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India

Aug 02 2024, 15:56

इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में नहीं होगी एसआईटी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

#supreme_court_declines_pleas_on_electoral_bonds_sit_investigation

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को कॉरपोरेट कंपनियों से मिले राजनीतिक चंदे की 'स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम' (एसआईटी) से जांच करवाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।कोर्ट ने बॉन्ड स्कीम की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम बनाने की मांग को सही नहीं माना।कोर्ट ने कहा कि निजी शिकायतों, मतलब किसी राजनीतिक दल और कॉरपोरेट संस्था के बीच एक दूसरे को फायदा पहुंचाने अलग-अलग दावों की जांच नहीं हो सकती है। ये बॉन्ड अब प्रतिबंधित है।

दरअसल, एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की याचिका में राजनीतिक चंदे के जरिए कथित घूस देने की बात कही गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इलेक्टरोल बॉन्ड से दिए गए चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। इस मामले की सीबीआई या फिर कोई भी अन्य जांच एजेंसी जांच नहीं कर रही है। ऐसे में हम मांग करते हैं कि कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करवाई जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला हवाला कांड, कोयला घोटाला की तरह है। इन मामलों में न केवल राजनीतिक दल बल्कि प्रमुख जांच एजेंसियां भी शामिल हैं। यह देश के इतिहास में सबसे खराब वित्तीय घोटालों में से एक है।

सीजेआई ने कहा कि सामान्य प्रक्रिया का पालन करें। हमने खुलासा करने का आदेश दिया है। हम एक निश्चित बिंदु तक पहुंच गए हैं, जहां हमने योजना को रद्द कर दिया है।मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इलेक्टोरल बांड की खरीद संसद के बनाए कानून के तहत हुई। उसी कानून के आधार पर राजनीतिक दलों को चंदा मिला। अब हमें तय करना है कि क्या इसके तहत दिए गए चंदे की जांच की ज़रूरत है। यह याचिकाएं यह मानते हुए दाखिल की गई हैं कि राजनीतिक दलों को चंदा फायदा कमाने के लिए दिया गया ताकि उन्हें सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले या उनके हिसाब से सरकार की नीति बदले। याचिकाकर्ता यह भी मानते हैं कि सरकारी एजेंसियां जांच नहीं कर पाएंगी।

उन्होंने आगे कहा कि हमने याचिकाकर्ता से यह कहा कि यह सब आपकी धारणा है। अभी ऐसा नहीं लगता कि कोर्ट सीधे जांच करवाना शुरू कर दे। जिन मामलों में किसी को आशंका है, उनमें वह कानून का रास्ता ले सकता है। समाधान न होने पर वह कोर्ट जा सकता है।

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Aug 02 2024, 15:02

दिल्ली के शेल्टर होम आशा किरण में 20 दिन में 13 लोगों की मौत, केजरीवाल सरकार ने दिए जांच के आदेश

#13_children_died_in_20_days_disabled_shelter_home_asha_kiran_rohini_area

दिल्ली के रोहिणी इलाके से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है।मेंटली चैलेंज्ड के लिए बनाए गए शेल्टर होम आशा किरण में 20 दिनों में 13 बच्चों की रहस्मय तरीके से मौत हो गई है। मामला सामने आते ही प्राशासन से लेकर सरकार तक में हड़कंप मच गई। हरकत में आते हुए दिल्ली के आम आदमी पार्टी की मंत्री आतिशी ने तुरंत मजिस्ट्रियल जांच का आदेश दिया है।

दिल्ली सरकार मंत्री आतिशी ने शेल्टर होम में हो रही मौतों के मामले में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की राजस्व मंत्री को जांच करने का निर्देश दिया है और साथ ही 48 घंटे में इस जांच की रिपोर्ट भी मांगी है। आतिशी ने आदेश देते हुए कहा है कि रोहिणी में स्थित आशा किरण होम के बारे में अखबार में छपा हुआ है। आतिशी ने लिखा है कि मुझे पता चला है, ‘इस साल जनवरी से लेकर अब तक 20 बच्चों की रहस्मय तरीके से मौत हो चुकी है। हम इस तरह की चूक बर्दाश्त नहीं कर सकते, इसलिए जांच के आदेश दे रहे हैं।

आतिशी ने कहा, ये मौतें कथित तौर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कुपोषण के कारण हुई हैं। यह दर्शाता है कि इन बच्चों को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। राजधानी दिल्ली में ऐसी बुरी खबर सुनना बहुत चौंकाने वाला है और अगर यह सच पाया जाता है तो हम इस तरह की चूक बर्दाश्त नहीं कर सकते।

आतिशी ने इस मामले में कहा कि इस मामले की गहन जांच की जानी चाहिए ताकि सभी शेल्टर होम की स्थिति में सुधार लाने और शेल्टर होम में रहने वालों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए पूरी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कठोर कदम उठाए जा सकें। आगे आतिशी ने कहा कि अगर ये मामला सही साबित होता है को इस मामले में जिन लोगों ने लापरवाही हुई है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और आगे चलकर ऐसी घटना पर रोक लगाए जाने को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

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Aug 02 2024, 13:55

कमला हैरिस पर नस्लीय टिप्पणी का ट्रंप पर क्या होगा असर? कहीं भारतीयों और अश्वेतों की नाराजगी ना झेलनी पड़ जाए

#donald_trump_attacks_on_kamala_harris

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। राष्ट्रपति पद की जंग हर दिन एक नया रंग दिखा रही है।डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप लगातार डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस पर लगातार हमलावर है। इस बार डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस की नस्लीय पहचान पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि कमला हैरिस अश्वेत पहचान का इस्तेमाल चुनावी फायदे के लिए कर रहीं हैं, जबकि कुछ दिन पहले तक वो भारतीय मूल की थीं।

डोनाल्ड ट्रंप ने शिकागो में नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लैक जर्नलिस्ट्स कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा था कि वह (कमला हैरिस) हमेशा से खुद को भारत से जुड़ा हुआ बताती थीं। वह भारतीय संस्कृति का प्रचार करती थीं, लेकिन अब वह अचानक से अश्वेत हो गई हैं। वह अश्वेत कब से हो गईं? अब वह चाहती हैं कि उन्हें अश्वेत के तौर पर पहचाना जाए। ट्रंप ने कहा था, 'मुझे नहीं पता कि वह भारतीय है या अश्वेत है? मैं भारतीयों और अश्वेतों दोनों का ही सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि हैरिस के मन में इन्हें लेकर सम्मान की भावना है? क्योंकि वह हमेशा से भारतीय थीं और खुद को भारत से जुड़ा हुआ बताती थी लेकिन अब वह अचानक से अश्वेत हो गई हैं।'

अब सवाल ये उठता है कि ट्रंप की इस टिप्पणी में कितना दम है? क्या कमला हैरिस के अश्वेत होने का चुनावी फायदेमिल सकता है? तो बता दें कि ऐसा संभव है। दरअसल, अमेरिकी चुनाव में श्वेतों के अलावा अश्वेतों, दक्षिण एशियाई मूल के लोगों का एक अच्छा-खासा वोटबैंक है। बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव से पीछे हटने के बाद कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी संभाली है। उन्हें लगातार अश्वेतों और दक्षिण एशियाई मूल के लोगों का समर्थन मिल रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे में कमला हैरिस की रेटिंग में बढ़ोतरी भी दर्ज की गई थी। 

2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन को करीब 65 फीसदी भारतीय अमेरिकी वोट मिले थे। अब जबकि बाइडेन रेस में नहीं हैं तो उम्मीद जताई जा रही है कि कमला हैरिस के लिए यह समर्थन बढ़ सकता है। वहीं, रिपब्लिकन पार्टी की बात करें तो 2020 में ट्रंप को महज 28 फीसदी भारतीय अमेरिकी वोटर्स का साथ मिला था, जिसमें फिलहाल कोई खास बढ़ोतरी नहीं दिखाई दे रही है। एक रिसर्च के मुताबिक फिलहाल केवल 29 फीसदी भारतीय अमेरिकी ही ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं।

ऐसे में कहा जा सकता है कि अश्वेतों और दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के बीच कमला हैरिस की बढ़ती लोकप्रियता के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने खुद अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार ली है। डोनाल्ड ट्रंप की ये टिप्पणी भारतीय और अश्वेत अमेरिकियों दोनों को ही नाराज़ कर सकती है। ऐसे में किसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की ओर से की गई इस तरह की टिप्पणी चुनाव में बड़ी गलती साबित हो सकती है।

अमेरिका में रह रहे भारतीय अमेरिकी और अश्वेत वोटर्स ने अगर कमला हैरिस की नस्लीय पहचान को लेकर ट्रंप की टिप्पणी से खुद को जोड़ना शुरू कर दिया तो मुमकिन है कि यह उनके लिए नुकसानदायक हो।

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Aug 02 2024, 13:55

कमला हैरिस पर नस्लीय टिप्पणी का ट्रंप पर क्या होगा असर? कहीं भारतीयों और अश्वेतों की नाराजगी ना झेलनी पड़ जाए

#donald_trump_attacks_on_kamala_harris

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। राष्ट्रपति पद की जंग हर दिन एक नया रंग दिखा रही है।डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप लगातार डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस पर लगातार हमलावर है। इस बार डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस की नस्लीय पहचान पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि कमला हैरिस अश्वेत पहचान का इस्तेमाल चुनावी फायदे के लिए कर रहीं हैं, जबकि कुछ दिन पहले तक वो भारतीय मूल की थीं।

डोनाल्ड ट्रंप ने शिकागो में नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लैक जर्नलिस्ट्स कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा था कि वह (कमला हैरिस) हमेशा से खुद को भारत से जुड़ा हुआ बताती थीं। वह भारतीय संस्कृति का प्रचार करती थीं, लेकिन अब वह अचानक से अश्वेत हो गई हैं। वह अश्वेत कब से हो गईं? अब वह चाहती हैं कि उन्हें अश्वेत के तौर पर पहचाना जाए। ट्रंप ने कहा था, 'मुझे नहीं पता कि वह भारतीय है या अश्वेत है? मैं भारतीयों और अश्वेतों दोनों का ही सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि हैरिस के मन में इन्हें लेकर सम्मान की भावना है? क्योंकि वह हमेशा से भारतीय थीं और खुद को भारत से जुड़ा हुआ बताती थी लेकिन अब वह अचानक से अश्वेत हो गई हैं।'

अब सवाल ये उठता है कि ट्रंप की इस टिप्पणी में कितना दम है? क्या कमला हैरिस के अश्वेत होने का चुनावी फायदेमिल सकता है? तो बता दें कि ऐसा संभव है। दरअसल, अमेरिकी चुनाव में श्वेतों के अलावा अश्वेतों, दक्षिण एशियाई मूल के लोगों का एक अच्छा-खासा वोटबैंक है। बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव से पीछे हटने के बाद कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी संभाली है। उन्हें लगातार अश्वेतों और दक्षिण एशियाई मूल के लोगों का समर्थन मिल रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे में कमला हैरिस की रेटिंग में बढ़ोतरी भी दर्ज की गई थी। 

2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन को करीब 65 फीसदी भारतीय अमेरिकी वोट मिले थे। अब जबकि बाइडेन रेस में नहीं हैं तो उम्मीद जताई जा रही है कि कमला हैरिस के लिए यह समर्थन बढ़ सकता है। वहीं, रिपब्लिकन पार्टी की बात करें तो 2020 में ट्रंप को महज 28 फीसदी भारतीय अमेरिकी वोटर्स का साथ मिला था, जिसमें फिलहाल कोई खास बढ़ोतरी नहीं दिखाई दे रही है। एक रिसर्च के मुताबिक फिलहाल केवल 29 फीसदी भारतीय अमेरिकी ही ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं।

ऐसे में कहा जा सकता है कि अश्वेतों और दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के बीच कमला हैरिस की बढ़ती लोकप्रियता के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने खुद अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार ली है। डोनाल्ड ट्रंप की ये टिप्पणी भारतीय और अश्वेत अमेरिकियों दोनों को ही नाराज़ कर सकती है। ऐसे में किसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की ओर से की गई इस तरह की टिप्पणी चुनाव में बड़ी गलती साबित हो सकती है।

अमेरिका में रह रहे भारतीय अमेरिकी और अश्वेत वोटर्स ने अगर कमला हैरिस की नस्लीय पहचान को लेकर ट्रंप की टिप्पणी से खुद को जोड़ना शुरू कर दिया तो मुमकिन है कि यह उनके लिए नुकसानदायक हो।

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Aug 02 2024, 12:11

लोकसभा में एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा, एनईपी को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा

संसद के चल रहे मानसून सत्र में लोकसभा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) पाठ्यक्रम में किए गए हालिया बदलावों पर विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ सरकार के बीच तीखी बहस देखी गई। यह चर्चा लोकसभा में शिक्षा मंत्रालय के लिए अनुदान की मांग पर बहस के दौरान हुई, जिसे बाद में बिना किसी बदलाव के ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मौजूदा पाठ्यपुस्तकों में हेराफेरी के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सवाल उठाया। “सरकार की नीतियों और मुसलमानों के निरंतर शिक्षा पिछड़ेपन के बीच सीधा संबंध निकाला जा सकता है। उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों में, मुसलमान औपचारिक शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन सरकारी उदासीनता और लापरवाही के कारण, मुस्लिम शिक्षा प्रणाली किसी भी अन्य समुदाय के बच्चों की तुलना में जल्दी छोड़ देते हैं, ”ओवैसी ने कहा।

कांग्रेस सांसद और सदन में सचेतक मोहम्मद जावेद ने भी दोहराया कि मुगलों की ऐतिहासिक उपस्थिति को केवल पाठ्यपुस्तकों से उनका नाम हटाकर नहीं मिटाया जा सकता। जावेद ने कहा, ''मुगल यहां 330 साल से थे, सिर्फ नाम हटा देने से वे नहीं हटेंगे। "अगर इस देश में मुस्लिम नहीं होते तो बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाती।" उन्होंने अपना मौखिक हमला जारी रखते हुए बीजेपी से पेपर लीक के हालिया मामलों पर सरकार से भेदभाव और आलोचना न करने को कहा। उन्होंने कहा, "संसद के बाहर, टेस्ट पेपर लीक हो रहे हैं और संसद के अंदर, छत लीक हो रही है..."।

न केवल पाठ्यपुस्तक संशोधन मुद्दा, बल्कि विपक्ष ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) पर भी सरकार को घेरने की कोशिश की। विपक्षी दल के सांसदों की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनईपी का बचाव करते हुए कहा कि यह जवाबदेही, सामर्थ्य, पहुंच, समानता और गुणवत्ता के सिद्धांतों पर आधारित है। मैंने 2013-14 के बाद से उच्च शिक्षा पर 63% और प्राथमिक शिक्षा पर 40% खर्च के विस्तार पर प्रकाश डाला है। प्रधान ने यह भी कहा कि नए शिक्षा पैटर्न में 5+3+3+4 प्रणाली शामिल है और कहा कि महिला शिक्षकों की संख्या 36 लाख से बढ़कर 48 लाख हो गई है।

एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर विवाद को संबोधित करते हुए प्रधान ने कहा, “भारतीय शिक्षा प्रणाली में पश्चिमी प्रभाव को हटाना होगा?”, उन्होंने कहा। “राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल 60 पन्नों का नीति दस्तावेज नहीं है। यह भारत के पुनर्निर्माण, विश्व में भाईचारा बढ़ाने और वैश्विक समस्याओं के समाधान का एक दार्शनिक तत्व है। पूरा देश आज सर्वसम्मति से इसे स्वीकार करता है, ”प्रधान ने कहा।

इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए, भाजपा सांसद संबित पात्रा ने विपक्षी दलों पर आरक्षण के संबंध में पाखंड का आरोप लगाया और दावा किया कि कांग्रेस शासन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए कोटा हटा दिया गया था। पात्रा ने कहा, ''कांग्रेस को (इसके लिए) जवाब देना होगा।''

उन्होंने कौशल और नवाचार के माध्यम से वैश्विक समाधान प्रदाता बनने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए शिक्षा के लिए बजट आवंटन में ₹1.48 लाख करोड़ की वृद्धि पर प्रकाश डाला।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद प्रतिमा मंडल ने भी महत्वपूर्ण मुस्लिम शासकों पर अध्याय हटाने के लिए सरकार पर सवाल उठाया। मंडल ने कहा, "मौजूदा सरकार के तहत पाठ्यपुस्तकों का व्यवस्थित संशोधन हमारे बच्चों की बौद्धिक अखंडता के लिए खतरा पैदा करता है।" उन्होंने 2018 में डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को पाठ्यक्रम से हटाने का भी संदर्भ दिया, यह देखते हुए कि इसे 2022-23 तक पाठ्यपुस्तकों से पूरी तरह से बाहर कर दिया गया था।

उन्होंने कहा, "मुस्लिम नियमों, गुजरात दंगों पर अध्यायों को हटाने की शिक्षाविदों द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की गई है... ये बदलाव बौद्धिक ठहराव, राजनीतिक हेरफेर को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय छात्रों की बुद्धि को निशाना बना रहे हैं।"

दूसरी ओर, भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने सरकार की पहल की सराहना करते हुए तर्क दिया कि एनईपी महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करती है और मातृभाषा में शिक्षा से कई लोगों को लाभ होगा। उन्होंने मंडल आयोग की रिपोर्ट को दस साल तक लागू करने में विफल रहने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और दावा किया, "अगर कोई पार्टी है जो एससी, एसटी, ओबीसी विरोधी है, तो वह कांग्रेस है।"

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Aug 02 2024, 12:09

NEET-UG 2024 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 'पवित्रता का कोई प्रणालीगत उल्लंघन नहीं' NTA को 'फ्लिप-फ्लॉप' से बचने की दी हिदायत

NEET-UG 2024 फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 2 अगस्त को कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी या NTA को NEET-UG 2024 परीक्षा के संबंध में किए गए "फ्लिप-फ्लॉप" से बचना चाहिए। इसमें कहा गया है कि एक राष्ट्रीय परीक्षा में इस तरह की ''उलझन'' छात्रों के हितों की पूर्ति नहीं करती है। पेपर के आरोपों और परीक्षा में अन्य अनियमितताओं पर बढ़ते विवाद के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट 2024 एनईईटी-यूजी मेडिकल प्रवेश परीक्षा को रद्द नहीं करने के कारणों पर अपना फैसला सुना रही थी ।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने यह भी कहा कि विशेषज्ञ समिति को परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने अपने फैसले में एनटीए की संरचनात्मक प्रक्रियाओं की सभी कमियों को उजागर किया है, ''छात्रों की भलाई के लिए हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।'' शीर्ष अदालत ने कहा कि जो मुद्दे उठे हैं, उन्हें केंद्र द्वारा इसी साल सुधारा जाना चाहिए ताकि इसकी पुनरावृत्ति न हो।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NEET-UG 2024 के पेपरों में कोई प्रणालीगत उल्लंघन नहीं हुआ था और लीक केवल पटना और हज़ारीबाग़ तक ही सीमित था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि केंद्र द्वारा गठित समिति परीक्षा प्रणाली की साइबर सुरक्षा में संभावित कमजोरियों की पहचान करने, परीक्षा केंद्रों की बढ़ी हुई पहचान जांच की प्रक्रियाओं, सीसीटीवी कैमरे की निगरानी के लिए तकनीकी प्रगति के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने पर भी विचार कर रही है। पीठ ने कई निर्देश भी जारी किए और एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में केंद्र द्वारा नियुक्त समति के दायरे का विस्तार किया।

इसमें कहा गया है कि चूंकि पैनल का दायरा बढ़ा दिया गया है, इसलिए समिति परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करने के विभिन्न उपायों पर 30 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। पीठ ने कहा कि राधाकृष्णन पैनल को परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए तकनीकी प्रगति को अपनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने पर विचार करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि एनईईटी-यूजी परीक्षा के दौरान जो मुद्दे उठे हैं, उन्हें केंद्र द्वारा ठीक किया जाना चाहिए।

23 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने विवादों से घिरी परीक्षा को रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है कि इसकी पवित्रता के "प्रणालीगत उल्लंघन" के कारण इसे "विकृत" किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि इसके विस्तृत कारणों का पालन किया जाएगा।

अंतरिम फैसला संकटग्रस्त एनडीए सरकार और एनटीए के लिए एक झटका था, जो प्रतिष्ठित परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक, धोखाधड़ी और प्रतिरूपण जैसे कथित बड़े पैमाने पर कदाचार को लेकर सड़कों और संसद में कड़ी आलोचना और विरोध का सामना कर रहे थे।

परीक्षा 5 मई को आयोजित किया गया था । एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 2024 में 23 लाख से अधिक छात्रों ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-अंडरग्रेजुएट (एनईईटी-यूजी) दी।

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Aug 02 2024, 12:07

नीट-यूजी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- लीक सिर्फ पटना और हजारीबाग तक सीमित

#neet_ug_2024_supreme_court_said_that_there_is_no_large_scale_paper_leak

नीट यूजी 2024 परीक्षा पेपर लीक मामले में सुनवाई के दौरान आज, 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की।सुप्रीम कोर्ट ने आज नीट यूजी को पेपर लीक के आरोपों के बावजूद रद्द क्यों नहीं की, इसकी जानकारी दी है। साथ ही सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी के लिए काम करने का दायरा भी तय किया है।सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी मामले पर अपने फैसले में कहा कि पेपर लीक व्यापक स्तर पर नहीं हुआ है। इसलिए नीट की दोबारा परीक्षा कराने की मांग खारिज की जाती है। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की बेंच ने साफ तौर पर कहा कि अदालत का निष्कर्ष है कि नीट पेपर लीक सिस्टेमेटिकन नहीं है।

सीजेआई ने कहा कि सिस्टमैटिक ब्रीच नहीं था। पेपर लीक सिर्फ पटना और हजारीबाग तक सीमित था।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परीक्षा के आयोजन में कोई व्यवस्थागत कमी नहीं पाई गई। अगर परीक्षा को रद्द किया जाता, तो लाख स्टूडेंट्स इससे प्रभावित होते, जो परीक्षा में शामिल हुए थे। वहीं एग्जाम पास करने वाले छात्रों पर इसका विपरीत असर पड़ता। ऐसे में पूरी जांच और सभी बिंदुओं पर विचार के बाद परीक्षा नहीं रद्द करने का फैसला किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने नीट पेपर लीक, गलत प्रश्न पत्र के वितरण और भौतिकी के एक प्रश्न के गलत विकल्प के लिए अंक देने के मामले में एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ढुलमुल नीति की आलोचना की।कोर्ट ने कहा कि एनटीए को बार-बार अपने फैसले नहीं बदलने चाहिए क्योंकि यह केंद्रीय संस्था पर अच्छा नहीं लगता।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार द्वारा गठित कमेटी को किसी भी गड़बड़ी को “रोकने और उसका पता लगाने” के लिए कदम सुझाने चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि एनटीए के साथ मिलकर कमेटी को एक ऐसा तरीका भी ढूंढना चाहिए, जिससे पेपर बनाने से लेकर उसकी जांच करने तक, हर प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखी जा सके। साथ ही, प्रश्न पत्रों के रखरखाव और स्टोरेज आदि की जांच के लिए एक एसओपी को भी सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी से कहा कि कमेटी काम के दौरान एग्जाम सिक्योरिटी, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तय करना, एग्जाम सेन्टर के अलॉट करने की प्रकिया की समीक्षा, परीक्षा केन्द्र की सीसीटीवी मॉनिटरिंग, पेपर में गड़बड़ी नहीं हो, ये सुनिश्चित करना, शिकायतों के निवारण की व्यवस्था करना, प्रश्नपत्रों में हेराफेरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए लॉजिस्टिक को सुरक्षित करना और पेपर को खुले ई-रिक्शा के बजाय रियल टाइम इलेक्ट्रॉनिक लॉक सिस्टम के साथ बंद वाहन में भेजे जाने की व्यवस्था पर विचार करे।

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि पूरी परीक्षा की गरिमा प्रभावित नहीं हुई। कोर्ट ने कमेटी की रिपोर्ट तय करने के लिए 30 सितंबर 2024 तक का वक़्त दिया। दरअसल केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में नीट जैसी गड़बड़ी को रोकने के लिए इसरो के पूर्व चेयरमैन के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में कमिटी गठित होगी। कोर्ट ने आज उसी कमेटी का दायरा तय किया है।

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Aug 02 2024, 11:41

क्या राहुल गांधी का भी केजरीवाल की तरह होने वाला है हाल? जानें नेता प्रतिपक्ष ने किया क्या दावा, जिससे मचा हड़कंप

#rahul_gandhi_claims_ed_insiders_tell_me_raid_being_planned

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रवर्तन निदेशालय ईडी को लेकर बड़ा दावा किया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस एक दावे ने सनसनी मचा दी है। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि ईडी उनके घर पर रेड कर सकती है। उन्होंने शुक्रवार को दावा किया कि संसद में उनके 'चक्रव्यूह' वाले भाषण के बाद प्रवर्तन निदेशालय के जरिए उनके खिलाफ छापेमारी की योजना बनाई जा रही है। राहुल ने कहा कि वह खुली बांहों के साथ ईडी अधिकारियों का इंतजार कर रहे हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा-जाहिर है, 2 में से 1 को मेरा चक्रव्यूह वाला भाषण अच्छा नहीं लगा। ईडी के अंदरूनी सूत्रों ने मुझे बताया है कि छापेमारी की तैयारी हो रही है। मैं ईडी का खुली बांहों से इंतजार कर रहा हूं। चाय और बिस्कुट मेरी तरफ से... इतना ही नहीं राहुल ने अपने इस पोस्ट में प्रवर्तन निदेशालय के आधिकारिक एक्स हैंडल को टैग भी किया है। राहुल के इस पोस्ट के बाद यह अटकलें लग रही हैं कि क्या राहुल गांधी के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय छापेमारी करेगा। क्या राहुल गिरफ्तार भी हो सकते हैं।

दरअसलस, ‘चक्रव्यूह’ मेटाफोर का इस्तेमाल करते हुए सोमवार को राहुल गांधी ने दावा किया था कि चारों तरफ डर का माहौल है। राहुल गांधी ने कहा था मैंने थोड़ा रिसर्च किया और पाया कि चक्रव्यूह को पद्मव्यूह से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कमल का निर्माण। चक्रव्यूह कमल के आकार का होता है। 21वीं सदी में नया चकक्रव्यूह रचा गया है। प्रधानमंत्री इसका चिह्न अपने सीने पर पहनते जो अभिमन्यु के साथ किया गया, वही अब जेश की जनता के साथ किया जा रहा है। अभिमन्यु को छह लोगों ने मारा था। आज छह लोग चक्रव्यूह के केंद्र में है। आज छह लोग भारत को चला रहे हैं।- नरेंद्र मोदी, अमित शाह, अजीत डोभाल, मोहन भागवत, अंबानी और अदाणी। उन्होंने कहा था कि हजारों साल पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र में छह लोगों ने एक युवक अभिमन्यु को ‘चक्रव्यूह’ में मार डाला था। उन्होंने कहा कि ‘चक्रव्यूह’ में हिंसा और डर होता है। उन्होंने वादा किया था कि इंडिया गठबंधन इस चक्रव्यूह को तोड़ेगा।

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Aug 02 2024, 11:00

सुलगने लगा मिडिल ईस्टः हिजबुल्लाह-इजराइल के बीच बढ़ा तनाव, भारतीयों को लेबनान छोड़ने की एडवाइजरी

#indian_embassy_issue_advisory_for_lebanon_israel_hezbollah_hassam_conflict

मिडिल ईस्ट में तनाव अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है। हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच हालिया घटनाक्रमों ने तपिश बड़ा दी है। एक तरफ हिजबुल्ला के प्रमुख फउद शुकर को लेबनान की राजधानी बेरुत में ढेर किया गया है, तो दूसरी तरफ ईरान की राजधानी तेहरान में हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया को मार गिराया गया। जिसके बाद हिजबुल्लाह ने इजराइल पर एयर स्ट्राइक भी कर दी है। इस बीच, लेबनान की राजधानी बेरुत स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में सभी भारतीयों से देश छोड़ने को कहा गया है। 

लेबनान स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीयों के लिए रिवाइज्ड एडवाइजरी जारी की है। इसमें भारतीय नागरिकों से अगले नोटिस तक लेबनान की यात्रा नहीं करने को कहा गया है। साथ ही वहां रह रहे भारतीयों को जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने की सलाह दी गई है। इसके अलावा एंबेसी ने कहा है कि अगर कोई भारतीय किसी कारणवश लेबनान में ही रुका हुआ है तो उससे बाहर न निकलने और दूतावास के संपर्क में रहने को कहा गया है। भारतीय दूतावास ने इमरजेंसी फोन नंबर और ईमेल आईडी भी जारी की है।

बता दें कि हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया और हिजबुल्ला के टॉप कमांडर फउद शुकर की मौत से मध्य पूर्व में अभी तनाव बढ़ ही रहा था कि इजराइल ने अपने एक और दुश्मन की मौत की पुष्टि कर दी। इजराइल ने कहा है कि हमास का शीर्ष सैन्य कमांडर मोहम्मद दइफ जुलाई में मारा जा चुका है। इजराइली सेना (आईडीएफ) ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि हमास का सैन्य कमांडर मोहम्मद दइफ जुलाई में ही एक एयर स्ट्राइक हमले में मारा गया था। इजराइल पर 7 अक्तूबर, 2023 को हुए हमले का मास्टरमाइंड मोहम्मद दइफ ही माना जाता है। अब माना जा रहा है कि मध्य पूर्व में संघर्ष की आग भड़क सकती है। हमास, हिजबुल्ला और इस्राइल के बीच जंग छिड़ सकती है और इसका केंद्र लेबनान हो सकता है।

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Aug 02 2024, 10:52

अब खून के आंसू रोएगा इजराइल”, हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की खुली धमकी, जानें इजराइल ने क्या कहा

#hezbollah_hassan_nasarllah_open_threat_says_israel_will_weep

हमास चीफ इस्माइल हानिया और हिजबुल्लाह कमांडर फउद शुकर की हत्या के बाद पहली बार हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह का रिएक्शन आया। उन्होंने इजराइल से बदला लेने का वादा किया है। नसरल्ला उसने कहा कि फिलहाल इजराइली बहुत खुश लग रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में वे खूब रोएंगे। नसरल्लाह ने इजराइल से सभी मोर्चे पर खुली लड़ाई का ऐलान किया।

हिजबुल्लाह कमांडर फउद शुकर के अंतिम संस्कार के दौरान नसरल्ला ने किसी गुप्त जगह से टीवी पर जनता को संबोधित किया। इस दौरान चीफ हसन नसरल्लाह ने इजरायल को धमकाया। हसन नसरल्लाह ने कहा कि हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुक्र और हमास चीफ इस्माइल हानिया की हत्या करके इजरायल ने रेड लाइन क्रॉस कर दी है। उसे प्रतिशोध का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जंग अब नए चरण में प्रवेश कर गई है। आने वाले दिनों में इजराइली बहुत रोएंगे।

हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर फउद शुकर के जनाजे पर अपने भाषण में नसरल्लाह ने कहा कि हिजबुल्लाह गाजा और फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन की कीमत चुका रहा है लेकिन उन्होंने कहा कि उनका समूह अब समर्थन के चरण से आगे निकल चुका है और उन्होंने सभी मोर्चों पर खुली लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

बता दें कि हिजुबल्लाह ने बदला लेना शुरू भी कर दिया है। फउद शुकर की हत्या के 48 घंटे के भीतर ही हिजबुल्लाह ने लेबनान से इजरायल में रॉकेट दागे और खलबली मचा दी। हिजबुल्लाह ने संकेत दे दिया है कि वह इजरायल पर हमला करके ही मानेगा।

वहीं, नसरल्लाह की चेतावनी के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजराइल अपने खिलाफ किसी भी अटैक के लिए तैयार है। अगर हम पर हमला होता है तो हम देख लेंगे। उन्होंने कहा, इजराइल किसी भी परिदृश्य के लिए पूरी तरह से तैयार है। हम अपनी रक्षा भी कर सकते हैं और आक्रमण भी। हम किसी भी क्षेत्र से हमारे खिलाफ अटैक की बहुत भारी कीमत वसूल करेंगे।

इजरायल ने मगंलवार शाम को लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह के सैन्य प्रमुख फुआद शुकर को हवाई हमले में मार दिया था। ईरान समर्थित चरमपंथी समूह के लिए पिछले दो दशक में ये सबसे बड़ा झटका था। शुकर हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह का बेहद ही करीबी था। इजरायल ने उसे हाल ही में गोलन हाइट्स पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें 12 द्रूज बच्चों की मौत हो गई थी। शुकर की मौत ने लेबनान सीमा पर हो रहे हमलों के एक युद्ध में बदलने का डर बढ़ा दिया है।