीं दी जाती। उनके इस बयान का खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने पत्र लिखकर खुला समर्थन किया था। भारत में भी कई बुद्धिजीवियों ने राहुल के इस बयान पर चिंता जताई थी।
'जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान भारत के बिना संभव नहीं..', जर्मनी ने की तारीफ


जर्मनी की आर्थिक सहयोग और विकास मंत्री स्वेन्या शुल्त्से भारत दौरे पर हैं और गुजरात के गांधीनगर में चौथे रि-इनवेस्ट सम्मेलन में हिस्सा ले रही हैं। यह सम्मेलन अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है, जिसमें जर्मनी को अहम साझेदार देश के रूप में शामिल किया गया है। मंत्री शुल्त्से ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान भारत के बिना संभव नहीं है, क्योंकि भारत सबसे बड़ी आबादी वाला देश और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करके जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं।


सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में ज्यादा निवेश की अपील की। उन्होंने हंसी-मजाक में कहा कि उनके कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी अब अक्षय ऊर्जा मंत्री बन गए हैं, जिससे यह संदेश जाता है कि देश भी कोयले से अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है। भारत में अभी भी कुल ऊर्जा का 80% हिस्सा जीवाश्म ईंधनों से आता है, और इसका एक बड़ा कारण कोयले का उपयोग है। शुल्त्से ने उम्मीद जताई कि अक्षय ऊर्जा में भारत और जर्मनी की साझेदारी बढ़ेगी, जिससे कोयले का इस्तेमाल धीरे-धीरे खत्म होगा। उन्होंने कहा कि जर्मनी की कई कंपनियां भारत में अक्षय ऊर्जा में निवेश करने को तैयार हैं।

शुल्त्से ने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक प्लेटफॉर्म शुरू किया जा रहा है। जर्मनी के पास इस क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान और अनुभव है, और भारत एक तेजी से बढ़ता बाजार है, जिससे निवेश के अच्छे अवसर बन रहे हैं। मंत्री शुल्त्से ने पर्यावरण संरक्षण और दीर्घकालीन साझेदारी की आवश्यकता पर जोर दिया, और कहा कि यह एक लंबी प्रक्रिया है, जिसे सफल बनाने के लिए समय और प्रयास की जरूरत है। उनका मानना है कि भारत-जर्मनी साझेदारी से अन्य देशों को भी सीखने का मौका मिलेगा और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्या का समाधान संभव होगा।

भारत दुनिया में कार्बन डाई ऑक्साइड का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है, लेकिन प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के मामले में यह अन्य देशों से काफी कम है। 2022 में भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 2 टन था, जबकि जर्मनी में यह 8.9 टन था। वैश्विक औसत 4.7 टन है। भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। वर्तमान में भारत में 200 मेगावॉट बिजली अक्षय स्रोतों से उत्पन्न हो रही है, जिसे 2030 तक 500 मेगावॉट तक पहुंचाने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री मोदी ने 'पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना' का जिक्र करते हुए बताया कि इस योजना के तहत 1.3 करोड़ लोग सोलर सिस्टम लगाने के लिए रजिस्टर कर चुके हैं, और 3.25 लाख घरों में सोलर सिस्टम लगाया जा चुका है। इस योजना से घरों में न केवल ऊर्जा की जरूरतें पूरी हो रही हैं, बल्कि लोग अतिरिक्त बिजली बेचकर पैसे भी कमा रहे हैं।


प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत के 17 शहरों को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की योजना है, जिनमें अयोध्या भी शामिल है। इसके अलावा उन्होंने परमाणु ऊर्जा और 'ग्रीन हाइड्रोजन मिशन' की भी चर्चा की। 16 सितंबर को प्रधानमंत्री ने गांधीनगर और अहमदाबाद को जोड़ने वाली मेट्रो लाइन का उद्घाटन किया, जिसमें जर्मनी की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस परियोजना के लिए जर्मन विकास बैंक ने 60 करोड़ यूरो का कर्ज दिया है और जर्मन कंपनी सीमेंस ने तकनीकी मदद दी है।

स्वेन्या शुल्त्से ने भी इस मेट्रो लाइन पर सफर किया और इसे बर्लिन मेट्रो जैसा अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि मेट्रो ना केवल एक बेहतर यात्रा का साधन है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। शुल्त्से ने भारत की इस दिशा में प्रगति को एक महत्वपूर्ण साझेदारी का परिणाम बताया।
आतंकी अफजल गुरु का भाई भी चुनावी मैदान में, इस सीट से आज़माएंगे किस्मत, कहा, उनकी राजनीति अलग


जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों की बड़ी संख्या दिखाई दे रही है, जिनमें जमात-ए-इस्लामी से लेकर इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी तक के नेता और कुछ अलगाववादी भी शामिल हैं। इन्हीं उम्मीदवारों में एक प्रमुख नाम है अफजल गुरु के भाई, एजाज गुरु का, जो सोपोर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। अफजल गुरु वही व्यक्ति था जिसे 2001 में संसद पर हमले की साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराया गया था और 2013 में फांसी दी गई थी।


58 वर्षीय एजाज गुरु, जो कि नौवीं कक्षा तक पढ़े हैं, पशुपालन विभाग में नौकरी कर चुके हैं और बाद में ठेकेदारी में शामिल हो गए। उन्होंने अपनी संपत्ति का विवरण देते हुए बताया कि उनके पास लगभग 50 लाख रुपये की अचल संपत्ति और 8 लाख रुपये की चल संपत्ति है। इसके अलावा, उनके नाम पर छह लाख रुपये का बैंक लोन भी है, जबकि उनकी पत्नी के पास लगभग तीन लाख रुपये की संपत्ति है।

एजाज ने स्पष्ट किया है कि वह अपने भाई अफजल गुरु के नाम पर वोट नहीं मांगेंगे और उनकी राजनीतिक विचारधारा अलग है। चुनाव लड़ने का प्रमुख कारण उन्होंने अपने बेटे शोएब की गिरफ्तारी को बताया, जिसे दिसंबर 2023 में ड्रग्स तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और जो फिलहाल जेल में है। एजाज का कहना है कि वह उन लोगों के लिए लड़ेंगे जिन्हें संदिग्ध परिस्थितियों में गिरफ्तार किया गया है। सोपोर विधानसभा सीट, जहां से एजाज चुनाव लड़ रहे हैं, पहले जमात-ए-इस्लामी का गढ़ मानी जाती थी, और यहां चुनावों का बहिष्कार होता था। एजाज गुरु सोपोर की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए इस क्षेत्र की पुरानी गरिमा को वापस लाने और विकास व एकता पर जोर दे रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में तीन चरणों में मतदान होगा, और परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

अफजल गुरु, जिसे 2001 के संसद हमले की साजिश रचने का दोषी ठहराया गया था, को कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस हमले में नौ लोगों की जान गई थी, और अफजल को 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।