Jul 10 2024, 12:22
आइए जानते हैं बाजीराव-मस्तानी की प्रेम कहानी और इनका इतिहास
बाजीराव मस्तानी की प्रेम कथा पुरे जगत में फेमस है. 1700 के दशक में बाजीराव नाम के मराठा में पेशवा हुआ करते थे, जिन्होंने अपने राज में कभी भी कोई लड़ाई नहीं हारी.
वे एक कुशल तलवारवाज, घुड़सवार थे, जो अपने धर्म की रक्षा के लिए मरमिटने को भी तैयार थे. बाजीराव मस्तानी की प्रेम कथा को संजयलीला भंसाली की द्वारा हमने करीब से जाना, इसके बाद ही ज्यादातर लोग इनके बारे में जान पाए है. बाजीराव कुशल शासक तो थे, लेकिन उन्होंने अपने जीवन के सिर्फ 20 साल ही पेशवा के रूप में कार्य किया. ये अपनी प्रेमकथा के लिए ज्यादा प्रचलित रहे. तो चलिए आज बाजीराव मस्तानी के बारे में करीब से जानते है, वो कौन थे? कैसे इनकी प्रेम कहानी शुरू हुई व उसका अंत हुआ.
कौन थे बाजीराव
बाजीराव चौथे मराठा सम्राट छत्रपति शाहू राजे भोसले के पेशवा (प्रधानमंत्री) थे. 1720 से अपनी मृत्यु तक उन्होंने ये कार्यभार संभाला हुआ था. ये बाजीराव बल्लाल नाम से भी जाने जाते है. बाजीराव ने मराठा साम्राज्य को पुरे देश में फैलाना चाहा, उत्तर में ये बहुत हद तक सफल भी रहे. अपने 20 साल के कार्यकाल में बाजीराव ने 44 युद्ध किये, जिसमें से एक भी ये नहीं हारे. ये अपने आप में किसी रिकॉर्ड से कम नहीं है. बाजीराव की तारीफ ब्रिटिश अफसर भी किया करते थे, उनके अनुसार बाजीराव एक कुशल सेनापति व महान घुड़सवार था.
बाजीराव का जन्म व परिवार
बाजीराव का जन्म ब्राह्मण भात परिवार में हुआ था. इनके पिता बालाजी विश्वनाथ छत्रपति शाहू के पहले पेशवा थे. बाजीराव के एक छोटे भाई चिमाजी अप्पा थे. ब्राह्मण परिवार से होने के कारण बाजीराव हमेशा से हिन्दू धर्म को बहुत तवच्चो देते थे. बाजीराव अपने पिता के बहुत करीब थे, उन्हीं से इन्होने सारी शिक्षा ग्रहण की थी. 1720 में बाजीराव के पिता की मौत के बाद शाहू जी ने 20 साल के बाजीराव को मराठा का पेशवा बना दिया था.
एक पेशवा के रूप में जीवन
जब बाजीराव पेशवा बने तब छत्रपति शाहू नाममात्र के शासक थे, वे ज्यादातर अपने महल सतारा में ही रहा करते थे. मराठा साम्राज्य चलता छत्रपति शाहू जी के नाम पर था, लेकिन इसे चलाने वाले ताकतवर हाथ पेशवा के ही होते थे. बाजीराव एक बहुत अच्छे योद्धा होने के साथ साथ, अच्छे सेनापति भी थे. मराठों के पास एक विशाल सेना थी, जिसे अपनी सूझबूझ से बाजीराव चलाते थे. यही वजह है, थोड़े ही समय में उनका नाम पुरे देश में फ़ैल गया. भारत के उत्तर में उन्होंने जल्द ही मराठा का झंडा लहरा दिया. उनका सपना पुरे भारतवर्ष को हिन्दू राष्ट्र बनाने का था. बाजीराव ने बहुत कम समय में लगभग आधे भारत को जीत लिया था. उनका सपना था दिल्ली में भी मराठा का ध्वज लहराए. उत्तर से दक्षिण व पूर्व से पश्चिम हर तरफ उनके बहादुरी के चर्चे थे. दिल्ली में उस समय अकबर का राज था लेकिन अकबर भी बाजीराव की बहादुरी, साहस व युध्य निपुर्न्ता को मानता था
कौन थी मस्तानी
मस्तानी हिन्दू महराजा छत्रसाल बुंदेला की बेटी थी. व इनकी माँ एक मुस्लिम नाचने वाली थी, जिनका नाम रूहानी बाई था. इनका जन्म मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के एक गाँव में हुआ था. मस्तानी बेहद खूबसूरत थी, जो तलवारवाजी, घुड़सवारी, मार्शल आर्ट व घर के सभी कामकाज में निपुड थी. कला, साहित्य व युद्ध में इन्हें महारत हासिल थी. मस्तानी बहुत अच्छा नाचती व गाती भी थी. मस्तानी राजपूत घराने में जन्मी थी, लेकिन अपनी माँ की तरह उन्होंने मुस्लिम धर्म को ही अपनाया था.
बाजीराव-मस्तानी की प्रेम कहानी
मस्तानी के पिता छत्रसाल पन्ना राज के बुंदेलखंड में शासन करते थे. 1728 के समय मुगलों ने उन पर आक्रमण कर दिया. तब राजा ने अपनी बेटी के द्वारा बाजीराव के पास मदद के लिए सन्देश भेजा. यहाँ बाजीराव मस्तानी की पहली मुलाकात होती है. उस समय बाजीराव मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड प्रान्त में ही थे. बाजीराव की मदद से छत्रसाल मुगलों को हरा देते है. मस्तानी बाजीराव की युद्ध कुशल को देख बहुत प्रभावित होती है. छत्रसाल बाजीराव को इनाम के तौर पर अपनी बेटी मस्तानी व अपने राज्य के कुछ हिस्से देते है. बाजीराव मस्तानी की सुन्दरता व निडरता को देख प्रभावित होते है, और उसे अपना दिल दे बैठते है. जिसके बाद बाजीराव उनसे शादी कर अपनी दूसरी पत्नी बना लेते है.
बाजीराव की पहली पत्नी काशीबाई थी, जिनसे उनकी शादी 11 साल की उम्र में हुई थी, तब काशी बाई 8 साल की थी. काशीबाई व बाजीराव बचपन से साथ रहे, तो वे अच्छे मित्र भी थे. तब उनका एक बेटा नानासाहेब था.
मस्तानी से मिलने के बाद बाजीराव को मस्तानी से एक बेटा शमशेर बहादुर हुए, जिन्हें पहले कृष्णा नाम दिया गया था. लेकिन मुस्लिम माँ होने की वजह से उन्हें मुस्लिम धर्म ही अपनाने के लिए मजबूर किया गया.
बाजीराव मस्तानी को अपनी पत्नी बना लिए थे, इससे उनकी पत्नी के साथ साथ उनकी माँ व भाई को भी धक्का पहुंचा था. मुस्लिम लड़की को उनकी पत्नी के रूप में कोई भी स्वीकार नहीं कर रहा था. बाजीराव मस्तानी के साथ शानिवाडा में स्थित महल में रहा करते थे. काशीबाई ये सब देख मन ही मन बहुत दुखी थी, लेकिन पति की ख़ुशी के लिए वे शांत थी. वे अपने पति से बेहद प्रेम करती थी, और उनकी ख़ुशी में ही खुश होती है. उन्हें मस्तानी से कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन अपनी सास और देवर के आगे वे कुछ नहीं बोल पा रही थी. काशीबाई को उनकी सास ने बहुत भड़काने की भी कोशिश की. कई बार मस्तानी को मारने की कोशिश भी की गई.
1740 में मस्तानी ने बेटे शमशेर को जन्म दिया, इसी समय काशीबाई ने भी बेटे को जन्म दिया लेकिन कुछ ही समय में उनका बेटा मर गया. मस्तानी ने अपने बेटे को अकेले रहकर मुश्किलों के साथ बड़ा किया. जब बाजीराव युद्ध पर गए हुए थे, तब बाजीराव की माँ और भाई चिमाजी ने मस्तानी को उनके महल में ही कैद कर दिया था. इसमें उनके साथ बाजीराव के बेटे नानासाहेब भी थे. जब बाजीराव युद्ध से लौटे तो ये देख उन्होंने तुरंत मस्तानी के लिए अलग से महल बनाने की घोषणा की, और पुणे में मस्तानी महल बनवाया.
बाजीराव का परिवार अभी भी शांत नहीं बैठा था, वे मस्तानी को परेशान करने के लिए कुछ न कुछ करते ही रहते थे. बाजीराव का मस्तानी के प्रति प्रेम अद्भूत था, उनका मकसद कभी बुरा नहीं था, वो मस्तानी व अपनी पत्नी काशी बाई दोनों से ही प्रेम रखते थे. मस्तानी भी बाजीराव से प्रेम करती थी और पुरे समाज के सामने अपने प्यार के लिए खड़ी हो जाती है. काशी बाई अपने पति के लिए अपना सुहाग त्यागने तक को तैयार हो जाती है
बाजीराव मस्तानी की मृत्यु
1740 में बाजीराव किसी राजनैतिक काम से खरगोन, इंदौर के पास गए थे. वहां उन्हें अचानक तेज बुखार आया, वे उस समय मस्तानी को अत्याधिक याद कर रहे थे और पुकार रहे थे. उस समय उनके साथ काशीबाई, उनकी माँ व नानासाहेब भी थे. लेकिन तापघात के चलते उनकी मौत हो जाती है. बाजीराव का अंतिम संस्कार रावड़खेड़ के पास नर्मदा नदी के पास में ही हुआ.
मस्तानी की मौत को लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है. कुछ लोगों का मानना है कि बाजीराव की मौत की खबर सुनते ही झटके से उनकी मौत हो गई, जबकि कुछ लोग मानते है कि उन्होंने ये खबर सुनने के बाद आत्महत्या की थी.
दोनों की मौत के बाद काशी बाई मस्तानी के 6 साल के बेटे शमशेर को अपने साथ रखती है, और उसे अपना बेटा समझकर बड़ा करती है.
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