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पीएम मोदी ने लाल किले से छेड़ा नया राग, सेक्यूलर सिविल कोड का किया जिक्र, कांग्रेस बोली-अंबेडकर का अपमान

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आजादी की 78वीं सालगिरह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से भाषण देते हुए एक बार फिर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का जिक्र किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी पर अपनी सरकार का रुख भी साफ कर दिया। हालांकि पीएम मोदी ने यूसीसी की जगह जिस नाम का इस्तेमाल किया है, वो विवाद बढ़ाने वाला है। जिसकी शुरूआत हो भी गई है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सेकुलर सिविल कोड की जरूरत बताई।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश को कम्युनल नहीं, बल्कि एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। अब कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से यह कह कर संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का घोर अपमान किया है।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दुर्भावना और विद्वेष की कोई सीमा नहीं है। आज के उनके लाल किले के भाषण में यह पूरी तरह से दिखा।' उन्होंने आरोप लगाया कि यह कहना हमारे पास अब तक 'सांप्रदायिक नागरिक संहिता' है, डॉ. अंबेडकर का घोर अपमान है, जो हिंदू पर्सनल लॉ में सुधारों के सबसे बड़े समर्थक थे। ये सुधार 1950 के दशक के मध्य तक वास्तविकता बन गए। इन सुधारों का आरएसएस और जनसंघ ने कड़ा विरोध किया था। उन्होंने 21वें विधि आयोग द्वारा 31 अगस्त, 2018 को पारिवारिक कानून के सुधार पर दिए गए परामर्श पत्र के कथन का उल्लेख किया।

देश को कम्युनल नहीं, सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत-पीएम मोदी

इससे पहले पीएम मोदी ने आज स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कहा कि आज देश को कम्युनल नहीं, बल्कि एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। जिस सिविल कोड का हम पालन कर रहे हैं, वह कम्युनल सिविल कोड है। समय की यह मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो। इसके बाद ही हमें धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्ति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कई बार चर्चा की है। कई बार आदेश भी दिए हैं। मोदी ने यह भी कहा कि संविधान निर्माताओं का सपना पूरा करना हमारा दायित्व है। धर्म के आधार पर समाज को बांटने वाले कानून आधुनिक समाज स्थापित नहीं कर सकते। इसलिए इनका कोई स्थान नहीं हो सकता है।

इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, ऐसे सिविल कोड से जब हम संविधान के 75 वर्षा मना रहे हैं अब संविधान की भावना जो कहती है हमें करने के लिए, देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें कहती है करने के लिए और तब संविधान निर्माताओं का जो सपना था, उसे पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है और मैं चाहता हूं की इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो, हर कोई अपने विचार लेकर आए और उन कानूनों को, जो कानून देश को धर्म के आधार पर बांट दे, समाज में ऊंच-नीच का कारण बन जाए, ऐसे कानून का समाज में कोई स्थान नहीं है और इसलिए मैं तो कहूंगा और समाज की मांग है कि देश में एक सेक्यूलर सिविल कोड होना चाहिए। हमने कम्यूनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सिविल कोड की तरफ जाना होगा और तब जाकर के जो भेदभाव हो रहे हैं, उससे हमें मुक्ति मिलेगी।

क्या है यूसीसी ?

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता, जिसे प्रधानमंत्री ने सेक्युलर सिविल कोड के नाम से संबोधित किया, इसका सीधा सा मतलब है देश में रहने वाले हर धर्म, जाति, संप्रदाय और वर्ग के लिए हर मुद्दे पर एक समान नियम-कानून। एक ऐसा कानून जो पूरे देश के लिए एक समान हो। इसमें सभी धर्म वालों के लिए विरासत, शादी, तलाक और गोद लेने के नियम एक ही होंगे। भारत के संविधान में भी देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की बात कही गई है। इसका अनुच्छेद-44 नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है और इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में दिए गए धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के सिद्धांत का पालन करना है। अनुच्छेद-44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाना सरकार का दायित्व है।

पहले भी एक परिवार में एक नियम की कर चुके हैं पैरवी

ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता को देश की जरूरत बताया है। पिछले साल मध्य प्रदेश में एक रैली में उन्होंने कहा था, परिवार के एक सदस्य के लिए एक नियम हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा नियम हो तो क्या वो घर चल पाएगा? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?'

यूसीसी बीजेपी सरकार का टॉप एजेंडा

बता दें कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा मोदी सरकार के टॉप एजेंडे में रहा है। बीजेपी के तीन बड़े वादों- अयोध्या में राम मंदिर बनाना, कश्मीर से 370 हटाना के साथ- साथ समान नागरिक संहिता भी शामिल रहा है. राम मंदिर और 370 का वादा पूरा हो चुका है। अब बारी समान नागरिक संहिता या कहें तो सेक्यूलर सिविल कोड लागू करने की बारी है।

बिना कारण ही हिंदुओं को झेलनी पड़ रही गर्मी', बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बोले मोहन भागवत

#mohan_bhagwat_spoke_on_bangladesh_on_independence_day

आज स्वतंत्रता दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ मुख्यालय पर तिरंगा फहराया। मोहन भागवत ने ध्वजारोहण के बाद संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। आरएसएस प्रमुख ने बांग्लादेश में जारी हिंसा का जिक्र किया। उन्होंने अपने संबोधन में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदूओं को अकारण ही उस हिंसा की गर्मी झेलनी पड़ रही है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ के हेडक्‍वार्टर पर झंडा फहराते हुए कहा, 'हम अपना 78वां स्वतंत्रता दिन पूरा कर रहे हैं। देश में इस स्वतंत्रता के लिए बलिदान करने वाला समूह और उनके पीछे खड़े होने वाले समाज ये दोनों बातें जब बनी तब हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हमने जो बड़ी मेहनत से स्वतंत्रता पाई वो पीढ़ी तो चली गई लेकिन आने वाले पीढ़ी को स्व के रंग में रंगना और उसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। उन्‍होंने कहा, आने वाली पीढ़ी का यह कर्तव्य है कि वह स्वतंत्रता के ‘स्व’ की रक्षा करे क्योंकि दुनिया में हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो दूसरे देशों पर हावी होना चाहते हैं और हमें उनसे सतर्क एवं सावधान रहना होगा तथा स्वयं को बचाना होगा।

संघ प्रमुख ने कहा कि भारत ऐसा है कि वह खुद की रक्षा और स्वयं की स्वतंत्रता इसका तो दायित्व है ही, हर देश का होता है लेकिन भारतवर्ष की परंपरा रही है कि भारत अपने आपको दुनिया के उपकार के लिए बड़ा करता है और इसलिए पिछले सालों में हमने देखा होगा कि हमने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया, कुछ नहीं किया। जब-जब जो संकट में था, उसकी मदद की, वह हमारे साथ कैसा व्यवहार करता है इसको देखा नहीं, जो संकट में है उसकी मदद करना ये हमारा देश है, ऐसा हमको चलना है।

भागवत ने परोक्ष रूप से बांग्लादेश के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि कि दुनिया भर के दुखी-पीड़ितों के लिए हम करते हैं, हमारी सरकार भी करती है, तो ऐसी परिस्थिति में अपना देश ठीक रहे और अन्य देशों को ठीक होना है, उनको हमारी मदद की जरूरत हो और उन देशों में जो अस्थिरता की अराजकता की गर्मी झेलने वाले जो लोग हैं। उनको कोई कष्ट न हो, उन पर कोई अत्याचार न हो, एक देश के नाते हमारे सिर पर है कुछ मामले तो सरकार को अपने स्तर पर ही करने पड़ते हैं। परंतु यह सब करके भी उनको शक्ति तब मिलती है जब समाज इस प्रकार की मनोवृत्ति लेकर, सजगता लेकर देश के लिए सबकुछ अर्पण करने के लिए जीता है।

भागवत ने कहा, यह सुनिश्चित करना हमारे देश की जिम्मेदारी है कि अस्थिरता और अराजकता की मार झेल रहे लोगों को किसी परेशानी, अन्याय और अत्याचार का सामना न करना पड़े. कुछ मामलों में सरकार को अपने स्तर पर भी देखना पड़ता है, लेकिन उसे ताकत तभी मिलती है जब समाज अपना कर्तव्य निभाता है और देश के लिए प्रतिबद्धता दिखाता है।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में हालात जल्द सामान्य होंगे और वहां हिंदू तथा दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। पीएम मोदी ने कहा, बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते हमें चिंता होना स्वाभाविक है। मैं आशा करता हूं कि वहां हालात जल्द सामान्य होंगे। 140 करोड़ देशवासियों की चिंता यह है कि वहां हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा, भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है, हमारे संस्कार हैं। आने वाले दिनों में बांग्लादेश की विकास यात्रा के लिए हमेशा हमारी शुभेच्छा रहेगी क्योंकि हम मानव जाति की भलाई के बारे में सोचने वाले लोग हैं।

बता दें कि बांग्लादेश में पिछले दिनों प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद से कई हिंदू मंदिरों, हिंदू समुदाय के लोगों के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की खबरें हैं। नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर शेख हसीना नीत सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद देश में अव्यवस्था का माहौल हो गया। हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ कर भारत आ गईं।

नालंदा में नदी मे डूबकर अधेड़ की मौत, परिजन में मचा चीख पुकार

नालंदा : जिले के मानपुर थाना बिलासपुर गांव में डूबकर अधेड़ की मौत हो गई । मौत की खबर मिलते ही परिवार में चीख पुकार मच गई। मृतक भुवनेश्वर पासवान का 50 वर्षीय पुत्र प्रताप पासवान है ।

परिजनों ने बताया कि गुरुवार की सुबह खेत देखने गए थे। इसी दौरान शौच के क्रम में नदी में पैर फिसल गया और गहरे पानी में चल गए । आस-पास कोई लोग नहीं था इस कारण उन्हें कोई बचा नहीं सका । काफी देर बाद जब वह घर वापस नहीं लौटे तो परिवार वालों ने खोजबीन शुरू किया । इसी दौरान नदी में उपलाया हुआ शव मिला । 

घटना की जानकारी मिलते ही सांसद कौशलेंद्र कुमार अस्पताल पहुंचकर परिवार वालों को सांत्वना दिया ।

थानाध्यक्ष सुमन कुमार ने बताया कि नदी में डूबने से मौत हुई है शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों के हवाले कर दिया गया।

नालंदा से राज

पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों से पीएम मोदी ने की मुलाकात, मनु भाकर की पिस्टल थामे आए नजर

#pm_modi_meets_with_india_athletes_returned_from_paris_olympics

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ओलंपिक से लौटे इंडियन एथलीट्स से मुलाकात की है। पीएम 15 अगस्त के मौके पर इन एथलीट्स से मिले और उनका हौसला बढ़ाते नजर आए। इस दौरान मनु भाकर, भारतीय हॉकी टीम समेत अन्य खिलाड़ी मौजूद रहे। भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पीएम मोदी को अपनी जर्सी दी। वहीं, शूटर मनु भाकर ने प्रधानमंत्री को पिस्टल दी।

भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस में लगातार दो ओलंपिक में मेडल जीतकर इतिहास रचा था. भारत के महान गोलकीपर पीआर श्रीजेश और कप्तान हरमनप्रीत सिंह समेत जब पूरी टीम ने उनसे मुलाकात की तो तोहफे के रूप में साइन की हुई जर्सी दी. इसके अलावा हॉकी स्टिक भी गिफ्ट किया।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में शूटिंग में दो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वो इस खेल में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। इतना ही नहीं उन्होंने ओलंपिक के एक ही एडिशन में दो मेडल हासिल कर इतिहास रचा है।

मनु के साथ मिस्क्ड इवेंट में ब्रॉन्ज जीतने वाले सरबजोत सिंह और शूटिंग के 50 मीटर 3 पोजिशंस इवेंट में ब्रॉन्ज हासिल करने वाले स्वप्निल कुसाले ने भी पीएम से मिलकर बातचीत की। इसके अलावा युवा पहलवान और पेरिस में रेसलिंग के एकमात्र मेडल विजेता अमन सहरावत ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की।

हालांकि, इस दौरान नीरज चोपड़ कहीं नजर नहीं आए। दरअसल, नीरज चोपड़ा सर्जरी कराने के लिए पेरिस से सीधा जर्मनी चले गए हैं। इसके चलते वह भारत नहीं आ सके।बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु भी निजी कारणों के चलते पीएम से मिलने नहीं पहुचीं। 2 ओलंपिक मेडल जीतने वाली सिंधु इस बार खाली हाथ रहीं। उन्हें क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा और लगातार तीसरा ओलंपिक मेडल जीतने का सपना टूट गया।

पेरिस ओलंपिक में भारत को 6 मेडल मिले। शूटिंग में 3, रेसलिंग में 1, हॉकी में 1 और जेवलिन थ्रो में 1। पिछले ओलंपिक में भारत ने 7 मेडल जीते थे, जो किसी भी एडिशन में मिले सबसे ज्यादा मेडल हैं। पेरिस में हुए ओलंपिक में मनु भाकर ने शूटिंग में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने के साथ भारत की झोली में पहला मेडल डाला। दूसरा ब्रॉन्ज मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने शूटिंग में दिलाया। तीसरा मेडल स्वप्निल कुसाले ने जीता जो ब्रॉन्ज मेडल था। यह मेडल भी शूटिंग में ही मिला। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पिछले ओलंपिक की तरह इस बार भी ब्रॉन्ज जीता। रेसलिंग में अमन सहरावत ने भारत को ब्रॉन्ज दिलाया और आखिरी मेडल (सिल्वर) नीरज चोपड़ा ने दिलाया।

कोलकाता लेडी डॉक्टर की हत्या-रेप मामले में घिरीं ममता बनर्जी, पहली बार नहीं लगा आरोपियों को बचाने का आरोप

#mamata_banerjee_on_kolkata_rape_case 

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ के साथ हैवानियत की हदें पार की गई।पहले अस्मत लूटी गई, फिर बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया। इस घटना ने एक बार फिर निर्भया कांड की याद दिला दी। जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। देश भर में भारी प्रदर्शन और लोगों के आक्रोश को देखते हे लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच सीबीआई क सौंप दी गी है। दिल्ली से सीबीआई की 25 सदस्यीय टीम कोलकाता पहुंच चुकी है और जांच शुरू कर दी है। इस बीच राज्य की ममता बनर्जी सरकार सवालों के घेरे में है।

एक तरफ जहां विपक्षी बीजेपी और सीपीएम प्रशासन की लापरवाही को मुद्दा बनाकर बंगाल सरकार से इस्तीफा मांग रही हैं। वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता और सहयोगी कांग्रेस भी ममता सरकार पर हमलावर है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने तो यहां तक पूछ दिया कि आखिर ममता सरकार उसे प्रोटेक्ट क्यों कर रही हैं?

दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) संदीप घोष ने कल यानी सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके कुछ ही देर बाद उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नियुक्त कर दिया गया। ममता सरकार के इसी फैसले की आलोचना हुई। हाईकोर्ट ने अदालत में मौजूद ममता सरकार के वकील से पूछा, ‘आप उनका बचाव क्यों कर रहे हैं? उनका बयान रिकॉर्ड करिए। उन्हें जो कुछ भी पता है, उन्हें बताने दीजिए।’हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने वाले प्रिंसिपल को दूसरे सरकारी कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे बनाया जा सकता है? 

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी मुद्दे पर बंगाल सरकार की फजीहत हो रही है। पहले भी संदेशखाली केस जैसे बड़े मुद्दों पर ममता बनर्जी चौतरफा घिर चुकी हैं।2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखाली के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस बैकफुट पर आई थी। आरोप था कि तृणमूल के नेता शक्ति का इस्तेमाल कर इन इलाकों में महिलाओं का यौन शोषण करते हैं। ममता ने इस मुद्दे को बीजेपी प्रायोजित बताया।

लाल किले में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद, ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ बैठे आए नजर

#congress_leader_rahul_gandhi_sitting_arrangement_controversy 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया। स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राहुल गांधी को ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ सबसे आखिरी पंक्ति में बैठे नजर आए। जैसे ही ये तस्वीरें आई, कांग्रेस ने सवाल उठा दिया। अब राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद हो गया है।

प्रोटोकॉल के मुताबिक, लोकसभा में विपक्ष के नेता, जिनका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है, उनको हमेशा आगे की पंक्ति में सीट दी जाती है। जहां फिलहाल भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह और एस जयशंकर बैठे थे। 

ऐसे में कांग्रेस ने राहुल गांधी की सीट को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा, "रक्षा मंत्रालय इतना खराब व्यवहार क्यों कर रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को चौथी कतार में बैठाया गया है। नेता प्रतिपक्ष का पद किसी भी केंद्रीय मंत्री से बड़ा होता है। लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद आते हैं। राजनाथ सिंह जी आप रक्षा मंत्रालय को राष्ट्रीय समारोह का राजनीतिकरण करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं। आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी।"

कांग्रेस की इस आपत्ति पर रक्षा मंत्रालय का बयान आया है।रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के लिए आगे की सीट रिजर्व थी, लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से लाइन में पीछे बैठने का फैसला किया।

बता दें कि सफेद कुर्ता-पायजामा पहने राहुल गांधी भारतीय हॉकी टीम के फॉरवर्ड गुरजंत सिंह के बगल में बैठे नजर आ रहे हैं। आगे की रो में मनु भाकर और सरबजोत सिंह जैसे ओलंपिक पदक विजेता बैठे थे। ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पीआर श्रीजेश सहित टीम के सदस्य भी राहुल गांधी से आगे बैठे थे।

बता दें कि एक दशक में यह पहली बार था जब विपक्ष का कोई नेता स्वतंत्रता दिवस प्रोग्राम के लिए लाल किले पर मौजूद रहा।ऐसे में उसे पीछे बैठे जाने पर विवाद हो गया है।

लाल किले में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद, ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ बैठे आए नजर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया। स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राहुल गांधी को ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ सबसे आखिरी पंक्ति में बैठे नजर आए। जैसे ही ये तस्वीरें आई, कांग्रेस ने सवाल उठा दिया। अब राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद हो गया है।

प्रोटोकॉल के मुताबिक, लोकसभा में विपक्ष के नेता, जिनका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है, उनको हमेशा आगे की पंक्ति में सीट दी जाती है। जहां फिलहाल भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह और एस जयशंकर बैठे थे। 

ऐसे में कांग्रेस ने राहुल गांधी की सीट को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा, "रक्षा मंत्रालय इतना खराब व्यवहार क्यों कर रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को चौथी कतार में बैठाया गया है। नेता प्रतिपक्ष का पद किसी भी केंद्रीय मंत्री से बड़ा होता है। लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद आते हैं। राजनाथ सिंह जी आप रक्षा मंत्रालय को राष्ट्रीय समारोह का राजनीतिकरण करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं। आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी।"

कांग्रेस की इस आपत्ति पर रक्षा मंत्रालय का बयान आया है।रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के लिए आगे की सीट रिजर्व थी, लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से लाइन में पीछे बैठने का फैसला किया।

बता दें कि सफेद कुर्ता-पायजामा पहने राहुल गांधी भारतीय हॉकी टीम के फॉरवर्ड गुरजंत सिंह के बगल में बैठे नजर आ रहे हैं। आगे की रो में मनु भाकर और सरबजोत सिंह जैसे ओलंपिक पदक विजेता बैठे थे। ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पीआर श्रीजेश सहित टीम के सदस्य भी राहुल गांधी से आगे बैठे थे।

बता दें कि एक दशक में यह पहली बार था जब विपक्ष का कोई नेता स्वतंत्रता दिवस प्रोग्राम के लिए लाल किले पर मौजूद रहा।ऐसे में उसे पीछे बैठे जाने पर विवाद हो गया है।

भारत ने महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी ठुकराई, जय शाह ने बताई वजह

#indiarefusedtohostwomenst20world_cup 

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) महिला टी20 विश्व कप 2024 की मेजबानी इस बार बांग्लादेश के पास है। लेकिन पड़ोसी में बिगड़े हालातों को देखते हुए लगता है बांग्लादेश से टी20 विश्व कप की मेजबानी छिन सकती है। वहीं आईसीसी भी लगातार बांग्लादेश के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। दूसरी तरफ रिपोर्ट सामने आई थी कि टी20 विश्व कप की मेजबानी भारत, श्रीलंका या यूएई कर सकते हैं। वहीं अब बड़ी जानकारी सामने आ रही है कि भारत में महिला टी20 विश्व कप 2024 नहीं होगा।

दरअसल, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस वैश्विक प्रतियोगिता की मेजबानी को ठुकरा दिया है। बीसीसाई के सचिव जय शाह ने खुद यह बताया है कि वह इसकी मेजबानी नहीं करेंगे।बीसीसीआई सचिव जय शाह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में महिला टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया, ‘हमने भारत में महिला टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी की रिक्वेस्ट ठुकरा दी है, जो बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने किया था। हमें अगले साल महिला वनडे वर्ल्ड कप की मेजबानी करनी है। हम ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहते कि भारत वर्ल्ड कप की लगातार मेजबानी करना चाहता है।

बांग्लादेश पुरुष टीम के अभ्यास पर भी असर

बांग्लादेश में चल रहे प्रदर्शन के कारण महिला टी20 वर्ल्ड कप 2024 के आयोजन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच बांग्लादेश पुरुष टीम के अभ्यास पर भी असर पड़ा था. देश में हो रहे प्रदर्शन के कारण बांग्लादेश टीम तय शेड्यूल से पहले ही पाकिस्तान के लिए रवाना हो चुकी है। दोनों देशों के बीच दो टेस्ट मैच खेले जाने हैं और यह सीरीज 21 अगस्त को शुरू होगी। पहला बांग्लादेश टीम 17 अगस्त को पाकिस्तान जाने वाली थी, लेकिन अभ्यास, विरोध प्रदर्शन और कई विषयों को ध्यान में रखते हुए टीम 5 दिन पहले ही पाकिस्तान चली गई थी।

अब श्रीलंका या यूएई की ओर नजर

अक्टूबर में होने वाले आईसीसी महिला टी20 विश्व कप 2024 में ज्यादा समय नहीं बचा है। यह टूर्नामेंट 3-20 अक्टूबर तक 2 मैदानों में खेला जाना है। लेकिन उससे पहले बांग्लादेश हो रही हिंसा से वहां के हालात खराब होते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में इस टूर्नामेंट के बांग्लादेश में होने को लेकर संशय बना हुआ है। अगर बांग्लादेश महिला टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी नहीं करता तो अब यह टूर्नामेंट श्रीलंका या यूएई में ही होगा। श्रीलंका में अक्टूबर में बारिश होती है। इस कारण यूएई का रुख किया जा सकता है।

भारत 2036 में ओलंपिक गेम्स की मेजबानी की तैयारी कर रहा है” लाल किले से बोले पीएम मोदी

#pm_narendra_modi_says_indias_dream_to_host_olympics_2036 

भारत ने अभी तक ओलंपिक खेलों का आयोजन नहीं किया है। नरेंद्र मोदी जब से सत्ता में आए हैं तब से कई बार कह चुके हैं कि वह भारत में ओलंपिक खेलों का आयोजन करना चाहते हैं। आज लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने बड़ी बात कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि देश इस खेल महाकुंभ के आयोजन के लिए तैयारी कर रहा है।पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन के दौरान वहां उपस्थित ओलंपिक विजेताओं का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों का जिक्र करते हुए कहा, आज हमारे साथ इस तिरंगे के नीचे वो नौजवान बैठे हैं, जिन्होंने ओलंपिक की दुनिया में भारत का परचम लहराया है। मैं अपने सभी खिलाड़ियों को 140 करोड़ देशवासियों की ओर से धन्यवाद देता हूं। पीएम मोदी ने कहा, हम नए सपने और नए संकल्प और अत्यंतिक पुरुषार्थ के साथ नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आगे बढ़ेंगे। इस विश्वास के साथ मैं उनको शुभकामनाएं देता हूं। आने वाले कुछ दिनों में भारत का बहुत बड़ा दस्ता पैरालंपिक्स के लिए पेरिस रवाना होगा। मैं सभी पैरालंपिक खिलाड़ियों को भी शुभकामनाएं देता हूं।

पीएम मोदी ने कहा, 'हिंदुस्तान का सपना है कि 2036 में जो ओलंपिक हों, वह हिंदुस्तान की धरती पर हों। उसके लिए हम तैयारी कर रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं।'

बता दें कि भारत 2036 में होने वाले खेलों के महाकुंभ की मेजबानी हासिल करने की कोशिश कर रहा, लेकिन अब इस रेस में उसे चुनौती देने एक और देश आ गया है। मिस्र भी ओलंपिक-2036 की मेजबानी की दावेदारी पेश करेगा।

पीएम मोदी ने पहनी लहरिया प्रिंट की पगड़ी, जाने इस प्रिंट की क्या है खासियत

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प्रधानमंत्री मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर गुरुवार को लालकिले पर तिरंगा फहराया। पंडित नेहरू (17 बार) और इंदिरा गांधी (16 बार) के बाद सबसे ज्यादा 11 बार झंडा फहराने वाले तीसरे पीएम हैं। स्वतंत्रता दिवस पर मोदी का पहनावा हमेशा चर्चा में रहता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 से हर स्वतंत्रता दिवस पर रंगीन साफा पहनते रहे हैं। उन्होंने इस बार भी इस परंपरा को बरकरार रखा। इस बार उन्होंने सफेद कुर्ता, चूड़ीदार पायजामा, लाइट ब्लू कलर का बंद गला हाफ जैकेट के साथ राजस्थानी लहरिया पगड़ी पहनी। मोदी ने इस बार नारंगी, पीले और हरे रंग के कॉम्बिनेशन की पगड़ी पहनी।

बता दें कि लहरिया प्रिंट राजस्थान की एक पारंपरिक डिजाइन है। पीएम मोदी लाल किले के प्राचीर से संबोधन के वक्त कई बार राजस्थानी पगड़ी पहन चुके हैं। बीते साल 2023 में भी पीएम मोदी ने राजस्थानी पगड़ी पहनी थी। तब पीएम मोदी ने मल्टी कलर बांधनी प्रिंट वाली राजस्थानी पगड़ी पहनी थी। 2014 के बाद से जबसे बीजेपी सरकार में आई है, तबसे हर साल स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी की पगड़ी की पसंद भारत की समृद्ध विविधता और संस्कृति को दर्शाती है।

लहरिया प्रिंट राजस्थान के पश्चिमी इलाकों के रेगिस्तानी रेत पर बहने वाली हवा से बनने वाली लहरों की प्रतीक है। यही वजह है कि लहरिया प्रिंट में कपड़े के ऊपर आड़ी-तिरड़ी लाइनें होती हैं, जो लहरों की तरह ही दिखती हैं। इस प्रिंट में जिन रंगों का इस्तेमाल होता है, वो भारत की भव्यता को दर्शाता है। शुभ कामों में लहरिया प्रिंट के कपड़े पहनना अच्छा माना है, क्योंकि लहरिया प्रिंट में जिन रंगों का का इस्तेमाल होता है, वो नई शुरूआत के लिए शुभ माने जाते हैं। इस पगड़ी को राजस्थान की शान भी कहा जाता है। 

लहरिया प्रिंट को सबसे पहले 17वीं शताब्दी में ईजाद किया गया था। इसे तैयार करने के लिए टाई एंड डाई तकनीक का इस्तेमाल होता है। इसे काफी मेहनत से तैयार किया जाता है। 17वीं शताब्दी में इजाद होने के बाद 19वीं शताब्दी के अंत तक इसका इस्तेमाल राजस्थान के कई अलग-अलग हिस्सों में होने लगा। उस वक्त भी इसका इस्तेमाल राजघरानों के पुरुषों की पगड़ी बनाने के लिए किया जाता था। ये लहरिया प्रिंट सिर्फ एक डिजाइन नहीं है, इसके पीछे राजस्थान के राजघरानों की सभ्यता छिपी है।