चीन जंग जीतने के लिए बदलेगा अपने पुराने सिद्धांत, नई युद्ध नीति के साथ ताकतवर दुश्मनों से करेगा मुकाबला!
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दुनिया दो धड़े में बंटती जा रही है। एक तरफ रूस-यूक्रेन में युद्ध लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ इजराइल-हमास में जंग छिड़ी है।कोई एक पक्ष के समर्थन में खड़ा है, तो कोई दूसरे पक्ष के। इस बीच कई देशों से उलझ रहे चीन ने अपनी “चाल” बदलने की फिराक में है। दरअसल, दुश्मनों को मात देने के लिए चीन ने युद्ध का पुराना सिद्धांत बदलने का भी फैसला किया है। चीन ने यह बात स्वीकार ली है कि उसके दुश्मन अब काफी ताकतवर हो चुके हैं। अब वह मजबूत दुश्मनों और विरोधियों से मुकाबला करने और जीत हासिल करने के लिए नई युद्ध नीति तैयार कर रही है। उसी के अनुसार सेनाओं को तैयार किया जा रहा है।
22 अगस्त को चीन के क्रांतिकारी और सुधारवादी नेता डेंग जियाओपिंग की 120वीं जयंती मनाई गई। वो चीन के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने माओ-त्से-त्यु की मौत के बाद जब देश राजनीतिक और आर्थिक संकट से घिर गया था, तब डेंग ही देश को बाजारवादी अर्थव्यवस्था की ओर लेकर गए थे। उनकी जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें याद किया गया। जहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी सेना के फोकस के बारे में बात की।
चाइना पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर इन चीफ शी जिनपिंग ने सेना से कहा कि वह राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए अपनी रणनीतिक क्षमता में सुधार करें। एक शीर्ष रक्षा अधिकारी ने कहा है कि स्थानीय युद्ध जीतने के अपने दशकों पुराने सिद्धांत से हटकर, चीन की सेना मजबूत दुश्मनों और विरोधियों के खिलाफ युद्ध जीतने पर फोकस कर रही है, बीजिंग को अमेरिका समेत कई मोर्चों पर बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहाचीन
पीएलए को यह निर्देश तब दिया गया है कि जब चीन बहुत सारे मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। वह अपने विस्तार के लिए जो प्रयोग कर रहा है उनसे विवाद खड़े हो रहे हैं और उन विवादों से निपटे बगैर चीन आगे बढ़ नहीं सकता, इसलिए चीनी नेतृत्व को अब लग रहा है कि सैन्य श्रेष्ठता के बगैर आगे बढ़ना मुश्किल है। सैन्य क्षमता ही उसके आगे बढ़ते रहने का रास्ता बना सकती है। ताइवान और दक्षिण चीन सागर, दो ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आगे बढ़ने पर चीन का अमेरिका से टकराव होना निश्चित है, ऐसे में सैन्य श्रेष्ठता के बगैर चीन अपने लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता है।
कौन है चीन के ताकतवर दुश्मन
वैसे तो चीन के भारत, अमेरिका, फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान समेत कई दुश्मन हैं। मगर वह अब भारत और अमेरिका को ही दुश्मन नंबर 1 मानता है। चीन को अब लगने लगा है कि भारत और अमेरिका की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ गई है। ऐसे में खासककर इन दोनों से पार पानाा चीन के लेए आासान नहीं होगा। चीन जानता है कि सिर्फ एलएसी बॉर्डर पर ही नहीं, बल्कि भारत उसके लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक खतरा बनेगा। इसी तरह उसे अमेरिका से भी धरती से आसमान तक प्रतिद्वंदिता से खतरा महसूस हो रहा है। इसलिए चीन ने युद्ध के अपने पुराने सिद्धांतों को बदलने का फैसला किया है। इसके तहत अब उसका एक मात्र लक्ष्य दुश्मन को किसी भी तरह मात देने पर होगा। इसमें कई नियम-कानून ताख पर रखे जा सकते हैं।
Aug 26 2024, 20:05