डेंगू की पुष्टि के लिए जेपीएन और मगध मेडिकल में एलिज़ा जांच की सुविधा, 16 से 30 डिग्री सेल्सियस में सक्रिय रहता है वायरस, नवंबर तक रहें सचेत
गया शहर में डेंगू के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग सक्रिय है। आमजन में डेंगू से बचाव के लिए बारे में जागरूकता लाने के साथ—साथ चिकित्सकों को भी ईलाज संबंधी प्रशिक्षण दिया गया है। इस क्रम में मंगलवार को शहर के जेपीएन सदर अस्पताल सभागार कक्ष में सभी सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों तथा संस्थान के एक एमबीबीएस डॉक्टरों को डेंगू उपचार पर प्रशिक्षण दिया गया। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने नेशनल गाइडलाइन फॉर क्लिनिकल मैनेजमेंट ऑफ डेंगू फीवर का जिक्र करते हुए बताया कि डेंगू होने पर सुरक्षात्मक उपाय अपनाना आवश्यक है। इस दौरान civil surgeon Dr Ranjan Kumar Singh भी मौजूद रहे.
नवंबर तक सचेत रहने की जरूरत
प्रशिक्षण के दौरान civil surgeon ने बताया कि डेंगू रोग एडिज मच्छर के काटने से होता है। डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है और दिन में काटता है। इसलिए घर में या घर के आसपास पानी का जमाव नहीं होने दें। आठ से दस दिन में लार्वा मच्छर का रूप ले लेता है। कूलर, गमला या ऐसे जगह जहां पर पानी जमा होता है, उसकी सफाई करते रहें। डेंगू का मच्छर चार सौ मीटर की उंचाई तक उड़ सकता है। अगस्त से नवंबर तक इस बीमारी को लेकर सचेत रहने की अत्यंत आवश्यकता है। डेंगू का मच्छर 16 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच अधिक निकलता है। यह नच तब अधिक सक्रिय होता है जब 70 फीसदी से अधिक ह्यूमिडिटी होती है। तापमान घटने के साथ इसका असर भी कम होता जाता है।
डेंगू की पुष्टि के लिए एलिजा टेस्ट
डॉ हक ने बताया कि मच्छर से बचाव के लिए फुल बांह वाले कपड़ा पहनें। दिन में भी मच्छरदानी लगाकर सोयें तथा मच्छर भगाने वाली क्रीम या धुंआ आदि का उपयोग करें। इसके लक्षण में हड्डी तोड़ बुखार, शरीर पर चकता उभर आना, उल्टी, भूख नहीं लगना, आंख के पीछे वाले हिस्से में दर्द आदि हैं। ऐसा होने पर सरकारी अस्पताल में चिकित्सक से मिले। यहां पर आरडीटी किट उपलब्ध है। इससे स्क्रीनिंग की जाती है। पुष्टि के लिए जेपीएन सदर अस्पताल तथा मगध मेडिकल अस्पताल में एलिज़ा टेस्ट किया जाता है। तीन से चार दिन तक बुखार रहता है। बुखार घटने के दौरान ही सबसे जोखिम भरा समय होता है। इसी दौरान शरीर के अंदर या बाहर रक्तस्राव होने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ हक ने बताया कि डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाता है, लेकिन इसके लिए बहुत अधिक परेशान नहीं होना है। यह जानकारी रखें कि प्लेटलेट्स दस हजार प्रति क्यूबिक मिलीलीटर से नीचे होने पर इसे चढ़ाया जाना चाहिए। बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बूढ़े तथा दूसरी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को सबसे अधिक बचाव के लिए ध्यान रखना है। बुखार होने पर ब्लड प्रेशर काफी नीचे जा रहा है, पेशाब नहीं हो रहा है या सामान्य से कम हो रहा है या उल्टी होने पर अस्पताल में मरीज को भर्ती कराना है। सभी प्राथमिक तथा सामुदायिक अस्पताल में दो बेड डेंगू मरीजों के लिए सुरक्षित रखा गया है। और यहां सभी चिकित्सकों को डेंगू चिकनगुनिया से बचाव के लिए प्रशिक्षित है।
रिपोर्ट: मनीष कुमार
Aug 29 2024, 09:27