दिल्ली बनी “दरिया”, बारिश के बाद हर साल की यही कहानी, कब बदलेंगे हालात?
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पूरे देश में बारिश ने तांडव मचा रखा है। पहाड़ों से लेकर मैदान तक आफत की बारिश हो रही है। वायनाड के हालात से लोग वाकिफ है, यहां 170 के करीब लोग काल के गाल में समा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड में बादल फटने जैसे घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है। हालांकि इनसे इतर देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां बारिश के बाद जो आफत आती है, वो प्राकृतिक कम अव्यवस्ता का नतीजा ज्यादा होती है। ऐसे में लोगों का ये कहना है कि “दिल्ली तो भगवान भरोसे चल रही है” गलत नहीं होगा।
बुधवार शाम से देश की राजधानी में जो बारिश हुई उससे दिल्ली “दरिया” बन गई। जिसे सैकड़ों लोगों ने “डूबकर” पार किया। दिल्ली में बुधवार शाम हुई बारिश की वजह से बड़े पैमाने पर जलभराव हो गया और यातायात बाधित हो गया, जिससे सड़कों पर अव्यवस्था दिखाई दी। बुधवार शाम को दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश हुई, जिससे शहर के अधिकांश हिस्से जलमग्न हो गए और यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिससे लोग घंटों तक फंसे रहे। लगातार हो रही बारिश के कारण केवल सड़कें ही जाम नहीं हुईं, बल्कि देश के संसद भवन के अंदर और बाहर पानी नजर आया। संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, रफी मार्ग समेत दिल्ली की सभी मुख्य व अंदरूनी सड़कों व गलियों पर पानी भर गया। कनॉट प्लेस, चांदनी चौक समेत सभी बाजार लबालब थे। ओल्ड राजेंद्र नगर, करोल बाग आदि इलाकों की सड़कें भी पानी में डूब गई। सड़कों पर दो से तीन फीट पानी जमा हो गया।
हद तो ये हो गई कि इसी राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में पिछले हफ्ते एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबने से 3 छात्रों की मौत के बाद सात और जिंदगियां छिन गईं। जिनमें से दो दिल्ली में, तीन गुरुग्राम में और दो ग्रेटर नोएडा में। दिल्ली में एक महिला और उसका बच्चा पानी से भरे नाले में फिसलकर डूब गए। गाजीपुर इलाके में भारी जलजमाव में डूबने से 22 साल की एक महिला और उसके 3 साल के बेटे की मौत हो गई। इससे एक दिन पहले दिल्ली में हुई तेज बारिश के चलते करंट लगने से एक 12 साल के नाबालिग की दर्दनाक मौत हो गई। ये हाल सिर्फ दिल्ली का नहीं है। राजधानी से सटे गुरुग्राम में भारी बारिश के बाद हाईटेंशन तार के संपर्क में आने से करंट लगने से तीन लोगों की मौत हो गई। ग्रेटर नोएडा में दादरी इलाके में दीवार गिरने से दो लोगों की मौत हो गई।
देश की राजधानी की इस व्यवस्था सच कहें तो “अव्यवस्था” पर आश्चर्य होता है। देश जब खुद को दुनिया की उभरती महाशक्तियों में गिना रहा है, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाला देश, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश, 2047 तक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खुद को देख रहा देश...और उसकी राजधानी में मौसमी बरसात के पानी में डूबने से मौत जैसे घटनाएं होना वाकई आश्चर्य की बात है।
अब ऐसे में सवाल आ रहा है कि दिल्ली में जलभराव के कारण हो होने वाली मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है। असल में दिल्ली को लेकर केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार की खींचतान ने लोगों की जिंदगी को और मुश्किल कर रखा है। दोनों की लड़ाई में हर बार आम जनता पिसती है। यही वजह कि हर लोग इस तरह के हालात पैदा होने पर सवाल खड़े करते हैं कि आखिर ये किसकी जिम्मेदारी है, दिल्ली सरकार या फिर केन्द्र सरकार चलिए जानते हैं। इस सवाल का जवाब भी थोड़ा उलझा हुआ है। दिल्ली के अंदर आने वाली 60 फीट से ज्यादा चौड़ी सभी सड़कें पीडब्ल्यूडी संभालती है जबकि 60 फीट से कम चौड़ी सड़कें नगर निगम के अधीन हैं। पीडब्ल्यूडी और नगर निगम, दोनों जगहों पर आम आदमी पार्टी का नियंत्रण है। ऐसे में कहें तो ये दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है।
वैसे सवाल उठाने वाले तो और भी सवाल उठा सकते हैं, जैसे दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के 7 सांसदों की क्या कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? इसके लिए दोषी सरकारें और व्यवस्था तो हैं ही, हम भी कम नहीं हैं। अतिक्रमण की वजह से नालियां तक पाट दी जाती हैं। चोक कर दी जाती हैं। बढ़ते शहरीकरण की अंधी दौड़ में कुकुरमुत्तों की तरह नई-नई अवैध कॉलोनियां उग जाती हैं। अनियमित कॉलोनियां। जहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। अवैध कॉलोनियां बसती भी तो ऐसे हैं। न सड़क, न नाली। वोट बैंक की वजह से सियासी चुप्पी और नौकरशाही के करप्शन या फिर लापरवाही की वजह से ऐसी कॉलोनियां उगती ही जाती हैं।
दुनिया की बड़ी ताकतों में शुमार होने का दम भरने वाला देश के पास शहरों में प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम नहीं हैं। भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है। शहरों पर लोड बढ़ रहा लेकिन उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर उस लोड को सहने लायक नहीं हैं। इन्हीं सबका नतीजा है जरा सी बारिश से सड़कों पर सैलाब बन रहा है और उनमें जिंदगियां दम तोड़ रही है।
Aug 01 2024, 16:13