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दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर सीबीआई से मांगा जवाब


दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा। अदालत ने मामले की सुनवाई 17 जुलाई को तय की है। अरविंद केजरीवाल के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत के समक्ष दलील दी कि सीबीआई को आम आदमी पार्टी प्रमुख को गिरफ्तार करने की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने अदालत से कहा, "सीबीआई की एफआईआर अगस्त 2022 की है और फिर उन्हें अप्रैल 2023 में हिरासत में लिया गया और 9 घंटे तक पूछताछ की गई। अप्रैल से अब तक कुछ नहीं किया गया और इस तरह 2022 में दर्ज एफआईआर के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।" सिंघवी ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी ज्ञापन में कार्रवाई के लिए कुछ कारण और आधार अवश्य दर्शाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी का आधार यह होना चाहिए कि व्यक्ति आतंकवादी है या उसके भागने का खतरा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की  गिरफ्तारी आवश्यक नहीं थी क्योंकि वह आबकारी पुलिस मामले में न्यायिक हिरासत में थे ।

उन्होंने कहा, "गिरफ्तारी ज्ञापन काफी उल्लेखनीय है। यह केवल एक पैरा और 4 लाइनों का है।"

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की उच्च न्यायालय की बेंच  ने इसके बाद सीबीआई को नोटिस जारी कर एजेंसी से जवाब मांगा। "नोटिस जारी करें। सीबीआई की ओर से नोटिस स्वीकार किया जाता है। विस्तृत जवाब 7 दिनों के भीतर दाखिल किया जाए।" सुनवाई टालने से पहले अदालत ने कहा, "अगर कोई जवाब है तो 2 दिन के भीतर दाखिल किया जाए।" अरविंद केजरीवाल को 26 जून को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, जब दिल्ली की एक अदालत ने एजेंसी को अदालत में उनसे पूछताछ करने की अनुमति दी थी। वह पहले से ही दिल्ली आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में थे।

उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। लोकसभा चुनाव के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 21 दिनों के लिए रिहा किया था। वह 2 जून को तिहाड़ जेल वापस आ गए। पिछले महीने दिल्ली की एक अदालत ने आबकारी नीति मामले में उन्हें जमानत दे दी थी। हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।
1993 मुंबई दंगों का आरोपी तीन दशक तक फरार रहने के बाद अब हुए गिरफ्तार


31 साल से फरार 65 वर्षीय व्यक्ति को सोमवार को 1993 मुंबई दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया। समाचार एजेंसी पीटीआई को एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी सैयद नादिर शाह अब्बास खान को रफी अहमद किदवई मार्ग पुलिस की एक टीम ने मुंबई के सेवरी इलाके से गिरफ्तार किया। खान कथित तौर पर दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मुंबई में हुए दंगों में शामिल था।

उस पर शहर में दंगों के दौरान हत्या के प्रयास और गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने का आरोप लगाया गया था। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, उस समय खान को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद वह कभी अदालत में पेश नहीं हुआ। इसके बाद अदालत ने खान को वांछित आरोपी घोषित किया और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। पुलिस ने सेवरी में उसके घर पर कई बार दबिश दी, लेकिन वह नहीं मिला। उसके रिश्तेदारों के फोन रिकॉर्ड की जांच करने के बाद आखिरकार उन्हें उसके ठिकाने के बारे में सुराग मिला।

रफी अहमद किदवई मार्ग पुलिस स्टेशन के अधिकारियों को 29 जून को सूचना मिली कि खान अपने सेवरी स्थित आवास पर आने वाला है। पुलिस ने जाल बिछाया और उसे गिरफ्तार कर लिया। एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि मामले की आगे की जांच की जा रही है।

बंबई दंगे दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 के बीच हुए थे। इतिहासकार बारबरा मेटकाफ के अनुसार दंगों के दौरान लगभग 900 लोग मारे गए थे। उनके अनुमान के अनुसार, मरने वालों में से अधिकांश मुस्लिम थे, उसके बाद हिंदू थे।

हाल ही में, मुंबई के एक टैक्सी चालक राजेश जायसवाल को मामले के सिलसिले में सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया। मामले में आरोपी बनाए जाने के तीन दशक बाद भी 15 अन्य लोग फरार बताए जा रहे हैं। पुलिस ने जांच जारी रखी  तहत अब्बास  से अन्य आरोपियों के बारे  में लगातार पूछताछ कर रहे है।  हलाकि ये पुलिस के लिए एक सफलता है लकिन  हमारे कानून पर सवाल खड़े  है की आरोपी इतने साल फरार थे और  कई केस ऐसे भी है जहाँ निर्दोष को सालों सजा  पड़ी है।
ईवीएम को लेकर अखिलेश यादव का बयान, बोले- यूपी की सभी 80 सीटें जीतने के बाद भी नहीं होगा भरोसा

#akhilesh_yadavs_big_statement_regarding_evm

लोकसभा में बोलते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम का मुद्दा उठाया। सपा प्रमुख ने ईवीएम को लेकर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ईवीएम पर मुझे कल भी भरोसा नहीं था और ना आज है। उन्होंने कहा कि अगर मैं यूपी की 80 की 80 सीट भी जीत जाऊं तो भी भरोसा नहीं होगा।

आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए अखिलेश ने कहा कि जब तक ईवीएम चुनाव की व्यवस्था से नहीं हटाई जाती, तब तक समाजवादी पार्टी इस मांग को लेकर अडिग रहेगी। सपा प्रमुख ने कहा कि मैंने चुनाव से पहले प्रचार के दौरान कहा था कि ईवीएम से जीतकर ईवीएम हटाने का काम करेंगे। ईवीएम का मुद्दा मरा नहीं और न ही खत्म हुआ है। जब तक ईवीएम नहीं हटेगी, तब तक हम समाजवादी लोग इसको (हटाने की मांग) लेकर अडिग रहेंगे।

आज लोकसभा में अखिलेश ने साफ कह दिया कि अगर उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीत जाए तब भी उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर भरोसा नहीं होगा। 

बता दें कि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में सपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। यूपी में सपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं। लोकसभा चुनाव में सपा ने उत्तर प्रदेश में 37 संसदीय सीट जीतकर अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ चुनावी प्रदर्शन किया है।

अखिलेश यादव पहले नहीं है, जिन्होंने ईवीएम पर सवाल खड़े किए हैं। इससे पहले भी कई नेताओं ने ईवीएम पर सवाल खड़े कर चुके हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ईवीएम को ब्लैक बॉक्स बताया था और चुनाव में पारदर्शिता को लेकर भी चिंता जता चुके हैं। राहुल गांधी के अलावा बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी ईवीएम को लेकर कहा था कि विपक्ष 400 पार का नारा ऐसे लगा रहे हैं, जैसे पहले से ही ईवीएम का सेटिंग हो चुका है।

संविधान लेकर घुमते हो, कितने पन्ने हैं इसमें..', लोकसभा में जमकर गरजे अनुराग ठाकुर, वॉकआउट कर गया विपक्ष

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में विपक्षी सांसदों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए पुछा कि, 'संविधान में कितने पन्ने हैं? कितने? इसे 'इतना' मोटा मत कहो। बताओ इसमें कितने पन्ने हैं? आप हर दिन अपने साथ घूमते रहते हैं। क्या आपने इसे एक बार भी पढ़ने की जहमत नहीं उठाई? ​​आप पढ़ते नहीं, बल्कि इसे इधर-उधर लहराते हैं। इसे अपनी जेब से निकालो और देखो। ठाकुर ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में बोल रहे थे।

ठाकुर ने कहा कि, संविधान को धर्मनिरपेक्षता शब्द की तरह इधर-उधर फेंका जा रहा है, इसका अवमूल्यन और अपमान किया जा रहा है, वह भी एक ऐसी पार्टी द्वारा जो हमेशा से दोनों शब्दों के मूल्यों के खिलाफ काम करती रही है। भाजपा सांसद ने कहा कि, अगर आप संविधान को बचाने के लिए इतने ही प्रतिबद्ध हैं, तो आपको संसद में यह कहना चाहिए कि कांग्रेस फिर कभी आपातकाल लगाने की गलती नहीं करेगी। आपको देश से माफ़ी भी मांगनी चाहिए।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि, कांग्रेस ने संविधान (बाबा साहेब अंबेडकर) देने वाले व्यक्ति का अपमान किया है और उन्हें राजनीति से बाहर रखा है। ठाकुर ने याद दिलाया कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने अनुच्छेद 356 का कई बार दुरुपयोग किया है। उन्होंने 93 बार विपक्ष शासित राज्य सरकारों को गिराया है। वे कहते थे कि इंदिरा ही इंडिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, संविधान लागू होने के महज 15 महीने बाद नेहरू ने अनुच्छेद 19 पर शर्तें लगाने की कोशिश की थी। बता दें कि, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है, लेकिन नेहरू कार्यकाल में संविधान बदलकर इसमें शर्तें लागू जोड़ दिया गया था।

कांग्रेस द्वारा अपने बेहतर प्रदर्शन को विपक्ष के लिए बड़ी बढ़त और भाजपा की हार के रूप में पेश करने की आलोचना करते हुए ठाकुर ने कहा कि, एक तरफ हमने चंद्रयान, आदित्य एल 1 की सफलता देखी, वहीं दूसरी तरफ क्या राहुलयान एक बार फिर विफल हो गया? 4 जून से वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि 99, 240 से बड़ा नंबर होता है। कांग्रेस को इस बार 99 सीटें मिलीं, उनमें से एक सीट छूट गई और उनके पास 98 रह गए। उन्होंने तीसरी बार विपक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाया। लेकिन उनका अहंकार और तानाशाही सोच अभी भी वही है।"  

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस को यह भी याद दिलाया कि वह 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भाजपा जितनी सीटें कभी नहीं जीत पाई। उन्होंने कहा कि, जब राष्ट्रपति ने कहा कि स्थिर बहुमत प्राप्त हो गया है, तो उन्होंने (कांग्रेस ने) बहुत अशांति पैदा की। जब आपने 2004 और 2009 में सरकार बनाई, तो क्या आपको 240 सीटें मिलीं थी? आप इतने भी करीब नहीं थे। आपको केवल 145 सीटें मिलीं थी। ठाकुर ने कहा, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी ने केवल 60 प्रतिशत सीटों, यानी 328 सीटों पर चुनाव लड़ा था। और उनमें से भी वे 70 प्रतिशत सीटों पर हार गए। जब ​​कोई पार्टी अपने मानक इतने कम रखती है और औसत से नीचे प्रदर्शन करती है, तो उन्हें लगता है कि यह भारी है।

अनुराग ठाकुर ने विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक पर आगे हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने ऐसे सहयोगियों के साथ गठबंधन किया है जो या तो जेल में हैं या जमानत पर हैं। ठाकुर ने कहा, जब वे पहले दो बार भाजपा को नहीं हरा पाए तो उन्होंने जेल में बंद और जमानत पर बंद लोगों का गठबंधन बना लिया। यहां भी कुछ (सांसद) जमानत पर हैं। उनकी पिछली सरकारें कई घोटालों में लिप्त थीं, चाहे वह 2जी घोटाला हो, कॉमनवेल्थ घोटाला हो, पनडुब्बी घोटाला हो। उन्होंने कोई घोटाला नहीं छोड़ा। जब उन्होंने अपने सहयोगी चुने, तो उन्होंने उन लोगों को चुना जो शराब घोटाले, जमीन घोटाले, रिवरफ्रंट घोटाले में शामिल थे।  

उन्होंने कहा कि अब एक अनोखी स्थिति देखने को मिल रही हैं, "जेल से काम"। उन्होंने कहा कि, उनमें से एक (भारत) ने दावा किया कि वह इतना नेक है कि अब वह जेल में है। हमने वर्क फ्रॉम होम के बारे में सुना था, लेकिन अब हमें वर्क फ्रॉम जेल का मौका मिल रहा है। सैम पित्रोदा को फिर से इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर हमला करते हुए ठाकुर ने सवाल किया कि क्या विपक्ष के नेता राहुल गांधी उनके बयान का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि सैम पित्रोदा जो किसी के चाचा, मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक हैं। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या सैम पित्रोदा का बयान और कांग्रेस की विचारधारा एक जैसी है। अगर नहीं तो अंकल सैम को पार्टी में वापस लेना क्यों जरूरी था? राहुल गांधी को जिम्मेदारी लेनी होगी। क्या वह सैम पित्रोदा के बयान का समर्थन करते हैं? हम ऐसी नक्सली टिप्पणियों को स्वीकार नहीं करेंगे। यह भारत के लोगों का अपमान है। 

बता दें कि, इस साल चुनाव से ठीक पहले सैम पित्रोदा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय वह भारतीयों की शक्ल-सूरत को लेकर दिए गए अपने बयान से विवादों में घिरे थे। उस समय कांग्रेस ने पित्रोदा के बयान से खुद को अलग कर लिया था, लेकिन चुनाव ख़त्म होते ही कांग्रेस ने उन्हें वापस वही पद सौंप दिया है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा लोकसभा में शपथ ग्रहण के दौरान जय फिलिस्तीन के नारे लगाने पर आपत्ति जताते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि, हम 'जय फिलिस्तीन' के नारे को भी स्वीकार नहीं करते। क्या हम उस दिशा में बढ़ रहे हैं कि जो लोग 'जय भारत' कहने से इंकार करते हैं, वे 'जय पाकिस्तान' और 'जय चीन' के नारे लगाने लगें। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।' इस दौरान नरेंद्र मोदी 2.0 कैबिनेट में पहले भी मंत्री रह चुके भाजपा नेता ने पिछले 10 साल में नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं, लेकिन पूरा विपक्ष इस दौरान सदन से वॉकआउट कर गया था।

भाषण पर कार्यवाही के बाद राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला को लिखा पत्र, बोले- ये संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ

#rahul_gandhi_writes_to_speaker_om_birla_on_speech_expunged 

राहुल गांधी ने विपक्ष का नेता बनने के बाद सोमवार यानी 1 जुलाई को लोकसभा में पहली बार स्पीच दी थी। इस स्पीच के बाद राजनीतिक संग्राम खड़ा हो गया है। लोकसभा में विपक्ष नेता राहुल गांधी के कल सदन में दिए गए भाषण के कई हिस्से हटा दिए गए हैं। हटाए गए हिस्सों में हिंदुओं और पीएम नरेंद्र मोदी-बीजेपी-आरएसएस समेत अन्य पर उनकी टिप्पणियां शामिल हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपने भाषण से हटाई गई टिप्पणियों और अंशों को लेकर अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा। अनुरोध किया है कि टिप्पणियों को बहाल किया जाए। 

स्पीकर को लिखे अपने पत्र में राहुल गांधी ने कहा है कि यह देखकर स्तब्ध हूं कि जिस तरह से मेरे भाषण के काफी हिस्से को निष्कासन की आड़ में कार्यवाही से हटा दिया गया है, मेरी सुविचारित टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटा देना संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।राहुल गांधी ने पत्र में लिखा, ‘मैं यह लेटर 1 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मेरे भाषण से निकाली गई टिप्पणियों और अंशों के संदर्भ में लिख रहा हूं। यह देखकर हैरान हूं कि जिस तरह से मेरे भाषण के काफी हिस्से को निष्कासन की आड़ में कार्यवाही से हटा दिया गया है, मेरी सुविचारित टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटा देना, संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।‘

अपनी चिट्ठी में राहुल गांधी ने आगे लिखा है कि मैं अनुराग ठाकुर के भाषण की ओर भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, जिनका भाषण आरोपों से भरा था, हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से केवल एक शब्द हटाया गया। आपके प्रति उचित सम्मान के साथ, यह चयनात्मक निष्कासन तर्क को धता बताता है। मैं अनुरोध करता हूं कि कार्यवाही से हटाई गई टिप्पणियों को बहाल किया जाए।’

बता दें कि सोमवार को संसद सत्र का छठा दिन काफी हंगामेदार रहा। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में लंबा भाषण दिया जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों का खुलकर विरोध किया। इस दौरान उन्होंने हिंदू धर्म और पीएम मोदी पर ऐसी बात कह दी जिसके बाद देश के प्रधानमंत्री को अपनी सीट से उठकर जवाब देना पड़ा। अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद ने संविधान की एक प्रति और भगवान शिव की तस्वीर लहराई और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा।राहुल गांधी के भाषण में हिंदुओं का जिक्र करने पर भाजपा सांसदों ने कड़ा विरोध जताया

NEET पर प्रधानमंत्री मोदी पर चुप्पी बरतने का आरोप लगाते हुए भड़कीं सोनिया गांधी, कहा, ध्यान ना भटकाएं

चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र में डिप्टी स्पीकर के पद और NEET मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक जारी है। इस बीच कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर इन मुद्दों को लेकर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं, जबकि वे टकराव को बढ़ावा देते हैं। द हिंदू में एक संपादकीय में सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अभी तक लोकसभा चुनाव के नतीजों को स्वीकार नहीं कर पाए हैं, जिसमें एनडीए मुश्किल से सरकार बना पाई है। सोनिया गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं, जैसे कुछ बदला ही न हो। वे आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देते हैं।"

एक बार फिर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष बनाईं गई सोनिया गांधी ने कहा कि परंपरा के अनुसार लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से उचित अनुरोध था लेकिन सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है। 17वीं लोकसभा में भी उपाध्यक्ष के संवैधानिक पद को नहीं भरा गया था।" एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल में एआईएडीएमके के एम थम्बी दुरई, जो उस समय भाजपा की सहयोगी थी, उपाध्यक्ष थे, लेकिन 2019-24 के बीच यह पद खाली था। भाजपा द्वारा आपातकाल का मुद्दा उठाकर कांग्रेस पर हमला करने का जवाब देते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि संविधान पर हमले से ध्यान हटाने के लिए प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को उठाया है। गांधी ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि स्पीकर ने भी इस मुद्दे को उठाया जबकी उनसे निष्पक्षता की उम्मीद रखी जाती है। 

नीट पेपर लीक पर नीट पेपर लीक मामले पर चुप रहने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इस घोटाले ने हमारे लाखों युवाओं के जीवन को अस्त व्यस्त का दिया है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री जो अपनी 'परीक्षा पे चर्चा' करते हैं, वे लीक पर पूरी तरह से चुप हैं, जिसने देश भर में इतने सारे परिवारों को तबाह कर दिया है।"

पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने मई 2023 में राज्य में संघर्ष शुरू होने के बाद से संघर्षग्रस्त मणिपुर का दौरा न करने के लिए प्रधानमंत्री पर भी हमला किया। कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष के कारण सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। सोनिया गांधी ने लिखा, "इस सबसे संवेदनशील राज्य में सामाजिक सद्भाव बिखर गया है। फिर भी, प्रधानमंत्री को न तो राज्य का दौरा करने और न ही यहां के नेताओं से मिलने का समय मिला है और न ही इच्छा।"

महाराष्ट्र में 1 लाख सरकारी नौकरियां, 77 हज़ार को मिले नियुक्ति पत्र..! डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस का बड़ा दावा

 महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सोमवार को वादा किया कि उनकी सरकार जल्द ही एक लाख से अधिक सरकारी नौकरियों के पद भरेगी। फडणवीस ने कहा कि कुल 57,452 आवेदकों को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद अगस्त 2022 में भर्ती शुरू हुई थी। जिसमे 75,000 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। 

इसको लेकर फडणवीस ने कहा कि, भर्ती पारदर्शी तरीके से हो रही है। अमरावती में तलाटी परीक्षा को छोड़कर, हम प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक के खिलाफ एक नया कानून भी ला रहे हैं। यह कानून इसी सत्र (राज्य विधानसभा के) में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब कुल 19,853 छात्र प्रक्रिया पूरी कर लेंगे और उन्हें जल्द ही नियुक्ति पत्र प्रदान कर दिया जाएगा। फडणवीस ने कहा कि भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार) वाली महायुति सरकार ने 77,305 छात्रों को नौकरी दी है। साथ ही, अगले तीन महीनों में 31,201 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया संपन्न कर ली जाएगी।

डिप्टी सीएम ने कहा कि, इसका मतलब है कि हमारी सरकार एक लाख आठ हजार युवाओं को सरकारी नौकरी देगी। यह एक रिकॉर्ड है। पेपर लीक को रोकने के लिए कानून भी लागू किया जाएगा। यह कानून इसी सत्र में लागू होगा। हम छात्र संघ के साथ भी इस कानून पर चर्चा कर रहे हैं।

हमारे मुस्लिम राष्ट्र में..! सरेआम महिला की पिटाई पर बोले TMC विधायक हमीदुल रहमान, बंगाल की शासन व्यवस्था पर उठे सवाल

पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के चोपड़ा में बाहुबली TMC नेता तजीमुल हक़ द्वारा एक महिला को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने के कुछ घंटों बाद, राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक हमीदुल रहमान ने एक ऐसा बयान दिया, जिससे सियासी हंगामा मच गया और बंगाल की शासन व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। दरअसल, TMC विधायक ने रविवार (30 जून) को हुई तालिबान शैली की दरिंदगी को जायज ठहराया और इसे 'मुस्लिम राष्ट्र' करार दिया। बताया जा रहा है कि, आरोपी तजीमुल, इन्ही TMC विधायक का खास है। 

मीडिया के समक्ष हमीदुल रहमान ने दावा किया कि, महिला ने तो कोई (पिटाई की) शिकायत नहीं की है, लेकिन आप लोग (मीडियाकर्मी) अभी भी इसे लगातार उठा रहे हैं। यही नहीं TMC विधायक ने सरेआम मार खाने वाली महिला को ही चरित्रहीन बता दिया, उन्होंने कहा कि, महिला अपने पति की अनुपस्थिति में असामाजिक कार्य कर रही थी। उसकी गतिविधियों को लेकर गांव वालों ने एक बैठक की और सामूहिक निर्णय लिया गया। हमीदुर रहमान ने महिला की पिटाई को कम आंकते हुए कहा कि, हां। उन्होंने (आरोपी ने) कुछ हद तक गलत किया है। हम मानते हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं। लेकिन, महिला या उसके पति ने मामले में शिकायत नहीं की है। उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध मजबूर नहीं किया गया है। रहमान ने आगे कहा कि, महिला समाज को खराब कर रही थी और इसलिए ग्रामीणों ने एक्शन लिया। उन्होंने जो किया वह थोड़ा ज़्यादा है और हम निराश हैं। अब हम ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे ऐसी घटनाएं आगे न हों। 

जब उनसे पूछा गया कि क्या आरोपी जेसीबी (तजीमुल हक़) टीएमसी का सदस्य है, हमीदुल रहमान ने कहा कि, केवल वो ही क्यों? हमें चोपड़ा में 1 लाख से ज़्यादा वोटों की बढ़त मिली है। इसलिए, वहाँ मौजूद हर कोई हमारा समर्थक है। कोई नुकसान नहीं है। TMC विधायक ने पीड़िता के चरित्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि, हम सभी स्वीकार कर रहे हैं कि गांव वालों ने गलत किया है। महिला ने भी गलत किया है। उसने अपने पति और बच्चों को छोड़ दिया और वह एक बदचलन महिला बन गई। यही नहीं TMC विधायक हमीदुल रहमान ने यहाँ तक कह दिया कि चोपड़ा, जहां यह घटना हुई, वह 'मुस्लिम राष्ट्र' है। उन्होंने कहा कि, हमारे मुस्लिम राष्ट्र में आचरण और दंड के कुछ नियम कानून हैं। 

 

बता दें कि, इस साल लोकसभा चुनाव में TMC नेता हामिदुल रहमान ने लोगों को भाजपा को वोट न देने की धमकी दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के उत्तर दिनाजपुर जिले के माझियाली गांव में एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि, केंद्रीय अर्धसैनिक बल 26 तारीख तक यहां रहेंगे। उसके बाद, आपको हमारे बल (TMC गुंडों का जिक्र करते हुए) के साथ ही रहना होगा। हमीदुर ने आगे कहा था कि, अपना वोट बर्बाद करने और शरारत करने की जुर्रत मत करना। केंद्रीय बल 26 तारीख को चले जाएंगे और आप हमारे बलों के साथ यहां रह जाएंगे। 

 

यही नहीं TMC नेता ने धमकी देते हुए कहा था कि, उस समय, अपने भाग्य पर आने वाली त्रासदी के बारे में शिकायत मत करना। हमीदुल रहमान ने मतदाताओं को 2021 के विधानसभा चुनावों और 2023 के पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा के TMC के खेला के बारे में याद दिलाया था, जब भाजपा समर्थकों पर जमकर हिंसा हुई थी। इससे पहले मार्च 2021 में इसी TMC नेता ने भाजपा समर्थकों को 'नमकहराम' कहा था और घोषणा की थी कि चुनाव के बाद उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा था कि, हमारे पूर्वजों ने कहा है कि जो आपको खिलाते हैं, उनके साथ धोखा मत करो, चुनाव के बाद, हमें उनसे मिलना होगा जो हमें धोखा देंगे। बेईमान लोगों के साथ खेला होबे (हिंसा का खेल खेला जाएगा)। हम चाहते हैं कि दीदी (ममता बनर्जी) ही सीएम बनें।

अगर ऐसा ही चलता रहा, तो भारत की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगी, इसे रोका जाना बेहद जरूरी : इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार (2 जुलाई) को कहा कि यदि धर्मांतरण कराने वाले धार्मिक आयोजनों को नहीं रोका गया तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह बात कही।

दरअसल, अदालत को बताया गया कि सूचना देने वाले के भाई को उसके गांव से दिल्ली में आयोजित "कल्याण" सभा में भाग लेने के लिए ले जाया गया था। उसके साथ गांव के कई लोगों को भी ईसाई धर्म अपनाने के लिए वहां ले जाया गया था। इस संदर्भ में न्यायालय ने कहा कि यदि इस तरह की प्रथा जारी रही तो बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जायेगी। जज रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि यदि इस प्रक्रिया को जारी रहने दिया गया, तो इस देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगी और ऐसे धार्मिक आयोजनों को तुरंत रोका जाना चाहिए जहां धर्मांतरण हो रहा हो और भारत के नागरिकों का धर्म परिवर्तन हो रहा हो।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 25, अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार की आज़ादी देता है , लेकिन एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण का प्रावधान नहीं करता है। उन्होंने कहा कि, इसमें "प्रचार" शब्द का अर्थ बढ़ावा देना है, लेकिन इसका अर्थ किसी व्यक्ति को उसके धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना नहीं है। 

हाई कोर्ट के जज ने कहा कि आर्थिक रूप से गरीब व्यक्तियों सहित अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जातियों और अन्य जातियों के लोगों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण करने की गैरकानूनी गतिविधि पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जा रही है। इस प्रकार, अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, यह न्यायालय प्रथम दृष्टया पाता है कि आवेदक जमानत का हकदार नहीं है। इसलिए, उपरोक्त मामले में शामिल आवेदक की जमानत याचिका खारिज की जाती है।

भारत में धर्मान्तरण का खेल

बता दें कि, देश में धर्मान्तरण का खेल कई तरीकों से चल रहा है। यहाँ तक की ऑनलाइन गेम के जरिए बच्चों को भी निशाना बनाया जा रहा है। इस गिरोह का सरगना शाहनवाज और उसके गुर्गे पहले नाबालिग बच्चों को पहले ऑनलाइन गेम में हराते थे, बाद में उन्हें इस्लामी दुआएं पढ़ने को कहते थे, जिसके बाद वे खुद बच्चों को जीता देते थे और कहते थे कि ये इस्लाम की ताकत है, इस तरह से कट्टरपंथियों ने ब्रेनवाश कर कई बच्चों को मुस्लिम बना दिया था। अकेले महाराष्ट्र में 400 बच्चे मुस्लिम बन गए थे। एक पिता को ये तब पता चला, जब बच्चा कुछ तय समय पर बिना कुछ बताए बाहर जाने लगा, जब पिता ने पता किया तो मालूम चला कि वो नमाज़ पढ़ने मस्जिद जाने लगा हैl

इसके अलावा हनी ट्रैप का मामला भी सामने आया था। नेहा उर्फ मेहर नाम की एक औरत ने अपने साथियों के साथ मिलकर 25 से 50 वर्ष के उम्र के लोगों को फंसाया, उनके साथ संबंध बनाए और फिर उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहा, ना मानने पर उनके वीडियो वायरल करने की धमकी दी। ये महिला मुंबई से गिरफ्तार हुई थी। 

लव जिहाद के बारे में सभी जानते ही हैं, नाम छिपाकर मित्रता करना, फिर प्रेमजाल में फंसाकर शादी करना और फिर शादी के बाद अपना असली रूप दिखाते हुए लड़की को धर्मान्तरण करने के लिए मजबूर करना, न मानने पर उसका क़त्ल कर देना या उसे प्रताड़ित करना, ऐसे काफी केस भारत में सामने आ चुके हैं। इसमें पीड़िताएं, हिन्दू, सिख और ईसाई समुदाय की ही पाई गई हैं। इसके अलावा लालच देकर, डरा-धमकाकर, ब्रेनवाश करके, कई तरीकों से लोगों का धर्मान्तरण किया जा रहा है, जो देश के लिए एक बड़ी समस्या है, क्योंकि मध्य प्रदेश के जबलपुर से कई ऐसे आतंकी भी पकड़ाए हैं, जो पहले हिन्दू हुआ करते थे, उनका ब्रेनवाश कर उन्हें पहले मुस्लिम बनाया गया और फिर आतंकी। इसके बाद ये लोग, दूसरे गैर-मुस्लिमों को भी आतंक के रास्ते पर धकेलने के मिशन में जुटे हुए थे। इस तरह ये कट्टरपंथी, भारत के ही लोगों को भारत के खिलाफ लड़ाने की साजिश रच रहे हैं, जिसके खिलाफ जल्द से जल्द सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। 

हालाँकि, कई राज्यों में धर्मान्तरण विरोधी सख्त कानून है। लेकिन, कांग्रेस शासित कर्नाटक और INDIA गठबंधन शासित कुछ अन्य राज्यों में पूर्व की सरकारों द्वारा अवैध धर्मान्तरण रोकने के लिए बनाया गया धर्मान्तरण विरोधी कानून हटा दिया है, जिससे कट्टरपंथियों को लोगों का धर्मान्तरण करने की खुली छूट मिल गई है और वे इसके लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं।

आप पीएम के सामने झुके, मेरे सामने नहीं..! राहुल गांधी ने लोकसभा स्पीकर पर लगाया बड़ा आरोप तो...


विपक्ष के नेता राहुल गांधी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बीच सोमवार को सदन के अंदर बहस देखने को मिली, हालाँकि स्पीकर ने मुस्कुराते हुए ही राहुल के सवाल का जवाब दिया। दरअसल, राहुल गांधी ने उनसे सवाल किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उन्होंने (बिरला ने) उनके सामने झुककर प्रणाम क्यों किया ? विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि, जब आपने (स्पीकर ओम बिरला) मुझसे हाथ मिलाया तो मैंने एक बात नोटिस की। जब आपने मुझसे हाथ मिलाया तो आप सीधे खड़े थे। लेकिन जब आपने मोदीजी से हाथ मिलाया तो आप उनके सामने झुके हुए थे। राहुल गांधी के बयान पर जहां विपक्षी INDIA गठबंधन के सदस्यों ने जमकर मेज पीटी और खुशी जताई, वहीं एनडीए सांसदों ने इस पर आपत्ति जताई, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने खड़े होकर कहा कि यह सीधे आसन के खिलाफ आरोप है। हालाँकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुस्कुराते हुए राहुल गांधी को जवाब दिया कि, मेरी संस्कृति और संस्कार ये कहते हैं कि व्यक्तिगत जीवन में या सार्वजनिक जीवन में तथा इस आसन पर भी कि जो हमसे बड़े हैं, उनसे झुककर और आवश्यक हो तो पैर छूकर प्रणाम करो। वहीं, अपने बराबर वालों से या उम्र से छोटे से बराबर का व्यवहार करो. प्रधानमंत्री सदन के नेता हैं, और उम्र में मुझसे बड़े भी, यही मैंने सीखा है और मैं इसी संस्कार का पालन करता हूं।