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Sep 02 2024, 20:01

पीएम मोदी ने किया बीजेपी के सदस्यता अभियान का आगाज, बोले- आंतरिक लोकतंत्र ना अपनाने का खामियाजा भुगत रहे कई दल*
#pm_narendra_modi_address_bjp_membership_drive_launch बीजेपी का सदस्‍यता अभ‍ियान सोमवार को से शुरू हो गया। पार्टी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदस्‍यता दिलाई। पीएम नरेंद्र मोदी ने मिस्ड कॉल के जरिए बीजेपी की सदस्यता ली। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने सदस्‍यता ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के राष्ट्रीय सदस्यता अभियान के शुभारंभ के अवसर पर कहा कि बीजेपी अपने संविधान के आधार पर चलती है। पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज सदस्यता अभियान का एक और दौर शुरू हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जब तक जिस संगठन के माध्यम से या जिस राजनीतिक दल के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन और वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है, आंतरिक लोकतंत्र निरंतर उसमें पनपता नहीं है तो वैसी स्थिति बनती है जो आज देश कई दलों को हम देख रहे हैं। *भाजपा एकमात्र पार्टी,जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करती है-पीएम मोदी* प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो अपनी पार्टी के संविधान अनुसार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अपने कार्यों का विस्तार कर रही है और जन-सामान्य की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अपने आप को निरंतर योग्य बनाती रहती है। मोदी ने कहा, मैं जब राजनीति में नहीं था, तो जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर पेंट करते थे, तो कई राजनीतिक दल के नेता अपने भाषण में मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर पेंट करने से सत्ता के गलियारों तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं, जिन्होंने दीवारों पर कमल पेंट किया, क्योंकि भरोसा था कि दीवारों पर पेंट किया गया कमल...कभी न कभी तो दिलों पर भी पेंट हो जाएगा। *नई राजनीतिक संस्कृति लाने का प्रयास किया-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जिस संघठन के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन, वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है या उसके अंदर आंतरिक लोकतंत्र निरंतर नहीं पनपता है तो ऐसी स्थिति आती है जो आज हम देश कई दलों में देख रहे हैं। अमित भाई ने कहा कि देश में एकमात्र यही एक दल है जो पार्टी के संविधान का अक्षरश: पालन कर रहा है।' *जहां चुनौती है, वहां दिलों में कमल खिलाना है-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने कहा कि यह दल ऐसे ही यहां तक नहीं पहुंचा। अनेक पीढ़ियां खप गई है। तब जाकर यह दल लोगों के दिलों में जगह बना पाया है। मैं जब राजनीति में नहीं था, जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर दीपक (जनसंघ) पेंट करते थे। तब कई राजनीतिक दल के नेता मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर दीपक जलाने से सत्ता के गलियारे तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं जिन्होंने दीवारों पर इतनी श्रद्धा से पेंट किया कि दीवारों पर पेंट किया हुआ कमल कभी न कभी तो दिलों पर पेंट हो जाएगा। कुछ लोग हमेशा हमारा मजाक उड़ाते रहे। जब संसद में हमारे दो सदस्य थे तब भी इतना भद्दा मजाक उड़ाया गया था। कुछ लोगों का चरित्र ही ऐसा होता है। ऐसी सभी आलोचनाओं को झेलते हुए हम जनसामान्य के कल्याण के लिए समर्पित होकर नेशन फर्स्ट की भावना को जीते हुए चलते ही रहे। पीएम मोदी ने कहा कि चुनौती को चुनौती देना बीजेपी की रगों में है। जहां चुनौती है, वहां दिलों में कमल खिलाना है।

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Sep 02 2024, 19:41

कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर लगाए गंभीर आरोप, “एक साथ तीन जगह से ले रही थीं सैलरी”*
#congress_leader_pawan_khera_on_sebi_chief_madhabi_puri_buch_salary

कांग्रेस ने शेयर बाजार रेग्युलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाएं है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माधवी पर सेबी से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया। आपको बता दें कि बीते महीने अमेरिकी शॉर्ट सेलर फंड हिंडनबर्ग ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा था कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की उन ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अदाणी समूह की फाइनेंशियर अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं। *देश में शतरंज का खेल चल रहा-खेड़ा* कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि देश में शतरंज का खेल चल रहा है। आखिर इस शतरंज के खिलाड़ी कौन हैं। उन्होंने कहा साल 2017 से 2024 तक 16 करोड़ से अधिक रुपये लिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, 'सेबी की भूमिका शेयर बाजार को विनियमित करना है, जहां हम सभी अपना पैसा लगाते हैं। इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सेबी के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है? यह कैबिनेट, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नियुक्ति समिति है। सेबी के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए इस समिति में दो सदस्य हैं। जब वह (सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच) 2017 से 2024 के बीच ICICI बैंक से 16 करोड़ 80 लाख रुपये की नियमित आय ले रही थीं। आप सेबी की पूर्णकालिक सदस्य भी हैं। आप ICICI से वेतन क्यों ले रही थीं?' *हिंडनबर्ग ने सेबी को लेकर किया था दावा* अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अगस्त में एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया है कि सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था। *माधबी बुच ने आरोपों से इनकार किया था* माधवी बुच ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार और चरित्र हनन का प्रयास बताया। सेबी चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की है। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, 'हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है।

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Sep 02 2024, 18:46

अभिषेक सिंघवी ने कहा- खत्म कर देना चाहिए राज्यपाल का पद, जानें क्यों की ऐसी मांग?*
#abhishek_manu_singhvi_said_governor_post_should_be_abolished *
कांग्रेस नेता और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल के पद को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यपालों और विपक्षी नेतृत्व वाली राज्य सरकारों के बीच बढ़ते संघर्षों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंहवी ने कहा कि या तो राज्यपाल का पद खत्म कर देना चाहिए या फिर सबकी सहमति से ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करनी चाहिए जो तुच्छ राजनीति में शामिल न हो। इस दौरान कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर राज्यपालों की भूमिका को दयनीय बनाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि संसद के दोनों सदनों में अध्यक्ष की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सुधार किए जाएं। अभिषेक सिंघवी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक साक्षात्कार दिया। पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सिंघवी ने संसद में आसन और विपक्ष के बीच टकराव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुखद है.. इस कार्यकाल के पूरा होने तक मैं राज्यसभा में 20 साल की अवधि पूरी कर लूंगा। मैं संसदीय भावना को महत्व देता हूं। मैं वास्तव में इसमें विश्वास करता हूं। मेरा मानना है कि सेंट्रल हॉल मात्र एक जगह नहीं है, यह एक ‘अवधारणा’ (कॉन्सेप्ट) है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं दलगत भावना से अलग विशाल हृदय वाली उदारता में विश्वास करता हूं।‘ *सांसदों के निलंबन पर ये कहा* पिछली एनडीए सरकार के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र में बड़े पैमाने पर सांसदों के निलंबन के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आप यह कहकर लोकतंत्र को नकार नहीं सकते कि असहमति के कारण मैं 142 लोगों को निलंबित कर दूंगा। विपक्ष को अपनी बात रखनी होगी और अंततः सरकार का अपना रास्ता होगा। लेकिन मुझे अपनी बात कहने की जरूरत है और आपको अपनी बात कहने की, उस प्रक्रिया को अपने आप चलने दीजिए। सिर्फ दिखावे के लिए संसद (आर्टिफिशियल पार्लियामेंट) नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा कि अब यह राज्यों में भी हो रहा है और किसी एमएलसी को सिर्फ इस वजह से सदन से निष्कासित कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। *स्पीकर के चुनाव पर खड़े किए सवाल* आगे उन्होंने बिना किसी राज्य का नाम लिए कहा कि अब तो राज्यों में भी यही हो रहा है। वहां किसी एमएलसी को मात्र इस कारण सदन से बाहर कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचार की स्वतंत्रता है। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह पहले भारतीय संसदीय व्यवस्था में था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। आज हमारे यहां ऐसा है कि सत्ता धारी दल पहले से तय कर लेते हैं कि अगली संसद में फलाना व्यक्ति स्पीकर होगा, ऐसे में चुनाव से पहले उनकी सीट से कोई दूसरा चुनाव नहीं लड़ेगा और वह व्यक्ति निर्विरोध निर्वाचित हो जाएगा। *राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय- अभिषेक मनु सिंघवी* सिंघवी ने राज्यपालों की भूमिका को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय कर दी है। इस सरकार ने हर संस्था को नीचा दिखाया है। उन्होंने कहा कि आज राज्यपाल शासन को अवरुद्ध करते हैं। आज उनके स्तर पर विधेयकों को मंजूरी देने में विलंब होता है। तमिलनाडु में 10 विधेयकों को रोककर रखा गया था। तब जैसे ही मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो उससे एक दिन पहले ही दो तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी गई और बाकी को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया।

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Sep 02 2024, 18:45

अभिषेक सिंघवी ने कहा- खत्म कर देना चाहिए राज्यपाल का पद, जानें क्यों की ऐसी मांग?*
#abhishek_manu_singhvi_said_governor_post_should_be_abolished *
कांग्रेस नेता और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल के पद को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यपालों और विपक्षी नेतृत्व वाली राज्य सरकारों के बीच बढ़ते संघर्षों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंहवी ने कहा कि या तो राज्यपाल का पद खत्म कर देना चाहिए या फिर सबकी सहमति से ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करनी चाहिए जो तुच्छ राजनीति में शामिल न हो। इस दौरान कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर राज्यपालों की भूमिका को दयनीय बनाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि संसद के दोनों सदनों में अध्यक्ष की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सुधार किए जाएं। अभिषेक सिंघवी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक साक्षात्कार दिया। पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सिंघवी ने संसद में आसन और विपक्ष के बीच टकराव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुखद है.. इस कार्यकाल के पूरा होने तक मैं राज्यसभा में 20 साल की अवधि पूरी कर लूंगा। मैं संसदीय भावना को महत्व देता हूं। मैं वास्तव में इसमें विश्वास करता हूं। मेरा मानना है कि सेंट्रल हॉल मात्र एक जगह नहीं है, यह एक ‘अवधारणा’ (कॉन्सेप्ट) है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं दलगत भावना से अलग विशाल हृदय वाली उदारता में विश्वास करता हूं।‘ *सांसदों के निलंबन पर ये कहा* पिछली एनडीए सरकार के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र में बड़े पैमाने पर सांसदों के निलंबन के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आप यह कहकर लोकतंत्र को नकार नहीं सकते कि असहमति के कारण मैं 142 लोगों को निलंबित कर दूंगा। विपक्ष को अपनी बात रखनी होगी और अंततः सरकार का अपना रास्ता होगा। लेकिन मुझे अपनी बात कहने की जरूरत है और आपको अपनी बात कहने की, उस प्रक्रिया को अपने आप चलने दीजिए। सिर्फ दिखावे के लिए संसद (आर्टिफिशियल पार्लियामेंट) नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा कि अब यह राज्यों में भी हो रहा है और किसी एमएलसी को सिर्फ इस वजह से सदन से निष्कासित कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। *स्पीकर के चुनाव पर खड़े किए सवाल* आगे उन्होंने बिना किसी राज्य का नाम लिए कहा कि अब तो राज्यों में भी यही हो रहा है। वहां किसी एमएलसी को मात्र इस कारण सदन से बाहर कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचार की स्वतंत्रता है। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह पहले भारतीय संसदीय व्यवस्था में था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। आज हमारे यहां ऐसा है कि सत्ता धारी दल पहले से तय कर लेते हैं कि अगली संसद में फलाना व्यक्ति स्पीकर होगा, ऐसे में चुनाव से पहले उनकी सीट से कोई दूसरा चुनाव नहीं लड़ेगा और वह व्यक्ति निर्विरोध निर्वाचित हो जाएगा। *राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय- अभिषेक मनु सिंघवी* सिंघवी ने राज्यपालों की भूमिका को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय कर दी है। इस सरकार ने हर संस्था को नीचा दिखाया है। उन्होंने कहा कि आज राज्यपाल शासन को अवरुद्ध करते हैं। आज उनके स्तर पर विधेयकों को मंजूरी देने में विलंब होता है। तमिलनाडु में 10 विधेयकों को रोककर रखा गया था। तब जैसे ही मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो उससे एक दिन पहले ही दो तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी गई और बाकी को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया।

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Sep 02 2024, 17:53

पैरालंपिक 2024 में भारत को मिला दूसरा गोल्ड, नितेश कुमार ने बैडमिंटन में जीता स्वर्ण

#paralympics_2024_nitesh_kumar_won_gold

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का दूसरा गोल्ड है।नीतेश कुमार ने पैरालंपिक गेम्स 2024 में अपने सपने को साकार करते हुए गोल्ड मेडल जीत लिया है।नितेश कुमार ने मेंस सिंग्लस बैडमिंटन एसएल3 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। इसी के साथ भारत की झोली में अब कुल 9 मेडल हो गए हैं। जिनमें दो स्वर्ण हैं।

नीतेश ने ब्रिटिश पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी डैनियल बेथेल को पुरुष एकल एसएल3 वर्ग के पदक मुकाबले में 21-14, 18-21, 23-21 के स्कोर से हरा दिया। इस मुकाबले का पहला गेम नितेश ने 21-14 से जीता। हालांकि, वह दूसरे गेम में पिछड़ गए और बेथेल ने यह गेम 18-21 से अपने नाम किया। तीसरे गेम में दोनों खिलाड़ियों के बीच काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने मिली और एक समय स्कोर 20-20 पर पहुंच गया था। हालांकि, नितेश ने 23-21 से यह गेम जीतकर स्वर्ण पदक हासिल किया।

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल शूटर अवनि लेखरा ने जीता था। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल SH1 में गोल्ड अपने नाम किया था। अब नितेश कुमार ने इस कारनामे को दोहराया है। बता दें, 2 गोल्ड के अलावा भारत की झोली में अभी तक 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल भी आ चुके हैं। बता दें, भारत को आज दो और गोल्ड मेडल मैच खेलने हैं। ऐसे में मेडल के साथ-साथ गोल्ड मेडल की संख्या भी बढ़ने की उम्मीद है।

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Sep 02 2024, 16:38

विपक्ष की टीम में आरएसएस! जातीय जनगणना का संघ ने किया समर्थन, जानें क्या है इसके पीछे की वजह?*
#rss_big_statement_on_caste_census लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने मोदी सरकार पर जातीय जनगणना नहीं कराने का आरोप लगाया। इसके साथ ही कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष समेत कई पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में दावा किया था कि जैसे बिहार में नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराई और उसके नतीजों को सबके सामने रखा। ठीक उसी तरह सरकार में आने के बाद वह पूरे देश में जातीय जनगणना कराएंगे। हालांकि, विपक्ष की ये कामना पूरी नहीं हो सकी। हालांकि, अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है।केरल के पलक्कड़ में तीन दिन तक चली समन्वय बैठक के समापन के बाद आरएसएस ने विपक्ष के जाति जनगणना के लिए अपना समर्थन जताया है, मगर कुछ शर्तें भी रखी हैं। संघ की समन्वय बैठक में जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। संघ ने जातीय जनगणना को संवेदनशील मुद्दा बताते हुए कहा कि जातीय जनगणना संवेदनशील विषय है। इससे समाज की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है। पंच परिवर्तन के तहत की गई इस चर्चा में संगठन ने फैसला किया है कि व्यापक पैमाने पर समरसता को बढ़ावा देने के लिए काम किया जाएगा। यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है। संघ ने कहा कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए बल्कि कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए और खासतौर पर दलित समुदाय की संख्या जानने के लिए सरकार उनकी गणना कर सकती है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि जातिगत जनगणना देश की एकता-अखंडता के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसलिये इसको बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। इस पर राजनीति नहीं की जा सकती है। जातिगत आंकड़ों का इस्तेमाल अलग-अलग जातियों और समुदाय की भलाई के लिए करना चाहिए।सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ की राय स्पष्ट है, कौन सी जाति किस मामले में पिछड़ गई है, किन समुदाय पर विशेष ध्यान की जरूरत है, इन चीजों के लिए कई बार सरकार को उनकी संख्या की जरूरत पड़ती है। ऐसा पहले भी हो चुका है। हां, जातिगत नंबर का इस्तेमाल उनकी भलाई के लिए किया जा सकता है। न कि इसे चुनावी मुद्दा बनाना चाहिए और राजनीति के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। अब तक संघ ने जाति-विहीन समाज की वकालत की है। वहीं, संघ ने जातिगत जनगणना न तो इसका समर्थन किया और न ही विरोध। हालांकि, आरएसएस पर हमेशा से जाति जनगणना के खिलाफ रहने का आरोप लगता रहा है। पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि “भाजपा को चलाने वाला आरएसएस हमेशा से जाति जनगणना के खिलाफ रहा है। उनका रुख बिल्कुल स्पष्ट है। दलितों और पिछड़ों को उनका हक किसी भी कीमत पर नहीं मिलना चाहिए। इसी घृणित सोच के कारण 100 वर्षों में एक भी आरएसएस अध्यक्ष दलित या पिछड़े वर्ग से नहीं हुआ। देश में सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए जाति जनगणना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे शोषित, वंचित, दलित और पिछड़े वर्ग के लिए नीतियां बनाई जा सकेंगी, ताकि उन्हें समाज में समान अधिकार मिल सकें। आरएसएस और बीजेपी इसी बात से डरते हैं।” हालांकि, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस साल की शुरुआत में आरक्षण की वकालत की थी और कहा था कि कोटा तब तक जारी रहना चाहिए जब तक समाज में भेदभाव है। यह बयान भागवत के पहले के रुख से हटकर था। 2015 में, उन्होंने गैर-पक्षपातपूर्ण पर्यवेक्षकों के एक पैनल द्वारा आरक्षण की समीक्षा का आह्वान किया था। बता दें कि हाल के दिनों में कांग्रेस ने इस मुद्दे को बहुत एग्रेसिव तरीके से उठाया। राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना की मांग के साथ-साथ यह नारा दिया कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी’। उन्होंने मांग की कि जातीय जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक हर जाति को आरक्षण भी मिलना चाहिए। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जातीय जनगणना के मुद्दे को ज्यादा भाव नहीं दिया। उल्टा बिहार के जातिगत जनगणना पर तमाम सवाल भी उठाए। पर 2024 के चुनाव में जिस तरीके से उसे नुकसान हुआ और नीतीश-नायडू जैसे नेताओं से सहयोग लेकर सरकार बनानी पड़ी, उससे दबाव बढ़ा है। 2024 के चुनाव नतीजों ने संघ और बीजेपी को झकझोर दिया। भले ही वो ये कहें कि सबकुछ ठीक-ठाक है लेकिन अंदरखाने राजनीतिक रूप से बहुत प्रभाव पड़ा है। संघ और बीजेपी सोचने पर मजबूर हुई कि जिस तरीके से दलितों-पिछड़ों ने वोट की ताकत दिखाई, वो भाजपा के लिए बड़ा खतरा है। 90 के दशक की गैर भाजपाई-गठबंधन सरकारों का दौर लौट सकता है। उसको रोकने के लिए एक तरीके से संघ को मजबूरन यह स्टैंड लेना पड़ा। हालांकि, भले ही आरएसएस ने अपना रूख साफ कर दिया हो, लेकिन बीजेपी के लिए ये फैसला लेना अभी भी मुश्किल होगा। दरअसल, बीजेपी के सामने असल दुविधा ये है कि पार्टी को लगता है कि जातिगत जनगणना के बाद नंबर के मुताबिक आरक्षण की मांग भी उठेगी। ऐसे में बीजेपी के परंपरागत अगड़ी जातियों के वोटर नाराज हो सकते हैं।

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Sep 02 2024, 15:43

भारत ने पैरालंपिक में जीता एक और मेडल, योगेश कथुनिया को डिस्कस थ्रो में मिला सिल्वर

#yogesh_kathuniya_wins_silver_medal_in_men_discus_throw_paris_paralympics

भारत के योगेश कथुनिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों के एफ56 चक्का फेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ रजत पदक जीता।योगेश ने लगातार दूसरे पैरालंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। उन्होंने इससे पहले टोक्यो गेम्स में भी यही मेडल जीता था। इस तरह भारत अब तक इन खेलों में आठ पदक जीत चुका है जिसमें एक स्वर्ण भी शामिल है।

पेरिस के स्टैड डि फ्रांस में हो रहे पैरालंपिक के एथलेटिक्स इवेंट में भारत की झोली में ये मेडल आया। योगेश कथुनिया ने मेन्स डिस्कस थ्रो एफ 56 इवेंट में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। खास बात ये है कि योगेश ने अपने पहले ही प्रयास में ये थ्रो किया था, जो उन्हें मेडल जिताने के लिए काफी था। ये इस सीजन में योगेश का बेस्ट थ्रो भी था। योगेश कथुनिया का पहला थ्रो 42.22 मीटर का फेंका। इसके बाद दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवां क्रमश 41.50 मीटर, 41.55 मीटर, 40.33 मीटर और 40.89 मीटर का रहा।

योगेश कथुनिया ने इससे पहले टोक्यो ओलंपिक 2020 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। इस तरह उन्होंने लगातार दूसरे पैरालंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है।पैरालंपिक 2024 में भारत को एथलेटिक्स में ये चौथा मेडल मिला है। उनसे पहले प्रीति पाल ने 100 मीटर और 200 मीटर की अपनी कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। वहीं निषाद कुमार ने मेंस हाई जंप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। निषाद ने भी लगातार दूसरे पैरालंपिक में सिल्वर जीता था। अब योगेश ने भी अपनी सफलता को दोहराया है। कथूनिया की ये सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि सिर्फ 9 साल की उम्र से ही वो अपनी शारीरिक समस्या से जूझ रहे हैं।

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Sep 02 2024, 15:27

अगर भारत ने शेख हसीना को बांग्लादेश नहीं भेजा तो...',खालिदा जिया की पार्टी के नेता को है संबंधों की चिंता या दे रहे धमकी?

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पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद और देश छोड़ने वालीं शेख हसीना इन दिनों भारत में हैं। मगर शेख हसीना का भारत में होना बांग्लादेश को रास नहीं आ रहा है।बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि शेख हसीना के प्रत्यार्पण को लेकर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर बयान दिया है। हालांकि उनके बयान से उस तरह के सवाल उठ रहे है कि उन्हें दोनों देशों के संबंधों की चिंता सता रही है या वो शेख हसीने के प्रत्यारण के बहाने भारत को धमकाने का कोशिश कर रहे हैं?

दरअसल, खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करना महत्वपूर्ण है, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के साथ शुरू होना चाहिए, क्योंकि भारत में उनकी निरंतर उपस्थिति द्विपक्षीय संबंधों को और नुकसान पहुंचा सकती है। बीएनपी में दूसरे नंबर के नेता आलमगीर ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी भारत के साथ मजबूत संबंधों की इच्छुक है। उन्होंने कहा कि वह ‘‘पिछले मतभेदों को दूर करने और सहयोग करने के लिए’’ तैयार हैं।

आलमगीर ने कहा कि अगर भारत हसीना की बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित नहीं करता है, तो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध खराब होंगे। उन्होंने कहा, ‘यहां पहले ही भारत के खिलाफ गुस्सा है, क्योंकि उसे शेख हसीना की निरंकुश सरकार के समर्थक के रूप में देखा जाता है। अगर आप बांग्लादेश में किसी से भी पूछेंगे, तो वह यही कहेगा कि भारत ने शेख हसीना को शरण देकर ठीक नहीं किया।‘

बीएनपी नेता ने कहा कि हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की खबरें सही नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक होने के बजाय राजनीति से प्रेरित थीं। उन्होंने कहा, ‘शेख हसीना को खुद और अपनी सरकार की ओर से किए गए सभी अपराधों और भ्रष्टाचार के लिए बांग्लादेश के कानून का सामना करना पड़ेगा। इसे संभव बनाने और बांग्लादेश के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए भारत को उनकी बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए।‘

एक साक्षात्कार में आलमगीर ने कहा कि अगर बीएनपी सत्ता में आती है, तो वह आवामी लीग सरकार के दौरान हुए ‘विवादित’ अडाणी बिजली समझौते की समीक्षा और पुन: मूल्यांकन करेगी, क्योंकि इससे बांग्लादेश के लोगों पर ‘भारी दबाव’ पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह भारत की कूटनीतिक विफलता है कि वह बांग्लादेश के लोगों की मानसिकता को समझने में नाकाम रहा। आलमगीर ने कहा कि जन आक्रोश के बीच हसीना सरकार के पतन के बाद भी ‘भारत सरकार ने अभी तक बीएनपी से बातचीत नहीं की है, जबकि चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और पाकिस्तान पहले ही बात कर चुके हैं।’

बता दें कि पिछले महीने अगस्त में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में हिंसका छात्र आंदोलन में 400 से अधिक लोगों की जान गई थी। छात्र आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था में सुधार किया लेकिन बाद में छात्रों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। उग्र भीड़ ढाका में पीएम आवास की तरफ बढ़ने लगी थी। बांग्लादेश सेना के दबाव में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और अपना देश भी छोड़ना पड़ा था।

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Sep 02 2024, 15:21

हिन्दुओं को कुत्ता-काफिर कहने वाले मौलाना अजहरी की रिहाई के लिए जुटी मुस्लिम भीड़, वीडियो हो रहा वायरल

उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में हुए एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय ने मुफ़्ती सलमान अजहरी की रिहाई के लिए प्रदर्शन किया। फरवरी 2024 से गुजरात की जेल में बंद मौलाना अज़हरी ने खुले मंच से हिन्दुओं को कुत्ता काफिर कहा था और सांप्रदायिक नफरत फ़ैलाने वाले भाषण दिए थे। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए और उन्होंने बैनर-पोस्टर लेकर मुफ़्ती की रिहाई की माँग की। इस भीड़ ने कार्यक्रम के दौरान शोर मचाया और रिहाई के समर्थन में नारे लगाए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना बरेली में उर्स-ए-रजवी के मौके पर हुई, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग शामिल हुए थे। कार्यक्रम के समापन के दिन, 30 अगस्त 2024 को, भीड़ ने मुफ़्ती सलमान अजहरी की रिहाई के समर्थन में नारे लगाए। मंच पर मौजूद मौलानाओं ने भी इस मांग का समर्थन किया और सलमान अजहरी के साथ खड़े होने की बात कही। एक मौलाना आकिल रजवी ने यह भी कहा कि किसी सहाबी के खिलाफ बोलने वालों की जुबान बंद कर दी जाएगी। मंच से मुफ़्ती सलमान अजहरी की रिहाई के लिए दुआ भी पढ़ी गई और कार्यक्रम के अंत में फिलिस्तीन के लिए भी दुआ की गई। मुफ़्ती सलमान अजहरी को फरवरी 2024 में गुजरात की एक जेल में भेजा गया था। उसने जनवरी 2024 में एक कार्यक्रम में हिन्दुओं की तुलना कुत्ते से की थी और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था। इसके बाद उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और मुंबई से गुजरात की एटीएस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके अतिरिक्त, उसके खिलाफ महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी कई FIR दर्ज की गई हैं, जिनमें दंगा भड़काने और संपत्ति नष्ट करने के मामले शामिल हैं। इधर, विद्वान लोगों के बीच चर्चा जोरों पर है कि मुस्लिम भीड़ इस तरह के अपराधियों के समर्थन में क्यों इकट्ठा होती है, जो समाज में नफरत और विष फैलाते हैं? समाज में राष्ट्रप्रेम और एकता का संदेश देने वाले व्यक्तियों जैसे मिसाइलमैन अब्दुल कलाम, वीर अब्दुल हामिद, और शहीद अशफाकुल्लाह खान को प्रेरणा के रूप में क्यों नहीं देखा जाता? क्या कारण है कि आखिर समाज में इन सकारात्मक उदाहरणों की जगह हिंसा और घृणा फैलाने वालों को अधिक महत्व दिया जाता है।

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Sep 02 2024, 15:19

उज्जैन में महाकाल की सवारी में इस्लामिक शब्द- 'शाही' पर छिड़ा बवाल, यहां जानिए, क्या है पूरा मामला

महाकाल की नगरी उज्जैन में इन दिनों आक्रोश व्याप्त है। हालांकि, यह आक्रोश सड़कों पर नहीं बल्कि विद्वानों के विमर्श के जरिए व्यवस्था में परिवर्तन की मांग के रूप में उभर रहा है। इसका कारण है उज्जैन के राजा और ब्रह्मांड के अधिपति महाकाल की सवारी को 'शाही सवारी' कहना। विद्वानों, संस्कृतज्ञों, अखाड़ों के साधुओं तथा सनातन धर्म के अनुयायियों का मानना है कि 'शाही' शब्द में इस्लामिक आक्रांताओं और राजशाही की गंध आती है। इसलिए, महाकाल की सवारी को 'शाही सवारी' न कहा जाए। इसकी जगह, संस्कृत या हिंदी का कोई उपयुक्त शब्द प्रचलन में लाया जाना चाहिए। विद्वतजन यह भी कहते हैं कि इस परिवर्तन के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव को स्वयं पहल करनी होगी, तभी सरकार के दस्तावेजों से लेकर आम जनजीवन तक में 'शाही' शब्द को हटाया जा सकेगा। गौरतलब है कि इस बार सावन-भाद्रपद मास की अंतिम सवारी आज, सोमवार 2 सितंबर को निकाली जाएगी। यह इस साल की महाकाल की अंतिम तथा भव्यातिभव्य सवारी होगी, जिसे देखने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु आएंगे। इसी अंतिम सवारी से पहले, इसे 'शाही' कहे जाने के विरोध में विद्वानों का यह आक्रोश सामने आया है। आक्रोश का कारण प्रतिवर्ष श्रावण-भाद्रपद मास के प्रत्येक सोमवार को महाकाल की सवारी निकलती है, जिसमें महाकाल पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। महाकाल की अंतिम सवारी सबसे भव्य होती है, इसलिए इसे 'शाही सवारी' कहा जाता रहा है। किन्तु, इसे 'शाही' कहने पर उज्जैन के संतों, विद्वानों और अखाड़ों के साधुओं में असहमति और आक्रोश है। उनका कहना है कि जिस महाकालेश्वर मंदिर पर साल 1234 में क्रूर इस्लामिक शासक इल्तुतमिश ने हमला किया था तथा कत्लेआम मचाया था, उसी इस्लामिक शब्द 'शाही' को महाकाल की सवारी से जोड़ना अनुचित है। इसलिए, इसे तुरंत हटाकर संस्कृत या हिंदी का कोई ऐसा शब्द अपनाया जाए जो इस सवारी की पवित्रता और भव्यता को सही अर्थों में व्यक्त कर सके। विद्वानों की प्रतिक्रिया कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन के निदेशक डॉ. गोविंद गंधे का कहना है कि महाकाल की सवारी को 'शाही' बोलना उनका अपमान है। 'शाह' तो मुगलों तथा यवनों का शब्द है। यह पराधीनता के प्रभाव में प्रचलन में आ गया होगा। जब इसे लोक ने मान्यता दी, तो शास्त्रों ने भी हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन अब इसे हटाना आवश्यक है। इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरुरत है। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त कहते हैं कि 'शाही' शब्द सामंती परंपरा का प्रतीक है। महाकालेश्वर कोई शाह या सामंत नहीं, बल्कि भगवान हैं। इसलिए, 'शाही' शब्द को हटाया जाना चाहिए।