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Aug 01 2024, 16:15

पहाड़ से मैदान तक बारिश का कहर, बादल फटने से हिमाचल प्रदेश में मची तबाही, कई लोगों की मौत, पार्वती नदी में समा गई 4 मंजिला इमारत

 देशभर में तेज बारिश का दौर जारी है. इस बिच हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों भारी बारिश का प्रकोप देखने को मिल रहा है. लगातार हो रही बारिश से कई पुल ढह रहे हैं, पहाड़ दरक रहे हैं. कई हाईवे तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिस कारण न जाने कितने की शहरों के रूट आपस में कट भी गए हैं. यही नहीं, बारिश का कहर रोजाना बढ़ता ही जा रहा है. भारी बारिश के कारण हिमाचल की बड़ी नदियों समेत न जाने कितनी ही छोटी-मोटी अन्य नदियां भी ऊफान पर हैं. इस बीच कुल्लू जिले से बड़ी खबर सामने आई है. यहां बादल फटने से तबाही मच गई. इसका एक वीडियो सामने आया है, जिसे देख आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

वीडियो कुल्लू के मलाणा इलाके का है. यहां देर रात भारी बारिश से पार्वती नदी इतने ऊफान पर आ गई कि न जाने कितने ही घर और गाड़ियां इसमें समा गईं. ताजा वीडियो जो सामने आया है उसमें दिखा कैसे एक चार मंजिला इमारत महज 7 सेकंड के अंदर पार्वती नदी में समा गई. बिल्डिंग कहां गई पता ही नहीं चला. इसी तरह न जाने कितने ही वीडियो रोजाना सामने आ रहे हैं. अकेले कुल्लू जिले की बात करें तो यहां ब्यास और पार्वती नदियां डेंजर मार्क से भी ऊपर हैं. मलाणा गांव में बना पॉवर प्रोजेक्ट का डैम भी ओवर फ्लो हुआ है.

सबसे अधिक नुकसान निरमंड उपमंडल के बागीपुल में बताया गया है. यहां पर कुर्पन खड्ड में बाढ़ आने से बागीपुल में नौ मकान चपेट में आ गए. इसमें एक मकान में रह रहा एक पूरा परिवार बाढ़ में बह गया. शिमला जिले के रामपुर में भारी बारिश के कारण मची तबाही के बाद 36 लोग लापता हैं. यहां भी बादल फटा है. लापता 19 लोगों का अभी तक कुछ भी पता नहीं लग पाया है. शिमला डिप्टी कमिश्नर अनुपम कश्यप ने यह जानकारी दी. 

तबाही का मंजर इतना भयानक था कि रात के अंधेरे में आसपास रहने वाले सैंकड़ों लोगों को भागकर अपनी जान बचानी पड़ी. घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीम रात को ही मौके पर पहुंची है. उनकी तलाश की जा रही है. उधर प्रशासन ने कुल्लू जिले के जिया और भुंतर सहित नदी तट पर लगते तमाम क्षेत्रों से लोगों को अपने घर खाली कर सुरक्षित जगह में आने की अपील की है. इसके साथ-साथ तीर्थन नदी में भी जलस्तर बढ़ा हुआ है. सभी से नदी नालों से सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए अपील की गई है.

हिमाचल प्रदेश में अगले 36 घंटे के दौरान 10 जिलों में भारी से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग केंद्र शिमला ने ताजा बुलेटिन जारी कर बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन और ऊना में आज रात और कल दिनभर भारी बारिश को लेकर चेतावनी जारी की है. इस दौरान इन जिलों में भारी बारिश के हो सकती है. इससे कई क्षेत्रों में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाएं हो सकती हैं. इसे देखते हुए प्रदेश के लोगों के साथ-साथ पहाड़ों पर आने वाले पर्यटकों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है.

दिल्ली समेत देश के कई शहरों से बारिश से बर्बादी की खबरें आ रही हैं. देश के बड़े इलाकों में मॉनसूनी आफत बरस रही है. दिल्ली में कल (31 जुलाई) रिकार्डतोड़ बारिश हुई है, आज भी भारी बारिश का अनुमान है. हिमाचल में कुल्लू और शिमला जिले के करीब बादल फटा है, इसमें करीब 44 लोग लापता बताए जा रहे हैं और 9 लोगों की मौत हो गई है. उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल और केरल के वायनाड में भी बादल फटने की घटना हुई है. यानी मैदान से पहाड़ों तक बारिश का कहर जारी है.

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Aug 01 2024, 16:13

हमास के प्रमुख नेता इस्माइल हनियेह की तेहरान में हत्या के 24 घंटे बाद अब ईरानी सेना के जनरल की भी हत्या का दावा

हमास के प्रमुख नेता इस्माइल हनियेह की तेहरान में हत्या किए जाने के बाद अब ईरानी सेना के जनरल को भी ढेर कर दिए जाने का समाचार है। विदेशी मीडिया के अनुसार इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की संयुक्त कार्रवाई में ईरानी सेना का ब्रिगेडियर अमीर अली हाजीजादेह भी मारा गया है। दावा किया जा रहा है कि  मोसाद और सीआईए के संयुक्त बलों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक हवाई हमले के दौरान ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली हाजीज़ादेह को मौत के घाट उतार दिया है। इसके बाद माना जा रहा है कि दुनिया में तीसरी जंग इजरायल और ईरान के बीच शुरू हो गई है। 

सूत्रों के अनुसार, ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के एयरोस्पेस फोर्सेस के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली हाजीजादेह की सीरिया के दमिश्क के पास हत्या कर दी गई है। यह जानकारी अभी पुष्टि नहीं हुई है। हाजीजादेह को अप्रैल में इज़राइल पर मिसाइल हमले की योजना बनाने का श्रेय दिया जाता है। हाजीजादेह की हत्या के कारण और इसकी सत्यता की जांच अभी भी चल रही है। अधिकारियों द्वारा घटना की पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। जनरल हाजीजादेह IRGC के एयरोस्पेस फोर्सेस के कमांडर हैं। इस पद पर रहते हुए, वे ईरान के मिसाइल कार्यक्रम और वायु रक्षा प्रणाली के विकास और संचालन की जिम्मेदारी संभालते हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मिसाइल परीक्षणों और अभियानों का नेतृत्व किया है, जिससे ईरान की सैन्य क्षमता को बढ़ावा मिला है।

 

हाजीजादेह ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में, ईरान ने कई लंबी दूरी और मध्यम दूरी की मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। अप्रैल 2020 में इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले के दौरान, हाजीजादेह के नेतृत्व में कई मिसाइलें दागी गई थीं। हाजीजादेह को पश्चिमी देशों द्वारा कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है, खासकर इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा। उन्हें कई बार प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है।

उन्होंने इज़राइल और अमेरिका के खिलाफ कई तीखे बयान दिए हैं और ईरान की सैन्य शक्ति को मजबूत करने की वकालत की है। हाजीजादेह ने कुर्दिस्तान में PKK और अन्य विद्रोही समूहों के खिलाफ कई अभियानों का नेतृत्व किया है। उन्होंने आतंकवादी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया है। हाजीजादेह के व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, क्योंकि वे अपनी निजी जानकारी को सार्वजनिक रूप से साझा नहीं करते। जनरल अमीर अली हाजीजादेह ईरान की सैन्य रणनीति और सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी हत्या की खबरें अगर सच साबित होती हैं, तो यह ईरान और क्षेत्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।

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Aug 01 2024, 16:12

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हिंदू पक्ष की अर्जी को माना सुनवाई के योग्य, हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका, मंदिर के पक्ष में आया फैसला

 मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत हुई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के आर्डर 7 रूल-11 का आवेदन खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने ये फैसला सुनाया. मुस्लिम पक्ष की सीपीसी के आर्डर 7 रूल 11 के तहत दायर किए गए आवेदन पर ये फैसला आया है.

कोर्ट ने हिंदू पक्ष की अर्जी को सुनवाई योग्य माना है. पूरे मामले में अब ट्रायल चलेगा. कोर्ट के फैसले का मतलब है कि हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर कोर्ट में सुनवाई हो सकेगी. हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से दायर हिंदू पक्ष की याचिका पर उठाए पोषणीयता के सवाल को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया. इससे पहले 6 जून को सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. मथुरा के श्रीकृष्णा जन्मभूमि और शाही ईदगाह से सम्बंधित कुल 15 याचिकाओं पर कोर्ट का फैसला आया है.

मथुरा के भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव व सात अन्य की तरफ से दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से सीपीसी के आर्डर 7 रूल 11 के तहत दाखिल अर्जियों पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया. हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल याचिकाओं में दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है.

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Aug 01 2024, 16:10

SC/ST आरक्षण के भीतर अब कोटा मान्य होगा, सीजेआई की अगुवाई वाली 7 जजों की बेंच ने दिया फैसला

SC/ST आरक्षण के भीतर अब कोटा मान्य होगा, ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की बेंच ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए ये साफ कर दिया कि राज्यों के भीतर नौकरियों में आरक्षण देने के लिए कोटा के भीतर कोटा दिया जा सकता है. 2004 के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला बहुत ही अहम है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपवर्गीकरण का आधार राज्य के सही आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए. इस मामले में राज्य अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकते. जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता,

एससी/एसटी के भीतर ऐसी श्रेणियां हैं, जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. एससी/एसटी के सदस्य अक्सर प्रणालीगत भेदभाव की वजह से सीढ़ी पर चढ़ने में सक्षम नहीं होते हैं. अनुच्छेद 14 जाति के उप वर्गीकरण की अनुमति देता है. अदालत को यह जांचना चाहिए कि क्या वर्ग समरूप है और किसी उद्देश्य के लिए एकीकृत नहीं किए गए वर्ग को आगे वर्गीकृत किया जा सकता है. 

बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला

अदालत ने कहा, हालांकि आरक्षण के बावजूद निचले तबके के लोगों को अपना पेशा छोड़ने में कठिनाई होती है. जस्टिस बी आर गवई ने सामाजिक लोकतंत्र की आवश्यकता पर दिए गए बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्य का कर्तव्य है, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के केवल कुछ लोग ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि एससी/एसटी के भीतर ऐसी श्रेणियां हैं जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. उप-वर्गीकरण का आधार यह है कि एक बड़े समूह में से एक ग्रुप को अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है. 

उप-वर्गीकरण का मामला 2020 का है. जब जस्टिस (सेवानिवृत्त) अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि राज्य सरकार "सबसे कमजोर लोगों" के लिए केंद्रीय सूची में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को उप-वर्गीकृत कर सकती हैं. हालांकि, इस बेंच द्वारा लिया गया दृष्टिकोण एक अन्य पांच जजों की बेंच द्वारा 2004 के फैसले के विपरीत था. इस फैसले में कहा गया था कि राज्यों को एकतरफा "अनुसूचित जाति के सदस्यों के एक वर्ग के भीतर एक वर्ग बनाने" की अनुमति देना राष्ट्रपति की शक्ति के साथ छेड़छाड़ करना होगा. विपरीत विचारों का सामना करने पर ये मामला सात जजों की पीठ को भेजा गया. पीठ को भेजे गए प्रश्नों में यह भी शामिल है कि क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए उप-वर्गीकरण की अनुमति दी जा सकती है, क्योंकि SEBC श्रेणी के लिए भी इसकी अनुमति दी गई थी. 

 

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2004 के फैसले में कहा था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए SC/ST की सब कैटेगरी करने का अधिकार हीं है. अदालत के सामने अब मुद्दा एक बार फिर से कोटे के भीतर कोटे का था. अब अदालत ने साफ कर दिया है कि कोटा के भीतर कोटा दिया जा सकता है. 

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण के लिए उप-वर्गीकरण को “कोटा के भीतर कोटा” कहा जाता है. यानी कि अगर एक समुदाय या श्रेणी के लोगों को आरक्षण दिया जा रहा है तो उसी श्रेणी का उप वर्गीकरण करके उनके बीच आरक्षित सीटों का बंटवारा करना. उदाहरण के तौर पर अगर अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षण 15 प्रतिशत तय है तो इस वर्ग में शामिल जातियों और उनके सामाजिक, आर्थिक पिछेड़ेपन के आधार पर अलग-अलग आरक्षण देना.

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Aug 01 2024, 16:09

अगस्त महीने की पहली तारीख को महंगाई का झटका, बढ़ गए LPG सिलेंडर के दाम, जानिए नए रेट

 अगस्त महीने के पहले दिन ही लोगों को मंहगाई का झटका लगा है. गुरुवार (1 अगस्त) की सुबह 6 बजे तेल कंपनियों ने एलपीजी सिलेंडर के रेट में अपडेट दिया है. इसके चलते एलपीजी सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी की गई है. . हालांकि, ये बढ़ोतरी केवल कमर्शियल सिलेंडर की कीमतों पर ही है, घरेलू सिलेंडर के दाम अभी भी वैसे ही स्थिर बने रहेंगे. इस बदलाव के तहत 19 किलो वाले कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर के दाम बढ़ा दिए गए हैं.

जानकारी के मुताबिक तेल कंपनियों ने कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 8.50 रुपये तक का इजाफा किया है. ये इजाफा हर राज्य में अलग-अलग है. बता दें कि जुलाई के महीने में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में कटौती का ऐलान किया था. जिसके बाद जुलाई में कमर्शियल सिलेंडर के दाम 30 रुपये तक कम हो गए थे. आपको बता दें कि दिल्ली से मुंबई तक कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी की गई है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) की वेबसाइट के मुताबिक देश के हर राज्य में Commercial LPG Cylinder के दाम अलग-अलग हैं.

राजधानी दिल्ली में 19 किलो वाला एलपीजी सिलेंडर अब 1652.50 रुपये में मिल रहा है. पहले इसकी कीमत 1646 रुपये थी. मुंबई में आज से कमर्शियल सिलेंडर 1605 रुपये का हो गया है. जबकि जुलाई में इसकी कीमत 1598 रुपये थी. कोलकाता में कमर्शियल सिलेंडर अब 1764.50 रुपये में मिलेगा. यहां कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है जोकि 8.50 रुपये तक है.पुरानी कीमत कोलकाता में 1756 रुपये थी

चेन्नई में अब कमर्शियल सिलेंडर की कीमत 1817 रुपये हो गई है. 19 किलोग्राम वाले एलपीजी गैस सिलेंडर की पुरानी कीमत चेन्नई में 1809.50 रुपये थी. 19 किलो LPG कमर्शियल सिलेंडक के दाम पिछले चार महीने से कम किए जा रहे हैं. 1 जुलाई को एलपीजी सिलेंडर के दाम में करीब 30 रुपये तक की कटौती की गई थी. जून के महीने में दाम में 19 रुपये की कटौती हुई थी. जबकि 1 मई से कमर्शियल एलपीजी सिलेंडरों के दाम में 19 रुपये की कमी आई थी.

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Aug 01 2024, 16:07

पेरिस ओलंपिक में भारत को मिला तीसरा मेडल, स्वप्निल कुसाले ने कांस्य जीत रचा इतिहास

#indian_shooter_swapnil_kusale_medal_at_paris_olympics

स्वप्निल कुसाले ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में भारत को कांस्य पदक दिलाया है। यह इस ओलंपिक में शूटिंग में भारत को तीसरा पदक है। स्वप्निल से पहले मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य जीता था। वहीं, मनु ने सरबजोत के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा में भी कांस्या अपने नाम किया था।

स्वपिनल कुसाले ने 451.4 अंकों के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने वर्ल्ड नंबर 1 शूटर को हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।स्वप्निल कुसाले की ये जीत ऐतिहासिक है क्योंकि ये इस इवेंट में ओलंपिक पदक जीतने वाले वो पहले भारतीय हैं। 29 साल के कोल्हापुर के इस निशानेबाज का ये पहला ओलंपिक है। पहले ही ओलंपिक में इस खिलाड़ी ने मेडल अपने नाम कर लिया। ये खिलाड़ी 12 सालों से ओलंपिक में क्वालिफाई करने की कोशिश कर रहा था और जब पेरिस में उन्हें मौका मिला तो उन्होंने इतिहास ही रच दिया।

स्वप्निल का पदक अप्रत्याशित था, क्योंकि किसी ने उन्हें पदक की दौड़ में नहीं रखा था।हालांकि, उन्होंने सभी को चौंकाते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया।स्वप्निल ने नीलिंग पोजिशन में 153.3 का स्कोर बनाया था। इसके बाद प्रोन पोजिशन में उनका कुल स्कोर 310.1 हो गया था। नीलिंग और प्रोन पोजिशन के बाद स्टैंडिंग पोजिशन में दो शॉट के बाद एलिमिनेशन राउंड की शुरुआत हुई। नीलिंग राउंड में स्वप्निल छठे स्थान और प्रोन पोजिशन के बाद भी छठे स्थान पर ही रहे थे।

हालांकि, जैसे ही एलिमिनेशन राउंड की शुरुआत हुई, स्वप्निल पहले पांचवें और फिर तीसरे स्थान पर पहुंच गए। पूरे एलिमिनेशन राउंड में स्वप्निल तीसरे स्थान पर रहे। वह दूसरे स्थान पर रहे शूटर यूक्रेन के सेरही से .5 अंक पीछे रह गए और रजत से चूक गए। स्वप्निल कुसाले ने 451.4 पॉइंट के साथ ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। चीन के लियु युकान ने 463.6 पॉइंट के साथ गोल्ड जीता। वहीं, यूक्रेन के शूटर शेरी कुलिश (461.3) ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

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Aug 01 2024, 14:00

दिल्ली बनी “दरिया”, बारिश के बाद हर साल की यही कहानी, कब बदलेंगे हालात?

#delhi_heavy_rain_people_die

पूरे देश में बारिश ने तांडव मचा रखा है। पहाड़ों से लेकर मैदान तक आफत की बारिश हो रही है। वायनाड के हालात से लोग वाकिफ है, यहां 170 के करीब लोग काल के गाल में समा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड में बादल फटने जैसे घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है। हालांकि इनसे इतर देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां बारिश के बाद जो आफत आती है, वो प्राकृतिक कम अव्यवस्ता का नतीजा ज्यादा होती है। ऐसे में लोगों का ये कहना है कि “द‍िल्‍ली तो भगवान भरोसे चल रही है” गलत नहीं होगा।

बुधवार शाम से देश की राजधानी में जो बार‍िश हुई उससे द‍िल्‍ली “दरिया” बन गई। जिसे सैकड़ों लोगों ने “डूबकर” पार किया। दिल्ली में बुधवार शाम हुई बारिश की वजह से बड़े पैमाने पर जलभराव हो गया और यातायात बाधित हो गया, जिससे सड़कों पर अव्यवस्था दिखाई दी। बुधवार शाम को दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश हुई, जिससे शहर के अधिकांश हिस्से जलमग्न हो गए और यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिससे लोग घंटों तक फंसे रहे। लगातार हो रही बारिश के कारण केवल सड़कें ही जाम नहीं हुईं, बल्कि देश के संसद भवन के अंदर और बाहर पानी नजर आया। संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, रफी मार्ग समेत दिल्ली की सभी मुख्य व अंदरूनी सड़कों व गलियों पर पानी भर गया। कनॉट प्लेस, चांदनी चौक समेत सभी बाजार लबालब थे। ओल्ड राजेंद्र नगर, करोल बाग आदि इलाकों की सड़कें भी पानी में डूब गई। सड़कों पर दो से तीन फीट पानी जमा हो गया।

हद तो ये हो गई कि इसी राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में पिछले हफ्ते एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबने से 3 छात्रों की मौत के बाद सात और जिंदगियां छिन गईं। जिनमें से दो दिल्ली में, तीन गुरुग्राम में और दो ग्रेटर नोएडा में। दिल्ली में एक महिला और उसका बच्चा पानी से भरे नाले में फिसलकर डूब गए। गाजीपुर इलाके में भारी जलजमाव में डूबने से 22 साल की एक महिला और उसके 3 साल के बेटे की मौत हो गई। इससे एक दिन पहले दिल्ली में हुई तेज बारिश के चलते करंट लगने से एक 12 साल के नाबालिग की दर्दनाक मौत हो गई। ये हाल सिर्फ दिल्ली का नहीं है। राजधानी से सटे गुरुग्राम में भारी बारिश के बाद हाईटेंशन तार के संपर्क में आने से करंट लगने से तीन लोगों की मौत हो गई। ग्रेटर नोएडा में दादरी इलाके में दीवार गिरने से दो लोगों की मौत हो गई।

देश की राजधानी की इस व्यवस्था सच कहें तो “अव्यवस्था” पर आश्चर्य होता है। देश जब खुद को दुनिया की उभरती महाशक्तियों में गिना रहा है, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाला देश, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश, 2047 तक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खुद को देख रहा देश...और उसकी राजधानी में मौसमी बरसात के पानी में डूबने से मौत जैसे घटनाएं होना वाकई आश्चर्य की बात है।

अब ऐसे में सवाल आ रहा है कि दिल्ली में जलभराव के कारण हो होने वाली मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है। असल में दिल्ली को लेकर केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार की खींचतान ने लोगों की जिंदगी को और मुश्किल कर रखा है। दोनों की लड़ाई में हर बार आम जनता पिसती है। यही वजह कि हर लोग इस तरह के हालात पैदा होने पर सवाल खड़े करते हैं कि आखिर ये किसकी जिम्मेदारी है, दिल्ली सरकार या फिर केन्द्र सरकार चलिए जानते हैं। इस सवाल का जवाब भी थोड़ा उलझा हुआ है। दिल्ली के अंदर आने वाली 60 फीट से ज्यादा चौड़ी सभी सड़कें पीडब्ल्यूडी संभालती है जबकि 60 फीट से कम चौड़ी सड़कें नगर निगम के अधीन हैं। पीडब्ल्यूडी और नगर निगम, दोनों जगहों पर आम आदमी पार्टी का नियंत्रण है। ऐसे में कहें तो ये दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है।

वैसे सवाल उठाने वाले तो और भी सवाल उठा सकते हैं, जैसे दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के 7 सांसदों की क्या कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? इसके लिए दोषी सरकारें और व्यवस्था तो हैं ही, हम भी कम नहीं हैं। अतिक्रमण की वजह से नालियां तक पाट दी जाती हैं। चोक कर दी जाती हैं। बढ़ते शहरीकरण की अंधी दौड़ में कुकुरमुत्तों की तरह नई-नई अवैध कॉलोनियां उग जाती हैं। अनियमित कॉलोनियां। जहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। अवैध कॉलोनियां बसती भी तो ऐसे हैं। न सड़क, न नाली। वोट बैंक की वजह से सियासी चुप्पी और नौकरशाही के करप्शन या फिर लापरवाही की वजह से ऐसी कॉलोनियां उगती ही जाती हैं।

दुनिया की बड़ी ताकतों में शुमार होने का दम भरने वाला देश के पास शहरों में प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम नहीं हैं। भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है। शहरों पर लोड बढ़ रहा लेकिन उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर उस लोड को सहने लायक नहीं हैं। इन्हीं सबका नतीजा है जरा सी बारिश से सड़कों पर सैलाब बन रहा है और उनमें जिंदगियां दम तोड़ रही है।

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Aug 01 2024, 12:21

भारत सरकार ने पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थियों को दी बड़ी राहत, जमीन का मालिकाना हक मिला

#jammu_big_gift_to_west_pakistan_refugees 

भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को प्रदेश की जमीन पर मालिकाना हक दे दिया है। ये फैसला आर्टिकल 370 हटने की पांचवीं सालगिरह से ठीक पांच दिन पहले लिया गया है।

जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक परिषद ने पश्चिमी पाकिस्तान विस्थापितों और 1965 के विस्थापितों को मालिकाना हक प्रदान करने को मंजूरी दे दी है। श्रीनगर में मंगलवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। सरकार ने पश्चिमी पाकिस्तान विस्थापितों के परिवारों के पक्ष में राज्य की भूमि पर मालिकाना अधिकार प्रदान करके उनके खिलाफ भेदभाव को समाप्त कर दिया गया। इससे जम्मू क्षेत्र के हजारों परिवारों को काफी सशक्त बनाया जा सकेगा। 

चाहे वो 1947 में पाकिस्तान से आए विस्थापित लोग हों या फिर 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बेघर होने के बाद अपने ही राज्य में शरणार्थी बन गए लोग, उन्हें ये अधिकार दिया गया है। दरअसल जम्मू कश्मीर में जमीनों पर ये मालिकाना हक उन्हीं पाकिस्तानी विस्थापितों को प्रदान किया गया है, जिनके पूर्वजों को तत्कालीन राज्य सरकार ने 70 साल पहले बसाया था। वहीं, इस फैसले के बाद अब वो आवंटित सरकारी जमीन के आवंटी नहीं बल्कि मालिक कहलाएंगे। 

सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, 1947 में देश विभाजन के बाद पश्चिमी पाकिस्तान के कई इलाकों से पलायन कर 5764 परिवार यहां पहुंचे थे और जम्मू संभाग के विभिन्न स्थानों पर बस गए थे। ये जम्मू में आरएस पुरा के इलाके बडियाल काजिया, जंगलैड, कुतुब निजाम, चौहाला आदि में रहते हैं। इसके साथ ही खौड़ में भी इनकी आबादी है। 1954 में शरणार्थियों को 46666 कनाल (2.37 करोड़ वर्ग फीट) राज्य सरकार की भूमि आवंटित की गई। प्रति परिवार 4 एकड़ कृषि भूमि आवंटित की गई और उन्हें जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में बसाया गया।

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Aug 01 2024, 11:24

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एसटी-एससी में कोटा के अंदर कोटा को परमिशन*
#supreme_court_rules_sub_classification_within_sc_and_sts_reservation
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजातियों को आरक्षण के मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाया है।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए उप-वर्गीकरण को ग्रीन सिग्नल दे दिया है। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजातियों में सब-केटेगरी बनाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 6/1 से ये फ़ैसला सुनाया। सीजेआई चंद्रचूड़ सहित 6 जजों ने इस पर समर्थन दिखाया, जबकि जस्टिस बेला त्रिवेदी इससे असहमत रहीं।सात जजों की संविधान पीठ में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बी आर गवई, विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। बता दें कि भारतीय संविधान के अनुसार देश की आबादी को अलग-अलग जातियों के आधार पर मूल रूप से चार वर्गों (सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति) में बांटा गया है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अंदर भी कई वर्ग बनाए जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच ने 6-1 के बहुमत से कोटे के अंदर कोटा का फैसला सुनाया। सात जजों की संविधान पीठ में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बी आर गवई, विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। सीजेआई ने कहा कि 6 राय एकमत हैं, जबकि जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताई है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में ऐतिहासिक साक्ष्यों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियां एक सजातीय वर्ग नहीं हैं। उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत निहित समानता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है। साथ ही उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 341(2) का उल्लंघन नहीं करता है। अनुच्छेद 15 और 16 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राज्य को किसी जाति को उप-वर्गीकृत करने से रोकता हो। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सामाजिक लोकतंत्र की आवश्यकता पर दिए गए बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला दिया। जस्टिस गवई ने कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्य का कर्तव्य है, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के केवल कुछ लोग ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि एससी/एसटी के भीतर ऐसी श्रेणियां हैं, जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। *क्या है पूरा मामला* सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने 2004 में दिए गए 5 जजों के फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के फैसले में कहा था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उप श्रेणियों में बांटने का अधिकार नहीं है। दरअसल, पंजाब सरकार ने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों में से 50 फीसद ‘वाल्मिकी’ एवं ‘मजहबी सिख’ को देने का प्रविधान किया था। 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 2020 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि वंचित तक लाभ पहुंचाने के लिए यह जरूरी है। मामला दो पीठों के अलग-अलग फैसलों के बाद 7 जजों की पीठ को भेजा गया था।

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Aug 01 2024, 10:52

इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेगा ईरान, सुप्रीम लीडर खामनेई ने इजराइल पर सीधे हमले का जारी किया आदेश

#ayatollahalikhameneiordersiranattackon_israel

मध्य पूर्व एशिया एक बार फिर से भीषण युद्ध की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने ईरान को सीधे इजरायल पर हमला करने का आदेश दिया है। यह हमला तेहरान में हमास के नेता इस्माइल हनिया की हत्या का बदला लेने के लिए किया जाएगा।बीते दिन ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई है। इसके बाद से ही इजरायल और ईरान में तनाव बढ़ गया है। 

आपात बैठक में हमले का आदेश

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईरानी अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेने के लिए ईरान को इजरायल पर सीधा हमला करने का आदेश दिया है। खामेनेई ने ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में हमले का आदेश दिया है। खामेनेई ने सैन्य कमांडरों को निर्देश दिया है कि वे युद्ध की स्थिति में हमले और बचाव दोनों की योजना तैयार करें।

प्रॉक्सीज के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की तैयारी

ईरान पहले भी इजराइल पर सीधे अटैक कर चुका है, लेकिन तब उसके सभी रॉकिट्स और ड्रोन इजराइल और उसकी एलायंस फोर्सिस ने रोक दिए थे। ईरान मिलिट्री कमांडर इसी तरह का दूसरा हमला करने की तैयारी में जुट गए हैं। खबर ये भी है कि मिलिट्री कमांडर हमले के उन तरीकों को तलाश कर रहे हैं, जिनमें आम नागरिकों की जान न जाए। ईरान इस बार अपने प्रॉक्सीज के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।

हानिया की मौत के बाद इजराइल अलर्ट पर

इधर, हानिया की मौत के बाद इजराइल अलर्ट पर है। हालांकि इजराइल ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन ये बाद भी किसी से छिपी नहीं कि इजराइल का ऐसे ऑपरेशन्स को अंजाम देने का लंबा इतिहास रहा है।

अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर किया था बड़ा हमला

दशकों की शत्रुता के बीच अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर अपना सबसे बड़ा और सबसे खुला हमला किया था। सीरिया के दमिश्क में अपने दूतावास परिसर पर इजरायली हमले के जवाब में उसने सैकड़ों मिसाइलों और ड्रोन को लॉन्च किया। दमिश्क में हुए हमले में कई ईरानी सैन्य कमांडर मारे गए थे। लेकिन ताकत दिखाने के उस हमले की जानकारी भी पहले से ही इजरायल को हो गई थी। जिसके बाद लगभग सभी रॉकेटों और ड्रोन को इजरायल और उसके सहयोगियों ने हवा में ही मार गिराया था। ईरान के इस हमले में इजरायल को बहुत कम नुकसान हुआ था।