जिन्दगी एक उलछी पहली रही,भीड मे वह अकेली रही-सुरेश शुक्ल नवीन
अमेठी । अवधी साहित्य संस्थान अमेठी के वार्षिक समारोह की संगोष्ठी में कवि गोष्ठी, विमर्श, लोकार्पण एवं सम्मान समारोह की शुरूआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती , गोस्वामी तुलसीदास , मलिक मोहम्मद जायसी की प्रतिमा पर पूजा,अर्चना एवं माल्यार्पण से हुआ।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र का शुभारंभ वाणी वंदना से हुआ।कवि गोष्ठी में स्थानीय एवं देश के जाने-माने कवियों ने अपनी रसभरी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन ने कहा कि हिन्दी साहित्य के सम्वर्द्धन में अवधी की भूमिका अहम है। गोस्वामी जी रचित श्रीरामचरितमानस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है।हमें निज पर गर्व करना चाहिए। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ रामबहादुर मिसिर ने कहा कि अवधी देश-दुनिया में लगभग पन्द्रह करोड़ लोगों की भाषा बन चुकी है।अवध संस्कृति की पहचान सारी दुनिया में है।मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी साहित्य के सम्वर्द्धन में प्रवासी साहित्यकारों का सर्वाधिक योगदान है।
संगोष्ठी में डॉ.अर्जुन पाण्डेय की सद्य: प्रकाशित रचना ' माटी का चन्दन ' के साथ वार्षिक पत्रिका जल दर्पण का लोकार्पण अतिथियों एवं साहित्यकारों के द्वारा किया गया।समारोह में साहित्यकारों को तुलसी अवधी सम्मान एवं मलिक मोहम्मद जायसी सम्मानित किया गया, जिसमें विक्रम मणि त्रिपाठी नेपाल, पुरुषोत्तम तिवारी साहित्यार्थी भोपाल, इंजी.सुनील कुमार बाजपेई, डॉ रश्मि शील, लोकगायिका कुसुम वर्मा कल्चर दीदी, अरुण कुमार तिवारी बोले चिरैया, भूपेन्द्र दीक्षित,सुशील सीतापुरी,ज्ञानवती दीक्षित,कुमार तरल, डॉ ओंकार नाथ द्विवेदी,हरिनाम शुक्ल 'हरि', प्रेम कुमार त्रिपाठी 'प्रेम',अकबाल बहादुर राही,अनिल कुमार श्रीवास्तव 'लल्लू' आदि प्रमुख रहे। भीमी निवासी अन्तर्राष्ट्रीय एथलीट पद्मश्री सुधा सिंह को अवध कीर्ति अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया।राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त डॉ रामबहादुर मिसिर का सारस्वत सम्मान अभिनन्दन पत्र देकर किया गया।
इस अवसर पर अंजनी अमोघ, अनीस देहाती,,चिंता मणि मिश्र, डॉ अभिमन्यु कुमार पाण्डेय,रामेश्वर सिंह निराश, ज्ञानेन्द्र पाण्डेय , जगदम्बा प्रसाद तिवारी 'मधुर',सब्बीर अहमद सूरी,राजेंद्र शुक्ल अमरेश, अर्चना ओजस्वी,चंन्द्र प्रकाश पाण्डेय, राजकुमारी साहु, आशुतोष गुप्ता,तेजभान सिंह, विवेक मिश्र, हिमांशु श्रीवास्तव, पं विजय कुमार मिश्र, सत्येन्द्र प्रकाश शुक्ल,संजय मिश्र,अनिभव मिश्र , अंजली तिवारी,कवि सुरेश शुक्ल नवीन की कविता पाठ किया कि जिन्दगी एक पहेली रही,भीड मे वह अकेली रही,को खूब वाह वाह मिली।
Sep 15 2024, 20:08