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जमानत आदेशों पर रोक लगाने पर सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला, कहा बिना कारण नहीं रोका जाना चाहिए जमानत आदेश

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यापक फैसला सुनाया कि जमानत आदेशों पर लापरवाही से रोक नहीं लगाई जा सकती या उन्हें “यांत्रिक रूप से” नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें जमानत आदेशों पर लापरवाही से रोक लगाने के खिलाफ स्पष्ट दिशा-निर्देश और निवारक उपाय स्थापित किए गए हैं।

जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने फैसले का मुख्य हिस्सा पढ़ते हुए कहा, “हालांकि अदालतों के पास जमानत पर रोक लगाने का अधिकार हो सकता है, लेकिन ऐसा केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए।”

अदालत का यह फैसला एक ऐसे मामले में आया, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक आरोपी के जमानत आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बिना कोई कारण बताए रोक लगा दी थी। जमानत आदेश पर एक साल तक रोक लगी रही, जिसके बाद 7 जून को सुप्रीम कोर्ट की अवकाश बेंच ने निर्देश दिया कि आरोपी को तुरंत रिहा किया जाए।

बेंच ने मंगलवार को जमानत पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया। 12 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि जमानत आदेशों पर लापरवाही से रोक लगाने की प्रथा गलत है। साथ ही शीर्ष अदालत इस प्रथा को समाप्त करेगी क्योंकि इससे मानव स्वतंत्रता पर “विनाशकारी” प्रभाव पड़ता है। शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तर्क दिया कि यह कई अदालतों में एक स्थापित प्रथा है क्योंकि जमानत रद्द करने की शक्ति में ऐसे आदेशों पर रोक लगाने की शक्ति भी शामिल है। इस पर शीर्ष अदालत ने ऐसी प्रथाओं को समाप्त करने के अपने अधिकार पर जोर दिया। “आप कैसे कह सकते हैं कि कानून में कुछ है या कोई प्रथा है। अगर यह प्रथा है, तो यह गलत प्रथा है। सिर्फ इसलिए कि कुछ आदेश पारित किए गए हैं, यह न्यायोचित नहीं हो जाता। व्यक्तियों की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में यह प्रथा नहीं हो सकती। जमानत देने वाले आदेशों में कारण शामिल होते हैं। इसे लापरवाही से कैसे रोका जा सकता है?” अदालत ने मामले में ईडी की ओर से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन से पूछा।

अदालत ने यह भी संकेत दिया कि वह इस बारे में विशिष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित करेगी कि जमानत आदेश पर कब रोक लगाई जा सकती है। मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा, "हम जो कहने जा रहे हैं, वह यह है कि जमानत देने के आदेश पर तभी रोक लगाई जा सकती है, जब कोई विकृत हो और विशेष शर्तों की आवश्यकता हो या कोई व्यक्ति आतंकवादी हो।" मौजूदा मामले में, परविंदर सिंह खुराना को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में 17 जून, 2023 को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी थी। ईडी द्वारा अपील दायर करने के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 23 जून को जमानत आदेश पर रोक लगा दी, लेकिन कोई कारण नहीं बताया। इसके बाद खुराना ने रोक के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया, जिसके बाद अवकाश पीठ ने 7 जून को उनकी रिहाई का निर्देश दिया।

11 जुलाई को, अदालत ने उच्च न्यायालयों द्वारा निचली अदालतों द्वारा दिए गए जमानत आदेशों पर लापरवाही से रोक लगाने की प्रथा की निंदा की थी, खासकर तब जब आरोपी आतंकवादी न हो। यह क्या हो रहा है? एक व्यक्ति को जमानत दी जाती है, आप (प्रवर्तन निदेशालय) उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं और केवल आपके पूछने पर, जमानत देने का आदेश एक साल के लिए स्थगित रहता है। यह चौंकाने वाला है," पीठ ने कहा। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के स्थगन केवल जांच एजेंसियों के कहने पर नहीं दिए जाने चाहिए, खासकर तब जब ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत देने के लिए विस्तृत कारण बताए गए हों।

इसने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि हाई कोर्ट के “एक-लाइन आदेश” द्वारा विस्तृत जमानत आदेश को लापरवाही से रोक दिया गया। शीर्ष अदालत का यह रुख दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़े एक हालिया विवाद की पृष्ठभूमि में आया है, जो 2011-22 की आबकारी नीति के निर्माण में कथित अवैधताओं के संबंध में न्यायिक हिरासत में हैं।

21 जून को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा केजरीवाल को दी गई जमानत पर रोक लगा दी।ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल के खिलाफ प्रत्यक्ष साक्ष्य की कमी का हवाला दिया और ईडी के दृष्टिकोण में संभावित पक्षपात का सुझाव दिया। ईडी की अपील के बाद, ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत के आदेश के 24 घंटे से भी कम समय में स्थगन आ गया, लेकिन एक अवकाश पीठ द्वारा हाई कोर्ट के प्रारंभिक स्थगन आदेश में कोई कारण नहीं बताया गया, जिससे महत्वपूर्ण कानूनी और नैतिक प्रश्न उठे।

केजरीवाल की जमानत आदेश के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका फिलहाल उच्च न्यायालय में लंबित है।

*जो बिडेन अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए अयोग्य’: ट्रंप, वेंस ने 25वें संशोधन को लागू करने का आह्वान किया

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने घोषणा की कि वह इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में अपने पुनर्निर्वाचन अभियान से पीछे हट गए हैं, डोनाल्ड ट्रंप और उनके उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस ने कहा कि अगर बिडेन राष्ट्रपति पद के लिए दौड़ने के योग्य नहीं हैं, तो उन्हें अपना शेष कार्यकाल पूरा करने के लिए भी योग्य नहीं माना जाना चाहिए।

जेडी वेंस, जो उपराष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन चेहरा हैं और ओहियो से सीनेटर हैं, सोमवार को फॉक्स न्यूज पर एक साक्षात्कार में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के साथ दिखाई दिए, जहां उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में जो बिडेन को हटाने के लिए उनके खिलाफ 25वें संशोधन को लागू करने के बारे में बात की। वेंस और ट्रंप जेसी वाल्टर के 'प्राइमटाइम' शो में दिखाई दिए, जिसमें उन्होंने जो बिडेन पर हमला किया और उन पर अपने शेष कार्यकाल को पूरा न करने का दबाव बनाया, जो 20 जनवरी, 2025 को समाप्त होने वाला है।

जेडी वेंस यह कहने की हद तक चले गए कि बिडेन राष्ट्रपति के रूप में बने रहने के लिए "अयोग्य" हैं और उनके खिलाफ 25वें संशोधन को लागू किया जाना चाहिए, तो ट्रंप चुपचाप सहमत होते देखे गए। वेंस ने 25वें संशोधन को बिडेन की राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने की क्षमता पर चिंताओं को दूर करने के लिए एक तंत्र के रूप में इंगित किया, पारदर्शिता और संवैधानिक प्रक्रियाओं के पालन की आवश्यकता पर जोर दिया।

"यदि जो बिडेन राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, तो वे राष्ट्रपति के रूप में सेवा नहीं कर सकते हैं। और यदि वे उन्हें इसलिए हटा रहे हैं क्योंकि वे मानसिक रूप से सेवा करने में असमर्थ हैं, तो 25वें संशोधन को लागू करें," वेंस ने साक्षात्कार के दौरान कहा।

वाल्टर्स ने दोनों से डेमोक्रेटिक पार्टी में बिडेन के खिलाफ "तख्तापलट" की संभावना के बारे में भी पूछा, जिसके कारण उन्हें हटा दिया गया। डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ तख्तापलट की संभावना पर सहमति जताई, उनके शीर्ष सांसदों ने कथित तौर पर अंतिम क्षण में उनका समर्थन करने से पीछे हट गए। ट्रम्प ने आरोप लगाया कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा बिडेन से "नफरत" करते हैं, उन्होंने हाल ही में एक सार्वजनिक घटना के बारे में बात की जिसने मतदाताओं के सामने बिडेन की छवि को नुकसान पहुंचाया।

"जब ओबामा कुछ हफ़्ते पहले बिडेन को मंच से नीचे ले गए, तो उन्हें ऐसा करने की ज़रूरत नहीं थी, वे उन्हें लोगों को थोड़ी देर तक हाथ हिलाने दे सकते थे... वे हाथ हिला रहे थे और अचानक ओबामा आ गए, उन्हें पकड़ लिया। चलो जो। जैसे कि वह एक बच्चा था। इसने उन्हें बहुत बुरा बना दिया। और मैं बिडेन के साथ लोगों को जानता हूँ, मैं ओबामा के साथ लोगों को जानता हूँ और वे इससे खुश नहीं थे। इसने उन्हें वास्तव में बुरा बना दिया," ट्रम्प ने कहा।

बजट से पहले शेयर बाजार में तेजी, सेंसेक्स 200 अंक चढ़ा, निफ्टी 24500 के पार

#stock_market_boomed_before_budget_announcement 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का बजट पेश करेंगी। बजट से पहले शेयर मार्केट से अच्छी खबर आई है। लगातार दो दिन की गिरावट के बाद शेयर मार्केट आज तेजी के साथ खुला है। बाजार खुलते ही बीएसई सेंसेक्स में 200 अंक की तेजी आई है जबकि निफ्टी 24,550 अंक के ऊपर पहुंच गया।

बांबे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर 90 अंकों की तेजी के साथ 80,579.22 अंकों पर कारोबार कर रहे हैं। जबकि बाजार ओपन होने के दौरान सेंसेक्स में 200 से ज्यादा अंकों की तेजी देखने को मिली थी और सेंसेक्स 80766.41 अंकों पर दिखाई दिया था। वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी में भी तेजी देखने को मिल रही है। एनएसई के आंकड़ों के अनुसार निफ्टी 9 बजकर 30 मिनट पर 10.35 अंकों की तेजी के साथ 24,519.60 अंकों पर कारोबार कर रहा है। जबकि निफ्टी 59.65 अंकों की तेजी के साथ 24,582.55 अंकों पर ओपन हुई थी।

शेयर बाजार निवेशकों को उम्मीद है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर में इजाफा देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से रेलवे और इंफ्रा स्टॉक्स में तेजी देखने को मिल रही है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर आयशर मोटर्स में करीब दो फीसदी की तेजी देखने को मिल रही है। वहीं अल्ट्रा सीमेंट के शेयर में सवा एक फीसदी का उछाल देखने को मिल रहा है। एनटीपीसी, एलएंडटी और ग्रासिम के शेयरों में एक फीसदी से ज्यादा की तेजी है।

एक दिन पहले मंगलवार को शेयर बाजार 100 से ज्यादा अंकों की गिरावट देखने को मिली थी। भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क, निफ्टी 50 और सेंसेक्स, सोमवार, 22 जुलाई को केंद्रीय बजट 2024 से पहले लाल निशान में बंद हुए। निफ्टी 50 22 अंक या 0.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,509.25 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 103 अंक या 0.13 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,502.08 पर बंद हुआ। देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में साढ़े तीन फीसदी की गिरावट देखी गई थी।

मिलिए वित्त मंत्री सीतारमण की टीम से, बजट तैयार करने में इनकी भूमिका है अहम

#teambehindofbudget2024

संसद में आज आम बजट 2024 पेश किया जाएगा। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करने के लिए वित्त मंत्रालय से निकल चुकी है। इससे पहले वित्त मंत्री का बजट बनाने वाली टीम के साथ फोटो सेशन हुआ। यही टीम निर्मला है जिसने बजट तैयार किया है। इस टीम के कंधों पर आम चुनावों के बाद देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती के साथ चलाने के लिए बजट तैयार करने का जिम्मा था, जिसे अंजाम दे दिया गया है। अब से थोड़ी देर में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी।

बजट बनाने की प्रक्रिया आम तौर पर बजट पेश किए जाने से छह महीने पहले शुरू हो जाती है, लेकिन दस्तावेज़ के संकलन और इसको पब्लिश करने की प्रक्रिया हलवा समारोह से शुरू होती है। दरअसल यह वह अवधि होती है जब बजट बनाने के लिए जिम्मेदार टीम खुद को नॉर्थ ब्लॉक के अंदर ही रहती है। इस अवधि के दौरान, टीम को बाहरी दुनिया से, यहां तक कि अपने परिवारों से भी, बहुत सीमित संवाद करने की इजाजत होती है। बजट बनाने में कई भरोसेमंद और उच्च पदस्थ अधिकारियों की एक टीम होती है। बजट 2024-25 को तैयार करने में वित्त मंत्री के अलावे उनकी टीम के सात लोगों की लोगों की भूमिका सबसे अहम रही है। आइए उनके बारे में जानते हैं।

टीवी सोमनाथन

केंद्रीय बजट 2024 तैयार करने में सबसे बड़ी भूमिका में वित्त मंत्रालय के सचिव टीवी सोमनाथन शामिल हैं। वो फाइनेंस सेक्रेटरी और डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर का काम देखते हैं। उन्हें पीएम मोदी का खास माना जाता है। वो पहले भी कई बजट में अहम भूमिका निभा चुके हैं।

अरविंद श्रीवास्तव

कर्नाटक के 1994 बैच के आईएएस अधिकारी श्रीवास्तव पीएमओ में वित्त और अर्थव्यवस्था अधिकारी हैं। वह वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालयों के कामकाज को देखते हैं। जो कि इस बार का बजट बनाने वाली टीम में शामिल हैं।

हरि रंजन राव

1994 बैच के आईएएस अधिकारी राव पीएमओ के प्रौद्योगिकी और शासन अनुभागों के कामकाज देखते हैं। इससे पहले वे मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के सचिव रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने दूरसंचार विभाग में भी काम किया है। इस बजट को बनाने में उन्होंने भी अपना योगदान दिया है।

वी अनंत नागेश्वरण, मुख्य आर्थिक सलाहकार

वी अनंत नागेश्वरण को वर्ष 2022 के बजट के पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) चुना गया था। इस बार बजट तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में नागेश्वरण भी अहम भूमिका अहम रही है। देश का आर्थिक सर्वे भी उनके मार्गदर्शन में ही तैयार किया गया। जिसे सोमवार को वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया।

अजय सेठ, सचिव, आर्थिक मामले

बजट तैयार करने वालों में एक अहम नाम वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के प्रभारी सचिव अजय सेठ का है। मंत्रालय के बजट डिविजन का जिम्मा वही देखते हैं। बजट से जुड़े इनपुट्स और अलग-अलग तरह के वित्तीय विवरण तैयार करने में उनकी बड़ी भूमिका अहम होती है।

तुहिन कांत पांडेय सचिव, डीआईपीएएम (निवेश और लोक प्रबंधन विभाग)

तुहीन कांत पांडेय वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले विनिवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएम) के सचिव हैं। हाल के दिनों में सरकार ने विनिवेश के क्षेत्र में जो उपलब्धि हासिल की है उनमें तुहीन का बहुत अहम योगदान रहा है। एलआईसी का आईपीओ लाने और एयर इंडिया के निजीकरण में भी उनकी अहम भूमिका रही है।

अरविंद श्रीवास्तव

इसके अलावा 1994 बैच के आईएएस अधिकारी अरविंद श्रीवास्तव भी टीम सीतारमण में शामिल हैं। वो वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालयों का काम देखते हैं। बजट 2024 को तैयार करने में श्रीवास्तव की बड़ी भूमिका है।

मिलिए वित्त मंत्री सीतारमण की टीम से, बजट तैयार करने में इनकी भूमिका है अहम*
#team_behind_of_budget_2024
संसद में आज आम बजट 2024 पेश किया जाएगा। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करने के लिए वित्त मंत्रालय से निकल चुकी है। इससे पहले वित्त मंत्री का बजट बनाने वाली टीम के साथ फोटो सेशन हुआ। यही टीम निर्मला है जिसने बजट तैयार किया है। इस टीम के कंधों पर आम चुनावों के बाद देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती के साथ चलाने के लिए बजट तैयार करने का जिम्मा था, जिसे अंजाम दे दिया गया है। अब से थोड़ी देर में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। बजट बनाने की प्रक्रिया आम तौर पर बजट पेश किए जाने से छह महीने पहले शुरू हो जाती है, लेकिन दस्तावेज़ के संकलन और इसको पब्लिश करने की प्रक्रिया हलवा समारोह से शुरू होती है। दरअसल यह वह अवधि होती है जब बजट बनाने के लिए जिम्मेदार टीम खुद को नॉर्थ ब्लॉक के अंदर ही रहती है। इस अवधि के दौरान, टीम को बाहरी दुनिया से, यहां तक कि अपने परिवारों से भी, बहुत सीमित संवाद करने की इजाजत होती है। बजट बनाने में कई भरोसेमंद और उच्च पदस्थ अधिकारियों की एक टीम होती है। बजट 2024-25 को तैयार करने में वित्त मंत्री के अलावे उनकी टीम के सात लोगों की लोगों की भूमिका सबसे अहम रही है। आइए उनके बारे में जानते हैं। *टीवी सोमनाथन* केंद्रीय बजट 2024 तैयार करने में सबसे बड़ी भूमिका में वित्त मंत्रालय के सचिव टीवी सोमनाथन शामिल हैं। वो फाइनेंस सेक्रेटरी और डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर का काम देखते हैं। उन्हें पीएम मोदी का खास माना जाता है। वो पहले भी कई बजट में अहम भूमिका निभा चुके हैं। *अरविंद श्रीवास्तव* कर्नाटक के 1994 बैच के आईएएस अधिकारी श्रीवास्तव पीएमओ में वित्त और अर्थव्यवस्था अधिकारी हैं। वह वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालयों के कामकाज को देखते हैं। जो कि इस बार का बजट बनाने वाली टीम में शामिल हैं। *हरि रंजन राव* 1994 बैच के आईएएस अधिकारी राव पीएमओ के प्रौद्योगिकी और शासन अनुभागों के कामकाज देखते हैं। इससे पहले वे मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के सचिव रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने दूरसंचार विभाग में भी काम किया है। इस बजट को बनाने में उन्होंने भी अपना योगदान दिया है। *वी अनंत नागेश्वरण, मुख्य आर्थिक सलाहकार* वी अनंत नागेश्वरण को वर्ष 2022 के बजट के पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) चुना गया था। इस बार बजट तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में नागेश्वरण भी अहम भूमिका अहम रही है। देश का आर्थिक सर्वे भी उनके मार्गदर्शन में ही तैयार किया गया। जिसे सोमवार को वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया। *अजय सेठ, सचिव, आर्थिक मामले* बजट तैयार करने वालों में एक अहम नाम वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के प्रभारी सचिव अजय सेठ का है। मंत्रालय के बजट डिविजन का जिम्मा वही देखते हैं। बजट से जुड़े इनपुट्स और अलग-अलग तरह के वित्तीय विवरण तैयार करने में उनकी बड़ी भूमिका अहम होती है। *तुहिन कांत पांडेय सचिव, डीआईपीएएम (निवेश और लोक प्रबंधन विभाग)* तुहीन कांत पांडेय वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले विनिवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएम) के सचिव हैं। हाल के दिनों में सरकार ने विनिवेश के क्षेत्र में जो उपलब्धि हासिल की है उनमें तुहीन का बहुत अहम योगदान रहा है। एलआईसी का आईपीओ लाने और एयर इंडिया के निजीकरण में भी उनकी अहम भूमिका रही है। *अरविंद श्रीवास्तव* इसके अलावा 1994 बैच के आईएएस अधिकारी अरविंद श्रीवास्तव भी टीम सीतारमण में शामिल हैं। वो वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालयों का काम देखते हैं। बजट 2024 को तैयार करने में श्रीवास्तव की बड़ी भूमिका है।
निर्मला सीतारमण का लगातार 7वां बजट आज, कर सकती हैं बड़े ऐलान, इन सेक्टर्स पर रह सकता है फोकस*
#budget_2024_what_are_key_expectation
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज यानी 23 जुलाई को संसद में बजट पेश करेंगी।यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होगा। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2024 संसद में पेश किया था। इस बजट में करदाताओं को वित्त मंत्री से किसी बड़े राहत के एलान की उम्मीद है। बजट को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि आम बजट अमृतकाल का महत्वपूर्ण बजट होगा। यह पांच साल के लिए हमारी दिशा तय करने के साथ ही 2047 तक विकसित भारत की आधारशिला रखेगा। माना जा रहा है कि यह बजट 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का रोड मैप होगा। जो भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का ब्लू प्रिंट होगा। बजट में कुछ सेक्टर के लिए बड़े ऐलान हो सकते हैं। जानते हैं मोदी 3.0 के पहले पूर्ण बजट में किन सेक्टर्स पर फोकस होगा। *बढ़ सकती है इनकम टैक्स से छूट की न्यूनतम सीमा* केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020 के बजट में नई टैक्स रिजीम लागू की था। यह नई टैक्स रिजीम उन लोगों के फायदेमंद थी, जो कई तरीके के निवेश या इंश्योरेंस पर टैक्स में छूट का दावा नहीं करते हैं। हालांकि आज मिडिल क्लास के लगभग हर व्यक्ति की आय का एक बड़ा हिस्सा होम लोन या कई तरह के इंश्योरेंस के प्रीमियम आदि में खर्च होता है। वहीं पुरानी टैक्स रिजीम में आखिरी बार बदलाव 2014-15 में किया गया था। इस बार माना जा रहा है कि सरकार दोनों तरह के टैक्स रिजीम के लिए इनकम टैक्स से छूट की न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है। *रोजगार पर फोकस* बजट में रोजगार पर फोकस रह सकता है। बीते दिन पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में भी कहा गया है कि बढ़ती वर्कफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को नॉन-एग्रीकल्चर सेक्टर में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। मतलब ये कि अगर इकोनॉमी की ग्रोथ बनाए रखनी है तो हर साल औसतन 78 लाख लोगों को रोजगार के मौके देने होंगे, जिससे डिमांड एंड सप्लाई में कमी नहीं आएगी और संतुलन बना रहेगा। इसके अलावा सरकार विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए नीतिगत पहल कर सकती है। मैन्यूफैक्चरिंग, बुनियादी ढांचा और MSME को लेकर बजट में बड़े ऐलान होने के आसार हैं। *इंफ़्रा और कृषि पर रह सकता है फोकस* माना जा रहा है कि बजट में सरकार का फोकस पूंजीगत खर्च पर हो सकता है। यानी सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और कृषि पर खास ऐलान कर सकती है। उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार इस बार के बजट में किसानों की सम्मान निधि, पीएम किसान योजना को लेकर कुछ बड़ा ऐलान भी कर सकती है। इस दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर को तेज करने के लिए उपायों की घोषणा हो सकती है।
निर्मला सीतारमण का लगातार 7वां बजट आज, कर सकती हैं बड़े ऐलान, इन सेक्टर्स पर रह सकता है फोकस

#budget2024whatarekey_expectation 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज यानी 23 जुलाई को संसद में बजट पेश करेंगी।यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होगा। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2024 संसद में पेश किया था। इस बजट में करदाताओं को वित्त मंत्री से किसी बड़े राहत के एलान की उम्मीद है। बजट को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि आम बजट अमृतकाल का महत्वपूर्ण बजट होगा। यह पांच साल के लिए हमारी दिशा तय करने के साथ ही 2047 तक विकसित भारत की आधारशिला रखेगा।

माना जा रहा है कि यह बजट 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का रोड मैप होगा। जो भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का ब्लू प्रिंट होगा। बजट में कुछ सेक्टर के लिए बड़े ऐलान हो सकते हैं। जानते हैं मोदी 3.0 के पहले पूर्ण बजट में किन सेक्टर्स पर फोकस होगा।

बढ़ सकती है इनकम टैक्स से छूट की न्यूनतम सीमा

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020 के बजट में नई टैक्स रिजीम लागू की था। यह नई टैक्स रिजीम उन लोगों के फायदेमंद थी, जो कई तरीके के निवेश या इंश्योरेंस पर टैक्स में छूट का दावा नहीं करते हैं। हालांकि आज मिडिल क्लास के लगभग हर व्यक्ति की आय का एक बड़ा हिस्सा होम लोन या कई तरह के इंश्योरेंस के प्रीमियम आदि में खर्च होता है। वहीं पुरानी टैक्स रिजीम में आखिरी बार बदलाव 2014-15 में किया गया था। इस बार माना जा रहा है कि सरकार दोनों तरह के टैक्स रिजीम के लिए इनकम टैक्स से छूट की न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है।

रोजगार पर फोकस

बजट में रोजगार पर फोकस रह सकता है। बीते दिन पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में भी कहा गया है कि बढ़ती वर्कफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को नॉन-एग्रीकल्चर सेक्टर में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। मतलब ये कि अगर इकोनॉमी की ग्रोथ बनाए रखनी है तो हर साल औसतन 78 लाख लोगों को रोजगार के मौके देने होंगे, जिससे डिमांड एंड सप्लाई में कमी नहीं आएगी और संतुलन बना रहेगा। इसके अलावा सरकार विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए नीतिगत पहल कर सकती है। मैन्यूफैक्चरिंग, बुनियादी ढांचा और MSME को लेकर बजट में बड़े ऐलान होने के आसार हैं।

इंफ़्रा और कृषि पर रह सकता है फोकस

माना जा रहा है कि बजट में सरकार का फोकस पूंजीगत खर्च पर हो सकता है। यानी सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और कृषि पर खास ऐलान कर सकती है। उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार इस बार के बजट में किसानों की सम्मान निधि, पीएम किसान योजना को लेकर कुछ बड़ा ऐलान भी कर सकती है। इस दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर को तेज करने के लिए उपायों की घोषणा हो सकती है।

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण की जान को खतरा, सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी ने दी चेतावनी


डेस्क: केंद्र ने उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण की जान को खतरे की चेतावनी दी है। हाल ही में मीडिया में आई खबरों के अनुसार, आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति, उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण कथित तौर पर सुरक्षा खतरे का सामना कर रहे हैं।

केंद्रीय एजेंसियों ने कथित तौर पर पवन कल्याण को राजनीतिक हलकों में उनकी भागीदारी से जुड़े संभावित खतरों के बारे में सचेत किया है। एजेंसियों ने कथित तौर पर जनसेना पार्टी के प्रमुख को सावधान रहने की चेतावनी दी है, उनके नाम और असामाजिक तत्वों से जुड़े व्यक्तियों के बीच संबंधों का हवाला देते हुए।


रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पवन कल्याण की जान को खतरा हो सकता है, जिसके चलते एजेंसियों ने सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। इस खबर ने व्यापक चिंता पैदा कर दी है और यह गहन चर्चा का विषय बन गया है।

राज्य सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों को संभाल रहे और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन का हिस्सा पवन कल्याण को हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रशंसा मिली थी, जिन्होंने उन्हें "तूफ़ान" कहा था।

इससे पहले पवन कल्याण ने आरोप लगाया था कि बैठकों के दौरान उन पर ब्लेड से हमला करने की साजिश की जा रही है और पार्टी समर्थकों से सतर्क रहने को कहा था। यह ताजा सुरक्षा अलर्ट उनके पहले से ही हाई-प्रोफाइल राजनीतिक करियर में चिंता का एक और स्तर जोड़ता है।
हिंद महासागर में चीन के मंसूबों पर पानी फेरने की तैयारी में भारत, मालदीव पर भी होगी पैनी नजर*
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लक्षद्वीप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद अब भारत सरकार ने तय किया है कि अगाती और मिनिकॉय आइलैंड्स पर दो नए एयरफील्ड्स बनाए जाएंगे। अगाती पर मौजूद पुराने रनवे को सुधारा जाएगा, बढ़ाया जाएगा। जबकि मिनिकॉय आइलैंड पर नया रनवे बनाया जाएगा। केन्द्र की मोदी सरकार ने भारत की सीमा सुरक्षा को और भी ज्यादा मजबूत बनाने के लिए ये कदम उठाया है। इस बेस और रनवे से भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना मालदीव और चीन की हरकतों पर सीधी नजर रख पाएंगे। साथ ही मालदीव के चीन परस्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का टेंशन में आना भी तय है। इस योजना से भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालने वाले मुइज्जू को करारा जवाब मिलेगा। दरअसल, इनमें से एक हवाई क्षेत्र लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप पर बनाया जाएगा, जो मालदीव से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। योजना काफी ज्यादा अहम मानी जा रही है क्योंकि समुद्री सीमा के आस-पास के क्षेत्रों में चीन की सेना की गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं।अगाती आइलैंड की एयरस्ट्रिप को अपग्रेड किया जा रहा है। ताकि भारतीय सेनाएं हिंद और अरब महासागर में शांति स्थापित कर सकें। इसके अलावा इंडो-पैसिफिक रीजन में समुद्री सुरक्षा को बरकरार रख सके. पूर्व में अंडमान और पश्चिम में लक्षद्वीप पर मजबूत तैनाती से भारत की समुद्री सीमा सुरक्षित रहेगी। मिनिकॉय द्वीप जो कि मालदीव से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित है, वहां पर तैयार होने वाले दोहरे उद्देश्य वाले इन एयरफील्ड को कमर्शियल एयरलाइंस के लिए खोल दिया जाएगा। इसके अलावा इस एयरफील्ड पर हर तरह के जेट फाइटर प्लेन और ट्रांसपोर्टेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लेन के साथ लंबी दूरी के ड्रोन को तैनात किया जाएगा। इन सभी विमानों को तैनाती से इस क्षेत्र में भारतीय बलों को बढ़त मिलेगी। इस प्रोजेक्ट को इंडियन एयरफोर्स लीड करेगी, लेकिन इसका इस्तेमाल तीनों डिफेंस फोर्स और कोस्ट गार्ड कर सकेंगे। *चीनी गतिविधियों होगी हमेशा नजर* इस प्रोजेक्ट के तैयार होने के कुछ समय बाद इन जगहों पर लड़ाकू जेट और विमानों की तैनाती की जाएगी। केंद्र सरकार की इस मंजूरी का उद्देश्य चीनी गतिविधियों पर बराबर नजर रखना है। कुछ समय पहले डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्रीअफेयर्स (DMA) ने तीनों सेनाओं की तरफ से मिनिकॉय द्वीप में एक नया एयरबेस बनाने और भारत के पश्चिमी हिस्से में अरब सागर में अगत्ती द्वीप पर मौजूदा हवाई क्षेत्र को बढ़ाने और अपग्रेड करने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा था, जिससे भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा मिल सके। *मालदीव में चीन की उपस्थिति पर होगी नजर* राष्ट्रपति बनने के बाद से ही मुइज्जू ने चीन के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ाई हैं और रक्षा संबंधों को भी नया रूप दिया है। मुइज्जू की सरकार बनने के बाद चीन के जासूसी जहाज को मालदीव के बंदरगाह पर रुकने की मंजूरी भी मिली है। इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में संदेह पैदा कर दिया है। इस बात को लेकर आशंकाएं बढ़ रही हैं कि चीन हिंद महासागर में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए मालदीव और पाकिस्तान का इस्तेमाल कर सकता है। मालदीव के करीब सैन्य ढांचे के निर्माण से भारत को इस क्षेत्र में बढ़ती चीनी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने में मदद मिलेगी। भारत ने पहले ही संकेत दे दिया है कि मालदीव में चीन की किसी भी सैन्य उपस्थिति को नई दिल्ली अपने करीब में एक खतरे के रूप में देखेगा।
संघ पर लगा बैन हटा, क्या रिश्तों के बीच आई दरारों को भरने की है कोशिश?
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भारतीय जनता पार्टी का बैकबोन यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इन दिनों सुर्खियों में है। कभी बीजेपी के लिए नींव का काम करने वाले संघ से ही उसके रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान और बाद में हुई बयानबाजी के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या आरएसएस और बीजेपी के रिश्ते खत्म होने के कगार पर हैं? क्या अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है? हालांकि इन सवालों और आरएसएस और बीजेपी में चल रही तनातनी की खबरों के बीच केंद्र सरकार का बड़ा फैसला सामने आया है। 58 साल बाद सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। अब ऐसे में अहम सवाल ये उठ रहा है कि क्या संघ की नाराजगी दूर करने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार ने ये फैसला लिया है?

केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों द्वारा जारी उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों से दूर रखने के लिए रोक लगाई थी। आरोप है कि पूर्व सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर कर्मचारियों को सजा देने तक का प्रावधान भी लागू किया गया। सरकारी सेवाओं से जुड़े लाभ लेने के लिए कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों से दूर रहते थे। हालांकि अब केन्द्र की बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने इस फैसले को पलट दिया है।

आरएसएस ने सरकारी कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक हटाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया। आरएसएस ने कहा कि फैसले से देश की लोकतांत्रिक प्रणाली मजबूत होगी। उसने पूर्ववर्ती सरकारों पर अपने राजनीतिक हितों के कारण सरकारी कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित करने का आरोप भी लगाया। प्रतिबंध हटाने संबंधी सरकारी आदेश के सार्वजनिक होने के एक दिन बाद आरएसएस प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने एक बयान में कहा, “सरकार का ताजा फैसला उचित है और यह भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करेगा।”
वहीं, विपक्ष के कई नेताओं ने सरकारी कर्मचारियों पर संघ की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर लगा प्रतिबंध हटाने के केंद्र के फैसले की आलोचना की है।

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) दुनिया का सबसे बड़ा स्वैच्छिक संगठन माना जाता है और इसके स्वयंसेवक देश भर में सक्रिय हैं। आरएसएस बीजेपी का एक अहम अंग माना जाता है। आरएसएस को कई लोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का वैचारिक संरक्षक भी मानते हैं, जो कि इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों में से एक है, और वर्तमान में लगातार एनडीए के सहयोगी दलों के साथ तीसरी बार सरकार बना चुकी है। मौजूदा दौर में भी देश के कई राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं और वह देश की सबसे ताकतवर राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। बीजेपी पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता मूलत: संघ से जुड़े हुए हैं जिनमें स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं, जिन्होंने संघ में लंबे समय तक कार्य किया है।

*संघ पर तीन बार लगा बैन*
संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। आजादी मिले एक साल भी नहीं हुआ था कि आरएसएस को प्रतिंबध का सामना करना पड़ा। सबसे पहले 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके पीछे की वजह ये है कि महात्मा गांधी की हत्या को संघ से जोड़कर देखा गया। 18 महीने तक संघ पर प्रतिबंध लगा रहा। ये प्रतिबंध 11 जुलाई, 1949 को तब हटा जब देश के उस वक्त के गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की शर्तें तत्कालीन संघ प्रमुख माधवराव सदाशिव गोलवलकर ने मान लीं। लेकिन ये प्रतिबंध इन शर्तों के साथ हटा कि संघ अपना संविधान बनाए और उसे प्रकाशित करे, जिसमें चुनाव की खास अहमियत होगी और लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चुनाव होगा। इसके साथ ही आरएसएस की देश की राजनीतिक गतिविधियों से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखेगा।

*आरएसएस पर दूसरी बार क्यों लगा बैन*
आरएसएस को दूसरी बार प्रतिबंध का समाना इमरजेंसी के दौर में करना पड़ा। इंदिरा गांधी ने साल 1975 जब देश में इमरजेंसी लगाई तो आरएसएस ने इसका जमकर विरोध किया था। इतने जोरदार विरोध के चलते बड़ी संख्या में आरएसएस के लोगों को बड़ी संख्या में जेल जाना पड़ा। इस दौरान आरएसएस पर 2 साल तक पाबंदी लगी रही। इमरजेंसी के बाद जब चुनाव की घोषणा हुई तो जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया। इसके बाद साल 1977 में जनता पार्टी सत्ता में आई तब जाकर संघ पर लगा प्रतिबंध हटाया गया।

*आरएसएस पर तीसरी बार बैन लगने की वजह*
आरएसएस पर तीसरी बार प्रतिबंध साल 1992 में लगा। दरअसल पहली बार बीजेपी ने 1984 का लोकसभा चुनाव लड़ा इस चुनाव में पार्टी महज 2 सीटों पर सिमट गई।लेकिन बाबरी मस्जिद ने राजनीतिक परिदृश्य बिल्कुल पूरी तरह बदल दिया। 1986 में अयोध्या के विवादित परिसर का ताला खोल दिया गया और वहां से मंदिर-मस्जिद की राजनीति गर्मा गई। इसी मौके को भाजपा और आरएसएस ने भुना लिया। नतीजतन इसको लेकर 1986 से 1992 के बीच खूब टकराव हुआ। जगह-जगह हिंसा हुई, लोगों की जानें गई। साल 1992 में अयोध्या में भीड़ ने विवादित ढांचे का गुंबद गिरा दिया।
इससे देश के कई हिंसों में तनाव पसर गया. हिंसा होने लगी और माहौल खराब होने लगा। देश की स्थिति देख तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगा दिया।इसके बाद एक बार फिर जांच चली। लेकिन जांच में आरएसएस के खिलाफ कुछ नहीं मिला। नतीजतन आखिर में तीसरी बार भी 4 जून 1993 को सरकार को आरएसएस पर से प्रतिबंध हटाना पड़ा।