Jul 01 2024, 13:05
नेशनल डॉक्टर्स डे पर विशेष:अस्पताल से लेकर समुदाय तक जन स्वास्थ्य की अलख जगा रहे डॉ हरिओम
गोरखपुर।समय के साथ चिकित्सकों की भूमिका में बदलाव हुआ है। अब वह सिर्फ ओपीडी में बैठे चिकित्सक नहीं रहे । उनकी भूमिका अब समुदाय को बीमारी से बचाने और बीमारी का सामना करने में सक्षम बनाने तक विस्तृत हुई है। सरकारी क्षेत्र के एक ऐसे ही चिकित्सक है डॉ हरिओम पांडेय, जो अस्पताल से लेकर समुदाय तक जन स्वास्थ्य की अलख जगाने में जुटे हैं ।
सरदारनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी की भूमिका में उन्होंने अपनी टीम की मदद से चार बार अस्पताल को कायाकल्प पुरस्कार दिलवाया। टीबी मरीजों के एडॉप्शन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। वह नियमित टीकाकरण, जेई-एएईस और गैर संचारी रोगों से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये भी अहम योगदान दे रहे हैं।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में पब्लिक प्राइवेट मिक्स (पीपीएम) समन्वयक अभय नारायण मिश्र बताते हैं कि टीबी मरीजों का एडॉप्शन जब पहले चरण में शुरू हुआ, उस समय डॉ पांडेय ने खुद तो मरीजों को गोद लिया ही, कई संस्थाओं को इसके लिए प्रेरित भी किया। डॉ पांडेय ने दस टीबी मरीजों को गोद लेकर स्वस्थ होने में उनकी मदद की। उन्होंने लायंस क्लब के सदस्यों को प्रेरित किया कि वह भी टीबी मरीजों को गोद लें। इस तरह करीब सत्तर और टीबी मरीजों को गोद लिया गया और सभी स्वस्थ हो चुके हैं। इस तरह डॉ हरिओम जिले में सर्वाधिक टीबी मरीजों को गोद लेकर उनका सहयोग करने वाले चिकित्सक बन गये। मूलतः सिद्धार्थनगर जिले के लोटन ब्लॉक के रसियावल खुर्द गांव के रहने वाले डॉ पांडेय के परिवार में कोई अन्य सदस्य चिकित्सक नहीं है।
वह बताते हैं कि बचपन में जब वह अस्पताल जाते थे या किसी डॉक्टर के पास जाते थे तो उसके प्रति लोगों का सम्मान देख कर चिकित्सक बनना उनके जीवन का लक्ष्य बन गया। बड़े हुए तो वर्ष 2011 में पुणे स्थित भारतीय विद्यापीठ से उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई की। छात्र जीवन में उन्होंने महसूस किया कि जन स्वास्थ्य की दिशा में अभी काफी काम किया जाना बाकी है।
लोगों को बीमारियों से बचाना है तो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा ही एक अच्छा माध्यम है। इसी ध्येय से वर्ष 2012 में रेलवे अस्पताल गोरखपुर से शुरूआत की। इसके बाद जंगल कौड़िया में डोहरिया न्यू पीएचसी पर वर्ष 2014 में ज्वाइन किया । वह बताते हैं कि इस दौरान कई कार्यक्रमों का मास्टर ट्रेनर बनने का मौका मिला। इस अवसर का लाभ उन्होंने अधिकाधिक जानकारी प्राप्त करने और ज्यादा से ज्यादा चिकित्सा अधिकारियों और स्टॉफ का क्षमता संवर्धन करने में किया ।
मंडल स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला के जरिये सैकड़ों चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियों को उन तकनीकी पक्षों की जानकारी दी जिनके जरिये बीमारियों पर नियंत्रण, उनसे बचाव या उनका उन्मूलन किया जा सकता है। डॉ पांडेय राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के भी प्रशिक्षक हैं । सरदारनगर में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी का पद ग्रहण करने के बाद उनके प्रयासों से जिले में आरबीएसके योजना के तहत पहली हार्ट सर्जरी कराई जा सकी । *ऐसे शुरू हुआ कायाकल्प का सफर* डॉ हरिओम पांडेय को जुलाई 2019 में सरदारनगर पीएचसी का प्रभारी चिकित्सा अधिकारी बनाया गया। उस समय तक इस पीएचसी को एक भी कायाकल्प पुरस्कार नहीं मिला था। वह बताते हैं कि चूंकि उन्हें प्रशिक्षण की महत्ता पता थी, इसलिए सबसे पहले पूरी टीम को क्वालिटी का प्रशिक्षण दिलवाया।
धीरे धीरे मानकों को पूरा किया । पहले प्रयास में इस योजना के तहत केवल 79.2 फीसदी अंकों के साथ पुरस्कार मिला। टीम का मनोबल बढ़ा और दक्षता बढ़ाई गई तो वर्ष 2020-21 में 80.9 फीसदी, वर्ष 2021-22 में 88.6 फीसदी और वर्ष 2022-23 में 92.55 फीसदी के साथ कायाकल्प पुरस्कार हासिल हुआ। अब उनका प्रयास होगा कि ब्लॉक के अधिकाधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का एनक्वास सर्टिफिकेशन कराया जाए। *सभी चिकित्सकों को बधाई* राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर सभी चिकित्सकों को ढेर सारी बधाई। राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अहम भूमिका निभाने वाले चिकित्सक एक नजीर हैं। बाकी लोगों को भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि अपने मूल दायित्वों को निभाते हुए जन स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने का प्रयास करें। इस साल इस दिवस की थीम 'हीलिंग हैंड्स, केयरिंग हार्ट्स' है, जो चिकित्सकों के समर्पण, करुणा और उनके जीवनकाल में लाखों लोगों के जीवन बचाने की उनकी भूमिका को रेखांकित करती है।
Jul 05 2024, 23:55