ईरान और इजरायल में अगर जंग हुई तो भारत पर क्या होगा असर?
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ईरान में हमास के राजनीतिक विंग के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत के बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़े हैं। ईरान और इजराइल में बड़ी जंग की आशंका बढ़ गई है। इतना ही नहीं, पश्चिम की खुफिया एजेंसियों ने तो जंग की तारीख भी बता दी है। एजेंसियों के मुताबिक यह हमला 12 और 13 अगस्त के बीच हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान समर्थित हिजबुल्ला ग्रुप इजराइल के अंदर तक हमला करने की तैयारी में है। उसका कहना है कि अब वह मिलिट्री टारगेट तक ही सीमित नहीं रहेगा, यानी हिजबुल्ला इजराइल के रिहायशी इलाकों में भी हमला कर सकता है, जिससे आम नागरिकों की मौत होगी। इजराइल द्वारा हिजबुल्ला कमांडर को मार गिराने से वह गुस्से में है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अगर यह जंग होती है तो भारत पर इसका क्या असर होगा?
जानकार मानते हैं कि ईरान और इजराइल के संघर्ष के बीच भारत की सबसे बड़ी चुनौती इन देशों और पश्चिमी एशिया के अन्य देशों में रह रहे अपने लाखों नागरिकों की सुरक्षा है। वर्ष 2021 के आंकड़ों के मुताबिक खाड़ी के क्षेत्र में 89 लाख भारतीय थे, जिनकी संख्या अब 1.1 करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है। यही वजह है कि लेबनान में रहने वाले अपने नागरिकों को भारत सरकार की तरफ से चेतावनी दी गई है कि वह लेबनान से बाहर निकलें। एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि जो भारतीय किसी न किसी वजह से वहां रह गये हैं, वह कहीं बाहर नहीं निकलें, सतर्क रहें और बेरूत स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें।इस बीच एयर इंडिया ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव के लिए अपनी सारी उड़ानों को 08 अगस्त, 2024 तक के लिए रद्द कर दिया है।
कच्चे तेल की कीमतों पर असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी देखने को मिली है, लेकिन अगर ईरान व इजरायल के बीच जंग होती है तो इसका सीधा असर कच्चे तेल पर पड़ेगा। आज की तारीख में भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और कुल खपत का 60 फीसद खाड़ी के देश सऊदी अरब, कुवैत, ईराक आदि से लेता है। ऐसे में भारत की आपूर्ति पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
बढ़ते कारोबार पर असर
खाड़ी क्षेत्र की स्थिति का सीधा असर इन देशों के साथ होने वाले द्विपक्षीय कारोबार पर भी होता है। पिछले वर्ष यूएई भारत का द्विपक्षीय कारोबार ही 86 अरब डॉलर का रहा था। जबकि सऊदी अरब के साथ 53 अरब डॉलर का कारोबार होता है। खाड़ी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2022-23 में 185 अरब डॉलर का रहा था।
भारत की डिफेंस सप्लाई पर हो सकता है असर
इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष शुरू हो गया तो भारत के डिफेंस सप्लाई पर असर पड़ सकता है। रूस और यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस से आने वाली सप्लाई पर असर हुआ तो भारत ने विकल्प के तौर पर यूएस, इजरायल और नाटो देशों को देखा। लेकिन अगर इजरायल-ईरान संघर्ष होता है तो उसमें यूएस की एंट्री तो होगी ही। ऐसे में यूएस, इजरायल और नाटो देश इन संघर्षों में उलझ जाएंगे। इजरायल-हमास संघर्ष में इजरायल पहले ही उलझा है। ऐसे में अगर एलएसी पर चीन कुछ हरकत करता है और चीन से विवाद बढ़ता है तो हमारे सपोर्ट और सप्लायर अपनी ही लड़ाई में व्यस्त होंगे, जिसका असर भारत पर पड़ सकता है।
वैसे भी इजरायल और ईरान दोनों भारत के लिए अहम हैं। जानकार बताते हैं कि खाड़ी क्षेत्र की स्थिति कई तरह से भारत के रणनीतिक हितों से जुड़े हुए हैं, इसलिए सरकार ज्यादा सतर्कता से आगे बढ़ रही है। ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। इजरायल भारत का स्ट्रैटजिक सप्लायर है तो सेंट्रल एशिया रिपब्लिक और ईस्ट यूरोपियन देशों तक कनेक्टिविटी के लिए ईरान अहम है। इसलिए भारत चाबहार पोर्ट में ईरान के साथ मिलकर काम कर रहा है।
Aug 07 2024, 14:37