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डोनाल्ड ट्रंप के अलावा किन नेताओं पर हो चुका है अब तक जानलेवा हमला, कई ने गंवाई जान
डेस्क: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति एवं रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर पेनसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली के दौरान हमला किया गया। ट्रंप फायरिंग की इस घटना में घायल जरूर हुए हैं लेकिन वह पूरी तरह सुरक्षित हैं। हमलावर को मार गिराया गया है। ट्रंप पर हुए इस जानलेवा हमले के बाद दुनिया भर से रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। इस बीच आपको बता दें कि दुनिया के किसी चर्चित नेता पर होने वाला यह कोई पहला हमला नहीं है। इससे पहले भी अलग-अलग देशों के बड़े नेताओं यहां तक की प्रधानमंत्री पर भी जानलेवा हमला हो चुका है। तो चलिए आपको ऐसे ही कुछ नेताओं के नाम बताते हैं जिनपर जानलेवा हमले हुए हैं। 
जॉन एफ कैनेडी की हत्या 
जानलेवा हमला अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुआ तो बात सबसे पहले अमेरिका की ही करते हैं। अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति रहे जॉन एफ कैनेडी की 22 नवंबर 1963 को हत्या कर दी गई थी। जिस समय कैनेडी पर हमला हुआ था उस दौरान वह अपनी ओपन कार में बैठकर कहीं जा रहे थे। इसी दौरान हमलावर ने उन पर कई राउंड की फायरिंग की थी जिसमें उनकी मौत हो गई थी। 
हमले में हुई थी जापान के PM की मौत 
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर 8 जुलाई 2022 को जानलेवा हुआ था। इस हमले में आबे की मौत हो गई थी। आबे को हमलावर ने उस वक्त अपना निशाना बनाया था जब वो नारा शहर में एक रैली को संबोधित कर रहे थे।  
स्लोवाकिया के PM पर हुआ था जानलेवा हमला 

इसी साल मई में स्लोवाकिया के पीएम रॉबर्ट फिको पर जानलेवा हमला हुआ था। हमलावर ने फिको पर कई राउंड की फायरिंग की थी जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे। फिको पर यह हमला उस वक्त हुआ जब वह एक सांस्कृतिक सामुदायिक केंद्र में सरकारी बैठक खत्म करने के बाद लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। 
पाकिस्तान में हुई थी बेनजीर भुट्टो की भी हत्या 

पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की भी 27 दिसंबर 2007 को हत्या कर दी गई थी। भुट्टो पर हमला उस वक्त हुआ था जब वो पाकिस्तान के रावलपिंडी में चुनावी प्रचार कर रही थीं। इसी दौरान हमलावर उनके पास आया और उन्हें गोली मार दी।  
इंदिरा गांधी की हत्या भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या उनके ही बॉडी गार्ड्स ने 31 अक्टूबर 1984 को कर दी थी। हत्याकांड को अंजाम देने वाले हमलावर ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज थे। 
राधिका मर्चेंट ने शादी में पहनी बड़ी बहन की ज्वेलरी, बेहद खूबसूरत लुक में दिखी अंबानी परिवार की छोटी बहू, देखें तस्वीरें


डेस्क: राधिका मर्चेंट शादी के बाद भी अपने लुक्स को लेकर खूब चर्चा में बनी हुई हैं। शादी के दिन अंबानी परिवार की छोटी बहू पारंपरिक गुजराती लुक में बेहद खूबसूरत नजर आईं। अपने खास दिन को और भी खास बनाने के लिए राधिका ने डिजाइनर अबु जानी और संदीप खोसला का गुजराती स्टाइल घाघरा पहना।


राधिका मर्चेंट के लुक्स के अलावा उनकी ज्वेलरी भी बेहद खास है जिन्होंने लोगों को ध्यान अपनी ओर खींचा। बता दें कि सोनम कपूर की बहन रिया कपूर ने ब्राइड की ये खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं, जिसमें राधिका अपने वेडिंग लुक में बला की खूबसूरत लग रही हैं।


रिया कपूर ने राधिका मर्चेंट की ये तस्वीरें शेयर करते हुए उनके ब्राइडल लहंगे कुछ जानकारी भी शेयर की हैं। राधिका के घाघरा को आइवरी जरदोजी कट-वर्क के साथ बनाया गया है, जिसमें नक्शी, जरदोजी की हैंडएम्ब्रॉइडरी की गई है। सिर्फ इतना ही नहीं, इसमें खूबसूरत फ्लोरल बूटी भी लगी हैं।


राधिका मर्चेंट ने अपनी शादी में जो ज्वेलरी पहनी है, उसकी वजह से वह लाइमलाइट में बनी हुई हैं। राधिका इन तस्वीरों में जो ज्वेलरी पहने दिख रही हैं वह उनके पारिवारिक आभूषण है। इस ज्वेलरी को पहले उनकी नानी, फिर मां और बहन ने पहना था और अब इसे अनंत की दुल्हन ने अपनी शादी में पहना है।


राधिका मर्चेंट के पोल्की ज्वेलरी में एक बड़े डायमंड एंड एमराल्ड नेकपीस, एक चोकर, मैचिंग इयररिंग्स और एक मांग टीका शामिल था। बता दें कि राधिका ने जो कुंदन का चोकर, मांगटीका, हाथफूल और इयरिंग्स पहने, वो उनकी बहन अंजलि मर्चेंट ने अपनी शादी पर पहना था। राधिका मर्चेंट अब ऑफिशियली मिसेज अनंत अंबानी बन चुकी हैं। उनकी शादी से जुड़े हर फंक्शन ने खूब चर्चा बटोरीं। दुल्हन के रूप में राधिका किसी अप्सरा से कम नहीं लगीं। उनका हर लुक लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। खास बात तो ये हैं कि जितनी खूबसूरत वो वेडिंग आउटफिट में लग रही थीं। उनती ही वो विदाई वाले आउटफिट में भी नजर आईं।
अनंत अंबानी की शादी से पहले क्यों करवाई गई शिव-शक्ति पूजा? जानें इसका महत्व

डेस्क: भगवान शिव और देवी पार्वती को एक दूसरे का पूरक माना जाता है। इसीलिए अर्धनारीश्वर रूप में भी इनकी पूजा की जाती है। साथ ही एक साथ शिव-पार्वती की पूजा को शिव-शक्ति पूजन के नाम से भी जाना जाता है। शिव-शक्ति पूजन की परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। अंबानी परिवार ने अपने घर एंटीलिया में अनंत अंबानी की शादी से पहले इसी शिव-शक्ति पूजा का आयोजन किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शिव-शक्ति पूजन का क्या महत्व है, क्यों ये पूजा की जाती है? अगर नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

शिव-शक्ति कौन हैं?

शास्त्रों के अनुसार शिव इस सृष्टि के नियंता यानि नियंत्रण करने वाले हैं। वहीं माता पार्वती वह शक्ति हैं जिसके द्वारा शिव सृष्टि को नियंत्रित करते हैं, इसलिए माता पार्वती को शक्ति कहा जाता है। शिव-शक्ति मिलकर इस जगत को संतुलन में रखते हैं। इन दोनों के मिलन से ही परम तत्व का सर्जन होता है। परमात्मा शिव रूप में जगत पिता हैं और शक्ति के रूप में माता। शिव-शक्ति के संयुक्त रूप को हम अर्धनारीश्वर कहते हैं। इसीलिए शिव-शक्ति पूजन को बेहद शुभ फलदायक माना जाता है।

शिव-शक्ति पूजा का महत्व

भगवान शिव और माता पार्वती का संबंध जन्मों-जन्मों का है। माता पार्वती ने हर रूप में भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की है और उन्हें वर के रूप में पाया है। इसीलिए विवाह से पूर्व वर-वधू शिव-शक्ति की पूजा करते हैं ताकि उनका रिश्ता भी शिव-पार्वती की तरह अटूट रहे। जैसा प्रेम शिव-पार्वती के बीच है वैसा ही प्रेम वर-वधु में हमेशा बना रहे इसलिए भी शिव-शक्ति पूजन करवाया जाता है। माना जाता है कि माता लक्ष्मी जब सीता के रूप में धरती पर आयीं तो उन्होंने भी शादी से पूर्व शिव-शक्ति पूजन किया था। इसके साथ ही महाभारत काल में सुभद्रा ने अर्जुन को वर रूप में पाने के लिए भी शिव-शक्ति का पूजन किया था। यानि शिव-शक्ति की आराधना करने की परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है। खासकर सफल विवाह या योग्य वर-वधु की कामना के साथ यह पूजा की जाती है। शिव-शक्ति पूजा के महत्व को देखते हुए कई लोग विवाह से पूर्व शिव-शक्ति पूजन करवाते हैं।

शिव शक्ति पूजन के हैं ये भी हैं लाभ

विवाह से पूर्व शिव-शक्ति पूजने से लाभ मिलता है, लेकिन इसके अलावा कई अन्य लाभ भी इस पूजा से आपको मिलते हैं।

शिव-शक्ति पूजन के बाद आपको भय और रोग से मुक्ति मिलती है।

शिव-शक्ति की पूजा करने से घऱ परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

आपकी आर्थिक स्थिति में भी शिव शक्ति पूजन से सुधार होता है।

मानसिक रूप से इस पूजा के बाद आपमें अच्छे बदलाव देखने को मिलते हैं।
लद्दाख की बर्फीली खाई में दबे थे 3 सैनिकों के शव, सेना ने 9 महीने बाद ढूंढ़ निकाला, जानें पूरी घटना


डेस्क: पिछले साल अक्टूबर में लद्दाख में 38 भारतीय सैनिक हिमस्खलन में फंस गए थे। हादसे के बाद सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन में कई सैनिकों को बचा लिया गया था। उस घटना में एक सैनिक का शव मिला था, लेकिन 3 अन्य सैनिकों का कुछ पता नहीं चल सका था। अब घटना के करीब 9 महीने बाद इन 3 सैनिकों के शव मिले हैं। इनकी पहचान हवलदार रोहित, हवलदार ठाकुर बहादुर अले और नायक गौतम राजवंशी के रूप में की गई है। तीनों जवानों के शव बर्फीली खाई के इलाके में बर्फ की परतों के नीचे दबे थे।

‘9 दिनों तक रोजाना 10 से 12 घंटे हुई खुदाई’


बता दें कि घटना के समय लापता हुए तीनों सैनिक का पता लगाने के लिए विशेष राहत एवं बचाव अभियान शुरू किया गया था। लेकिन, तब इस अभियान में कामयाबी नहीं मिल सकी थी। अब करीब 9 महीने बाद बर्फ में से तीनों सैनिकों के शव ढूंढ निकाले गए हैं। सेना के इस मिशन का नेतृत्व हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल के कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने किया। इस मिशन में शामिल रहे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, यह ऑपरेशन उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण मिशन था। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक करीब 18,700 फीट की ऊंचाई पर 9 दिन तक लगातार जटिल परिस्थितियों में 10 से 12 घंटे खुदाई की गई।


‘ऑपरेशन के दौरान कई टन बर्फ हटाई गई’


सैन्य अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए कई टन बर्फ हटाई गई और इस दौरान कठिन मौसम शारीरिक और मानसिक चुनौती दे रहा था। भारी कठिनाइयों के बावजूद सेना ने अपने इस मिशन में कामयाबी हासिल की और तीनों लापता जवानों के शव ढूंढ लिए गए। 3 सैनिकों में से एक का शव उनके परिजनों को सौंप दिया गया। किन्नौर जिले के शहीद जवान रोहित की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव तरांडा लाई गई जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बाकी के दो जवानों के शव भी पूरे सम्मान के साथ उनके घर भेजे जा रहे हैं।
इसरो के वैज्ञानिकों ने पहली बार समुद्र के नीचे संपूर्ण राम सेतु का नक्शा किया तैयार

डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने एडम ब्रिज का अब तक का सबसे विस्तृत समुद्री मानचित्र तैयार किया है, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि डूबी हुई ब्रिज भारत के धनुषकोडी से लेकर श्रीलंका के तलाईमन्नार तक एक “निरंतरता” है। समुद्र तल से लेजर किरणों को उछालने वाले एक अमेरिकी उपग्रह के साथ किए गए मानचित्रण अभ्यास ने साबित किया है कि एडम ब्रिज का 99.98 प्रतिशत हिस्सा - चूना पत्थर के शोलों की 29 किमी की श्रृंखला - उथले पानी में डूबा हुआ है।

इसरो के जोधपुर क्षेत्रीय केंद्र में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिक गिरिबाबू दंडबथुला और उनके सहयोगियों ने साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में अपने निष्कर्षों का वर्णन करते हुए कहा कि यह अध्ययन एडम ब्रिज के डूबे हुए हिस्सों के बारे में “जटिल विवरण प्रदान करने वाला पहला अध्ययन है”।

ईस्ट इंडिया कंपनी के एक मानचित्रकार ने डूबी हुई संरचना को एडम ब्रिज नाम दिया था। इस संरचना को राम सेतु के नाम से भी जाना जाता है और महाकाव्य रामायण में इसे राम की वानर सेना द्वारा निर्मित पुल के रूप में वर्णित किया गया है, ताकि वह अपनी पत्नी सीता को वापस पाने के लिए रावण की भूमि श्रीलंका तक पहुँच सकें।

भूवैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि वर्तमान में डूबी हुई ब्रिज भारत और श्रीलंका के बीच एक भूतपूर्व भूमि संपर्क है। 9वीं शताब्दी ई. में फारसी नाविकों ने पुल का वर्णन सेतु बंधई या समुद्र पर बने पुल के रूप में किया था। रामेश्वरम के मंदिर अभिलेखों से पता चलता है कि यह पुल 1480 तक समुद्र तल से ऊपर था, जब यह चक्रवात के दौरान नष्ट हो गया था।

पहले उपग्रह-आधारित अवलोकनों ने समुद्र के नीचे की संरचना का पता लगाया था, लेकिन वे मुख्य रूप से पुल के उजागर भागों पर केंद्रित थे। इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है, कुछ स्थानों पर केवल 1-मीटर से 10-मीटर गहरा है, जिससे नेविगेशन और जहाजों के साथ रिज का मानचित्रण करने के किसी भी प्रयास में बाधा उत्पन्न होती है।

अपने अध्ययन के लिए, हैदराबाद स्थित NRSA में दंडबथुला और उनके सहयोगियों ने पानी के नीचे देखने के लिए लेजर-बोर्न अल्टीमीटर से लैस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के आइस क्लाउड एंड लैंड एलिवेशन (ICESat)-2 का इस्तेमाल किया।

शोधकर्ताओं ने अक्टूबर 2018 से अक्टूबर 2023 तक के ICESat-2 डेटा का इस्तेमाल करके डूबे हुए रिज की पूरी लंबाई का 10 मीटर रिज़ॉल्यूशन वाला नक्शा बनाया - या ट्रेन के डिब्बे के आकार की विशेषताओं को कैप्चर करने के लिए पर्याप्त तेज़।

उनके विश्लेषण से पता चला है कि ब्रिज अपनी पूरी लंबाई के साथ समुद्र तल से लगभग 8 मीटर ऊपर है। लेकिन केवल 0.02 प्रतिशत आयतन ही उजागर या दिखाई देता है, बाकी हिस्सा डूबा हुआ है।

चूना पत्थर समुद्री जीवों के जीवाश्मों से निकलता है। जैसे-जैसे समुद्री जीवों के खोल और कंकाल लाखों वर्षों में समुद्र तल पर बनते हैं, उनकी परतें एक-दूसरे पर दबाव डालती हैं, जिससे ठोस चट्टान बन जाती हैं।

उनके अध्ययन में 11 संकीर्ण चैनल भी सामने आए हैं, जो केवल कुछ मीटर चौड़े हैं, जो दक्षिण-पश्चिम की ओर मन्नार की खाड़ी और रिज के उत्तर-पूर्व की ओर पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी के प्रवाह या आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संकीर्ण चैनल - या रिज की धुरी के साथ अंतराल - संभवतः संरचना को लहरों की क्रिया की प्रचंडता से बचाने या संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुल लगातार अपने दोनों ओर से मजबूत तरंगों - मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य से ऊर्जा के संपर्क में रहता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान गर्मियों में मानसून की धाराएँ अरब सागर से बंगाल की खाड़ी में पानी लाती हैं, जबकि सर्दियों में मानसून की धाराएँ बंगाल की खाड़ी के पानी को पाक जलडमरूमध्य और एडम्स ब्रिज के माध्यम से उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान अरब सागर में ले जाती हैं।

इसरो टीम ने कहा है कि संकीर्ण चैनल मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी के मुक्त प्रवाह या आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं, जिससे रिज पर तरंगों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में खगोल विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर मयंक वाहिया ने कहा, "यह एक अच्छा वैज्ञानिक शोधपत्र है, जो डूबे हुए रिज की पहले से अज्ञात विशेषताओं का वर्णन करता है।" वे इसरो अध्ययन से जुड़े नहीं थे। "यह चूना पत्थर की संरचना की प्राकृतिक, भूवैज्ञानिक उत्पत्ति की पुष्टि करता है।"

भारत और श्रीलंका दोनों ही एक समय में गोंडवानालैंड नामक एक प्राचीन महाद्वीप का हिस्सा थे, जो टेथिस सागर में एक अलग विशाल द्वीप के रूप में उत्तर की ओर बहता रहा और 35 मिलियन से 55 मिलियन वर्ष पहले लॉरेशिया नामक महाद्वीप से टकरा गया।

वही, जो स्वतंत्र रूप से प्राचीन सभ्यताओं में खगोल विज्ञान और विज्ञान के इतिहास का अध्ययन कर रहे हैं, ने कहा कि लाखों वर्षों में, समुद्र का स्तर बढ़ा और गिरा है, जिससे ब्रिज डूब गया है।
प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों के रिचार्ज प्लान महंगे होने के बाद सरकारी कंपनी BSNL का दिखा जलवा, सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ 'BSNL की घर वापसी'
डेस्क: प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों के रिचार्ज प्लान महंगे होने के बाद से ही सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL सोशल मीडिया पर छाई हुई है। सरकारी कंपनी ने हाल ही में कई नए रिचार्ज प्लान भी पेश किए हैं, जो यूजर्स को पसंद भी आ रहे हैं। पिछले दिनों कंपनी ने 84 दिन वाला एक ऐसा ही रिचार्ज प्लान लॉन्च किया है, जिसके लिए लोगों को प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों के प्लान के मुकाबले 50 प्रतिशत कम खर्च करना पड़ता है। इस प्लान में हाई स्पीड डेटा समेत अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग समेत कई बेनिफिट्स ऑफर किए जा रहे हैं।
BSNL का 84 दिन वाला प्लान
सरकारी टेलीकॉम कंपनी का यह रिचार्ज प्लान STV599 के नाम से आता है। इस स्पेशल टैरिफ वाउचर में यूजर्स को 84 दिनों की वैलिडिटी ऑफर की जा रही है। 599 रुपये वाला यह रिचार्ज प्लान हर टेलीकॉम जोन के लिए उपलब्ध है। दिल्ली और मुंबई के लोगों को छोड़कर पूरे देश के हर टेलीकॉम सर्किल के यूजर्स इसका लाभ ले सकते हैं।
इस प्लान में डेली 3GB डेटा का लाभ मिलता है। इस प्लान में यूजर्स को 252GB डेटा मिलता है। साथ ही, यूजर्स को पूरे देश में किसी भी टेलीकॉम नेटवर्क पर अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग और डेली 100 फ्री SMS का भी लाभ मिलेगा। Jio का 3GB डेली डेटा वाला रिचार्ज प्लान पहले 999 रुपये की कीमत में आता था। कंपनी ने अपने इस प्रीपेड प्लान की कीमत को बढ़ाकर 1,199 रुपये कर दिया है। BSNL यूजर्स को ये सारे बेनिफिट्स आधी कीमत में मिलेगा।
BSNL की घर वापसी
BSNL जल्द ही पूरे देश में 4G सर्विस लॉन्च करने वाला है। कंपनी ने चेन्नई टेलीकॉम सर्किल के लिए यह सेवा शुरू कर दी है। कंपनी इसके लिए 10 हजार से ज्यादा नए 4G टावर लगाने का काम पूरा कर चुकी है। सरकारी टेलीकॉम कंपनी अपने यूजर्स को अब 5G रेडी सिम कार्ड ऑफर कर रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पिछले दिनों "BSNL ki Ghar Wapsi" हैशटैग के साथ 45 हजार से ज्यादा पोस्ट शेयर किए गए थे। यह यूजर्स के बीच टॉप ट्रेंड करने लगा।
विराट कोहली के फोन वॉलपेपर पर ना अनुष्का शर्मा, ना वामिका-अकाय, इस खास शख्स की है तस्वीर, फोटो देख चौंके फैंस
डेस्क: विराट कोहली अपनी प्रोफेशनल लाइफ के अलावा अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी चर्चा में बने रहते हैं। विराट जितने अच्छे खिलाड़ी हैं उतने ही अच्छे पति और पिता भी हैं। इसका उदाहरण हमें कई मौके पर क्रिकेट के मैदान में भी देखने को मिला है। हाल ही में जब भारत ने 'टी20 का वर्ल्ड कप' जीता था तो विराट को जीत के तुरंत बाद ही मैदान में फोन पर अपनी फैमिली से बात करते हुए स्पाॅट किया गया था। जिसे देख साफ पता चलता है कि विराट किस तरह से अपनी प्रोफेशनल लाइफ और पर्सनल लाइफ को बैलेंस कर के रखते हैं। इसके अलावा भी कई मौकों पर विराट का उनकी फैमिली के लिए इस तरह का प्यार देखने को मिला है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि फैमिली के अलावा कोई और भी है जो विराट के दिल के सबसे करीब हैं। विराट कोहली के वॉलपेपर ने फैंस को चौंकाया
दरअसल, हाल ही में विराट कोहली भारतीय टीम के साथ 'टी20 वर्ल्ड कप' की जीत का जश्न मनाने के बाद मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुए थे। इस दौरान क्रिकेटर को एयरपोर्ट पर स्पाॅट किया गया। इसी दौरान फैंस की नजर उनके वाॅलपेपर पर गई, जिसमें अनुष्का या उनके बच्चे वामिका कोहली और अकाय कोहली नहीं थे। जी हां, विराट कोहली के वाॅलपेपर पर उनके परिवार के किसी सदस्य की नहीं बल्कि किसी खास शख्स की तस्वीर लगी थी, जिसने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। विराट के फोन वॉलपेपर पर हैं इनकी तस्वीर आइए हम आपको उस खास शख्स के बारे में बताते हैं, जिसकी तस्वीर विराट कोहली के वाॅलपेपर पर लगी थी। वो खास शख्स कोई और नहीं बल्कि वो नीम करोली बाबा हैं। बता दें कि नीम करोली बाबा हनुमान जी के भक्त और महाराज-जी के रूप में जाने जाते हैं। विराट और अनुष्का दोनों नीम करोली बाबा के भक्त हैं। दोनों को कई बार बाबा के आश्रम में भी स्पॉट किया जा चुका है। ऐसे में बाबाजी का वाॅलपेपर पर  नीम करोली बाबा की तस्वीर ने हर किसी का दिल जीत लिया है। अब विराट की ये तस्वीर वायरल होने के बाद लोग इसपर तरह-तरह के काॅमेंट कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा है- 'बाबा नीम करोली वाकई विराट कोहली के लिए बहुत मायने रखते हैं। उन्होंने उनकी तस्वीर को अपने वॉलपेपर के तौर पर लगाया है', दूसरे यूजर ने कहा, 'विराट कोहली के फोन पर नीम करोली बाबा का वॉलपेपर है...जय महाराज जी।' इसी तरह से तमाम यूजर्स काॅमेंट कर विराट की तारीफ करते हुए नजर आ रहे हैं।
Birthday Special: नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं हैं रणवीर सिंह, जिन्हें राज कपूर ने दिया ब्रेक... उस मशहूर एक्ट्रेस से है पुराना नाता

डेस्क: मशहूर एक्टर रणवीर सिंह अपनी जबरदस्त अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। वह जो भी किरदार निभाते हैं, पूरी शिद्दत से निभाते हैं और अपने काम में परफेक्शन के लिए उस किरदार में अपने आपको पूरी तरह से झोंक देते हैं। रणवीर सिंह ने 'बैंड बाजा बारात' के साथ अपना डेब्यू किया था और तब से लेकर अब तक उन्होंने हर तरह की फिल्में की हैं। वह फिल्मों में कभी संजीदा, कभी खूंखार विलेन तो कभी कॉमिक अवतार से दर्शकों को इंप्रेस कर चुके हैं।

आज रणवीर सिंह अपना 39वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं और जल्दी ही वह पापा भी बनने वाले हैं। रणवीर सिंह की जब भी चर्चा होती है, उन्हें एक नॉन फिल्मी बैकग्राउंड का एक्टर माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'गली बॉय' के 'मुराद' का फिल्मी दुनिया से पहले से ही नाता है।

50 के दशक की फेमस एक्ट्रेस के पोते हैं रणवीर सिंह

जी हां, कम ही लोग जानते हैं कि रणवीर का बॉलीवुड से पुराना नाता है। रणवीर का 50 के दशक की अभिनेत्री चांद बर्क से बहुत करीबी नाता है। ये वही चांद बर्क हैं, जिन्हें राज कपूर ने फिल्मों में ब्रेक दिया था। रणवीर सिंह इन्हीं चांद बर्क के पोते हैं। रणवीर के पिता जगजीत सिंह भवनानी भले फिल्मी दुनिया से दूर हैं, लेकिन रणवीर ने करियर के तौर पर अपनी दादी के नक्शे कदम पर चलना चुना। रणवीर सिंह की दादी चांद बर्क ने 14 साल की उम्र में पंजाबी फिल्मों से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी।

एक्टर बन दादी का सपना किया पूरा

चांद बर्क एक शानदार डांसर भी थीं, इसलिए उन्हें 'द डांसिंग लिलि ऑफ द पंजाब' के नाम से भी जाना जाता था। उन्हें हिंदी फिल्मों में लाने का श्रेय राज कपूर को जाता है। चांद ने राज कपूर की फिल्म 'बूट पॉलिश' से हिंदी सिनेमा में कदम रखा था। इसके बाद उन्होंने सुंदर सिंह भवनानी से शादी कर ली। दोनों के दो बच्चे बेटी टोनिया और बेटा जगजीत हुए। जगजीत भवनानी रणवीर के पिता है। चांद हमेशा से चाहती थीं कि उनका बेटा उन्हीं की तरह एक्टर बने, लेकिन बेटे ने पिता की राह पर कदम मोड़ लिए और बिजनेसमैन बन गए। ऐसे में रणवीर ने अपनी दादी का सपना पूरा किया।

सोनम कपूर से भी है रणवीर का कनेक्शन

यही नहीं, रणवीर सिंह का सोनम कपूर से भी खास कनेक्शन है। रणवीर के दादा सुंदर सिंह भवनानी सोनम कपूर की नानी यानी सुनीता कपूर की मां के भाई थे। जब रणवीर, अनिल कपूर की बेटी की शादी में शामिल हुए थे, उस समय इसका खुलासा हुआ था। रणवीर सिंह का पूरा नाम रणवीर सिंह भवनानी है, लेकिन बॉलीवुड में एंट्री करते हुए उन्होंने अपने नाम से भवनानी सरनेम हटा दिया।

एडवर्टाइजमेंट एजेंसी में किया काम

रणवीर सिंह की एजुकेशन और करियर की बात करे तो उन्होंने इंडियाना यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की, इस दौरान उन्होंने कैफे में भी पार्ट टाइम काम किया। रणवीर बचपन से ही एक्टर बनना चाहते थे, लेकिन इंडस्ट्री में काम पाना उनके लिए बिलकुल आसान नहीं था।

शुरुआत में उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा, एक समय तो ऐसा आया जब उन्होंने एक्टर बनने की उम्मीद ही खो दी और क्रिएटिव राइटिंग करने लगे। उन्होंने एडवर्टाइजमेंट राइटर बनकर एक एंजेंसी के साथ काम शुरू कर दिया। लेकिन, एक्टर बनने का ख्याल कभी दिमाग से नहीं गया। उन्होंने बैंड बाजा बारात से अपने करियर की शुरुआत की। फिल्म सुपरहिट रही और रणवीर का करियर भी चल निकला।
अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का मामेरू रस्म से हुआ शुभारंभ, जानिए क्या होती है ये गुजराती रस्म मामेरू?

डेस्क: अनंत अंबानी के शादी समारोह की शुरूआत हो चुकी है। आज यानी 3 जुलाई को अंबानी परिवार के निवास एंटीलिया पर मामेरू सेरेमनी रखी गई है, जिसे काफी ग्रैंड तरीके से मनाया गया। इस सेलिब्रेशन की तमाम झलकियां इस वक्त सोशल मीडिया पर चाई हुई है, जिसमें मेहमानों के आने से लेकर सेरेमनी में निभाए गए रस्मों तक की झलक देखने को मिली है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मामेरू सेरेमनी क्या होती है और ये शादी के कितने दिनों पहले होता है।

आइए हम आपको इस सेरेमनी के बारे में अच्छे से बताते हैं।

क्या होता है मामेरू रस्म?

मामेरू गुजराती संस्कृति में वास्तविक विवाह से कुछ दिन पहले मनाया जाने वाला एक पारंपरिक समारोह है। मामेरु में दूल्हे की मां का परिवार (इस मामले में नीता अंबानी के परिवार के सदस्य, उनकी माँ श्रीमती पूर्णिमा दलाल और उनकी बहन सुश्री ममता दलाल) उपहार और प्रसाद के साथ जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए निवास पर आते हैं। दूल्हे के मामा और परिवार ने दुल्हन और दूल्हे को 'मामेरु' नामक उपहारों का एक पारंपरिक सेट भेंट करते हैं। एक तरह से मोसालु और मामेरु विवाह उत्सव में बड़े परिवार को दिए जाने वाले सम्मान और भागीदारी को दर्शाते हैं। ये अवसर विस्तारित परिवार के लिए विवाह के महत्व को उजागर करते हैं और उनके लिए एक साथ जश्न मनाने का अवसर बन जाते हैं। समारोह के लिए श्रीमती नीता अंबानी का परिवार बड़ी संख्या में मौजूद था।


मामेरू समारोह के लिए सजा एंटीलिया

गौरतलब  है कि आज यानी 3 जुलाई को हो रहे मामेरू समारोह के लिए एंटीलिया दुल्हन की तरह सजा हुआ दिखा। अनोखे लाइट्स और फूले सो सजा  एंटीलिया किसी महल से कम सुदंर नहीं दिख रहा। वहीं इसकी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए चारों तरफ गोल्डन लाइट भी लगाई गई थी, जिसमें एंटीलिया की चमक देखते ही बन रही थी। इसके अलावा बाहर गेट पर अनंत और राधिका के कैरिकेचर वाली एक डिजिटल स्क्रीन भी लगाई गई है, जिसमें लिखा है, "ऑल द बेस्ट”। फिलहाल इस समारोह की फोटोज और वीडियोज इस वक्त सोशल मीडिया पर छाई हुई है।
क्या होता है सदन में धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks) का मतलब, इसका पास होना सरकार के लिए क्यों है जरूरी?

डेस्क: 18वीं लोकसभा के गठन के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में संसद का पहला सत्र चल रहा है। राष्ट्रपति का अभिभाषण के बाद, धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks) पर चर्चा हुई। इसमें NEET पेपर लीक और अग्निवीर योजना जैसे मुद्दों को विपक्ष जोरदार तरीके से उठाया। भाजपा की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी और पहली बार लोकसभा सदस्य बनीं बांसुरी स्वराज प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार 3 जुलाई को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देंगे। मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में 2 घंटे 15 मिनट की स्पीच दी थी। इसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मुंह झूठ का खून लग गया है। प्रधानमंत्री के भाषण के बाद लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। आइए जानते हैं क्या होता है धन्यवाद प्रस्ताव और इसका पास होना सरकारी के जरूरी क्यों है?

क्या होता है धन्यवाद प्रस्ताव

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 86 (1) के अनुसार, राष्ट्रपति संसद के किसी एक सदन या फिर दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित कर सकते हैं। Article 87 के अनुसार, हर लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र की शुरुआत और हर साल संसद के सत्र शुरू होने से पहले राष्ट्रपति दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे और सत्र बुलाने के कारणों के बारे में सूचित करेंगे। इस संबोधन को ‘विशेष संबोधन’ भी कहा जाता है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या-क्या होता है शामिल?

– राष्ट्रपति के अभिभाषण में पिछले वर्ष के कार्यकाल के दौरान सरकार की सभी गतिविधियों और उपलब्धियों की समीक्षा शामिल होती है।
– राष्ट्रपति का अभिभाषण ‘ब्रिटेन राजशाही/राज-सिंहासन के भाषण’ (Speech From The Throne in Britain) से मेल खाता है, पर संसद के दोनों सदनों में ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ (Motion of Thanks) पर चर्चा की जाती है।

– राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार की नीति का विवरण होता है और प्रायः इस अभिभाषण का प्रारूप सरकार की ओर से ही तैयार किया जाता है।
– इसके अलावा उन महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित नीतियों, परियोजनाओं और कार्यक्रमों को संसद के सामने रखा जाता है, जिन्हें सरकार आगे बढ़ाना चाहती है।


संसदीय प्रक्रिया है धन्यवाद प्रस्ताव

-राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद इस पर धन्यवाद प्रस्ताव लाया जाता है। यह एक संसदीय प्रक्रिया है।इसमें संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आभार जताने या प्रशंसा व्यक्त करने के लिए औपचारिक रूप से एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है।
-अभिभाषण पर संसद के दोनों सदनों में इसी धन्यवाद प्रस्ताव के जरिए चर्चा की जाती है। विपक्ष के नेता और सभी पार्टियों के प्रमुख धन्यवाद प्रस्ताव पर अपनी-अपनी राय रखते हैं।

निपटाए जाते हैं धन्यवाद प्रस्ताव पर आए संशोधन

धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के समाप्त होने पर इस पर आए संशोधन निपटाए जाते हैं। संशोधन अभिभाषण में शामिल मामलों के साथ उन मामलों को भी शामिल किया जा सकता है, जिनका सदस्यों की राय में अभिभाषण में उल्लेख नहीं किया गया लेकिन उनका उल्लेख करना जरूरी था। अभिभाषण में किसी भी संशोधन को सदन के सामने रखा जाता है और उसे स्वीकार कर लिया जाता है तब धन्यवाद प्रस्ताव को संशोधित रूप में स्वीकार किया जाता है।

धन्यवाद प्रस्ताव चर्चा का जवाब कौन देता है ?

आमतौर पर प्रधानमंत्री या उनकी उपस्थिति या किसी अन्य वजह से अन्य किसी मंत्री की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया जाता है। इस दौरान सभी नेताओं के इस जवाब पर संतुष्टि जताने के बाद इस पर चर्चा समाप्त हो जाती है।

सरकार के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पास होना क्यों है जरूरी?

सरकार के लिए इसका पास होना जरूरी होता है, क्योंकि ऐसा न होने पर सरकार की हार मानी जाती है और सरकार अविश्वास में आ सकती है। लास्ट में धन्यवाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाता है। हालांकि, धन्यवाद प्रस्ताव में कोई भी सदस्य सीधे केंद्र सरकार से न जुड़े मुद्दों और राष्ट्रपति के नाम का उल्लेख नहीं कर सकता है। सरकार से लोकसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा जा सकता है। यह धन्यवाद प्रस्ताव सदन में पास होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर यानी धन्यवाद प्रस्ताव पास नहीं होने पर सदन में सरकार की हार मानी जाती है. ऐसा होने पर लोकसभा में सरकार अविश्वास में आ सकती है और उसे लोकसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा जा सकता है।