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क्या जगन्नाथ पुरी के रत्न भंडार में हुई चोरी? नकली चाबियों से उठे सवाल, जानें पैनल ने कहा कहा
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जगन्नाथपुरी मंदिर के ‘रत्न भंडार’ में पूर्व में चोरी की आशंका जताई गई है।रत्न भंडार की देखरेख के लिए सरकार की तरफ से नियुक्त गई समिति के एक सदस्य ने यह शक जताया है।पैनल के एक सदस्य को शक है कि डुप्लीकेट चाबियों का इस्तेमाल खजाने की चोरी के लिए किया गया।इस पैनल के अध्यक्ष विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में सोमवार को पुरी में बैठक हुई थी, जिसके बाद समिति के सदस्य जगदीश मोहंती ने ये सनसनीखेज आरोप लगाए।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मोहंती ने बैठक के बाद कहा, ‘नकली चाबियों के काम न करने के बाद ताले तोड़े गए, इससे यह साफ होता है कि आपराधिक मकसद और कीमती सामान चुराने की मंशा थी। नकली चाबी का मुद्दा एक धोखा था, क्योंकि चोरी की कोशिश से इनकार नहीं किया जा सकता है।’

अब  ‘रत्न भंडार’ में पूर्व में चोरी को लेकर आशंका की बात सामने आने के बाद जाँच समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ रथ ने कहा है कि अब नवीनतम तकनीक से रत्न भंडार की मरम्मत होगी ताकि ढाँचे की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और किसी भी आशंका को दूर किया जा सके।उन्होंने कहा कि 12 वीं सदी के मंदिर की संरचना को कोई खतरा न हो यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएँगे। मरम्मत कार्य के वक्त मंदिर की संरचना और संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि रत्न भंडार के अंदर मरम्मत कार्य शुरू करने से पहले सभी अलमारियों और संदूकों को स्थानंतरित किया जाएगा, लेकिन ये स्थानंतरण किस कमरे में होगा इसका फैसला जगन्नाथ मंदिर प्रशासन लेगा।

दरअसल वर्ष 2018 में इस रत्न भंडार की असली चाबियां गायब हो गई थी। इसके बाद पुरी प्रशासन ने दो नकली चाबियां बनवाई थी। हालांकि 14 जुलाई को जब रत्न भंडार खोलने की कोशिश की गई, तो इन चाबियों ने काम ही नहीं किया। इसके बाद समिति के सदस्यों को रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष के तीनों ताले तोड़ने पड़े थे।
लोकसभा में अनुराग ठाकुर के “चक्रव्यूह” में घिरे राहुल गांधी, जानें शशि थरूर भी कैसे आ गए लपेटे में
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लोकसभा में बजट पर चर्चा चल रही है। सोमवार को सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी चर्चा की शुरुआत करते हुए बीजेपी पर तीखे वार किए। आज मंगलवार को केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद ने राहुल गांधी के वार पर पलटवार का। इस दौरान लोकसभा में बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच तीखी नोकझोंक हुई।

अनुराग ठाकुर ने अपने भाषण की शुरुआत में ही कमल का जिक्र किया जिसे राहुल ने हिंसा से जोड़ा था। अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि एक नेता ने यहां खड़े होकर कमल पर कटाक्ष किया, लेकिन कमल का नाम तो राजीव भी है। कमल का पर्यायवाची राजीव है। कमल को बुरा दिखाने का प्रयास किया गया। चूंकि कमल से जुड़ा हुआ नाम राजीव भी है और आप सब जानते हैं कि राजीव किसका नाम है। अनुराग ने सीधे-सीधे राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की ओर इशारा किया। उन्होंने पूछा, 'तो क्या उनको भी बुरा समझते हैं?'

वहीं, अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी को घेरना के लिए ऐसा “चक्रव्यूह” रचा कि उसके घेरे में नेता प्रतिपक्ष ही नहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर भी आ गए। दरअसल, अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी को जवाब देने के लिए शशि थरूर की किताब  ‘द ग्रेट इंडियन नोवल’का सहारा लिया। इस उपन्यास के पहले अंश को पढ़ते हुए ठाकुर ने कहा – 15 अगस्त को एक धृतराष्ट्र देश की गद्दी पर बैठा जो फैबियन सोशलिज्म का मानता था। अब ये कौन है शशि थरूर खुद बता देंगे। इसके बाद इंदिरा गांधी का नाम लिए बिना अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रियदर्शिनी ने कैसे आपातकाल लगाया इसका भी जिक्र उपन्यास में है। जब अनुराग हमला बोल रहे थे तब शशि थरूर चुपचाप नजर आए।

हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने शशि थरूर के ‘द ग्रेट इंडियन नोवल’ अनुराग ठाकुर ने इस उपन्‍यास की पृष्‍ठ संख्‍या-245 में लिखी गई बातों को लोकसभा में पढ़ते हुए कहा कि 15 अगस्‍त 1947 को प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी तो नहीं थे और यह (शशि थरूर) कह रहे हैं कि सन् 1947 में जिन्‍होंने सत्‍ता संभाली थी वह धृतराष्‍ट्र थे।अनुराग ठाकुर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यहां धृतराष्‍ट्र किसको कहा गया, स्‍पीकर महोदय ने हमें बांध रखा है कि उस समय के नेताओं का नाम नहीं लेना है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री को धृतराष्‍ट्र हमने नहीं कहा, इन्‍हीं की पार्टी के सांसद ने ‘द ग्रेट इंडिया नोवल’ में कहा है। उन्‍होंने मजाकिया अंदाज में पूछा कि शशि थरूर जी कहां हैं, कहीं छुप तो नहीं गए।

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर यहीं नहीं रुके, उन्‍होंने शशि थरूर के उपन्‍यास के पेज नंबर 293 में लिखी गई बातों का उल्‍लेख करते हुए इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का भी उल्‍लेख किया। अनुराग ठाकुर ने इसका हवाला देते हुए कहा कि इस देश को पता है कि एक मात्र फेबियन समाजवादी कौन थे।
क्यों अहम है पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा, क्या अमेरिका की गुहार का है असर?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगस्त महीने में यूक्रेन के दौरे पर जा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन के लिए रवाना हो सकते हैं। कयास ये लगाया जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो साल से ज्यादा वक्त से जारी जंग पीएम दौरे का विशेष मुद्दा होगा। माना जा रहा है कि युद्धविराम के लिए पीएम मोदी अहम भूमिका निभा सकते हैं। पीएम मोदी की संभावित यूक्रेन यात्रा हैरान कर देने वाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया को यह उम्मीद नहीं थी कि रूस जाकर राष्ट्रपति पुतिन से गले मिलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी इतनी जल्दी यूक्रेन की यात्रा पर जा सकते हैं।

पूरी दुनिया यह भी कयास लगा रही होगी कि आखिर क्या इससे भारत और रूस के रिश्तों में दरार आ जाएगी, या फिर पीएम मोदी ने पुतिन को इसके लिए पहले ही राजी कर लिया है?...क्या पीएम मोदी पुतिन को युद्ध खात्म के लिए सहमत करने के बाद ही अपनी यूक्रेन यात्रा का प्लान बना रहे हैं, ताकि जेलेंस्की को भी इसके लिए राजी कराया जा सके?... क्या पीएम मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध को अब हमेशा के लिए खत्म करवा देंगे...?  इत्यादि ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब फिलहाल पूरी दुनिया के पास नहीं है।

हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के ल‍िए भारत और ताकत लगाएगा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये संकेत दिए हैं। जयशंकर ने कहा, भारत भविष्य में यूक्रेन और रूस के साथ और अधिक संपर्क रखेगा क्योंकि दोनों पक्षों से बातचीत करने वाले देशों का इस तरह का संपर्क उनके बीच संघर्ष को सुलझाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने कहा कि भारत का रुख यह रहा है कि संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकलेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि स्थिति को अपने तरीके से चलने देना तथा दुनिया के अन्य भागों में होने वाली घटनाओं का इंतजार करना गलत निर्णय होगा। हमें संकट खत्‍म करने के बारे में कुछ कदम उठाने ही होंगे। जापान के राष्ट्रीय प्रेस क्लब में एक चर्चा के दौरान जयशंकर ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि हमें वहां अधिक सक्रिय होना चाहिए।’’

वहीं, पीएम मोदी के अगस्त में संभावित यूक्रेन यात्रा पर विदेश और भू-रणनीतिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, ''ये साफ़ नहीं है कि मोदी कीव जाकर क्या हासिल करना चाहते हैं। अगर वो युद्धविराम कराना चाहते हैं तो ये रास्ता वॉशिंगटन से होकर गुज़रता है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि युद्धविराम के प्रयासों को रफ़्तार मिलेगी कि नहीं।''
बीजेपी के सदस्य और पूर्व मंत्री रह चुके सुब्रमण्यम स्वामी ने एक्स पर लिखा, ''यूक्रेन पर मोदी की मेहनत एक स्वागतयोग्य बदलाव है। लेकिन ये अमेरिकी राष्ट्रपति के दबाव में हो रहा है। लेकिन मोदी को पंचतंत्र के चमगादड़ों के हश्र से सबक लेना चाहिए। दोनों तरफ़ से कोशिश करने की वजह से उनका भी वही हश्र न हो जाए।''

ऐसे में इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका बार-बार भारत से युद्धविराम के लिए रूस से बात की गुहार लगाता रहता है। इस महीने के शुरूआत पीएम मोदी को जब रूस दौरे पर गए थे तो भी अमेरिका ने युद्ध विराम को लेकर भारत से उम्मीद जताई थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मोदी की रूस यात्रा को लेकर चिंता जताई थी। वहीं पेंटागन ने ये भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए न्यायपूर्ण शांति के प्रयासों का समर्थन करेगा।

फ़रवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेंलेस्की से पीएम मोदी इटली और जर्मनी में जी-7 सम्मेलन के इतर मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन अभी तक उन्होंने यूक्रेन की यात्रा नहीं की है। इटली में पिछले महीने ज़ेंलेस्की से मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा था कि भारत यूक्रेन संकट के शांतिपूर्ण हल के लिए अपनी क्षमता के मुताबिक़ हरसंभव कोशिश करेगा।
वहीं, इस महीने की शुरुआत में मोदी ने अपनी रूस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पुतिन से मुलाक़ात की थी। उस दौरान जेंलेस्की ने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता का दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को दुनिया के सबसे खूंखार अपराधी को गले लगाते देखना बड़ी निराशा की बात है। ये शांति प्रयासों के लिए बड़ा झटका है। इस पर भारत ने नई दिल्ली में तैनात यूक्रेनी राजदूत को सफाई देने लिए बुला लिया था।
क्या देवेंद्र फडणवीस होंगे बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष, परिवार संग पीएम मोदी से मुलाकात के बाद अटकलें तेज
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जेपी नड्डा के बाद बीजेपी का नया राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष कौन होगा? 2024 लोकसभा चुनावों के बाद से यह सवाल लगातार उठा रहा है। दरअसल, मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा मोदी 3.0 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बन चुके हैं। नए अध्‍यक्ष के चुने जाने तक उनको विस्‍तार मिला हुआ है। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सिलसिले में 24 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह, बीएल संतोष (पार्टी जनरल सेक्रेटरी-संगठन) की बैठक हुई। उसके बाद से फिर इन कयासों को बल मिला है कि बीजेपी जल्‍द ही पूर्णकालिक राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष घोषित करेगी

इस बीच एक बार फिर नए अद्यक्ष के नामों को लेकर अटकलें लगाई जानें लगीं है। तमाम नामों पर अटकलों के बाद अब यह माना जा रहा है कि महाराष्ट्र के मौजूदा उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जे पी नड्‌डा की जगह ले सकते हैं। दिल्ली में पत्नी अमृता फडणवीस के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के बाद राजनीतिक हलकों में इसकी चर्चा है कि क्या फडणवीस नए बीजेपी अध्यक्ष होंगे?

फडणवीस के नए बीजेपी अध्यक्ष बनने की संभावनाओं का लेकर द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि दिल्ली में फडणवीस की पत्नी और बेटी के साथ मोदी से मुलाकात से यह धारणा मजबूत होती है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व फडणवीस को पार्टी में अहम पद पर नियुक्त करना चाहता है। सूत्र के हवाले लिखा गया है कि इससे पहले आरएसएस और भाजपा के बीच नामों को लेकर मतभेद थे, जिससे राष्ट्रीय भाजपा प्रमुख की नियुक्ति में देरी हो रही थी। फडणवीस को लेकर आम सहमति बनती दिख रही है। ऐसे में फडणवीस- पीएम मोदी की मुलाकात महत्वपूर्ण है।

अपने परिवार के साथ फडणवीस की पीएम मोदी के साथ मुलाकात के ये मायने निकाले जा रहे हैं कि बीजेपी पार्टी का शीर्ष नेतृत्‍व भी फडणवीस को कोई महत्‍वपूर्ण भूमिका देना चाहता है. यानी फडणवीस को लेकर बीजेपी और आरएसएस के नाम पर सहमति बनती दिख रही है।

बता दें कि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर जेपी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल दिसंबर में ही समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनके कार्यकाल को 6 महीने का विस्तार दिया गया था। चुनाव खत्म हो चुके हैं और एक बार फिर एनडीए गठबंधन ने केंद्र में सरकार बनाई है। जिसमें जेपी नड्डा को केंद्रीय मंत्री पद मिला। जिसके बाद नए पार्टी अध्यक्ष के लिए कई नामों पर चर्चा होती रही है। इस रेस में बीजेपी के महासचिव विनोद तावड़े का नाम है, जो महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री हैं और बीएल संतोष के बाद बीजेपी के सबसे प्रभावशाली महासचिवों में से एक बन गए हैं। तावड़े युवा हैं, संगठन को समझते हैं और मराठा हैं। जबकि के लक्ष्मण का नाम भी काफी चर्चा में है, वह भाजपा के ओबीसी मोर्चा के प्रमुख हैं। आंध्र के बाद बीजेपी का अगला फोकस तेलंगाना से है, लक्ष्मण ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी पार्टी का नेतृत्व किया है। उनमें शांत रहने और आक्रामक होने का सही संतुलन है।’
वायनाड भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 70 से ज्यादा, रेस्क्यू में जुटीं सेना और एनडीआरएफ की टीमें*
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केरल के वायनाड जिले में मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन में 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, जबकि 116 घायल हुए हैं। वहीं सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है।जिन्हें सुरक्षित जगह पहुंचाने के लिए तेज रफ्तार से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इलाके में चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। राज्य से लेकर केंद्र तक एक्टिव मोड में नजर आ रहा है। *अस्पतालों में पहुंचे 70 से अधिक शव पहुंच* केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन पर केरल के मुख्य सचिव डॉ. वी. वेणु ने कहा, 'स्थिति अभी भी बहुत गंभीर बनी हुई है। अस्पतालों में 70 से अधिक शव पहुंच चुके हैं। लेकिन हमें खबर मिली है कि अभी भी कई लोग लापता हैं और हताहतों की संख्या बढ़ सकती है। एक छोटी सी टीम नदी पार करके पहुंचने में कामयाब रही है, लेकिन हमें मदद पहुंचाने और नदी के दूसरी तरफ बचाव अभियान शुरू करने के लिए और भी लोगों को भेजना होगा। आज और कल रेड अलर्ट है इसलिए हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सकते। एनडीआरएफ पूरी ताकत से वहां मौजूद है, हमारे पास सेना का बैकअप है।' *भारी बारिश के कारण बचाव कार्य में परेशानी* हालांकि, इलाके में भारी बारिश के कारण बचाव कार्य बाधित हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि मलप्पुरम के नीलांबुर क्षेत्र में बहने वाली चालियार नदी में कई लोगों के बह जाने की आशंका है। इस बीच, मुंडक्कई में कई घर, दुकानें और वाहन मलबे में दबे हुए हैं। घटनास्थल पर जाने वाला एक पुल बह गया है, जिससे रेस्क्यू में परेशानी आ रही है। *केरल सरकार ने घोषित किया राजकीय शोक* केरल में आधिकारिक शोक की घोषणा की गई है। आज और कल शोक रहेगा। राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। राज्य सरकार के आधिकारिक कार्यक्रम और समारोह आज और कल स्थगित कर दिए गए हैं।
सदियों से गुरुद्वारों पर लहरा रही 'भगवा' पताका, अब नहीं लहराएगी ! SGPC ने लिया रंग बदलने का फैसला



गुरुद्वारों पर सदियों से फहराया जा रहे ध्वज का रंग अब भगवा या केसरिया नहीं होगा। सिख समुदाय की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इस संबंध में बाकायदा आदेश जारी किए हैं कि अब निशान साहिब का रंग बसंती होगा। यह फैसला SGPC ने श्री अकाल तख्त साहिब में हुई पांच सिंह साहिबान की मीटिंग में लिया है।

SGPC ने कहा है कि केसरी निशान साहिब को लेकर संगत के बीच असमंजस था। कुछ मामले श्री अकाल तख्त साहिब के ध्यान में आए थे, जिन पर चर्चा हुई। पांच सिंह साहिबानों की बैठक में इस मुद्दे पर बातचीत हुई कि निशान साहिब का रंग बेशक भगवा है, मगर गलती से यह हिंदू धर्म के प्रतीक भगवा रंग से मेल खाता है। इसके चलते कई बार संगत के लोग या अजनबी लोग इसमें फर्क नहीं कर पाते हैं और दोनों को एक ही समझ लेते हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। SGPC ने कहा कि सिख धर्म हिंदू धर्म से अलग है, लेकिन फिर भी कुछ लोग यह प्रचार करते हैं कि हिंदू और सिख एक ही धर्म हैं। इस प्रकार के भ्रम से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

वैसे ये अलग बात है कि, सिख गुरुओं ने तो अपने आप को हिन्दुओं से अलग नहीं समझा था। मुग़लकाल और ब्रिटिश काल में भी ये एक ही रहे। लेकिन बंटवारे के बाद राजनेताओं की सियासी चाह और पाकिस्तानी साजिश ने इनमे फूट डाल दी। खालिस्तान मुद्दे ने इसमें आग में घी का काम किया, जो इंदिरा गांधी के कार्यकाल में पैदा हुआ था। वरना किस सिख गुरु ने अलग देश माँगा था ? गुरु नानकदेव ने राम कि वंदना की है, गुरु गोविन्द सिंह ने दुर्गा की और गुरु गोबिन्द सिंह ने चंडी चरित्र लिखा है, दुर्गा की उपासना की है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा था कि, 'सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, जगे धर्म हिंदू, सकल भंड भाजे।'

गुरु गोबिंद सिंह, अपनी सेना को संबोधित करते हुए कहते थे कि, ''देहि शिवा वर मोहे, शुभ करमन ते कबहूं न टरूं, न डरूं अरि सौं जब जाइ लरूं, निश्चय कर अपनी जीत करूं।'' यहाँ गुरु गोबिंद सिंह किस शिवा की बात कर रहे हैं, दरअसल भारत में शिव की अर्धांगिनी माँ दुर्गा को ही शिवा कहा जाता है। यही नहीं, भारत में जय माता जी का नहीं, बल्कि 'जय माता दी' का नारा प्रसिद्ध है, क्योंकि सिख गुरुओं से लेकर समुदाय ने भी माता को खूब पूजा है और आज भी पूजते हैं। लेकिन SGPC का कहना है, तो आगे जाकर शायद ये बंद भी हो सकता है, क्योंकि अलग करने की कोशिशें तो शुरू हो ही चुकी हैं। बुल्ले शाह जी कहते हैं कि, ना कहूँ जब की, ना कहूँ तब की, ना कहूँ जब की, ना कहूँ तब की, बात कहूँ मैं अब की, अगर ना होते गुरु गोविन्द सिंह, सुन्नत होती सभ की। यानी अगर गुरु गोबिंद सिंह ना होते तो सभी लोग मुसलमान होते। ये बताता है कि, गुरु गोबिंद सिंह ने किस कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।

वैसे एक दौर वो भी था, जब धर्म रक्षा के लिए हिन्दू परिवार अपने घर के एक बेटे को सिख बनाया करते थे और उन्हें गुरुओं की सेवा में भेजा करते थे। बन्दा सिंह बहादुर पहले महंत माधोदास बैरागी थे, भाई मणि राम राजपूत परिवार से थे, भाई मती दास छिब्बर वंश के (सारस्वत) मोहयाल ब्राह्मण परिवार से थे, भाई सतीदास उनके छोटे भाई थे। ऐसे तमाम लोग गुरुओं के हाथों आशीर्वाद लेकर धर्म और देश रक्षा के लिए बलिदान हुए। गुरु ने खुद कश्मीरी पंडितों की विनती मानकर उन्हें आश्रय दिया और औरंगज़ेब के खिलाफ आवाज़ उठाई। ये तमाम चीज़ें बताती हैं कि, सिख और हिन्दू कभी अलग नहीं रहे। पर अब उन्हें अलग करने की कोशिश जारी है, क्योंकि दुश्मन ने तो लकड़ी के गट्ठर को ना तोड़ पाने वाली कहानी पढ़ी है, शायद भारतवासी भूल गए।  अफ़सोस, भारत को आज भी शत्रुबोध की समझ नहीं है, और वो आपस में ही टूटकर बिखरने के लिए तैयार है।
कांग्रेस ने गिनाए मोदी सरकार में हुए बड़े रेल हादसे, पूछा- जिम्मेदारी किसकी?*
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पिछले साल ओडिशा रेल हादसा के बाद से सुरक्षा को लेकर चिंता जस की तस बनी हुई है। इस हादसे में करीब 290 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, ओडिशा रेल हादसे के बाद भी कई रेल दुर्घटनाएं देखने को मिली। मंगलवार को झारखंड के बाराबाम्बो में हावड़ा-मुंबई मेल की 18 बोगिया पटरी से उतर गई। इस हादसे में दो की मौत हो गई, जबकि 20 से ज्यादा घायल हुए। इस हादसे से पहले पिछले भी कई ट्रेनें पटरी से उतर गईं और दुर्घटनाएं में कईयो ने जान गंवाई है। लगातार हो रहे रेल हादसों को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार में 2014 से अब तक हुए हादसों का जिक्र कर केंद्र पर हमला बोला है। कांग्रेस ने मोदी सरकार में हुए बड़े रेल हादसे गिनाते हुए पूछा, जिम्मेदारी किसकी? कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए हैं, जिनमें अब तक हुए रेल हादसों का पूरा ब्यौरा दिया है। जिसमें 26 मई 2014 से लेकर आज तक यानी मंगलवार 30 जुलाई 2024 तक का जिक्र है। एक पोस्ट में कांग्रेस ने लिखा है कि मोदी सरकार रेल मंत्रालय और रील मंत्री की गंभीरता को समझिए। इसके आगे पोस्ट में पिछले जून-जुलाई में हुए रेल हादसों का जिक्र करते हुए पार्टी ने बताया कि इन हादसों में 21 लोगों की जान चली गई थी वहीं 100 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे। *जयराम रमेश का रेल मंत्री पर कटाक्ष* कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने यह कटाक्ष भी किया कि एक के एक बाद रेल हादसों के बावजूद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की ‘पीआर मशीन’ जारी है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘एक और रेल दुर्घटना। लेकिन फेल मंत्री की ‘‘पीआर मशीन” जारी है। अकेले जून और जुलाई 2024 में ‘असफल मंत्री’ के तहत तीन दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुल मिलाकर 17 भारतीय नागरिकों की जान चली गई और 100 लोग घायल हो गए।” *मोदी के नए भारत में की एक वास्तविकता- पवन खेड़ा* कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ट्वीट लिखा कि प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत में कोई जवाबदेही नहीं है, कोई इस्तीफा नहीं है, केवल अप्रासंगिक रेल परियोजनाओं के बारे में बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, जिनका कोई मतलब नहीं। देखिए, मोदी के नए भारत में की एक वास्तविकता… 18 जुलाई: उत्तर प्रदेश के गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस पटरी से उतरी, 4 की मौत 31 घायल 19 जुलाई: गुजरात के वलसाड में मालगाड़ी पटरी से उतरी 20 जुलाई: उत्तर प्रदेश के अमरोहा में मालगाड़ी के 12 डिब्बे पटरी से उतरे 21 जुलाई: राजस्थान के अलवर में मालगाड़ी के 3 डिब्बे पटरी से उतरे 21 जुलाई: पश्चिम बंगाल के राणाघाट में मालगाड़ी पटरी से उतरी 26 जुलाई: उड़ीसा के भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी पटरी से उतरी 29 जुलाई: बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस बिहार के समस्तीपुर में 2 टुकड़ों में बंट गई 30 जुलाई: झारखंड के चक्रधरपुर में हावड़ा-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतरे, 2 की मौत 20 घायल
मनु भाकर ने रचा इतिहास, पेरिस ओलंपिक में जीता दूसरा मेडल, सरबजोत के साथ देश को दिलाया एक और ब्रॉन्ज
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भारत ने पेरिस ओलंपिक में दूसरा पदक जीत लिया है। मंगलवार को 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर कांस्य जीता है। भारत ने कांस्य पदक के मुकाबले में दक्षिण कोरिया की ओह ये जिन और ली वोन्हो की जोड़ी को 16-10 से हराया। भारत ने कुल मिलाकर आठ राउंड जीते, जबकि कोरिया ने पांच राउंड में जीत हासिल की। मनु भाकर और सरबजोत सिंह की ब्रॉन्ज मेडल के मुकाबले में शुरुआत अच्छी नहीं हुई थी। भारतीय जोड़ी पहला शॉट से हार गई थी। भारतीय जोड़ी खराब शुरुआत से निराश नहीं हुई और अगला ही शॉट जीत लिया। इसके बाद तो उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखते ही देखते मनु भाकर और सरबजोत सिंह 6-2 से आगे हो चुके थे। जब कोरियाई जोड़ी 6 के स्कोर तक पहुंची तब तक भारतीय जोड़ी 14 तक पहुंच गई। जब भारत को जीत के लिए सिर्फ दो अंक की जरूरत थी। तब कोरियाई जोड़ी ने लगातार दो शॉट जीतकर अपना स्कोर 10 तक पहुंचा लिया। लेकिन भारतीय जोड़ी ने इसके बाद विरोधी जोड़ी को कोई मौका नहीं दिया। भारतीय जोड़ी ने 13वें शॉट को अपने नाम कर स्कोर 16-10 कर दिया। मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने इस मुकाबले में तकरीबन एक जैसा प्रदर्शन किया। मनु ने 10 बार टेन या इससे अधिक का स्कोर किया तो सरबजोत सिंह ने 9 बार यह कारनामा किया। इसी के साथ आजादी के बाद एक ही ओलंपिक में 2 मेडल जीतने वाली मनु भाकर पहली भारतीय एथलीट भी बन गई हैं। मनु भाकर ने इससे पहले 28 जुलाई को पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल के सिंगल्स इवेंट में भी ब्रॉन्ज मेडल पर निशाना लगाया था। पेरिस में जीते अपने पहले ब्रॉन्ज के साथ ही मनु ने मेडल टैली में भारत का खाता खोला था। अब पेरिस में मिली पहली कामयाबी के 48 घंटे बाद मनु भाकर ने एक और ब्रॉन्ज अपने नाम कर इतिहास रचा है। मनु भाकर से पहले ओलंपिक इतिहास में सिर्फ दो भारतीय खिलाड़ी ही ऐसे हुए हैं, जिन्होंने इंडिविजुअल इवेंट में दो मेडल जीते हैं। सुशील कुमार ने 2008 और 2012 में कुश्ती में मेडल जीते थे। इसी तरह स्टार शटलर पीवी सिंधु ने 2016 और 2020 में मेडल जीते हैं। लेकिन मनु भाकर पहलवान सुशील कुमार और शटलर पीवी सिंधु से इस मामले में आगे निकल गई हैं कि उन्होंने अपने दोनों मेडल एक ही ओलंपिक में जीते हैं।
विपक्ष के हमलों के बीच पीएम मोदी ने बजट पर दिया जवाब, बोले-10 साल में 5 बड़ी आपदा, फिर भी नहीं रुकी विकास की रफ्तार
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बजट 2024 के पेश होने के बाद से ही विपक्ष सरकार पर हमलावर बना हुआ है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने सिर्फ दो राज्यों पर ध्यान दिया है, जबकि बाकी राज्यों की अनदेखी की गई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के पोस्ट बजट सेशन को संबोधित किया। पीएम मोदी ने विज्ञान भवन में 'विकसित भारत की यात्रा: केंद्रीय बजट 2024-25 के बाद का सम्मेलन' के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में देश ने 5 बड़ी आपदाओं का सामना किया, फिर भी विकास की रफ्तार नहीं रुकी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की हर सेक्टर की इकोनॉमी पर सरकार का फोकस है। ग्लोबल ग्रोथ में भारत का शेयर 16 फीसदी पहुंच चुका है। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरे सबसे बड़े इकोनॉमिक पावर बन जाएगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं सीआईआई का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। मुझे याद है पैंडेमिक के समय आप बहुत चिंता कर रहे थे। हर चर्चा के केंद्र के विषय रहता था गेटिंग ग्रोथ बैक। भारत बहुत ही जल्द विकास के पथ पर दौड़ेगा। आज भारत किस ऊचाई पर है। आज भारत 8 प्रतिशत की रफ्तार से ग्रो कर रहा है। आज हम सभी डिस्कस कर रहे हैं, जर्नी टुवार्ड विकसित भारत। यह बदलाव सिर्फ सेंटिमेंट का नहीं है यह बदलाव कॉन्फिडेंस का है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज की तारीख में ग्लोबल ग्रोथ में भारत का शेयर 16 फीसदी हो गया है। पिछले दस साल में हमारी सरकार ने देश के हर सेक्टर की इकोनोमी की ग्रोथ का विशेष ध्यान रखा है। आज भारत का लोहा दुनिया मानने लगा है।तमाम संकटों और चुनौतियों के बाद भी दुनिया के तमाम देशों के बीच भारत जैसी तरक्की कोई और देश नहीं कर पा रहा। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी ही वर्तमान है, टेक्नोलॉजी भविष्य है। इसे फोकस करते हुए हमारी सरकार काम कर रही है। लाखों युवाओं का भविष्य इस टेक्नोलॉजी से जुड़ा है।

पीएम ने कहा, मैं जिस बिरादरी से आता हूं उस बिरादरी की पहचान बन गई है। चुनाव से पहले जो बातें करते हैं चुनाव के बाद भुला देते हैं। मैं वैसा नहीं हूं। इसलिए मैं याद दिला देता हूं मैंने कहा था मेरे तीसरे टर्म में देश तीसरे नंबर की इकोनॉमी बनेगा। भारत बहुत सधे हुए कदमों से लगातार आगे बढ़ रहा है। 2014 में जब आपने हमें सेवा करने का अवसर दिया तब सबसे बड़ा प्रश्न यही था इकोनॉमी को कैसे वापस पटरी पर लाएं। 2014 से पहले ही फ्रेजाइल फाइव वाली स्थिति और लाखों करोड़ों के घोटाले के बारे में यहां हर कोई पता है। इकोनॉमी की क्या स्थिति थी इसकी बारीकियां सरकार ने श्वेत पत्र जारी कर के बताई है। लेकिन आज की तारीख में हर क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हो रहा है। पिछले दस साल में देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनोमी बन चुका है। हम इसी तरह प्रगति करते हैं तो भारत विकसित देश जल्द बनेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार हर सेक्टर पर ध्यान दे रही है और इसके तहत रेलवे और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बजट में भारी वृद्धि की गई है। रेलवे का बजट आठ गुना बढ़ाया गया है, जबकि कृषि के क्षेत्र में चार गुना वृद्धि की गई है। इससे इन क्षेत्रों में सुधार और विकास को गति मिलेगी। मोदी ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं, जिससे देश में आर्थिक सुधार और विकास को बल मिला है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में स्टार्टअप संस्कृति को भी बढ़ावा मिला है, और वर्तमान में भारत में 1 लाख 40 हजार स्टार्टअप्स चल रहे हैं। यह युवा उद्यमियों और नई तकनीकों के विकास का स्पष्ट संकेत है, जो भारत को आर्थिक मोर्चे पर और मजबूत बना रहा है। उन्होंने कहा, हालांकि दुनियाभर में अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद भारत ने अपनी प्रगति को बनाए रखा है।
बिहार में लगातार गिरते पुलों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, SC ने नितीश सरकार से मांगा जवाब

शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका (PIL) पर बिहार सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से हाल ही के महीनों में नियमित अंतराल पर 10 पुलों के गिरने के बाद सूबे के सभी पुलों की इन्फ्रास्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग उठाई है। SC के एक वकील ने बिहार में निरंतर गिरते पुलों की जांच कराने के लिए जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई। रिपोर्ट के अनुसार, देश के CJI डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को नोटिस भेजा है। इस नोटिस के मुताबिक, बिहार सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चरल ऑडिट करने और पुलों को चिन्हित करने के लिए एक एक्सपर्ट समिति का गठन करने की मांग की गई है। इस समिति द्वारा निकाले गए ऑडिट निष्कर्षों के आधार पर यह निर्धारित किया जाएगा कि पुल की मरम्मत की जा सकती है या फिर उन्हें ध्वस्त कर दोबारा बनाया जाना चाहिए। वकील ब्रजेश सिंह ने यह याचिका गत माह दाखिल की थी। अपनी इस याचिका में सिंह ने भारी वर्षा के बाद 16 दिनों के अंदर 10 पुलों के ढहने पर चिंता जाहिर की थी। बृजेश सिंह ने लिखा था कि 10 दिनों के भीतर ही सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पल ढह गए। अंतिम घटना सीएम नीतीश कुमार द्वारा सड़क निर्माण और ग्रामीण कार्य विभागों को राज्य के पुराने पुलों का आकलन करने और फ़ौरन मरम्मत की जरूरत वाले पुलों की पहचान करने के निर्देश देने के ठीक एक दिन बाद हुई। PIL में राज्य में मानसून के दौरान आई बाढ़ और भारी बारिश के बाद पुलों की सुरक्षा और टिकाऊपन पर सवाल खड़े किए गए है। लगातार गिरते पुलों के बाद बिहार में बढ़ हुए भ्रष्टाचार की बात उजागर हो गई है। बिहार में लगातार नीतीश कुमार की सरकार है, ऐसे में जनता उन्हें ही इन हादसों के लिए जिम्मेदार बता रही है। सीएम नीतीश कुमार ने इन गिरते हुए पुलों की जांच कराने को लेकर जनता को आश्वासन देने की कोशिश की है।