विदेशों में हिन्दी का भविष्य उज्जवल है- सुरेशचन्द्र शुक्ल
विदेशों में हिन्दी का प्रचार-प्रसार तेजी के साथ बढ़ रहा है।हिन्दी के पाठक बढ़ रहे हैं। विभिन्न प्रदेशों के भारतीय जब आपस में मिलते हैं तो वे हिन्दी में बात करते हैं।विदेशों में हिन्दी का भविष्य उज्जवल है। उक्त बातें ओस्लो नार्वे में स्पाइल-दर्पण पत्रिका के संपादक एवं अग्रणी प्रवासी साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल ह्यशरद आलोकह्ण ने अपने स्वागत भाषण में कहा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. निर्मला एस. मौर्य (पूर्व कुलपति, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर) ने कहा कि हिन्दी हमारी अस्मिता की पहचान है। हिन्दी को समृद्ध बनाये रखना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. राकेश कुमार जयपुर और प्रो. दिनेश चमोला ह्यशैलेशह्ण हरिद्वार ने भी सम्बोधित किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ.अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी में सागर जैसी गहराई है,जो हिन्दी गैर हिंदी भाषियों के बीच सेतु का काम करती है। प्रवासी साहित्यकारों ने हिन्दी की बहुत सेवा की है।कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रमिला कौशिक ने वाणी वंदना से हुआ।विदेश से काव्य पाठ करने वालों में हर नेक सिंह गिल लन्दन, गुरु शर्मा स्कॉटलैंड ब्रिटेन, नीरजा शुक्ला कनाडा, डॉ. राम बाबू गौतम अमेरिका, टेकू वासवानी मस्कट और सुरेशचन्द्र शुक्ल ह्यशरद आलोकह्ण ओस्लो नार्वे से प्रमुख रहे।
भारत से काव्य पाठ करने वालों में डॉ.हरी सिंह पाल, बबिता यादव एवं प्रमिला कौशिक दिल्ली, डॉ. राकेश कुमार एवं नवल किशोर शर्मा जयपुर, डॉ.सुषमा सौम्या एवं डॉ. मंजू शुक्ला लखनऊ, डॉ. दिनेश चमोला ह्यशैलेशह्ण हरिद्वार, डॉ. दिव्या मिश्रा रीवा, डॉ. पूनम मिश्र सुलतानपुर, जे. पी. चंदेल मुरादाबाद, डॉ. मोहन लाल जट चंडीगढ़, सुवर्णा जाधव पुणे, डॉ.रश्मि चौबे गाजियाबाद डॉ.अर्जुन पाण्डेय अमेठी एवं बलराम मणि त्रिपाठी संत कबीर नगर आदि प्रमुख रहे। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय-नावेर्जीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम ने किया था।
Sep 16 2024, 17:14