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मुकेश अंबानी के बेटे अनंत की शादी में क‍ितना खर्च हुआ? जीरो ग‍िनते-ग‍िनते थक जाएंगे आप, बन गई दुनिया की यादगार शादी

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट शादी के बंधन में बंध गए है। शुक्रवार को शादी समारोह में शामिल होने के लिए देश-विदेश से बड़े दिग्गज जियो वर्ल्ड सेंटर पहुंचे थे। 12 जुलाई, वो यादगार दिन है जब अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट जन्मों जन्मांतर के बंधन में बंधे। जियो वर्ल्ड सेंटर में अनंत-राधिका की शाही शादी हुई। देश-विदेश के वीवीआईपी मेहमान शिरकत करने पहुंचे। अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी के चर्चे हर तरफ हैं। अनंत-राधिका की खुशी में बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड के कई सितारे शामिल हुए। दोनों के लिए शुक्रवार का दिन काफी खास था। पिछले 3 महीने से अनंत-राधिका की शादी के लिए तैयारियां की जा रही थीं। लेकिन क्या आपको पता है मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी ने अपनी संपत्ति का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी पर खर्च किया है। अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। जानकारी के मुताबिक, यह दुनिया की सबसे महंगी शादियों में से एक होगी। मुकेश अंबानी अपने बेटे अनंत और बहू राधिका के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। इस बीच इन दोनों की वेडिंग पर खर्च होने वाले पैसे को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें यह बताया गया है कि मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की शादी पर कितना पैसा खर्च हो रहा है। अंबानी परिवार की तरफ से भेजे गए एक निमंत्रण कार्ड की कीमत ही तकरीबन सात लाख रुपये बताई जा रही है। वहीं, अनंत मर्चेंट और राधिका मर्चेंट के प्री-वेडिंग समारोह का कुल खर्च करीब एक हजार करोड़ रुपये आंका गया है। दूसरे प्री-वेडिंग समारोह में 500 करोड़ रुपये खर्च होने की जानकारी है। इतना ही नहीं शादी और उसके बाद तीन दिन तक चलने वाले समारोह की बात करें तो अंबानी परिवार अनंत की शादी पर तकरीबन तीन हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अंबानी परिवार ने अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की पहली प्री-वेडिंग सेरेमनी पर तकरीबन एक हजार करोड़ रुपये खर्चे। यह सेरेमनी एक से तीन मार्च तक गुजरात के जामनगर में आयोजित की गई थी। इसमें बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक के सितारों ने शिरकत की और अपनी परफॉर्मेंस से पार्टी में चार चांद लगा दिए। जानकारी तो यह भी है कि समारोह के दौरान जामनगर में करीब 350 से अधिक विमानों का आना-जाना हुआ था। इतना ही नहीं मेहमानों के आने-जाने का खर्च भी अंबानी परिवार ने ही उठाया था। अनंत अंबानी की ओर से दूसरी प्री वेडिंग सेरेमनी इटली में आयोजित की गई थी। पार्टी क्रूस पर हुई। इसमें भी मनोरंजन और व्यापार जगत की नामचीन हस्तियों का तांता लगा रहा। अंबानी परिवार ने अपने मेहमानों के लिए 10 चार्टर फ्लाइट बुक की थी। साथ ही उनकी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए 12 प्राइवेट एयरक्राफ्ट का इंतजाम किया था। 150 से अधिक लग्जरी गाड़ियों में मेहमानों का आना-जाना हुआ। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अंबानी परिवार ने इटली में आयोजित इस समारोह में तकरीबन 500 करोड़ रुपये खर्च किए। इस तरह अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के प्री वेडिंग समारोह में तकरीबन डेढ़ हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए। वहीं, रिपोर्ट्स की मानें तो अंबानी परिवार के छोटे बेटे की शादी में तकरीबन दो हजार करोड़ रुपये का खर्चा बैठ रहा है। तो, कुल मिलाकर अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का बजट साढ़े तीन करोड़ रुपये होने वाला है। इस तरह यह भारत नहीं बल्कि पूरे विश्व की सबसे महंगी शादियों में से एक बन गई है।
अब अर्जेंटीना ने भी 'हमास' को घोषित कर दिया आतंकी संगठन, फिलिस्तीनी समूह की वित्तीय परिसंपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश

अर्जेंटीना ने फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। इसके साथ ही फिलिस्तीनी समूह की वित्तीय परिसंपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम राष्ट्रपति जेवियर मिली के इजरायल समर्थक रुख का प्रतीक है, क्योंकि वह अर्जेंटीना को इजरायल और अमेरिका के साथ मजबूती से जोड़ना चाहते हैं।

राष्ट्रपति के कार्यालय ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमास के सीमा पार हमले का हवाला दिया, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया, जो इजरायल के 76 साल के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था। एक आधिकारिक बयान में हमास के मुस्लिम देश ईरान के साथ घनिष्ठ संबंधों का भी उल्लेख किया गया है, जिसे अर्जेंटीना ने देश में यहूदी स्थलों पर दो घातक आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। यह कदम 1994 में अर्जेंटीना में यहूदी समुदाय केंद्र पर हुए बम विस्फोट की 30वीं वर्षगांठ से कुछ दिन पहले उठाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना के आधुनिक इतिहास में इस तरह के सबसे भयानक हमले में 85 लोग मारे गए और सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे।

वहीं, 1992 में ब्यूनस आयर्स में इजरायली दूतावास पर हुए दूसरे हमले में 20 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। अर्जेंटीना की न्यायपालिका ने लेबनान के ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह आतंकवादी समूह के सदस्यों पर दोनों हमलों को अंजाम देने का आरोप लगाया है। फ़िलहाल, हिज्बुल्ला, हमास के साथ मिलकर इजराइल पर हमले कर रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रपति ने “आतंकवादियों को उनकी वास्तविक पहचान के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता” की घोषणा की, और कहा कि “यह पहली बार है कि ऐसा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति है।”

बता दें कि, अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने हमास को आतंकवादी घोषित कर दिया है, जो इजरायल के साथ वर्तमान युद्ध से पहले गाजा पट्टी पर बाकायदा लोगों के वोट लेकर शासन करता था, यानी फिलिस्तीनी लोग भी आतंकी संगठन के समर्थन में ही थे। हालाँकि, अर्जेंटीना में पूर्ववर्ती वामपंथी सरकारों ने फिलिस्तीनी के प्रति समर्थन भी जताया है। '   

आज भी इजराइल के लगभग 200 लोग हमास के पास बंधक हैं।

अब अर्जेंटीना ने भी 'हमास' को घोषित कर दिया आतंकी संगठन, फिलिस्तीनी समूह की वित्तीय परिसंपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश

अर्जेंटीना ने फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। इसके साथ ही फिलिस्तीनी समूह की वित्तीय परिसंपत्तियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम राष्ट्रपति जेवियर मिली के इजरायल समर्थक रुख का प्रतीक है, क्योंकि वह अर्जेंटीना को इजरायल और अमेरिका के साथ मजबूती से जोड़ना चाहते हैं। राष्ट्रपति के कार्यालय ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमास के सीमा पार हमले का हवाला दिया, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया, जो इजरायल के 76 साल के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था। एक आधिकारिक बयान में हमास के मुस्लिम देश ईरान के साथ घनिष्ठ संबंधों का भी उल्लेख किया गया है, जिसे अर्जेंटीना ने देश में यहूदी स्थलों पर दो घातक आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। यह कदम 1994 में अर्जेंटीना में यहूदी समुदाय केंद्र पर हुए बम विस्फोट की 30वीं वर्षगांठ से कुछ दिन पहले उठाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना के आधुनिक इतिहास में इस तरह के सबसे भयानक हमले में 85 लोग मारे गए और सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे। वहीं, 1992 में ब्यूनस आयर्स में इजरायली दूतावास पर हुए दूसरे हमले में 20 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। अर्जेंटीना की न्यायपालिका ने लेबनान के ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह आतंकवादी समूह के सदस्यों पर दोनों हमलों को अंजाम देने का आरोप लगाया है। फ़िलहाल, हिज्बुल्ला, हमास के साथ मिलकर इजराइल पर हमले कर रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रपति ने “आतंकवादियों को उनकी वास्तविक पहचान के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता” की घोषणा की, और कहा कि “यह पहली बार है कि ऐसा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति है।” बता दें कि, अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने हमास को आतंकवादी घोषित कर दिया है, जो इजरायल के साथ वर्तमान युद्ध से पहले गाजा पट्टी पर बाकायदा लोगों के वोट लेकर शासन करता था, यानी फिलिस्तीनी लोग भी आतंकी संगठन के समर्थन में ही थे। हालाँकि, अर्जेंटीना में पूर्ववर्ती वामपंथी सरकारों ने फिलिस्तीनी के प्रति समर्थन भी जताया है। ' आज भी इजराइल के लगभग 200 लोग हमास के पास बंधक हैं।
जालंधर उपचुनाव में दिखा AAP का जलवा, मोहिंदर भगत ने बड़े मार्जिन से दर्ज की जीत

पंजाब उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के मोहिंदर भगत जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर विजयी हुए हैं। उन्होंने भाजपा की शीतल अंगुराल को 37,000 से अधिक मतों से हराया। चुनाव अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। भगत को 55,246 वोट मिले, जबकि अंगुराल को 17,921 वोट मिले। कांग्रेस पार्टी की सुरिंदर कौर 16,757 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।

यह उपचुनाव AAP विधायक अंगुराल के इस्तीफे के कारण हुआ था, जो बाद में मार्च में भाजपा में शामिल हो गए थे। मतदान शांतिपूर्ण तरीके से हुआ और चंडीगढ़ के लायलपुर खालसा महिला कॉलेज में सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू हो गई। शिरोमणि अकाली दल (SAD) की उम्मीदवार सुरजीत कौर को 1,242 वोट मिले, जबकि बीएसपी के बिंदर कुमार को 734 वोट मिले। यह जीत पंजाब में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है, जो क्षेत्र में बदलते गठबंधनों और मतदाताओं की भावनाओं को दर्शाता है।

चुनाव आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल में चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के दौरान शाम पांच बजे तक 62.71% मतदान दर्ज किया गया था। रायगंज में सबसे ज़्यादा 67.12% मतदान हुआ, उसके बाद रानाघाट दक्षिण में 65.37%, बगदाह में 65.15% और मानिकतला में 51.39% मतदान हुआ। इन निर्वाचन क्षेत्रों में सामूहिक रूप से लगभग 10 लाख मतदाता हैं। 2021 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने रानाघाट दक्षिण और बगदाह में जीत हासिल की थी।

उत्तराखंड के मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में, एक हिंसक घटना में चार लोगों के घायल होने के बावजूद, 67.28% मतदान हुआ। वहीं, बद्रीनाथ में मतदान शांतिपूर्ण रहा और 47.68% मतदान हुआ था। हिमाचल प्रदेश में तीन निर्वाचन क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में 71% मतदान हुआ। नालागढ़ में सबसे ज़्यादा 78.1% मतदान हुआ, उसके बाद हमीरपुर में 67.1% और देहरा में 65.2% मतदान हुआ। पंजाब के जालंधर पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में 51.30% मतदान हुआ, जो 2022 के राज्य चुनाव में हुए 67% मतदान से कम है।

शहीद दिवस पर मुझे नजरबंद कर दिया..', महबूबा मुफ्ती ने दिखाई दरवाजे पर ताले की तस्वीर, केंद्र पर साधा निशाना

 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि उन्हें कश्मीर शहीद दिवस पर मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए नजरबंद किया गया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने अपने आवास के गेट पर ताला लगे होने की तस्वीरें एक्स पर साझा कीं है।

उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि, "मुझे मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए मेरे घर के दरवाजे एक बार फिर बंद कर दिए गए हैं। ये सत्तावाद, उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ कश्मीर के प्रतिरोध और लचीलेपन का एक स्थायी प्रतीक है। हमारे शहीदों का बलिदान इस बात का प्रमाण है कि कश्मीरियों की भावना को कुचला नहीं जा सकता। आज इस दिन शहीद हुए प्रदर्शनकारियों की याद में इसे मनाना भी अपराध बन गया है।" बता दें कि, प्रत्येक वर्ष 13 जुलाई को अधिकतर मुस्लिम नेता श्रीनगर स्थित मजार-ए-शुहादा पर उन 22 प्रदर्शनकारियों को श्रद्धांजलि देने आते हैं, जो शेख अब्दुल्ला जैसे मुस्लिम नेताओं के नेतृत्व में तत्कालीन महाराजा के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और इसके बाद 1931 में तत्कालीन महाराजा की सेना ने गोली मार दी थी।

केंद्र पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह "हमारी सामूहिक स्मृतियों को मिटाने" की कोशिश है। वहीं, नेशनल कांफ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा कि, "एक और 13 जुलाई, शहीद दिवस, फिर से दरवाजे बंद... देश में हर जगह इन लोगों की शहादत का जश्न मनाया जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में प्रशासन इन बलिदानों को नजरअंदाज करना चाहता है। यह आखिरी साल है, जब वे ऐसा कर पाएंगे। इंशाअल्लाह, अगले साल हम 13 जुलाई को उस गंभीरता और सम्मान के साथ मनाएंगे, जिसका यह दिन हकदार है।

जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र का बड़ा फैसला, उपराज्यपाल को मिली दिल्ली के एलजी जैसी पावर

#modigovtgivesmorepowertojammuandkashmirlieutenantgovernor

केन्द्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर का बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ताकत बढ़ा दी है। केन्द्र सरकार ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 में संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल दिल्ली के एलजी की तरह अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग जैसे फैसले कर पाएंगे।

गृहमंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया। इसमें उपराज्यपाल की भूमिका को परिभाषित करने वाले नए खंड जोड़े गए हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि कानून के तहत उपराज्यपाल के विवेक का इस्तेमाल करने के लिए पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी ) से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता नहीं होगी, बशर्ते कि प्रस्ताव को मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा गया हो।

एलजी के पास होंगी ये शक्तियां

गृहमंत्रालय के फैसले के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की प्रशासनिक भूमिका का दायरे बढ़ जाएगा। इस संशोधन के बाद उपराज्यपाल को अब पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे। पहले, एआईएस से जुड़े मामलों (जिनमें वित्त विभाग की सहमति जरूरी होती थी) और उनके तबादलों और नियुक्तियों के लिए वित्त विभाग की मंजूरी जरूरी थी। लेकिन अब उपराज्यपाल को इन मामलों में भी ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। इसके अलावा अब महाधिवक्ता, कानून अधिकारियों की नियुक्ति और मुकदमा चलाने की अनुमति देने या इनकार करने या अपील दायर करने से संबंधित प्रस्ताव पहले उपराज्यपाल के सामने रखे जाएंगे। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन के बाद पुलिस, पब्लिक ऑर्डर, ऑल इंडिया सर्विस और एंटी करप्शन ब्यूरो से रिलेटेड प्रस्तावों पर वित्त विभाग की सहमति के बिना फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा।

उमर अब्दुल्ला ने फैसले पर उठाए सवाल

मोदी सरकार के इस फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाया है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने पर उन्होंने कहा है कि अब छोटी से छोटी नियुक्ति के लिए भीख मांगनी पड़ेगी। जम्मू-कश्मीर को रबर स्टांप मुख्यमंत्री नहीं चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग बेहतर सीएम के हकदार हैं।

सात राज्यों के 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज, उत्तराखंड के दो सीटों पर कांग्रेस को बढ़त, बीजेपी को झटका

#by_election_results_2024

सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज घोषित किए आएंगे। इसके लिए वोटों की गिनती जारी है। बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में 13 विधानसभा सीटों के लिए 10 जुलाई को वोटिंग हुई थी। इन 13 सीटों के चुनाव परिणाम आज घोषित किए जाएंगे। कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

हिमाचल प्रदेश की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस आगे

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू की पत्नी समेत कांग्रेस के उम्मीदवार राज्य की तीनों विधानसभा सीटों पर आगे चल रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि पांचवें चरण की मतगणना के बाद सुखू की पत्नी कमलेश ठाकुर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और भाजपा उम्मीदवार होशियार सिंह से 636 मतों से आगे चल रही हैं। उन्होंने बताया कि हमीरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पुष्पिंदर वर्मा दूसरे चरण की मतगणना के बाद भाजपा उम्मीदवार आशीष शर्मा से 1,704 मतों से आगे चल रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि नालागढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार हरदीप सिंह बाबा पहले चरण की मतगणना में भाजपा उम्मीदवार केएल ठाकुर से 646 मतों से आगे चल रहे हैं।

उत्तराखंड की दोनों सीटों पर क्या हैं रुझान

उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। वहीं मंगलौर सीट पर बसपा उम्मीदवार आगे हैं। मंगलौर में बसपा विधायक के निधन के बाद यहां उपचुनाव हुए हैं। बसपा ने दिवंगत नेता के बेटे को ही टिकट दिया है। 

बंगाल की चारों सीटों पर टीएमसी आगे

पश्चिम बंगाल की चारों सीटों पर सत्ताधारी टीएमसी पार्टी आगे चल रही है। बंगाल की बगदा, रानाघाट, मनिकतला और रायगंज सीट पर उपचुनाव हुए हैं।

अजीत डोभाल ने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन से की बात, गार्सेटी की धमकियों के बाद घुमाया फोन

#indian_nsa_ajit_doval_and_us_nsa_jake_sullivan_telephonic_conversation

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया रूस दौरे से अमेरिका नाराज है। इस बात का अंदाजा भारत में तैनात अमेरिकी राजूदत एरिक गार्सेटी के बयान से लगाया जा सकता है। अमेरिकी राजदूत एरिक ने कहा है कि भारत अपनी रणनीतिक आजादी को पसंद करता है लेकिन जंग के मैदान में इसका कोई मतलब नहीं है। उनके इस बयान पर भारत ने करारा जवाब दिया है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने शुक्रवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।प्रधानमंत्री के रुस दौरे के बाद भारत-अमेरिकी संबंधों पर पड़ रहे असर को देखते हुए दोनों देशों के एनएसए की बातचीत काफ़ी अहम है।

विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच हुई बातचीत की जानकारी दी है। इसमें बताया कि डोभाल और सुलिवन ने शांति और सुरक्षा के लिए वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर बात की। इसके साथ ही उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए ‘साथ मिलकर’ काम करने की जरूरत दोहराई। 

इस बयान में कहा गया कि दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने भारत-अमेरिका संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई, जो ‘साझा मूल्यों और सामान्य रणनीतिक और सुरक्षा हितों’ पर बने हैं। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, उन्होंने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों और जुलाई 2024 में और बाद में होने वाले क्वाड फ्रेमवर्क के तहत आगामी उच्च-स्तरीय कार्यक्रमों पर चर्चा की।

दोनों देशों के बीच में यह बात उस समय हुई है, जब अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने भारत के रूस संबंधों पर टिप्पणी की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के बाद भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि आपस में जुड़ी दनिया में कोई भई युद्ध अब किसी से दूर नहीं है। ऐसे में देशों को ना सिर्फ शांति के लिए खड़ा होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह तय करने के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए कि जो लोग शांति पूर्वक काम नहीं करते हैं, उन पर भी लगाम लगे। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपनी रणनीतिक आजादी को पंसद करता है लेकिन जंग में मैदान में इसका कोई भी मतलब नहीं होता।

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में महायुति के सभी उम्मीदवार जीते, क्रॉस वोटिंग ने बिगाड़ा गणित

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महाराष्ट्र विधान परिषद चुनावों में महाविकास आघाडी (एमवीए) को झटका लगा है। कांग्रेस के करीब आधा दर्जन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इसके चलते महायुति के सभी नौ कैंडिडेट आसानी से चुनाव जीत गए। तो वहीं दूसरी ओर महाविकास आघाड़ी को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने महाराष्ट्र में एनडीए को धूल चटाने के बाद अब विधान परिषद चुनाव में अपनी सीट गंवा दी है। विधान परिषद चुनाव में नंबर गेम होने के बाद भी महा विकास आघाडी अपनी सीटें जीत नहीं सका। चुनाव में 11 में से 9 सीटों पर महायुति यानी एनडीए को जीत मिली है जबकि एमवीए को दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। चुनाव में सबसे बड़ा झटका शरद पवार गुट की एनसीपी को लगा है, जिसके समर्थन के बाद भी जयंत पाटिल को करारी हार झेलनी पड़ी है।

12 उम्मीदवारों में से भाजपा के पांच उम्मीदवार जीत गए हैं। बीजेपी के सभी 5 उम्मीदवार पंकजा मुंडे, परिणय फुके, अमित गोरखे, योगेश टिळेकर और सदा भाऊ खोत को जीत मिली। एनसीपी (अजित पवार) गुट और शिवसेना के दो-दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। एकनाथ की शिवसेना के दो उम्मीदवार कृपाल तुमाने और भावना गवली विजयी रहीं. अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो के दोनों उम्मीदवार शिवाजी राव गरजे और राजेश विटेकर भी चुनाव जीत गए। इस तरह महायुति गठबंधन के सभी नौ उम्मीदवार चुनाव जीत गए हैं। 

वहीं, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की तरफ से कांग्रेस की प्रज्ञा सातव और शिवसेना उद्धव गुट के मिलिंद नार्वेकर भी जीत गए हैं। पीडब्ल्यूपीआई के जयंत पाटिल हार गए हैं। कहा जा रहा है कि एमवीए के कुल वोटों में से पांच वोट बंट गए। महाविकास अघाड़ी के पास कुल 64 वोट थे। इनमें प्रज्ञा सातव को 25, मिलिंद नार्वेकर को 22 और जयंत पाटिल को 12 वोट मिले। जयंत पाटिल ने कहा कि मुझे मेरे 12 वोट मिले हैं और कांग्रेस के कुछ वोट बंट गए हैं। 

चुनाव परिणाम से पहले अजित पवार की एक सीट पर असमंजस की स्थिति बनी थी. कहा जा रहा था कि उनके लिए दोनों सीट जीतना मुश्किल हो सकता है, लेकिन अजित पवार ने नंबर गेम नहीं होने के बाद भी जीत हासिल कर ली है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस के कई विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की जिसका फायदा सीधे तौर पर अजित पवार को गयाष चर्चा है कि चुनाव में कांग्रेस के 5-6 वोट छिटके हैं। अजित पवार गुट के पास 42 वोट थे, लेकिन चुनाव में उसे 47 वोट मिले हैं।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि महाविकास अघाड़ी के पास में सिर्फ दो उम्मीदवारों को जिताने जितने ही वोट थे लेकिन उन्होंने 3 उम्मीदवार खड़े किए थे। यह सोचकर कि छोटे दलों की मदद से अपने तीसरे उम्मीदवार को जिता लेंगे, लेकिन क्रॉस वोटिंग किसने की और कैसे की, इस बात की जांच की जाएगी।

वहीं, विधान परिषद चुनाव परिणाम के बाद प्रेस कांफ्रें करते हुए डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, आज हम सभी के लिए हर्ष की बात है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हमारी महायुती की 9 सीटें चुनकर आई हैं। जो लोग ये कह रहे थे कि हमारी सीट गिराएंगे उनके भी वोट हमारे उम्मीदवारों को मिले हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में हमारी महायुती सरकार बनाएगी।

2001 के अपहरण मामले में अबतक नहीं आया है फैसला, जानिए क्यों यूपी कोर्ट ने अमरमणि की अर्जी की खारिज

बस्ती के एमपी/एमएलए कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की 2001 के राहुल मधेसिया अपहरण मामले में अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी, बस्ती पुलिस और अभियोजन अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि बस्ती एमपी-एमएलए कोर्ट के जज प्रमोद कुमार गिरि ने पूर्व मंत्री की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि फरार घोषित अपराधियों को कोई छूट नहीं दी जा सकती। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने बस्ती के व्यवसायी धर्मराज गुप्ता के बेटे राहुल मधेसिया के अपहरण से जुड़े मामले में उन्हें अपराधी घोषित किया और 2 दिसंबर 2023 को उनकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कोर्ट ने अपहरणकर्ताओं को संरक्षण देने और वाहन और पैसे तक पहुंच बनाने में उनकी भूमिका पर गौर किया। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने कहा कि अमरमणि त्रिपाठी जानबूझकर कोर्ट में पेश होने से बचते रहे, जिससे मामले में लगातार देरी हो रही है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई तय की है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि अमरमणि त्रिपाठी के वकील ने 3 जुलाई 2024 को अंतरिम जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है। वकील के अनुसार, उनके मुवक्किल का नाम शुरू में एफआईआर में नहीं था, लेकिन बाद में जांच के दौरान उन्हें सह-आरोपी के रूप में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता की मृत्यु हो चुकी है, जबकि राहुल मधेसिया ने खुद समझौता पत्र प्रस्तुत किया था जिसमें कहा गया था कि अमरमणि त्रिपाठी उनके अपहरण में शामिल नहीं थे। हालांकि, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट लंबित है, जिसके कारण जमानत की अपील की गई है। वकील ने अपने आवेदन में उल्लेख किया, "अमरमणि त्रिपाठी को 19 दिसंबर 2001 को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था और 21 दिसंबर 2001 को हिरासत रिमांड के लिए बस्ती कोर्ट में पेश किया गया था। इसमें उल्लेख किया गया था कि 1 फरवरी 2002 को जमानत आदेश जारी किया गया था।" 6 दिसंबर 2001 को बस्ती शहर थाना क्षेत्र के गांधी नगर मोहल्ले से धर्मराज गुप्ता के बेटे का कुछ अज्ञात लोगों ने उस समय अपहरण कर लिया था, जब वह अपने स्कूल जा रहा था। यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सात दिन बाद अमरमणि त्रिपाठी के लखनऊ स्थित आवास से उन्हें सकुशल बरामद कर लिया।

इससे पहले, कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग ने 24 अगस्त 2023 को अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की समयपूर्व रिहाई का आदेश जारी किया था, जिसमें राज्य की 2018 की छूट नीति का हवाला दिया गया था, क्योंकि उन्होंने लखनऊ में कवियत्री मधुमिता शुक्ला की 2003 में हुई हत्या के मामले में 20 साल की सजा पूरी कर ली थी।