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Railway Recruitment 2024: ईस्टर्न रेलवे में अप्रेंटिसशिप के 3115 पदों पर नई भर्ती का एलान, आवेदन 24 सितंबर से


नई दिल्ली:- रेलवे में सरकारी नौकरी पाने का सपना देख रहे युवाओं के लिए बड़ी खबर है। एनटीपीसी के बाद अब आरआरसी ईस्टर्न रेलवे RRC Eastern Railway- ER) में अप्रेंटिसशिप के 3115 पदों रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती निकाली गई है। भर्ती के लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही आवेदन तिथियों को भी घोषित कर दिया गया है। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू कर दी जाएगी।

आवेदन शुरू होते ही अभ्यर्थी इस भर्ती में शामिल होने के लिए ऑनलाइन माध्यम से आरआरसी ईआर की ऑफिशियल वेबसाइट www.rrcer.org पर जाकर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकेंगे। फॉर्म भरने की लास्ट डेट 23 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई है।

आवेदन से पहले यहां से चेक करें पात्रता

इस भर्ती में आवेदन के लिए अभ्यर्थी ने मैट्रिक उत्तीर्ण करने के साथ ही आईटीआई-ITI/ एनसीवीटी-NCVT सर्टिफिकेट संबंधित ट्रेड से प्राप्त किया हो। इसके साथ ही अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 15 वर्ष से कम और 24 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। आरक्षित वर्ग से आने वाले अभ्यर्थियों को नियमानुसार छूट दी जाएगी। उम्र की गणना 23 अक्टूबर 2024 को ध्यान में रखकर की जाएगी।

एप्लीकेशन प्रॉसेस एवं आवेदन शुल्क

इस भर्ती में आवेदन केवल ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकेगा, अन्य किसी भी प्रकार से फॉर्म स्वीकार नहीं किये जाएंगे। एप्लीकेशन फॉर्म भरने के साथ ही जनरल, ओबीसी ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों को आवेदन शुल्क के रूप में 100 रुपये का भुगतान करना होगा। एससी/ एसटी/ पीएच/ महिला अभ्यर्थी इस भर्ती में शामिल होने के लिए निशुल्क आवेदन कर सकते हैं।

कैसे होगा चयन

आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को मैट्रिक एवं आईटीआई/ एनसीवीटी में प्राप्त अंकों के अनुसार शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। शॉर्टलिस्टेड उम्मीदवारों को अगले चरण डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन प्रक्रिया के लिए बुलाया जाएगा। अंत में उम्मीदवारों के प्रदर्शन के अनुसार फाइनल मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। भर्ती से जुड़ी विस्तृत डिटेल के लिए अभ्यर्थी ऑफिशियल नोटिफिकेशन का अवलोकन अवश्य कर लें।

कानपुर के प्रसिद्ध केसर पान मसाला के मालिक की पत्नी की मौत, आगरा एक्सप्रेस-वे पर फटा गाड़ी का टायर


दिल्ली:- कानपुर के प्रसिद्ध केसर पान मसाला कंपनी के मालिक हरीश मखीजा की पत्नी की एक सड़क हादसे में मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि प्रीति मखीजा की कार का टायर इटावा के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर अचानक फट गया.

जानकारी के अनुसार, कार में केसर पान मसाला कंपनी के मालिक हरीश मखीजा की पत्नी प्रीति मखीजा, कानपुर के प्रसिद्ध शराब कारोबारी तिलक राज शर्मा की पत्नी और एक ड्राइवर सवार था.

इस सड़क दुर्घटना में प्रीति मखीजा की मौत हो गई, जबकि कार में सवार एक अन्य महिला और ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया है. पता चला है कि हरीश मखीजा और तिलक राज शर्मा अपने परिवार के सदस्यों के साथ एक निजी समारोह में शामिल होने के लिए आगरा जा रहे थे. जैसे ही उनकी कार 79 मैनपुरी के करहल टोल के पास पहुंची, तभी टायर फट गया और गाड़ी अचानक पलट गई।

मृतक महिला के बेटे पीयूष मखीजा ने बताया कि हादसे के वक्त बारिश बहुत तेज हो रही थी और गाड़ी की रफ्तार भी अधिक थी. इसी दौरान टायर फट गया और गाड़ी पलटने से मेरी मां की मौत हो गई. एक अन्य महिला इस हादसे में घायल हुई हैं.

लैंडमार्क होटल के चेयरमैन की पत्नी भी घायल

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लैंडमार्क होटल के चेयरमैन दीपक कोठारी की पत्नी दीप्ति कोठारी भी इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई. उन्हें सैफई के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है. दीप्ति के सिर में चोट लगी है, जहां उनका इलाज चल रहा है.

सतीश महाना के रिश्तेदार?

वहीं, हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. उन्होंने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा. साथ ही घायलों को इलाज के लिए सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया है.

मैनपुरी के भाजपा जिलाध्यक्ष आलोक गुप्ता ने हादसे की जानकारी देते हुए बताया कि अचानक गाड़ी एक्सप्रेसवे पर पलट गई और कार में सवार प्रीति मखीजा की मौत हो गई है. वह लोग एक निजी समारोह में शामिल होने के लिए आगरा जा रहे थे. केसर पान मसाला के मालिक हरीश मखीजा, यूपी विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं. इस हादसे के बाद मृतक परिवार के घर मातम पसरा हुआ है.

हिंदी दिवस: 75 साल पहले हिन्दी राजभाषा बनी, 1953 से हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है हिन्दी दिवस


नयी दिल्ली : आज हिन्दी दिवस है। आज ही के दिन 1949 में हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। दरअसल, साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो आजाद भारत के सामने कई बड़ी समस्याएं थीं। जिसमें से एक समस्या भाषा को लेकर भी थी। 

भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती थीं। ऐसे में राजभाषा क्या होगी ये तय करना एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, हिन्दी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। यही वजह है कि राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था।

संविधान सभा ने लंबी चर्चा के बाद 14 सितंबर को ये फैसला लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी।

संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में इसका उल्लेख है। इसके अनुसार भारत की राजभाषा ‘हिन्दी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है। साल 1953 से हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

हालांकि हिन्दी को आधिकारिक भाषा चुनने के बाद ही गैर-हिन्दी भाषी राज्यों का विरोध शुरू हो गया। सबसे ज्यादा विरोध दक्षिण भारत के राज्यों से हो रहा था। विरोध को देखते हुए संविधान लागू होने के अगले 15 वर्षों तक अंग्रेजी को भी भारत की राजभाषा बनाने का फैसला लिया गया, लेकिन जैसे ही ये तारीख नजदीक आने लगी दक्षिण भारतीय राज्यों का अंग्रेजी को लेकर आंदोलन फिर से जोर पकड़ने लगा। इसलिए सरकार को 1963 में राजभाषा अधिनियम लाना पड़ा। इसमें अंग्रेजी को 1965 के बाद भी कामकाज की भाषा बनाए रखना शामिल था। 

राज्यों को भी अधिकार दिए गए कि वे अपनी मर्जी के मुताबिक किसी भी भाषा में सरकारी कामकाज कर सकते हैं। फिलहाल देश में 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला हुआ है।

आज, हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हमारे देश में 77 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते, समझते और पढ़ते हैं।

आज है परिवर्तिनी एकादशी, भगवान विष्णु बदलेंगे करवट,जाने पूजा विधि,कथा और महत्त्व?


नयी दिल्ली : पुराणों में मनीषी पुरुषों ने जल को 'नारा' कहा है। वह नारा ही भगवान का अयन-निवास स्थल है इसलिए वे नारायण कहलाते हैं। नारायण स्वरूप भगवान विष्णु सर्वत्र व्यापक रूप में विराजमान हैं। वे ही मेघ स्वरूप होकर वर्षा करते हैं। वर्षा से अन्न पैदा होता है और अन्न से प्रजा जीवन धारण करती है। 

श्रीविष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन वे अपनी करवट बदलते हैं। इस एकादशी को पद्मा, परिवर्तिनी, वामन एकादशी या डोल ग्यारस के नाम से जाना जाता है। 

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलने के समय प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं, इस अवधि में भक्तिभाव और विनयपूर्वक उनसे जो कुछ भी मांगा जाता है वे अवश्य प्रदान करते हैं। 

यह भी माना जाता है कि इस दिन माता यशोदा ने जलाशय पर जाकर श्रीकृष्ण के वस्त्र धोए थे,इसी कारण इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। मंदिरों में इस दिन भगवान श्रीविष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम को पालकी में बिठाकर पूजा-अर्चना के बाद ढोल-नगाड़ों के साथ शोभा यात्रा निकाली जाती है। 

एकादशी पूजा विधि

शास्त्रों के अनुसार पद्मा एकादशी के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु के वामन अवतार को ध्यान करते हुए उन्हें पचांमृत से स्नान करवाएं। इसके पश्चात गंगाजल से स्नान करवाकर कुमकुम-अक्षत, पीले पुष्प, चन्दन, तुलसी पत्र आदि से श्री हरि की पूजा करें। 

वामन भगवान की कथा का श्रवण या वाचन करने के बाद दीपक से आरती उतारें एवं प्रसाद सभी में वितरित करें। पुण्य फलों की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के मंत्र ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’’का यथा संभव तुलसी की माला से जाप करें। शाम के समय भगवान विष्णु के मंदिर अथवा उनकी मूर्ति के समक्ष भजन-कीर्तन करना शुभ माना गया है।

पद्मा एकादशी का महत्व

इस एकादशी पर भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति तो होती ही है। परलोक में भी इस एकादशी के पुण्य से उत्तम स्थान मिलता है। पद्मा एकादशी के विषय में शास्त्र कहता है कि इस दिन छाता,जूते, चावल, दही,जल से भरा कलश एवं चांदी का दान करना उत्तम फलदायी होता है। जो लोग किसी कारणवश पद्मा एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं उन्हें पद्मा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथा का पाठ करना चाहिए। विष्णु सहस्रनाम एवं रामायण का पाठ करना भी इस दिन उत्तम फलदायी माना गया है।

ये मिलता है फल

धर्मग्रंथों के अनुसार, पद्मा एकादशी का व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है उसके समस्त पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

एकादशी कथा

शास्त्रों के अनुसार महादानी राजा बलि ने अपने पराक्रम से तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया था। लेकिन वह अपने द्वार पर आए किसी भी याचक को कभी भी निराश नहीं करते थे। एक बार भगवान विष्णु ने राजा बलि की परीक्षा ली। वामन रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि देने का वचन मांग लिया। भगवान विष्णु ने दो पग में समस्त लोकों को नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना वचन पूरा करने के लिए अपना सिर वामन ब्राह्राण के पैर के नीचे रख दिया। भगवान, राजा बलि की इस भावना से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया।

आज का इतिहास: 2009 में आज ही के दिन चंद्रमा पर बर्फ खोजने का इसरो-नासा का अभियान असफल हुआ था

नयी दिल्ली : 13 सितंबर का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2006 में आज ही के दिन इब्सा (भारत-ब्राजील-साउथ अफ़्रीका त्रिगुटीय संगठन) का पहला शिखर सम्मेलन ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में शुरू हुआ था। 

1928 में आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध कवि श्रीधर पाठक का निधन हुआ था।

2009 में आज ही के दिन चंद्रमा पर बर्फ खोजने का इसरो-नासा का अभियान असफल हुआ था।

2009 में 13 सितंबर के दिन ही लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में कोच्चि के चार्ल्स डायस को मनोनीत किया गया था।

2007 में आज ही के दिन रूस के राष्‍ट्रपति ब्‍लादिमिर पुतिन ने प्रधानमंत्री मिखाइल फ़ेदकोव के आग्रह को स्‍वीकार करते हुए केंद्रीय कैबिनेट को भंग किया था।

2007 में 13 सितंबर के दिन ही नेशनल एरोनॉटिक्‍स स्‍पेस एडमिनिस्‍ट्रेशन (नासा) के वैज्ञानिकों ने बृहस्‍पति से 3 गुना बड़े गृह का पता लगाया।

2006 में आज ही के दिन इब्सा (भारत-ब्राजील-साउथ अफ़्रीका त्रिगुटीय संगठन) का पहला शिखर सम्मेलन ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में शुरू हुआ था।

2005 में 13 सितंबर को ही सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन देने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने मानकों की घोषणा की थी।

2000 में आज ही के दिन भारत के विश्वनाथन आनंद ने शेनयांन में पहला फिडे शतरंज विश्व कप जीता था।

1968 में 13 सितंबर के दिन ही अल्बानिया वारसाॅ संधि से अलग हुआ था।

1948 में आज ही के दिन उप प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने सेना को हैदराबाद में घुस कर कार्रवाई करने और उसे भारतीय संघ के साथ एकीकृत करने का आदेश दिया था।

1922 में आज ही के दिन पोलिश संसद द्वारा जिडायनिया बंदरगाह निर्माण अधिनियम पारित किया गया था।

1914 में 13 सितंबर को ही प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी और फ्रांस के बीच एस्ने की लड़ाई शुरू हुई थी।

13 सितंबर को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1946 में 13 सितंबर के दिन ही परमवीर चक्र सम्मानित भारतीय सैनिक मेजर रामास्वामी परमेस्वरन का जन्म हुआ था।

1939 में आज ही के दिन प्रसिद्ध कवि एवं निबंधकार भगवत रावत का जन्म हुआ था।

1926 में 13 सितंबर के दिन ही भारत की महिला क्रांतिकारी नगेन्द्र बाला का जन्म हुआ था।

1912 में आज ही के दिन अमेरिकी अभिनेत्री रीटा शॉ का जन्म हुआ था।

13 सितंबर को हुए निधन

2012 में आज ही के दिन भारत के 21वें मुख्य न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा का निधन हुआ था।

1929 में 13 सितंबर के दिन ही भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी जतीन्द्रनाथ दास का निधन हुआ था।

1928 में आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध कवि श्रीधर पाठक का निधन हुआ था।

मानवरहित पोत बनाएगा भारत,2,500 करोड़ की योजना को मिली मंजूरी


नई दिल्ली:- मानवरहित युद्ध के बढ़ते चलन के बीच रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना की मानवरहित जलमग्न पोतों (अंडरवाटर वेसल) के निर्माण की 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की योजना को मंजूरी दे दी है।

 मंत्रालय में हाल में हुई उच्चस्तरीय बैठक में 100 टन के इन पोतों के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई।रक्षा सूत्रों ने बताया कि सामान्य से अधिक बड़े पोतों की श्रेणी के ये पोत दुश्मन की पनडुब्बियों और पानी की सतह पर मौजूद जहाजों पर हमला करने की क्षमता से लैस होंगे। 

नौसेना के पूर्व उपप्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे से जब इनकी क्षमता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये पोत नौसेना को पानी के अंदर विशेष क्षमता प्रदान करेंगे। इससे नौसेना को कई अभियानों में मदद मिलेगी।

इन कामों में इस्तेमाल करेगी नौसेना

सूत्रों ने बताया कि नौसेना ने इन पोतों का उपयोग कई कार्यों के लिए करने की योजना बनाई है जिनमें बारूदी सुरंगें बिछाना, बारूदी सुरंगें हटाना, निगरानी करना और हथियारों को दागना शामिल है। नौसेना अगले कुछ महीनों में इस परियोजना के लिए निविदा जारी करेगी और आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारतीय शिपयार्ड इसके लिए बोली लगाएंगे।

संदिग्ध जहाजों की निगरानी

नौसेना ऐसे पोत चाहेगी जो तट से काफी दूरी पर बहुत लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकें ताकि संदिग्ध जहाजों की आवाजाही और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जा सके। 

उल्लेखनीय है कि नौसेना मानवरहित ऐसे जहाजों पर भी काम कर रही है, जिनका उपयोग दुनियाभर में चल रहे संघर्षों में बड़े जहाजों और परिसंपत्तियों को नष्ट करने के लिए किया गया है।

आज का इतिहास:1893 में आज ही के दिन शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 11 सितंबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। 11 सितंबर का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1961 में आज ही के दिन विश्व वन्यजीव कोष की स्थापना हुई थी। 1906 में 11 सितंबर को ही महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था।

1893 में आज ही के दिन शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था।

1896 में आज ही के दिन ही प्रथम विश्व धर्म सम्मेलन शिकागो, अमेरिका में हुआ था।

2007 में आज ही के दिन येरूशलम से सटे डेविड शहर में लगभग 2000 साल पुरानी सुरंग की जानकारी हुई थी।

2006 में 11 सितंबर को ही अमेरिकी अंतरिक्ष यान अटलांटिस अंतरिक्ष के साथ जुड़ा था।

2006 में आज ही के दिन स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर ने लगातार तीसरी बार अमेरिकी ओपन टेनिस टूर्नामेंट का खिताब जीता था।

2006 में 11 सितंबर के दिन ही प्रख्यात बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भारतीय नागरिकता की मांग की थी।

2006 में आज ही के दिन पेस और डेम की जोड़ी ने अमेरिकी ओपन का युगल खिताब जीता था।

2005 में 11 सितंबर के दिन ही गाजा पट्टी में 38 सालों से जारी सैन्य शासन खत्म करने की घोषणा की थी।

2003 में आज ही के दिन चीन के विरोध के बाद भी तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा से अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश मिले थे।

1973 में 11 सितंबर के दिन ही चिली के राष्ट्रपति साल्वाडोर अलांदे का सैन्य तख्तापलट हुआ था।

1971 में आज ही के दिन मिस्र में संविधान को अंगीकार किया गया था।

1965 में 11 सितंबर को ही भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने दक्षिण पूर्वी लाहौर के निकट बुर्की शहर पर कब्जा कर लिया था।

1961 में आज ही के दिन विश्व वन्यजीव कोष का स्थापना हुई थी।

1906 में 11 सितंबर को ही महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था।

1893 में आज ही के दिन शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था।

1896 में आज ही के दिन ही प्रथम विश्व धर्म सम्मेलन शिकागो, अमेरिका में हुआ था।

11 सितंबर को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1982 में आज ही के दिन दक्षिण भारतीय अभिनेत्री श्रेया सारन का जन्म हुआ।

1919 में आज ही के दिन आधुनिक काल के प्रसिद्ध हिन्दी व राजस्थानी लेखक कन्हैयालाल सेठिया का जन्म हुआ था।

1911 में 11 सितंबर के दिन ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की ओर से पहला शतक जमाने वाले क्रिकेटर लाला अमरनाथ का जन्म हुआ।

1901 में आज ही के दिन प्रसिद्ध मराठी साहित्यकार आत्माराम रावजी देशपांडे का जन्म हुआ था।

1882 में 11 सितंबर के दिन ही सुब्रह्मण्य भारती का जन्म हुआ था।

11 सितंबर को हुए निधन

1971 में 11 सितंबर के दिन ही शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख़्रुश्चेव का निधन हुआ था।

1964 में आज ही के दिन प्रगतिशील भारतीय कवि मुक्तिबोध गजानन माधव का निधन हुआ था।

टोल टैक्स नियमों में बड़ा बदलाव अब हाईवे पर 20 किलोमीटर की यात्रा में नहीं देना होगा कोई शुल्क


नयी दिल्ली : सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है. नए नियम, जिन्हें “राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दर निर्धारण और संग्रह) संशोधन नियम, 2024” कहा जा रहा है, के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों पर पहले 20 किलोमीटर की यात्रा के लिए शून्य-शुल्क नीति लागू की गई है।यानी आपको 20 किलोमीटर की यात्रा के लिए कोई टोल नहीं देना होगा।

यह प्रावधान केवल उन वाहनों के लिए लागू होगा जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम ऑन-बोर्ड यूनिट से लैस होंगे. नवीनतम संशोधन के अनुसार, राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों को छोड़कर अन्य वाहनों को राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग पर पहले 20 किलोमीटर की यात्रा के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा.

20 किमी से ज्यादा चलाई गाड़ी़ तभी लगेगा टोल

यदि किसी दिन में 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की जाती है, तो उपयोगकर्ताओं से केवल 20 किलोमीटर से अधिक की वास्तविक यात्रा दूरी पर ही टोल लिया जाएगा.

इस बदलाव का उद्देश्य छोटे सफर के लिए ड्राइवरों पर आर्थिक बोझ को कम करना है, जबकि लंबी यात्राओं के लिए उचित शुल्क संरचना को बनाए रखना है.

मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, “ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत, जो ड्राइवर, मालिक या मोटर वाहन का प्रभारी व्यक्ति राष्ट्रीय परमिट वाहन के अलावा उसी खंड का उपयोग करता है, उससे प्रति दिशा में 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर शून्य-शुल्क लिया जाएगा.

यदि दूरी 20 किलोमीटर से अधिक हो जाती है, तो केवल वास्तविक यात्रा दूरी पर शुल्क लिया जाएगा.”

इससे पहले, जुलाई में, सड़क मंत्रालय ने FASTag के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर पायलट आधार पर ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम आधारित टोल संग्रह प्रणाली लागू करने की घोषणा की थी।

दिग्विजय दिवस आज : शिकागो में स्वामी विवेकानंद के सबसे प्रभावशाली भाषण के 131 साल


नयी दिल्ली : शिकागो में स्वामी विवेकानन्द के ऐतिहासिक भाषण के उपलक्ष्य में हर साल 11 सितंबर को दिग्विजय दिवस मनाया जाता है।1893 में, उन्होंने भारत और हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के रूप में विश्व धर्म संसद में भाग लिया था। विश्व धर्म संसद का उद्घाटन 11 सितंबर से 27 सितंबर 1893 तक हुआ था। इसमें दुनिया भर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

इस वर्ष प्रथम विश्व धर्म संसद और स्वामी विवेकानन्द के ऐतिहासिक संबोधन की 131वीं वर्षगांठ है। संसद में, स्वामी विवेकानन्द ने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया, और उनके शुरुआती शब्द प्रसिद्ध हुए और दुनिया भर में अक्सर इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।

स्वामी विवेकानन्द द्वारा शिकागो कार्यक्रम में दिया गया भाषण पिछले 131 वर्षों से किसी बाहरी भारतीय द्वारा दिये गये सबसे महत्वपूर्ण भाषणों में से एक माना जाता है। ऐसे में जब इस साल दिग्विजय दिवस की 131 वर्षगांठ मनाई जा रही है तो हम आपके लिए स्वामी विवेकानंद के कुछ अनमोल विचार आपके लिए लेकर आए हैं। यहां पढ़ें स्वामी विकेकानंद के कोट्स।

1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।

2. ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।

3. किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।

4. बाहरी प्रकृति केवल आंतरिक प्रकृति बड़ी है।

5. सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है।

6. इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।

7. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।

8. जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।

9. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।

10. कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है, ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है, अगर कोई पाप है, तो वो यही है, ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।

11. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।

12. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।

13. उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।

14. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।

15. जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।

पंजाब सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार: कानून बनाने और निरस्त करने के मामले में स्पष्टीकरण मांगा


नई दिल्‍ली:- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब सरकार से सवाल किया कि अगर एक पार्टी की सरकार कोई कानून बनाए और उसके बाद बनी दूसरी पार्टी की सरकार उसे खत्म कर दे तो क्या अनिश्चितता पैदा नहीं होगी।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह सवाल पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान किया, जिसमें उसने खालसा यूनिवर्सिटी (रिपिल) एक्ट, 2017 को रद करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।

पीठ ने याचिकाकर्ता एवं प्रदेश सरकार के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। खालसा यूनिवर्सिटी एवं खालसा कॉलेज चैरिटेबल सोसायटी ने हाई कोर्ट के नवंबर, 2017 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट, 2016 के तहत खालसा यूनिवर्सिटी का गठन किया गया था और सोसायटी द्वारा पहले से चलाए जा रहे फार्मेसी कॉलेज, कॉलेज आफ एजुकेशन और कॉलेज ऑफ वुमेन को विश्वविद्यालय में मिला दिया गया था।

30 मई, 2017 को खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट निरस्त करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था और बाद में निरस्तीकरण विधेयक, 2017 पारित किया गया था।

निरस्तीकरण विधेयक को मनमाना करार दिया

शीर्ष अदालत में बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि निरस्तीकरण विधेयक मनमाना था और इस पूरी कार्रवाई में संविधान के अनुच्छेद-14 (कानून के समक्ष समानता) का उल्लंघन हुआ है। जबकि पंजाब के वकील ने कहा कि इसमें कुछ भी मनमाना नहीं है।