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वाराणसी से निकली साबरमती एक्सप्रेस के 22 डब्बे पटरी से उतरे, आधी रात को यात्रियों में मचा हड़कंप

वाराणसी से साबरमती जा रही साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे आज शनिवार (17 अगस्त) रात उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास पटरी से उतर गए, जिससे यात्रियों में दहशत फैल गई। यह हादसा ट्रेन के कानपुर से रवाना होने के कुछ ही देर बाद हुआ, और भीमसेन के पास पटरी से उतरने की घटना हुई। उत्तर मध्य रेलवे (NCR) के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि यह घटना रात 2:30 बजे हुई। तेज आवाज के बाद जब ट्रेन रुकी तो यात्री सो रहे थे। पुलिस और प्रशासनिक कर्मियों सहित आपातकालीन टीमें घटनास्थल पर मौजूद हैं। सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया और किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "साबरमती एक्सप्रेस (वाराणसी से अहमदाबाद) का इंजन ट्रैक पर रखी किसी वस्तु से टकराया और आज सुबह 02:35 बजे कानपुर के पास पटरी से उतर गया। तेज चोट के निशान देखे गए हैं। साक्ष्य सुरक्षित हैं। आईबी और यूपी पुलिस भी इस पर काम कर रही है।" हालांकि, इस रूट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। यह सेक्शन कानपुर से मुंबई की ओर जाने वाली ट्रेनों के लिए अहम रूट है। यात्रियों में से एक विकास ने बताया कि, "कानपुर रेलवे स्टेशन से ट्रेन के रवाना होने के कुछ ही देर बाद हमने तेज आवाज सुनी और कोच हिलने लगा। मैं बहुत डर गया, लेकिन ट्रेन रुक गई।" रेलवे ने बताया कि दुर्घटना के कारण सात रेलगाड़ियां रद्द कर दी गई हैं तथा तीन के मार्ग में परिवर्तन किया गया है। भारतीय रेलवे ने कानपुर जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए बसें भेज दी हैं। रेलवे के अनुसार, साबरमती एक्सप्रेस 19168 एक चट्टान से टकराने के बाद पटरी से उतर गई, जिससे इंजन के कैटल गार्ड को काफी नुकसान पहुंचा। भारतीय रेलवे फिलहाल इस घटना की जांच कर रहा है। इस बीच, रेलवे ने संबंधित स्टेशनों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं: वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी जंक्शन पर 0510-2440787 या 0510-2440790 पर संपर्क किया जा सकता है। उरई के लिए संपर्क नंबर 05162-252206 है। बांदा के लिए 05192-227543 और ललितपुर जंक्शन के लिए 07897992404 पर संपर्क किया जा सकता है।
400 स्वदेशी हॉवित्जर तोपें खरीदने के लिए भारतीय सेना ने जारी किया टेंडर, 6500 करोड़ की है डील

रक्षा उपकरणों के संबंध में अपनी प्रमुख आधुनिकीकरण योजना के तहत, भारतीय सेना ने शुक्रवार (16 अगस्त) को 400 नए हॉवित्जर (तोपखाने) खरीदने के लिए लगभग 6,500 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया। जारी निविदा के अनुसार, सेना स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित (IDDM) श्रेणी की तोपें भारतीय फर्मों से खरीदेगी। शीर्ष रक्षा सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि इस खरीद से रक्षा क्षेत्र में घरेलू कंपनियों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। पिछले दशक में सेना द्वारा अनेक नई हॉवित्जर तोपें खरीदी गई हैं, जिनमें धनुष, शारंग, अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर (ULH) और के-9 वज्र स्व-चालित तोपें जैसी तोप प्रणालियां शामिल हैं। धनुष तोपें बोफोर्स तोपों का इलेक्ट्रॉनिक अपग्रेड हैं, जबकि शारंग तोपों को 130 मिमी से 155 मिमी कैलिबर में अपग्रेड किया गया है। सातवीं और पांचवीं रेजिमेंट को पहले से ही स्व-चालित तोपों से सुसज्जित किया जा चुका है। 155 मिमी भविष्य में सभी तोपों का मानक कैलिबर होगा, जिसमें स्वचालित सिस्टम और असेंबली होंगी। सूत्रों ने बताया कि दृष्टि प्रणालियों, गोला-बारूद निर्माण, धातु विज्ञान और तोपों की नेटवर्किंग में नई तकनीकों के विकास पर जोर दिया जा रहा है।
'इच्छा हो तो पढ़ो और नहीं तो मत...', कॉलेजों की लाइब्रेरी में RSS विचारकों की पुस्तकों को रखने के विवाद पर बोले CM मोहन

मध्य प्रदेश में कॉलेजों की लाइब्रेरी में RSS विचारकों की पुस्तकों को रखने के विवाद पर सीएम मोहन यादव ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि वाचनालय और ग्रंथालयों में सिर्फ RSS ही नहीं, बल्कि सभी विचारकों की पुस्तकें सम्मिलित की जाएंगी। सीएम यादव ने भोपाल के सप्रे संग्रहालय में भारतीय भाषा महोत्सव का उद्घाटन करते हुए इस मुद्दे पर कहा कि अभी तक पाठ्यक्रम का निर्धारण नहीं हुआ है। कोर्स को अंतिम रूप देने का कार्य एक विशेष समिति द्वारा किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि लाइब्रेरी में विभिन्न विचारों के लेखकों की पुस्तकें रखी जाएंगी, चाहे वे RSS से संबंधित हों या अन्य किसी से। उन्होंने कहा, “लाइब्रेरी में पुस्तकें न रखें तो क्या करें? पढ़ना आपकी मर्जी है, न पढ़ना भी आपकी मर्जी है।” आगे सीएम मोहन यादव ने कहा कि ज्ञान का प्रवाह किसी एक दिशा से नहीं आना चाहिए, बल्कि दसों दिशाओं से आना चाहिए। यही भारत की विशेषता है और यही वजह है कि देश प्रगति कर रहा है। उन्होंने जोर दिया कि वाचनालय और ग्रंथालय ज्ञान के आदान-प्रदान के महत्वपूर्ण स्थान होते हैं, और वहां विभिन्न विचारों की किताबें होनी चाहिए। इससे पहले, मध्य प्रदेश के पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने भी इस विवाद पर कहा था कि RSS का नाम सुनकर कांग्रेस को हमेशा से परेशानी होती है। उन्होंने कांग्रेस पर वामपंथी इतिहासकारों के साथ मिलकर शिक्षा को प्रभावित करने का आरोप लगाया तथा कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय परंपराओं को पढ़ाने में क्या आपत्ति हो सकती है? गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के कॉलेजों में नई पुस्तकों की खरीद को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के लिए ये पुस्तकें खरीदी जानी हैं। ये किताबें पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगी, बल्कि लाइब्रेरी में उपलब्ध रहेंगी। इनमें कुछ पुस्तकों के लेखक RSS विचारक भी हैं। मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के अफसर डॉ. धीरेंद्र शुक्ला ने सभी सरकारी एवं प्राइवेट कॉलेजों के प्राचार्यों को 88 पुस्तकों का सेट खरीदने का निर्देश दिया है। इन पुस्तकों में प्रमुख RSS विचारकों जैसे सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, अतुल कोठारी, देवेंद्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर की किताबें शामिल हैं। ये लेखक RSS की शैक्षिक शाखा विद्या भारती से जुड़े हैं। विभाग ने कॉलेजों से जल्द ही इन पुस्तकों को खरीदने के निर्देश दिए हैं।
उज्जैन में काल भैरव मंदिर में मचा बवाल, सुरक्षा गार्ड्स ने लाइन में लगे भक्त को लात और बेल्ट से पीटा

धार्मिक नगरी उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन के लिए प्रतिदिन श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें लगती हैं। इसी प्रकार काल भैरव के दरबार में भी प्रतिदिन हजारों भक्त भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। हालांकि, इस मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था नहीं है, और सर्दी, गर्मी या बरसात से बचाव की कोई सुविधा नहीं है। श्रद्धालु घंटों तक बैरिकेड में खड़े रहते हैं, तब जाकर उन्हें भगवान के दर्शन होते हैं। इस के चलते यदि कोई समस्या होती है तो सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे गार्ड भक्तों के साथ बदसलूकी कर सकते हैं। काल भैरव मंदिर का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें आधा दर्जन सुरक्षा गार्ड एक श्रद्धालु के साथ मारपीट करते नजर आ रहे हैं। महाकालेश्वर मंदिर की भांति ही काल भैरव मंदिर की दर्शन व्यवस्था को भी सरल और सुगम बनाने के उद्देश्य से क्रिस्टल एजेंसी को सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन, इस एजेंसी के सुरक्षा गार्ड किस तरह से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं, यह हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो से स्पष्ट हो गया है। इस वीडियो में सुरक्षा गार्ड एक श्रद्धालु की बेरहमी से धुनाई करते नज़र आ रहे हैं। आमतौर पर ऐसे दृश्य यहां देखने को मिल जाते हैं, विशेषकर बाहर से आने वाले भक्तों को जब असुविधाओं का सामना करना पड़ता है और घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। यह वही क्रिस्टल एजेंसी है, जिसे महाकालेश्वर मंदिर की सुरक्षा का जिम्मा भी सौंपा गया है। कुछ दिनों पहले, इस एजेंसी के सुरक्षा गार्ड्स द्वारा मंदिर में दर्शन करने आए भक्तों के साथ मारपीट का एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो के सामने आने के पश्चात् जिम्मेदार अफसरों ने इसे गंभीरता से लिया और क्रिस्टल एजेंसी के सुरक्षा गार्ड्स पर कार्रवाई की थी। इसके बावजूद, गार्ड्स का व्यवहार भक्तों के प्रति ठीक नहीं हुआ है। इस मामले पर जब कलेक्टर नीरज कुमार सिंह से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि वायरल हो रहे वीडियो को संबंधित SDM को भेजकर इस मामले की जांच कराई जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी। नोट-स्ट्रीट बज वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता।
उदयपुर के बाद जयपुर में भी बवाल, मुस्लिम युवकों ने स्कूटी सवार को पीट-पीटकर मार डाला, सड़क पर उतरे हिन्दू संगठन

राजस्थान में हाल ही में जयपुर और उदयपुर में तनावपूर्ण घटनाएं सामने आई हैं। जयपुर में शास्त्री नगर इलाके की स्वामी बस्ती में एक ई-रिक्शा सवार युवकों ने स्कूटी सवार दिनेश स्वामी की बेरहमी से पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई। यह घटना देर रात हुई, जब दिनेश अपनी स्कूटी पर जा रहा था और अचानक उसे कुछ युवकों ने रोककर विवाद शुरू कर दिया। पिटाई के बाद दिनेश को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना से नाराज स्थानीय लोग धरने पर बैठ गए और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और एक आरोपी युवक को गिरफ्तार किया। पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है। उदयपुर में भी एक घटना ने शहर में तनाव बढ़ा दिया। वहां के सरकारी स्कूल में दो छात्रों के बीच झगड़ा हो गया, जिसमें एक मुस्लिम छात्र ने देवराज नामक छात्र पर चाकू से हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। देवराज को महाराणा भूपाल सिंह हॉस्पिटल के ICU में भर्ती कराया गया। इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने विरोध जताते हुए कार्रवाई की मांग की, लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी इसका विरोध किया और सड़कों पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने हालात को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया। प्रशासन ने शहर में धारा-144 लागू कर दी और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया। यह घटना सूरजपोल थाना क्षेत्र में सुबह 10:30 बजे हुई। स्कूल के बाहर लंच के दौरान दोनों छात्रों के बीच झगड़ा हुआ, जिसमें एक छात्र ने दूसरे की जांघ में चाकू से वार किया। घायल छात्र को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसका इलाज जारी है। इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने शहर के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया और दुकानें बंद करवाईं। प्रशासन ने नाबालिग आरोपी छात्र को हिरासत में ले लिया है और उसके पिता को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस स्थिति पर नजर रख रही है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सतर्क है।
आज के मुद्दों से निपटने..', पीएम मोदी ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में उठाया आतंकवाद का मुद्दा, भारत कर रहा VOGSS की मेजबानी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार (17 अगस्त) को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट (VOGSS) में कहा कि कोविड के बाद दुनिया अनिश्चितता से जूझ रही है और आतंकवाद तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रही है, ऐसे में पिछले दशक में स्थापित वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थान आज के मुद्दों से निपटने में कम पड़ गए हैं। उल्लेखनीय है कि, भारत वर्चुअल प्रारूप में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट की मेजबानी कर रहा है, जिसमें वैश्विक दक्षिण के देशों को एक मंच पर विभिन्न मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करने के लिए एक साथ लाने की परिकल्पना की गई है। इस शिखर सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि, "2022 में, जब भारत ने जी20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने जी20 को एक नया ढांचा देने का संकल्प लिया। वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच बन गया, जहां हमने विकास से जुड़ी समस्याओं और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की। और भारत ने ग्लोबल साउथ की आशाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर जी20 एजेंडा तैयार किया।" पीएम मोदी ने कहा कि, "हमने समावेशी और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण के साथ जी20 को आगे बढ़ाया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वह ऐतिहासिक क्षण था जब अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता मिली।" इसके साथ ही पीएम मोदी ने संघर्षों और अन्य चिंताओं के बीच मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में अनिश्चितता पर प्रकाश डाला और कहा कि वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थान आज की चुनौतियों से निपटने में "अक्षम" रहे हैं। उन्होंने कहा कि, "आज हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब दुनिया भर में अनिश्चितता का माहौल है। दुनिया कोविड के प्रभाव से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है। दूसरी ओर, युद्ध की स्थितियों ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हम जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना कर रहे हैं और अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियां भी हैं।" उन्होंने कहा कि, "आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाजों के लिए गहरे खतरे बन गए हैं। प्रौद्योगिकी विभाजन और प्रौद्योगिकी से अन्य आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां सामने आ रही हैं।" उन्होंने आगे वैश्विक दक्षिण के देशों से एक साथ आने और एक-दूसरे की ताकत के रूप में काम करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले दशक में निर्मित वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थाएँ इस सदी में सामने आने वाली चुनौतियों से लड़ने में अक्षम साबित हुई हैं। यह समय की मांग है कि वैश्विक दक्षिण के देश एक साथ आएं, एक स्वर में एक-दूसरे की ताकत बनें। हमें एक-दूसरे के अनुभवों से सीखना चाहिए, अपनी क्षमताओं को साझा करना चाहिए और दुनिया की दो-तिहाई मानवता को मान्यता देनी चाहिए।" प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि, "एक सतत भविष्य के लिए एक सशक्त वैश्विक दक्षिण" की व्यापक थीम के साथ तीसरा वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट (VOGSS) पिछले शिखर सम्मेलनों में दुनिया को प्रभावित करने वाली कई जटिल चुनौतियों पर चर्चाओं का विस्तार करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा, जैसे कि संघर्ष, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा संकट, जलवायु परिवर्तन - ये सभी विकासशील देशों को असमान रूप से गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के दर्शन पर आधारित यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के दृष्टिकोण का विस्तार है।
बंटवारे का पहला बीज बोन वाले अल्लामा इक़बाल के बारे में अब नहीं पढ़ाएगी दिल्ली यूनिवर्सिटी, नए सिलेबस में शामिल होंगे राष्ट्रभक्तों के पाठ

मोहम्मद इकबाल, जिन्हें अल्लामा इकबाल के नाम से जाना जाता है। एक समय में उन्होंने प्रसिद्ध गीत 'सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्ताँ हमारा' लिखा था, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि, इन्ही अल्लामा इकबाल ने देश के विभाजन का बीज भी बोया था। इकबाल न सिर्फ मुस्लिम लीग के प्रमुख समर्थक थे, बल्कि मोहम्मद अली जिन्ना के भी सलाहकार थे। उन्होंने ही मजहबी आधार पर मुस्लिमों के लिए अलग देश की माँग सबसे पहले उठाई थी। हालांकि, इसके बावजूद उन्हें अब तक भारत में सम्मान मिलता रहा है। हालांकि, दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने अब यह निर्णय लिया है कि मोहम्मद इकबाल से जुड़े चैप्टर्स को उनके सिलेबस से हटा दिया जाएगा। DU के कुलपति योगेश सिंह ने ऐलान किया है कि इकबाल भारत के विभाजन की शुरुआत करने वालों में से एक थे और उन्हें अब DU में पढ़ाया नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इकबाल ने 1904 में 'सारे जहाँ से अच्छा' लिखा था, लेकिन उन्होंने इसे कभी भी खुद स्वीकार नहीं किया। विभाजन विभीषिका दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए, कुलपति सिंह ने कहा कि DU देश की एकता और अखंडता से समझौता नहीं करेगा और इकबाल की जगह महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर, और अन्य राष्ट्रवादी नेताओं के बारे में पढ़ाया जाएगा। इसलिए अब देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार इकबाल के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा। बता दें कि इकबाल की रचनाओं में इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देना साफ़ नज़र आता है। तराना ए मिल्ली में इक़बाल ने लिखा है कि “काबा-पहला घर, जिसे बुतपूजकों से मुक्त करा लिया है। हम इसके संरक्षक हैं और यह हमारा रक्षक है।” इकबाल के लाहौर ने निकल कर ब्रिटेन जाने के बीच वर्ष 1904-1910 के बीच जबरदस्त वैचारिक बदलाव आए थे। वो इंग्लैंड में जाकर कट्टरपंथी बन चुके थे और पाकिस्तान के निर्माण की वैचारिक बीज भी उन्होंने ही बोया था। इक़बाल ने 29 दिसंबर 1930 को मुस्लिम लीग के अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दिया था, जिसमे उन्होंने स्पष्ट कह था कि वो मुसलमानों के लिए अलग देश की माँग करते हैं। इक़बाल ने कहा था कि हिंदुस्तान में इस्लाम की रक्षा नहीं की जा सकती और न ही मुसलमानों की, ऐसे में अलग देश ही एकमात्र उपाय है। बता दें कि, DU ने पहले ही 2023 में एक समिति द्वारा बीए सेकंड ईयर के सिलेबस से इकबाल से जुड़ी सामग्री को हटाने की सिफारिश की थी, जिसे अब पूरी तरह से लागू कर दिया गया है।
लखनऊ एयरपोर्ट पर फ्लोरीन रिसाव का पता चलने से हड़कंप, एनडीआरएफ की टीम पहुंची

लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शनिवार दोपहर टर्मिनल 3 के कार्गो क्षेत्र में फ्लोरीन रिसाव की सूचना मिलने के बाद दहशत फैल गई।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआर) की टीमों के साथ अग्निशमन सेवा घटनास्थल पर है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए एनडीआरएफकी ज़रूरी चेकिंग बढ़ा दी। सुचना मिलते ही लोगों में डर फ़ैल गया जिसे काबू में लाया जा रहा है। 

लखनऊ हवाई अड्डे पर फ्लोरीन का रिसाव कहाँ हुआ?

अग्निशमन विभाग के अनुसार, रिसाव एक दवा की पैकेजिंग से हुआ है जिसमें फ्लोरीन होता है और स्थिति की पहचान करने और उसे प्रबंधित करने के प्रयास जारी हैं।

फ्लोरीन के नकारात्मक प्रभाव क्या हैं?

सुरक्षा डेटा शीट के अनुसार, फ्लोरीन के संपर्क में आने से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं:

• फ्लोरीन आग का कारण बन सकता है या उसे तेज़ कर सकता है; ऑक्सीडाइज़र के रूप में कार्य करता है।

• इसमें दबाव वाली गैस होती है, जो गर्म होने पर फट सकती है।

• यदि साँस के द्वारा शरीर में चला जाए तो यह घातक है, जिससे स्वास्थ्य को गंभीर ख़तरा उत्पन्न होता है।

• गंभीर जलन और आंखों को गंभीर क्षति पहुंचाता है।

• श्वसन पथ के लिए संक्षारक, जिससे संभावित दीर्घकालिक क्षति हो सकती है।

फ्लोरीन के संपर्क को कैसे रोकें

• सुरक्षात्मक दस्ताने, आंख या चेहरे की सुरक्षा, और श्वसन सुरक्षा का उपयोग करें।

• फ्लोरीन को कपड़ों, असंगत सामग्रियों और दहनशील सामग्रियों से दूर रखें। सुनिश्चित करें कि रिडक्शन वाल्व ग्रीस और तेल से मुक्त हैं।

• गैस के संचय को रोकने के लिए फ्लोरीन का उपयोग केवल बाहर या अच्छी तरह हवादार क्षेत्रों में करें।

• फ्लोरीन गैस में सांस न लें। पदार्थ को संभालते समय खाने, पीने या धूम्रपान करने से बचें।

• फ्लोरीन को संभालने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं और इसे केवल अच्छी तरह हवादार स्थानों पर ही संग्रहित करें।

*बांग्लादेश में खालिदा जिया की वापसी क्यों भारत के लिए चुनौती?

# bangladesh_coupe_khaleda_zias_return_effect_on_india 

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना के भारत भाग जाने के बाद, उनकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया, जो पूर्व प्रधानमंत्री हैं, को वर्षों की नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ( बीएनपी) देश में मुख्य विपक्षी पार्टी है। देश की अंतरिम सरकार चुनाव कराएगी, जिसमें उनकी जीत की पूरी संभावना है। जिया का सत्ता में वापस आना भारत के लिए चिंताजनक होगा। 

शेख हसीना की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में 17 साल की सजा सुनाए जाने के बाद 2018 में जेल में डाल दिया गया था। जेल से उनकी रिहाई इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी पर उनकी पकड़ बनी हुई है, जिसकी वे अध्यक्ष बनी हुई हैं। माना जा रहा है कि अपनी खराब सेहत के बावजूद खालिदा जिया बनने वाली अंतरिम सरकार में अहम भूमिका निभाएंगी। भारत के लिए, खालिदा जिया की मुख्यधारा बांग्लादेशी राजनीति में वापसी आने वाले समय के लिए सकारात्मक संकेत नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनका पाकिस्तान समर्थक रवैया रहा है। साथ ही उनकी पार्टी और उनके संभावित सहयोगी जमात-ए-इस्लामी का भी।

बीएनपी सत्ता में आने से पहले ही शेख हसीना को शरण देने पर नाखुशी जाहिर कर चुकी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बीएनपी के एक नेता ने कहा, 'हमारी पार्टी का मानना है कि बांग्लादेश और भारत को आपसी सहयोग करना चाहिए। अगर आप हमारे दुश्मन की मदद करते हैं तो उस आपसी सहयोग का सम्मान मुश्किल हो जाता है।'

खालिदा जिया के कार्यकाल के दौरान भारत विरोधी ताकतें बांग्लादेश में मजबूत हुईं। आतंकियों को बांग्लादेश के इस्तेमाल की खुली छूट दे दी गई। जिया के शासन के दौरान, पहले 1991 से 1996 तक और फिर 2001 से 2006 तक, पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद में तेजी आई थी। 

1997 में खालिदा जिया ने खुलेआम पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही समूहों के लिए बीएनपी के समर्थन की घोषणा की, और दावा किया कि वे स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा: "वे (पूर्वोत्तर विद्रोही) स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं। हमने भी इसके लिए लड़ाई लड़ी है, इसलिए हम हमेशा किसी भी स्वतंत्रता आंदोलन के पक्ष में हैं।"

जिया ने कहा कि पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों के खिलाफ बांग्लादेश की सेना के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि जब शेख हसीना ने सत्ता संभाली, तो वह उग्रवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक प्रमुख भागीदार बन गईं और बांग्लादेशी धरती से भारत के खिलाफ काम करने वाले उग्रवादियों पर नकेल कसने में बड़ी सहायता प्रदान की।

वहीं, 2001 से 2006 के बीच जिया की सत्ता के दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ढाका में मजबूती से अपनी उपस्थिति बढ़ाई। भारत में कई आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाई। पूर्वोत्तर राज्यों के उग्रवादियों का ठिकाना भी बीएनपी शासन के दौरान आईएसआई के संरक्षण में बांग्लादेश में बना। हालांकि, हसीना जब सत्ता में आईं तो उन्होंने कार्रवाई का आदेश दिया और विद्रोही नेताओं को भारत के हवाले कर दिया। 

यही नहीं, भारत का दूसरा दुश्मन चीन भी बीएनपी का करीबी सहयोगी रहा है। चीन बांग्लादेश की आजादी का विरोधी रहा है। शेख मुजीब की हत्या के बाद उसने बांग्लादेश को मान्यता दी थी।

क्या है MUDA केस, जिसमें सिद्धारमैया पर चलेगा मुकदमा; राज्यपाल ने दी मंजूरी

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मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बुरी तरह फंस गए हैं। अब उनके खिलाफ केस चलेगा। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बीते दिनों मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण के कथित भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कैबिनेट की राय मांगी थी। जिसके बाद गुरुवार को मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, जिसमें राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी गई। साथ ही मंत्रिपरिषद ने इसे बहुमत से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करार दिया। हालांकि राज्यपाल ने कानूनी विशेषज्ञों से इस संबंध में राय ली। जिसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 

आरटीआई एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर तीन याचिकाओं पर सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाया जाएगा। अब्राहम ने राज्यपाल से सीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस चलाने की मांग की थी क्योंकि उनकी मंजूरी के बिना सीएम के खिलाफ केस नहीं चल सकता। अपनी शिकायत में अब्राहम ने सिद्धारमैया के अलावा उनकी पत्नी, बेटे और मुडा के कमिश्नर के खिलाफ केस चलाने की भी मांग की थी।

बीजेपी और जेडीएस का आरोप है कि साल 1998 से लेकर 2023 तक सिद्धारमैया राज्य के प्रभावशाली और अहम पदों पर रहे। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया, सिद्धारमैया भले ही सीधे तौर पर इस लेनदेन से न जुड़े हों, लेकिन उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल न किया हो ऐसा नहीं हो सकता।

केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता शोभा करनलाजे तो पहले ही कह चुके हैं कि जमीन के लेनदेन का मामला (MUDA Case) जब से शुरू हुआ तभी से सिद्धारमैया हमेशा अहम पदों पर रहे, इस मामले में उनके परिवार पर लाभार्थी होने का आरोप है। ऐसे में उनकी इसमें भूमिका ना हो ऐसा हो ही नही सकता।

क्या है MUDA केस?

मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी। उसे डेनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया था। लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया था। यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई थी। साल 1998 में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे। सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई ने साल 2004 में डेनोटिफाई 3 एकड़ 14 गुंटा ज़मीन के एक टुकड़े को खरीदा था। 2004-05 में कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार थी. उस सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे। इसी दौरान जमीन के विवादास्पद टुकड़े को दोबारा डेनोटिफाई कर कृषि की भूमि से अलग किया गया. लेकिन जब जमीन का मालिकाना हक़ लेने सिद्धरमैया का परिवार गया तो पता चला कि वहां लेआउट विकसित हो चुका था. ऐसे में MUDA से हक़ की लड़ाई शुरू हुई।

साल 2013 से 2018 के बीच सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे। उनके परिवार की तरफ़ से जमीन की अर्जी उन तक पहुंचाया गया। लेकिन सीएम सिद्धारमैया ने इस अर्जी को ये कहते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया कि लाभार्थी उनका परिवार है, इसीलिए वह इस फाइल को आगे नहीं बढ़ाएंगे। 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के पास जब फाइल पहुंची। तब सिद्धारमैया विपक्ष के नेता थे। बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार ने MUDA के 50-50 स्कीम के तहत 14 प्लॉट्स मैसूर के विजयनगर इलाके में देने का फैसला किया।