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शिव ज्योतिर्लिंग-9: अपने भक्त की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे नागेश्वर शिव ज्योतिर्लिंग, आज भी उनके दर्शन से लोगों का होता है कल्याण

- विनोद आनंद 

भगवन शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का

 दसवां स्थान है. यह ज्योतिर्लिंग प्रमाणिक रूप से कहाँ स्थित है, इस पर विद्वानों के अलग-अलग दावे हैं.जिसके कारण यह कहना आसान नहीं है है की असली नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कहाँ है , फिर भी गुजरात राज्य में गोमती द्वारका के बीच दारूकावन क्षेत्र में इसके प्रामाणिक स्थान होने की मान्यता अधिक है.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग होने के दावे जिन दी अन्य स्थानों पर किए जाते हैं, उनमें से एक आंध्रप्रदेश में अवढा गांव में मन जाता है. यह अवढा गांव महाराष्ट्र राज्य के परभनी क्षेत्र से होकर हिंगोली जाते हुए पड़ता है. दूसरा स्थान उत्तराखंड राज्य में अल्मोड़ा से सत्रह मील दूर जोगेश्वर नामक तीर्थ बताया जाता है.यहाँ उतर वृंदावन आश्रम के पास जोगेश्वर नाम का एक पुराना मंदिर है. इससे डेढ़ मील की उतराई पर देवदार के सघन वृक्षों के मध्य नदी के तट पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग बताया जाता है. स्कंध पुराण में इन्हीं नागेश लिंग का वर्णन एवं महात्म्य वर्णित है.

शिव पुराण में गुजरात राज्य के भीतर ही दारूकावन क्षेत्र में स्थित ज्योतिर्लिंग को ही नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति में भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को दारूकावन क्षेत्र में ही वर्णित किया गया है. महात्म्य के अनुसार जो आदरपूर्वक इस शिवलिंग की उत्पत्ति एवं महात्म्य को सुनेगा और इसके दर्शन करेगा, वह सभी पापों से मुक्त होकर समस्त सुखों को भोगता हुआ अंततः परमपद को प्राप्त होगा.

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌।

उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥1॥

परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्‌।

सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥

वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।

हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥

एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।

सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥

॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम्‌ ॥

नागेश ज्योतिर्लिंग को लेकर पौराणिक कथा

सुप्रिय नामक एक बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी वैश्य था. वह भगवान्‌ शिव का अनन्य भक्त था. वह निरन्तर उनकी आराधना, पूजन और ध्यान में तल्लीन रहता था. अपने सारे कार्य वह भगवान्‌ शिव को अर्पित करके करता था. मन, वचन, कर्म से वह पूर्णतः शिवार्चन में ही तल्लीन रहता था. उसकी इस शिव भक्ति से दारुक नामक एक राक्षस बहुत क्रुद्व रहता था उसे भगवान्‌ शिव की यह पूजा किसी प्रकार भी अच्छी नहीं लगती थी. वह निरन्तर इस बात का प्रयत्न किया करता था कि उस सुप्रिय की पूजा-अर्चना में विघ्न पहुँचे. एक बार सुप्रिय नौका पर सवार होकर कहीं जा रहा था. उस दुष्ट राक्षस दारुक ने यह उपयुक्त अवसर देखकर नौका पर आक्रमण कर दिया. उसने नौका में सवार सभी यात्रियों को पकड़कर अपनी राजधानी में ले जाकर कैद कर लिया. सुप्रिय कारागार में भी अपने नित्यनियम के अनुसार भगवान्‌ शिव की पूजा-आराधना करने लगा.

अन्य बंदी यात्रियों को भी वह शिव भक्ति की प्रेरणा देने लगा. दारुक ने जब अपने सेवकों से सुप्रिय के विषय में यह समाचार सुना तब वह अत्यन्त क्रुद्ध होकर उस कारागर में आ पहुँचा.सुप्रिय उस समय भगवान्‌ शिव के चरणों में ध्यान लगाए हुए दोनों आँखें बंद किए बैठा था. उस राक्षस ने उसकी यह मुद्रा देखकर अत्यन्त भीषण स्वर में उसे डाँटते हुए कहा- 'अरे दुष्ट वैश्य! तू आँखें बंद कर इस समय यहाँ कौन- से उपद्रव और षड्यन्त्र करने की बातें सोच रहा है?' उसके यह कहने पर भी धर्मात्मा शिवभक्त सुप्रिय की समाधि भंग नहीं हुई.

 अब तो वह दारुक राक्षस क्रोध से एकदम पागल हो उठा. उसने तत्काल अपने अनुचरों को सुप्रिय तथा अन्य सभी बंदियों को मार डालने का आदेश दे दिया. सुप्रिय उसके इस आदेश से जरा भी विचलित और भयभीत नहीं हुआ.

वह एकाग्र मन से अपनी और अन्य बंदियों की मुक्ति के लिए भगवान्‌ शिव से प्रार्थना करने लगा.उसे यह पूर्ण विश्वास था कि मेरे आराध्य भगवान्‌ शिवजी इस विपत्ति से मुझे अवश्य ही छुटकारा दिलाएँगे. उसकी प्रार्थना सुनकर भगवान्‌ शंकरजी तत्क्षण उस कारागार में एक ऊँचे स्थान में एक चमकते हुए सिंहासन पर स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए.

उन्होंने इस प्रकार सुप्रिय को दर्शन देकर उसे अपना पाशुपत-अस्त्र भी प्रदान किया. इस अस्त्र से राक्षस दारुक तथा उसके सहायक का वध करके सुप्रिय शिवधाम को चला गया. भगवान्‌ शिव के आदेशानुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा.बाद में इस स्थान पर एक बडे आमर्दक सरोवर का निर्माण हुआ.और ज्योतिर्लिंग उस सरोवर में समाहित हो गया.

पांडव कालीन इतिहास :-

युग बीते और आया द्वापर युग श्री कृष्ण का जन्म इस युग में हुआ.जब द्युत के खेल में कौरवों द्वारा पांचों पांडवों को पराजित किया गया था, तो द्यूत की शर्तों के अनुसार पांडवों को 12 वर्ष के वनवास और एक वर्ष के अज्ञातवास की सजा सुनाई गई थी. इस बीच, पांडवों ने पूरे भारत में भ्रमण किया. घूमते-घूमते वे इस दारुकवन में आ गए और इस स्थान पर उनके साथ एक गाय भी थी, वह गाय प्रतिदिन सरोवर में उतरकर दूध देती थी. एक बार भीम ने यह देखा और अगले दिन वह गाय का पीछा करते हुए सरोवर में उतर गया और उसने भगवान महादेव को देखा तो उसने देखा कि गाय हर दिन शिवलिंग को दुध छोड रही थी. तब पांचों पांडवों ने उस सरोवर को नष्ट करने का निश्चय किया. और वीर भीम ने अपनी गदा से उस सरोवर के चारों ओर पर प्रहार किया और सभी ने महादेव के इस शिवलिंग दर्शन किये. श्री कृष्ण ने उन्हें उस शिवलिंग के बारे में बताया और कहा यह शिवलिंग कोई साधारण नही हे यह नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है. तब पांचों पांडवों ने उस स्थान पर भूतल पर स्थित ज्योतिर्लिंग का भव्य अखंड पत्थर का मंदिर बनवाया.

यादव काल का इतिहास :-

और फिर से समय के साथ वर्तमान मंदिर हेमाडपंथी शैली में सेउना (यादव) वंश द्वारा बनाया गया था और कहा जाता है कि यह 13 वीं शताब्दी का है, जो सात मंजिला पत्थर की इमारत का बनाया था।

एक और किंवदंती – अघोरी कनेक्शन

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक और दिलचस्प कहानी है, जो अघोरियों से जुड़ी है. यह एक ऐसा संप्रदाय है जो अपनी अपरंपरागत प्रथाओं के लिए जाना जाता है. कहा जाता है कि एक बार अघोरियों के एक समूह ने मांस और मदिरा चढ़ाकर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करने की कोशिश की थी. भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए लेकिन उनके अनुष्ठानों को अस्वीकार करते हुए उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें अधिक पुण्य पथ की ओर निर्देशित किया.

यह कथा इस विचार को पुष्ट करती है कि भक्ति और हृदय की पवित्रता बाह्य अनुष्ठानों से अधिक महत्वपूर्ण हैं, तथा भगवान शिव की पूजा की समावेशी प्रकृति पर बल देती है.

1600 शताब्दी के बाद का इतिहास :-

बाद में छत्रपति संभाजी महाराज के शासनकाल में औरंगजेब ने इस मंदिर की इमारतों को नष्ट कर दिया.मंदिर के वर्तमान खड़े शिखर का पुनर्निर्माण अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था.जो आज मौज़ूद है.

शास्त्रों में नागेश्वर

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख शिव पुराण सहित कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है. इन ग्रंथों में आध्यात्मिक ज्ञान और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नागेश्वर की पूजा के महत्व का वर्णन किया गया है.

आधुनिक मंदिर

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की वर्तमान संरचना निरंतर पुनर्निर्माण प्रयासों का परिणाम है.मंदिर परिसर में मुख्य गर्भगृह शामिल है जहाँ ज्योतिर्लिंग स्थित है, जिसके चारों ओर विभिन्न देवताओं को समर्पित छोटे मंदिर हैं. वास्तुकला पारंपरिक और आधुनिक शैलियों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण दर्शाती है, जो तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करती है.

धार्मिक त्यौहार और समारोह

भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि के दौरान मंदिर में बहुत उत्साहपूर्ण उत्सव मनाया जाता है. देश के विभिन्न भागों से तीर्थयात्री उत्सव में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं, जिसमें विस्तृत अनुष्ठान, प्रार्थना और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।

जहां हर साल इस मंदिर मे लाखो के संख्या मे लोग आते हैं.

महाशिवरात्री के उत्सव पर यहा सबसे बडा मेला लगता है ओर रथोत्सव मनया जाता है.महाशिवरात्री के ठीक 5 दिन बाद रथोत्सव मनया जाता. है.

देवशयनी एकादशी की समाप्ति के साथ ही आज से चार महीने तक चतुर्मास शुरू,मांगलिक कार्यों के आयोजन पर 4 महीने तक लगा ब्रेक

देवशयनी एकादशी के समाप्ति के साथ ही गुरुवार से चार महीने तक चतुर्मास होने के कारण मांगलिक कार्यों के आयोजन पर ब्रेक लग जायेगा. प्रतिवर्ष ऐसी स्थिति बनने को लेकर पूर्व से ही लोग तैयार रहते हैं.

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि देवशयनी एकादशी को लेकर बुधवार को पूजा-अर्चना, दान पुण्य का दौर जारी रहा. तीन दिन बाद पूर्णिमा और फिर बाबा भोलेनाथ के पूजा-अर्चना के लिए अति महात्मय वाली श्रावणी माह की शुरुआत हो जायेगी. 

पुरोहित प्रमोद पांडेय के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है. इस दिन उपवास रखने से जीवन में आ रही कई समस्याएं दूर हो जाती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है. इसके साथ साथ इस दिन माता लक्ष्मी की उपासना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती है. 

ऐसे में काफी संख्या में लोग सत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना भी करवाते हैं. देवशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर विश्राम करते हैं. शयनकाल में मांगलिक कार्य करने से व्यक्ति को उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है. देवशयनी से भगवान विष्णु शयनकाल में चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी को भगवान जागते हैं. चातुर्मास में सभी देवता सो जाते हैं इसलिए इन दिनों मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. इस बार देवोत्थान एकादशी 12 नवंबर को है.

 इस तरह अगस्त से अक्टूबर तक शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं. इसके बाद 12 नवंबर देवोत्थान एकादशी से शादी-विवाह शुरू हो जायेंगे.

आज का राशिफल, 18 जुलाई 2024:जानिए राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा

ग्रहों की स्थिति- गुरु और मंगल वृषभ राशि में। सूर्य, शुक्र व बुध कर्क राशि में। केतु कन्या राशि में। चंद्रमा वृश्चिक राशि में। वक्री शनि कुंभ राशि में। राहु मीन राशि के गोचर में चल रहे हैं।

राशिफल-

मेष राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। बहुत बचकर पार करें। स्वास्थ्य के मामले में कोई रिस्क मत लीजिएगा। बाकी प्रेम, संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। बाकी हर दृष्टिकोण से आप सही चल रहे हैं। लाल वस्तु पास रखें।

वृषभ राशि- आनंदमय जीवन गुजर रहा है। प्रेम विवाह की ओर स्थिति जा रही है। स्वास्थ्य बहुत अच्छा। जीवनसाथी के साथ आपका बहुत अच्छा चल रहा है। प्रेम-संतान, व्यापार बहुत अच्छा है। बजरंगबली को प्रणाम करते रहें।

मिथुन राशि- स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम-संतान की स्थिति अच्छी है। व्यापार भी अच्छा है। खर्च की अधिकता आपको तोड़ रही है, इसलिए हिसाब से चलिए। लाल वस्तु का दान करें।

कर्क राशि- कमाई बढ़ गई है। आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। शासन-सत्ता पक्ष की नजदीकियां बढ़ गई हैं। बस भावुकता पर नियंत्रण रखें। प्रेम में तूतू-मैंमैं से बचें। बच्चों की सेहत पर ध्यान दें। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- गृहकलह के संकेत हैं। थोड़ा बचकर पार करें। स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए। प्रेम-संतान बहुत अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। आर्थिक स्थिति आपकी सुदृढ़ होती जा रही है। लाल वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- उत्साह बढ़ रहा है। साहस बढ़ रहा है। कर्मठता बढ़ रही है। इससे व्यावसायिक उत्थान कर रहे हैं। स्वास्थ्य ठीक ठाक, प्रेम-संतान अच्छा, व्यापार अच्छा। लाल वस्तु का दान करें।

वृश्चिक राशिफल 18 जुलाई: ऑफिस में रची जाएगी आपके खिलाफ साजिश, शाम तक हो सकती है शर्मनाक स्थिति

तुला राशि- धन का आवक बढ़ेगा। कुटुंबों में वृद्धि होगी लेकिन जुबान के कारण थोड़ी खटपट भी होगी। निवेश करने की प्रवृत्ति को थोड़ा ध्यान रखिए। बाकी स्वास्थ्य ठीक है, प्रेम-संतान अच्छा है व व्यापार अच्छा है। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

वृश्चिक राशि- ओजस्वी-तेजस्वी बने रहेंगे। समाज में सराहना होगी। आपका कद बढ़ेगा। जरूरत के हिसाब से वस्तुएं जीवन में उपलब्ध होंगी। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार बहुत अच्छा है। पीली वस्तु पास रखें।

धनु राशि- मानसिक परेशानी बनी रहेगी। सिरदर्द, नेत्र पीड़ा हो सकता है। प्रेम-संतान की स्थिति बहुत अच्छी है। व्यापार बहुत अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

तुला राशिफल 18 जुलाई: आज होगा आपकी आर्थिक स्थिति में बदलाव, आज इस चीज से जरूर बनाएं दूरी

मकर राशि- आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। यात्रा में लाभ होगा। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार अच्छा दिख रहा है। बजरंगबली को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- कोर्ट-कचहरी में विजय के संकेत हैं। व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। पिता का साथ होगा। स्वास्थ्य ठीक ठाक, प्रेम-संतान अच्छा व व्यापार अच्छा रहेगा। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

मीन राशि- भाग्य साथ देगा। रोजी रोजगार में तरक्की करेंगे। कार्यों की विघ्न बाधा खत्म होगी। स्वास्थ्य पर ध्यान दें, प्रेम-संतान, व्यापार अच्छा चल रहा है। शिव जी को प्रणाम करें, शुभ होगा।

आज का पंचांग- 18 जुलाई 2024:पंचांग के अनुसार जानिये आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आषाढ़

अमांत- आषाढ़

तिथि

शुक्ल पक्ष द्वादशी- जुलाई 17 09:03 PM- जुलाई 18 08:44 PM

शुक्ल पक्ष त्रयोदशी- जुलाई 18 08:44 PM- जुलाई 19 07:41 PM

नक्षत्र

ज्येष्ठा- जुलाई 18 03:12 AM- जुलाई 19 03:25 AM

मूल- जुलाई 19 03:25 AM- जुलाई 20 02:55 AM

योग

शुक्ल- जुलाई 17 07:04 AM- जुलाई 18 06:12 AM

ब्रह्म- जुलाई 18 06:12 AM- जुलाई 19 04:44 AM

इन्द्र- जुलाई 19 04:44 AM- जुलाई 20 02:40 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 5:55 AM

सूर्यास्त- 7:10 PM

चन्द्रोदय- जुलाई 18 4:38 PM

चन्द्रास्त- जुलाई 19 3:18 AM

अशुभ काल

राहू- 2:12 PM- 3:51 PM

यम गण्ड- 5:55 AM- 7:35 AM

कुलिक- 9:14 AM- 10:53 AM

दुर्मुहूर्त- 10:20 AM- 11:13 AM, 03:38 PM- 04:31 PM

वर्ज्यम्- 08:51 AM- 10:28 AM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 12:06 PM- 12:59 PM

अमृत काल- 06:31 PM- 08:08 PM

ब्रह्म मुहूर्त- 04:19 AM- 05:07 AM

आज का राशिफल:17जुलाई, जानिए राशि के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा..?

ग्रहों की स्थिति- मंगल और गुरु वृषभ राशि में। सूर्य का प्रवेश कर्क राशि में हो चुका है, वहां शुक्र व बुध पहले से विराजमान हैं। केतु कन्या राशि में। चंद्रमा का प्रवेश वृश्चिक राशि में, जहां पर नीच के हैं। वक्री शनि कुंभ राशि में। राहु मीन राशि में।

राशिफल-

मेष राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। थोड़ा बचकर पार करें। चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। प्रेम, संतान की स्थिति बहुत अच्छी है। व्यापार भी बहुत अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

वृषभ राशि- आनंददायक जीवन गुजरेगा। स्वास्थ्य में सुधार, प्रेम-संतान का साथ, व्यापार बहुत अच्छा है। नौकरी-चाकरी बहुत अच्छी। प्रेमी-प्रेमिका की मुलाकात हो सकती है। बजरंगबली को प्रणाम करते रहें।

मिथुन राशि- शत्रुओं पर भारी पड़ेंगे। कार्यों की विघ्न-बाधा खत्म होगी। स्वास्थ्य नरम-गरम बना रहेगा। प्रेम-संतान अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। लाल वस्तु का दान करें।

कर्क राशि- भावुकता में आकर कोई निर्णय न लें। महत्वपूर्ण निर्णय अभी रोक दीजिए। रौब और रुआब आप में बना रहेगा। सुकुमारता भी बनी रहेगी। स्वास्थ्य ठीक ठाक। प्रेम-संतान मध्यम। व्यापार बहुत अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- गृहकलह के संकेत हैं। थोड़ा ध्यान से चलें। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। प्रेम-संतान भी अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। भौतिक सुख-संपदा में वृद्धि दिख रही है। लाल वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- चली आ रही परेशानी दूर होगी। व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। जो आपने सोच रखा है, डिजाइन किया है उसे लागू करें। व्यावसायिक सफलता मिलने के पूर्ण योग दिख रहे हैं। स्वास्थ्य ठीक ठाक, प्रेम-संतान अच्छा, व्यापार अच्छा। लाल वस्तु का दान करें।

तुला राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होती जा रही है। मन थोड़ा परेशान सा रहेगा। भाग्यवश रुपए-पैसे आएंगे। जुबान थोड़ा अनियंत्रित न होने दीजिएगा। निवेश करने से बचिए। बाकी स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार लगभग ठीक ठाक है। लाल वस्तु का दान करें।

वृश्चिक राशि- आकर्षण के केंद्र बने रहेंगे। समाज में सराहना होगी। नायक-नायिका की भांति चमकते हुए दिखाई पड़ रहे हैं स्वास्थ्य अच्छा। प्रेम, संतान अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

धनु राशि- चिंताकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। सिरदर्द, नेत्र पीड़ा बना रहेगा। स्वास्थ्य नरम गरम। प्रेम-संतान अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- आय के नवीन साधन बनेंगे, पुराने मार्ग से भी पैसे आएंगे। मन संकुल रहेगा। यात्रा का योग बनेगा। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार बहुत अच्छा है। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- सरकारी तंत्र लाभ देंगे। कोर्ट-कचहरी में विजय। राजनीतिक लाभ होगा। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार बहुत अच्छा रहेगा। लाल वस्तु का दान करें।

मीन राशि- भाग्यवश कुछ काम बनेंगे। यात्रा का योग बनेगा। कष्टकारी समय आपसे दूर होगा। चली आ रही परेशानी दूर होगी। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान अच्छा, व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

आज का पंचांग 17 जुलाई 202:जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग

विक्रम संवत - 2081, पिंगल

शक सम्वत - 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत - आषाढ़

अमांत - आषाढ़

तिथि

शुक्ल पक्ष एकादशी- जुलाई 16 08:34 PM- जुलाई 17 09:03 PM

शुक्ल पक्ष द्वादशी- जुलाई 17 09:03 PM- जुलाई 18 08:44 PM

नक्षत्र

अनुराधा - जुलाई 17 02:14 AM- जुलाई 18 03:12 AM

ज्येष्ठा - जुलाई 18 03:12 AM- जुलाई 19 03:25 AM

योग

शुभ - जुलाई 16 07:18 AM- जुलाई 17 07:04 AM

शुक्ल - जुलाई 17 07:04 AM- जुलाई 18 06:12 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय - 5:55 AM

सूर्यास्त - 7:10 PM

चन्द्रोदय - जुलाई 17 3:38 PM

चन्द्रास्त - जुलाई 18 2:25 AM

अशुभ काल

राहू - 12:33 PM- 2:12 PM

यम गण्ड - 7:34 AM- 9:14 AM

कुलिक - 10:53 AM- 12:33 PM

दुर्मुहूर्त - 12:06 PM- 12:59 PM

वर्ज्यम् - 06:24 AM- 08:04 AM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - Nil

अमृत काल - 04:22 PM- 06:01 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:19 AM- 05:07 AM

शुभ योग

अमृतसिद्धि योग - जुलाई 17 05:55 AM - जुलाई 18 03:12 AM (अनुराधा और बुधवार)

सर्वार्थसिद्धि योग - जुलाई 17 05:55 AM - जुलाई 18 03:12 AM (अनुराधा और बुधवार)

आज का पंचांग,16 जुलाई 2024: जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त ग्रहयोग..?

राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 25 शक सम्वत् 1946, आषाढ़, शुक्ल, दशमी तिथि, मंगलवार, विक्रम संवत् 2081। 

सौर श्रवण मास प्रविष्टे 01, मुहर्रम 09, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 16 जुलाई सन 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल अपराह्न 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक।

दशमी तिथि रात्रि 08 बजकर 34 मिनट तक उपरांत एकादशी तिथि का आरंभ। 

विशाखा नक्षत्र अर्धरात्रोत्तर 02 बजकर 14 मिनट तक उपरांत अनुराधा नक्षत्र का आरंभ। साध्य योग प्रातः 07 बजकर 18 मिनट तक उपरांत शुभ योग का आरंभ।

 तैतिल करण प्रातः 07 बजकर 57 मिनट तक उपरांत वणिज करण का आरंभ। चंद्रमा सायं 07 बजकर 52 मिनट तक तुला उपरांत वृश्चिक राशि पर संचार करेगा।

सूर्योदय का समय 16 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 34 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 16 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 20 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 16 जुलाई 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 12 मिनट से 4 बजकर 53 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक। 

गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक। अमृत काल सुबह 10 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 16 जुलाई 2024 :

राहुकाल दोपहर में 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक। इसके बाद दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह में 8 बजकर 19 मिनट से अगले दिन सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक।

आज के उपाय : हनुमानजी को गुलाब के फूलों की माला चढ़ाएं।

आज का राशिफल 16 जुलाई 2024 : जानिए रशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा

मेष राशि के जातकों को सुख की प्राप्ति होगी

आज मंगलवार को मेष राशि के सितारे बताते हैं कि सूर्य और चंद्रमा के गोचर से आज का दिन आपके लिए मंगलकारी रहेगा। आपको आज कार्यक्षेत्र में तरक्की और उन्नति का मौका मिलेगा लेकिन सेहत के प्रति आपको आज अधिक सजग और सतर्क रहना होगा। बाहर के खाने से परहेज करें, नहीं तो आपकी सेहत को नुकसान हो सकता है। नौकरी में आज आपके विरोधी आपके खिलाफ साजिश कर सकते हैं,लेकिन आपकी चतुराई और समझदारी से वह परास्त होंगे। आज आप घर के छोटे सदस्यों के साथ मनोरंजक पल बिताएगे। माता पिता की सेवा का भी आप सौभाग्य प्राप्त करेगे। वैवाहिक जीवन में आज आपके प्रेम और सद्भाव बना रहेगा। सुख साधनों की प्राप्ति से भी आज आपका मन आनंदित होगा।

आज भाग्य 85% आपके पक्ष में रहेगा। गणेशजी को लड्डू का भोग लगाएं।

​वृषभ राशि वालों को जोखिम से बचना चाहिए

वृषभ राशि में आज मंगल और गुरु की युति होने से वृषभ राशि के जातक अत्यधिक उत्साहित रहेंगे। ऐसे में जोखिम भरा काम करना इनके लिए नुकसानदायक रहेगा। वैसे आज आपको प्रबंधन कार्य में अच्छी सफलता मिलेगी। आपके हाथों आज कोई शुभ कार्य भी हो सकता है। आज आपकी अपने प्रेमी से मुलाकात होगी जिससे पूरे दिन आपके मन में उत्साह का माहौल रहेगा। वैवाहिक जीवन में भी आज सुखद स्थिति बनी रहेगी। ससुराल पक्ष से लाभ मिलने का भी योग है। व्यापार में आज संयम से काम लें क्रोध और उतावलेपन से नुकसान हो सकता है। किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह आज आपके काम आएगी।

आज भाग्य 82% आपके पक्ष में रहेगा। संकट मोचन हनुमान चालीसा का पाठ लाभकारी रहेगा।

​मिथुन राशि वालों को सरकारी काम में सफलता मिलेगी

मिथुन राशि के लिए आज सितारे कहते हैं कि आपकी राशि में दिन रात शुक्र का संचार होगा जबकि सूर्य आपकी राशि से आज विदा हो रहे हैं। ऐसे में आपको आज धैर्य और संयम के साथ चलना होगा। आपको विरोधी आज आपको नुकसान पहुंचाने की ताक में रहेंगे। वैसे आज सरकारी क्षेत्र के काम में आपको सफलता मिलेगी। छात्रों को परीक्षा में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होगी। आज आपको किसी मांगलिक आयोजन में शामिल होने का अवसर प्राप्त होगा। आज सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भी शामिल होने का मौका मिलेगा। संतान पक्ष को लेकर आपकी चिंता बनी रहेगी। जीवनसाथी के साथ तालमेल रहने से मानसिक बल मिलेगा।

आज भाग्य 78% आपके पक्ष में रहेगा। दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा मंत्र का पाठ करें।

​कर्क राशि वालों को सटीक निर्णय से लाभ मिलेगा

कर्क राशि में आज के दिन सूर्य और बुध की युति होने जा रही है। ऐसे में आज कर्क राशि के जातक आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगे। समय पर सटीक निर्णय लेकर आज आप कारोबार में लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आपके सितारे कहते हैं कि आज आप आज आप अपने व्यवसाय में उम्मीद से बढ़कर लाभ और सफलता अर्जित कर पाएंगे। भाग्य के सहयोग से आज आपका रुका हुआ काम बनेगा साथ ही आज सरकारी क्षेत्र के काम में आपको सफलता मिलेगी। पिता और पैतृक संपत्ति से भी आज आपको लाभ मिलने का योग है। परिवार में आपको भाई बहनों का पूरा सहयोग मिलेगा लेकिन संतान की शिक्षा और सेहत से जुड़ी कोई समस्या आपको परेशान कर सकती है।

आज भाग्य 91% आपके पक्ष में रहेगा। सूर्यदेव को कुमकुम मिश्रित जल अर्पित करें और सूर्य पुराण का पाठ करें।

​सिंह राशि वालों को सफलता के लिए अधिक परिश्रम करना होगा

आज सिंह राशि के सितारे बताते हैं आपकी राशि के स्वामी सूर्य आज राशि से बारहवें घर में आगमन कर रहे हैं तो आपको आज कार्यक्षेत्र में सफलता पाने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी। अधिकारी वर्ग से आपको आज तालमेल बनाकर रखना होगी क्योंकि किसी बात को लेकर अधिकारी नाराज भी हो सकते हैं। व्यापार और कारोबार के संदर्भ में की गई यात्रा आपके लिए फायदेमंद रहेगी। आज किसी से वाद-विवाद में न पड़ें नहीं तो आपको नुकसान हो सकता है। वैसे आज आपको पिता की सेहत को लेकर भी परेशानी हो सकती है। आज आप अपने जीवनसाथी के साथ तालमेल बनाकर रखेंगे जो आपको पारिवारिक जीवन की कठिनाइयों से निकलने में सहायक रहेगा। शाम के समय माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें, उनकी सेहत में कुछ गिरावट आ सकती है।

आज भाग्य 81% आपके पक्ष में रहेगा। 'संकटनाशन गणेश स्तोत्र' का पाठ करना लाभकारी रहेगा।

​कन्या राशि वालों का आर्थिक प्रयास सफल होगा

आज का दिन कन्या राशि के लोगों के लिए लाभकारी रहेगा। आपकी सेहत में भी आज सुधार दिखेगा। आपके सितारे बताते हैं कि अगर जमीन जायदाद संबंधी कोई समस्या है तो इसको भी आज समाधान निकल सकता है। लेकिन आपको आज उतावलेपन में कोई भी काम करने से बचना होगा। आर्थिक मामलों में किया

गया आपका प्रयास आज सफल होगा। जिन लोगों के काम का संबंध बैंकिंग, इंश्योरेंस और अकाउंट से जुड़ा हुआ है उनके काम में आज तेजी रहेगी और इनको आज लाभ भी मिलेगा। शेयर मार्केट से जुड़े लोगों के लिए भी आज का दिन अच्छा रहेगा। पारिवारिक जीवन की बात करें तो आज के दिन आपकी लव लाइफ सुखद रहेगी। जीवनसाथी के साथ आज कुछ घरेलू विषयों पर गहन चर्चा होगी, प्रेम भाव बना रहेगा।

आज भाग्य 86% आपके पक्ष में रहेगा। श्रीदुर्गा चालीसा के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना लाभकारी रहेगा।

​तुला राशि के जातक जोखिम वाले निवेश से बचे

तुला राशि के लिए आज का दिन व्यस्तता भरा रहेगा। आपको आज कार्यक्षेत्र में कुछ नई जिम्मेदारी मिल सकती है जिसे आप बखूबी पूरा करेंगे लेकिन आपको आज काम के बीच जीवनसाथी के लिए भी समय निकालना होगा। कारोबार में आज आपको लाभ मिलेगा। लेकिन सरकारी क्षेत्र में आपका कोई काम फंसा है तो आज आपको इसके लिए काफी संघर्ष करना होगा। किसी तकनीकी समस्या की वजह से आपका काम आज अटक सकता है। आपके लिए आज बेहतर होगा कि जोखिम वाले क्षेत्र में निवेश करने से बचें। छात्रों के लिए आज का दिन अच्छा रहेगा, आपको आज शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी।

आज भाग्य 81% आपके पक्ष में रहेगा। हनुमान चालीसा का पाठ करना आपके लिए लाभदायक रहेगा।

​वृश्चिक राशि वालों का दिन अच्छा बीतेगा

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए आज मंगलवार का दिन लाभकारी रहेगा। चंद्रमा का संचार आज दिन के दूसरे भाग में आपकी राशि में होने जा रहा है। ऐसे में आज आपको नौकरी में बदलाव के प्रयास में सफलता मिलेगी। आपको आज कार्यक्षेत्र में धैर्य से काम लेना होगा इससे आप सभी उलझन और कठिनाई से आसानी से निकल पाएंगे। जिन जातकों के काम का संबंध विदेश से है उनके काम में आज तेजी दिखेगी। वैवाहिक जीवन के मामले में आज का दिन सुखद रहेगा। शाम के समय आप जीवनसाथी के साथ मनोरंजक पल बिताएंगे और शॉपिंग के लिए भी जा सकते हैं। आप आपको ससुराल पक्ष से भी धन लाभ मिलने के उम्मीद है। आज के दिन आपके लिए सलाह है कि एक समय में एक ही काम करें नहीं तो आपके दूसरे काम फंस सकते हैं।

आज भाग्य 87% आपके पक्ष में रहेगा। लाल चंदन का तिलक लगाएं बड़े भाई से आशीर्वाद लें।

​धनु राशि वालों को अनुभवी व्यक्ति से लाभ मिलेगा

आज का दिन धनु राशि के जातकों के लिए मिलाजुला रहेगा। आज चंद्रमा आपकी राशि से ग्यारहवें उपरांत बारहवें घर में आकर नीचभंग राजयोग बनाएंगे। ऐसे में आज राजनीतिक दृष्टिकोण से दिन आपके लिए अच्छा रहेगा। सामाजिक क्षेत्र में भी आज आपकी प्रतिष्ठा बढेगी। आज आपको किसी अनुभवी व्यक्ति से लाभ होगा, लेकिन उस पर धन भी खर्च होगा। आज आप अपनी सेहत को लेकर थोड़े परेशान सकते हैं। बीपी और शुगर की समस्या है तो उपचार और परहेज संबंधी लापरवाही से बचें। खान-पान पर भी ध्यान देने की जरूरत हैा। आपके पिताजी को आँखों से संबंधित कोई समस्या है तो उनका उपचार करना होगा।

आज भाग्य 83% आपके पक्ष में रहेगा। भगवान विष्णु की पूजा करें और घी का दीपक दिखाएं।

​मकर राशि वालों के लिए दिन खर्चीला रहेगा

मकर राशि के लिए आज सितारे कहते हैं कि आज का दिन आपके लिए उतार चढाव भरा रहेगा। किसी के साथ आपकी कहासुनी भी हो सकती है इसलिए आपको अपनी वाणी और व्यवहार को भी संयमित रखना होगा। वैसे आज आपको घर के सदस्यों से पूरा सहयोग मिलेगा, खास तौर पर घर के बड़ों का मार्गदर्शन भी आपको प्राप्त होगा। धर्म कर्म के काम में आज आपकी रुचि रहेगी। आज आप माता के लिए कोई गिफ्ट ले सकते हैं। आर्थिक मामलों में आज आपको जोखिम लेने से बचना होगा। दिन खर्चीला रह सकता है। सेहत और यात्रा संबंधी विषयों पर भी आज आपको धन खर्च करना होगा।

आज भाग्य 81% आपके पक्ष में रहेगा। हनुमानाष्टक का पाठ आपके लिए आज लाभकारी रहेगा।

​कुंभ राशि वालों को साझेदारी के काम में सतर्क रहना होगा

आज मंगलवार का दिन कुंभ राशि के लोगों के लिए फायदेमंद दिख रहा है। आपको आज कार्यक्षेत्र में अपनी मेहनत और प्रयास का पूरा प्रतिफल मिलेगा। वैसे आज आपके लिए सलाह है कि पार्टनरशिप के काम में आज बड़ा निवेश करने से बचें नहीं तो नुकसान हो सकता है। आर्थिक मामलों में आज आपको घरेलू जरूरतों पर धन खर्च करना होगा। वैवाहिक जीवन में आज आपको जीवनसाथी के साथ तालमेल बनाकर रखना होगा इससे घरेलू समस्याओं को मिलकर निपटा पाएंगे। बच्चो की सेहत को लेकर आज आपको चिंता हो सकती है। आज की अच्छी बात यह है कि आपको प्रबंधन क्षमता का लाभ मिलेगा। प्रॉपर्टी के काम में आप सफलता पाएंगे।

आज भाग्य 82% आपके पक्ष में रहेगा। हनुमानजी को बूंदी का प्रसाद अर्पित करके बच्चों में बांट दें।

​मीन राशि वालों को कूटनीति से काम लेना होगा

आज मंगलवार का दिन मीन राशि के लिए मौज-मस्ती भरा रहेगा। सूर्य का गोचर आज आपकी राशि से पंचम भाव में होने जा रहा है। ऐसे में आपको आज विदेशी क्षेत्र से संबंधित कार्यों में सफलता मिलेगी। संतान की ओर से आपको आज खुशी मिलेगी। कारोबार के संदर्भ में चली आ रही कोई परेशानी आज दूर होगी। परिवार के सदस्यों और मित्रों के साथ आज आप यात्रा की योजना बना सकते हैं। आज आपके सहकर्मी आपके काम में आपकी मदद करेंगे लेकिन आपको आज कूटनीति से काम लेना होगा। किसी पर भी काम के लिए दबाव बनाने से आपको बचना चाहिए। आज शाम को आपके घर किसी मेहमान का आगमन हो सकता है, जिससे खुशी का माहौल बनेगा।

आज भाग्य 88% आपके पक्ष में रहेगा। बजरंगबाण का पाठ करें और उगते सूर्य को जल दें।

शिव ज्योतिर्लिंग- 9: पुणे के पास सह्याद्रि पर्वत पर स्थित प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र हैं भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

भारत के सिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग में एक भीमाशंकर भी हैं जो महाराष्ट्र में हैं.महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित 

प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र भीमाशंकर मंदिर नासिक से लगभग 120 मील दूर है। 

 3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा है। इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इसी मंदिर के पास से भीमा नामक एक नदी भी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त श्रद्वा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद 12 ज्योतिर्लिगों का नाम जापते हुए इस मंदिर के दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर होते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

भीमाशंकर मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता 

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है कि पुराने समय में कुंभकर्ण का पुत्र भीम नाम का एक राक्षस था। उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृ्त्यु के बाद हुआ था। अपनी पिता की मृ्त्यु भगवान राम के हाथों होने की घटना की उसे जानकारी नहीं थी। बाद में अपनी माता से इस घटना की जानकारी हुई तो वह श्री भगवान राम का वध करने के लिए आतुर हो गया। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने अनेक वर्ष तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर उसे ब्रह्मा जी ने विजयी होने का वरदान दिया।

 वरदान पाने के बाद राक्षस निरंकुश हो गया। उससे मनुष्यों के साथ साथ देवी-देवता भी भयभीत रहने लगे। धीरे-धीरे सभी जगह उसके आंतक की चर्चा होने लगी। युद्ध में उसने देवताओं को भी परास्त करना प्रारंभ कर दिया। उसने सभी तरह के पूजा पाठ बंद करवा दिए। अत्यंत परेशान होने के बाद सभी देव भगवान शिव की शरण में गए। भगवान शिव ने सभी को आश्वासन दिलाया कि वे इस का उपाय निकालेंगे। भगवान शिव ने राक्षस तानाशाह भीम से युद्ध करने की ठानी। लड़ाई में भगवान शिव ने दुष्ट राक्षस को राख कर दिया और इस तरह अत्याचार की कहानी का अंत हुआ। 

भगवान शिव से सभी देवों ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में विराजित हो़। उनकी इस प्रार्थना को भगवान शिव ने स्वीकार किया और वे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज भी यहां विराजित हैं।

ऐतिहासिक तथ्य 

मध्यकालीन युग के एक संत नामदेव के अनुसार , संत ज्ञानेश्वर त्र्यंबकेश्वर और फिर भीमाशंकर गए थे। नामदेव स्वयं भी इस स्थान पर आए हैं। 

भीमाशंकरम तीर्थस्थल और भीमरथी नदी के बारे में 13वीं शताब्दी के लेखन में बात की गई है. हालाँकि, मंदिर का वर्तमान निर्माण काफी नया प्रतीत होता है।

मंदिर नागर शैली में बनाया गया है, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक डिजाइनों का मिश्रण है। मंदिर हॉल का निर्माण 18वीं शताब्दी में पेशवा के नाना फड़नवीस ने करवाया था। राजा शिवाजी ने मंदिर को खरोसी गांव दिया था । दैनिक धार्मिक अनुष्ठान को क्षेत्र के लोगों से प्राप्त वित्तीय संसाधनों के माध्यम से वित्त पोषित किया गया था।

चिमाजी अप्पा ( बाजीराव प्रथम के भाई ) ने मंदिर को एक बड़ी घंटी दान की थी, जो मंदिर के सामने दिखाई देती है। यह कई पुर्तगाली उपनिवेशवादियों के चर्च की घंटियों में से एक है , जिसे चिमाजी और उनकी सेना ने फरवरी 1739 को बाकाइम की लड़ाई में पुर्तगालियों को हराने के बाद स्मृति चिन्ह के रूप में वसई से लाया था। इस प्रकार की घंटी नासिक के खंडोबा मंदिर और नारो शंकर मंदिर में भी मौजूद है.

मंदिर की संरचना

भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी एक प्राचीन और नई संरचनाओं का समिश्रण है। इस मंदिर से प्राचीन विश्वकर्मा वास्तुशिल्पियों की कौशल श्रेष्ठता का पता चलता है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था। कहा जाता है कि महान मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की।

नाना फड़नवीस द्वारा निर्मित हेमादपंथि की संरचना में बनाया गया एक बड़ा घंटा भीमशंकर की एक विशेषता है। अगर आप यहां जाएं तो आपको हनुमान झील, गुप्त भीमशंकर, भीमा नदी की उत्पत्ति, नागफनी, बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक जैसे स्थानों का दौरा करने का मौका मिल सकता है। भीमशंकर लाल वन क्षेत्र और वन्यजीव अभयारण्य द्वारा संरक्षित है जहां पक्षियों, जानवरों, फूलों, पौधों की भरमार है। यह जगह श्रद्धालुओं के साथ-साथ ट्रैकर्स प्रेमियों के लिए भी उपयोगी है। यह मंदिर पुणे में बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां दुनिया भर से लोग इस मंदिर को देखने और पूजा करने के लिए आते हैं। 

भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं। इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है।

भीमशंकर मंदिर जाने का समय

यहां आने वाले श्रद्धालु कम से कम तीन दिन जरूर रुकते हैं। यहां श्रद्धालुओं के लिए रुकने के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है। भीमशंकर से कुछ ही दूरी पर शिनोली और घोड़गांव है जहां आपको हर तरह की सुविधा मिलेगी। यदि आपको भीमशंकर मंदिर की यात्रा करनी है तो अगस्त और फरवरी महीने की बीच जाएं। वैसे आप ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर किसी भी समय यहां आ-जा सकते हैं। वैसे जिन्हें ट्रैकिंग पसंद है उन्हें मानसून के दौरान बचने की सलाह दी जाती है।

कैसे पहुंचें

आप यहां सड़क और रेल मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। आप शिवाजीनगर, पुणे से राज्य परिवहन की बसें प्राप्त कर सकते हैं। किराया रु। 155 है और पुणे से वहाँ पहुँचने में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं। महाशिवरात्रि या प्रत्येक माह में आने वाली शिवरात्रि को यहां पहुंचने के लिए विशेष बसों का प्रबन्ध भी किया जाता है।

प्रेरक कहानी: परोपकार हीं सबसे बड़ा पुण्य है

एक राजा था! वह प्रजापालक था, हमेशा प्रजा के हित में प्रयत्नशील रहता था. वह इतना कर्मठ था कि अपना सुख, ऐशो-आराम सब छोड़कर सारा समय जन-कल्याण में ही लगा देता था . यहाँ तक कि जो मोक्ष का साधन है अर्थात भगवत-भजन, उसके लिए भी वह समय नहीं निकाल पाता था.

एक सुबह राजा वन की तरफ भ्रमण करने के लिए जा रहा था कि उसे एक देव के दर्शन हुए. राजा ने देव को प्रणाम करते हुए उनका अभिनन्दन किया और देव के हाथों में एक लम्बी-चौड़ी पुस्तक देखकर उनसे पूछा- “ महाराज, आपके हाथ में यह क्या है?”

देव बोले- “राजन! यह हमारा बहीखाता है, जिसमे सभी भजन करने वालों के नाम हैं.”

राजा ने निराशायुक्त भाव से कहा- “कृपया देखिये तो इस किताब में कहीं मेरा नाम भी है या नहीं?”

देव महाराज किताब का एक-एक पृष्ठ उलटने लगे, परन्तु राजा का नाम कहीं भी नजर नहीं आया.

राजा ने देव को चिंतित देखकर कहा- “महाराज ! आप चिंतित ना हों , आपके ढूंढने में कोई भी कमी नहीं है. वास्तव में ये मेरा दुर्भाग्य है कि मैं भजन-कीर्तन के लिए समय नहीं निकाल पाता, और इसीलिए मेरा नाम यहाँ नहीं है.”

उस दिन राजा के मन में आत्म-ग्लानि-सी उत्पन्न हुई लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इसे नजर-अंदाज कर दिया और पुनः परोपकार की भावना लिए दूसरों की सेवा करने में लग गए.

कुछ दिन बाद राजा फिर सुबह वन की तरफ टहलने के लिए निकले तो उन्हें वही देव महाराज के दर्शन हुए, इस बार भी उनके हाथ में एक पुस्तक थी. इस पुस्तक के रंग और आकार में बहुत भेद था, और यह पहली वाली से काफी छोटी भी थी.

राजा ने फिर उन्हें प्रणाम करते हुए पूछा- “महाराज ! आज कौन सा बहीखाता आपने हाथों में लिया हुआ है?”

देव ने कहा- “राजन! आज के बहीखाते में उन लोगों का नाम लिखा है जो ईश्वर को सबसे अधिक प्रिय हैं !”

राजा ने कहा- “कितने भाग्यशाली होंगे वे लोग ? निश्चित ही वे दिन रात भगवत-भजन में लीन रहते होंगे !! क्या इस पुस्तक में कोई मेरे राज्य का भी नागरिक है ? ”

देव महाराज ने बहीखाता खोला , और ये क्या , पहले पन्ने पर पहला नाम राजा का ही था।

राजा ने आश्चर्यचकित होकर पूछा- “महाराज, मेरा नाम इसमें कैसे लिखा हुआ है, मैं तो मंदिर भी कभी-कभार ही जाता हूँ ?

देव ने कहा- “राजन! इसमें आश्चर्य की क्या बात है? जो लोग निष्काम होकर संसार की सेवा करते हैं, जो लोग संसार के उपकार में अपना जीवन अर्पण करते हैं. जो लोग मुक्ति का लोभ भी त्यागकर प्रभु के निर्बल संतानो की सेवा-सहायता में अपना योगदान देते हैं उन त्यागी महापुरुषों का भजन स्वयं ईश्वर करता है. 

ऐ राजन! तू मत पछता कि तू पूजा-पाठ नहीं करता, लोगों की सेवा कर तू असल में भगवान की ही पूजा करता है. परोपकार और निःस्वार्थ लोकसेवा किसी भी उपासना से बढ़कर हैं.

देव ने वेदों का उदाहरण देते हुए कहा- 

“कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छनं समाः एवान्त्वाप नान्यतोअस्ति व कर्म लिप्यते नरे..”

अर्थात ‘कर्म करते हुए सौ वर्ष जीने की ईच्छा करो तो कर्मबंधन में लिप्त हो जाओगे.’ राजन! भगवान दीनदयालु हैं. उन्हें खुशामद नहीं भाती बल्कि आचरण भाता है.. सच्ची भक्ति तो यही है कि परोपकार करो. दीन-दुखियों का हित-साधन करो. अनाथ, विधवा, किसान व निर्धन आज अत्याचारियों से सताए जाते हैं इनकी यथाशक्ति सहायता और सेवा करो और यही परम भक्ति है..”

राजा को आज देव के माध्यम से बहुत बड़ा ज्ञान मिल चुका था और अब राजा भी समझ गया कि परोपकार से बड़ा कुछ भी नहीं और जो परोपकार करते हैं वही भगवान के सबसे प्रिय होते हैं।मित्रों, जो व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करने के लिए आगे आते हैं, परमात्मा हर समय उनके कल्याण के लिए यत्न करता है. हमारे पूर्वजों ने कहा भी है- “परोपकाराय पुण्याय भवति” अर्थात दूसरों के लिए जीना, दूसरों की सेवा को ही पूजा समझकर कर्म करना, परोपकार के लिए अपने जीवन को सार्थक बनाना ही सबसे बड़ा पुण्य है. और जब आप भी ऐसा करेंगे तो स्वतः ही आप वह ईश्वर के प्रिय भक्तों में शामिल हो जाएंगे .